RESULT EXCEL SHEET SOFTWARE FOR CLASS 1 TO 11 2022 BY UMMED TARAD
कक्षा 1 व 11 का परीक्षा परिणाम प्रोग्राम 2022
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RESULT EXCEL SHEET SOFTWARE FOR CLASS 6 AND 7 2022 BY ASHWINI KUMAR
RESULT EXCEL SHEET SOFTWARE FOR CLASS 6 AND 7 2022 BY ASHWINI KUMAR
कक्षा 6 व 7 रिजल्ट प्रोग्राम 2022
Class 6th and 7th Result Excel Program
By Ashwini Kumar
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RESULT EXCEL SHEET SOFTWARE FOR CLASS 09 2022 BY ASHWINI KUMARP
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कक्षा 09 रिजल्ट प्रोग्राम 2022
Class 11th Result Excel Program
By Ashwini Kumar
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RESULT EXCEL SHEET SOFTWARE FOR CLASS 11 2022 BY ASHWINI KUMARP
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कक्षा 11 रिजल्ट प्रोग्राम 2022
Class 11th Result Excel Program
By Ashwini Kumar
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कक्षा 11 का परीक्षा परिणाम की एक्सल शीट यहाँ हैं 👇👇👇
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यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि यूजीसी ने फिजिकल यूनिवर्सिटी के विभिन्न पाठ्यक्रमों को लेकर छात्रों को उनकी अनोखी क्षमता की पहचान करने में मदद करने के लिए नए दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह सभी क्षेत्रों में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा प्रदान करेगा|
यूजीसी के दिशा-निर्देश
एक छात्र फिजिकल मोड में 2 पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ा सकता है, यह देखते हुए कि एक कार्यक्रम की कक्षा का समय दूसरे कार्यक्रम के साथ ओवरलैप न हो. इसके साथ ही फिजिकल मोड में न केवल 2 कोर्स, छात्र फुल-टाइम फिजिकल मोड में 1 कोर्स ऑनलाइन या ओपन, डिस्टेंस लर्निंग मोड में कर सकते हैं. इसके अलावा छात्र एक ऑनलाइन कार्यक्रम को दूसरे ऑनलाइन कार्यक्रम के साथ भी आगे बढ़ा सकते हैं. यूजीसी की वेबसाइट पर कल एक घोषणा के बाद दिशा-निर्देश लागू किए जाएंगे|
देश में छात्र अब बीटेक के साथ बीए भी कर सकेंगे। दोनों की कोर्स की डिग्री मान्य होगी। ग्रेजुशन के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन और डिप्लोमा कोर्स करते हुए यह सुविधा मिलेगी। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी UGC ने इसकी मंजूरी दे दी है। यूनिवर्सिटीज इसी सत्र यानी 2022-23 से यह नई व्यवस्था लागू कर सकेंगी। हालांकि इसके साथ कुछ शर्तें भी होंगी।
ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दौरान छात्र कौन-सा सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन ले सकेंगे? यह आइडिया कितना प्रैक्टिकल होगा? क्या इसके लिए एडमिशन क्राइटेरिया और अटेंडेंस नियम में बदलाव करना होगा?
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
सबसे पहले जानते हैं की UGC की नई गाइडलाइंस क्या है और यह कब से लागू होगी?
