RBSE BSER CLASS X SCIENCE LESSON 3 GENETICS

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These Solutions for Class 10 Science Chapter 3 आनुवंशिकी. are part of  Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 3 आनुवंशिकी.

BoardRBSE
TextbookSIERT, Rajasthan
ClassClass 10
SubjectScience
ChapterChapter 3
Chapter Nameआनुवंशिकी
Number of Questions Solved63
CategoryRBSE CLASS X

आपकी पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

 

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. जेनेटिक्स शब्द किसने दिया?
(क) मेण्डल।
(ख) बेटसन
(ग) मॉर्गन
(घ) पुनेट

2. मेण्डल ने अपने प्रयोग किस पर किये?
(क) मीठा मटर
(ख) जंगली मटर
(ग) उद्यान मटर
(घ) उपरोक्त सभी

3. आनुवंशिकता एवं विभिन्नताओं के अध्ययन की शाखा को कहते हैं
(क) आनुवंशिकी
(ख) जीयोलोजी
(ग) वानिकी
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

4. मटर की फली को हरा रंग कैसा लक्षण है?
(क) प्रभावी
(ख) अप्रभावी
(ग) अपूर्ण प्रभावी
(घ) सहप्रभावी

5. सामान्यतया किसी जीन के कितने युग्मविकल्पी होते हैं
(क) चार
(ख) तीन
(ग) दो
(घ) एक

6. मेण्डल ने कितने विपर्यासी लक्षणों के युग्म अपने प्रयोगों के लिए चुने
(क) 34
(ख) 2
(ग) 12
(घ) 7

7. जब F1 पीढी का संकरण किसी एक जनक से कराया जाता है तो उसे कहते हैं
(क) व्युत्क्रम क्रॉस
(ख) टेस्ट क्रॉस
(ग) संकरपूर्वज क्रॉस
(घ) उपरोक्त सभी

8. संकरण Tt x tt से प्राप्त सन्तति का अनुपात होगा
(क) 3 : 1
(ख) 1 : 1
(ग) 1 : 2 : 1
(घ) 2 : 1

9. मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए किस विपर्यासी लक्षण को नहीं चुना
(क) जड़ का रंग
(ख) पुष्प का रंग।
(ग) बीज का रंग
(घ) फली का रंग

10. एकसंकर संकरण की F2 पीढ़ी में कितने प्रकार के जीनोटाइप बनते हैं
(क) 2
(ख) 3
(ग) 4
(घ) 9

उत्तरमाला-
1. (ख)
2. (ग)
3. (क)
4. (क)
5. (ग)
6. (घ)
7. (ग)
8. (ख)
9. (क)
10. (ख)

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11. आनुवंशिकी का जनक किसे कहते हैं ?
उत्तर- आनुवंशिकी का जनक ग्रेगर जॉन मेण्डल को कहते हैं।

प्रश्न 12. मेण्डल ने अपने प्रयोग किस पौधे पर किये ?
उत्तर- मेण्डल ने अपने प्रयोग उद्यान मटर (पाइसम सेटाइवम) पर किये।

प्रश्न 13. प्रभावी लक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर- वह लक्षण जो F1 पीढ़ी में अपनी अभिव्यक्ति दर्शाता है, उसे प्रभावी लक्षण कहते हैं।

 प्रश्न 14. आनुवंशिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरण क्या कहलाता है?
उत्तर- आनुवंशिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरण वंशागति (Heredity) कहलाता है।

प्रश्न 15. मेण्डल के नियमों की पुनर्खाज किसने की?
उत्तर- कार्ल कोरेन्स, एरिक वान शेरमेक एवं ह्यूगो डी ब्रीज ने मेण्डल के नियमों की पुनर्खाज की ।।

प्रश्न 16. मेण्डल का पूरा नाम क्या है?
उत्तर- मेण्डल का पूरा नाम ग्रेगर जॉन मेण्डल (Gregor John Mendal) है।

प्रश्न 17. मेण्डल द्वारा प्रतिपादित नियमों के नाम लिखिये।
उत्तर-

  • प्रभाविता का नियम
  • पृथक्करण का नियम या युग्मकों की शुद्धता का नियम
  • स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम।

प्रश्न 18.  परीक्षण संकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर- वह क्रॉस जिसमें F1 पीढ़ी का संकरण अप्रभावी लक्षण प्ररूप वाले जनक के साथ किया जाता है, परीक्षण संकरण कहलाता है।

प्रश्न 19. बाह्य संकरण से क्या समझते हैं ?
उत्तर- बाह्य संकरण में F1 पीढ़ी के पादप (Tt) का संकरण अपने प्रभावी जनक (TT) से करवाया जाता है। इस संकरण से प्राप्त संतति में सभी पौधे लम्बे प्राप्त होते हैं जिनमें 50% समयुग्मजी लम्बे (TT) तथा 50% विषम युग्मजी लम्बे (Tt) पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 20. मेण्डल के किस नियम को एकसंकर संकरण से नहीं समझाया जा सकता है?
उत्तर- स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent assortment) ।

 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 21. लक्षणप्ररूप व जीनप्ररूप में अंतर लिखिये।
उत्तर- लक्षणप्ररूप व जीनप्ररूप में अन्तर

RBSE कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 3

प्रश्न 22. द्विसंकर संकरण को समझाइये।
उत्तर- द्विसंकर संकरण (Dihybrid Cross)-वह क्रॉस जिसमें दो लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया जाता है, उसे द्विसंकर क्रॉस कहते हैं।

मेण्डल ने दो युग्मविकल्पी लक्षणों जैसे गोल व पीले (RRYY) बीज वाले पादप और झुरींदार व हरे (rryy) बीज वाले पादप में क्रॉस करवाया। तब F1 पीढ़ी में गोल व पीले (RrYy) बीज वाले पादप उत्पन्न हुये। F1 पीढ़ी को स्वपरागित करवाने से उत्पन्न F2 पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं। अर्थात् F2 पीढ़ी में लक्षणों के चार प्रकार के संयोजन बनते हैं। दो संयोजन दोनों जनकों के जैसे (गोल-पीले तथा झुरींदार-हरे) तथा दो नये संयोजन (गोल-हरे तथा झुरींदार-पीले) बनते हैं। इस प्रकार द्विसंकर क्रास की F2 पीढ़ी के पौधों का लक्षणप्ररूप अनुपात 9: 3 : 3 : 1 का अनुपात अर्थात् 9 गोल व पीले बीज वाले पादप, 3 झुर्सदार व पीले बीज वाले पादप, 3 गोल व हरे बीज वाले पादप तथा 1 झुरींदार व हरे बीज वाला पादप बना।।

प्रश्न 23. मेण्डल की सफलता के कारण लिखिये।
उत्तर- मेण्डल की सफलता के कारण निम्न हैं

  • मेण्डल ने एक समय में एक ही लक्षण की वशांगति का अध्ययन किया।
  • मेण्डल ने अपने संकरण प्रयोगों के सभी आँकड़ों का सावधानीपूर्वक सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical analysis) किया।
  • मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए पादप का चुनाव भी सावधानीपूर्वक किया।

प्रश्न 24. मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे को ही क्यों चुना?
उत्तर- मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे का चयन निम्न कारणों से किया–

  • एकवर्षीय पादप होने के कारण कम समय में अनेक पीढ़ियों का अध्ययन किया जा सकता है।
  • द्विलिंगी पुष्प (Bisexual flowers) होने के कारण स्वपरागण (Self pollination) के द्वारा समयुग्मजी (Homozygous) पादप अथवा शुद्ध वंशक्रम (Pure line) सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।
  • विपुंसन (Emasculation) विधि द्वारा कृत्रिम परपरागण आसानी से किया जा सकता है।
  • मटर के पौधे में विभिन्न लक्षणों के वैकल्पिक लक्षण मिलते हैं जैसे लम्बे व बौने, गोल व झुरीदार बीज आदि।

प्रश्न 25. मेण्डल का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिये।
उत्तर- मेण्डल का जीवन परिचय-मेण्डल का जन्म 22 जुलाई, 1822 को आस्ट्रिया के एक कृषक परिवार में हेन्जनडॉर्फ प्रान्त के सिलिसियन गाँव में हुआ। स्कूली शिक्षा व दर्शनशास्त्र का अध्ययन करने के बाद 1843 में आस्ट्रिया के ब्रुन शहर में पादरी बने तथा उन्हें ग्रेगर की उपाधि दी गई। वियना विश्वविद्यालय में विज्ञान व गणित का अध्ययन करने के बाद फिर से वहीं आकर विज्ञान विषय के शिक्षक बने। सन् 1856 से 1863 तक चर्च के उद्यान में मटर के पौधों पर कार्य किया तथा 1865 में निष्कर्षों को ब्रुन सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के समक्ष प्रस्तुत किया। इन्होंने अपने निष्कर्षों के आधार पर आनुवंशिकी नियमों को बताया। इसे ही आज मेण्डलवाद कहते हैं। 1866 में इन प्रयोगों को सोसायटी की वार्षिकी में पादप संकरण का प्रयोग नामक शीर्षक से प्रकाशित किया गया। 6 जनवरी 1884 में इनकी मृत्यु हो गयी। सन् 1900 में ह्यूगो डी ब्रीज, कार्ल कोरेन्स (जर्मनी) एवं शरमैक (आस्ट्रिया) द्वारा पृथक् वे स्वतंत्र रूप से कार्यों का निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया। ये तीनों उसी निष्कर्ष पर पहुँचे जो मेण्डल ने सन् 1865 में ही प्रस्तुत करे दिया था। इसके पश्चात् मेण्डल के कार्यों को महत्त्व प्राप्त हुआ।

