कर्मचारी राज्य बीमा पॉलिसी के परिलाभ, कटौतियों एंव पॉलिसी का बीमा धन

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Benefits of the State Insurance Policy / कर्मचारी राज्य बीमा पॉलिसी के परिलाभ, कटौतियों एंव पॉलिसी का बीमा धन : नमस्कार कर्मचारी बंधुओं, राज्य बीमा पॉलिसी के परिलाभ और पॉलिसी का बीमा धन क्या होता है और किन परस्थितियो मे हमें राज्य बीमा का लाभ मिल सकता है? इसमें हम कितनी कटौती करवा सकते हैं? साथ ही इसमें अगर कोई परिवर्तन हो तो वो परिवर्तन भी किस प्रकार होते हैं, इन सभी के बारे में विस्तार से जानकारी है। वो हमने हमारे एक्स्पर्ट साथियों से और एसआईपीएफ के महत्वपूर्ण अधिकारियों / कर्मचारियों से चर्चा के बाद यहाँ पर आपसे शेयर की है। उम्मीद है कि आपको ये जानकारी पसंद आएगी और आप इस जानकारी को अधिकतम साथियों के साथ शेयर करेंगे।

 Benefits of the State Insurance Policy  / कर्मचारी राज्य बीमा पॉलिसी के परिलाभ, कटौतियों एंव पॉलिसी का बीमा धन :
Benefits of the State Insurance Policy / कर्मचारी राज्य बीमा पॉलिसी के परिलाभ, कटौतियों एंव पॉलिसी का बीमा धन :

Benefits of the State Insurance Policy

प्रश्न -1 हमारे प्रिंसिपल की sso id खोलने पर si further show नही हो रहा है बल्कि si first declaration show हो रहा है si की कटौती बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिये।

उत्तर- ऐसी स्थिति में कार्मिक के SI से सम्बंधित data आदिनांक अद्यतन नहीं होने के कारण हो सकता है अतः आप SSO DDO login से सम्बंधित कार्मिक की सम्पूर्ण Employee Details Update करें। साथ ही अगर कार्मिक का स्थानांतरण किसी दूसरे जिले में हुआ है तो उसे Pull करें उसका SI Bag अभी भी पूर्व SI Office में विद्यमान है तो ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए आप सम्बंधित SI office से सम्पर्क करें।

प्रश्न 2- एक कार्मिक की जन्मतिथि 1 जुलाई 1965 है। क्या वह इस मार्च 2020 के वेतन में राज्य बीमा कटौती बढ़वा सकता है ?

उत्तर- नियमानुसार कार्मिक की आयु 1 अप्रैल 2020 को 55 वर्ष से कम होनी चाहिए। यहाँ कार्मिक की आयु 55 वर्ष जुलाई में होगी अतः Further Contract का लाभ ले सकता है।

प्रश्न 3- किसी कार्मिक की प्रथम बार राज्य बीमा कटौती हो रही है। मेरा प्रश्न यह है कि क्या वह कार्मिक दो स्लैब आगे राज्य बीमा कटौती करवा सकता है ?

उत्तर- हाँ बिल्कुल करवा सकता है। कोई भी बीमित व्यक्ति अपनी इच्छा से उसके विद्यमान वेतन स्लैब पर लागू premium दर से अगले दो slabs तक premium दर में वृद्धि करवा सकता है।(Rules 11(2)/Dated 30.10.2017)

प्रश्न 4- मैं पहले से ही राज्य बीमा कटौती दो स्लैब आगे कटवा रहा था अब नई राज्य बीमा कटौती में कटौती कम कराना चाहता हूं। क्या यह सम्भव है ?

उत्तर-यदि समय समय पर SI प्रीमियम दरों में वृद्धि होती हैं और यदि कार्मिक ने पूर्व में ही Further Contract करवा रखा है और वर्तमान में प्रीमियम दरें परिवर्तित हो गई हैं तो ऐसे में कार्मिक चाहें तो पुनः Further Contract का लाभ ले सकते हैं परंतु राज्य बीमा के नियम-13 के अनुसार पूर्व के प्रीमियम को कम नहीं करवा सकते। यदि किसी कार्मिक ने भूलवश कम करवा भी लिया तो भविष्य में उसे Risk Cover व Loan लेने सम्बंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रश्न 5- जिनकी राज्य बीमा कटौती पूर्व में 1300 या 1800 हो रही हैं। क्या उनकी अब स्लैब के अनुसार कम से कम 2200 करना है ?

