तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP

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तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP

1-6-2002 को या इसके बाद तीसरी संतान होने के बाद स्वीकृत होने वाला एक एसीपी 3 वर्ष बाद मिलेगा

अब तीसरी संतान की स्थिति में केवल एक एसीपी ही प्रभावित होगा। पहले सभी एसीपी आगे सरकते थे। पहला 9+3=12 वर्ष दूसरा 18+3=21 और तीसरा 27+3=30 वर्ष में मिलता था। इस नोटिफिकेशन के बाद तीसरी संतान होने पर पहला एसीपी मिलना है तो वो 9+3=12 वर्ष पर मिलेगा। दूसरा 18 और तीसरा 27 वर्ष पर ही मिलेगा। 9 वर्षीय पहला एसीपी मिला हुआ है और फिर तीसरी संतान की स्थिति बनती है तो दूसरा एसीपी 18+3=21 वर्ष पर मिलेगा और तीसरा एसीपी 27 वर्ष पर ही मिलेगा।

GOVERNMENT OF RAJASTHAN FINANCE DEPARTMENT (RULES DIVISION)

No. F. 14(88)FD/Rules/2008               Pt. Jaipur, dated: 18 DEC 2020

Notification

In exercise of the powers conferred by the proviso to Article 309 of the Constitution of India, the Governor of Rajasthan is pleased to make the following rules further to amend the Rajasthan Civil Services (Revised Pay) Rules, 2017, namely:

  1. Short title and commencement. – (1) These rules may be called the Rajasthan Civil Services (Revised Pay) (Fifth Amendment) Rules, 2020.

(2) They shall come into force with immediate effect.

  1. Amendment of Schedule-VI.- Existing clause at S.No.6(iii) excluding provisos thereunder of Schedule-VI appended to the Rajasthan Civil Services (Revised Pay) Rules, 2017 shall be substituted, by the following, namely,..

“The appointing authority shall also obtain an affidavit from the employee with reference to having only two children on or after 01.06.2002 prior to granting ACP. An employee who has more than two children on or after 01.06.2002 shall not be granted ACP/next ACP for three years from the date on which his/her ACP becomes due and it would have no consequential effect on the next/subsequent grant of ACP. The employee having more than two children shall not be deemed to have been disqualified, so long as the number of children he/she has on 01.06.2002 does not increase.”

By order and in the name of the Governor,
Joint Secretary to the Government

हिंदी अनुवाद :

भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राजस्थान के राज्यपाल राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 में और संशोधन करने के लिए निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्:

 

संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ

(1) इन नियमों को राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) (पांचवां संशोधन) नियम, 2020 कहा जा सकता है।

(2) वे तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

 

अनुसूची-VI का संशोधन – राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 से संलग्न अनुसूची-VI के प्रावधानों को छोड़कर क्रमांक 6(iii) पर मौजूदा खंड को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात

 

“नियुक्ति प्राधिकारी को एसीपी देने से पहले 01.06.2002 को या उसके बाद केवल दो बच्चे होने के संदर्भ में कर्मचारी से एक हलफनामा प्राप्त करना होगा। एक कर्मचारी, जिसके 01.06.2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हैं, को एसीपी/अगला एसीपी उस तारीख से तीन साल तक नहीं दिया जाएगा, जिस दिन उसका एसीपी देय हो जाता है और इसका अगले / बाद के अनुदान पर कोई परिणामी प्रभाव नहीं होगा। दो से अधिक बच्चों वाले कर्मचारी को एसीपी अयोग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि 01.06.2002 को उसके बच्चों की संख्या में वृद्धि नहीं होती है।

तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP

 संतान होने पर पदोन्नति PROMOTION पर पड़ने वाले प्रभाव

राज्यकर्मचारियों को अब दो संतान से अधिक होने पर पदोन्नति आदि कोई रुकावट नहीं होगी। इससे कर्मचारियों को नौकरी में राहत मिलेगी। यह नियम हटने के बाद कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी दिखाई दे रही है।
राज्य सरकार ने दो संतान से अधिक पर पदोन्नति रोकने तथा अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के राजस्थान सिविल सेवा नियम 1971 में इस बाबत किए गए प्रावधान को वापिस ले लिया है। राज्य सरकार ने राजस्थान से स्वीकृति मिलने के बाद इस नियम को हटाया है।
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राज्य सरकार के कार्मिक- ए-3 ने आदेश जारी किया गया। जारी आदेशों में इस संबंध में राजस्थान सिविल सेवा नियम 1971 में 1 जून 2002 के बाद अधिक संतान होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई पदोन्नति रोकने का प्रावधान किया गया था। उसके बाद सरकार ने इस नियम 25 सी को हटा दिया है। इस नियम के तहत कर्मचारियों की पदोन्नति सहित अन्य लाभ मिलने में अड़चन रही थी।

तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP

राजस्थान सिविल सेवा नियम 1971 में 1 जून 2002 के बाद अधिक संतान होने पर दो से अधिक संताने होने पर पर नियुक्ति नही मिलेगी |

अगर तीसरी संतान दिव्यांग हैं और आपके पास इसका मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र होना चाहिए |

 

सरकारी कर्मियों की तीसरी संतान दिव्यांग निःशक्त हो तो गणना में नहीं होगी शामिल, इसके चलते वे नहीं हो सकेंगे दंडित, वरना तीसरी संतान होने पर रुकता है प्रमोशन, अभी कुछ सेवाओं में था यह लागू, अब 105 अन्य सेवा नियम में किया संशोधन

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राज्य की कर्मचारियों को तीसरी संतान होने का शपथ पत्र प्रस्तुत करना होता है जो कि ये सभी सरकारी कर्मचारियों की जॉइनिंग भर्ती के समय शपथ पत्र देना होता है जिसमें तीसरी संतान ना होने की शपथ ली जाती हैं

तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP

शपथ पत्र

मैं …………………………………………………………………….. पुत्र/पत्नी/पुत्री श्री ……………………………………………………..
जाति …………………………….. निवासी ……………………………………….. तह…………………………………………………..
जिला ………………..शपथ पूर्वक करता/करती हॅू कि :-

  1. (क) यह है कि दिनांक 27.04.1994 तक मेरे बच्चों की संख्या …………….. थी जिसका ब्यौरा निम्न अनुसार है।
    क.स. नम पुत्र/पुत्री जन्मतिथि पुत्र/पुत्री
क्रं सं पुत्र / पुत्री नाम जन्मतिथि पुत्र / पुत्री
  1. (ख) 27.04.1994 से 27.11.2995 की अवधि में जन्में बच्चों की कुल संख्या ……………. है और उनका ब्यौरा निम्न अनुसार है।
क्रं सं पुत्र / पुत्री नाम जन्मतिथि पुत्र / पुत्री
  1. (ग) 28.11.1995 को और उनके पष्चात जन्में बच्चों की कुल संख्या …………… है और उनका ब्यौरा निम्न अनुसार है।
क्रं सं पुत्र / पुत्री नाम जन्मतिथि पुत्र / पुत्री
  1. शपथकर्ता
  2. तस्दीक :- मैं उपरोक्त शपथकर्ता शपथपूर्वक तस्दीक करता हॅू कि इस शपथ पत्र के तमाम वाक्यात मेरे निजी ज्ञान से सही व सत्य है। ईष्वर मुझे सत्य बोलने में मेरी मदद करें। इसका कोई भी भाग असत्य नही है।
संतान संबंधी शपथ पत्र पीडीएफ

शपथ पत्र संतान संबंधी डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर पीडीएफ फाइल व वर्ल्ड फाइल दोनों हैं

Govt Employer Satan Sambdhit Affidavit Format

तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP

प्रश्न:- किसी कार्मिक के 01/06/2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर एसीपी एवम पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर:- यदि किसी कार्मिक के 01/06/2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर वित्त विभाग के आदेश- F14(88) FD Rules/2008pt jaipur Date 18/12/2020 के अनुसार उस कार्मिक को तीसरी संतान पैदा होने की तिथि के बाद स्वीकृत होने वाली एसीपी देय तिथि से 3 वर्ष बाद स्वीकृत होगी लेकिन उसके बाद भविष्य में देय एसीपी पर आगामी प्रभाव को समाप्त कर दिया है अर्थात वह देय एसीपी निर्धारित दिन से ही स्वीकृत होगी।

(2) किसी कार्मिक के 1/06/2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर नियमानुसार पदोन्नति होने पर उसे कार्यमुक्त नही किया जाता है एवं दो डीपीसी के बाद उसका पुनः नाम पदोन्नति की पात्रता सूची में आता है एवम उसकी पदोन्नति होती है उस समय उसे पदोन्नति पर कार्यमुक्त किया जा सकेगा।

