SIQE CCE सतत एवं व्यापक मूल्यांकन : सतत एवं व्यापक मूल्याकंन प्रक्रिया में उपयोग में ली जाने वाले दस्तावेजो की जानकारी –
राज्य में संचालित समस्त राजकीय विद्यालयो (प्राथमिक / उच्च प्राथमिक/माध्यमिक/उच्च माध्यमिक) की कक्षा 1 से 5 के विद्यार्थियो के शैक्षिक उन्नयन से State Initiative for Quality Education (SIQE) कार्यक्रम प्रारम्भ किया है, जिसके अन्तर्गत शिक्षको की क्षमतावर्धन के साथ साथ बाल केन्द्रित शिक्षण प्रक्रिया के आधार पर सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया (CCE) तथा गतिविधि आधारित शिक्षण ( ABL ) प्रक्रिया को अपनाया गया।
उद्देश्य :-
- बाल केन्द्रित शिक्षण के द्वारा बालक को सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान देना।
- बच्चों में परीक्षा के भय को दूर करना।
- गतिविधि आधारित शिक्षण के द्वारा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को रूचिकर, आनन्ददायी एवं प्रभावी बनाना
- ज्ञान को स्थायी एवं प्रभावी बनाते हुए प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत करना।
- बच्चों में सृजनात्मकता एवं मौलिक चिन्तन का विकास करना।
- बच्चों के स्तर के अनुरूप शिक्षण योजना अनुसार शिक्षण करते हुए शैक्षणिक प्रगति को दर्ज करना।
- बच्चों को पर्याप्त अवसर प्रदान करते हुए उनके संज्ञानात्मक एवं व्यक्तित्व विकास के अवसर प्रदान करना।
- बच्चों के गुणात्मक विकास के साथ-साथ नामांकन एवं ठहराव में वृद्धि करना।
- बच्चों की प्रगति को अभिभावकों के साथ नियमित रूप से साझा करना।
अवधारणा:-
शिक्षा का अधिकार कानून के सार्वजनिकरण से यह महसूस किया जा रहा है कि विद्यालयो में शैक्षिक गुणवत्ता पर विषेष ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए किये जा रहे प्रयासो में से एसआईक्यूई कार्यक्रम भी एक प्रयास है। बाल केन्द्रित शिक्षण पद्धति, गतिविधि आधारित शिक्षण और सतत एवं व्यापक आकलन इस कार्यक्रम के प्रमुख आधार हैं। ये तीनों पक्ष आपसी रूप से परस्पर जुड़े हुए भी हैं और एक-दूसरे के बिना पूर्ण रूप से साकार भी नहीं किये जा सकते हैं। अगर इसे सरलतम रूप में देखें तो हर बच्चे को जाने बिना उसकी आवश्यकता के अनुरूप शिक्षण कार्य कराना संभव नहीं होगा, ये बालकेन्द्रित शिक्षण का मूल आधार है।
अगर ये पक्ष नहीं हो तो हम स्कूलों में अन्य कितने भी परिवर्तन कर लें सही मायने में कक्षा-कक्षों को बाल केन्द्रित नहीं बना सकेंगे। इस कार्यक्रम में इनके आपसी संबंधित पक्षों को देखना अनिवार्य होगा। गतिविधि आधारित शिक्षण तथा व्यापक एवं सतत मूल्यांकन सीखने-सिखाने की ऐसी समन्वित प्रक्रिया है, जिसमें प्रत्येक बच्चे के सीखने के स्तर, गति एवं रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण एवं आकलन का कार्य शिक्षक द्वारा किया जाता है।
शिक्षक कक्षा-कक्ष में प्रवेश से पूर्व शिक्षण -अधिगम की व्यापक एवं सतत कार्य योजना बना लेते हैं तथा उसी के आधार पर विद्यार्थी की शैक्षिक प्रगति का सतत एवं व्यापक आकलन करते हैं। इस समन्वित प्रक्रिया की मूल मान्यता हैं – ‘‘सब बच्चे सीख सकते हैं और सभी शिक्षक पढ़ा सकते हैं।‘‘
बाल केन्द्रित शिक्षण पद्धति (CCP) –