प्रश्न 26. मेण्डल के प्रभाविता नियम को समझाइये।।
उत्तर- प्रभाविता को नियम-जब दो शुद्ध गुणों (लम्बा व बौना) का संकरण होता है तो प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लम्बा) प्रकट होता है व अप्रभावी गुण (बौनापन) अभिव्यक्त नहीं हो पाता है। इसे प्रभाविता का नियम कहते हैं। लम्बापन प्रभावी गुण है एवं बौनापन अप्रभावी गुण है। देखिए नीचे चित्र में।
आनुवंशिकी कक्षा 10 RBSE
F1 पीढ़ी में सभी पौधे (100%) लम्बे (Tt) प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 27. मेण्डल के आनुवंशिकता नियमों का महत्त्व लिखिये।
उत्तर- मेण्डल के नियमों का महत्त्व निम्नलिखित है

  • मेण्डल के नियमों की सहायता से उन्नत व संकर प्रजातियों को उत्पन्न किया जाता है।
  • इन प्रजातियों में अधिक उत्पादन, अधिक अनुकूलनती, रोधक क्षमता आदि गुण पाये जाते हैं।
  • प्रजनन विज्ञान में मेण्डल के नियमों का बड़ा योगदान है।
  • असाध्य रोगों की पहचान करने व उपचार में सहायक है।
  • मेण्डल के कार्यों से जैव तकनीक और जैव अभियांत्रिकी को भी बल मिला।
  • सुजननिकी में मानव एवं अन्य जीवों में जीवन स्तर गुणवत्ता व श्रेष्ठ जर्मप्लाज्म संरक्षण को बढ़ावा देने में मेण्डल के नियम उपयोगी हैं।
  • सजीवों में प्रभाविता के लक्षण का पाया जाना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि अनेक हानिकारक एवं घातक जीन अप्रभावी होने के कारण प्रभावी जीन की उपस्थिति में अपने आपको अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं। निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 28. मेण्डल के पृथक्करण के नियम को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर- पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)-इस नियम के अनुसार जब दो विपरीत लक्षणों वाले शुद्ध नस्ल के एक ही जाति के दो पौधों या जनकों के बीच संकरण कराया जाता है, तो उनकी F1 पीढ़ी में संकरे पौधे प्राप्त होते हैं और सिर्फ प्रभावी लक्षण को ही प्रकट करते हैं। किन्तु इनकी दूसरी पीढ़ी (F2) के पौधों में परस्पर विपरीत लक्षणों का एक निश्चित अनुपात (1 : 2 : 1) में पृथक्करण हो जाता है। क्योंकि प्रथम पीढ़ी के साथ-साथ रहने पर भी गुणों का आपस में मिश्रण नहीं होता है और युग्मक निर्माण के समय गुण पृथक् हो जाते हैं और युग्मकों की शुद्धता बनी रहती है, इसलिए इसे युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Purity of gamets) भी कहते हैं। यह नियम एकसंकर संकरण के परिणामों पर आधारित है।

इस शुद्धता के नियम को निम्न प्रकार से समझा सकते हैं। जब दो पौधों को क्रॉस कराया गया (TT x tt) तब F1 के लम्बे पौधों में दोनों के जीन उपस्थित थे, परन्तु F2 में यह जीन या लक्षण पृथक् होकर पुनः लम्बे व बौने पौधे बनाते हैं। देखिये नीचे चित्र में।।
आनुवंशिकी पाठ के प्रश्न उत्तर RBSE Class 10

प्रश्न 29. मेण्डलवाद क्या है? स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम का विस्तार से वर्णन कीजिये।
उत्तर- मेण्डलवाद-मेण्डल द्वारा उद्यान मटर पर किये गये प्रयोगों के परिणाम के आधार पर आनुवंशिकता के नियमों का प्रतिपादन किया गया, जिन्हें मेण्डलवाद भी कहते हैं।

स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम-मेण्डल का यह नियम द्विसंकर संकरण के परिणामों पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, यदि दो या दो से अधिक विपर्यासी लक्षणों युक्त पादपों का संकरण कराया जाता है तो एक लक्षण की वंशागति का दूसरे लक्षण की वंशागति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् प्रत्येक लक्षण के युग्मविकल्पी केवल पृथक ही नहीं होते अपितु विभिन्न लक्षणों के युग्मविकल्पी (Alleles) एक-दूसरे के प्रति स्वतन्त्र रूप से व्यवहार करते हैं या स्वतंत्र रूप से अपव्यूहित होते हैं। अतः इसे स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of independent assortment) कहते हैं।

उदाहरण-यदि मटर के समयुग्मजी पीले गोलाकार (YYRR) बीज वाले पौधे का हरे, झुर्रादार (yyr) बीज वाले पौधे से संकरण कराया जाता है तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे पीले गोलाकार (Yellow rounded) बीज (YyRr) वाले प्राप्त होते

F1 पीढ़ी में परस्पर स्वपरागण कराने पर प्राप्त F2 पीढ़ी में लक्षणप्ररूप चार प्रकार के अनुपात 9 : 3 : 3 : 1. में प्राप्त होते हैं तथा जीन प्ररूप नौ प्रकार के अनुपात 1 : 2 : 2 : 4 : 1 : 2 : 1 : 2 : 1 में प्राप्त होते हैं।
RBSE Solutions For Class 10 Science Chapter 3
RBSE Class 10 Science Chapter 3 In Hindi

इस प्रकार इस प्रयोग से स्पष्ट होता है कि बीजों के रंग एवं आकृति की वंशानुगत पीढ़ी एक-दूसरे से प्रभावित नहीं होती। ये लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इसलिए इसे मेंडल का ‘स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम’ कहते हैं।

प्रश्न 30. मेण्डल के आनुवंशिकता के नियमों को समझाइये।
उत्तर- मेण्डल ने मटर पर कार्य करते हुए वंशागति के सिद्धान्तों को बताया, जिन्हें मेण्डल के आनुवंशिकता के नियम के नाम से जाना जाता है।

1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)- जब दो शुद्ध गुणों (लम्बा व बौना) का संकरण होता है तो प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लम्बा) प्रकट होता है व अप्रभावी गुण (बौना) अभिव्यक्त नहीं होता है। इसे प्रभाविता का नियम कहते हैं। लम्बापन प्रभावी गुण है एवं बौनापन अप्रभावी गुण है। देखिये नीचे चित्र में।
आनुवंशिकी Class 10 ch 3 RBSE
F1 पीढ़ी में सभी पौधे (100%) लम्बे (Tt) प्राप्त होते हैं।

2. पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)- इस नियम के अनुसार जब दो विपरीत लक्षणों वाले शुद्ध नस्ल के एक ही जाति के दो पौधों या जनकों के बीच संकरण कराया जाता है, तो उनकी F1 पीढ़ी में संकर पौधे प्राप्त होते हैं और सिर्फ प्रभावी लक्षण को ही प्रकट करते हैं। किन्तु इनकी दूसरी पीढ़ी (F2) के पौधों में परस्पर विपरीत लक्षणों का एक निश्चित अनुपात (1 : 2 : 1) में पृथक्करण हो जाता है क्योंकि प्रथम पीढ़ी के साथ-साथ रहने पर भी गुणों का आपस में मिश्रण नहीं होता है और युग्मक निर्माण के समय गुण पृथक् हो जाते हैं और युग्मकों की शुद्धता बनी रहती है, इसलिए इसे युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of purity at gamets) भी कहते हैं। यह नियम एक संकर संकरण के परिणामों पर आधारित है।

इस शुद्धता के नियम को निम्न प्रकार से समझा सकते हैं। जब दो पौधों को क्रॉस कराया गया (TT x tt) तब F1 के लम्बे पौधों में दोनों के जीन उपस्थित थे, परन्तु F2 में यह जीन या लक्षण पृथक् होकर पुनः लम्बे व बौने पौधे बनाते हैं। देखिये नीचे चित्र में।
RBSE Solutions For Class 10 Science
3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of independent assortment)- इस नियम के अनुसार जब दो या दो से अधिक जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले पौधे में क्रॉस (संकरण) करवाया जाता है तो समस्त लक्षणों की वंशागत स्वतन्त्र रूप से होती है, अर्थात् एक लक्षण की वंशागति पर दूसरे लक्षण की उपस्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः इसे स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम कहते हैं।

जब समयुग्मजी पीले गोलाकार (YYRR) बीजों वाले पौधे को समयुग्मजी हरे झुर्रादार (yyrr) बीजों वाले पौधे से संकरण कराया जाता है तो F1 पीढी में विषमयुग्मजी पीले गोलाकार (YyRr) लक्षण प्रकट होते हैं । झुर्सदार व हरा लक्षण अप्रभावी रहता है।

F1 पीढ़ी में परस्पर स्वपरागण करने पर F2 पीढ़ी प्राप्त होती है जिसमें फीनोटाइप (लक्षण प्ररूप) 9 : 3 : 3 : 1 के अनुपात में प्राप्त होता है। इसे द्विसंकरण क्रॉस भी कहते हैं। इन्हें इस प्रकार से लिखा जा सकता है

9 पीले-गोल : 3 पीले-झुरींदार : 3 हरे-गोल : 1 हरा-झुरींदार
जीनी प्ररूपी अनुपात-1 : 2 : 2 : 4 : 1 : 2 : 1 : 2 : 1
लक्षण प्ररूपी अनुपात-9: 3 : 3 : 1
चित्र हेतु देखिये पिछले प्रश्न 29 का उत्तर।

( अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर )

