आजादी का अमृत महोत्सव AJADI KA AMRIT MAHOTSAV 12 TO 15 AUGUST अगस्त को हर घर तिरंगा कार्यक्रम
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राजस्थान के समस्त राजकीय व गैर–राजकीय विद्यालयों में 12 अगस्त को एक ही समय में एक साथ देशभक्ति गीतों का सामूहिक गायन कराया जाना है राजस्थान सरकार द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम राज्य के सभी विद्यालय में विधार्थी सहित पुरे राज्य में देश भक्ति गीतों के साथ मनाया जाना है
आजादी का अमृत महोत्सव
विद्यार्थियों में देशप्रेम की भावना जागृत करने के उद्देश्य से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राजस्थान के समस्त राजकीय व गैर–राजकीय विद्यालयों में दिनांक : 12 अगस्त, 2022 को प्रात: 10.15पर एक ही समय में एक साथ देशभक्ति गीतों का सामूहिक गायन करवाया जाएगा। यह कार्यक्रम राज्य, जिला, ब्लॉक और विद्यालय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम बाबत् निर्देश जारी किए गये हैं
आजादी का अमृत महोत्सव
दोस्तों हम यंहा केवल विद्यालय स्तर के कार्यक्रम की रुपरेखा की बात कर रहे है अतः सभी शिक्षक साथी व विधार्थी अपने-2 साथियों तक इस पोस्ट को अवश्य शेयर करे जिससे आजादी के अमृत महोत्सव की रुपरेखा से सभी तक पहुंच जाए
प्रत्येक राजकीय एवं गैर राजकीय विद्यालयों में उक्त कार्यक्रम में गाए जाने वाले गीतों को समस्त विद्यार्थियों द्वारा एक लय एवं ताल में गाए जाने हेतु प्रतिदिन आखिरी कालांश में नियमित अभ्यास करवाया जाएगा। कार्यक्रम में गाए जाने वाले गीत निर्धारित क्रम में निर्धारित स्क्रिप्ट के अनुसार ही गाए जाने है जिसका यू ट्यूब वीडियो निचे उपलब्ध करवाया जा रहा है
समस्त नोडल अधिकारी विद्यार्थियों द्वारा गीतों को गाए जाने का अभ्यास निर्धारित ऑडियों, जिसका यू-ट्यूब लिंक
इस कार्यक्रम को विश्व रिकार्ड में सम्मिलित किए जाना अपेक्षित किया गया है
कार्यक्रम की फोटो अपलोड यंहा करे
जिला एवं ब्लॉक स्तरीय कार्यकम के 5–5 फोटों व वीडियों (जो 02 मिनट से ज्यादा न हो) जी मेल अकाउंट पर अपलोड करने है जिसकी लिंक आपको निचे उपलब्ध करवाई जा रही है
उप निदेशक (शाला दर्पण), जयपुर नोडल अधिकारी नियुक्त
एक साथ सभी विद्यालयों में देशभक्ति गीत सामूहिक रूप से एक साथ गायन होने के कारण यह अनूठा कार्यक्रम रहेगा। उक्त कार्यक्रम को संबंधित रिकार्ड बुक में रिकार्ड बनने के लिए की जाने वाली कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु उप निदेशक (शाला दर्पण), जयपुर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गयाहै।
समस्त CBEO & CDEO अपने जिले के समस्त विद्यालयों के दो–दो फोटोग्राफ अपने ई-मेल पर सुरक्षित रखेंगे।
कार्यक्रम का स्वरूपः
देशभक्ति गीत गायन कार्यक्रम सज्य, जिला, ब्लाक व विद्यालय स्तर पर निम्नांकित निर्धारित कम में ही देशभक्ति गीत सामूहिक रूप से गाये जाएंगे। उक्तानुसार कार्यकम में देशभक्ति गीतो का कम निम्नांकितानुसार रखा जाएगा।
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की वंदे मातरम, वंदे मातरम
उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की वंदे मातरम, वंदे मातरम
ये हैं अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ अंगारों पे बोल रही है कण कण से क़ुर्बानी राजस्थान की इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की वंदे मातरम, वंदे मातरम
देखो मुल्क मराठों का यह यहां शिवाजी डोला था मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था हर पर्वत पे आग जली थी हर पत्थर एक शोला था बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था शेर शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की वंदे मातरम, वंदे मातरम
गीत-झण्डा ऊंचा रहे हमारा
झण्डा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झण्डा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
सदा शक्ती बरसाने वाला प्रेम सुधा बरसाने वाला वीरों को हर्षाने वाला मातृ भूमी का तन मन सारा मातृ भूमी का तन मन सारा
झण्डा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
स्वतंत्रता के भीशण रण में रख कर जोश बढ़े क्षण-क्षण में काँपे शत्रु देखके मन में मिट जाये भय संकट सारा मिट जाये भय संकट सारा……….
गीत- हम होंगे कामयाब एक दिन
हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन हो हो मन मे है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिनहोंगी शांति चारो ओर एक दिन हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास होगी शांति चारो ओर एक दिन(होंगी शांति चारो ओर)-3 होंगी शांति चारो ओर एक दिन हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास होगी शांति चारो ओर एक दिनआ.. आ..
