READING CAMPAIGN 100 DAYS FULL INFORMATION |
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READING CAMPAIGN 100 DAYS FULL INFORMATION
100 दिवसीय रीडिंग कैंपेन 2022 के संचालन हेतु गाइडलाइन (100 days Reading Campaign: Guidelines and Activities in hindi)
देश में छात्रों के बीच तर्कशक्ति, कल्पनाशीलता और बेहतर तार्किक विकास के लिए भारत सरकार द्वारा एक विशेष अभियान “पढ़े भारत” शुरू किया गया है।
इस 100 दिन के अभियान (100 days reading campaign in hindi) के तहत बच्चों के लिए पढ़ाई को रोचक बनाने पर फोकस किया जा रहा है, ताकि किताबों के प्रति रुचि जीवन भर छात्रों में पैदा की जा सके।
इस अभियान को 100 दिनों तक ( 1 जनवरी 2022 से 10 अप्रैल 2022) तक चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत सिर्फ छात्रों को ही नहीं बल्कि अध्यापकों और अभिभावकों को भी शामिल किया जा रहा है।
इस अभियान के लिए मंत्रालय की ओर से एक साप्ताहिक कैलेंडर भी तैयार किया गया है, जिसमें कार्यक्रम के सभी दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल को मंजूरी दी गई है. छात्र इन गतिविधियों को अपने शिक्षकों, माता-पिता या साथियों के साथ मिलकर कर सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं “पढें भारत” अभियान के तहत 100 दिन की कार्ययोजना का जो खाका पेश किया गया है उसके बारे में इस आर्टिकल से जानते हैं कि इन 100 दिनों में विद्यार्थियों से किस प्रकार की गतिविधियां करवाई जानी हैं।
100 Days Reading Campaign: Guidelines and Activities In Hindi
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 5 जुलाई 2021 ‘निपुण भारत मिशन’ बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया है। मिशन का उद्देश्य 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के विद्यार्थियों की सीखने की जरूरतों को पूरा करना है।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय शोधों द्वारा भी यह सिद्ध हुआ है कि बुनियादी शिक्षा प्रत्येक विद्यार्थी के लिए भविष्य के सीखने का आधार है। समझ के साथ पढ़ने, लिखने और गणित की बुनियादी अवधारणाओं को समझने और सीखने में सक्षम होने के बुनियादी कौशल को प्रात नहीं करने से विद्यार्थी कक्षा 3 से आगे की कक्षाओं के पाठ्यक्रम की जटिलताओं के लिए तैयार नहीं हो पाते हैं।
प्रारंभिक शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस बात पर जोर देती है कि प्राथमिक विद्यालयों में बुनियादी आधारभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान हासिल करना उच्चतम प्राथमिकता होनी चाहिए।
इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि यदि यह सबसे बुनियादी शिक्षा (यानी बुनियादी स्तर पर पढ़ना, लिखना और अंकगणित) पहले हासिल नहीं की जाती है, तो इस नीति का बाकी हिस्सा हमारे विद्यार्थियों के एक बड़े हिस्से के लिए काफी हद तक अप्रासंगिक हो जाएगा।
नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS) सहित भारत में लर्निंग प्रोफाइल के विभिन्न अध्ययनों ने बताया है कि अभी भी कई विद्यार्थी कक्षा स्तर के अनुच्छेद / टेक्स्ट को पढ़ने में सक्षम नहीं है। लेकिन पाठ्यक्रम और संबंधित पाठ्य पुस्तकें इस उम्मीद के साथ तैयार की गई है, कि विद्यार्थियों ने उस कक्षा स्तरीय कौशल हासिल कर लिया है और वे आगे की कक्षा में बढ़ सकते है।
इसी संदर्भ में विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग एक राष्ट्रव्यापी “रीडिंग कैंपेन” पठन अभियान शुरू कर रहा है ताकि प्रत्येक विद्यार्थी पढ़ना सीखे और उसके बाद सीखने के लिए पढ़ सकें।
पढ़ना सीखने का आधार है, जो विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, शब्दावली विकास और मौखिक और लिखित भाषा में व्यक्त करने की क्षमता विकसित करता है।
यह विद्यार्थियों को उनके परिवेश और वास्तविक जीवन की स्थिति से जोड़ने में मदद करता है। इस प्रकार एक सक्षम वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिसमें विद्यार्थी आनंद के लिए पढ़ें और अपने कौशल को एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित करें जो आनंददायक और स्थाई हो और जो जीवन भर उनके साथ रहे।
विभिन्न शोध अध्ययनों में सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने में पढ़ने के योगदान के महत्व को पुष्ट किया है। यह भाषा और लेखन कौशल पर नियंत्रण विकसित करने की दिशा में एक कदम है। बोलने के विपरीत, पढ़ना एक ऐसा कौशल है जो इंसानों को स्वाभाविक रूप से नहीं आता है और इसे सीखने की आवश्यकता होती है।