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निम्न में से किस वैज्ञानिक ने कारक शब्द को जीन का नाम दिया—
(अ) जॉनसन
(ब) कार्ल कोरेन्स
(स) ह्यूगो डी व्रीज
(द) एरिक वान शेरमेक

2. मेण्डल का जन्म हुआ
(अ) 22.7.1822
(ब) 22.7.1823
(स) 22.7.1821
(द) 22.7.1824

3. हेरिडिटी शब्द का प्रतिपादन किया गया
(अ) बेटसन
(ब) स्पेन्सर
(स) मेण्डल
(द) कार्ल कोरेन्स

4. मेण्डल द्वारा प्रस्तुत किये गये आनुवंशिकता के नियम कितने वर्ष तक उपेक्षित रहे?
(अ) 30 वर्ष
(ब) 35 वर्ष
(स) 40 वर्ष
(द) 25 वर्ष

5. मानव जाति के सुधार से सम्बन्धित विज्ञान की शाखा है
(अ) वनस्पति विज्ञान
(ब) जीवविज्ञान
(स) आनुवंशिकी
(द) सुजननिकी

6. मेण्डल के किस नियम की प्रस्तुति से जीन संकल्पना (Gene Concept) की पुष्टि होती है
(अ) प्रभाविता का नियम
(ब) पृथक्करण का नियम
(स) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम
(द) उपरोक्त सभी

7. मटर का वानस्पतिक नाम है
(अ) एलियम सीपा
(ब) माइमोसोपुडिका
(स) पाइसम सेटाइवम
(द) सोलेनस ट्यूबरोसोम

8. मेण्डल के नियमों की पुनः खोज की
(अ) 1901
(ब) 1900
(स) 1902
(द) 1903

9. मेण्डल निम्न पर कार्य करने के लिए प्रसिद्ध हैं—
(अ) ड्रोसोफिला
(ब) ओइनोपेरा
(स) न्यूरोस्पोरा
(द) पाइसमें

10. निम्न में से कौनसा टेस्ट क्रॉस है–
(अ) TT x tt
(ब) Ti x tt
(स) Tt x TT
(द) tt x tt

11. द्विसंकर क्रॉस में F2 में समलक्षणी अनुपात होता है
(अ) 3 : 1
(ब) 1 : 2 : 1
(स) 9 : 3 : 3 : 1
(द) 9 : 2 : 2 : 2

12. मेण्डल द्वारा कितने जोड़ी विपर्यासी गुणों का अध्ययन किया गया
(अ) 4
(ब) 7
(स) 10
(द) 14

उत्तरमाला-
1. (अ)
2. (अ)
3. (ब)
4. (ब)
5. (द)
6. (ब)
7. (स)
8. (ब)
9. (द)
10. (ब)
11. (स)
12. (ब)।।

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. आनुवांशिकी किसे कहते हैं ?
उत्तर- जीवविज्ञान की वह शाखा जिसमें सजीवों के लक्षणों की वंशागति (Heredity) एवं विभिन्नताओं (Variations) का अध्ययन किया जाता है, उसे आनुवांशिकी कहते हैं।

प्रश्न 2. सजीवों में लैंगिक जनन की क्रिया के समय युग्मकों द्वारा विभिन्न लक्षणों का पीढ़ी दर पीढ़ी संचरण होना क्या कहलाता है?
उत्तर- सजीवों में लैंगिक जनन की क्रिया के समय युग्मकों द्वारा विभिन्न लक्षणों का पीढ़ी दर पीढ़ी संचरण होना आनुवंशिक लक्षण कहलाता है।

प्रश्न 3. जीन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- वह कारक जो किसी एक लक्षण को नियंत्रित करता है, उसे जीन (Gene) कहते हैं।

प्रश्न 4. प्रभावी लक्षण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- वह लक्षण जो F1 पीढ़ी में अपने आपको अभिव्यक्त कर पाता है, प्रभावी लक्षण कहलाता है।

प्रश्न 5. समयुग्मजी किसे कहते हैं ?
उत्तर- जब किसी लक्षण को नियंत्रित करने वाले जीन के दोनों युग्मविकल्पी एकसमान हों, उसे समयुग्मजी कहते हैं। जैसे–TT या tt

प्रश्न 6. किसी सजीव की आनुवंशिकीय रचना को क्या कहते हैं ?
उत्तर- किसी सजीव की आनुवंशिकीय रचना को जीन प्ररूप (Genotype) कहते हैं।

प्रश्न 7. संकरपूर्वज लक्षण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- वह क्रॉस जिसमें F1 पीढ़ी का संकरण दोनों जनकों में से किसी एक के साथ किया जाता है, संकरपूर्वज संकरण कहलाता है।

प्रश्न 8. मेण्डल के वंशागति के कोई दो नियम लिखिए।
उत्तर- (i) प्रभाविता का नियम
(ii) स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम।

प्रश्न 9. लक्षणप्ररूप किसे कहते हैं ?
उत्तर- किसी सजीव की बाह्य प्रतीति (External appearance) को लक्षणप्ररूप (Phenotype) कहते हैं।

प्रश्न 10. मेण्डल के प्रयोगों में F1 से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- जनकों के संकरण से प्राप्त प्रथम पीढ़ी को F1 पीढ़ी कहते हैं।

प्रश्न 11. मेण्डल ने अपने संकरण प्रयोगों को किस शीर्षक से और किस पत्रिका में प्रकाशित किया?
उत्तर- मेण्डल ने अपने संकरण प्रयोगों को पादप संकरण पर प्रयोग नामक शीर्षक तथा ब्रुन सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री वार्षिकी पत्रिका में प्रकाशित किया।

प्रश्न 12. युग्म विकल्पी का क्या अर्थ है?
उत्तर- किसी जीन के दो विपर्यासी स्वरूपों को युग्म विकल्पी या अलील कहते हैं।

प्रश्न 13. त्रिसंकर क्रॉस किसे कहते हैं ?
उत्तर- वह क्रॉस जिसमें तीन लक्षणों की वंशागति का एक साथ अध्ययन किया जाता है, त्रिसंकर क्रॉस कहलाता है।

प्रश्न 14. विपुंसन किसे कहते हैं ?
उत्तर- विपुंसन कृत्रिम परपरागण का एक पद है जिसमें द्विलिंगी पुष्प की कलिको अवस्था में ही पुंकेसरों को निकाल दिया जाता है ताकि स्वपरागण न हो।

प्रश्न 15. मेण्डल द्वारा चयनित किन्हीं दो अप्रभावी लक्षणों के नाम लिखिए।
उत्तर- (i) पौधों की लम्बाई गुण में-बौनापन
(ii) बीजों के रंग में-हरा रंग।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. संकरपूर्वज संकरण क्या है? समझाइए।
उत्तर- यदि F1 के विषमयुग्मजी संकर पादप (Tt) को प्रभावी या अप्रभावी जनक से क्रॉस करवाते हैं तो इस क्रॉस के परिणामस्वरूप सभी पौधे लम्बे होते हैं जिनमें 50 प्रतिशत समयुग्मजी (TT) तथा 50 प्रतिशत विषमयुग्मजी लम्बे (Tt) पौधे प्राप्त होते हैं। इस प्रकार के क्रॉस को संकरपूर्वज संकरण अथवा बैक क्रॉस कहते हैं।
RBSE Solution Class 10 Science Chapter 3

प्रश्न 2. समयुग्मजी और विषमयुग्मजी में विभेद कीजिए।
उत्तर- समयुग्मजी और विषमयुग्मजी में विभेद
10th Class Science Book RBSE

प्रश्न 3. शुद्ध गुण वाला पौधा किसे कहेंगे? समझाइए।
उत्तर- मेन्डल ने अपने एक प्रयोग में लम्बे व बौने कद वाली किस्मों का चयन किया। लम्बे कद के पौधे से स्वपरागण करे, कई पीढ़ी तक लम्बे व इसी प्रकार बौने पौधे प्राप्त कर लिए। ऐसे पौधों को उसने क्रमशः लम्बाई व बौनेपन के ‘शुद्ध गुण’ वाला माना। इस प्रकार के दो शुद्ध गुण वाले लम्बे व बौने पौधों को जनक बनाकर इन दोनों से कृत्रिम परागण द्वारा बीज प्राप्त किये।

प्रश्न 4. मेण्डल ने मटर के कौन-कौनसे लक्षणों के बारे में संकरण प्रयोग किए? लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर- मेन्डल ने मटर के निम्नांकित सात जोड़ी विपर्यासी लक्षणों के सन्दर्भ में संकरण प्रयोग किए–
RBSE Solutions For Class 10

प्रश्न 5. प्रभाविता व अप्रभाविता में अन्तर कीजिए।
उत्तर- प्रभाविता व अप्रभाविता में अन्तर
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प्रश्न 6. परीक्षण संकरण को परिभाषित कीजिए एवं इसे आरेख द्वारा समझाइए।
उत्तर- परीक्षण संकरण (Test Cross)-वह क्रॉस जिसमें F1 पीढ़ी का संकरण अप्रभावी लक्षण प्ररूप वाले जनक के साथ किया जाता है, तो यह परीक्षण संकरण कहलाता है।

इस संकरण से प्राप्त संतति में लक्षण प्ररूप एवं जीनप्ररूप समान होते हैं। 50 प्रतिशत विषमयुग्मजी लम्बे (Tt) तथा 50 प्रतिशत समयुग्मजी बौने (tt) पौधे प्राप्त होते हैं। अर्थात् 1: 1 प्राप्त होते हैं। देखिये आगे आरेख में ।
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प्रश्न 7. निम्न को परिभाषित कीजिए

