प्रश्न : राज्य बीमा पॉलिसी के परिलाभ एंव पॉलिसी का बीमा धन ज्ञात करना ? To find out the benefits of the state insurance policy and the sum insured of the policy
राज्य बीमा (State Insurance Scheme for Rajasthan Government employees.) राज्य कर्मचारियों, पंचायत समिति एवं जिला परिषद के कर्मचारियों तथा सरकार द्वारा नियमित किये गये वर्कचार्ज कमचारियों का राज्य सरकार से अनुबंध है जिसके अन्तर्गत बीमेदार द्वारा बीमाकर्ता (राज्य बीमा विभाग) को नियमित प्रीमियम देने पर बीमेदार अथवा उसके मनोनीत को किसी घटना विशेष के घटित होने पर पूर्व निश्चित धन राशि के भुगतान हेतु आश्वस्त किया जाता है अथवा सेवानिवृत्ति पर बीमाधन एवं देय बोनस राशि का भुगतान किया जाता है।
बीमाधन क्या है ?
बीमानुबंध में प्रविष्टि पर बीमेदार की आगामी वर्षगांठ पर आयु एवम् उसके द्वारा देय प्रीमियम के आधार पर राशि, जो कि घटना विशेष के घटित होने पर देय है, बीमाधन कहलाती है।
राज्य बीमा योजना (State Insurance Scheme) क्या है ?
राज्य बीमा योजना (State Insurance Scheme) राज्यकर्मियों के जीवन पर जोखिम वहन करने वाली एक कल्याणकारी योजना है जिसके द्वारा बचत को प्रोत्साहन देने के साथ साथ राज्यकर्मी तथा उसके परिजनों को आर्थिक सम्बल प्राप्त होता है।
योजना किन नियमों के अन्तर्गत लागू है ?
राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम, 1998 के अन्तर्गत यह योजना लागू है। पूर्व में यह योजना वर्ष 1953 के नियमों के अन्तर्गत लागू थी ।
योजना कब से एवम् किन-किन श्रेणियों के कर्मचारियों पर अनिवार्य / ऐच्छिक रूप से लागू है ?
योजना विभिन्न चरणों में निम्न प्रकार से लागू की गयी है –
01.08.1943 से तत्कालीन जयपुर रियासत के कर्मचारियों पर,
01.01.1954 से राजस्थान सरकार के कर्मचारियों पर,
01.04.1989 से पंचायत समिति एवम् जिला परिषद् के कर्मचारियों पर,
01.04.1995 से राज्य सरकार द्वारा नियमित किये गये वर्कचार्ज कर्मचारियों पर अनिवार्य रूप से तथा
01.04.1998 से सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों राजस्थान सरकार के अधीन के किसी पब्लिक सैक्टर उपक्रम के अधीन पद धारण करने वाले किसी कर्मचारी का इस बीमा स्कीम के अधीन बीमा करने के के लिये स्वतंत्र होगा यदि उक्त उपक्रम के 50 प्रतिशत या उससे अधिक कर्मचारी बीमा कराने के लिये सहमत हों एवम् राजस्थान केडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर ऐच्छिक रूप से ।
कर्मचारी कब बीमित होता है ?
कर्मचारी के सेवा में प्रविष्ट होने के दो वर्ष (परिवीक्षा काल ) पूर्ण होने के पश्चात् आने वाले मार्च से कर्मचारी बीमित होगा। इसके लिए मार्च माह के वेतन में प्रीमियम की प्रथम कटौती की जाती है। कर्मचारी के वेतन में वृद्धि होने अथवा बीमा की खण्ड दर में परिवर्तन होने पर बढ़ी हुई दर पर प्रीमियम की कटौती भी आगामी मार्च माह के वेतन से दिये जाने का प्रावधान है।
वर्तमान में प्रीमियम कटौती दर क्या है ?
राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प.13 (21) वित्त / राजस्व / 76 पार्ट जयपुर दिनांक 13.03.2020 के अनुसार वर्तमान में प्रीमियम की कटौती दर निम्न प्रकार है:
क्रम संख्या | वेतन स्लेब / पे स्लेब | न्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी जानी अनिवार्य है। |
अधिकतम प्रीमियम कटौती करवाई जा सकती है। |
1 | 22000 तक | 800 | 2200 |
2 | 22001 से 28500 | 1200 | 3000 |
3 | 28501 से 46500 | 2200 | 5000 |
4 | 46501 से 72000 | 3000 | 7000 |
5 | 72001 से अधिक | 5000 | 7000 |
6 | अधिकतम | 7000 | 7000 |
उल्लेखनीय है कि कर्मचारी अपनी नियत वेतन खण्ड से दो स्लेब अधिक स्वेच्छा से बीमा प्रीमियम की कटौती करवा सकता हैं किन्तु प्रिमियम में वृद्धि 55 वर्ष की आयु तक ही मान्य हैं इसके बाद प्रिमियम स्थिर रहता है ।
क्या स्वयम् को अधिक बीमाधन के लिए बीमित करवाया जा सकता है ?
वेतन खण्ड के लिए निर्धारित प्रीमियम की कटौती करवाना अनिवार्य है। हाँ, यदि कोई बीमेदार चाहे तो स्वेच्छा से अपने वेतन खण्ड से आगामी दो वेतन खण्डों के लिए निर्धारित दर पर कटौती करवाकर अधिक बीमाधन के लिए भी बीमित हो सकता है। लेकिन वेतनखण्ड 05 के अन्तर्गत आने वाले बीमेदार अधिकतम 7000/- रू. प्रतिमाह तक की ही कटौती करवा सकते हैं।
क्या इस योजना के अन्तर्गत की गयी कटौतियों पर आयकर में छूट का प्रावधान है ?
हॉ, इस योजना के अन्तर्गत जमा प्रीमियम राशि पर धारा 80ब आयकर अधिनियम 1961 के अन्तर्गत आयकर में छूट का प्रावधान है।
क्या राज्य सरकार पॉलिसी के अन्तर्गत देय लाभों के भुगतान की गारण्टी देती है ?
हाँ, राज्य सरकार बीमा संविदाओं के अन्तर्गत देय लाभों के राज्य की संचित निधि से भुगतान की गारण्टी देती है।
बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत देय लाभों का भुगतान कब कब एवम् किन किन परिस्थितियों में देय है ?
परिपक्वता / मृत्यु / अध्यपर्ण राशि का योजना के अन्तर्गत निम्न परिस्थितियों में भुगतान देय है:
बीमेदार की मृत्यु होने पर उसके मनोनीत को,
पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमेदार को,
पॉलिसी की परिपक्वता तिथि से पूर्व बीमेदार राज्य सेवा छोड़ने या उसे सेवा से अलग कर दिये जाने पर उसके द्वारा अन्य किसी विकल्प को न चुनने की स्थिति में बीमेदार को अध्यर्पण राशि का भुगतान किया जाता है।
राज्य बीमा योजना से राज्य कर्मियों को क्या लाभ मिलते है ?
प्रीमियम के बदले बीमेदार को पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमाधन मय बोनस प्राप्त होता है। परिपक्वता तिथि से पूर्व बीमेदारकी मृत्यु होने पर उसके मनोनीत को बीमाधन की दो गुनी राशि का भुगतान मय बोनस किया जाता है।
परिपक्वता तिथि से पूर्व राज्य सेवा से अलग हो जाने वाले बीमेदारों के प्रकरणों में उनके द्वारा अध्यर्पण भुगतान के विकल्प का चयन करने की स्थिति में, अध्यर्पण राशि (सेवा से अलग होने तक की पॉलिसी अवधि से सम्बन्धित अध्यर्पण गुणांक के आधार पर निर्धारित) का भुगतान किया जाता है।
बीमाधन की गणना का आधार एवम् प्रक्रिया क्या है ?