(हम चलेंगे साथ-साथ लेके हाथों में हाथ हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन)-2
(नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी का आज नहीं डर किसी का आज एक दिन हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास नहीं डर किसी का आज एक दिन)-2
(हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन हो हो मन मे है विश्वास, पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन)-2
(हम होंगे कामयाब एक दिन)-3
राष्ट्र गान
जन-गण-मन अधिनायक जय हे भारत-भाग्य-विधाता पंजाब-सिन्ध-गुजरात-मराठा द्राविड़-उत्कल-बंग विन्ध्य-हिमाचल, यमुना-गंगा उच्छल जलधि तरंग तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशिष मांगे गाहे तव जय गाथा जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत-भाग्य-विधाताजय हे, जय हे, जय हे जय-जय-जय, जय ह
बैग फ्री सैटरडे कालांश वार नो बैग डे – शिक्षा में नई चेतना की ओर एक कदम
राजस्थान बजट 2020 में शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न जनउपयोगी- शिक्षा उपयोगी घोषणाओं के लिए राजस्थान सरकार का हार्दिक अभिनंदन। विशेष रुप से शनिवार को बस्ते की छुट्टी करने के लिए अर्थात बैग फ्री सैटरडे घोषित करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री महोदय का हृदय की गहराइयों से बहुत-बहुत अभिनंदन साधुवाद। जितने व्यापक स्तर पर इस घोषणा स्वागत हुआ है उससे स्पष्ट है कि यह जन आकांक्षाओं के अनुरूप लिया गया निर्णय हैं और बहुतायत में सभी ने इसकी प्रशंसा की है।
राजस्थान सरकार ने शनिवार को बैग फ्री सैटरडे की घोषणा की है । ठीक प्रकार से क्रियान्वित होने पर यह संकल्पना ,यह योजना शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों और लक्ष्यों के अनुरूप हैं ।स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी तक तमाम विद्वानों ने शिक्षा को व्यक्ति की अंतर्निहित शक्तियों का प्रकटीकरण करने वाला बताया है , मन बुद्धि और आत्मा का विकास करने वाला बताया है। शनिवार के दिन बिना बस्ते के भी बहूत कुछ सीखा जा सकता है और यह होने वाली पढ़ाई एवं गतिविधियां बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने में सहायक सिद्ध होगी। यह योजना भारतीय शिक्षण पद्धति के अनुरूप है।
यह वर्ष पूज्य महात्मा गांधी जी के जन्म का 150 वां वर्ष है और सौभाग्य से यह योजना महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा के सिद्धांतों के अनुरूप हैं । इससे बहुत सारे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ होंगे। शिक्षा में पाठ्य सहगामी क्रियाओं का भी महत्व रेखांकित होगा एवं शिक्षक पर गंभीरता से लेंगे क्योंकि पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं की बालक के व्यक्तित्व के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।
बच्चे भारी भरकम बस्ते के बोझ से मुक्त तनाव रहित होकर शिक्षा को आनंद मय वातावरण में उत्सव के रूप में ग्रहण करें, इस दृष्टि से पिछले 12 वर्षों से बस्ते का बोझ कम करने की दिशा में प्रयत्नशील हूँ। समाधान स्वरूप मासिक पाठ्य पुस्तक एवं शनिवार को बस्ते की छुट्टी की संकल्पना की थी। सौभाग्य से दोनों ही सुझावों को धीरे धीरे मान्यता मिल रही है।
शनिवार के दिन बिना बस्ते के पढ़े जा सकने वाले शिक्षण बिंदुओं को एक आलेख के रुप में लिखा था । जो शिविरा पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ। यदि इस प्रकार से कालांश विभाजन की योजना बन जाएगी तो यह बैग फ्री सैटरडे योजना सरलता से सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो सकेगी।
बस्ता मुक्त शनिवार क्यो-
कंधे पर भारी भरकम बस्ते का बोझ, एक हाथ में पानी की बोतल दूसरे हाथ में लंच बॉक्स के साथ( निजी विद्यालय) लिए धीमी गति से …थके थके से चलते पांव एवं मासूम चेहरों को देखते ही मन में पीड़ा होती हैं ।हम उसे सभ्य ,सुसंस्कृत ,सुयोग्य नागरिक बनने की शिक्षा दे रहे हैं अथवा केवल कुशल भारवाहक बनने का प्रशिक्षण ??
बचपन की मस्तियां ,शैतानियां, नादानियां ,किलकारियां, निश्छल हँसी ,उन्मुक्तता , जिज्ञासा आदि अनेक बालसुलभ क्रियाओं को बस्ते के बोझ ने अपने वजन तले दबा दिया है । बचपन का सावन, , कागज की कश्ती और बारिश के पानी के बालक केवल बातें ही सुनता है । स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का लगातार बढ़ता हुआ बोझ एक समस्या के रूप में समाज के सामने है । आजादी के बाद से ही इस पर लगातार चिंतन मनन होता रहा है और लगभग सभी शिक्षा आयोगों ,समितियों ने इसकी चर्चा की है, इस बोझ को कम करने की सिफारिश भी की है।बैग फ्री सैटरडे कालांश वार नो बैग डे – शिक्षा में नई चेतना की ओर एक कदम
शिक्षा क्या है-
