Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

शिक्षा विभाग में हाल ही लागू समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य के सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों को अब एकमुश्त कंपोजिट स्कूल ग्रांट मिलेगी। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक शिवांगी स्वर्णकार ने एक पत्र जारी कर दिया है।

कम्पोजिट स्कूल ग्रांट सरकार द्वारा समर्थित शैक्षिक निधि है। जिसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है। साथ ही विभिन्न प्रकार के स्कूलों के बीच असमानताओं को कम करना है। अनुदान का उद्देश्य छात्रों को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। पाठ्य सहगामी क्रियाओं का विकास करना शामिल है । इसी के साथ विद्यालयों की दैनिक भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी इसमे शामिल किया गया है ।

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की सामान्य शैक्षिक, सह- शैक्षिक, भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति एवं पुराने उपकरणों के प्रतिस्थापन तथा विद्यालय स्वच्छता एक्शन प्लान हेतु कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिये जाने का प्रावधान है। विद्यार्थी हित में विद्यालय की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु इस राशि का उपयोग किया जा सकेगा। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कार्य को बढ़ावा देने के लिये पाठ्य सहगामी क्रियाओं का विकास करना एवं विद्यालयों की दैनिक/भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।

यह अनुदान डाइस डाटा 2022-23 के अनुसार राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों को देय है, जो कि शिक्षा विभाग / पंचायती राज विभाग / केजीबीवी / संस्कृत शिक्षा के विद्य लयों / शिक्षाकर्मी बोर्ड द्वारा संचालित विद्यालयों / समाज कल्याण विभाग के अधीन आते हैं, को जारी की जानी है।

Latest Composite School Grant Guideline / कंपोजिट स्कूल ग्रांट 2024-25 दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

आप शिक्षा जगत के तीव्र अपडेट के लिए इस व्हाट्सएप्प चैनल को जरूर Follow कर लेवें।
👇👇👇👇


JOIN WHATSAPP CHAINL

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


वित्तीय प्रावधान

क्र. सं.विद्यालय में विद्यार्थी संख्या आधारविद्यालय को स्वीकृत राशिविद्यालय स्वच्छता पर खर्च की आजने वाली सालाना राशि
11-15125001250
216-100250002500
3101-250500005000
4250-1000750007500
5Above 100010000010000
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

नोट :- 1) उपरोक्त तालिका के क्रं. सं. 1 से 5 तक की विस्तृत सूची परिशिष्ट-2 पर संलग्न है।
2) मर्ज हुए विद्यालय एवं शून्य नामांकन वाले विद्यालयों को यह अनुदान देय नहीं होगा।


JOIN TELEGRAM PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


  1. सर्वप्रथम एसएमसी / एसडीएमसी अपने विद्यालय की वार्षिक आवश्यकताओं का चिह्नीकरण करें एवं लिखित प्रस्ताव प्राप्त करें ।
  2. वर्षभर की आवश्यकताओं का वित्तीय अनुमान निर्धारित करें।
  3. एसएमसी / एसडीएमसी के 4 सदस्यों की एक क्रय समिति बनेगी, जिसमें अध्यक्ष एवं सचिव के अतिरिक्त दो अभिभावक सदस्य होंगे।
  4. क्रय की गई सामग्री की गुणवत्ता उच्च स्तर की होनी चाहिए ।
  5. सामग्री क्रय कर रोकड़ बही, स्टॉक रजिस्टर, बिल वाउचर्स को सुव्यवस्थित सन्धारित करें |
  6. सीएसजी राशि का उपयोग किया जाकर विद्यालयों द्वारा उपयोगिता प्रमाण-पत्र ब्लॉक कार्यालय को प्रेषित किया जायेगा। ब्लॉक कार्यालय द्वारा समेकित उपयोगिता प्रमाण-पत्र जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय को प्रेषित किया जायेगा। जिला परियोजना समन्वयक जिले का उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यू.सी.) परिषद् कार्यालय को ई-मेल आईडी [email protected] पर निर्धारित प्रपत्र (परिशिष्ट – 1 ) के अनुसार प्रेषित करेंगे।
Latest Composite School Grant Guideline / कंपोजिट स्कूल ग्रांट 2024-25 दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

कम्पोजिट स्कूल ग्राण्ट (Composite School Grant) राशि में 10 प्रतिशत राशि स्वच्छता एक्शन प्लान के लिये निर्धारित की गयी है जिसका निम्न कार्याें में उपयोग किया जा सकेगा-