राज्य बीमा पॉलिसियों के बीमाधन की गणना हेतु योजना में बीमेदार की प्रविष्टि पर आयु हेतु गुणक निर्धारित है। बीमेदार की आगामी वर्षगांठ पर आयु से सम्बन्धित गुणांक को उसके द्वारा देय मासिक प्रीमियम से गुणा कर बीमाधन निर्धारित किया जाता है।
कालान्तर में निर्धारित प्रीमियम दर से अधिक कटौती की स्थिति उत्पन्न होने पर देय अतिरिक्त बीमाधन की गणना भी उपर्युक्तानुसार की जाती है।
विभाग द्वारा कितने प्रकार की पॉलिसी जारी की जाती है ?
वर्तमान में विभाग द्वारा केवल सावधि (एण्डोमेंट) पॉलिसी जारी की जाती है। पूर्व में सावधि पालिसी के अतिरिक्त आजीवन पालिसी भी जारी की जाती थी।
सावधि बीमा पॉलिसी पर कितने प्रकार के बोनस देय है ?
सावधि बीमा पॉलिसी पर चार प्रकार के बोनस देय हैं:
रिवर्शनरी बोनस:– यह बोनस प्रति वर्ष बीमा निधि के मूल्यांकन के आधार पर मूल्यांकन अवधि के अंत में प्रवृतमान पॉलिसियों हेतु राज्य सरकार द्वारा घोषित दर से दिया जाता है। वर्ष 2015-16 के लिए रिवर्शनरी बोनस की दर सावधि पॉलिसी पर 90/- प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष है एवम् प्रवृतमान आजीवन पॉलिसी पर 112.5 /- प्रति हजार बीमाधन प्रतिवर्ष है।
अंतरिम बोनस:- यह बोनस किसी वर्ष रिवर्शनरी बोनस घोषित न किये जाने की स्थिति में घोषित वर्ष के रिवर्शनरी बोनस की दर के आधार पर दिया जाता है।
अतिरिक्त बोनस: यह बोनस पूर्व में जारी समाश्वासनो (एश्यारेंसेज) पर सेवा निवृति की आयु में परिर्वतन के कारण मूल्यांकक (एक्च्यूरी) द्वारा निर्धारित गुणांक की दर से दिया जाता है।
टर्मिर्नल बोनस:– यह बोनस बीमा पॉलिसी के पूर्ण अवधि तक जारी रहने की स्थिति में दिया जाता है। वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर इसकी दर 4 /- प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष है।
बोनस निर्धारण का आधार एवम् प्रक्रिया क्या है ?
बोनस निर्धारण हेतु योजना के अन्तर्गत वर्ष की प्राप्तियों, भुगतान, ब्याज प्राप्तियाँ एवम् प्रबन्धकीय व्यय के आधार पर सम्पतियों एवम् दायित्वों की बैलेन्सशीट तैयार की जाती है। बैलेन्सशीट में अधिशेष की स्थिति में मूल्यांकक कुल बीमाधन के आधार पर प्रति हजार बीमाधन के लिए बोनस दर की अनुशंषा करता है। मूल्यांकक की अनुशंषा के आधार पर राज्य सरकार राज्य बीमा पॉलिसी पर बोनस के आदेश जारी करती है। स्वत्व राशि के निर्धारण के समय विभिन्न अवधियों के लिए घोषित बोनस दरों के अनुसार बीमाधन पर बोनस राशि की गणना की जाती है।
क्या राज्य सरकार द्वारा निधि में जमा राशि पर ब्याज दिया जाता है ?
निधि में जमा राशि पर राज्य सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है। वर्तमान में राज्य सरकार के आदेश क्रमांक एफ4 (99) एफडी / रेवेन्यु / 92 दिनांक 17.04.2020 के द्वारा इसकी दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक है।
क्या बीमा योजना में बीमेदार को ऋण की सुविधा उपलब्ध है ?
योजना के अन्तर्गत बीमेदार द्वारा कुछ शर्तों के अधीन ऋण प्राप्त किया जा सकता है ।
अधिक कटौती किस आयु तक की जा सकती है ?