UGC के चेयरपर्सन एम जगदीश कुमार कहा है कि हायर एजुकेशन लेवल पर अब दो डिग्री कोर्स एक साथ किए जा सकेंगे। यानी छात्र अब बीटेक के साथ ही बीए भी कर सकेंगे।
नए नियम से छात्र ग्रेजुएशन, डिप्लोमा और पोस्टग्रेजुशन लेवल पर दो कोर्स कर सकेंगे। दोनों डिग्री फिजिकल मोड या एक ऑफलाइन और दूसरी ऑनलाइन हो सकती है या दोनों ही ऑफलाइन हो सकती है।
जगदीश कुमार ने कहा कि नई गाइडलाइंस यूनिवर्सिटी के लिए ऑप्शनल होंगे। यानी यूनिवर्सिटी चाहे तो इसे माने या न माने। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को एक ही समय में अलग-अलग स्किल्स सीखने में मदद मिलेगी।
उच्च शिक्षा संस्थानों की वैधानिक निकाय और काउंसिल से भी इसकी मंजूरी की आवश्यकता होगी। तभी ये लागू किया जा सकेगा।
यूजीसी ने उम्मीद जताई है कि सभी यूनिवर्सिटी को ऐसा करने के लिए वो प्रोत्साहित करेंगे।
जगदीश कुमार ने बताया कि यूनिवर्सिटीज इसी सत्र यानी 2022-23 से यह नई व्यवस्था लागू कर सकेंगी। छात्र दोनों कोर्स एक ही यूनिवर्सिटी से भी कर सकेंगे। साथ ही अलग-अलग यूनिवर्सिटी से भी। इसके साथ ही छात्र एक कोर्स को देश की यूनिवर्सिटी और दूसरे कोर्स को विदेश की यूनिवर्सिटी से भी कर सकेंगे।
छात्र किस तरह का सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन ले सकेंगे?
जगदीश कुमार ने बताया कि सब्जेक्ट का कॉम्बिनेशन अलग-अलग यूनिवर्सिटी में एडमिशन के क्राइटेरिया पर निर्भर होगा। यानी यह यूनिवर्सिटी के स्तर पर होगा कि वो दो डिग्री के लिए किस तरह के सब्जेक्ट्स के विकल्प देते हैं।
उन्होंने इसे और क्लियर करते हुए कहा कि एक छात्र साइंस और ह्यूमैनिटीज में एक साथ डिग्री ले सकेंगे या एक ही स्ट्रीम में भी दो डिग्री ले सकेंगे।
इस उदाहरण से समझ सकते हैं। यदि किसी छात्र ने पहले बीटेक में दाखिला ले लिया और वह बीए भी करना चाहता है तो वह कर सकता है।
यदि किसी यूनिवर्सिटी में बीकॉम के ऑफलाइन कोर्स की शिफ्ट इवनिंग में है और बीए की शिफ्ट मार्निंग में तो छात्र दोनों कोर्स में दाखिला ले सकता है।
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
छात्रों के पास किस तरह के विकल्प होंगे?
दो डिग्री कोर्स करने के लिए छात्र के पास 3 विकल्प हाेंगे।
पहला विकल्प होगा कि छात्र दोनों कोर्स फिजिकल मोड वाले ही करे। हालांकि इसमें यह देखना होगा कि दोनों डिग्री कोर्स की टाइमिंग एक न हो।
छात्रों के पास दूसरा विकल्प यह होगा कि वे एक कोर्स फिजिकल और दूसरा ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग मोड में करें।
तीसरा विकल्प यह होगा कि दोनों कोर्स ऑनलाइन या दोनों कोर्स ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग मोड वाले हो सकते है।
UGC के चेयरपर्सन एम जगदीश कुमार ने ऑफलाइन कोर्स में अटेंडेस के सवाल पर कहा कि ऐसे मामले में छात्र और कॉलेज यह देखेंगे कि एक कोर्स के क्लास का टाइम दूसरे कोर्स के टाइम से ओवरलैप नहीं हो यानी एक साथ नहीं हो।
नई गाइडलाइंस में स्पष्ट है कि दोनों कोर्स एक ही लेवल के हों। यानी या तो दोनों ग्रेजुएशन की डिग्री हों या दोनों पोस्ट ग्रेजुएशन की। एक पोस्ट ग्रेजुएशन और दूसरा ग्रेजुएशन की डिग्री ऐसा विकल्प इस गाइडलाइंस में नहीं है।
यह गाइडलाइंस एमफिल और पीएचडी के मामले में अप्लाई नहीं होगी।
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
क्या एडमिशन एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और अटेंडेंस नियमों को बदला जाएगा?