उत्तर- हाँ। अगर आपका प्रीमियम नए स्लैब्स के अनुसार स्वीकृत प्रीमियम से ज्यादा/बराबर कट रहा है तो ऐसी कोई बाध्यता नहीं है । परन्तु आप स्लैब्स के अनुसार स्वीकृत प्रीमियम दर से कम नहीं कर सकते। बढ़ाने का सीधा फायदा बीमित व्यक्ति की जोख़िम राशि और Loan लेने पर पड़ेगा। वैसे शेष पॉलिसियों से SI कार्मिकों के लिए बेहतर है।

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राज्य बीमा (State Insurance Scheme for Rajasthan Government employees.) राज्य कर्मचारियों, पंचायत समिति एवं जिला परिषद के कर्मचारियों तथा सरकार द्वारा नियमित किये गये वर्कचार्ज कमचारियों का राज्य सरकार से अनुबंध है जिसके अन्तर्गत बीमेदार द्वारा बीमाकर्ता (राज्य बीमा विभाग) को नियमित प्रीमियम देने पर बीमेदार अथवा उसके मनोनीत को किसी घटना विशेष के घटित होने पर पूर्व निश्चित धन राशि के भुगतान हेतु आश्वस्त किया जाता है अथवा सेवानिवृत्ति पर बीमाधन एवं देय बोनस राशि का भुगतान किया जाता है।

बीमानुबंध में प्रविष्टि पर बीमेदार की आगामी वर्षगांठ पर आयु एवम् उसके द्वारा देय प्रीमियम के आधार पर राशि, जो कि घटना विशेष के घटित होने पर देय है, बीमाधन कहलाती है।

राज्य बीमा योजना (State Insurance Scheme) राज्यकर्मियों के जीवन पर जोखिम वहन करने वाली एक कल्याणकारी योजना है जिसके द्वारा बचत को प्रोत्साहन देने के साथ साथ राज्यकर्मी तथा उसके परिजनों को आर्थिक सम्बल प्राप्त होता है।

राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम, 1998 के अन्तर्गत यह योजना लागू है। पूर्व में यह योजना वर्ष 1953 के नियमों के अन्तर्गत लागू थी ।

योजना विभिन्न चरणों में निम्न प्रकार से लागू की गयी है –

  • 01.08.1943 से तत्कालीन जयपुर रियासत के कर्मचारियों पर,
  • 01.01.1954 से राजस्थान सरकार के कर्मचारियों पर,
  • 01.04.1989 से पंचायत समिति एवम् जिला परिषद् के कर्मचारियों पर,
  • 01.04.1995 से राज्य सरकार द्वारा नियमित किये गये वर्कचार्ज कर्मचारियों पर अनिवार्य रूप से तथा
  • 01.04.1998 से सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों राजस्थान सरकार के अधीन के किसी पब्लिक सैक्टर उपक्रम के अधीन पद धारण करने वाले किसी कर्मचारी का इस बीमा स्कीम के अधीन बीमा करने के के लिये स्वतंत्र होगा यदि उक्त उपक्रम के 50 प्रतिशत या उससे अधिक कर्मचारी बीमा कराने के लिये सहमत हों एवम् राजस्थान केडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर ऐच्छिक रूप से ।

