विद्यालय विकास योजना (एसडीपी) विद्यालय सुधार का आधार प्रदान करती है और उसे विद्यालय के दर्शन और दूरदर्शिता को प्रतिबिंबित करना चाहिए। इसमें अगली समयावधि हेतु प्राथमिकताएं एवं कार्य सूचीबद्ध होते हैं – कई विद्यालय सामान्यः त्रिवर्षीय योजनाएं बनाते हैं जिसे अधिक विस्तृत वार्षिक योजना से संपूरित किया जाता है।
एसडीपी विद्यालय की स्व-समीक्षा को प्रेरित करती है और समुदाय को दर्शाती है कि विद्यालय अपने विद्यार्थियों हेतु सर्वश्रेष्ठ संभव परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। पहला केस स्टडी और गतिविधि यह स्पष्ट करते हैं कि योजना बनाना महत्वपूर्ण क्यों है।
विद्यालय विकास से सम्बंधित महत्वपूर्ण आदेश , सर्कुलर और प्रपत्र
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सरकारी स्कूलों में मंदिर, मस्जिदों एवं गुरुद्वारों तर्ज पर अक्षय पेटिका लगाई जाएगी। जो लोग गुप्त दान करना चाहते है वे इसमें दान राशि डाल सकेंगे। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में भामाशाहों को बढ़ावा देने और दान राशि बढ़ाने के लिए यह नई पहल शुरू की है। शादी की वर्षगांठ बच्चों के जन्मदिन या अन्य खास मौकों पर लोग इसमें दान राशि भेंट कर सकते हैं|
यह आदेश माध्यमिक निदेशक नथमल डिडेल ने दिए है, जिसमें समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्राउड फंडिंग के लिए अक्षय पेटिका नामक दान पेटी लगाने के लिए कहा गया है। स्कूलों में होने वाले वार्षिकोत्सव, गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस आदि कार्यक्रमों में स्कूलों को सहायता प्रोत्सहान राशि मिलती है। इस राशि का संग्रहण करने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। इसलिए क्राउड फंडिंग को व्यवस्थित इकट्ठा करने के लिए यह दान पेटी स्कूलों में लगाई जाएगी।
एसडीएमसी,एसएमसी और प्रिंसीपल के हाथ में होगी व्यवस्था : यह व्यवस्था स्कूल प्रिंसिपल, स्कूल विकास एवं प्रबंध समिति या स्कूल प्रबंधन समिति के मनोनीत सदस्य (एसडीएमसी, एसएमसी सदस्य और प्रिंसीपल) के हाथों में होगी। स्कूल प्रांगण में प्रार्थना स्थल पर एक दान पेटी रखी जाएगी। अक्षय पेटिका नामक इस दान पेटी की एक चाबी एसएमसी एसडीएमसी सदस्य एक चाबी प्रिंसीपल के पास रखी जाएगी। साथ ही किसी भी त्योहार या समिति से निर्णय कर इसको सबके सामने खोला जाएगा। जितनी राशि स्कूल को प्राप्त होगी उसका उपयोग स्कूल सुधार और शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए किया जाएगा।
अक्षय पेटिका की सूचना को आपको अपने स्कुल की शाला दर्पण ;लॉग इन पर भी अपडेट करना होगा |
आपको इसके लिए अलग से पंजिका भी संधारित करनी होगी जिसमें अक्षय पेटिका खोलने और उसमे प्राप्त रुपयों का लेखा जोखा दर्ज करना होगा |
अक्षय पेटिका को विद्यालय में सुरक्षित जगह पर रखना होता हैं |
अक्षय पेटिका को आप विद्यालयों में होने वाले सार्वजनिक मंच पर जरूर रखें और इसका महत्व आम व्यक्तियों, अभिभावकों, और विद्यार्थियों को जरूर बताये |
शाला दर्पण पर स्कूल लॉग इन करके विद्यालय / SCHOOL टैब में जाना हैं और यहाँ आपको सामुदायिक सहभागिता पर क्लिक करेंगे तो अंत में अक्षय पेटिका का ऑप्शन दिखेगा जिस पर आपको कर देना हैं क्लिक
फिर आपको YES पर क्लिक करके SAVE पर क्लिक कर देना हैं |
इस नई पहल से स्कूलों का होगा विकास : एडीईओमाध्यमिक यशपाल असीजा के मुताबिक सरकार की इस नई पहल से स्कूलों को फायदा होगा। स्कूलों के छोटे-मोटे विकास कार्यों को और बढ़ावा मिलेगा। शहर गांवों के भामाशाहों को इसके लिए प्रेरित किया जाएगा। अक्षय पेटिका में आने वाली राशि रजिस्टर में प्रविष्ट की जाएगी और इस राशि का उपयोग स्कूल के लिए आकस्मिक और अतिरिक्त व्यय के लिए किया जा सकेगा