शिक्षा बालक के सर्वांगीण विकास का आधार है । सा विद्या या विमुक्तये हो या विद्या ददाति विनयम ….मन बुद्धि और आत्मा के विकास की बात हो अथवा बालक की अंतर्निहित शक्तियों के प्रकटीकरण की बात ….शिक्षा मूल रूप से जीवन का आधार है, शिक्षा के बारे में मूल भारतीय चिंतन यही है । विभिन्न विद्वानों और विचारकों ने शिक्षा की परिभाषा में अलग-अलग शब्दों में इन्हीं भावों और उद्देश्यों को रेखांकित किया है। किंतु वर्तमान शिक्षा प्रणाली और परीक्षा प्रणाली बालक को केवल रटना सीखा रही हैं। उसे अधिकाधिक अंकों की दौड़ में प्रतिस्पर्धी मात्र बना रही है । ऐसे में सर्वांगीण विकास की बात अधूरी रह जाती हैं । बालकों की जन्मजात प्रतिभाएं, रुचियाँ एवं नैसर्गिक बचपन इस होड़ाहोडी में उलझ कर रह गये है । भारी भरकम बस्ते के बोझ तले पीसता बचपन अभिभावकों एवं स्कूल की ऊँची अपेक्षाओं की बलि चढ़ रहा है । बाल सुलभ जीवन चर्या के विपरीत उसका जीवन तनावपूर्ण हो रहा है । यह समस्या मनोवैज्ञानिकों ,समाजशास्त्रियों, शिक्षाविदों एवं अभिभावकों के लिए भी चिंता का कारण बनी है।
बस्ता शिक्षा का आधार नहीं है, न ज्ञानार्जन की प्रक्रिया भारी भरकम बस्ते पर अवलम्बित है। अक्सर विद्यालय से छुट्टी के बाद बालक घर जाकर जिस तरह से बस्ते को रखता हैं, पटकता है उससे उसके बालमन पर बस्ते और स्कूल के तनाव को सहजता से समझा जा सकता है।
एक शिक्षक के रूप में मैंने इस समस्या को निकट से अनुभव किया हैं । मैं पिछले 12 वर्षों से बस्ते के बोझ की समस्या को हल करने के लिए प्रयासरत हूं और इस अवधि में समाधान के रूप में दो विकल्प देश भर के शिक्षा प्रेमियों शिक्षाविदों , शिक्षकों और अभिभावकों के सामने रखे हैं। इन प्रयासों को एक बड़ा मुकाम मिला जब कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं NCERT के तत्वावधान में बस्ते की बोझ की समस्या के समाधान के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ ।मैं भी इस कार्यशाला में आमंत्रित था। इस कार्यशाला में मुझे देश के विभिन्न राज्यों से आए शिक्षाविदों और अधिकारियों के सामने अपने सुझाव रखने का अवसर मिला।समस्या ही नहीं समाधान की भी चर्चा होनी चाहिए, इस बात का अनुसरण करते हुए मैंने अपने दो सुझाव प्रस्तुत किये ।ये सुझाव देश भर में चर्चा का विषय बने। एक सुझाव को देश के विभिन्न राज्यो द्वारा लागू किया है । साथ ही केंद्रीय विद्यालय संगठन ने देश भर में प्राथमिक कक्षाओं के लिए भी इस सुझाव को लागू किया है।
मेरा सुझाव था कि सप्ताह में एक दिन बस्ते की छुट्टी कर दी जाए। देश के विभिन्न भागों में कर्मचारियों के लिए “फाइव डे वीक” की योजना चलती है जिसमें सरकारी कार्यालय सप्ताह में 5 दिन ही खुलते हैं ।
शनिवार को विद्यालयों की छुट्टी भले न करें पर शनिवार को बस्ते की छुट्टी अवश्य कर देनी चाहिए अर्थात बच्चे एवं स्टाफ विद्यालय तो आएँ किंतु बस्ते के बोझ से मुक्त होकर व होमवर्क के दबाव के बिना। यहां सहज कुछ प्रश्न खड़े होते है। पहला तो यह कि यदि बच्चे बस्ता नहीं लाएँगे तो विद्यालय में करेंगे क्या ?
समाधान है सप्ताह में एक दिन बच्चे शरीर, मन, आत्मा का विकास करने वाली शिक्षा ग्रहण करेंगे। अपनी प्रतिभा का विकास करेंगे। शिक्षा शब्द को सार्थकता देंगे। और इस शनिवार को नाम दिया “आनंदवार ” अर्थात शनिवार की शिक्षा बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ आनंद उल्लास और उमंग देने वाली भी हो।
यह एक प्रयास हैं बालक को तनाव मुक्त, आनंददायी, सृजनात्मक/प्रयोगात्मक शिक्षा देने का । वर्तमान में चल रही शिक्षा प्रणाली में बिना ज्यादा बदलाव किए, वर्तमान दायरे में रह कर भी शिक्षा को सहज, बोधगम्य, तनाव रहित, व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का विकास करने वाला बनाया जा सकता है। ऐसी अनेक बातें है,विभिन्न प्रकार के विषय है जो क्रिया आधारित है। जिनके लिए किताब या बस्ता ज़रूरी नहीं है। आनंदवार अर्थात शनिवार को भी नियमानुसार कालांश तो लगे पर उनका प्रकार कुछ बदला सा हो। “सादर विचारार्थ” सुझाव स्वरूप यह कालांश योजना प्रस्तुत है जिनके आधार पर दिनभर की गतिविधिया सम्पन्न हो सकती है।बैग फ्री सैटरडे कालांश वार नो बैग डे – शिक्षा में नई चेतना की ओर एक कदम
प्रथम कालांश – “योग, आसन, प्राणायाम व्यायाम”
प्रार्थना सत्र के पश्चात पहला कालांश योग-आसन, प्राणायाम, व्यायाम का रहे। बालक का शरीर स्वस्थ रहेगा, मज़बूत बनेगा तो निश्चित रूप से अधिगम भी प्रभावी होगा। कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है । प्राणायाम-व्यायाम के संस्कार विद्यार्थी के लिए जीवन पर्यंत काम आएँगे। इस कालांश में कौन से योग व्यायाम करवाना इसके लिए हमारे विभाग मे बहुत से एक्सपर्ट शारीरिक शिक्षक उपलब्ध है उनसे सलाह करके एक कॉमन योग कार्यक्रम तय किया जा सकता है । इसका एक सरल तरीका और है । विश्व योग दिवस का जो प्रोटोकॉल है, वह भी लगभग 40 मिनिट का है, उसका अभ्यास हो सकता है। उसमें सब प्रकार के योग व्यायाम एवं प्राणायाम सम्मिलित हैं । उसे हुबहू भी अपना सकते हैं अथवा कुछ संशोधन करके भी अपना सकते हैं । इस पहले कालांश को शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए काम में लिया जाना चाहिए