  1. विद्यालय के शौचालय/मुत्रालयों की साफ सफाई व सफाई हेतु वांछित सामग्री यथा एसिड, टाॅयलेट क्लीनर आदि क्रय करने के लिये।
  2. विद्यालय के शौचालय मूत्रालयों का नियमित रख रखाव।
  3. एमडीएम से पूर्व व शौचालय उपयोग उपरान्त छात्र छात्राओं को हाथ धोने के लिये साबुन की व्यवस्था करने के लिये।
  4. शौचालय/मुत्रालय की माइनर रिपेयर करवाने के लिये।
  5. शौचालय मुत्रालय में रनिंग वाटर सुविधा या पानी की टंकी रखाने के लिये।
  6. बेकार पानी तथा सूखे कचरे के निस्तारण की व्यवस्था हेतु।
  7. कक्षा-कक्षों एवं विद्यालय परिसर में रखने के लिये कचरा पात्र क्रय/तैयार करने हेतु।
  8. बालिका शौचालय के साथ इन्सीनेटर लगाने/निर्माण करने के लिये।
  9. पेयजल स्रोत को ठीक करवाने के लिये।
SHEKHAWATI MISSION 100 QUESTION BANK CLASS 10 2025 DOWNLAOD ALL SUBJECT FREE PDF
SHEKHAWATI MISSION 100 QUESTION BANK CLASS 10 2025 DOWNLAOD ALL SUBJECT FREE PDF

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र की राशि का उपयोग निम्न सामग्री क्रय करने / कार्य में आवश्यकतानुसार किया जा सकता है –

  • विद्यालय के अक्रियाशील उपकरणों के प्रतिस्थापन हेतु।
  • दरी पट्टी / दरी।
  • श्यामपट्ट मरम्मत एवं रंग-रोगन / ग्रीन बोर्ड / आदमकद दर्पण / कार्मिकों का फोटो युक्त विवरण ।
  • चॉक, डस्टर।
  • परीक्षा संबंधी स्टेशनरी
  • पेयजल व्यवस्था, विद्युत व्यय पंखा।
  • एक दैनिक समाचार पत्र (अनिवार्य) ।
  • प्रतियोगिताओं का आयोजन / खेल सामग्री / उपलब्धि प्रमाण पत्र मुद्रण।
  • अग्निशमन यन्त्र के सिलेण्डर में गैस भरवाने हेतु।
  • शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम में रैफर किये गये विद्यार्थियों को अस्पताल ले जाने का किराया
  • प्रयोगशाला संबंधी उपकरणों के रखरखाव एवं मरम्मत हेतु ।
  • इन्टरनेट संबंधी कार्य ।
  • वार्षिक टूट-फूट, मरम्मत व सौंदर्यन (विद्यालय भवन, शौचालय / मूत्रालय व अन्य व्यवस्थाएं ) ।
  • शिक्षण अधिगम सामग्री में उपयोग
  • अन्य उपयोज्य सामग्री यथाः झाडू मटका, बाल्टी, मग आदि।
  • छात्र हित में अन्य आवर्ती खर्च
  • नोट:- उक्त कार्यों के अलावा अन्य कार्यों में उक्त राशि का उपयोग नहीं किया जाये। अति आवश्यक होने पर परिषद् की पूर्वानुमति से उक्त राशि में बचत होने पर अन्य कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा।

कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट (Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र) में कम से कम 10 प्रतिशत राशि स्वच्छता एक्शन प्लान के लिए निर्धारित गई है, जिसका उपयोग निम्न कार्यों हेतु ही किया जा सकेगा:

  • विद्यालय के शौचालय / मूत्रालयों का नियमित उपयोग एंव रख-रखाव ।
  • शौचालय / मूत्रालयों की साफ-सफाई व सफाई हेतु वांछित सामग्री यथा ब्रश ऐसिड, टॉयलेट क्लीनर आदि क्रय करने के लिए।
  • विद्यार्थियों को हाथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था करने के लिए।
  • शौचालय / मूत्रालय की माईनर रिपेयर करवाने के लिए। शौचालय / मूत्रालय में रनिंग वाटर सुविधा या पानी की टंकी रखवाने के लिए।
  • बेकार पानी तथा सूखे कचरे के निस्तारण की व्यवस्था हेतु ।
  • कक्षा-कक्षों एवं विद्यालय परिसर में रखने के लिए कचरा पात्र क्रय / तैयार करने हेतु।
  • बालिका शौचालय के साथ डिसपेंसर एवं इन्सीनरेटर रिपेयर के लिए।
  • पेयजल स्त्रोत को रिपेयर कराने के लिए।
  • कोविड-19 को ध्यान में रखते हुये सैनेटाईजर, साबुन क्रय ।
  • परिषद कार्यालय आदेश क्रमांक रास्कूशिप / जय / वैशि / 2020-21 / 12925 दिनांक 13.07.2020 के अनुसार कोविड-19 के बचाव हेतु सुरक्षा एवं स्वच्छता पर राशि व्यय करना सुनिश्चित करें।