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  • जिनकी आयु 1/4/20 को 55 वर्ष या उससे अधिक हो रही है उनकी SI की कटौती यथावत रहेगी उनके कोई वर्द्धि नही होगी।
  • कटौती का निर्धारण नई स्लैब में अपने बेसिक pay के अनुसार देखे। एवम उसके अनुसार कटौती करनी है तो कुछ भी सम्मिट नही करना है।
  • यदि स्लैब के अनुसार एक या दो स्टेप आगे की कटौती बढानी है तो FURTHER सम्मिट करे।
  • SI की वर्तमान कटौती किसी भी स्थिति में कम नही हो सकती है।
  • जिनके मार्च तक प्रोबेशन पूरा हो गया है एवं स्थाईकरण के बाद वेतन का निर्धारण हो चुका है उनको पहली बार SI की कटौती करनी जरूरी है इनको फर्स्ट डिक्लेरेशन सम्मिट करना है।
  • मार्च 20 तक प्रोबेशन पूरा हो चुका है परंतु स्थाईकरण आदेश जारी नही हुए है उनको स्थाईकरण के बाद नया वेतन निर्धारण होने के बाद बनने वाले एरियर से SI की कटौती मार्च 20 से हो जाएंगी।
  • DDO लॉगिन से भी FURTHER एवम FIRST डिक्लेरेशन सम्मिट करने का ऑप्शन भी शुरू हो गया है।
  • प्रिंसिपल सेवा निवृत्त हो गये है या ट्रांसफर हो गया है तो जिसके पास 03 पवार है या कार्यवाहक की SSO ID में DDO ROLE में उनको ऐड करे अन्यथा सभी सम्मिट फॉर्म पुराने DDO की SSO ID पर जाएंगे इस हेतु SIPF के पुराने USER ID एवं पासवर्ड ध्यान होना जरूरी है।
  • पासवर्ड याद नही हो तो SIPF PORTAL HELP LINE पर पासवर्ड री सेट के लिए ईमेल करे या GPFआफिस संपर्क करे।
  • कोई कर्मचारी ट्रांसफर से आपके पास आया है तो DDO लॉगिन से पहले SIPF की ID PULL करे अन्यथा उसके सम्मिट फॉर्म पुराने DDO के पास जायेंगे।

कर्मचारी के सेवा में प्रविष्ट होने के दो वर्ष (परिवीक्षा काल ) पूर्ण होने के पश्चात् आने वाले मार्च से कर्मचारी बीमित होगा। इसके लिए मार्च माह के वेतन में प्रीमियम की प्रथम कटौती की जाती है। कर्मचारी के वेतन में वृद्धि होने अथवा बीमा की खण्ड दर में परिवर्तन होने पर बढ़ी हुई दर पर प्रीमियम की कटौती भी आगामी मार्च माह के वेतन से दिये जाने का प्रावधान है।

राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प.13 (21) वित्त / राजस्व / 76 पार्ट जयपुर दिनांक 13.03.2020 के अनुसार वर्तमान में प्रीमियम की कटौती दर निम्न प्रकार है:

क्रम संख्यावेतन स्लेब / पे स्लेबन्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी जानी
अनिवार्य है।
अधिकतम प्रीमियम कटौती करवाई
जा सकती है।
122000 तक8002200
222001 से 2850012003000
328501 से 4650022005000
446501 से 7200030007000
572001 से अधिक50007000
6अधिकतम70007000

उल्लेखनीय है कि कर्मचारी अपनी नियत वेतन खण्ड से दो स्लेब अधिक स्वेच्छा से बीमा प्रीमियम की कटौती करवा सकता हैं किन्तु प्रिमियम में वृद्धि 55 वर्ष की आयु तक ही मान्य हैं इसके बाद प्रिमियम स्थिर रहता है ।

वेतन खण्ड के लिए निर्धारित प्रीमियम की कटौती करवाना अनिवार्य है। हाँ, यदि कोई बीमेदार चाहे तो स्वेच्छा से अपने वेतन खण्ड से आगामी दो वेतन खण्डों के लिए निर्धारित दर पर कटौती करवाकर अधिक बीमाधन के लिए भी बीमित हो सकता है। लेकिन वेतनखण्ड 05 के अन्तर्गत आने वाले बीमेदार अधिकतम 7000/- रू. प्रतिमाह तक की ही कटौती करवा सकते हैं।

हॉ, इस योजना के अन्तर्गत जमा प्रीमियम राशि पर धारा 80ब आयकर अधिनियम 1961 के अन्तर्गत आयकर में छूट का प्रावधान है।

हाँ, राज्य सरकार बीमा संविदाओं के अन्तर्गत देय लाभों के राज्य की संचित निधि से भुगतान की गारण्टी देती है।