दूसरा कालांश – श्रमदान / स्वच्छता / पर्यावरण संरक्षण
इस कालांश में विद्यालय परिसर की स्वच्छता का कार्य, श्रमदान एवं पर्यावरण संबंधित कार्यों का निष्पादन होगा। विद्यालय में वृक्षारोपण, उनकी सार संभाल, सुरक्षा, पानी पिलाना, आवश्यकता होने पर कटाई-छंटाई, कचरा निष्पादन आदि कार्य।
तीसरा कालांश – संगीत अभ्यास
इस कालांश में गीत अभ्यास, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, प्रतिज्ञा, प्रार्थना का अभ्यास हो। कई बार यह देखा जाता है कि वर्षों तक विद्यालय में पढ़ने के बावजूद कुछ छात्रों को प्रार्थना और प्रतिज्ञा भी याद नहीं हो पाते हैं ,यह कालांश उनके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा ।उपलब्ध हो तो वाद्ययंत्र का अभ्यास और कभी-कभी डांस क्लास (नृत्य अभ्यास) भी इस कालांश में करवाया जा सकता है।
चतुर्थ कालांश – खेलकूद
कुछ खेल इनडोर हो सकते है कुछ आउटडोर हो सकते है। अत्यधिक धूप की स्थिति में कक्षा कक्ष में ही दिमागी खेल, छोटे समूह के खेल इत्यादि हो सकते है। कुल मिलाकर इस खेल कालांश के लिए दो प्रकार की योजनाएं की जानी चाहिए – इंडोर गेम्स और आउटडोर गेम। शारीरिक शिक्षकों की सलाह लेकर ऐसे अलग-अलग खेलों की विस्तृत सूची बनाकर सभी विद्यालयों को देनी चाहिए। बहुत सारे खेल ऐसे होते हैं जिन्हें बिना किसी साधन के भी अथवा न्यूनतम खर्च के संसाधनों के द्वारा खेला जा सकता है जैसे कबड्डी, विभिन्न प्रकार के दौड़े ,रुमाल झपट्टा ,ऊंची कूद लंबी कूद इत्यादि
पंचम कालांश -अभिव्यक्ति कालांश
मध्यावकाश बाद के इस कालांश में कविता,नाटक, वाद-विवाद समूह चर्चा (ग्रुप डिस्कशन) अंत्याक्षरी (हिन्दी- अग्रेंजी) चित्रकला इत्यादि। बस्ता नहीं लाना है तो चित्रकला की कॉपी भी नहीं लानी है।अतः श्यामपट्ट पर, कक्षा कक्ष अथवा बरामदे में फर्श पर चॉक से, मैदान में पेड़ों की छांव तले मिट्टी पर पानी छिड़क कर छोटी लकड़ी से भी चित्र बनाए जा सकते है। मैदान के कंकरों की सहायता से रंगोली भी बनायी जा सकती है।यह प्रयोग हमने किया हुआ है। कंकर को रंग करने के बाद उनसे विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां और रंगोलियां बनाई जा सकती है। इसमें लाभ यह है कि एक बार काम में लेने के बाद इन्हें पुनः काम में लिया जा सकता है जबकि सामान्य रंगोली के कलर दोबारा काम नहीं आ सकते । साथ ही बड़ी कक्षाओं में समूह चर्चा के लिए बहुत सारे विषय छाँट कर उनकी एक विस्तृत सूची बनाकर समस्त विद्यालयों को उपलब्ध करवाई जा सकती है । वर्ष भर में लगभग 40 शनिवार कार्य दिवस के रूप में आएंगे । ऐसे में लगभग 80 विषयों की सूची बनाकर विद्यालय को देनी चाहिए जिनमें से शिक्षक अपनी सुविधानुसार कक्षाओं में समूह चर्चा ले सकें जैसे पर्यावरण संरक्षण, साक्षरता में हमारी भूमिका, सड़क सुरक्षा, हमारे महापुरुष ,आदर्श विद्यार्थी के गुण, मेरा गांव मेरा गौरव, स्वास्थ्य के आधार बिंदु ,भोजन क्या करें कैसे करें …इत्यादि बहुत सारे विषय हो सकतेहैं
षष्ठम कालांश – पुस्तकालय एवं वाचनालय
इस कालांश में सभी कक्षाओं में छात्र संख्या के अनुरूप पुस्तकें वितरित की जाएं। पुस्तकालय प्रभारी संबंधित कक्षाओं के शिक्षकों को पुस्तकें देंगे। इस कालांश में पढ़कर पुनः शिक्षक के माध्यम से पुस्तकालय प्रभारी को जमा करना है। लगभग सभी विद्यालयों में जितने विद्यार्थी हैं इतनी पुस्तकें तो उपलब्ध है ही। उससे ज्यादा भी हो सकती हैअपवाद स्वरूप यदि किन्हीं विद्यालयों में पुस्तकालय में पुस्तक नहीं है तो बैग फ्री सैटरडे के बहाने वहां भी पुस्तकालय विकसित हो जाएगा।किसी न किसी योजना से सभी विद्यालयों में पुस्तकालय तो होना ही चाहिए
सप्तम कालांश -मौखिक गणित एवं भूगोल
यह भी अनेक बार का अनुभूत प्रयोग हैं ,कई बार करवाया है और बच्चों को इसमें बड़ा आनंद आता है । पहाड़ा अभ्यास, हाथ की अंगुलियों पर -टिप्स पर सामान्य गणितीय क्रियाओं का मौखिक अभ्यास, जोड बाकी गुणा भाग, प्रतिशत बट्टा आदि। साथ ही इस कालांश में सामान्य ज्ञान एवं भूगोल को भी पढ़ाया जा सकता है। मानचित्र परिचय, विश्व, भारत, राजस्थान के राजनैतिक, प्राकृतिक मानचित्र का अवलोकन, उसमें अलग अलग स्थानों को , नदी, पर्वत खोजना इत्यादि। (उपलब्ध हो तो इस कालांश में कम्प्यूटर शिक्षण भी हो सकता है।)
अष्टम कालांश – अभिप्रेरणा
बालसभा, बोधकक्षा, नैतिक शिक्षा, कैरीयर गाईडेंस इत्यादि। सप्ताह भर में आने वाले सभी उत्सव एवं महापुरुषों की जयंतियों का आयोजन भी इस कालांश में हो सकता है।
पहला एवं अन्तिम कालांश सामूहिक भी रह सकता है और सुविधानुसार कक्षानुसार भी हो सकता है।
कालांशो के विषय सुझाव स्वरूप उल्लेखित किए है। विभागीय आदेश ही मान्य होंगे। इनका क्रम विद्यालय स्तर पर सुविधानुसार निर्धारित किया जा सकता है, कक्षानुसार बदला जा सकता है।