बच्चे लगातार समाज से अनौपचारिक शिक्षा लेते रहते हैं व स्वयं ज्ञान के सृजन की प्रक्रिया में संलग्न रहते हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा 2005 ने सार्थक अनुभव देने तथा समाहित करने वाली शिक्षा प्रदान करने पर ज़ोर दिया। इसमें बाल-केन्द्रित शिक्षा को सिखाने के मुख्य तरीके के रूप में देखा गया है। बाल-केन्द्रित पद्धति का अर्थ है कि बच्चों के अनुभवों, मतों, विचारों, जिज्ञासाओ और उनकी सक्रिय सहभागिता को प्राथमिकता देना।
इस प्रकार की शिक्षा पद्धति में बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास, अभिरुचियों के मद्देनज़र शिक्षा को नियोजित करने की आवश्यकता होती है। शिक्षकों को विद्यार्थियों की सक्रियता व रचनात्मक सामर्थ्य को पोषित और बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, उनकी दुनिया से, वास्तविक तरीकों से अंतर्संबंध स्थापित करने, दूसरों से जुड़ने की मूल अभिरुचि या अर्थ ढूँढने की जन्मजात रुचि, को पोषित करना चाहिए। कक्षा में बच्चों की आवाज़ो व अनुभवों को अभिव्यक्ति करने के आवसर मिलने चाहिए। बालकेन्द्रित कक्षाओं में बच्चों के करके सीखने व मिलकर सीखने पर बल होता है।
सीखना जीवन्त प्रक्रिया के रूप में शिक्षक के मार्गदर्शन एवं मदद से होता है। शिक्षण योजना बच्चों की रुचियों, गति व आवश्यकता को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। बच्चों को प्रश्न पूछने, अपने सीखने पर चितंन करने, सहपाठियों से चर्चा करने, सीखे हुए को वास्तविक जीवन में प्रयोग करने व नए अनुभव लेने हेतु भरपूर अवसर मिलते हैं।
इसमें शिक्षक बच्चों के सीखने के लिए ऐसे अवसर निर्मित करते हैं जिससे वे नए अनुभव व अवधारणाओं को अपने पहले के अनुभवों व ज्ञान से जोड़ कर देख पाएं, नया जानने के बारे जिज्ञासु रहें व शिक्षक के साथ मिलकर नया सीखें व प्रश्नों के उत्तर खोजे। बच्चों के पास अपनी कक्षा के सम्बंध में निर्णय लेने की आज़ादी हो व अपनी कक्षा के प्रबन्धन में शिक्षक सहित एक अहम भूमिका अदा करें। शिक्षक व विद्यार्थी के मध्य प्यार, सम्मान व मिलकर सीखने वाले साथियों की तरह का सम्बन्ध हो।
गतिविधि आधारित सीखना (ABL) –
गतिविधि से आशय शिक्षण में किये जाने वाले ऐसे क्रिया-कलापों से है, जिसकी सहायता से शिक्षण प्रक्रिया को रोचक बनाते हुए बालकों का सीखना सुनिष्चित किया जा सकें। सीखना क्रियात्मक कार्यो व गतिविधियों पर निर्भर करता है। गतिविधि में बच्चें किसी विषय पर चिन्तन-मनन करते है, अपने साथियों व शिक्षको से विचार विमर्ष करते है, प्रश्न पूछते है, कल्पना करते है, अनुमान लगाते है, तार्किक चिंतन करते है, नतीजे निकालते है और इस तरह अपने ज्ञान को स्वयं गढ़ते है। सीखने सिखाने की इस प्रक्रिया में बच्चें, निष्क्रिय ग्राहयकर्ता के बजाए एक सक्रिय सहभागी के रूप में भागीदारी निभाते है। बच्चो के इस तरह से सीखने की प्रक्रिया को गतिविधि आधारित सीखना कहा जाता है।
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE)
‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009’’ एवं ‘‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005’’ हमारे सामने भारत में शिक्षा की समग्र तस्वीर रखते हैं। जो रूपरेखा हमारे समक्ष उभर कर आती है वह सीखने के लिए स्वस्थ वातावरण निर्माण, कक्षा-कक्ष प्रक्रिया और परिणामों में वास्तविक बदलाव की मांग करती है। ‘‘आरटीई एक्ट-2009’’ और ‘‘एनसीएफ-2005’’ दोनों ही इस संदर्भ में आकलन प्रक्रिया के महत्त्व को स्पष्ट रूप से प्रकट करते हैं। एनसीएफ-2005 के अनुसार आकलन प्रक्रिया हमारी शिक्षा प्रणाली में निहित है।
शिक्षक विद्यालय में दैनिक आधार पर जो कुछ भी करते हैं, बच्चों का आकलन उनका एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, ऐसा क्यों है ? शिक्षक इसके लिए बहुत से कारण बताते हैं- एक महत्त्वपूर्ण कारण यह जानना है कि बच्चों को जो कुछ भी सीखना चाहिए, क्या वे सीख पा रहे हैं ? दूसरी वजह एक अवधि विशेष में बच्चों की प्रगति के बारे में भी जानकारी प्राप्त करना है।
जो भी हो तीसरी वजह, जिसको सिर्फ़ शिक्षक ही नहीं बल्कि हम सभी बहुत ही महत्त्वपूर्ण मानते हैं, वह यह पता लगाना है कि बच्चे की भिन्न-भिन्न विषय/क्षेत्रों में क्या उपलब्धियाँ रहीं। बच्चे की व्यक्तिगत और विशेष ज़रूरतों को पहचानने, अधिक उपयुक्त तरीकों के आधार पर अध्यापन और सीखने की स्थितियों की योजना बनाने के लिए भी आकलन की आवष्यकता है।
कोई भी बच्चे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, उनकी किन चीज़ों में विशेष रुचि है, वह क्या करना चाहते हैं और क्या नहीं, इन सबके प्रति समझ बनाने और महसूस करने में बच्चों की मदद करना आकलन से प्राप्त सूचना से ही सम्भव है। कक्षा में चल रही सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाना। बच्चे के प्रगति के प्रमाण तय कर पाना जिन्हें अभिभावकों और दूसरों तक संप्रेषित किया जा सके।
बच्चों के आकलन के प्रति व्याप्त भय को दूर करना और उन्हें स्व-आकलन के लिए प्रोत्साहित करना। प्रत्येक बच्चे के सीखने और विकास में मदद करना और सुधार की संभावनाएँ खोजना इन सभी कार्यो को सही तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए सतत एवं व्यापक मूल्याकंन प्रक्रिया को प्रदेष मे संचालित किया गया।
1. टर्मवार एवं कक्षावार पाठ्यक्रम विभाजन :- कक्षा 1 से 5 के लिए विषयवार टर्मवार पाठ्यक्रम विभाजन पुस्तिका उपलब्ध है। यह एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसके अन्तर्गत विषय से सम्बन्धित उद्देश्य, कक्षावार व टर्मवार पाठ्यक्रम एवं सूचकों का विवरण दिया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित सीखने के प्रतिफल के आधार पर इस पुस्तिका का निर्माण किया गया है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर सभी बच्चो का स्तर समान रूप से जाँचा जा सके।
टर्मवार एवं कक्षावार पाठ्यक्रम विभाजन पुस्तिका डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें
2. अध्यापक योजना डायरी – SIQE CCE में अध्यापक योजना डायरी एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसमें कक्षाओ से सम्बन्धित विषयो के लिए शिक्षण-आकलन कार्य योजना, समीक्षा एवं रचनात्मक आकलन चैकलिस्ट को सम्मिलित किया गया है। वर्तमान में विद्यालय की कक्षा 1 से 5 के विद्यार्थियो को पढ़ाने वाले प्रत्येक शिक्षक के लिए एक अध्यापक योजना डायरी का प्रावधान है।
अध्यापक योजना डायरी डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें
3. वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका -SIQE CCE में इस अभिलेख को एक रजिस्टर के रूप में तैयार किया गया है। इसमें प्रत्येक विद्यार्थी से संबंधित तीनो टर्मों का विवरण दर्ज किया जाना है। इस प्रकार इस रजिस्टर में लगभग 50 विद्यार्थियों की प्रगति को दर्ज किया जा सकता है। वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका विद्यार्थी के सीखने की प्रक्रिया के समेकन के प्रमाण को एक दृष्टि में प्रस्तुत करती है।
वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें
4. विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन – SIQE CCE में विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन विद्यार्थी को सत्र उपरांत प्रदान किया जाएगा। इस प्रपत्र में विद्यार्थी से संबंधित व्यक्तिगत सूचनाएँ एवं सभी विषयों (संज्ञानात्मक एवं सह संज्ञानात्मक क्षेत्रों) पर रही उपलब्धि का विवरण ग्रेड व समेकित टिप्पणी सहित उल्लेख किया जाएगा। विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन तैयार करने हेतु आकलन अभिलेख पंजिका में संधारित सूचनाओं को समेकित करते हुए लिखा जाएगा। यह अब शाला दर्पण के माध्यम से ऑनलाइन जारी होता हैं |
5. पोर्टफोलियो – SIQE CCE में पोर्टफोलियो एक ऐसी फाइल है जिसमें विद्यार्थी द्वारा किए गए कार्य के नमूनों को व्यवस्थित कर लगाया जाता है। यह प्रत्येक विद्यार्थी की अलग-अलग फाइल होती है। यह बच्चे की सृजनात्मकता, मौलिकता एवं शैक्षिक प्रगति का आईना है। प्रत्येक विद्यार्थी के सीखने में हो रहे परिवर्तनों को अथवा उत्तरोत्तर प्रगति को शिक्षक, अभिभावक एवं बच्चों को स्वयं देखने व समझने के लिए पोर्टफोलियो को संधारित किया जाना आवश्यक है। पोर्टफोलियो में प्रत्येक बच्चे के द्वारा किए जाने वाले विषय-क्षेत्रवार कार्यों के पत्रको व रचनात्मक कार्यो के पत्रको को वर्गीकृत करके लगाया जाएगा। प्रत्येक कार्यपत्रक शिक्षक द्वारा उद्देश्यों के सापेक्ष विश्लेषित करते हुए गुणात्मक टिप्पणी लिखकर लगाया जाएगा। इसको कक्षा-कक्ष में सुरक्षित स्थान पर रखा जाए, इनके संधारण में बच्चों की मदद ली जाए।
कार्यक्रम की प्रक्रिया
कार्यक्रम की संचालन सत्र पर्यन्त निम्नलिखित प्रक्रिया से किया जाना हैं –
| कार्य | प्रक्रिया |
|---|---|
| आधार रेखा व पद स्थापन | आधार रेखा/पदस्थापन हेतु सत्र के प्रारंभ में 15-20 दिन बच्चों के साथ पूर्व की कक्षा के कार्यों का दोहरान । जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में एक प्रष्नपत्र/कार्यपत्रक (टूल) द्वारा बच्चो का आधाररेखा/पदस्थापन आकलन किया जाएगा। इस पत्रक/टूल में मौजूदा स्तर से पूर्व की 1 से 3 कक्षाओं के स्तर की मुख्य क्षमताओं पर आधारित प्रश्न होने चाहिए। बच्चे द्वारा पहली बार विद्यालय में प्रवेष लेने पर आधाररेखा किया जाएगा। बच्चे द्वारा किसी निजि विद्यालय, अन्य राज्य के विद्यालय, NON CCE संचालित विद्यालय या आयु के अनुरूप प्रवेश लेने पर आधार रेखा आकलन किया जायेगा। कक्षा 1 में बच्चे का आधाररेखा आकलन नही होगा। स्वयं के विद्यालय से क्रमोन्नत होने या जिन विद्यालयो में सीसीई संचालित है उन विद्यालयो से आने आने वाले बच्चो का पदस्थापन किया जाएगा। आधाररेखा / पदस्थापन आकलन पत्रक / टूल में मौजूदा स्तर से पूर्व की 1 से 3 कक्षाओं के स्तर की मुख्य क्षमताओं (बुनियादी दक्षताओ) पर आधारित प्रश्न होने चाहिए। प्रत्येक बच्चे के आधाररेखा/ पदस्थापन टूल पर उसका कक्षा स्तर लिखना व उसके पोर्टफोलियो में संधारित करना। आधार रेखा आकलन हिन्दी, गणित एवं अंग्रेजी विषयों में ही किया जाना है। |