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

  • सर्वप्रथम एसएमसी / एसडीएमसी अपने विद्यालय की वार्षिक आवश्यकताओं का चिह्नीकरण करें एवं लिखित प्रस्ताव प्राप्त करें।
  • वर्षभर की आवश्यकताओं का वित्तीय अनुमान निर्धारित करें।
  • एसएमसी / एसडीएमसी के 4 सदस्यों की एक क्रय समिति बनेगी जिसमें अध्यक्ष एवं सचिव के अतिरिक्त दो अभिभावक सदस्य होंगे।
  • क्रय की गई सामग्री की गुणवत्ता उच्च स्तर की होनी चाहिए।
  • सामग्री क्रय कर रोकड़ बही, स्टॉक रजिस्टर, बिल वाउचर्स को सुव्यवस्थित संधारित करें। 6. सीएसजी राशि का उपयोग किया जाकर विद्यालयों द्वारा उपयोगिता प्रमाण-पत्र ब्लॉक कार्यालय को प्रेषित किया जायेगा। ब्लॉक कार्यालय द्वारा समेकित उपयोगिता प्रमाण-पत्र जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय को प्रेषित किया जायेगा। जिला परियोजना समन्वयक जिले का उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यू. सी.) परिषद् कार्यालय को ई-मेल आईडी [email protected] पर निर्धारित प्रपत्र (परिशिष्ट-1 ) के अनुसार प्रेषित करेंगे।
  • फर्नीचर क्रय हेतु (छात्र / प्राधानाध्यापक कक्ष / स्टाफ रूम फर्नीचर क्रय नहीं किया जाये ।
  • जलपान आदि पर।
  • उत्सव मनाना अथवा उत्सव आयोजन के फोटो खिंचवाना।

Shekhawati Mission 100 कक्षा 10 प्रश्नबैंक यहाँ क्लिक करें

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

  • कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट से क्रय की जाने वाली सामग्री क्रय में राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम 2012 एवं नियम 2013″ की अक्षरशः पालना सुनिश्चित की जावें।
  • सामग्री क्रय करते समय राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्, जयपुर के दिशा निर्देशों की पालना करते हुये विद्यार्थी हित एवं विद्यार्थी आवश्यकता को प्राथमिकता दी जावे।
  • क्रय की गई सामग्री का उचित रखरखाव करते हुये, वर्ष पर्यन्त उपयोग सुनिश्चित किया जाये।
  • विद्यालय अवलोकनकर्ता अधिकारी अवलोकन के दौरान कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट के सार्थक भी अवलोकन करें एवं प्रतिवेदन में इसका उल्लेख करें।
  • आईसीटी लैब को प्राथमिकता से क्रियाशील बनाना।
SHEKHAWATI MISSION 100 QUESTION BANK CLASS 12 2025 DOWNLAOD ALL SUBJECT FREE PDF
SHEKHAWATI MISSION 100 QUESTION BANK CLASS 12 2025 DOWNLAOD ALL SUBJECT FREE PDF

राज० स्कूल शिक्षा परिषद से राशि प्राप्त होने के 10 (दस) दिवस में राशि का हस्तान्तरण करवाना सुनिश्चित करें एवं विद्यालय स्तर तक की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु व्यक्तिश: मॉनीटरिंग करें। विलम्ब की स्थिति में परिषद कार्यालय अथवा निदेशालय स्तर से की जाने वाली कार्यवाही के लिये सम्बन्धित अधिकारी जिम्मेदार रहेंगे।

  • राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद से कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट की प्राप्त राशि को नामांकन अनुसार विद्यालयों को हस्तान्तरित करना।
  • विद्यालयों को जारी की गयी राशि एवं दिनांक से विद्यालयों को अवगत करवाना ताकि संस्था प्रधान द्वारा का उपयोग यथा समय किया जा सके ।
  • कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट की राशि का विद्यालय स्तर पर छात्र हित में उपयोग करवाया जाना सुनिश्चित करना।
  • पीईईओ / यूसीईईओ से वित्तीय वर्ष 2021-22 का उपयोगिता प्रमाण पत्र सीबीईओ के माध्यम से प्राप्त करना।
  • जिले का वित्तीय वर्ष 2021-22 का कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट का उपयोगिता प्रमाण पत्र राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद को प्रेषित करना ।
  • जिला कार्यालय से प्राप्त राशि को दस दिवस में ब्लॉक के समस्त विद्यालय की एसएमसी / एसडीएमसी को हस्तान्तरित करना। विलम्ब की स्थिति में परिषद कार्यालय अथवा निदेशालय स्तर से की जाने वाली कार्यवाही के लिये सम्बन्धित अधिकारी जिम्मेदार रहेंगे।
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट की राशि का विद्यालय स्तर पर छात्र हित में समस्त राशि का उपयोग करवाया जाना सुनिश्चित करना।
  • विद्यालय स्तर पर राशि के उपयोग की मॉनीटरिंग करना।
  • ब्लॉक के समस्त पीईईओ / यूसीईईओ से वित्तीय वर्ष 2021-22 की सम्पूर्ण राशि के उपयोग का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त कर अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय को प्रेषित करना।
  • अधीनस्थ विद्यालयों द्वारा कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट राशि का दिशा-निर्देशों अनुसार विद्यार्थी हित में उपयोग किया जाना सुनिश्चित करना।
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 पीईईओ विद्यालय एवं यूसीईईओ के अधीनस्थ विद्यालयों से कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट की सम्पूर्ण राशि के उपयोग का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त कर सीबीईओ कार्यालय को प्रेषित करना।
  • सीबीईओ कार्यालय द्वारा विद्यालयों को जारी राशि के उपयोग की सतत् मॉनीटरिंग करना।
  • विद्यालय की एसडीएमसी / एसएमसी से विद्यालय की सुविधाओं के लिए आवश्यकताओं का चिन्हिकरण कर लिखित में प्रस्ताव प्राप्त करना एवं वर्षभर की आवश्यकताओं का वित्तीय अनुमान निर्धारित करना ।
  • एसडीएमसी / एसएमसी के 4 सदस्यों की क्रय समिति बनाना। इसमें अध्यक्ष एवं सचिव के अतिरिक्त 2 अभिभावक सदस्य हो तथा क्रय की गई सामग्री की गुणवत्ता उच्च स्तर की होना सुनिश्चित करना।
  • सामग्री क्रय कर रोकड बही स्टॉक रजिस्टर, बिल वाउचर को सुव्यवस्थित संधारित करना। 4. वित्तीय वर्ष के अंत में कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट की समस्त राशि के उपयोग का उपयोगिता प्रमाण-पत्र पीईईओ / यूसीईईओ कार्यालय को प्रेषित करना।

Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

  1. इस मद में निर्धारित बजट सीमा से अधिक व्यय नहीं किया जाये । निर्धारित सीमा से अधिक व्यय किये जाने पर संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाकर वसूली की जाएगी। क्रय हेतु वित्तीय नियमों का ध्यान रखा जाये ।
  2. किये गये व्यय का निर्धारित समयावधि में उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया जाकर समायोजन सुनिश्चित करवाया जाये ।
  3. राशि का उपयोग गतिविधि व शिक्षा मंत्रालय के दिशा निर्देशानुसार एवं वित्तीय नियमों की पूर्ण पालना करते हुये विहित प्रक्रियानुसार किया जाना सुनिश्चित करें ।
  4. क्रय की जाने वाली सामग्री में “राजस्थान लोक उपापन में पादरर्शिता अधिनियम 2012 एवं नियम 2013” की अक्षरशः पालना सुनिश्चित की जाये ।
Latest Composite School Grant Guideline / कंपोजिट स्कूल ग्रांट 2024-25 दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline / कंपोजिट स्कूल ग्रांट 2024-25 दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline / कंपोजिट स्कूल ग्रांट 2024-25 दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline / कंपोजिट स्कूल ग्रांट 2024-25 दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र
Latest Composite School Grant Guideline कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिशा-निर्देश सत्र 2024-25 एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

कम्पोजिट स्कूल ग्रांट उपयोगिता प्रमाण पत्र PDF CSG-UC 2024-25 यहाँ क्लिक करें

🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻

गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

Process of recognition to private schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया : इस आर्टिकल में हमने गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिए जाने की संपूर्ण प्रक्रिया और उससे दिशानिर्देश के बारे में विस्तार से लिखा है। इस आर्टिकल में आप जानेगे कि एक गैर सरकारी विद्यालय को मान्यता लेने के लिए किन किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। किस प्रकार कमेटी का गठन करना होता है? साथ ही कौन कौन से मापदंड हैं जिन्हें हमें पूर्ण करना आवश्यक होता है?