परिपक्वता / मृत्यु / अध्यपर्ण राशि का योजना के अन्तर्गत निम्न परिस्थितियों में भुगतान देय है:
बीमेदार की मृत्यु होने पर उसके मनोनीत को,
पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमेदार को,
पॉलिसी की परिपक्वता तिथि से पूर्व बीमेदार राज्य सेवा छोड़ने या उसे सेवा से अलग कर दिये जाने पर उसके द्वारा अन्य किसी विकल्प को न चुनने की स्थिति में बीमेदार को अध्यर्पण राशि का भुगतान किया जाता है।

प्रीमियम के बदले बीमेदार को पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमाधन मय बोनस प्राप्त होता है। परिपक्वता तिथि से पूर्व बीमेदारकी मृत्यु होने पर उसके मनोनीत को बीमाधन की दो गुनी राशि का भुगतान मय बोनस किया जाता है।

परिपक्वता तिथि से पूर्व राज्य सेवा से अलग हो जाने वाले बीमेदारों के प्रकरणों में उनके द्वारा अध्यर्पण भुगतान के विकल्प का चयन करने की स्थिति में, अध्यर्पण राशि (सेवा से अलग होने तक की पॉलिसी अवधि से सम्बन्धित अध्यर्पण गुणांक के आधार पर निर्धारित) का भुगतान किया जाता है।

राज्य बीमा पॉलिसियों के बीमाधन की गणना हेतु योजना में बीमेदार की प्रविष्टि पर आयु हेतु गुणक निर्धारित है। बीमेदार की आगामी वर्षगांठ पर आयु से सम्बन्धित गुणांक को उसके द्वारा देय मासिक प्रीमियम से गुणा कर बीमाधन निर्धारित किया जाता है।

कालान्तर में निर्धारित प्रीमियम दर से अधिक कटौती की स्थिति उत्पन्न होने पर देय अतिरिक्त बीमाधन की गणना भी उपर्युक्तानुसार की जाती है।

वर्तमान में विभाग द्वारा केवल सावधि (एण्डोमेंट) पॉलिसी जारी की जाती है। पूर्व में सावधि पालिसी के अतिरिक्त आजीवन पालिसी भी जारी की जाती थी।


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सावधि बीमा पॉलिसी पर चार प्रकार के बोनस देय हैं:

रिवर्शनरी बोनस:– यह बोनस प्रति वर्ष बीमा निधि के मूल्यांकन के आधार पर मूल्यांकन अवधि के अंत में प्रवृतमान पॉलिसियों हेतु राज्य सरकार द्वारा घोषित दर से दिया जाता है। वर्ष 2015-16 के लिए रिवर्शनरी बोनस की दर सावधि पॉलिसी पर 90/- प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष है एवम् प्रवृतमान आजीवन पॉलिसी पर 112.5 /- प्रति हजार बीमाधन प्रतिवर्ष है।

  • अंतरिम बोनस:-  यह बोनस किसी वर्ष रिवर्शनरी बोनस घोषित न किये जाने की स्थिति में घोषित वर्ष के रिवर्शनरी बोनस की दर के आधार पर दिया जाता है।
  • अतिरिक्त बोनस:– यह बोनस पूर्व में जारी समाश्वासनो (एश्यारेंसेज) पर सेवा निवृति की आयु में परिर्वतन के कारण मूल्यांकक (एक्च्यूरी) द्वारा निर्धारित गुणांक की दर से दिया जाता है।
  • टर्मिर्नल बोनस:- यह बोनस बीमा पॉलिसी के पूर्ण अवधि तक जारी रहने की स्थिति में दिया जाता है। वर्ष 2015-16 की समाप्ति पर इसकी दर 4 /- प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष है।

बोनस निर्धारण हेतु योजना के अन्तर्गत वर्ष की प्राप्तियों, भुगतान, ब्याज प्राप्तियाँ एवम् प्रबन्धकीय व्यय के आधार पर सम्पतियों एवम् दायित्वों की बैलेन्सशीट तैयार की जाती है। बैलेन्सशीट में अधिशेष की स्थिति में मूल्यांकक कुल बीमाधन के आधार पर प्रति हजार बीमाधन के लिए बोनस दर की अनुशंषा करता है। मूल्यांकक की अनुशंषा के आधार पर राज्य सरकार राज्य बीमा पॉलिसी पर बोनस के आदेश जारी करती है। स्वत्व राशि के निर्धारण के समय विभिन्न अवधियों के लिए घोषित बोनस दरों के अनुसार बीमाधन पर बोनस राशि की गणना की जाती है।