| समूहीकरण | आधाररेखा अथवा पदस्थापन से प्राप्त कक्षा स्तर के अनुसार प्रत्येक बच्चे का कक्षा स्तर तय करना। समान कक्षा स्तर के बच्चे को समूह 1 व समान कक्षा स्तर से नीचे बाने बच्चे को समूह 2 में रखना। चैकलिस्ट के प्रारूप एक में समान कक्षा स्तर के बच्चो के क्रमांक समूह 1 के कॉलम में व समान कक्षा स्तर से नीचे के बच्चो के क्रमांक समूह 2 के कॉलम में लिखना। योजना डायरी के प्रारूप 2 में समान कक्षा स्तर के बच्चो के नाम समूह 1 में दिए गये स्थान पर व समान कक्षा स्तर से नीचे के बच्चो के नाम समूह 2 में दिए गये स्थान पर लिखना। |
| पाठ्यक्रम एवं टर्म वार अधिगम उद्देश्यों को पढाना | बच्चों के लिए सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से पूर्व योजना निर्धारण एवं तैयारी के लिए पाठ्यपुस्तक के साथ पाठ्यक्रम एवं विषय के मुख्य उद्देश्यों को देखना भी आवश्यक है। शिक्षको द्वारा योजना बनाने के दौरान पाठों से सम्बन्धित अधिगम कार्य/उद्देश्य का निर्धारण किया जाना है। |
| योजना निर्माण | शिक्षक को योजना डायरी के प्रारूप 3 में 15 दिन की पाक्षिक योजना का निर्माण करना है। योजना निर्माण का कार्य 1 मई से 30 अप्रेल तक करना है। मई और जून में एक एक योजना (जब तक विद्यालय खुले) व जुलाई से अप्रेल तक प्रति माह 2 योजना (प्रत्येक पखवाडे में एक ) बनानी है। शिक्षण आकलन योजना निर्माण के लिए प्रत्येक षिक्षक को एक डायरी दी गई है। प्रत्येक षिक्षक द्वारा योजना डायरी में विद्यालय समय सारणी के अनुसार आवंटित विषयो के अनुरूप संबंधित कक्षाओं की योजना बनाई जाएगी। शिक्षक को योजना कक्षाओ की बैठक व्यवस्था के अनुसार बनानी है। यदि अलग अलग कक्षाओ के बच्चे एक साथ बैठे है, तो उन कक्षाओ की एक ही योजना बनानी है। जैसे- कक्षा 3,4 व 5 को एक साथ शमिल बैठाया है तो उन कक्षाओ की पाक्षिक योजना भी शामिल विषयवार एक-एक ही बनेगी। योजना में कुल कार्य दिवसो की संख्या लिखनी है तथा कार्य दिवसो के अनुसार ही योजना बनानी है जैसे- किसी पखवाड़े में 10 कार्य दिवस है तो योजना में गतिविधियॉ व कार्य 10 के दिन के अनुसार ही लिए जायेंगे। शिक्षक द्वारा प्रत्येक योजना में टर्म, कक्षा, विषय, योजना क्रमांक व पाठ/अवधारणा/थीम लिखे जाने है। योजना बनाने का मुख्य आधार विषय के संदर्भ में दिए गए अधिगम उद्देश्य (टर्मवार पाठ्यक्रम विभाजन में ) है। षिक्षक को योजना के लिए अधिगम उद्देष्यो का निर्धारण कर दिए गए स्थान पर उद्देश्य लिखने है। अधिगम उद्देश्य के अनुसार सामूहिक, उपसमूह व व्यक्तिगत गतिविधियॉ व कार्य योजना में शामिल करने है। योजना में अधिगम उद्देश्य के सापेक्ष गतिविधियो व कार्यो के साथ पाठ्यपुस्तक की गतिविधियॉ व अभ्यास कार्यो को भी शामिल करना है। सम्पूर्ण कक्षा के साथ प्रस्तावित गतिविधियो में कक्षा