  1. व्युत्क्रम क्रॉस
  2. त्रिसंकर क्रॉस
  3. बहुसंकर क्रॉस
  4. F1 पीढ़ी व F2 पीढ़ी।।

उत्तर-

  1. व्युत्क्रम क्रॉस (Reciprocal Cross)-वह क्रॉस जिसमें ‘A’ पादप (TT) को नर व ‘B’ पादप (tt) को मादा जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है तथा दूसरे क्रॉस में ‘A’ पादप (TT) को मादा व ‘B’ (tt) पादप को नर जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, उसे व्युत्क्रम क्रॉस कहते हैं।
  2. त्रिसंकर क्रॉस (Trihybrid Cross)-वह क्रॉस जिसमें तीन लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया जाता है, उसे त्रिसंकर क्रॉस कहते हैं।
  3. बहुसंकर क्रॉस (Polyhybrid Cross)-वह क्रॉस जिसमें कई लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया जाता है, उसे बहुसंकर क्रॉस कहते हैं।
  4. F1 पीढ़ी व F2 पीढ़ी (First and Second filial generation)–
  • F1 पीढ़ी-जनकों के संकरणों से प्राप्त प्रथम पीढ़ी को F1 पीढ़ी कहते हैं।
  • F2 पीढ़ी-F1 पीढ़ी के संकरण से प्राप्त संतति को F2 पीढ़ी कहते हैं।

प्रश्न 8. एकसंकर और द्विसंकर संकरण को समझाइए।
उत्तर- एकसंकर और द्विसंकर संकरण (Monohybrid and Dihybrid Cross)—जब एक जीन की वंशागति का अध्ययन किया जाता है या प्रयोग में केवल एक ही लक्षण को मुख्य रूप से लिया जाता है अथवा एक लक्षण के युग्म विकल्पों का प्रयोग होता है तो इसे एकसंकर संकरण कहते हैं। ऐसे संकरण में F2 पीढ़ी में 3 : 1 का अनुपात प्राप्त होता है।

जब दो जीन की वंशागति का अध्ययन किया जाता है या प्रयोग में दो जोड़े युग्म विकल्पी लिये जाते हों, तब इसे द्विसंकरण कहते हैं। इसमें F2, पीढ़ी में 9 : 3 : 3 : 1 का अनुपात मिलता है।

 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.

  1. मैण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर का पौधा ही क्यों चुना? व्याख्या कीजिए।
  2. समयुग्मजी लम्बे (TT) एवं समयुग्मजी बौने (tt) में एक संकर संकरण कराने पर प्राप्त परिणामों पर आधारित आनुवंशिकता के नियमों में से किसी एक नियम को समझाइये।(माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)

उत्तर-

  • मैण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे का चयन निम्न कारणों से किया
  1. एकवर्षीय पादप होने के कारण कम समय में अनेक पीढ़ियों का अध्ययन किया जा सकता है।
  2. द्विलिंगी पुष्प (Bisexual flowers) होने के कारण स्वपरागण (Self pollination) के द्वारा समयुग्मजी (Homozygous) पादप अथवा शुद्ध वंशक्रम (Pure line) सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।
  3. विपुंसन (Emasculation) विधि द्वारा कृत्रिम परपरागण आसानी से किया जा सकता है।
  4. मटर के पौधे में विभिन्न लक्षणों के वैकल्पिक लक्षण मिलते हैं जैसे लम्बे व बौने, गोल व झुर्रादार बीज आदि।
  • प्रभाविता को नियम-जब समयुग्मजी लम्बे (TT) एवं समयुग्मजी बौने (tt) पौधों में एक संकर संकरण होता है तो प्रथम पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लम्बा) प्रकट होता है व अप्रभावी गुण (बौनापन) अभिव्यक्त नहीं हो पाता है। इसे प्रभाविता का नियम कहते हैं। लम्बापन प्रभावी गुण है एवं बौनापन अप्रभावी गुण है। देखिए आगे चित्र में।
    RBSE Solution 10th Class Science
    F1 पीढ़ी में सभी पौधे (100%) लम्बे (Tt) प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2. निम्नांकित तकनीकी पदों पर टिप्पणियाँ लिखिए
(अ) जीनप्ररूप तथा लक्षणप्ररूप
(ब) युग्मविकल्पी
(स) संकरण तथा संकर
(द) व्युत्क्रम क्रॉस।
उत्तर-
(अ) जीनप्ररूप तथा लक्षणप्ररूप (Genotype and Pheno type) —

जीनप्ररूप (Genotype)- जीव की जीनी संरचना को जीनप्ररूप कहते हैं । जीनप्ररूप द्वारा जीव में किसी लक्षण विशेष के लिये उपस्थित जीनों का प्रतीकात्मक निरूपण किया जाता है। जीनप्ररूप से जीव की आनुवंशिकीय संरचना व्यक्त होती है। भिन्न-भिन्न लक्षणों के लिए जीनप्ररूप को भिन्न-भिन्न अक्षरों से प्रकट करते हैं। जैसे मटर के पौधे की लम्बाई के लिए जीनप्ररूप को TT, Tt, tt से तथा बीजों की आकृति के लिए जीनप्ररूप को RR, Rr, r से प्रदर्शित करते हैं।

लक्षणप्ररूप (Phenotype)- जीव के लक्षण विशेष के भौतिक स्वरूप को इसका लक्षणप्ररूप कहते हैं। लक्षणप्ररूप जीव के बाह्य स्वरूप (external appearance) को व्यक्त करता है। जैसे-लाल, लम्बा या बौना आदि। इसमें पौधे के जीनप्ररूप का ध्यान नहीं रखा जाता है।

(ब) युग्मविकल्पी (Allele or allelomorph)- किसी प्राणी में एक गुण को नियंत्रित या अभिव्यक्त करने वाले जीन के दो विपर्यासी स्वरूपों को। युग्मविकल्पी कहते हैं।

सामान्यतः प्रत्येक जीन के दो रूप या विकल्पी होते हैं। जिन्हें क्रमशः प्रभावी एवं अप्रभावी कहते हैं। दोनों को लक्षण के अंग्रेजी नाम के प्रथम अक्षर से लिखा जाता है। प्रभावी विकल्प को बड़े (capital) अक्षर से एवं अप्रभावी विकल्प को छोटे (small) अक्षर से लिखा जाता है। जैसे—प्रभावी लम्बाई के गुण को ‘T’ से व अप्रभावी लम्बे (बौना) गुण को ‘t’ से निरूपित किया जाता है।

(स) संकरण तथा संकर (Hybridization and Hybrid)-दो जाति के समयुग्मजी जनक जीवों के बीच क्रॉस या निषेचन कराने से उत्पन्न संतति को संकर कहते हैं तथा इस क्रिया को संकरण कहते हैं।

(द) व्युत्क्रम क्रॉस (Reciprocal cross)-वह संकरण जिसमें ‘A’। पादप (TT) को नर व ‘B’ पादप (tt) को मादा जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है तथा दूसरे संकरण में ‘A’ पादप (TT) को मादा व ‘B’ (tt) पादप को नर जनक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, उसे व्युत्क्रम क्रॉस कहते हैं।

प्रश्न 3.एकसंकर संकरण तथा द्विसंकर संकरण को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
द्विसंकर संकरण किसे कहते हैं? द्विसंकर संकरण को शतरंज पट्ट विधि के रेखीय आरेख द्वारा समझाइए।
अथवा
मटर के लम्बे (प्रभावी) एवं बौने ( अप्रभावी ) लक्षणों वाले पौधों में संकरण कराने पर F2 पीढ़ी में प्राप्त सन्तति का लक्षण अनुपात रेखीय आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
एकसंकर व द्विसंकर क्रॉस (Monohybrid and Dihybrid cross)-संकरण प्रयोग में जब केवल एक ही गुण युग्म का अध्ययन किया जाता है तो एकसंकर क्रॉस तथा दो गुण युग्मों का अध्ययन करते हैं तो द्विसंकर क्रॉस कहते हैं।

एकसंकर क्रॉस (Monohybrid)–मेण्डल ने जब लम्बे (TT) मटर के पादप का बौने पादप (tt) से क्रॉस करवाया तब F1 पीढ़ी में लम्बे (Tt) पौधे उत्पन्न हुये। F1 पीढ़ी वाले पादप का स्वपरागण कराने पर F2 पीढ़ी में 75% लम्बे तथा 25% बौने पादप उत्पन्न हुए। इस 75 : 25 अर्थात् 3 : 1 अनुपात को एकसंकर अनुपात कहते हैं। यहाँ समलक्षणी अनुपात 3 : 1 है तथा समजीनी अनुपात 1: 2 : 1 है।
RBSE Solutions For Class 10 Social Science
द्विसंकर क्रॉस (Dihybrid Cross)-मेण्डल ने फिर दो. युग्मविकल्पी लक्षणों जैसे गोल व पीले (RRYY) बीज वाले पादप और झुर्सदार व हरे (rryy) बीज वाले पादप में क्रॉस करवाया। तब F1 पीढ़ी में गोल व पीले (RrYy) बीज वाले पादप उत्पन्न हुये। F1 पीढ़ी को स्वपरागित करवाने से उत्पन्न F2 पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं । अर्थात् F2 पीढ़ी में लक्षणों के चार प्रकार के संयोजन बनते हैं। दो संयोजन दोनों जनकों के जैसे (गोलपीले तथा झुर्रादार-हरे) तथा दो नये संयोजन (गोल-हरे तथा झुरींदारे-पीले) बनते हैं। इस प्रकार द्विसंकर क्रास की F2 पीढ़ी के पौधों का लक्षणप्ररूप अनुपात 9 : 3 : 3 : 1 का अनुपात अर्थात् 9 गोल व पीले बीज वाले पादप, 3 झुर्सदार व पीले बीज वाले पादप, 3 गोल व हरे बीज वाले पादप तथा 1 झुरौंदार व हरे बीज वाला पादप बना।।
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 3 आनुवंशिकी image - 15
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 3 आनुवंशिकी image - 16

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RBSE BSER CLASS X SCIENCE LESSON 3 GENETICS

RBSE / BSER कक्षा 10 विज्ञान भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

RBSE / BSER कक्षा 10 विज्ञान भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

 

STUDY MATERIALS for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य

These Solutions for Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 1 भोजन एवं मानव स्वास्थ्य.

