मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas

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मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas

मातृ पितृ पूजा दिवस (Matri Pitri Pujan Diwas) भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। राजस्थान में भजन लाल सरकार द्वारा प्रदेश भर में आधिकारिक रूप से मनाया जाता है।

मित्रों, इस आर्टिकल में हम आपके लिए आपके विद्यालय में मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas का आयोजन किस प्रकार करना है, इसकी क्या रूपरेखा बनेगी और संपूर्ण कार्यविधि क्या रहेगी? किस प्रकार आपके तिलक वगैरह लगाना है, माता पिताओं का स्वागत करना है और बच्चे किस प्रकार अपने माता पिता की आवभगत करेंगे, उनका स्वागत करेंगे, उनका पूजन कैसे करेंगे? यह संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल में लिखने का हमने प्रयास किया है। उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आएगा। तो चलिए शुरू करते हैं…….

विद्यालयों में ‘मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम’ (Matri Pitri Pujan Diwas) आयोजन से संबंधित निर्देश

  • शहर के सुप्रसिद्ध, बड़े-बड़े विद्यालयों में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम अवश्य हो, इसका पूरा प्रयास करें।
  • जिन विद्यालयों में ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश प्रतियोगिता’ हुई, उन सभीमें यह कार्यक्रम अवश्य मनायें ।
  • विद्यालयों की संख्या आयोजकों की संख्या से अधिक होने पर यह आयोजन 14 फरवरी से कुछ दिन पूर्व भी शुरू किया जा सकता है। बड़े एवं सुप्रसिद्ध विद्यालयों में कार्यक्रम १४ फरवरी को न हो पाये तो उसके पूर्व या दूसरे दिन भी कार्यक्रम कर सकते हैं।
  • जो साधक संलग्न विधि अनुसार भली प्रकार कार्यक्रम कराने में सक्षम हो, उसे पूजन विधि कराने का दायित्व दें। ऐसी क्षमतावाले एक से अधिक साधक हों तो उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों हेतु नियुक्त करें। विस्तृत पूजन विधि नीचे संलग्न है ।
  • मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas के कार्यक्रम-स्थल पर समय से पूर्व पहुँचकर भलीप्रकार तैयारी करें।
  • कार्यक्रम की समाप्ति के बाद कार्यक्रम के फोटो एवं प्रेसनोट समाचार पत्रों को भेजें। प्रेसनोट का प्रारूप संलग्न है।
  • मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas हेतु समाचार पत्रों व चैनलों के पत्रकारों, सम्पादकों को कार्यक्रम के पूर्व आमंत्रण दें। क्षेत्र के सज्जन, सुप्रतिष्ठित व्यक्तियों, नगरसेवकों, महापौर, जिलाधीश आदि को प्रधानाचार्य की अनुमति लेकर आमंत्रित कर सकते हैं।
  • कार्यक्रम के फोटो सहभागियों से जरा दूर खड़े होकर व टेबल आदि पर चढ़कर (ऊँचाई से ) इस प्रकार खींचें कि फोटो में सभी सहभागी दिखें। हॉल में फोटो खींचते समय सभी लाइट्स चालू करें। चुने हुए अच्छे से अच्छे २-३ फोटो प्रेसनोट के साथ दैनिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को भेजें। समाचार पत्र-पत्रिकाओं की कटिंग्ज भी मुख्यालय जरूर भेजें। सम्भव हो तो फोटो व पेपर कटिंग्ज स्केन करके शीघ्र ही ई-मेल द्वारा भेज दें।

सभी जगह मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas कार्यक्रम आयोजन पूर्ण होने के बाद प्रत्येक समिति द्वारा कुल कितने विद्यालयों एवं कुल कितने विद्यार्थियों को कार्यक्रम में सहभागी बनाया गया तथा कितने पेम्फलेट बाँटे गये, इसकी रिपोर्ट के आधार पर आयोजक समितियों की श्रेणी- सूची मुख्यालय में बनायी जायेगी।