के सभी बच्चो (चाहे वे भिन्न भिन्न स्तर के हो) के लिए गतिविधियॉ व कार्य होंगे। ये गतिविधियॉ ऐसी हागी, जिनमें कक्षा के सभी बच्चे संलग्न हो सकें। ये गतिविधियॉ सामूहिक, उपसमूह (पीयर ग्रुप) व व्यक्तिगत होगी। समूह 1 के लिए क्षमता संवर्धन योजना में नामांकिम कक्षा स्तर के बच्चो के लिए गतिविधियॉ व कार्य होंगे। इसमें समान कक्षा स्तर की बुनियादी क्षमताओ के आधार पर गतिविधियॉ व कार्य लेने है। समूह 2 के लिए आवश्यकतानुसार शिक्षण योजना में कक्षा स्तर से नीचे स्थित बच्चो के लिए गतिविधियॉ व कार्य होगे। इसमे नामांकित कक्षा स्तर से नीचे कक्षा स्तर की बुनियादी क्षमताओ के उद्देश्यो को लिया जायेगा और उनके आधार पर गतिविधियॉ व कार्य लिए जायेगे। शिक्षक द्वारा योजना में सतत आकलन योजना का भी संधारण किया जाना है। सतत आकलन योजना में मुख्य रूप से उद्देष्य व गतिविधि/कार्य के सापेक्ष आकलन करने का तरीका लिखा जाना है। जैसे किसी एक सामूहिक गतिविधि में शिक्षक का आकलन करने का मुख्य तरीका अवलोकन करना और अनुभव डायरी में नोट करना हो सकता है। शिक्षक द्वारा बनाई गई योजना के अनुसार कक्षा-कक्ष में गतिविधियो/कार्यो का क्रियान्वयन करना है। षिक्षक को सतत आकलन योजना के अनुसार सतत आकलन भी करना है। शिक्षक को योजना की आवश्यकता व अनिवार्य रूप से साप्ताहिक समीक्षा करनी है। साप्ताहिक समीक्षा योजना के अनुसार किए गये कार्यो से बच्चो के सीखने से संबंधित होगी। समीक्षा में उद्देष्यो को प्राप्त करने में आई चुनौती, गतिविधियो व कार्यो की बच्चो की सलंग्नता व सीखने की स्थिति के संदर्भ उपयुक्तता तथा बच्चो के सीखने की स्थिति के आधार पर योजना मे बदलाव अपेक्षित है। शिक्षक को योजना की पाक्षिक समीक्षा करनी है। पाक्षिक समीक्षा का आधार उद्देश्यो की प्राप्ति की स्थिति ,बच्चे की प्रगति की स्थिति व आगामी योजना हेतु आकलन सूचना प्रदान करना है। इस समीक्षा से उन उद्देष्यो पर आगे काम किया जा सकेगा जिन उद्देष्यो को इस समयावधि में पूरा नही किया जा सका। शिक्षक को योजना के अनुसार कार्य करने के बाद योजना से प्राप्त हुए सीखने के प्रतिफलो को लिखना है। यहॉ बच्चो द्वारा प्राप्त मुख्य सीखने के प्रतिफलो (लर्निग आउटकम) को लिखना है। योजना पर विद्यालय के संस्थाप्रधान द्वारा अभिमत लिखा जाना है। संस्थाप्रधान योजना निर्माण, योजना व गतिविधियो क्रियान्विति, साप्ताहिक व पाक्षिक समीक्षा, अधिगम समप्राप्ति को देखकर अपना अभिमत लिखेंगे। |
| रचनात्मक आकलन एवं चेकलिस्ट | शिक्षक शिक्षण के दौरान प्रत्येक बच्चे का सतत रचनात्मक आकलन करेंगे। सतत रचनात्मक आकलन को चैकलिस्ट में दर्ज करेंगे। रचनात्मक आकलन के लिए षिक्षक का अवलोकन, अनुभव डायरी, गृहकार्य, कक्षा कार्य, कार्यपत्रक, परिचर्चा, मौखिक क्रियाएं , योजना डायरी की समीक्षा आदि टूल के रूप होंगे। शिक्षक कार्यपत्रक, कक्षा कार्य, गृहकार्य, आदि में बच्चे द्वारा किये गये कार्य पर टिप्पणी देकर आकलन करेंगे। शिक्षक चैकलिस्ट के प्रारूप 2 में रचनात्मक आकलन के टूल के अनुसार चैकलिस्ट का संधारण करेंगे। षिक्षक चैकलिस्ट में अधिगम उद्देश्यों सापेक्ष आकलन सूचको पर ग्रेड दर्ज करेंगे। अधिगम उद्देश्यों के सापेक्ष आकलन सूचक अधिगम क्षेत्रवार दिये गये