बैग फ्री सैटरडे का अर्थ यह कतई नहीं है की अध्ययन अध्यापन में कोई कंजूसी हो । पांच दिन जमकर पढाई और छठे दिन शनिवार को व्यक्तित्व विकास, सजृनात्मकता अभिव्यक्ति। बैग फ्री सैटरडे की आर्थात आनंदवार की योजना से हमारी कालांश व्यवस्था में भी बहुत विशेष फर्क नहीं पड़ेगा कारण की सभी कक्षाओं में प्रतिदिन एक न एक पीरियड कला शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा या समाजोपयोगी कार्य के के नाम पर होता है । सप्ताह भर के उन सारे कलांशो को मिलाकर शनिवार के 1 दिन में मर्ज करना, इतनी सी बात है ।विभिन्न विषयों को मिलने वाले अध्ययन अध्यापन के कालांश उतने ही रहेंगे । जितने भी सह शैक्षणिक आयोजन करने हैं रैली इत्यादि निकालनी है वह सभी आयोजन इस बैग फ्री सैटरडे को हो सकते हैं शेष 5 दिन केवल शुद्ध रूप से अध्यापन अध्ययन कार्य ही चले ।
इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा बेग फ्री सेटरडे की घोषणा मौजूदा शिक्षा प्रणाली में बिना बदलाव के, बिना किसी वित्तीय भार के इस उपाय से शिक्षा को आनंददायी और विद्यालय परिसर को जीवन निर्माण केन्द्र बना सकने में सक्षम होगी। विद्यार्थियों के सामने भविष्य में आने वाली सामाजिक, स्वास्थ्य एवं नैतिक मूल्यों से जुडी चुनौतियों का सामना करने वाली पीढ़ी के निर्माण में इस विचार की क्रियान्विति महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकती है।
पुनः एक बार शनिवार को बस्ते की छुट्टी करने के लिए अर्थात बैग फ्री सैटरडे लिए राज्य सरकार का , शिक्षा मंत्री जी का बहुत-बहुत आभार, धन्यवाद, अभिनंदन – संदीप जोशी, जालोर
राजस्थान में शिक्षा के बढ़ते कदम : क्रमवार जानकारी RKSMBK STEP WISE WORK PLAN
यहाँ पर राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कार्यक्रम की सामग्री और आवश्यक गतिविधियों की विस्तृत जानकारी का मेन्यूअल जो कि राजस्थान शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा विकसित किया गया हैं, को आपकी सुविधा और कार्य कुशलता को बढाने के उद्देश्य से अपलोड की गयी हैं |
पंचायत स्तरीय प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों के लिए फीडबैक form
RKSMBK – Panchayat Trainings – PEEO/UCEEO Feedback Form
यह फॉर्म केवल PEEO-UCEEO/KRP द्वारा भरा जाना है।
यह फीडबैक फॉर्म केवल भविष्य में प्रशिक्षण को बेहतर बनाने के लिए एकत्र किया जाता है। कृपया प्रशिक्षण के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट प्रतिक्रिया साझा करें।
RKSMBK – Panchayat Trainings – Teacher Feedback Form
यह फॉर्म केवल शिक्षकों द्वारा भरा जाना है। फॉर्म पूरी तरह से गुमनाम है। शिक्षक के नाम, व्यक्तिगत संपर्क विवरण एकत्र नहीं किए जाते हैं।
यह फीडबैक फॉर्म केवल भविष्य में प्रशिक्षण को बेहतर बनाने के लिए एकत्र किया जाता है। कृपया प्रशिक्षण के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट प्रतिक्रिया साझा करें।
नमस्कार आदरणीय शिक्षक बंधुओ ! यहाँ आपको राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम कार्यक्रम की विस्तृत PPT सलग्न की हैं | हमने इस PPT के लिंक सार्वजनिक प्लेटफोर्म और सोशल मिडिया से लेकर आप तक सुविधा के लिए उपलब्ध करवाया हैं| और इन्हें बहुत सावधानी पूर्वक अटेच किया हैं फिर भी आपसे आग्रह हैं कि आप इन्हें डाउनलोड करके जांच ले परख ले पुष्टि होने पर ही इनका उपयोग करें, विस्तृत और प्रतिपुष्ट जानकारी के लिए विभागीय वेबसाईट का अवलोकन करें| शाला सुगम किसी भी त्रुटी और कमी के लिए जिम्मेदार नही हैं
यहाँ पर हमारे कुछ मित्रो और साथियों द्वारा सोशल मिडिया का उपयोग करके समूह निर्माण किया हैं जिसमे शिक्षक, शिक्षार्थी और प्रतियोगी के लिए आवश्यक सामग्री यथा आदेश, सर्कुलर, नियमावली, अध्ययन सामग्री के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े कई प्रकार की सामग्री निशुल्क और निस्वार्थ शेयर की जाती हैं, आपसे आग्रह हैं कि आप अपनी सहमती से इन सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़ सकते हैं |
नोट : हालांकि हमारी टीम ने इस पेज को तैयार करने में पूर्ण सावधानी रखी हैं फिर त्रुटी संभावित हैं | यहाँ पर यह जानकारी केवल सूचनार्थ हैं | समस्त सूचनाओं के लिए ओफिशियल वेबसाईट और लिंक को विजिट कीजिए |
ब्रिज रेमेडिएशन शिक्षक प्रशिक्षण का स्वरूप एवं स्तर
Bridge Remediation Teacher Training
ब्रिज रेमेडिएशन शिक्षक प्रशिक्षण का स्वरूप एवं स्तर
ब्रिज रेमेडिएशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, उदयपुर ने प्रशिक्षण मॉड्यूल का निर्माण कर प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित किया है। उक्त प्रशिक्षण हेतु परिषद स्तर पर एसआरजी (राज्य संदर्भ समूह) को 20 जून 2022 को ऑनलाइन मोड में प्रशिक्षित किया गया है।
उक्त प्रशिक्षित SRG द्वारा प्रत्येक PEEO/UCEEO एवं उनके क्षेत्राधीन विद्यालयों से एक दक्ष शिक्षक जिसे पिछले वर्ष गूगल फॉर्म के माध्यम से शिक्षक सारथी के रूप में चयन किया गया था, को जुलाई में प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रमानुसार KRP के रूप में ऑनलाइन प्रशिक्षित जाएगा। उक्त KRP प्रशिक्षण राज्य के नौ शैक्षिक संभागों के आधार पर आयोजित किए जाने हैं।