अधिक कटौती 55 वर्ष की आयु तक की जा सकती है।
क्या बीमा ऋण पर विभाग द्वारा ब्याज लिया जाता है ?
वर्तमान में दिनांक 01.04.2020 से बीमा ऋण पर बीमेदार से लिये जाने वाले ब्याज की दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक है। नवीन बीमा नियमों के अन्तर्गत निधि पर देय एवम् ऋण प्रकरणों में लागू ब्याज दर में समानता निधि द्वारा अर्जित ब्याज के परिप्रेक्ष्य में लाई गई है।
राज्य बीमा योजना में नाम निर्देशिती किसे किया जावे ?
बीमाकृत व्यक्ति अपने पति / पत्नि, संतान / संतानों, भ्राता (भ्राताओं), बहिन (बहिनों), पिता या माता को नाम निर्देशिती रूप में नियुक्त करने का हकदार होग। यदि नाम निर्देशन करते समय उल्लेखित कोई भी संबंधी जीवित नही है तो, अन्य व्यक्ति को अपने नाम निर्देशिती के रूप में नियुक्त करने का हकदार होगा।
परन्तु यह कि बीमाकृत व्यक्ति के विवाह के पूर्व किसी भी व्यक्ति के पक्ष में किया गया और तत्पश्चात रद्द नही किया गया नाम निर्देशन उसके विवाह के पश्चात उसी पत्नि / पति के पक्ष में स्वतः रद्द किया हुआ समझा जायेगा ।
परिपक्वता के पश्चात् पॉलिसी जारी रखना ?
बीमाकृत व्यक्ति को उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पश्चात् आने वाले 31 मार्च तक बीमे को जारी रखने की अपनी इच्छा व्यक्त करने को विकल्प होगा। ऐसी स्थिति में बीमाकृत राशि, विस्तारित अवधि के बोनस सहित, उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पश्चात आने वाले प्रथम अप्रैल को संदेय होगी।
पुनरीक्षित वेतनमान 2017 में बीमा प्रीमियम की दरें
वेतन स्लेब / पे स्लेब | न्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी जानी अनिवार्य है। |
अधिकतम प्रीमियम कटौती करवाई जा सकती है। |
|
01 | 22000 तक | 800 | 2200 |
02 | 22001 से 28500 | 1200 | 3000 |
03 | 28501 से 46500 | 2200 | 5000 |
04 | 46501 से 72000 | 3000 | 7000 |
05 | 72001 से अधिक | 5000 | 7000 |
06 | अधिकतम | 7000 | 7000 |
सातवें वेतन आयोग के अनुसार सामान्यतः कर्मचारियों का मूल वेतन 22001 से 28500 एवं 28501 से 46500 के बीच है इन दोनों बेतन स्लेव के मुताबिक न्यूनतम व अधिकतम प्रिमियम के आधार पर वार्षिक वोनस की गणना कर आपको इस पालिसी के न्यूनतम कटोती एवं अधिकतम कटौती के अन्तर एवं लाभ को समझाया जा रहा है ।
20 साल का एक कर्मचारी एक वर्ष में 21600 रुपये अधिक प्रीमियम का भुगतान कर 94284 रुपये एवं 25 वर्ष आयु का एक कर्मचारी वर्ष में 33600 रुपये अधिक भुगतान कर 122976 रुपये का अधिक बोनस लाभ प्राप्त कर सकेगा। राज्य सरकार द्वारा कर्मचारी को इस पॉलिसी पर न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण की सुविधा व सेवानिवृति पर अत्यधित आर्थिक परिलाभ दिया जाता है। किसी कार्मिक के साथ अनहोनी घटित हो जाने के बाद उसके परिवार को इस योजना के तहत बहुत अधिक आर्थिक सम्बल मिलेगा।