  1. प्रधानाचार्य हेतु संलग्न किया हुआ पत्र आप अपने लेटर हेड पर उन्हें दें। प्रधानाचार्यों से मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas कार्यक्रम की अनुमति प्राप्त करने में कोई भी समस्या आये तो अपने उच्च अधिकारियो या मित्रो से सम्पर्क करके मार्गदर्शन प्राप्त करें।
  2. कार्यक्रम से पूर्व ही विद्यालय / महाविद्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाने हेतु ‘विद्यार्थियों के लिए सूचना’ संलग्न है। विद्यालयीन प्रार्थना के समय वहाँ के आचार्य विद्यार्थियों को कार्यक्रम एवं सामग्री की जानकारी दे सकते हैं। माता-पिता कुर्सियों अथवा क्लास के बेंचों पर बैठें, बच्चे नीचे चटाई आदि पर बैठें ऐसी व्यवस्था बनायें। विद्यार्थी घर से अपने साथ चद्दर आदि आसन ले आयें।
  3. अभिभावकों को कार्यक्रम में बुलाने हेतु प्रधानाचार्य को आमंत्रण पत्र छपवाकर दें। प्रारूप नीचे संलग्न है।
  4. यदि आमंत्रण- पत्र छपवाना आपके लिए सम्भव नहीं हो तो प्रधानाचार्य / शिक्षक विद्यार्थियों की नोटबुक में यह आमंत्रण पत्र लिखवायें। ध्यान दें, इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक माता-पिता की उपस्थिति हो, तभी कार्यक्रम सार्थक होगा। इसलिए माता-पिता की अधिकाधिक उपस्थिति को महत्त्व दें।
  5. विद्यालयों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को भी अपने बच्चों को कार्यक्रम में लाने हेतु प्रेरित करें।
  6. जिन बच्चों के माता-पिता नहीं आ पायेंगे, वे विद्यार्थी भी पूजन सामग्री अवश्य ले आयें। उनके द्वारा माँ सरस्वती का पूजन करवाया जायगा ।

नोट : ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ अपने बाल संस्कार केन्द्रों में भी अवश्य मनायें ।

  1. दीप प्रज्वलन (दीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः । दीपो हरतु मे पापं दीपो ज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥ )
  2. श्री गणेश वंदना (ॐ गं गणपतये नमः, वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥ ) ३. हरिॐ गुंजन ( सात बार )
  3. गुरुवंदना (गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः… )
  4. माँ सरस्वती की वंदना ( या कुन्देन्दुतुषारहारधवला….)
  1. प्राचार्य द्वारा उद्बोधन ( स्वागत एवं कार्यक्रम का उद्देश्य )
  2. अतिथियों का फूलों द्वारा स्वागत ( चयनित विद्यार्थियों द्वारा )

१. सर्वप्रथम सद्गुरुदेव के श्रीचित्र का पुष्प आदि से पूजन करें, जिनके पावन मार्गदर्शन से हमें यह कार्यक्रम करने की प्रेरणा मिली ।

२. नीचे दिये क्रमानुसार विधि माइक से बताते जायें।

  • माता-पिता को स्वच्छ तथा ऊँचे आसन पर बैठायें।

आसन्न विधि

आसन्न श्लोक

  • विद्यार्थी माता-पिता के माथे पर कुंकुम का तिलक करें।
  • तत्पश्चात् माता-पिता के सिर पर पुष्प अर्पण करें तथा फूलमाला पहनायें ।
  • माता-पिता भी विद्यार्थियों के माथे पर तिलक करें एवं सिर पर पुष्प रखें। फिर अपने गले की फूलमाला बच्चों को पहनायें ।
  • विद्यार्थी थाली में दीपक जलाकर माता-पिता की आरती करें। इस समय ‘मात पिता गुरु प्रभु चरणों में…’ भजन (‘भजन दीपांजली’ कैसेट से ) चला सकते हैं। विद्यार्थी अपने माता-पिता एवं गुरु में ईश्वरीय भाव जगाते हुए उनकी सेवा करने का दृढ संकल्प करें।
  • विद्यार्थी अपने माता-पिता के एवं माता-पिता विद्यार्थी के सिर पर अक्षत एवं पुष्पों की वर्षा करें। * तत्पश्चात् विद्यार्थी अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करें।
  • विद्यार्थी अपने माता-पिता को ‘मातृ पितृ पूजा दिवस Matri Pitri Pujan Diwas’ बैनर में दिखाये अनुसार झुककर विधिवत् प्रणाम करें।
  • ( अभिवादनशीलस्य नित्यं वृध्दोपसेविनः । चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम् II)
  • इस समय माता-पिता अपने बच्चे पर स्नेहाशीष बरसायें और गले से लगायें प्रभु के नाते एक-दूसरे को प्रेम करके अपने दिल के परमेश्वर को छलकने दें।
  • इस दिन बच्चे-बच्चियों से यह पवित्र संकल्प करवायें “मैं अपने माता-पिता व गुरुजनों का आदर करूँगा / करूंगी। मेरे जीवन को महानता के रास्ते ले जानेवाली उनकी आज्ञाओं का पालन करना मेरा कर्तव्य है और मैं उसे अवश्य पूरा करूँगा /करूँगी।”
  • माता- पिता से यह शुभ संकल्प बुलवायें “तुम्हारे जीवन में उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति व पराक्रम की वृद्धि हो। तुम्हारा जीवन माता-पिता एवं गुरु की भक्ति से महक उठे। तुम्हारे कार्यों में कुशलता आये। तुम त्रिलोचन बनो तुम्हारी बाहर की आँख के साथ भीतरी विवेक की कल्याणकारी आँख जागृत हो। तुम पुरुषार्थी बनो और हर क्षेत्र में सफलता तुम्हारे चरण चूमे।” विद्यार्थी माता-पिता को ‘मधुर प्रसाद’ खिलायें एवं माता-पिता अपने बच्चे को प्रसाद खिलायें ।