BoardRBSE
TextbookSIERT, Rajasthan
ClassClass 10
SubjectScience
ChapterChapter 1
Chapter Nameभोजन एवं मानव स्वास्थ्य
Number of Questions Solved65
CategoryRBSE CLASS X

आपकी पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

 

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. नारु रोग का रोगजनक है
(क) जीवाणु
(ख) कृमि,
(ग) विषाणु
(घ) प्रोटोजोआ

2. स्वस्थ शरीर का सामान्य रक्तचाप होता है
(क) 120/80
(ख) 100/60
(ग) 140/100
(घ) इनमें से कोई नहीं

3. तम्बाकू किस कुल का पादप है
(क) मालवेसी
(ख) लिलीएसी
(ग) सोलेनेसी
(घ) फेबेसी ।

4. मदिरा का मुख्य घटक है
(क) C2H5OH
(ख) CH3OH
(ग) CH3COOH
(घ) C6H12O6

5. आयोडीन की कमी से रोग होता है
(क) रतौंधी
(ख) रिकेटस
(ग) बांझपन
(घ) घेघा

उत्तरमाला-
1. (ख)
2. (क)
3. (ग)
4. (क)
5. (घ)

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

 प्रश्न 6. अफीम के पादप का वैज्ञानिक नाम क्या है?
उत्तर- अफीम के पादप का वैज्ञानिक नाम पैपेवर सोमनिफेरम है।

 प्रश्न 7. वसीय यकृत रोग का कारण क्या है?
उत्तर- मदिरा (Alcohol) के प्रभाव से वसीय यकृत रोग हो जाता है।

 प्रश्न 8. तम्बाकू में कौन सा हानिकारक तत्व पाया जाता है?
उत्तर- तम्बाकू में निकोटिन नामक हानिकारक तत्व पाया जाता है।

 प्रश्न 9. रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम क्या है?
उत्तर- रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम रक्तचापमापी (स्फाइग्नो मैनोमीटर) है।

प्रश्न 10. नारु रोग के रोगजनक का नाम लिखो।
उत्तर- नारु रोग के रोगजनक का नाम ड्रेकनकुलस मेडीनेन्सिस (Dracunculus medinensis) है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11. संतुलित भोजन व कुपोषण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- संतुलित भोजन-वह भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हों, उसे संतुलित भोजन कहते हैं।
इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, विटामिन्स, खनिज जैसे पोषकों के साथसाथ रेशों व जल जैसे घटकों का होना आवश्यक है।
कुपोषण-लम्बे समय तक जब पोषण में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्व की कमी हो तो उसे कुपोषण कहते हैं।

प्रश्न 12. प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों का मानव शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के मानव शरीर में निम्न प्रभाव पड़ते हैं

  1. बच्चों का शरीर सूजकर फूल जाता है।
  2. उसे भूख कम लगती है।
  3. स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
  4. त्वचा पीली, शुष्क, काली, धब्बेदार होकर फटने लगती है।
  5. शरीर सूखकर दुर्बल हो जाता है।
  6. आँखें कांतिहीन हो जाती हैं एवं अंदर धंस जाती हैं।

प्रश्न 13. पीने योग्य जल के क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर- पीने योग्य जल के गुण

  1. जल में हानिकारक सूक्ष्म जीव नहीं होने चाहिए।
  2. जल का pH संतुलित हो।।
  3. जल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन घुली हो।
  4. जल में आँखों से दिखने वाले कण और वनस्पति नहीं हों।

 

प्रश्न 14. दूषित जल के दुष्प्रभाव लिखिए।
उत्तर-  दूषित जल के दुष्प्रभाव निम्न हैं

  1. यदि दूषित जल का उपयोग पीने के काम में लेते हैं तो हम विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जायेंगे।
  2. दूषित जल में विषाणु, जीवाणु प्रोटोजोआ, कृमि आदि पाये जाते हैं, जिनकी वजह से हैजा, पेचिस जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
  3. गंदे पानी से वायरल संक्रमण भी होता है, वायरल संक्रमण के कारण हिपेटाइटिस, फ्लू, कोलेरा, टाइफाइड और पीलिया जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो जाती हैं।
  4. बाला नारु रोग कभी राजस्थान में गम्भीर समस्या था। इसका रोगजनक ड्रेकनकुलस मेडीनेसिस नामक कृमि है, इसकी मादा कृमि अपने अण्डे हमेशा परपोषी के शरीर के बाहर जल में देती है, ऐसे दूषित जल के उपयोग से यह रोग दूसरे लोगों में फैल जाता है।

प्रश्न 15. अफीम के दूध में कौन से एल्केलॉयड पाए जाते हैं?
उत्तर- अफीम के दूध में लगभग 30 प्रकार के एल्केलॉयड पाये जाते हैं। इनमें से प्रमुख निम्न हैं

  1. मार्फीन
  2. कोडिन
  3. निकोटिन
  4. सोमनिफेरिन
  5. पैपेवरिन।

प्रश्न 16. तम्बाकू से होने वाली हानियाँ लिखिए।
उत्तर- तम्बाकू से हानियाँ

  1. तम्बाकू के लगातार सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  2. गर्भवती महिलाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन करने पर भ्रूण विकास की गति मंद पड़ जाती है।
  3. तम्बाकू में पाये जाने वाला निकोटिन धमनियों की दीवारों को मोटा कर देता है जिससे रक्तदाब (B.P.) व हृदय स्पंदन (Heart beat) की दर बढ़ जाती
  4. सिगरेट के धुएँ में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) को नष्ट कर रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम कर देती है।

प्रश्न 17. सबम्युकस फाइब्रोसिस रोग के लक्षण व कारण लिखिए।
उत्तर- लक्षण-सबम्युकस फाइब्रोसिस रोग में जबड़े की मांसपेशियाँ कठोर हो जाती हैं, जिसके फलस्वरूप जबड़ा ठीक से नहीं खुलता है। मुँह में घाव या छाले व सूजन आ जाती है जो कैंसर में परिवर्तित हो सकते हैं।
कारण-गुटका के उपयोग करने से इस प्रकार का रोग होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 18. क्वाशिओरकोर रोग क्या है? इसके लक्षण व रोकथाम के उपाय लिखिए।
उत्तर- क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor)-प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग को क्वाशिओरकोर कहते हैं। गरीबी के कारण लोग भोजन में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में नहीं ले पाते हैं, जिसके कारण कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। अधिकांशतः छोटे बच्चे इस रोग से ग्रसित होते हैं। किशोरावस्था में और गर्भवती महिलाओं को प्रोटीनयुक्त भोजन की अतिआवश्यकता है।
भोजन एवं मानव स्वास्थ्य RBSE Solutions Chapter 1
क्वाशिओरकोर रोग के लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. बच्चों का पेट फूल जाता है।
  2. इन्हें भूख कम लगती है।
  3. स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
  4. त्वचा पीली व शुष्क हो जाती है एवं काली धब्बेदार होकर फटने लगती है।
  5. शरीर सूखकर दुर्बल हो जाता है।
  6. आँखें कांतिहीन एवं अन्दर धंस जाती हैं, इस स्थिति को मेरसमस (Marasmus) रोग कहते हैं।

रोकथाम के उपाय-

  • इस रोग से ग्रसित बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं आदि को प्रचुर मात्रा में प्रोटीनयुक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • चिकित्सक से परामर्श लेवें।।

प्रश्न 19. समाज में अफीम चलन की प्रथा को आप कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर- समाज में अफीम चलने की प्रथा को रोकने के लिए हम निम्न कार्य करेंगे

  1. हम लोगों को अफीम के नशे से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी देंगे।
  2. गम या खुशी के अवसर पर की जाने वाली अफीम की मनुहार की प्रथा का विरोध करेंगे।
  3. जो माताएँ अपने छोटे बच्चों को सुलाने के लिए अफीम खिलाती हैं, उन्हें ऐसा न करने के लिए समझायेंगे तथा उन्हें बतलायेंगे कि इससे बच्चों को अफीम की लत लग जाती है।
  4. हम अपने विद्यालय तथा अन्य विद्यालयों में अफीम के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव विषय पर कार्यशाला का आयोजन करेंगे।
  5. हम नुक्कड़ नाटक द्वारा तथा रैलियाँ निकालकर भी समाज में अफीम चलन के विरुद्ध जनजागृति उत्पन्न करेंगे।

प्रश्न 20. विटामिन कुपोषण से होने वाले रोग एवं उनके लक्षण लिखिए।
उत्तर- विटामिन कुपोषण से होने वाले रोग एवं उनके लक्षण
RBSE Class 10 Science Chapter 1 Question Answer In Hindi
प्रश्न 21. कोल्डड्रिंक्स से हमारे शरीर में पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिये।
उत्तर- कोल्डड्रिंक्स से हमारे शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं

  1. कोल्डड्रिंक्स में उपस्थित लीडेन, डीडीटी, मेलेथियन और क्लोरपाइरीफॉस कैंसर, स्नायु, प्रजनन सम्बन्धी बीमारी और प्रतिरक्षा तंत्र में खराबी के लिए उत्तरदायी हैं।
  2. कोल्डड्रिंक्स के निर्माण के समय इसमें फास्फोरिक अम्ल डाला जाता है। जो दाँतों पर सीधा प्रभाव डालता है। उसमें लोहे तक को गलाने की क्षमता होती है।
  3. इसमें उपस्थित एथीलिन ग्लाइकोल रसायन पानी को शून्य डिग्री तक जमने नहीं देता है। इसे आम भाषा में मीठा जहर कहा जाता है।
  4. बोरिक, एरिथोरबिक और बैंजोइल अम्ल मिलकर कोल्डड्रिंक्स को अतिअम्लता प्रदान करते हैं, जिससे पेट में जलन, खट्टी डकारें, दिमाग में सनसनी, चिड़चिड़ापन, एसिडिटी और हड्डियों के विकास में बाधा आती है।
  5. कोल्डड्रिंक्स में 0.4 पी.पी.एस. सीसा डाला जाता है जो स्नायु, मस्तिष्क, गुर्दा, लिवर और मांसपेशियों के लिए घातक है।
  6. कोल्डड्रिंक्स में मिली केफीन की मात्रा अनिद्रा और सिरदर्द की समस्या उत्पन्न करती है।

प्रश्न 22. खाद्य पदार्थों में मिलावट पर लेख लिखिए।
उत्तर- बाजार में मिलने वाले अनेक खाद्य पदार्थों में कुछ न कुछ मिलावट होती है। मिलावट का प्रहार सबसे ज्यादा हमारे प्रतिदिन के आवश्यक खाद्य पदार्थों पर हो रहा है। देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों की भरमार हो गई है।

आजकल नकली आटा, बेसन, तेल, चाय, धनिया, घी, दूध, मिर्च, मसाले आदि खुलेआम बिक रहे हैं। इनका उपयोग कर कोई बीमार हो जाये तो हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती है, क्योंकि दवाइयाँ भी नकली बिक रही हैं।

आजकल लोग दूध के नाम पर यूरिया, डिटर्जेंट, सोडा, पोस्टर कलर और रिफाइण्ड तेल पी रहे हैं। यू.पी. में स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य के 25 प्रतिशत लोग मिलावटी घटिया दूध पी रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बाजार में मिलने वाले खाद्य तेल व घी की स्थिति खराब है। सरसों के तेल में सत्यानासी के बीज और सस्ता पाम ऑयल मिलाया जाता है। देशी घी में वनस्पति घी मिलाया जाता है।

इसी प्रकार मिर्ची पाउडर में ईंट का चूरा, सौंफ पर कृत्रिम हरा रंग, हल्दी में लेड क्रोमेट व पीली मिट्टी, धनिया और मिर्च में गंधक, काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाये जा रहे हैं।

फल व सब्जियों में रंग के लिए रासायनिक इंजेक्शन (chemical injection), ताजा दिखाने के लिए लेड व कॉपर विलियन का छिड़काव, गोभी की सफेदी के लिए सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) का छिड़काव किया जा रहा है। बेसन में मक्के का आटा, दाल व चावल पर बनावटी रंगों की पॉलिश की जा रही है।

मिठाइयों में ऐसे रंगों का प्रयोग हो रहा है जो कैंसर के लिए उत्तरदायी हैं और इसके कारण DNA में विकृति आ सकती है।

नकली दवाओं की समस्या और औषधि विनियम पर गठित माशेलकर समिति ने नकली दवाओं का धंधा करने वालों को मृत्यु दण्ड देने की सिफारिश की है।

इसी प्रकार सुरक्षित भोजन के बारे में भारत में मुख्य कानून है-1954 का खाद्य पदार्थ अल्प मिश्रण निषेध अधिनियम (पी.एफ.ए.)। इस कानून का नियम 65 खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों या मिलावट का नियमन करता है परन्तु यह नियम दोषी लोगों को सजा दिलाने में नाकाम हो रहे हैं, जिसके फलस्वरूप लोग पकड़े जाने के बाद छूटकर वापस उसी व्यवसाय में लग जाते हैं। सरकार द्वारा नियमों का कठोरता से पालन किया जावे एवं धीमी चलने वाली न्याय प्रक्रिया, जानबूझकर जाँच कार्य को कमजोर करना, मुकदमों का सही ढंग से न चलना, कामचोरी, धनशक्ति और राजनीतिक प्रभावों का इस्तेमाल पर अंकुश लगा दिया जाये तो इसमें कोई दो । राय नहीं कि इस पर रोक न लग सके।

प्रश्न 23.खनिज कुपोषण से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिये।
उत्तर- विभिन्न प्रकार के खनिज भी हमारे शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इनकी कमी से शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

  1. आयोडीन तत्त्व-थायराइड ग्रन्थि में थाइरोक्सिन हार्मोन के निर्माण हेतु आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीन की कमी से थायरोक्सिन हार्मोन का निर्माण कम होता है, जिसके परिणामस्वरूप गलगंड ( घेघा) रोग उत्पन्न हो जाता है।
  2. कैल्शियम तत्त्व-कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसकी कमी से हड्डियाँ कमजोर व भंगुर प्रकृति की हो जाती हैं।
  3. लौह तत्त्व-यह रुधिर के हीमोग्लोबिन का भाग होता है। इसकी कमी से रक्तहीनता के कारण चेहरा पीला पड़ जाता है।
  4. फास्फोरस तत्त्व-फास्फोरस कैल्शियम से मिलकर हड्डियाँ तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है। इसकी कमी से हड्डियाँ तथा दाँत कमजोर हो जाते हैं।
  5. सोडियम तत्त्व-सोडियम तत्त्व की कमी से मांसपेशी संकुचन, तंत्रिकीय आवेश संचरण, शरीर का विद्युत अपघटन, संतुलन बनाना आदि कार्य प्रभावित होंगे।
  6. पोटेशियम तत्त्व-पोटेशियम तत्त्व की कमी से मांसपेशी संकुचन, तंत्रिकीय आवेश संचरण, शरीर का विद्युत अपघटन, संतुलन बनाना, विभिन्न कोशिकीय क्रियाओं के संचालन में बाधा उत्पन्न होगी।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. विटामिनों की कमी से हम रोगग्रसित हो जाते हैं। एसकोर्बिक अम्ल (C) की कमी से होने वाला रोग है
(अ) रतौंधी
(ब) स्कर्वी
(स) पेलेग्रा
(द) बेरीबेरी

2. आयोडीन की कमी से किस ग्रन्थि की क्रिया मंद पड़ जाती है?
(अ) थायराइड ग्रन्थि
(ब) पीयूष ग्रन्थि
(स) एड्रीनल ग्रन्थि
(द) जनन ग्रन्थि

3. जल कितनी अवस्थाओं में पाया जाता है?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार

4. मदिरा (शराब) के प्रभाव से होने वाला मुख्य रोग है
(अ) वसीय यकृत
(ब) नारु रोग
(स) रिकेट्स
(द) मधुमेह

5. निम्न में से जंक फूड है
(अ) बर्गर
(ब) पिज्जा
(स) चिप्स
(द) उपर्युक्त सभी

6. स्टीफन हेल्स ने पहली बार निम्न में से किस जन्तु का रक्तचाप मापा
(अ) गाय
(ब) शेर
(स) घोड़ा
(द) हाथी

7. सिगरेट के धुएँ में उपस्थित गैस होती है
(अ) ऑक्सीजन
(ब) कार्बन डाईऑक्साइड
(स) कार्बन मोनो ऑक्साइड
(द) उपर्युक्त सभी

8. कोल्डड्रिंक्स के निर्माण के समय कौनसे अम्ल का उपयोग किया जाती है, जो दाँतों पर सीधा प्रभाव डालता है?
(अ) गंधक का अम्ल
(ब) फास्फोरिक अम्ल
(स) नाइट्रिक अम्ल
(द) टारट्रिक अम्ल

9. सफेदी के लिए गोभी पर निम्न में से छिड़काव किया जाता है
(अ) सिल्वर नाइट्रेट
(ब) लेड व कॉपर विलयन
(स) लेड क्रोमेट
(द) फास्फोरस का विलयन

10. नकली दवाओं का धंधा करने वालों को मृत्युदण्ड देने की सिफारिश किस समिति ने की?
(अ) आशेलकर समिति
(ब) माशेलकर समिति
(स) राशेलकर समिति
(द) काशेलकर समिति

उत्तरमाला-
1. (ब)
2. (अ)
3. (स)
4. (अ)
5. (द)
6. (स)
7. (स)
8. (ब)
9. (अ)
10. (ब)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर- रक्तचाप मापने वाले यंत्र का नाम रक्तचापमापी (स्पाइग्नोमैनोमीटर) है।

प्रश्न 2. पैरों की हड्डियाँ मुड़ जाना एवं घुटने पास-पास आ जाना, विटामिन की कमी से होने वाले किस रोग के लक्षण हैं? (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18 )
उत्तर- ये विटामिन D की कमी से होने वाले रिकेट्स रोग के लक्षण हैं।

प्रश्न 3. संतुलित भोजन किसे कहते हैं?
उत्तर- वह भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक उपलब्ध हों, उसे संतुलित भोजन कहते हैं।

प्रश्न 4. कुपोषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- लम्बे समय तक जब पोषण में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्व की कमी हो तो उसे कुपोषण कहते हैं।