नियमों की जानकारी के अभाव में हम केवल न्यूनतम कटोती करवाये जाने के कारण इस कल्याणकारी योजना से मिलने वाले अधिकतम बोनस का फायदा नहीं उठा पाते है। अधिकतर कर्मचारी आयकर से छूट हेतु एल.आई.सी. या पी.एल.आई. या अन्य कम्पनियों की बीमा योजना का सहारा लेते है जबकि उक्त योजना में परिलाभ उपर्युक्त बीमा कम्पनियों की योजनाओं से दुगुना है। राज्य बीमा योजना अतिलाभकरी बीमा योजना है।
राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक कार्मिक की अनिवार्यता राज्य बीमा पॉलिसी की जाकर उसके वेतन से प्रतिमाह प्रिमियम की कटौती की जाती है। राज्य बीमा पॉलिसी के बीमा धन की गणना हेतु निम्न सूचनाओं की आवश्यकता होती हैं।
1. बीमा कटौती प्रारम्भ होने की तिथि (DOR) : राज्य बीमा योजना में प्रथम व अधिक कटौती सदैव माह मार्च देय अप्रैल के वेतन से ही होती हैं अतः प्रथम अप्रैल को बीमा कटौती की जोखिम वहन तिथि कहलाती हैं।
2. कर्मचारी की जन्म तिथि : प्रत्येक बीमित कर्मचारी की जन्म तिथि
3. कर्मचारी की आयु कर्मचारी की जोखिम बहन तिथि पर आयु ज्ञात करना जिससे जोखिम तिथि या उसके बाद अगली जन्म तिथि पर आयु क्या होगी।
आयु ज्ञात करने के आधार | ए कार्मिक | बी कार्मिक |
अनुबंध तिथि (DOR ) | 01.04.2018 | 01.04.2018 |
कर्मचारी की जन्म तिथि | 05.04.2000 | 05.02.1988 |
अन्तर | 00.00.0018 | 00.02.0030 |
अनुबंध तिथि पर आयु | 18 वर्ष | 31 वर्ष |
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4. बीमा पॉलिसी की अवधि वर्तमान में राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्त आयु 60 वर्ष हैं अतः कार्मिक को 60 वर्ष की आयु तक प्रिमियम चुकाना हैं अतः बीमा पॉलिसी की अवधि सेवानिवृति की आयु तक होती हैं। जैसे सेवानिवृति आयु (60–18) वर्ष = 42 वर्ष बीमा अवधि, सेवा निवृति आयु (60-31 ) वर्ष = 29 वर्ष बीमा अवधि है।
5. बीमा प्रिमियम राशि : राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर वेतन खण्ड के आधार पर बीमा प्रिमियम निर्धारित किया जाता हैं जो वर्तमान में इस प्रकार हैं-
वेतन स्लेब / पे स्लेब | न्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी जानी अनिवार्य है। | अधिकतम प्रीमियम कटौती करवाई जा सकती है। | |
01 | 22000 तक | 800 | 2200 |
02 | 22001 से 28500 | 1200 | 3000 |
03 | 28501 से 46500 | 2200 | 5000 |
04 | 46501 से 72000 | 3000 | 7000 |
05 | 72001 से अधिक | 5000 | 7000 |
06 | अधिकतम | 7000 | 7000 |
उल्लेखनीय है कि कर्मचारी अपनी नियत वेतन खण्ड से दो स्लेब अधिक स्वेच्छा से बीमा प्रीमियम की कटौती करवा सकता हैं किन्तु प्रिमियम में वृद्धि 55 वर्ष की आयु तक ही मान्य हैं इसके बाद प्रिमियम स्थिर रहता है ।
6. बीमा परिपक्वता तिथि: सेवानिवृत माह के अगले 1 अप्रैल को बीमा पॉलिसी परिपक्व होती है एवं बीमित को बीमा पॉलिसी का परिलाभ का भुगतान किया जाता है।