है। प्रत्येक आकलन सूचक पर दो आवृति में ग्रेड दर्ज की जानी है। आवृति 1 में उस आकलन सूचक पर पहली बार कार्य करने व आवृति 2 में उसी आकलन सूचक पर दूसरी बार कार्य करने पर ग्रेड दी जायेगी। चैकलिस्ट में दर्ज की जाने वाली ग्रेड मुख्य रूप से एक चिह्न के समान है। शिक्षक ग्रेड के माध्यम से बच्चो की स्थिति को आकलन सूचक पर दर्ज करते है। ग्रेड को लिखने का आधार – A. स्वतंत्र रूप से कार्य कर पाना या अपेक्षित स्तर की समझ/दक्षता होना। B. शिक्षक की सहायता से कार्य कर पाना या मध्यम स्तर की समझ/दक्षता होना। C शिक्षक की विशेष सहायता से कार्य कर पाना या आरम्भिक स्तर की समझ/दक्षता होना। शिक्षक चैकलिस्ट के प्रारूप 2 में नामांकिम कक्षा स्तर (समूह 1) के सभी बच्चो की ग्रेड अंकित करेंगे परन्तु नामांकित कक्षा स्तर से नीचे (समूह 2)वाले बच्चों की बुनियादी क्षमताओ (बुनियादी अधिगम क्षेत्र) को छोड़कर अन्य सभी अधिगम क्षेत्रो पर ग्रेड अंकित की जाएगी। चैकलिस्ट में दी गई बुनियादी क्षमताओं से संबंधित सतत रचनात्मक आकलन की स्थिति, प्रारूप 3 में कक्षा स्तर के नीचे वाले बच्चो की बुनियादी क्षमताओ (अधिगम क्षेत्र) पर ग्रेड दर्ज की जाएगी। शिक्षक टर्म के दौरान कार्य करते हुए अपने अनुभवो को प्रारूप 4 में लिखेंगे। |
| योगात्मक आकलन | योगात्मक आकलन एक निश्चित अवधि के उपरांत बच्चे की शैक्षिक उपलब्धि का आकलन करता है। बच्चों की प्रगति को साल भर में एक बार देखने से वास्तविक रूप में उनके सीखने की गति, सीखने में आ रही समस्याओं एवं प्रगति आदि को ठीक से नहीं आंका जा सकता है। अतः सालभर में तीन बार बीच में ठहर कर देखते रहने से स्वयं की काम की समीक्षा के साथ-साथ बच्चों की प्रगति को देखते रहने से उन्हें उचित प्रतिपुष्टि मिलती रहती है। जो कि सीखने-सिखाने में मददगार होती है। शिक्षक प्रत्येक टर्म के अन्त में बच्चो का योगात्मक आकलन लेंगे। शिक्षक योगात्मक आकलन करने के लिए प्रश्न (पेपर पेन्सिल टेस्ट) का निर्माण करेंगे। इसके लिए आकलन की एक टैक्सॉनामि को काम मे लिया जाता है। जिसके अनुरूप तार्किक फ्रेमवर्क (ब्लूपिंट) का एक स्वरूप बनाया गया है तथा इस फ्रेमवर्क में दिये अधिगम क्षेत्रो व शैक्षिक उद्देष्यो के अनुसार एक टर्म का लिखित आकलन के लिए योगात्मक आकलन के टूल का निर्माण किया जाता है। जो बच्चे अपनी कक्षा के स्तर पर नहीं हैं उन बच्चों के योगात्मक आकलन हेतु बुिनयादी क्षमताओं पर आधारित प्रश्न होंगे जिस स्तर पर अमुक टर्म में बच्चों के साथ काम कराया गया है। इसका तात्पर्य सीधा-सीधा यही हुआ कि कक्षा स्तर के बच्चो का एक टूल होगा तथा कक्षा स्तर से नीचे के बच्चो के लिए अलग टूल होगा, जो शिक्षक अपनी कक्षा की स्थिति के अनुसार बना सकेंगे। चैकलिस्ट के प्रारूप 5 में टर्मवार योगात्मक आकलन की ग्रेड का निर्धारण सतत रचनात्मक आकलन की चैकलिस्ट, योजना डायरी की समीक्षा,शिक्षक के अनुभवो व पेपर पेन्सिल टेस्ट के आधार पर किया जाएगा। योगात्मक आकलन की सूचना के अनुसार प्रत्येक बच्चे कर प्रगति को वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका में दर्ज करना है। इस पंजिका को संधारित करने हेतु पुस्तिका में दिये गये वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका की प्रविष्टियों के लिए निर्देषो का अध्ययन किया जाना अपेक्षित है। वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका एक रजिस्टर के रूप में तैयार किया गया है। इसमें प्रत्येक विद्यार्थी से संबंधित तीनो टर्मों का विवरण दर्ज़ किया जाना है। इस प्रकार इस रजिस्टर में लगभग 50 विद्यार्थियों की प्रगति को दर्ज़ किया जा सकता है। विभिन्न विषयो में अधिगम क्षेत्रो के सापेक्ष ग्रेड का अंकन सतत रचनात्मक एवं योगात्मक आकलन की पुस्तिका (चैकलिस्ट) में दर्ज योगात्मक मूल्यांकन की समेकित ग्रेड व शिक्षक के अनुभव के अनुसार होगा। |
| शिक्षक, विद्यार्थी एवं अभिभावक के साथ शेयरिंग बैठक के दौरान पृष्टपोषण | बच्चे की सीखने की स्थिति को अभिभावक के साथ शेयर करना, उनसे बच्चे के सीखने के बारे में तथा विद्यालय की कार्य प्रक्रिया के बारे में रचनात्मक सुझाव प्राप्त करना, इस प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। सीसीई स्कीम के तहत एक सत्र में दो बार यानि प्रथम योगात्मक और तृतीय योगात्मक आकलन की शेयरिंग के समय इस बैठक को किया जाना है। उनके द्वारा दी गई प्रतिपुष्टि को सतत एवं व्यापक आकलन अभिलेख में नियत स्थान पर दर्ज़ किया जाएगा। |
- SIQE CCE के अंतर्गत कक्षा 5 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन एक पृष्ठीय प्रश्न पत्र
- SIQE CCE के अंतर्गत कक्षा 4 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन एक पृष्ठीय प्रश्न पत्र
- SIQE CCE के अंतर्गत कक्षा 3 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन एक पृष्ठीय प्रश्न पत्र
- SIQE CCE के अंतर्गत कक्षा 2 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन एक पृष्ठीय प्रश्न पत्र
- SIQE CCE के अंतर्गत कक्षा 1 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन एक पृष्ठीय प्रश्न पत्र
- SIQE के अंतर्गत CCE आधारित प्रथम योगात्मक सेम्पल प्रश्न पत्र
- हवामहल साप्ताहिक ई-पत्रिका
- हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड में की जाने वाली महत्वपूर्ण टिप्पणियां
- Class Wise Half Yearly Exam Sample Papers 2022-23 अर्द्ध वार्षिक परीक्षा व द्वितीय योगात्मक नमूना प्रश्न पत्र यंहा से डाउनलोड करे
- CLASS 2 SUMMATIVE ASSESSMENT 2 SINGLE PAGE SAMPLE PAPERS 2022-23 कक्षा 2 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन 2022-23
- CLASS 3 SUMMATIVE ASSESSMENT 2 SINGLE PAGE SAMPLE PAPERS 2022-23 कक्षा 3 द्वितीय योगात्मक मूल्यांकन 2022-23
कक्षा 10 के लिए विज्ञान विषय का शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
आपसे सहयोग की अपील
🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻
आप मित्रो से आग्रह हैं कि हमने बड़ी मेहनत से इस आर्टिकल की 💯% शुद्धता के साथ, सटीक और ऑफिशियल जानकारी आपके लिए एकत्र करके SHARE की हैं | इस कार्य में हमारे मित्रो की टीम ने मिलकर सहयोग किया हैं 🙏🏻 अत: आप इस पोस्ट के लिंक को अपने मित्रो, साथियों और सहकर्मियों तक सोशल मिडिया प्लेटफोर्म पर जरूर शेयर करें और नीचे दिए सोशल मीडिया से जरूर जुड़े|
आपके लिए महत्वपूर्ण उपयोगी नवीन जानकारी जरूर देखें