जगदीश कुमार ने कहा कि अटेंडेंस के लिए यूनिवर्सिटी को गाइडलाइन जारी करने का अधिकार होगा। ये व्यवस्था यूनिवर्सिटी के लिए अनिवार्य नहीं है बल्कि ऑप्शनल है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र किसी भी क्षेत्र में विशेष डिग्री लेना चाहता है। इसके लिए यूनिवर्सिटी के मिनिमम क्राइटेरिया में उस विषय में बेसिक नॉलेज का होना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र किसी भी क्षेत्र में एक विशेष डिग्री हासिल करने की इच्छा रखता है, लेकिन न्यूनतम मानदंड के लिए उसे विषय का बुनियादी ज्ञान होना आवश्यक है, तो वह उस विशेष पाठ्यक्रम में नामांकन करने में सक्षम नहीं हो सकता है। हालांकि यह पूर्ण रूप से कॉलेज या यूनिवर्सिटी के नियमों पर निर्भर करेगा।
देखा जाए तो सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों को एग्जाम के लिए मिनिमम अटेंडेंस की जरूरत होती है। हालांकि यूनिवर्सिटी को इन कोर्स के लिए मिनिमम अटेंडेंस के नियमों को रिवाइज करना पड़ सकता है। इस जगदीश कुमार कहते हैं कि UGC अटेंडेंस को लेकर कोई नियम नहीं जारी करता है बल्कि ये यूनिवर्सिटी के अपने नियम होते हैं।
UGC का यह आइडिया कितना प्रैक्टिकल है?
जगदीश कुमार ने कहा कि यह गाइडलाइंस सरकार की नई एजुकेशन पॉलिसी यानी NEP का ही हिस्सा है। इसमें कहा गया था कि छात्र एक साथ चाहें तो अलग अलग डिसिप्लिन की पढ़ाई कर सकते हैं और एक साथ कई तरह के स्किल हासिल कर सकते हैं।
यह पूछने पर कि यह आइडिया कितना प्रैक्टिकल है। जगदीश कुमार कहते हैं कि यह पूरी तरह से छात्र की क्षमता पर निर्भर करता है।
उन्होंने यह स्वीकार किया कि एक छात्र के लिए ऑफलाइन मोड में दो डिग्री हासिल करना काफी मुश्किल होगा लेकिन यह असंभव नहीं है।
उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि यदि IIT दिल्ली में बीटेक करने वाली कोई छात्रा JNU की इवनिंग शिफ्ट में बीए फ्रेंच का कोर्स करना चाहती है तो वह बहुत आसानी से कर सकती है।
शाम को जेएनयू में बीए फ्रेंच की पढ़ाई करना चाहती है, तो वह बहुत अच्छी तरह से सड़क पर चलकर ऐसा कर सकती है।
उन्होंने कहा कि यदि दो में से किसी एक डिग्री को ऑनलाइन मोड में किया जाता है तो कोई कठिनाई नहीं होगी।
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
छात्रों को क्या फायदा होगा?
भारत में हायर एजुकेशन की डिमांड और सप्लाई में बहुत बड़ा गैप है। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट आवेदन करने वाले छात्रों में से केवल 3% छात्रों को ही कैंपस में दाखिला दे पाते हैं।
कई यूनिवर्सिटी कई विषयों के ऑनलाइन कोर्स और ओपेन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स चला रहे हैं। अच्छे कोर्स होने के बावजूद उनमें सीटें खाली रह जा रही थीं। छात्र चाह कर भी एक साथ दो कोर्स में एडमिशन नहीं ले पा रहे थे।
क्या किसी ख़ास विषयों में ही ये संभव होगा?
यूजीसी के मुताबिक़ इसमें विषय चुनने की कोई बाध्यता नहीं है. दो डिग्री कोर्स ह्यूमैनिटीज़ के साथ-साथ साइंस विषय के भी हो सकते हैं.
ये दोनों फुल टाइम कोर्स हो सकते हैं. ये दो एक विश्वविद्यालय में भी हो सकते हैं या अलग अलग विश्वविद्यालयों में भी हो सकता है.
एडमिशन के नियम, छात्रों की योग्यता और टाइम टेबल चूंकि विश्वविद्यालय स्तर पर तय किए जाते हैं, इसलिए ये उन पर निर्भर होगा कि वो दो डिग्री के चुनाव में किस तरह के विषयों के विकल्प तैयार करते हैं.