साथ ही आप ये भी जानेगे कि ऑनलाइन आवेदन करते समय किस प्रक्रिया को हमें फॉलो करना है और कौन कौन से डॉक्यूमेंट हमें अपने पास अप टू डेट रखने है और कौन से डॉक्यूमेंट है जो पोर्टल के ऊपर अपलोड होंगे। Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवं राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था (मान्यता, सहायता अनुदान और सेवा शर्ते आदि) नियम, 1993 में विभिन्न स्तर की गैर सरकारी शैक्षिक संस्थाओं को मान्यता देने का प्रावधान है। राज्य में इन अधिनियम एवं नियमों के अन्तर्गत प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर की 37 हजार से अधिक संस्थाऐं संचालित है। इन संस्थाओं का राज्य में शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन संस्थाओं की अनुभूत कठिनाइयों तथा विभाग की आवश्यकताओं को देख हुए समय-समय पर अधिनियम एवं नियमों के दायरे में अनेक अधिसूचनाओं में संशोधन, नई आज्ञा एवं नए आदेश जारी किए गए हैं।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

गैर सरकारी शैक्षिक संस्थाओं की सुविधा तथा विभागीय कार्यालयों के कार्य को सुगम एवं पारदर्शी बनाने की दृष्टि से शैक्षिक सत्र 2016-17 से समस्त प्रकार की मान्यताओं को ऑनलाइन किया गया है। शैक्षिक सत्र 2020-21 में ऑनलाइन मान्यता हेतु शैक्षिक संस्थाओं एवं विभागीय कार्यालयों के करणीय कार्यों के सम्बन्ध में राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवं नियम, 1993 तथा समय-समय पर जारी अधिसूचनाओं / आदेश / परिपत्रों के आधार पर तैयार कर विस्तृत दिशा निर्देश प्रसारित किए जा रहे हैं।

यदि इन दिशा निर्देशों में और मूल अधिनियम / नियम / अधिसूचना / आदेश / परिपत्रों में कोई विसंगति पायी जाए तो मूल अधिनियम / नियम / अधिसूचना / आदेश / परिपत्र ही मान्य होंगे।

1.. आवेदन करना राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1999 एवं नियम, 1993 के प्रावधानानुसार गैर सरकारी शैक्षिक संस्थाओं को किसी भी प्रकार की मान्यता (नवीन मान्यता, क्रमोन्नति माध्यम परिवर्तन, नाम परिवर्तन, स्थान परिवर्तन, वर्ग परिवर्तन सोसायटी परिवर्तन, अतिरिक्त माध्यम, अतिरिक्त विषय दो पारी विद्यालय संचालन इत्यादि) के लिए ऑनलाइन ही आवेदन करना होगा। यह आवेदन राजस्थान सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के प्राइवेट स्कूल पोर्टल (www.rajpsp.nic.in) पर करना होगा।

2. नवीन मान्यता, कमोन्नति एवं अन्य मान्यताओं हेतु पात्रता कोई भी गैर-सरकारी शैक्षिक संस्था प्राथमिक ( कक्षा 1-5 तक) अथवा उच्च प्राथमिक (कक्षा 1-8 तक) स्तर की नवीन मान्यता हेतु आवेदन कर सकती है, प्राथमिक से उच्च प्राथमिक, उच्च प्राथमिक से माध्यमिक एवं माध्यमिक से उच्च माध्यमिक स्तर की कमोन्नति हेतु आवेदन कर सकती है तथा माध्यम परिवर्तन, स्थान परिवर्तन, नाम परिवर्तन, अतिरिक्त माध्यम, अतिरिक्त विषय माध्यम परिवर्तन सोसायटी परिवर्तन, दो पारी विद्यालय संचालन इत्यादि के लिए आवेदन कर सकती   है, Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

इन समस्त प्रकार की मान्यताओं के लिए पात्रता की न्यूनतम शर्ते निम्नानुसार हैं

 2.1. आधारभूत संरचना एवं आवश्यक सुविधाऐं: विभिन्न प्रकार की मान्यताओं हेतु आधारभूत संरचना एवं आवश्यक सुविधायें संलग्न परिशिष्ट 3 के अनुसार होगी।