विद्यालय विकास योजना(एसडीपी) के अनुसार प्राथमिकताओं का निर्धारण कर जो कार्य कम्पोजिट ग्रान्ट राशि से नही हो सकते हो उनको इस राशि का उपयोग करवाते हुए कार्य किया जायें।
वृक्षारोपण, आनन्दमयी शनिवार एवं अन्य सहशैक्षिक गतिविधियों के आयोजन में एवं पुरस्कार वितरण में इस राशि का उपयोग किया जायें।
स्वच्छता सम्बन्धित कार्यो के लिये।
प्राप्त राशि को एसएमसी/एसडीएमसी के खाते में जमा करवाना, केशबुक में (अक्षय पेटिका/स्वैच्छिक अनुदान/जनसहयोग एवं अन्य मद में) संधारित करें।
प्राथमिकता
बिजली बिल, टेलीफोन, पानी का बिल जमा कराना।
एसएमसी/एसडीएमसी का 80 जी रजिस्ट्रेशन (सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रेशन वे — पैन कार्ड) के शुल्क के रूप में।
कम्पयूटर/नेट का डोंगल/ प्रिन्टर कम फोटोस्टेट के रूप में।
रंग रोगन/मरम्मत/फर्नीचर कय/कार्यालय के लिए फर्नीचर कय/दरी पट्टी आदि।
परीक्षा सामग्री व उत्तर पुस्तिकायें।
वृक्षारोपण हेतु पेड़ जो वनविभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराये गये।
पुस्तकालय में मासिक पत्र-पत्रिकायें कय करना।
स्वच्छता व साफ-सफाई (झाडू, साबून, फिनाइल आदि)।
भवन और कक्षाओं की मरम्मत, रंग-रोगन व निर्माण हेतु।
विद्यालय में आयोजित गतिविधियों में बालकों को पुरस्कार देने हेतु।
विद्यालय के स्वयं के आय स्त्रोत की उपयोगिता बताते हुए क्राउड फण्डिंग की अवधारणा से सभी सदस्यगणों को अवगत करावें एवं सहमति की स्थिति में क्राउड फण्डिंग के नियमित एवं नियोजित प्रबन्धन हेतु विद्यालय में “अक्षय पेटिका” स्थापित किए जाने का प्रस्ताव पारित कर “अक्षय पेटिका” की दूसरी चाबी रखने वाले SMC/ SDMC प्रतिनिधि को नामित करवा लिया जाए ।
विद्यालय में बालिका उत्पीडन एवं बाल यौनाचार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु दिशा-निर्देश
विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बालक / बालिकाओं को बिना किसी भेदभाव के सुरक्षित, संरक्षित एवं सर्वागीण विकासोन्मुख वातावरण में शिक्षा प्राप्त होना उनका अधिकार है परंतु लैंगिक असमानता एवं अवांछित छेड़-छाड़ की घटनाएं इसे चुनौतीपूर्ण रूप से बाधित करती रहती है। अतः इन परिस्थितियों में संस्था प्रधानों, अध्यापकों, विद्यार्थियों, विद्यालय के अन्य कार्मिकों तथा अभिभावकों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता समीचीन है। इस बाबत विद्यालयी पाठ्यक्रम निर्माण एवं शिक्षक प्रशिक्षण विषय वस्तु में लैंगिक संवेदनशीलता को भी प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से पाठ्यक्रम में समावेशित किया गया है। इसी क्रम में आपको पुनः निर्देशित किया जाता है कि आप अपने अधीनस्थ समस्त विद्यालयों में इस प्रकार की घटनाऐं रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर अग्रांकित विवरणानुसार तत्काल कार्यवाही सम्पादित की जानी सुनिश्चित करें:
1. विद्यालय के समस्त कार्यरत कार्मिकों, शिक्षकों SDMC व SMC के सदस्यों को “लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012” की कतिपय धाराओं यथा धारा – 19 (1) एवं 21 में विहित प्रावधान, जो समस्त कार्मिकों को दायित्वबद्ध करते हैं कि बाल / यौन प्रताड़ना से संबंधित घटनाओं पर तत्काल प्रसंज्ञान लिया जाकर नियमानुसार कार्यवाही सम्पादित की जाए की अवगति प्रदान करवाते हुए प्रत्येक स्तर पर इसकी सख्ती से पालना हेतु सम्पादित किया जाए।
2. विद्यालयों में गुड टच वेड टच की जानकारी देने हेतु प्रश्नोत्तरी, कविता, लघु नाटक, पोस्टर व कहानी इत्यादि के माध्यम से क्षेत्रिय शालीन भाषा में कार्यक्रम आयोजित किए जाए साथ ही विद्यालय में होने वाली बाल सभाओं में भी इस विषय पर जानकारी दिया जाना सुनिश्चित करावें प्रत्येक दिन प्रार्थना सभा के दौरान छात्राओं से संवाद किया जाए।