मतलब ये कि छात्र चाहे तो गणित और इतिहास की डिग्री साथ साथ अर्जित कर सकते हैं.
एक विकल्प ये हो सकता है कि दोनों कोर्स फ़िज़िकल मोड वाले हो सकते हैं, बस ये देखना होगा कि ऐसे दोनों डिग्री कोर्स की क्लास टाइमिंग अलग अलग हो.
दूसरा विकल्प ये है कि एक कोर्स फ़िज़िकल और दूसरा ओपन और डिस्टेंस लर्निंग या ऑनलाइन कोर्स हो सकता है.
तीसरा विकल्प ये हो सकता है कि दोनों कोर्स ऑनलाइन या दोनों कोर्स ओपन और डिस्टेंस लर्निंग वाले हो सकते हैं.
इस फैसले में ये भी कहा गया है कि दोनों कोर्स एक ही लेवल के हों – यानी या तो दोनों ग्रेजुएशन की डिग्री हों या दोनों पोस्ट ग्रेजुएशन की.
एक पोस्ट ग्रेजुएशन और दूसरा ग्रेजुएशन की डिग्री – ऐसा प्रावधान इस फ़ैसले में नहीं किया गया है|
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
अचानक ऐसा फ़ैसला क्यों?
जुलाई 2020 में मोदी सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई थी. ये एक तरह का पॉलिसी डॉक्यूमेंट है, जिसमें सरकार ने स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के अपने विज़न की व्याख्या की थी.
इसी विज़न डाक्यूमेंट में सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि छात्र एक साथ चाहें तो अलग अलग डिसिप्लिन की पढ़ाई कर सकते हैं और एक साथ कई तरह के स्किल हासिल कर सकते हैं.
मसलन मैथ्स की पढ़ाई करने वाला चाहे तो डेटा साइंस की पढ़ाई कर ले, जर्नलिज्म की पढ़ाई करने वाला लैंग्वेज कोर्स भी कर सके.
नई शिक्षा नीति के इसी प्रस्ताव को ध्यान में रख कर ये फ़ैसला लिया गया है.
दूसरी वजह ये है कि भारत में उच्च शिक्षा की डिमांड और सप्लाई में बहुत बड़ा गैप है. उच्च शिक्षा संस्थान आवेदन करने वाले छात्रों में से केवल 3 फ़ीसदी छात्रों को ही कैंपस में दाखिला दे पाते हैं.
कई विश्वविद्यालय कई विषयों के ऑनलाइन कोर्स और ओपन और डिस्टेंस लर्निंग कोर्स चला रहे हैं. अच्छे कोर्स होने के बावजूद उनमें सीटें खाली रह जा रही थीं. छात्र चाह कर भी एक साथ दो कोर्स में एडमिशन नहीं ले पा रहे थे.
सभी प्रावधानों को एक दूसरे के अनुकूल बनाने के लिए यूजीसी ने ये फ़ैसला लिया है|
इसकी शुरुआत कब से होगी?
अकादमिक सत्र 2022-2023 से इसकी शुरुआत प्रस्तावित है. यूजीसी अपनी वेबसाइट पर इसकी आधिकारिक गाइडलाइन्स जारी करेगी.
उच्च शिक्षा संस्थानों की वैधानिक निकाय और काउंसिल से भी इसकी मंजूरी की आवश्यकता होगी. तभी ये लागू किया जा सकेगा.
जिन संस्थानों के वैधानिक निकायों (यूनिवर्सिटी प्रशासन) ने इसे लागू करने का फैसला नहीं लिया होगा, उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
हालांकि, यूजीसी ने उम्मीद जताई है कि सभी विश्वविद्यालय को ऐसा करने के लिए वो प्रोत्साहित करेंगे.
ये फ़ैसला डिप्लोमा, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए लागू होगा. पीएचडी और एमफिल डिग्री पर ये लागू नहीं होगा|
अगर फ़र्स्ट इयर में दो कोर्सों में ए़डमिशन ना लिया हो तो क्या दूसरे और तीसरे साल में एडमिशन मिल सकता है?