निधि में जमा राशि पर राज्य सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है। वर्तमान में राज्य सरकार के आदेश क्रमांक एफ4 (99) एफडी / रेवेन्यु / 92 दिनांक 17.04.2020 के द्वारा इसकी दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक है।

योजना के अन्तर्गत बीमेदार द्वारा कुछ शर्तों के अधीन ऋण प्राप्त किया जा सकता है ।

अधिक कटौती 55 वर्ष की आयु तक की जा सकती है।

वर्तमान में दिनांक 01.04.2020 से बीमा ऋण पर बीमेदार से लिये जाने वाले ब्याज की दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक है। नवीन बीमा नियमों के अन्तर्गत निधि पर देय एवम् ऋण प्रकरणों में लागू ब्याज दर में समानता निधि द्वारा अर्जित ब्याज के परिप्रेक्ष्य में लाई गई है।

बीमाकृत व्यक्ति अपने पति / पत्नि, संतान / संतानों, भ्राता (भ्राताओं), बहिन (बहिनों), पिता या माता को नाम निर्देशिती रूप में नियुक्त करने का हकदार होग। यदि नाम निर्देशन करते समय उल्लेखित कोई भी संबंधी जीवित नही है तो, अन्य व्यक्ति को अपने नाम निर्देशिती के रूप में नियुक्त करने का हकदार होगा।

परन्तु यह कि बीमाकृत व्यक्ति के विवाह के पूर्व किसी भी व्यक्ति के पक्ष में किया गया और तत्पश्चात रद्द नही किया गया नाम निर्देशन उसके विवाह के पश्चात उसी पत्नि / पति के पक्ष में स्वतः रद्द किया हुआ समझा जायेगा ।

बीमाकृत व्यक्ति को उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पश्चात् आने वाले 31 मार्च तक बीमे को जारी रखने की अपनी इच्छा व्यक्त करने को विकल्प होगा। ऐसी स्थिति में बीमाकृत राशि, विस्तारित अवधि के बोनस सहित, उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पश्चात आने वाले प्रथम अप्रैल को संदेय होगी।

राज्य सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों के कल्याणार्थ व सामाजिक सुरक्षा हेतु चलाई जा रही योजनाओं में राज्य बीमा पॉलिसी के तहत राज्य कर्मचारियों का अनिवार्य बीमा किया जाता है जिसमें प्रत्येक कर्मचारी के वेतन से मूल वेतन के आधार पर प्रीमीयम की प्रतिमाह कटौती होती है राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर माह मार्च 2020 से राज्य बीमा प्रीमियम में बढ़ोत्तरी की है इसलिये राज्य बीमा की न्यनतम कटोती तो नियमानुसार होती है परन्तु राज्य बीमा नियम 1998 के मुताबिक कोई भी कर्मचारी अपनी वेतन शृंखला से दो स्लेब आगे के प्रिमियम की कटौती करवा सकता है यह राज्य बीमा योजना वर्तमान में बीमा क्षेत्र की देश की सर्वश्रेष्ठ योजनाओं में से एक है। न्यूनतम एवं अधिकतम कटौती की तालिका निम्नानुसार हैं-

 वेतन स्लेब / पे स्लेबन्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी
जानी अनिवार्य है।
अधिकतम प्रीमियम कटौती
करवाई जा सकती है।
0122000 तक8002200
0222001 से 2850012003000
0328501 से 4650022005000
0446501 से 7200030007000
0572001 से अधिक50007000
06अधिकतम70007000

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सातवें वेतन आयोग के अनुसार सामान्यतः कर्मचारियों का मूल वेतन 22001 से 28500 एवं 28501 से 46500 के बीच है इन दोनों बेतन स्लेव के मुताबिक न्यूनतम व अधिकतम प्रिमियम के आधार पर वार्षिक वोनस की गणना कर आपको इस पालिसी के न्यूनतम कटोती एवं अधिकतम कटौती के अन्तर एवं लाभ को समझाया जा रहा है ।