पठन कौशल; पाठ और पाठक के बीच एक अंत: क्रिया है, जिसमें न केवल शब्दों के अर्थ को समझना शामिल है, बल्कि पाठ के पीछे के बहुस्तरीय अर्थ को समझना भी शामिल है। इसके लिए निरंतर अभ्यास, विकास और शोध की आवश्यकता होती है।
प्रारंभिक चरण में पढ़ने में वर्णमाला ज्ञान, नामों और ध्वनियों की पहचान करना, ध्वनि जागरूकता (जिस में बोली जाने वाली भाषा को पहचानने, समझने या विश्लेषण करने में सक्षम होना) पत्र लिखना, शब्दावली विकास, याद रखने और समझने के लिए बोली जाने वाली भाषा की सामग्री शामिल है।
साथ ही इसमें पठन कौशल अवधारणाएं (उदाहरण के लिए बाएं से दाएं पढ़ना, आगे पीछे पढ़ना), प्रिंट जागरूकता जिसमें देखकर चित्रों / प्रतीकों से मेल या भेद करने की क्षमता शामिल है।
भाषा सीखना- एक रोजमर्रा की प्रक्रिया
विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में भाषा को समझे बिना उससे जुड़ते हैं। वे किसी न किसी रूप में भाषा का उपयोग करते हैं और भाषा के बारे में अपने ज्ञान का भी उपयोग करते हैं।
वे अपने से बड़ों, छोटो और शिक्षक को संबोधित करना जानते हैं। वे किसी की बात को सुन रहे हैं या रेडियो सुन रहे हो या टेलीविजन देख रहे हैं- ये वे स्रोत हैं जिनसे वे अपनी भाषा सीखते हैं और संप्रेषण के लिए इसका उपयोग करते हैं।
विद्यार्थियों में विद्यालय आने से पहले ही पढ़ने-लिखने की समझ विकसित हो जाती है। विद्यार्थियों के इस पूर्व ज्ञान को उनके साक्षरता कौशल के विकास का आधार माना जा सकता है।
हमारे घरों, घर की नंबर प्लेट, घर की दीवारों और आंगन पर बने मांडणे, पंचांग /कैलेंडर, गैस चूल्हे पर लिखा कंपनी का नाम, बर्तनों पर खुदा किसी का नाम, बांहों पर गुदा नाम या टैटू, अखबार का पन्ना, खरीदारी की सूची, टूथपेस्ट बॉक्स, कोई पोस्टर, राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि प्रमुख सहित और मुद्रित सामग्री उपलब्ध है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि उचित या मुद्रित सामग्री का उपयोग पढ़ना सीखने सिखाने में उपयोग बहुत मदद कर सकता है, इसके सही और अधिक उपयोग किए जाने चाहिए।
(i) विद्यार्थी अपने चारों ओर लिखित सामग्री पढ़ना शुरू करते हैं, जैसे बिस्कुट और टॉफी के रैपर, सड़क के किनारे लगे पोस्टर / विज्ञापन, दीवार पर लिखे नारे, विज्ञापन, समाचार पत्र, घर और विद्यालय में उपलब्ध कहानी की पुस्तकें, पत्र / पोस्ट कार्ड इत्यादि।
जैसे ही विद्यार्थी कलम, पेंसिल, चाक को पकड़ना शुरू करते हैं, वे लिखना शुरु कर देते हैं और उनमें कुछ अर्थ या संदेश जोड़ने की कोशिश करते हैं – यह भी लेखन की शुरुआत का एक हिस्सा है। वास्तव में पढ़ने और लिखने की अनुभूति भी दिन प्रतिदिन के सार्थक और व्यवहारिक संदर्भ में मौखिक भाषा के विकास की तरह विकसित होती हैं। पढ़ने वाले विद्यार्थी अक्सर बेहतर शिक्षार्थी बन जाते हैं, जिससे विद्यालय और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
(ii) पढ़ने का एकमात्र लक्ष्य ‘समझना’ होना चाहिए। यह जरूरी है कि मुद्रित पाठ में जो संदेश दिया गया है उसे समझा जाए और उसका आनंद लिया जाए।
(iii) पढ़ना विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से पुस्तकें पढ़ने, रचनात्मकता, आलोचनात्मक चिंतन, शब्दावली विकसित करने और मौखिक और लिखित दोनों में व्यक्त करने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
(iv) लेखन भी विचारों को समझने और दूसरों के साथ साझा करने की एक प्रक्रिया है। इसमें ना केवल शब्दों को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया शामिल है, बल्कि यह ज्ञान, सूचना और विचारों को एक सुसंगत तरीके से साझा करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया है। लेखन विद्यार्थियों को अपने विचारों का पता लगाने, आकार देने और स्पष्ट करने और उन्हें दूसरों तक पहुंचाने में सक्षम बनाता है। प्रभावी लेखन रणनीतियों का उपयोग करके, विद्यार्थी विचारों को खोजते और परिष्कृत करते हैं और बढ़ते आत्मविश्वास और कौशल के साथ रचना और संशोधन करते हैं।
(v) विद्यार्थियों की लिखित भाषा की समझ ज्यादातर उनके प्रभावी उपयोग और मौखिक भाषा की समझ पर निर्भर करती है। लेखन के लिए अपना औपचारिक निर्देशात्मक प्रशिक्षण शुरू करने से पहले ही विद्यार्थी अपने आसपास के साक्षरता वातावरण के साथ बातचीत करना शुरू कर देते हैं और प्रतीकों और उनके अर्थों के बीच संबंध बनाना शुरू कर देते हैं।
विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत का विकास कैसे करें?