तत्पश्चात् ‘भारतीय संस्कृति में माता-पिता एवं गुरुजनों की महत्ता पर विद्यालय / महाविद्यालय के प्रधानाचार्य / आचार्य एवं जो विद्यार्थी/ अभिभावक उत्सुक हों वे सम्बोधन दें कार्यक्रम कैसा लगा इस पर भी अपना मत अभिव्यक्त करें । पूर्णाहुति :- पूर्णाहुति मंत्र ( ॐ सह नाववतु… ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं…) ।

नोट: इस पूजन विधि में दिये गये मंत्र कार्यक्रम के सूत्रधार बोलते जायें। जिन विद्यार्थियों के अभिभावक उपस्थित न हों उनमें से कुछ विद्यार्थी विद्यालय के प्राचार्य व शिक्षकों का भी पूजन कर सकते हैं।

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मानव जीवन के उत्थान में माता-पिता एवं गुरुजनों के आदर का महत्त्व जाननेवाला यदि कोई देश है तो वह है अपना भारत देश । इस देश की महान संस्कृति ने इस सिद्धांत को अत्यंत महत्त्व देते हुए विद्यार्थी को आदेश दिया है : ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव’ अर्थात् माता, पिता और आचार्य को देव (ईश्वर) माननेवाला हो ।

अपनी संस्कृति के इन प्राचीन संस्कारों को पुनर्स्थापित करने के लिए तथा १४ फरवरी को ‘वेलेन्टाईन डे’ मनाने की जो पाश्चात्य प्रथा हमारे देश में पैर जमा रही है, उसे उखाड़ फेंकने की पावन प्रेरणा से देशभर में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देश के हजारों विद्यालय एवं महाविद्यालय जुड़ गये हैं।

संत श्री आसारामजी बापू के शिष्यों द्वारा यह कार्यक्रम फरवरी महीने में देश के विभिन्न विद्यालयों, लाखों परिवारों तथा १८ हजार बाल संस्कार केन्द्रों में सामूहिक रूप से मनाया जाता है। इसी श्रृंखला में विद्यालय में दिनांक —– . को मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

आयोजकों का कहना है ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव’ इस महान वैदिक संदेश को नजरअंदाज करने के घातक परिणाम आज हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं। आज छोटी-छोटी बात में माता-पिता व गुरुजनों का अनादर तथा उनके प्रति उद्दण्डता बढ़ती जा रही है। स्थिति यहाँ तक पहुँच गयी है कि अधिकांश विद्यार्थी बड़े होकर अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में रखने में संकोच महसूस नहीं कर रहे हैं। इस प्रकार निरंकुश होने से बाल एवं युवा पीढ़ी का घोर चारित्रिक पतन हो रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में यह कार्यक्रम बच्चों के कोमल हृदय को सुसंस्कारीत करने के लिए वरदान साबित होगा ।’

उल्लेखनीय है कि विद्यार्थी- – उत्थान के कार्यक्रमों की केन्द्रीय मंत्रालय एवं विभिन्न राज्य मंत्रालयों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
दिनांक …….. .को स्थानीय विद्यालय में ……. बजे से ………. ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ कार्यक्रम बड़े उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ।
( यहाँ पर कार्यक्रम का विवरण अपने शब्दों में अधिकतम १०-१२ पंक्तियों में व्यक्त करें ।)

इस अवसर पर श्री …………………………………… आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। प्रधानाचार्य श्री…………….. ने सभी उपस्थित अतिथियों एवं अभिभावकों को हार्दिक धन्यवाद दिया । ‘वेलेन्टाईन डे’ के स्थान पर ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का यह कार्यक्रम अन्य विद्यालयों के लिए भी अनुकरणीय है।

(नोट: उपरोक्त में से कोई एक टाईटल डालकर प्रेसनोट भेज सकते हैं।)

आप अपने विद्यालय के द्वारा लेटर पेड पर एक प्रेस नोट निम्न प्रकार से सहेज सकते हैं।

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