(3) इसलिए ही एसीपी एवम पदोन्नति से पूर्व सभी कर्मचारियों से संतान सम्बन्धित घोषणा पत्र का शपथ पत्र मांगा जाता है।गलत शपथ पत्र दे कर नियम विरुद्ध एसीपी /पदोन्नति प्राप्त करना एक दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है ।

प्रश्न.  मैं इस समय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार में कार्यरत हूँ। मैं ने प्रोबेशन काल जुलाई 2014 में पूरा कर लिया। मेरी नियुक्ति के समय मात्र दो पुत्रियाँ थीं बाद में अगस्त 2013 में एक छोटी पुत्री का गोदनामा पंजीकरण करवा लिया एवं भारतीय राज पत्र में प्रकाशन के लिये आवेदन किया हुआ है। मुझे बताए कि तीसरी सन्तान होने पर भविष्य में दो ही सन्तान दर्शानी होगी या तीन। भविष्य में राजस्थान सरकार की नौकरी में प्रमोशन आदि किसी लाभ से वंचित तो नहीं होना पड़ेगा?

प्रश्न.  मै राजस्‍थान पुलिस से कानिस्‍टेबल के पद पर हूँ, मेरे दो संतान जन्‍म लेने के बाद एक संतान गोद चली गई थी उसके बाद एक संतान ने और जन्‍म लिया है अब मेरे पास दो संतान है लेकिन मेरे विभाग ने मेरी एक संतान गोद जाने के बावजूद भी तीनो संताने मेरी मान कर मेरा प्रमोशन रोक रहे है। मेरा गोदनामा रजिस्‍ट्रार से से रजिस्‍टर्ड है। क्‍या राजस्‍थान सरकार की नौकरी में दो से अधिक संतान सम्‍बधी नियम में गोदनामा प्रभावित नहीं है? यदि इस सम्‍बंध में माननीय न्‍यायालय का निर्णय आया होतो देने की कृपा करे। क्‍या मुझे न्‍यायालय की शरण लेनी चाहिए?

समाधान-

राजस्थान सरकार का सरकारी सेवा में दो से अधिक संन्तानें होने सम्बन्धी नियम निम्न प्रकार है-

“No candidate shall be eligible for appointment to the service who has more than two children on or before1-6-2002.

("कोई भी उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा, जिसके दो से अधिक बच्चे 1-6-2002 को या उससे पहले हैं।)

Provided that where a candidate has only one child from earlier delivery but more than one child are born out of a single subsequent deliver, the children so born shall be deemed to be one entity while counting the total number of children.”

( बशर्ते कि जहां एक उम्मीदवार के पहले प्रसव से केवल एक बच्चा है, लेकिन एक से अधिक बच्चे एक बाद के प्रसव से पैदा हुए हैं, इस तरह पैदा हुए बच्चों को बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय एक इकाई माना जाएगा। )

“(1) No person shall be considered for promotion for 5 recruitment years from the date on which his promotion becomes due, if he/she has more than two children on or after 1st June, 2002.

(“(1) किसी भी व्यक्ति को उसकी पदोन्नति देय होने की तारीख से 5 भर्ती वर्षों के लिए पदोन्नति के लिए नहीं माना जाएगा, यदि उसके 1 जून, 2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हैं। )

Provided that the person having more than two children shall not be deemed to be disqualified for promotion so long as the number of children he/she has on 1st June, 2002, does not increase.

( बशर्ते कि दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को पदोन्नति के लिए अयोग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि 1 जून, 2002 को उसके बच्चों की संख्या में वृद्धि नहीं होती है।)

Provided further that where a Government Servant has only one child from the earlier delivery but more than one child are born out of a single subsequent deliver, the children so born shall be deemed to be one entity while counting the total number of children.”

(परंतु यह और कि जहां किसी सरकारी कर्मचारी के पहले के प्रसव से केवल एक बच्चा है, लेकिन जब अगली डिलीवरी में एक से अधिक बच्चे अर्थात जुड़वाँ बच्चे पैदा होते हैं तो बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय इस तरह पैदा हुए बच्चों को एक इकाई माना जाएगा।)

इस नियम में यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जिस के 1 जून 2002 या उस के बाद दो से अधिक संन्तानें हुईं तो वह पाँच रिक्रूटमेंट वर्षों के लिए पदोन्नति के लिए अयोग्य माना जाएगा। यदि किसी व्यक्ति के 1 जून 2002 के पहले हो चुकी सन्तानों की संख्या के आधार पर किसी को अयोग्य नहीं माना जाएगा।

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