2.2  शिक्षक एवं अन्य कर्मचारीवृन्द : विभिन्न प्रकार की मान्यताओं हेतु शिक्षक एवं अन्य कर्मचारीवृन्द संलग्न परिशिष्ट-4 के अनुसार होंगे।

2.3  सोसाइटी / ट्रस्ट का पंजीकरण : संस्था की मान्यता के लिए आवेदन करने वाली सोसाइटी / ट्रस्ट का पंजीकरण अनिवार्य है। पंजीकरण के प्रमाण पत्र को स्कैन करके अपलोड करना होगा।

2.4 सोसाइटी / ट्रस्ट के उद्देश्यों में शैक्षिक संस्था खोलने का उद्देश्य :- संस्था की मान्यता के लिए आवेदन करने वाली सोसाइटी / ट्रस्ट के उद्देश्यों में शैक्षिक संस्था खोलने का उद्देश्य होना आवश्यक है। सोसाइटी / ट्रस्ट के उद्देश्यों को स्केन करके अपलोड करना होगा।

2.5 शुल्क :- समस्त प्रकार के आवेदन शुल्क ऑनलाइन ई-ग्रास पोर्टल के माध्यम से जमा कराने होंगे तथा आरक्षित कोष की राशि का डीडी सचिव बालिका शिक्षा फाउण्डेशन, जयपुर के नाम से बनेगा। मान्यता आवेदन शुल्क की राशि आवेदन पत्र के साथ ही देनी होगी तथा आरक्षित कोष की राशि का डी.डी. तथा फिक्सड डिपोजिट की गयी राशि का विवरण आवेदन पत्र की जाँच एवं भौतिक सत्यापन के पश्चात् संस्था के मान्यता के योग्य पाए जाने की स्थिति में ही देना होगा। इसके लिए सम्बन्धित जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आवेदनकर्ता को समय पर सूचित किया जाएगा। समस्त प्रकार के शुल्क प्राप्त होने पर ही मान्यता जारी की जायेगी। समस्त प्रकार का आवेदन शुल्क अदेय (Non Refundable) रहेगा ।

2.6 शपथ पत्र– सोसाइटी द्वारा विद्यालय से सम्बंधित दी जा रही प्रमुख सूचनाओं को 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर नोटरी द्वारा प्रमाणित करवाकर शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत करना होगा।

2.7 विद्यालयों को दी जाने वाली छूट:- गैर सरकारी विद्यालयों को भूमि रूपान्तरण एवं अन्य छूट दिये जाने के लिये राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश क्रमांक प9 (2) शिक्षा-5 / 2010 पार्ट0 3.07.2012, 2007 2012, 14.08.2012 06.05.2013, 31.05.13 एवं आदेश क्रमांक प.9 (1) शिक्षा – 5 / भूमि रूपान्तरण / 2016 जयपुर दिनांक 04.01.2017 द्वारा प्रदत्त छूट / शिथिलन नव कमोन्नत विद्यालयों हेतु लागू नहीं रहेगी।

2.8 विद्यालयों के लिए ग्रामीण क्षेत्र में लागू भूमि सम्बन्धित नवीन / संशोधित अनिवार्यता:- गैर सरकारी विद्यालयों को ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की अनिवार्यता में शिथिलन प्रदान किये जाने हेतु राज्य सरकार स्तर से सक्षम स्वीकृति उपरान्त जारी आदेश क्रमांक प.9 (6) शिक्षा-5 / आनलाइन मान्यता / 2020-21 जयपुर दिनांक 23.07.2020 के तहत् ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के माप की अनिवार्यता को पूर्व में प्रभावी 5000 वर्गमीटर से संशोधित कर 4000 वर्गमीटर वर्तमान सत्र से प्रभावी कर दिया गया हैं।

2.9 किसी भी प्रकार के आवेदन / परिवर्तन के लिए औचित्य सहित प्रबंध कार्यकारिणी का प्रस्ताव आवश्यक होगा।

2.10 किराये के भवन को रजिस्टर्ड किरायानामा प्रस्तुत करने पर भवन परिवर्तन की स्वीकृति दी जाएगी।

2.11 विद्यालय के स्थान परिवर्तन किये जाने पर आरटीई के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों के लिए विद्यालय को स्वयं के स्तर पर विद्यार्थियों के लिये नये विद्यालय भवन तक आवागमन की निःशुल्क व्यवस्था करनी होगी।