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20 साल का एक कर्मचारी एक वर्ष में 21600 रुपये अधिक प्रीमियम का भुगतान कर 94284 रुपये एवं 25 वर्ष आयु का एक कर्मचारी वर्ष में 33600 रुपये अधिक भुगतान कर 122976 रुपये का अधिक बोनस लाभ प्राप्त कर सकेगा। राज्य सरकार द्वारा कर्मचारी को इस पॉलिसी पर न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण की सुविधा व सेवानिवृति पर अत्यधित आर्थिक परिलाभ दिया जाता है। किसी कार्मिक के साथ अनहोनी घटित हो जाने के बाद उसके परिवार को इस योजना के तहत बहुत अधिक आर्थिक सम्बल मिलेगा।

नियमों की जानकारी के अभाव में हम केवल न्यूनतम कटोती करवाये जाने के कारण इस कल्याणकारी योजना से मिलने वाले अधिकतम बोनस का फायदा नहीं उठा पाते है। अधिकतर कर्मचारी आयकर से छूट हेतु एल.आई.सी. या पी.एल.आई. या अन्य कम्पनियों की बीमा योजना का सहारा लेते है जबकि उक्त योजना में परिलाभ उपर्युक्त बीमा कम्पनियों की योजनाओं से दुगुना है। राज्य बीमा योजना अतिलाभकरी बीमा योजना है।

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राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक कार्मिक की अनिवार्यता राज्य बीमा पॉलिसी की जाकर उसके वेतन से प्रतिमाह प्रिमियम की कटौती की जाती है। राज्य बीमा पॉलिसी के बीमा धन की गणना हेतु निम्न सूचनाओं की आवश्यकता होती हैं।

1. बीमा कटौती प्रारम्भ होने की तिथि (DOR) : राज्य बीमा योजना में प्रथम व अधिक कटौती सदैव माह मार्च देय अप्रैल के वेतन से ही होती हैं अतः प्रथम अप्रैल को बीमा कटौती की जोखिम वहन तिथि कहलाती हैं।

2. कर्मचारी की जन्म तिथि : प्रत्येक बीमित कर्मचारी की जन्म तिथि

3. कर्मचारी की आयु कर्मचारी की जोखिम बहन तिथि पर आयु ज्ञात करना जिससे जोखिम तिथि या उसके बाद अगली जन्म तिथि पर आयु क्या होगी।

आयु ज्ञात करने के आधारए कार्मिकबी कार्मिक
अनुबंध तिथि (DOR )01.04.201801.04.2018
कर्मचारी की जन्म तिथि05.04.200005.02.1988
अन्तर00.00.001800.02.0030
अनुबंध तिथि पर आयु18 वर्ष31 वर्ष

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4. बीमा पॉलिसी की अवधि वर्तमान में राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्त आयु 60 वर्ष हैं अतः कार्मिक को 60 वर्ष की आयु तक प्रिमियम चुकाना हैं अतः बीमा पॉलिसी की अवधि सेवानिवृति की आयु तक होती हैं। जैसे सेवानिवृति आयु (60–18) वर्ष = 42 वर्ष बीमा अवधि, सेवा निवृति आयु (60-31 ) वर्ष = 29 वर्ष बीमा अवधि है।

5. बीमा प्रिमियम राशि : राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर वेतन खण्ड के आधार पर बीमा प्रिमियम निर्धारित किया जाता हैं जो वर्तमान में इस प्रकार हैं-

 वेतन स्लेब / पे स्लेबन्यूनतम प्रीमियम कटौती जो करवायी जानी अनिवार्य है।अधिकतम प्रीमियम कटौती करवाई जा सकती है।
0122000 तक8002200
0222001 से 2850012003000
0328501 से 4650022005000
0446501 से 7200030007000
0572001 से अधिक50007000
06अधिकतम70007000