- विभिन्न प्रकार के सरल और रुचिकर कहानी की पुस्तकों, कॉमिक्स और चुटकुलों की पुस्तकों की उपलब्धता और पहुंच बच्चों तक हो, जिन्हें आकर्षक चित्रों और विशेष रूप से बच्चों की कक्षाओं में चित्रित किया गया है।
- विद्यार्थियों को नियमित आधार पर निर्धारित समय और कक्षा में पढ़ने के लिए एक अनुकूल माहौल और स्थान प्रदान करने की आवश्यकता है।
- विद्यार्थियों के साथ पठन गतिविधियों जैसे मुखर वाचन, साझा पठन, उनके द्वारा पढ़ी गई पुस्तकों पर चर्चा, भूमिका निभाना, शब्द खेल आदि, पुस्तकों के साथ उनकी भागीदारी बढ़ाने और पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए बहुत आवश्यक है।
गतिविधि के माध्यम से पढ़ने को मनोरंजक कैसे बनाया जाए: राजस्थान का एक केस स्टडी
बच्चों में आजीवन पढ़ने की आदत डालने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम पठन को मनोरंजक और रुचिकर बनाएं। इसलिए, गतिविधि आधारित दृष्टिकोण पढ़ने के अनुभव को रोमांचक और आनंददायक बनाने में सबसे प्रभावी है।
इसका एक वास्तविक उदाहरण राजस्थान राज्य में देखने को मिलता है, जहां दौसा जिले के सिकराय प्रखंड स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक (मधु चौहान) पदस्थापित थी। जब वे विद्यालय में पदस्थापित हुई, तो उन्होंने पाया कि विद्यालय में नामांकन 32 छात्रों का था, लेकिन मुश्किल से 7-8 छात्र स्कूल आ रहे थे।
उसने कारणों का पता लगाने की कोशिश की तो पता लगा कि छात्रों के माता-पिता सुबह जल्दी काम पर चले जाते हैं और बच्चे जानवरों को चराने के लिए जाते हैं और पूरे दिन कंचे (स्थानीय भाषा में कांच ) खेलते हैं। वह समझ गई थी कि उसे माता-पिता का ज्यादा सहयोग नहीं मिलेगा, इसलिए उसने खुद पहल करने का फैसला किया। अगले दिन से वह स्कूल के खेल के मैदान में कंचों से खेलने लगी।
चूँकि शिक्षिका कंचे खेलना नहीं जानती थी, उसने विधार्थियो से उसे सिखाने के लिए कहा। यह बात जल्द ही गाँव में फैल गई कि शिक्षिका भी स्कूल में कंचों से खेल रही है, इसलिए जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे, वे भी स्कूल आए और खेल में भाग लिया और शिक्षिका को भी खेल खेलना सिखाया। यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा जब तक कि सभी छात्र स्कूल नहीं आने लगे।
फिर, शिक्षिका ने संख्या अवधारणा परिचय दिया और कंचों पर 0 से 9 संख्याएँ लिखीं और छात्रों को बड़ी संख्या पर हिट करने के लिए कहा और उन्हें खेल के माध्यम से एक अंक वाली संख्या में जोड़ना और घटाना सिखाया। कुछ समय बाद उन्होंने कंचों पर हिन्दी के अक्षर लिखे और विधार्थियो से उन्हें इस तरह से मारने के लिए कहा जिससे शब्द बनते हैं।
इस प्रयास ने न केवल स्कूल में विधार्थियो की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की बल्कि उन्हें भाषा और अंकगणित की अवधारणा से भी आनंदपूर्वक परिचित कराया।
बालवाटिका से आठवीं कक्षा तक के बच्चे इस अभियान का हिस्सा होंगे। उन्हें आगे तीन समूहों में वर्गवार वर्गीकृत किया जाएगा:
- समूह I: बालवाटिका से कक्षा II
- समूह II: कक्षा III से कक्षा V
- समूह III: कक्षा VI से कक्षा VIII