7. एक रुपये की प्रिमियम देय बीमाधन : 1 रुपये की प्रिमियम पर देय बीमा धन की गणना निम्नलिखित तालिका से जोखित वहन तिथि पर ज्ञात आयु के फेक्टर को 1 रुपये का बीमा धन माना जाता है।
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एक रुपया प्रिमियम का बीमाधन
बीमा कटौती प्रारम्भ होने या अधिक कटौती प्रारम्भ होने पर कर्मचारी की आयु |
बीमा धन | बीमा कटौती प्रारम्भ होने या अधिक कटौती प्रारम्भ होने पर कर्मचारी की आयु |
बीमा धन |
18 | 622 | 35 | 314 |
19 | 602 | 36 | 298 |
20 | 582 | 37 | 282 |
21 | 562 | 38 | 265 |
22 | 544 | 39 | 251 |
23 | 525 | 40 | 237 |
24 | 507 | 41 | 224 |
25 | 488 | 42 | 210 |
26 | 470 | 43 | 196 |
27 | 451 | 44 | 182 |
28 | 433 | 45 | 169 |
29 | 415 | 46 | 155 |
30 | 398 | 47 | 144 |
31 | 381 | 48 | 132 |
32 | 364 | 49 | 121 |
33 | 348 | 50 | 109 |
34 | 331 | – | – |
8. बीमाधन- एक रुपया के बीमाधन फेक्टर को प्रिमियम से गुणा करके ज्ञात किया जाता हैं जिसकी सरलतम गणना निम्न काल्पनिक सारणी से-
बीमाधन गणना के बिन्दु | ए कर्मचारी | बी कर्मचारी |
DOR | 01.04.2018 | 01.04.2018 |
DOB | 05.04.2000 | 05.02.1988 |
आयु | 00.00.0018 | 00.02.0030 |
अवधि | 18 वर्ष | 31 वर्ष |
प्रिमियम | 1300 | 3000 |
DOM | 01.04.2061 | 01.04.2048 |
बीमाधन फेक्टर | 622 | 381 |
बीमाधन=फेक्टर x प्रिमियम | 622 x1300=808600 | 381 x3000=1143000 |
प्रतिवर्ष बोनस | 72774 | 102870 |
राज्य सरकार द्वारा राज्य बीमा पॉलिसी पर प्रतिवर्ष बोनस की घोषणा की जाती है। बोनस की घोषणा प्रति हजार बीमा धन के आधार पर होती हैं वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा सामान्यतः प्रति हजार बीमा धन पर 90 रुपये बोगस दिया जा रहा है। कर्मचारी स्वय बीमा धन को बोनस की दर से गुणा करके उसमें 1000 का भाग देकर बोनस की राशि ज्ञात कर सकता है। अतः ऊपर के उदाहरण से स्पष्ट है ।
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10. अगर कर्मचारी को पॉलिसी पूर्व में जारी हैं और वेतन वृद्धि या राज्य सरकार द्वारा प्रिमियन की दरों में परिर्वतन या कर्मचारी द्वारा एक या दो स्लेव अधिक कटौती करवाये जाने पर राज्य बीमा विभाग द्वारा बढे हुए प्रिमियम पर अलग समाश्वासन जारी किये जाते हैं जिस पर बीमाधन व बोनस गणना निम्न प्रकार होगी ।
- जैसे किसी कार्मिक को 01.04.2016 को बीमाधन 5,00000
- बोनस गणना – 01.04.2016 से 31.03.2017 तक 500000×90 1000 = 45000
- 01.04.2017 को प्रिमियम वृद्धि से बीमाधन 2,00000
- बोनस गणना 01.04.2017 से 31.03.2018 तक 700000×90 1000 = 63000
बोनस की राशि बीमेदार को प्रतिवर्ष निहित हो जाती हैं किन्तु इसका भुगतान स्वत्व (दावा) के साथ किया जाता है। इससे पूर्व देय नहीं है। बीमा पॉलिसी के परिपक्व होने पर परिपक्वता दावे के समय पॉलिसी पर टर्मिनल बोनस भी दिया जाता है।