3. विद्यालयों में होने वाली अध्यापक-अभिभावक बैठक में अध्यापकों द्वारा अभिभावकों को बच्चों की सूक्ष्म गतिविधियों एवं उनके मूड पर नजर रखने, पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों से बाल उत्पीडन से सावधान रहने के संबंध में समझाया जावें।
4. विद्यालय में कक्षा-कक्षों में सद्भावनापूर्ण वातावरण बनाने हेतु विशेष प्रयास किए जाएं एवं किशोर बालिकाओं के मध्य स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी जागरूकता उत्पन्न करने एवं उन्हें गुड टच- बेड टच तथा राज्य बाल संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति, पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी दी जावें।
5. प्रत्येक विद्यालय में संस्था प्रधान की अध्यक्षता में यौन उत्पीड़न कमेटी गठित की जाए, जिसमें दो महिला शिक्षिका अनिवार्य रूप से हो ।
6. यथासंभव विद्यालय परिसर में आवश्यकतानुसार चिन्हित स्थानों पर लिखित चेतावनी सहित सीसीटीवी कैमरे एवं एक गरिमा पेटिका भी लगवाई जाए।
7. गरिमा पेटिका के बारे में छात्राओं को पुरी जानकारी दी जाए कि उनकी किसी प्रकार की शिकायत है, तो वे इस पेटिका में शिकायत दर्ज करवाऐं।
8. संस्था प्रधान गरिमा पेटी को प्रत्येक 15 दिन के भीतर खोले एवं उसमें प्राप्त शिकायतों का रजिस्टर संधारित करे। यदि कोई शिकायत पाई जाती है जो कमेटी तत्काल निर्णय करें।
9. विद्यालय के सूचना पट्ट तथा सुदृश्य स्थानो पर Child help line से संबंधित दूरभाषः – 1098 का स्पष्ट अंकन किया जाए तथा इस बारे में समस्त विद्यार्थियों को जानकारी दी जाए।
10. विद्यालय में उतरदायी भूमिका में निबद्ध कार्मिकों द्वारा इस तरह के अपराध में संलिप्तता पाए जान पर संबंधित पक्ष / व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाए। अतः समस्त संस्था प्रधानों, शिक्षकगणों एवं अन्य विद्यालयी स्टाफ से यह अपेक्षा की जाती है कि लैंगिक समानता के लिए संवेदनशीलता से कार्य करें एवं विद्यालयों में पूर्णतः भयमुक्त एवं विभेदमुक्त वातावरण में निर्माण में अपना भरसक योगदान प्रदान करें।
प्रत्येक विद्यालय में गरिमा पेटिका का संधारण करना अनिवार्य होगा |
प्रत्येक 15 दिन बाद इसे खोलना अनिवार्य हैं |
प्राप्त सुझाव और शिकायत या समस्या का पंजिका में इन्द्राज करना हैं |
प्राप्त सुझाव और शिकायत या समस्या का समाधान समिति के द्वारा किया जाना हैं |
प्राप्त सुझाव और शिकायत या समस्या को गुप्त रखते हुए समाधान किया जाना चाहिए और समस्या का समाधान करने के बाद समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाना हैं कि ” इन दिनों में प्राप्त समस्याओं, सुझावों का अवलोकन करके निपटारा कर दिया हैं ” जिससे शिकायत कर्ता को पता लग सकें |
गरिमा पेटिका ऐसे स्थान पर रखी जानी चाहिए जहाँ से वो हर किसी के पहुंच में |
गरिमा पेटिका का महत्व प्रत्येक सोमवार को प्रार्थना सभा में जरूर बताये |
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विद्यालय में संभव होने पर सीसीटीवी कैमेरे लगाने के भी निर्देश हैं। इसके साथ ही चिह्नित स्थानों पर लिखित चेतावनी भी लगानी हैं। जिसका पालन स्कूलों की ओर से किया जाना हैं। इसके अलावा सूचना पट्ट पर चाइल्ड हैल्प लाइन के फोन नम्बर भी लिखे जाने हैं । इसकी जानकारी विद्यार्थियों को भी दी जानी हैं।
गरिमा पेटी और समिति के कार्यों को शाला दर्पण पर अपलोड करने के लिए सभी संस्था प्रधानों को निर्देश दिए गए हैं। इस नवाचार से बालिकाओं को सुरक्षित व संरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार मिल सकेगा।
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