पठन अभियान 1 जनवरी 2022 से 10 अप्रैल 2022 तक 100 दिनों (14 सप्ताह) के लिए आयोजित किया जाएगा।

पठन अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समुदाय, शैक्षिक प्रशासको आदि सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी हितधारको सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है।
100 दिनों का अभियान 14 सप्ताह तक जारी रहेगा और प्रति समूह प्रति सप्ताह एक गतिविधि को पढ़ने को मनोरंजक बनाने और पढ़ने की खुशी के साथ आजीवन जुड़ाव बनाने पर ध्यान देने के साथ डिजाइन किया गया है।
इस अभियान द्वारा प्राप्त किए जाने वाले विकासात्मक लक्ष्य/ सीखने के परिणाम भी गतिविधि कैलेंडर में दिए गए हैं। गतिविधियों का साप्ताहिक कैलेंडर कक्षा बार तैयार किया गया है, जिसे बच्चों को शिक्षकों, माता पिता, साथियों, भाई बहनों या परिवार के अन्य सदस्यों की सहायता से करना चाहिए।
अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रति सप्ताह केवल एक गतिविधि होगी ताकि बच्चे दिए गए सप्ताह में गतिविधि को दोहरा सकें और अन्ततः इसे साथियों और भाई बहनों के साथ स्वतंत्र रूप से समझने और संचालित करने में सक्षम हो सकें। डिजाइन की गई गतिविधियों को सरल और मनोरंजक रखा गया है और घर पर उपलब्ध सामग्री/ संसाधनों के साथ आसानी से संचालित किया जा सकता है।
प्रत्येक ब्लॉक/ क्लस्टर /स्कूल स्तर पर निम्नलिखित गतिविधियां प्रस्तावित है।
- इस अभियान में भागीदारी बढ़ाने हेतु माता पिता, विद्यार्थियों के लिए गहन जागरूकता अभियान चलाना, समुदाय के सदस्यों और स्थानीय निकायों को सक्रिय होना चाहिए। राज्य / जिला / ब्लाक / क्लस्टर / स्कूल / मोहल्ला स्तर पर कहानी सुनाने के सत्र लोकप्रिय कहानी के द्वारा शुरू किए जाएं।
- लोकप्रिय लोग /हस्तियां, सरपंच अधिकारी गण, माता-पिता, दादा-दादी द्वारा कहानी सत्र आयोजित किया जाए।
- स्थानीय लोक कथाओं, गीतों, तुकबंदी कविताओं आदि को बढ़ावा और प्रोत्साहन दिया जाए।
- स्थानीय कलाकारों को ऐसी गतिविधियों और आयोजनों में शामिल किया जाए।
- विद्यार्थियों को पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए कक्षा उपयुक्त अतिरिक्त पठन सामग्री, पुस्तकालय पुस्तकें विद्यार्थियों को बिना किसी संकोच के दी जाए।
- पंचायत / क्लस्टर / ब्लॉक स्तर पर पठन मेलों का आयोजन करें और इसमें शामिल हो।
- स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी), स्वयंसेवकों को पठन गतिविधियों का संचालन करने के लिए प्रोत्साहित करें।
- सुनिश्चित करें कि इन 100 दिनों में गतिविधि कैलेंडर का पालन किया जाता है।
- अच्छी गुणवत्ता वाले फोटो, वीडियो और प्रशंसा पत्र गूगल ट्रैकर में अपलोड करें।
- सीएसओ, एफएम चैनल, स्थानीय रेडियो/ टीवी चैनलों के साथ साझेदारी कर रीडिंग कैंपेन की शुरुआत, गतिविधियों, समुदाय की भागीदारी, विद्यार्थियों के उत्साह आदि का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार करें।
- समाचार पत्र ( स्थानीय और क्षेत्रीय) में प्रति सप्ताह खबरें प्रकाशित कराएं, प्रकाशित खबरें ट्रैकर में अपलोड करें।












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