उल्लेखनीय है कि कर्मचारी अपनी नियत वेतन खण्ड से दो स्लेब अधिक स्वेच्छा से बीमा प्रीमियम की कटौती करवा सकता हैं किन्तु प्रिमियम में वृद्धि 55 वर्ष की आयु तक ही मान्य हैं इसके बाद प्रिमियम स्थिर रहता है ।

6. बीमा परिपक्वता तिथि: सेवानिवृत माह के अगले 1 अप्रैल को बीमा पॉलिसी परिपक्व होती है एवं बीमित को बीमा पॉलिसी का परिलाभ का भुगतान किया जाता है।

7. एक रुपये की प्रिमियम देय बीमाधन : 1 रुपये की प्रिमियम पर देय बीमा धन की गणना निम्नलिखित तालिका से जोखित वहन तिथि पर ज्ञात आयु के फेक्टर को 1 रुपये का बीमा धन माना जाता है।

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एक रुपया प्रिमियम का बीमाधन

बीमा कटौती प्रारम्भ होने या अधिक कटौती प्रारम्भ
होने पर कर्मचारी की आयु
बीमा धनबीमा कटौती प्रारम्भ होने या अधिक कटौती प्रारम्भ
होने पर कर्मचारी की आयु
बीमा धन
1862235314
1960236298
2058237282
2156238265
2254439251
2352540237
2450741224
2548842210
2647043196
2745144182
2843345169
2941546155
3039847144
3138148132
3236449121
3334850109
34331

insurance amount on deduction of re 1/- premium in SI Policy

8. बीमाधन- एक रुपया के बीमाधन फेक्टर को प्रिमियम से गुणा करके ज्ञात किया जाता हैं जिसकी सरलतम गणना निम्न काल्पनिक सारणी से-

बीमाधन गणना के बिन्दुए कर्मचारीबी कर्मचारी
DOR01.04.201801.04.2018
DOB05.04.200005.02.1988
आयु00.00.001800.02.0030
अवधि18 वर्ष31 वर्ष
प्रिमियम13003000
DOM01.04.206101.04.2048
बीमाधन फेक्टर622381
बीमाधन=फेक्टर x प्रिमियम622 x1300=808600381 x3000=1143000
प्रतिवर्ष बोनस72774102870

9. अपनी राज्य बीमा पॉलिसी के बीमाधन पर बोनस की गणना

राज्य सरकार द्वारा राज्य बीमा पॉलिसी पर प्रतिवर्ष बोनस की घोषणा की जाती है। बोनस की घोषणा प्रति हजार बीमा धन के आधार पर होती हैं वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा सामान्यतः प्रति हजार बीमा धन पर 90 रुपये बोगस दिया जा रहा है। कर्मचारी स्वय बीमा धन को बोनस की दर से गुणा करके उसमें 1000 का भाग देकर बोनस की राशि ज्ञात कर सकता है। अतः ऊपर के उदाहरण से स्पष्ट है ।

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10. अगर कर्मचारी को पॉलिसी पूर्व में जारी हैं और वेतन वृद्धि या राज्य सरकार द्वारा प्रिमियन की दरों में परिर्वतन या कर्मचारी द्वारा एक या दो स्लेव अधिक कटौती करवाये जाने पर राज्य बीमा विभाग द्वारा बढे हुए प्रिमियम पर अलग समाश्वासन जारी किये जाते हैं जिस पर बीमाधन व बोनस गणना निम्न प्रकार होगी ।

  • जैसे किसी कार्मिक को 01.04.2016 को बीमाधन 5,00000
  • बोनस गणना – 01.04.2016 से 31.03.2017 तक 500000×90 1000 = 45000
  • 01.04.2017 को प्रिमियम वृद्धि से बीमाधन 2,00000
  • बोनस गणना 01.04.2017 से 31.03.2018 तक 700000×90 1000 = 63000

बोनस की राशि बीमेदार को प्रतिवर्ष निहित हो जाती हैं किन्तु इसका भुगतान स्वत्व (दावा) के साथ किया जाता है। इससे पूर्व देय नहीं है। बीमा पॉलिसी के परिपक्व होने पर परिपक्वता दावे के समय पॉलिसी पर टर्मिनल बोनस भी दिया जाता है।