11. बीमा पॉलिसी धारक की परिपक्वता तिथि से पूर्व आकरिमक या सामान्य मृत्यु होने पर राज्य सरकार द्वारा बीमाधन की दुगुनी राशि (कार्मिक ए की पॉलिसी पर 1617200 रुपये व कार्मिक बी की पॉलिसी पर 2286000 रुपये) बोनस सहित भुगतान किया जाता है। चाहे कार्मिक की मृत्यु प्रथम माह का प्रिमियम अदा करने के बाद हो गई हो ।
12. राज्य कर्मचारी अपनी बीमा पॉलिसी पर ऋण ले सकता है जो अधिकतम 60 किश्तों में अदा करना होता है एव जिस पर 8 प्रतिशत ब्याज ऋण राशि चुकने के बाद ली जाती है।
13. मनोनयन- किसी कार्मिक के अविवाहित होने पर उसके द्वारा राज्य बीमा पॉलिसी में जिसे मनोनित नियुक्त किया जाता है। शादी होने के बाद वह मनोनयन स्वतः ही पत्नी के पक्ष में हो जाता है परन्तु अन्य मामलों में कर्मचारी स्वय राज्य बीमा विभाग के संबंधित जिला कार्यालय में आवेदन पत्र के जयें मनोनयन में परिर्वतन करवा सकता है।
14. प्रोबेशन पूर्ण होने के बाद Next मार्च से SI की कटौती प्रारम्भ की जाती है. इस हेतु कार्मिक को अपनी SSO-ID से प्रथम घोषणा पत्र भरना पड़ता है वह चाहे तो पहली बार स्लैब से एक या दो स्टेप आगे की कटौती करवा सकता है. उसको उस हिसाब में प्रीमीयम की राशि अपने घोषणा पत्र में सलेक्ट करनी पड़ती है.
15. एक अप्रैल को जिनकी आयु 55 वर्ष से कम है वह स्केब से एक या दो स्टेप अगली SI की कटौती बढ़ा सकते है. उनको SSO-ID से furthuer contract (अधिक घोषणा) पत्र भरना पड़ता है।
16. एक अप्रैल को जिनकी आयु 55 वर्ष या इससे अधिक हो रही है, इनके SI की वर्तमान कटौती यथावत रहेगी क्योकि SI द्वारा उनके रिस्क कवर नही की जाती है.
17. प्रथम या अधिक घोषणा पत्र भरने से पहले अपने DDO लॉगिन से पहले कार्मिक की सर्विस डिटेल्स, बेसिक Pay एवं नॉमिनी डिटेल्स को अपडेट करवाया जाना जरूरी है. State Insurance Deduction Rules
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18. SI की वर्तमान कटौती जो चल रही है वह किसी भी कारण से कम नही की जा सकती है।
19. किसी कर्मिक के प्रोबेशन पूर्ण हो चुका है, परन्तु स्थाईकरण एवम वेतन नियमितीकरण नही हुआ है. ऐसे मामले में स्थाईकरण के बाद जब नियमित वेतन का निर्धारण होगा. उसके एरियर से मार्च महीने की प्रथम SI कटौती की जायेगी एवं उसी समय उसका प्रथम घोषणा पत्र भरा जाएगा.
20. घोषणा पत्र भरने से पहले यह सुनिश्चित कर लेवे कि आपकी SIPF EMPLOYEE ID वर्तमान DDO के पास होनी चाहिए अन्यथा भरा गया घोषणा पत्र पुराने वाले DDO की ID पर शो होगा. ऐसी स्थिति में वर्तमान DDO से ID को Pull करे या पुराने DDO से ID नये DDO को ट्रांसफर करावे।
21. किसी का वेतन 5वे या 6ठे वेतनमान में आहरित हो रहा है उनकी SI की कटौती यथावत रहेगी. उनका जब 7 वे वेतनमान में फिक्सेशन होने के बाद एरियर बनेगा उसमे SI अंतर की राशि स्लैब अनुसार कटौती हो जाएगी.
22. जुलाई में वेतनवृद्धि लगने से SI की कटौती स्लैब के अनुसार बढ़ जाती है तो उसकी बढ़ोतरी Next मार्च से ही की जाती है।
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