2.12 दो पारी में वर्तमान में संचालित शिक्षण संस्थाओं को 03 माह की अवधि (विज्ञप्ति जारी होने की दिनाक से)में निर्धारित शुल्क (प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक के लिए 1,00,000 रूपये एवं माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक के लिए 3,00,000 रुपये) जमा करवाये जाकर स्वीकृति प्राप्त करनी है। विलम्ब करने की स्थिति में 10,000 रूपये प्रति 30 दिवस पर शास्ति वसूल की जाएगी।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

3.1. विद्यालय का पंजीयन एवं पासवर्ड प्राप्त करना – सभी प्रकार की मान्यताओं हेतु आवेदन राजस्थान सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के प्राइवेट स्कूल पोर्टल (www.rajpsp.nic.in) पर करना होगा। सर्वप्रथम गैर सरकारी विद्यालय को पोर्टल पर पंजीयन करना होगा जिसके लिए आवश्यक सूचनाएँ प्रविष्ट करने के बाद मोबाइल पर पीएसपी. कोड एवं पासवर्ड प्राप्त होगा। पंजीयन के बाद विद्यालय स्वयं का पासवर्ड बदल सकेंगे जो भविष्य में लॉगिन करने हेतु आवश्यक होगा। जिन गैर सरकारी विद्यालयों के पास इस पोर्टल पर लॉगिन करने हेतु पहले से ही पीएसपी कोड एवं पासवर्ड उपलब्ध है, वे विद्यालय मान्यता हेतु भी उसी पासवर्ड से लॉगिन करें इन विद्यालयों को नवीन पंजीयन नहीं करना है।

3.2 विद्यालय सम्बन्धी सूचनाओं की ऑनलाइन प्रविष्टि – लॉगिन करने के बाद विद्यालय अपनी आधारभूत संरचना, आवश्यक सुविधाऐं एवं कर्मचारियों सम्बन्धी सभी आवश्यक सूचनाओं की ऑनलाइन प्रविष्टि करेंगे। इस कार्य में सुविधा के लिए विद्यालय, पोर्टल पर उपलब्ध आवेदन के प्रारूप पहले से ही भर कर तैयार रखे। समस्त सूचनाओं की पूर्ण एवं सही प्रविष्टि की स्थिति में ही इन्हें लॉक करें।

3.3 विद्यालय सम्बन्धी दस्तावेजों को अपलोड करना – मान्यता के सम्बन्ध में आवश्यक समस्त दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करना है। (अपलोड किये जाने वाले दस्तावेजों की सूची परिशिष्ट-7)। जिन दस्तावेजों को अपलोड किया जाना है, उनको पहले से ही स्केन कर के पैन ड्राइव में तैयार रखें। अपलोड किए जाने वाले समस्त दस्तावेजों का पूर्ण पठनीय होना आवश्यक है। दस्तावेज पीडीएफ / जेपीजी फॉर्मेट में होना तथा प्रत्येक दस्तावेज एक एमबी से कम साइज का होना आवश्यक है।

3.4 आवेदन हेतु आवश्यक शुल्क को जमा करवाना – विभिन्न प्रकार की मान्यता के लिए शुल्क की राशि भी अलग-अलग है, अतः इस राशि की ठीक से गणना कर लें तथा उसके अनुसार ही समस्त प्रकार के आवेदन शुल्क ई-ग्रास पोर्टल के माध्यम से जमा कराने होंगे। मान्यता आवेदन शुल्क की राशि ई-ग्रास पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन जमा होगी एवं आरक्षित कोष की राशि के डिमाण्ड अलग से जमा होगी। ड्राफ्ट

3.5 आवेदन की हार्ड कॉपी तैयार करना – समस्त सूचनाओं की पूर्ण एवं सही प्रविष्टि के बाद ई-ग्रास के माध्यम शुल्क जमा करवाने एवं चालान की प्रति प्राप्त हो जाने के उपरान्त ही आवेदन को लॉक करें तथा इसका प्रिंटआउट ले लें। आवेदन के प्रिंटआउट पर विद्यालय संचालन समिति के सचिव के हस्ताक्षर एवं मोहर लगावें। आवेदन के साथ आवश्यक समस्त दस्तावेज (संलग्न किये जाने वाले दस्तावेजों की सूची परिशिष्ट-8) संलग्न करें तथा विद्यालय के 5 फोटो जो अपलोड किये गये है, भी लगावें। पूर्ण आवेदन पत्र तैयार कर विद्यालय में सुरक्षित रखें। उक्त हार्ड कॉपी मय संलग्न पत्रावली निरीक्षण हेतु उपस्थित होने वाले जाँच दल के प्रभारी को विद्यालय निरीक्षण के समय संस्था