11. बीमा पॉलिसी धारक की परिपक्वता तिथि से पूर्व आकरिमक या सामान्य मृत्यु होने पर राज्य सरकार द्वारा बीमाधन की दुगुनी राशि (कार्मिक ए की पॉलिसी पर 1617200 रुपये व कार्मिक बी की पॉलिसी पर 2286000 रुपये) बोनस सहित भुगतान किया जाता है। चाहे कार्मिक की मृत्यु प्रथम माह का प्रिमियम अदा करने के बाद हो गई हो ।

12. राज्य कर्मचारी अपनी बीमा पॉलिसी पर ऋण ले सकता है जो अधिकतम 60 किश्तों में अदा करना होता है एव जिस पर 8 प्रतिशत ब्याज ऋण राशि चुकने के बाद ली जाती है।

13. मनोनयन- किसी कार्मिक के अविवाहित होने पर उसके द्वारा राज्य बीमा पॉलिसी में जिसे मनोनित नियुक्त किया जाता है। शादी होने के बाद वह मनोनयन स्वतः ही पत्नी के पक्ष में हो जाता है परन्तु अन्य मामलों में कर्मचारी स्वय राज्य बीमा विभाग के संबंधित जिला कार्यालय में आवेदन पत्र के जयें मनोनयन में परिर्वतन करवा सकता है।

14. प्रोबेशन पूर्ण होने के बाद Next मार्च से SI की कटौती प्रारम्भ की जाती है. इस हेतु कार्मिक को अपनी SSO-ID से प्रथम घोषणा पत्र भरना पड़ता है वह चाहे तो पहली बार स्लैब से एक या दो स्टेप आगे की कटौती करवा सकता है. उसको उस हिसाब में प्रीमीयम की राशि अपने घोषणा पत्र में सलेक्ट करनी पड़ती है.

15.  एक अप्रैल को जिनकी आयु 55 वर्ष से कम है वह स्केब से एक या दो स्टेप अगली SI की कटौती बढ़ा सकते है. उनको SSO-ID से furthuer contract (अधिक घोषणा) पत्र भरना पड़ता है।

16.  एक अप्रैल को जिनकी आयु 55 वर्ष या इससे अधिक हो रही है, इनके SI की वर्तमान कटौती यथावत रहेगी क्योकि SI द्वारा उनके रिस्क कवर नही की जाती है.

17.  प्रथम या अधिक घोषणा पत्र भरने से पहले अपने DDO लॉगिन से पहले कार्मिक की सर्विस डिटेल्स, बेसिक Pay एवं नॉमिनी डिटेल्स को अपडेट करवाया जाना जरूरी है. State Insurance Deduction Rules

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18. SI की वर्तमान कटौती जो चल रही है वह किसी भी कारण से कम नही की जा सकती है।

19.  किसी कर्मिक के प्रोबेशन पूर्ण हो चुका है, परन्तु स्थाईकरण एवम वेतन नियमितीकरण नही हुआ है. ऐसे मामले में स्थाईकरण के बाद जब नियमित वेतन का निर्धारण होगा. उसके एरियर से मार्च महीने की प्रथम SI कटौती की जायेगी एवं उसी समय उसका प्रथम घोषणा पत्र भरा जाएगा.

20.  घोषणा पत्र भरने से पहले यह सुनिश्चित कर लेवे कि आपकी SIPF EMPLOYEE ID वर्तमान DDO के पास होनी चाहिए अन्यथा भरा गया घोषणा पत्र पुराने वाले DDO की ID पर शो होगा. ऐसी स्थिति में वर्तमान DDO से ID को Pull करे या पुराने DDO से ID नये DDO को ट्रांसफर करावे।

21.  किसी का वेतन 5वे या 6ठे वेतनमान में आहरित हो रहा है उनकी SI की कटौती यथावत रहेगी. उनका जब 7 वे वेतनमान में फिक्सेशन होने के बाद एरियर बनेगा उसमे SI अंतर की राशि स्लैब अनुसार कटौती हो जाएगी.

22. जुलाई में वेतनवृद्धि लगने से SI की कटौती स्लैब के अनुसार बढ़ जाती है तो उसकी बढ़ोतरी Next मार्च से ही की जाती है।

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