ब्रिज रेमेडिएशन शिक्षक प्रशिक्षण KRP प्रशिक्षण प्रस्तावित कार्यक्रम
समस्त PEEO / UCEEO एवं एक प्रशिक्षित शिक्षक KRP के रूप में 18 जुलाई तक अपने क्षेत्राधीन विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक कार्यपुस्तिकाओं का शिक्षण करवाने वाले शिक्षको को ऑफलाइन मोड में प्रशिक्षित करेंगे।
ब्रिज रेमेडिएशन शिक्षक प्रशिक्षण पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण हेतु अग्रिम तैयारी के बिंदु
1- प्रोजेक्टर, PPT प्रदर्शन हेतु
2- पर्याप्त बैठक व्यवस्था
3- इस वर्ष की कार्यपुस्तिकाओं की प्रति
PEEO / UCEEO अपने क्षेत्र के FLN प्रशिक्षण की समय सारणी को ध्यान में रखकर ब्रिज-रेमेडिएशन शिक्षक प्रशिक्षण आयोजित करवाएँगे । प्रत्येक संबंधित शिक्षक अनिवार्यतः इस प्रशिक्षण को पूरा करेंगे । यदि कोई शिक्षक वंचित रहता है तो PEEO/UCEEO उनके प्रशिक्षण की पुनर्व्यवस्था करेगे शिक्षक के प्रशिक्षण से वंचित रहने की समस्त जिम्मेदारी PEEO/UCEEO की होगी।
निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर एवं निदेशक RSCERT उदयपुर द्वारा KRP प्रशिक्षण एवं पंचायत स्तर पर आयोजित इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सघन पर्यवेक्षण किया जाएगा सभी CDEO / DEO/ DIET PRINCIPAL / CBEO उक्त प्रशिक्षणों का क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी निरीक्षण एवं प्रबोधन करना सुनिश्चित करेगे
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राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम कार्यक्रम के वर्चुअल लॉच के सीधा प्रसारण (Live Streaming)
Live Streaming of Virtual Launch of “Rajasthan’s growing step in education” program
राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम कार्यक्रम के वर्चुअल लॉच के सीधा प्रसारण (Live Streaming)
माननीय मुख्यमंत्री महोदय की बजट घोषणा 2022 के बिन्दु संख्या 6 (m) में कोविड़ काल के दौरान अध्ययन में हुई क्षति की भरपाई के लिए स्कूली विद्यार्थियों के लिए ब्रिज कार्यक्रम की घोषणा के क्रम में उनके द्वारा तद् अनुरूप कक्षा 1 से 8 के विद्यार्थियों के रेमेडिएशन हेतु आरम्भ किया जाने वाले कार्यक्रम “राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम का वर्चुअल लाँच एवं फील्ड ओरियन्टेशन कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा दिनांक 11 जुलाई 2022 (सोमवार) को किया जाएगा।
इस कार्यक्रम में माननीय शिक्षा मंत्री महोदय, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री महोदया. मुख्य सचिव महोदया, अतिरिक्त मुख्य सचिव (शिक्षा) महोदय भी उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम का समय 11:00 AM से 1.00PM रहेगा तथा यह दो चरणों में संचालित होगा
प्रथम चरण= 11:00 AM से 11:50 AM (कार्यक्रम का वर्चुअल उद्घाटन समारोह ) द्वितीय चरण= 11:50 AM से 1:00PM (फील्ड ऑरियन्टेशन)
इस कार्यक्रम में निम्नांकित का वीसी द्वारा भाग लिया जाना है
जिला स्तर पर DoIT के वीसी केंद्र में –
● समस्त जिला कलक्टर (कार्यक्रम के प्रथम चरण में उपस्थित रहेंगे )
● समस्त संभागीय संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा
● समस्त मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एवं पदेन जिला परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा |
● समस्त जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) – माध्यमिक / प्रारम्भिक शिक्षा।
ब्लॉक स्तर पर DoIT के वीसी केंद्र में
● मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी,
● अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारीगण,
● आर.पी. आदि ।
पंचायत मुख्यालय स्थित राजीव गांधी सेवा केंद्र पर स्थित वीसी केंद्र
● समस्त पीईईओ एवं
● परिक्षेत्र के सभी विद्यालयों के संस्था प्रधान ।
विद्यालयों में यूट्यूब लाइव प्रसारण / आई.सी.टी. लैब / स्मार्ट टी.वी इत्यादि द्वारा
● सभी शिक्षकगण यूट्यूब लाइव के लिंक से जुड़ेगें।
● शिक्षक यह भी सुनिश्चित करेगें कि लिंक प्राप्त होते ही सभी स्माइल ग्रुप्स में भी साझा करेगें।
● जिन विद्यालयों में आई.सी.टी. लैब हैं, वहां पर लैब के माध्यम से शिक्षकगण तथा विद्यार्थी लिंक से जुड़ेगें।
👇👇प्रसारण यहाँ पर भी LIVE होगा👇👇
प्रसारण का लिंक शुबह 11 बजे सक्रीय होगा
🖥️ शिक्षकों के लिए लिंक:
🟥 Youtube – https://youtu.be/KL4IDdjkRbE
० कार्यक्रम का सीधा प्रसारण निम्नलिखित माध्यम से उपलब्ध रहेगा:1. जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर वीडियो क्रॉन्फ्रेसिंग सेटअप के माध्यम से 2. ग्राम पंचायत स्तर राजीव गांधी सेवा केंद्र व e-मित्र प्लस मशीन। 3. यू-टयूब चेनल 4. Facebook
“राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम” के वर्चुअल लाँच कार्यक्रम में जिला स्तर, ब्लॉक स्तर अधिकारियों, पंचायत मुख्यालय एवं विद्यालय में पीईईओं, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित हो|
NOTE : यहाँ पर यह जानकारी केवल सूचनार्थ हैं | समस्त सूचनाओं के लिए ओफिशियल वेबसाईट और लिंक को विजिट कीजिए | हालांकि हमने यहाँ पर सुचना प्रकाशित करने मव सावधानी रखी हैं फिर भी किसी भी त्रुटी संभव हो सकती हैं इसके लिए शाला सुगम या शाला सुगम टीम जिम्मेदार नही हैं |
नए सत्र एक जुलाई से लागू होगा नियम, शिक्षा विभाग ने जारी किये आदेश
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के लिए राहत की खबर है। राज्य सरकार की ओर से वर्ष-2020 में की गई घोषणा अब मूर्तरूप लेने जा रही है, जिसके अनुसार नए सत्र यानी एक जुलाई से अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को शनिवार को बस्ता लेकर स्कूल नहीं जाना होगा। इसलिए सभी सरकारी स्कूलों में शनिवार को ‘नो बैग-डे’ मनाया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 फरवरी 2020 को बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से संबंधित घोषणाओं में सप्ताह में एक दिन शनिवार को सरकारी स्कूलों में बैग नहीं ले जाने व उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने संबंधी निर्णय की घोषणा थी। घोषणा के मुताबिक अनुसार सत्र 2022-23 में सप्ताह में प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा।
1. माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा 20 फरवरी, 2020 को राज्य विधानसभा में बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से सम्बन्धित घोषणाओं (बिन्दु संख्या 97) के अन्तर्गत समस्त सरकारी विद्यालयों में शनिवार के दिन “No Bag Day” रखे जाने और उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने बाबत निर्णय की घोषणा की गई थी। उक्तानुरूप सत्र 2022-23 में प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा ।
2. “No Bag Day” का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास एवं अन्तर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन अध्यापन के पारम्परिक तरीकों से इतर सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है।
3. इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक शनिवार को विद्यार्थी स्कूल बैग के बिना विद्यालय आएंगे।
4. प्रत्येक शनिवार को कक्षा स्तर के अनुसार थीम आधारित निम्नलिखित गतिविधियां करवाई जाएगी :
NO BAG DAY RAJASTHAN GOVERNMENT SCHOOL NEW PLAN
क. सं०
शनिवार क्रमांक
थीम
1
माह का प्रथम शनिवार
राजस्थान का पहचानों
2
माह का द्वितीय शनिवार
भाषा कौशल विकास
3
माह का तृतीय शनिवार
खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान
4
माह का चतुर्थ शनिवार
मैं वैज्ञानिक बनूंगा
5
माह का पंचम शनिवार
बाल-सभा मेरे अपनों के साथ
5. “No Bag Day” के दिन आनंददायी तरीके से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया कक्षावार न होकर निम्नांकितानुसार कक्षा समूहवार होगी।
NO BAG DAY RAJASTHAN GOVERNMENT SCHOOL NEW PLAN
क.स०
समूह का नाम
कक्षा वर्ग
1
अंकुर
कक्षा 1 से 2
2
प्रवेश
कक्षा 3 से 5
3
दिशा
कक्षा 6 से 8
4
क्षितिज
कक्षा 9 से 10
5
उन्नति
कक्षा 11 से 12
6. 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्टूबर के अतिरिक्त शिविरा पंचांग में दर्शाए गए / मनाए जाने वाले समस्त उत्सव जयन्तियां सम्मिलित है। प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस के रूप में आयोजन करने हेतु शिविरा पंचांग में सम्मिलित गतिविधियों / कार्यक्रमों / क्रियाकलापों के आयोजन “No Bag Day” हेतु निर्धारित समय सारिणी में से 40 मिनट का समय निकालकर विद्यालय संचालन के अंतिम समय में आयोजित किए जाएंगे।
7. सम्पूर्ण सप्ताह (सोमवार से रविवार) के दौरान पड़ने वाले उत्सवों / जयंतियों का विधिवत आयोजन सप्ताह में “बस्ता मुक्त दिवस’ (शनिवार) को समारोहपूर्वक किया जाए, जिसके लिए रूप रेखा का निर्माण एवं पूर्व तैयारी सम्बन्धित शिक्षकों एवं आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले विद्यार्थियों द्वारा उक्त शनिवार से पूर्व की जाए।
8. बस्ता मुक्त दिवस मनाए जाने के कारण समस्त बाल सभाएं मासिक स्टाफ बैठक, अभिभावक शिक्षक बैठक(PTM). SDMC/SMC की कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक (वर्तमान में प्रतिमाह अमावस्या को आयोज्य). मीना-राजू / गार्गी मंच की बैठक इत्यादि कार्यक्रम भी बस्ता मुक्त दिवस (शनिवार) के अवसर पर आयोजित किए जाएं। माह के अंतिम शनिवार को उत्सव / जयन्ती / बाल सभा आयोजित करने के उपरान्त समस्त राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा 40 मिनट स्वैच्छिक श्रमदान किया जाएगा।
9. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर तथा राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (RSCERT), उदयपुर तथा विभिन्न अभिकरणों एवं विभाग द्वारा समय-समय पर विद्यार्थियों में सृजनात्मक कौशल विकास तथा वैज्ञानिक अभिवृत्ति एवं अभिरूचि विकास के उद्देश्य से आयोजित की जाने वाली समस्त प्रतियोगिताएं विद्यालय स्तर पर शनिवार को ही आयोजित करवाई जाएं।
10. “बस्ता मुक्त दिवस (शनिवार) के अवसर पर आयोजित होने वाले उत्सवों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों यथा- खेलकूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण, निबन्ध लेखन इत्यादि के आयोजन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
11. प्रतिमाह एक बाल सभा में गांधीजी द्वारा प्रतिपादित ‘बुनियादी शिक्षा की अवधारणा का ज्ञान विद्यार्थियों को देते हुए पारम्परिक घरेलू कुटीर उद्योग का व्यावहारिक प्रदर्शन करवाया जाए, जैसे मिट्टी के बर्तन या खिलौने बनाना, तकली कातना, चरखे का उपयोग इत्यादि। इस हेतु विद्यालय के आस-पास से आर्टिजन को विद्यालय में आमंत्रित किया जाकर प्रत्यक्ष प्रदर्शन करवाने का प्रयास किया जाए।
No Bag Day शनिवार की मुख्य बातें
इस दिन बच्चों को बिना बैग के स्कूल जाना है
शनिवार के दिन स्कूल में पढाई नहीं होगी
प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को योगा और जनरल नॉलेज की क्लास लगेगी
इस दिन बच्चों में उत्साह रहेगा
थीम पर गतिविधियां
माह के पहले शनिवार राजस्थान को पहचानो।
दूसरा शनिवार भाषा कौशल विकास।
तीसरा शनिवार खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान।
चौथा शनिवार मैं वैज्ञानिक बनूंगा।
पांचवा शनिवार बालसभा मेरे अपनों के साथ।
बच्चों का होगा शारीरिक-बौद्धिक विकास
मासूम बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम करने व उनके शारीरिक-बौद्धिक विकास
के लिए शनिवार को नो बैग डे मनाने का निर्णय लिया है। राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हापूराम चौधरी के अनुसार इससे विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक विकास होगा साथ ही सह शैक्षणिक गतिविधियों के प्रति विद्यार्थियों की रुचि बढ़ेगी।
अंतरराष्ट्रीय मपदंड तय
अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार बच्चे के स्कूल बैग का बोझ उसके वजन के 10 फीसदी तक होना चाहिए। देश में सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी हुई है। हालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है।
इस प्रकार से होगा आयोजन
शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक कक्षा 1 से 12 तक के सभी बच्चों के पांच गु्रप्स बनाए जाएंगे। कक्षा 1 व 2 का एक समूह , कक्षा 3 4 5 का दूसरा समूह। कक्षा 6 7 8 का तीसरा और चौथा समूह कक्षा 9 और 10 का बनेगा। इसी प्रकार कक्षा 11 और 12 का पांचवां समूह बनाया जाएगा। सभी समूहों में विषय एक जैसे ही होगे। बस अंतर रहेगा उनमें होने वाली गतिविधियों व कार्य का। गतिविधियों को डिजाइन करते समय कक्षास्तर का ध्यान रखा जाएगा। कक्षा के स्तर के अनुसार ही उनमें गतिविधियां करवाई जाएंगी।
जैसे पहले शनिवार को ‘राजस्थान को पहचानो’ के नाम से गतिविधियां कक्षा स्तर के अनुसार तैयार करके करवाईं जाएगी। इसी प्रकार द्वितीय शनिवार का विषय होगा भाषा कौशल विकास हेतु अभिव्यक्ति के अवसर प्रार्थना के तुरंत बाद, तीसरे शनिवार का विषय रखा गया है ‘खेलेगा राजस्थान पढ़ेगा राजस्थान’ चौथे शनिवार को ‘मैं बनूंगा वैज्ञानिक करके दिखाना ‘ प्रमाणित करना। पांचवा शनिवार यदि महीने में आता है तोए ‘बालसभा मेरे अपनों के साथ’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
यह एक्टीविटिज भी करेंगे बच्चे
स्कूल समय में विद्यार्थियों को विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रखा जाएगा, इसका दायित्व शिक्षक का होगा।
पूरे विद्यालय को विभिन्न सदनों में बांटकर सदन वार प्रतियोगिता करवाना। देशभक्ति गीत, संगीत, क्विज, निबन्ध प्रतियोगिता, आशुभाषण आदि प्रतियोगिताओं में लेना होगा भाग।
खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए खोखो, चैस, बैंडमिंडन, वॉलीबाल, बास्केटबॉल, कबड्डी इत्यादि भी प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन
योगाभ्यास भी करना होगा।
श्रमदान की भावना जाग्रत करने के लिए बच्चे श्रमदान भी कर सकेंगे।
बच्चों को स्वंतत्रता सेनानी, सुधारक और महान वैज्ञानिकों की फिल्में दिखाई जाएंगी।
बच्चों के माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण बातें
शनिवार को बच्चों की स्कूल जरूर भेजें पढाई नहीं होगी ये सोचकर उनकी छुट्टी न करवाएं
इस दिन बिना बैग के बच्चों को स्कूल भेजें
बच्चों को योगा जैसी शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें
‘‘नो बैग-डे का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास व उनमें अंतर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन-अध्यापन के पारंपरिक तरीकों के अलावा सहयोगी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है। -अमृतलाल, जिला शिक्षाधिकारी, मुख्यालय माध्यमिक, जोधपुर।