प्रश्न 5.नियासिन (B3) की कमी से होने वाले रोग का एक लक्षण लिखिए।
उत्तर- नियासिन (B3) की कमी से होने वाले रोग का लक्षण-जीभ व त्वचा पर पपड़ियाँ आना।

प्रश्न 6. मांसपेशी संकुचन एवं तंत्रिकीय आवेग का संचरण किस तत्व द्वारा सम्पन्न होता है?
उत्तर- मांसपेशी संकुचन एवं तंत्रिकीय आवेग का संचरण सोडियम तत्व द्वारा सम्पन्न किया जाता है।

प्रश्न 7. बाला या नारु रोग के रोगजनक कृमि का नाम लिखिए।
उत्तर- बाला या नारु रोग के रोगजनक कृमि का नाम ड्रेकनकुलस मेडीनेंसिस है।

प्रश्न 8. BMI का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर- शरीर भार सूचकांक (Body Mass Index) ।

प्रश्न 9. रक्तचाप किसे कहते हैं ?
उत्तर- रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गये दबाव को रक्तचाप कहते हैं।

प्रश्न 10. किन मरीजों को पोटेशियम युक्त भोजन करना चाहिए?
उत्तर- उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को पोटेशियम युक्त भोजन करना चाहिए।

प्रश्न 11. रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़कर 140 मि.ग्रा./डे.ली. से अधिक होने वाला व्यक्ति किस रोग से ग्रसित होता है?
उत्तर- ऐसा व्यक्ति मधुमेह रोग से ग्रसित होता है।

प्रश्न 12. सत्यानासी के बीजों को किस खाद्य तेल में मिलावट के रूप में काम लिया जाता है?
उत्तर- सरसों के तेल में।

प्रश्न 13. नशीले पदार्थ हेरोइन को किस पादप से प्राप्त किया जाता है?
उत्तर- नशीले पदार्थ हेरोइन को पेपेवर सोम्नीफेरम नामक पादप से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 14. सामान्य स्वस्थ मनुष्य के रुधिर में भोजन पूर्व ग्लूकोज का स्तर कितना होता है?
उत्तर- सामान्य स्वस्थ मनुष्य के रुधिर में भोजन पूर्व ग्लूकोज का स्तर 70-100 मिग्रा/डे.ली. होता है।

प्रश्न 15. पीने योग्य जल का pH मान कितना होता है?
उत्तर- पीने योग्य जल का pH मान 7 होता है।

 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. (अ) विषाणुजनित कोई दो रोगों के नाम लिखिए।
(ब) तम्बाकू में पाये जाने वाले एल्केलॉयड का नाम लिखिए।
(स) तम्बाकू चबाने से होने वाली दो हानियाँ लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2018)
उत्तर-
(अ)

  • हिपेटाइटिस
  • टायफाइड
  • पीलिया।।

(ब) निकोटिन एल्केलायड
(स) तम्बाकू के लगातार सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

  • सिगरेट के धुएँ में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) को नष्ट कर रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम कर देती है।

प्रश्न 2. तम्बाकू, मदिरा व अफीम के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले कुप्रभावों को समझाइये (प्रत्येक के दो-दो)। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2017-18)
उत्तर-
तम्बाकू के कुप्रभाव

  • तम्बाकू के लगातार सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • गर्भवती महिलाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन करने पर भ्रूण विकास की गति मंद पड़ जाती है।

मदिरा के कुप्रभाव

  • मदिरा के सेवन से व्यक्ति की स्मरण क्षमता में कमी आ जाती है एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) प्रभावित होता है।
  • इसके अधिक सेवन से वसीय यकृत रोग हो जाता है, जिससे प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट के निर्माण पर प्रभाव पड़ता है।

अफीम के कुप्रभाव

  • अफीम का सेवन व्यक्ति को उसका आदी बना देता है।
  • अफीम के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने से व्यक्ति बार-बार बीमार रहने लगता है तथा अन्त में उसकी असामयिक मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 3. संतुलित भोजन किसे कहते हैं? संतुलित भोजन के लाभ लिखिए।
उत्तर- संतुलित भोजन-वह भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हों, उसे हम संतुलित भोजन कहते हैं।

संतुलित भोजन के लाभ–

  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित भोजन खाने की आवश्यकता है।
  • स्वस्थ संतुलित भोजन शरीर को मजबूत बनाता है।
  • रोगों से लड़ने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • संतुलित भोजन दिमाग को तेज तथा स्वस्थ बनाता है।
  • संतुलित भोजन से शरीर में थकान नहीं होगी व शरीर निरोगी रहेगा।

प्रश्न 4. कुपोषण किसे कहते हैं? प्रोटीन कुपोषण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कुपोषण-लम्बे समय तक जब पोषण में किसी एक या अधिक पोषक तत्त्वों की कमी हो तो उसे हम कुपोषण कहते हैं।

प्रोटीन कुपोषण- भोजन में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा न होने पर होने वाला कुपोषण, प्रोटीन कुपोषण कहलाता है। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग को क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor) रोग कहते हैं। मुख्यतः छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएँ एवं किशोर इससे प्रभावित होते हैं । इस रोग से बच्चों का शरीर सूजकर फूल जाता है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, भूख कम लगती है, त्वचा पीली, शुष्क, काली, धब्बेदार होकर फटने लगती है।

जब प्रोटीन के साथ पोषण में पर्याप्त ऊर्जा की कमी होती है, तो शरीर सूखकर छोटा हो जाता है, आँखें कांतिहीन एवं अंदर धंस जाती हैं। इस स्थिति को मेरस्मस रोग (Marasmus) कहते हैं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित खनिज तत्वों के कार्यं लिखिए

  • फास्फोरस
  • लौह तत्व
  • पोटेशियम।।

उत्तर-

  • फास्फोरस-यह कैल्शियम से मिलकर हड्डियाँ तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है।
  • लौह तत्व-यह रुधिर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक एवं ऊतक ऑक्सीकरण में सहायक है।
  • पोटेशियम-यह मांसपेशी संकुचन, तंत्रिकीय आवेश संचरण, शरीर का विद्युत अपघटन, संतुलन बनाना, विभिन्न कोशिकीय क्रियाओं के संचालन में सहायक है।

प्रश्न 6. कृत्रिम संश्लेषित खाद्य पदार्थ हमारे शरीर के लिए बहुत घातक हैं? समझाइए।
उत्तर- जंक फूड (Junk Food) के समान कृत्रिम संश्लेषित खाद्य पदार्थ भी हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं। ऐसे पदार्थ आकर्षक, खुशबूदार व स्वादिष्ट होते हैं, जिन्हें देखते ही खाने की प्रबल इच्छा होती है, परन्तु इन्हें विभिन्न प्रकार के कृत्रिम रासायनिक पदार्थों के मिश्रण से बनाया जाता है। इनमें प्राकृतिक एवं पौष्टिक पदार्थों का अभाव होता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत घातक है तथा इनके उपभोग से हम विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

प्रश्न 7. मोटापा (Obesity) से जुड़े रोगों के नाम लिखिए तथा मोटापे के प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर- मोटापा से जुड़े प्रमुख रोग निम्न हैं

  • हृदय रोग ।
  • मधुमेह
  • निद्राकालीन श्वास समस्या
  • कैंसर व अस्थिसंध्यार्थी।

मोटापे के कारण-

  • अधिक चर्बीयुक्त भोजन करना।
  • शारीरिक क्रियाओं के सही ढंग से नहीं होने पर भी शरीर पर चर्बी जमा हो जाती है।
  • जंक फूड व कृत्रिम भोजन का उपयोग करना।
  • कम व्यायाम और स्थिर जीवनयापन।
  • मोटापा व शरीर का वजन बढ़ना, ऊर्जा के सेवन और ऊर्जा के उपयोग के बीच असंतुलन के कारण होता है।
  • अवटु अल्पक्रियता (हाइपोथाईरायडिज्म)।

प्रश्न 8. रक्तचाप (Blood Pressure) किसे कहते हैं? निम्न रक्तचाप को समझाइए।
उत्तर- रक्तचाप (Blood Pressure)-रक्तवाहिनियों में बहते हुए रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को रक्तचाप कहते हैं।

निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure)-वह दाब जिसमें धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इसे हम निम्न रक्तचाप कहते हैं। इसमें रक्त का प्रवाह काफी कम होता है, जिसके कारण मस्तिष्क, हृदय तथा वृक्कों जैसे महत्त्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन व पौष्टिक आहार नहीं पहुँच पाता है, जिसके फलस्वरूप ये अंग सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं। और स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

प्रश्न 9. अन्य नशीले पदार्थ कौन-कौनसे हैं? इनके प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव लिखिए।
उत्तर- एलएसडी (लायसर्जिक एसिड डाईएथाइल एमाइड), भांग, हशीश, चरस, गांजा, कोकीन आदि नशीले पदार्थ हैं। इनके प्रयोग के दुष्प्रभाव निम्न हैं

  • परिवार से विच्छेदन
  • अपराध प्रवृत्ति की वृद्धि
  • शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी आना।

प्रश्न 10. वायरल संक्रमण के कारण होने वाले पाँच रोगों के नाम लिखिए एवं नारु रोग को रोकने एवं जल जनित रोगों से बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर- वायरल संक्रमण के कारण होने वाले रोग निम्न हैं

  • हिपेटाइटिस
  • फ्लू
  • कोलेरा
  • टायफाइड
  • पीलिया।।

नारु रोग को रोकने एवं जल जनित रोगों से बचाव हेतु पानी को छानकर, उबालकर एवं ठण्डा कर पीना चाहिए। नदी, तालाब इत्यादि में नहाना एवं कपड़े धोना मना हो और समय-समय पर इनकी सफाई होनी चाहिए क्योंकि ”स्वच्छ जल है तो स्वस्थ कल है।”