हां. ऐसा करने में कोई परेशानी नहीं है. नियमों के मुताबिक़ छात्र दो अलग अलग विश्वविद्यालयों से भी दो डिग्री कोर्स कर सकेंगे.
नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम की भी बात की गई है, इस वजह से एक कोर्स में एडमिशन पहले साल और दूसरे कोर्स में एडमिशन दूसरे साल लिया जा सकता है.
इस फ़ैसले में दोनों डिग्री कोर्स को साथ में शुरू करने और ख़त्म करने की बाध्यता नहीं है.
क्या टाइम टेबल इस बात को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा कि एक बच्चा दो-दो कोर्सेज़ भी कर सकता है?
इसके लिए विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तर पर कोशिश करने की ज़रूरत होगी.
जिन कोर्स की डिमांड ज्यादा हो या जो पॉपुलर कोर्स हों, उनके बारे में विश्वविद्यालय स्तर पर ऐसे फ़ैसले लिए जा सकते हैं|
छात्र एक ही यूनिवर्सिटी से दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे ! जानिए छात्रों को क्या होगा फायदा
क्या कोई निश्चित मात्रा में अटेंडेंस की बाध्यता दोनों कोर्स के लिए होगी?
इसके लिए यूनिवर्सिटी को गाइडलाइन जारी करने का अधिकार होगा. ये व्यवस्था विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं है बल्कि वैकल्पिक है.
CUET से इसका कोई लेना देना है?
चूंकि इसमें ऑनलाइन और ओपन-डिस्टेंस लर्निंग की भी बात है और ये एक वैकल्पिक व्यवस्था है, इस वजह से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) से सीधे सीधे इसका कोई लेना देना नहीं है.
लेकिन फिजिकल क्लास करके डिग्री लेने वाले कोर्स में जो भी संस्थान द्वारा एडमिशन के नियम तय किए गए हैं, उनका पालन छात्रों को करना होगा. अगर उन कोर्स में दाखिले के लिए CUET पास करना अनिवार्य होगा, तो एडमिशन के लिए वो पास करना अनिवार्य होगा.
क्या भारत के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में ऐसी व्यवस्था है?
यूजीसी के चेयरमैन के मुताबिक़ दुनिया के किसी दूसरे देश में ऐसी व्यवस्था है या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.
उन्होंने कहा, “शायद भारत इस दिशा में पहल करने वाला पहला देश है, जो विश्व के लिए उदाहरण पेश कर सकता है.”
क्या डिग्री चुनते समय स्ट्रीम को मिलाया जा सकता है?
हां, छात्र सभी क्षेत्रों में कई कोर्स का ऑप्शन चुन सकते हैं. छात्र अपनी इच्छा और रुचि के आधार पर अपने डिग्री डोमेन का चयन कर सकते हैं. छात्रों के चयन के लिए विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, आर्ट्स,मानविकी और कई विषय उपलब्ध होंगे.यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा है कि दो डिग्री योजना केवल ग्रेजुएट, पीजी, डिप्लोमा जैसे कोर्स के लिए होंगे. एमफिल और पीएचडी कार्यक्रम इस योजना में शामिल नहीं होंगे|
क्या सभी विश्वविद्यालय इस योजना की पेशकश करेंगे?
नहीं, एक बार आधिकारिक दिशानिर्देश जारी होने के बाद,विश्वविद्यालयों को यह तय करने की छूट दी जाएगी कि वे दो-डिग्री योजना की पेशकश करना चाहते हैं या नहीं.एडमिशन के लिए पात्रता मानदंड और दो डिग्री चुनने की उपलब्धता भी संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा तय की जाएगी. यदि विश्वविद्यालय अपने कॉलेजों में टू-डिग्री योजना को लागू करते हैं तो उन्हें संस्थानों के वैधानिक निकायों के लिए अप्रुवल लेनी होगी. इस अप्रुवल के बिना, विश्वविद्यालयों को दो-डिग्री कार्यक्रम की पेशकश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी|
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