प्रश्न 11. मदिरा सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले कोई चार कुप्रभाव लिखिए।
उत्तर- मदिरा सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले चार कुप्रभाव निम्न

  • मदिरा सेवन करने वाले व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा खत्म हो जाती है। एवं इसके साथ ही आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है।
  • मदिरा के सेवन से व्यक्ति की स्मरण क्षमता में कमी आ जाती है एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) प्रभावित होता है।
  • इसके अधिक सेवन से वसीय यकृत रोग हो जाता है, जिससे प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट के निर्माण पर प्रभाव पड़ता है।
  • मदिरा (Alcohol) रुधिर प्रवाह द्वारा यकृत में पहुँचता है। तत्पश्चात् यकृत इसे एसीटल्डिहाइड (CH3CHO) में परिवर्तित कर देता है, जो एक विषैला पदार्थ होता है।
  • मदिरा के सेवन से व्यक्ति के शरीर का सामंजस्य एवं नियंत्रण कमजोर हो जाता है, जिससे कार्यक्षमता क्षीण हो जाती है, दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रश्न 12. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक क्यों लगाई गई तथा तम्बाकू का प्रयोग किस प्रकार से किया जाता है? समझाइए।
उत्तर- सिगरेट, बीड़ी आदि का दुष्प्रभाव उसका सेवन करने वाले के पास में बैठने वाले पर भी पड़ता है क्योंकि वातावरण में फैली निकोटिन युक्त धुआँ हवा के साथ उनके फेफड़ों में भी पहुँच जाता है। यही कारण है कि कानून द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगाई गई।

तम्बाकू का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है, जैसे अधिकांश लोग पान, गुटका या चूने के साथ इसे चबाते हैं। कुछ लोग इसके पाउडर को सूंघने या मंजन की तरह दाँतों व मसूढ़ों पर मलने में उपयोग करते हैं। तम्बाकू का उपयोग बीड़ी, सिगरेट, चिलम, सिगार, हुक्का आदि के रूप में भी किया जाता है।

प्रश्न 13. बाला या नारू रोग के रोगजनक का नाम बताइए एवं इस रोग का संचरण एवं बचाव लिखिए।
उत्तर- बाला या नारू रोग का रोगजनक ड्रेकनकुलस मेडीनेसिस नामक कृमि है। इसकी मादा कृमि अपने अण्डे हमेशा परपोषी अर्थात् मानव के शरीर के बाहर जल में देती है, ऐसे संदूषित जल के उपयोग से यह रोग दूसरे लोगों में फैल जाता है।
रोग से बचाव निम्न हैं

  • पानी को छानकर, उबालकर एवं ठण्डा करके पीना चाहिए।
  • तालाब, नदी इत्यादि में नहाना वे कपड़े धोने पर पाबंदी होनी चाहिए।
  • समय-समय पर इनकी सफाई भी हो।

प्रश्न 14. लोग अफीम का उपयोग क्यों करते हैं? अफीम के डोडे (फल भित्ति) उबालकर पीने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- शांति व आनन्द की अनुभूति प्राप्त करने के लिए लोग अफीम का उपयोग करते हैं।
डोडे (फल भित्ति) उबालकर पीने से शरीर पर निम्न प्रभाव पड़ते हैं

  • प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
  • इससे व्यक्ति बार-बार बीमार रहने लगता है।
  • अन्त में असामयिक मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 15. डॉक्टर के पर्चे पर लिखी जाने वाली निद्राकारी व दर्द निवारक नशीली दवाओं का नाम लिखिए एवं इनके दुरुपयोग से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- डॉक्टर के पर्चे पर लिखी जाने वाली निद्राकारी व दर्द निवारक नशीली दवाओं के नाम अग्र हैं

  1. मार्फीन
  2. पेथेडीन
  3. ब्यूप्रीनोफ्रिन
  4. डाईजिपाम
  5. नाइट्राजिपाम
  6. प्रोपोक्सिफिन

इन दवाओं के दुरुपयोग से शरीर पर प्रभाव निम्न हैं

  1. यकृत व गुर्दो (Kidneys) की कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
  2. मानसिक एकाग्रता में कमी।
  3. भूख न लगना, वजन में कमी आना।
  4. प्रतिरोधक क्षमता में कमी एवं बार-बार बीमार पड़ना।।
  5. शरीर की कार्यक्षमता व बुद्धिकौशल पर प्रतिकूल प्रभाव।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. व्यसन किसे कहते हैं? नशीले पदार्थों को मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर- व्यसन (Addiction)-व्यक्ति की किसी भी पदार्थ पर जैसे कि तम्बाकू, एल्कोहॉल तथा ड्रग्स पर शारीरिक तथा मानसिक निर्भरता व्यसन कहलाती है।

नशीले पदार्थों का मानव पर प्रभाव-नशीले पदार्थों में गुटका, तम्बाकू, शराब, अफीम, कोकीन, भांग, चरस, गांजा, हशीश, एलएसडी तथा दवाओं का दुरुपयोग शामिल है। इनके उपयोग से मानव पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं

  1. सभी नशीले पदार्थों के उपयोग का मनुष्य पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है। लगातार उपयोग से मनुष्य स्थायी रूप से रोगी हो जाता है।
  2. नशा करने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे नशीले पदार्थों का आदी हो जाता है। तथा और अधिक नशीले पदार्थों का उपयोग करने लगता है।
  3. विभिन्न नशीले पदार्थों के उपयोग से कैंसर, वसीय यकृत, गुर्दो की खराबी आदि अनेक घातक रोग हो जाते हैं।
  4. नशीले पदार्थों के उपयोग से आर्थिक हानि एवं शारीरिक हानि दोनों होती है।
  5. नशीले पदार्थों के उपयोग से शारीरिक सामंजस्य तथा नियंत्रण में कमी आती है, जिससे कार्यक्षमता घटती है तथा दुर्घटनाओं की भी सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  6. परिवार में विच्छेदन बढ़ता है तथा अपराध प्रवृत्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
  7. इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के साथ-साथ उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचती है।
  8. व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने से वह बार-बार बीमार रहने लगता है तथा उसकी असामयिक मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित खनिज तत्त्वों के प्रमुख स्रोतों एवं इन तत्त्वों के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए

  1. सोडियम
  2. पोटेशियम
  3. कैल्शियम
  4. फॉस्फोरस
  5. लौह तत्व
  6. आयोडीन।।

उत्तर-
प्रमुख खनिज तत्त्व, स्रोत एवं कार्य
RBSE कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 1
प्रश्न 3. डॉक्टर का मशवरा है कि हमें प्रतिदिन कम से कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए। सही मात्रा में पानी पीने के क्या लाभ हैं?
उत्तर- हमें प्रतिदिन सही मात्रा में पानी अवश्य पीना चाहिए। अधिक शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों को और अधिक पानी पीना चाहिए। सही मात्रा में पानी पीने के निम्न लाभ हैं

  1. सही मात्रा में पानी पीने से शरीर का उपापचय सही तरीके से काम करता है।
  2. प्रत्येक दिन 8-10 गिलास पानी पीने से शरीर में रहने वाले जहरीले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर रोग मुक्त रहता है।
  3. शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी रहने से शरीर में चुस्ती और ऊर्जा बनी रहती है, थकान का अहसास नहीं होता है।
  4. पानी से शरीर में रेशे (फाइबर) की पर्याप्त मात्रा कायम रहती है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियाँ होने का खतरा कम रहता है।
  5. प्रचुर मात्रा में पानी पीने से शरीर में अनावश्यक चर्बी जमा नहीं होती है।
  6. उचित मात्रा में पानी पीने से शरीर में किसी प्रकार की एलर्जी होने की आशंका कम हो जाती है, साथ ही फेफड़ों में संक्रमण, अस्थमा और आंत की बीमारियाँ आदि भी नहीं होती हैं।
  7. नियमित भरपूर पानी पीने से पथरी होने का खतरा भी कम रहता है।
  8. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने वाले को सर्दी जुकाम जैसे रोग नहीं घेरते हैं।

प्रश्न 4. उच्च रक्तचाप क्या है? इसके कारण तथा बचाव के उपाय बतलाइये।
उत्तर- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)-वह दबाव जिसमें धमनियों और नसों में रक्त का दबाव अधिक होता है, उच्च रक्तचाप कहलाता है।

कारण-उच्च रक्तचाप चिंता, क्रोध, ईष्र्या, भ्रम, कई बार बार-बार आवश्यकता से अधिक भोजन खाने से, मैदे से बने खाद्य पदार्थ, चीनी, मसाले, तेल, घी, अचार, मिठाइयाँ, मांस, चाय, सिगरेट व शराब के सेवन से, श्रमहीन जीवन व व्यायाम के अभाव से हो सकता है।

बचाव के उपाय

  1. ऐसे मरीजों को पोटेशियम युक्त भोजन करना चाहिए जैसे ताजे फल आदि।
  2. डिब्बे में बंद सामग्री का प्रयोग बंद कर दें।
  3. भोजन में कैल्शियम (दूध) और मैग्निशियम की मात्रा संतुलित करनी चाहिए।
  4. रेशे युक्त पदार्थ खूब खाएं।
  5. संतृप्त वसा (मांस, वनस्पति घी) की मात्रा कम करनी चाहिए।
  6. इसके साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिए। खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सर्वोत्तम व्यायाम है।
  7. योग, ध्यान, प्राणायाम रोज करना चाहिए।
  8. धूम्रपान व मदिरापान नहीं करना चाहिए।

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