3.6 द्वारा उपलब्ध करवाया जाना सुनिश्चित करें। प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर की नवीन मान्यता / कमोन्नति / नाम / स्थान / वर्ग / माध्यम परिवर्तन / अतिरिक्त माध्यम आदि के आवेदन जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा मुख्यालय को प्रेषित किये जाएंगे।

3.7 जो विद्यालय पहले से ही मान्यता प्राप्त हैं वे विद्यालय किसी भी स्तर के नाम / स्थान / माध्यम / वर्ग परिवर्तन / माध्यम / संकाय / विषय / उच्च प्राथमिक माध्यमिक / माध्यमिक उच्च माध्यमिक स्तर की कमोन्नति हेतु अपने आवेदन संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक मुख्यालय को ऑनलाईन प्रेषित करेंगे।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

आवेदन पत्रों को कार्यालय में प्राप्त करना एवं ऑन लाइन जॉच करना

4.1 संस्था द्वारा किये गये ऑनलाइन आवेदन की पत्रावली को कार्यालय में प्राप्त करते समय पत्रावली में उपलब्ध ऑनलाइन आवेदन पत्र की प्रविष्टियों एवं आवेदन में वर्णित एवं संलग्न किये गये दस्तावेजों का ठीक से मिलान कर लें।

4.2 आवेदन पत्रों की जाँच का कार्य ऑनलाइन तरीके से किया जाना है। यह जॉच संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के लॉगइन में उपलब्ध विद्यालय के ऑनलाइन आवेदन पत्रावली के माध्यम से की जायेगी।

4.3 सर्वप्रथम विद्यालय द्वारा दी गई मान्यता आवेदन शुल्क की राशि का मिलान करना है। ये जाँच लें आवेदन शुल्क की जितनी राशि आवेदन पत्र में अंकित है, उतनी राशि ई-ग्रास के माध्यम से विद्यालय द्वारा जमा करवा दी गई है। एक से अधिक आवेदन होने की स्थिति में यह सुनिश्चित कर लें कि आवेदन पत्र में सभी प्रकार के निर्धारित शुल्क ई-ग्रास के माध्यम से जमा करवा दिये गए हैं।

4.4 विद्यालय टीएसपी अथवा नॉन टीएसपी एरिया में है, इसकी भी जाँच कर लें तथा यह सुनिश्चित कर लें कि मान्यता शुल्क की राशि इस विवरण के अनुसार सही है।

4.5 मान्यता आवेदन शुल्क की जाँच करने के पश्चात् ऑन लाइन आवेदन के समय संस्था द्वारा अपलोड किये गये दस्तावेजों का मिलान किया जाना है। ऑनलाइन अपलोड किये गये दस्तावेजों को खोलकर देख लें तथा यह सुनिश्चित कर लें कि सही दस्तावेज ही अपलोड किये गये हैं।

4.6. मान्यता आवेदन शुल्क की राशि के ई-ग्रास सबंधी अपूर्ण प्रविष्टियों अथवा सही राशि का ई-ग्रास में जमा शुल्क राशि से मिलान नहीं होने अथवा किसी दस्तावेज के अपलोड न होने अथवा अपूर्ण होने की स्थिति में उसके सामने सही नहीं पाया गया का विकल्प चयन करें। इस विकल्प का चयन करते ही इस विद्यालय के ऑनलाइन आवेदन में मान्यता आवेदन शुल्क विवरण एवं दस्तावेजों के अपलोड करने संबंधी क्षेत्र अनलॉक हो जाएंगे तथा इसकी सूचना विद्यालय के लॉगइन में प्रदर्शित हो जाएगी।

4.7 विद्यालय की सूचना अनलॉक होने के बाद आगामी पाँच कार्य दिवसों में विद्यालय को अपनी ऑनलाइन आक्षेप पूर्ति पूर्ण कर आवेदन को ऑनलाईन पुन लॉक करना है जिसकी सूचना सम्बंधित जिशिअ के लॉगइन में प्रदर्शित हो जाएगी। संस्था द्वारा प्रिंट आउट एवं अन्य आवश्यक दस्तावेज संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में निर्धारित अवधि में जमा कराने होंगे जिससे विद्यालय की पत्रावली पूर्ण हो सके। निर्धारित अवधि में संस्था द्वारा आवेदन लॉक एवं पत्रावली सम्बंधित जिशिअ कार्यालय में जमा नहीं करवाये जाने की स्थिति में विद्यालय का आवेदन स्वतः ही निरस्त माना जाएगा, जिसके लिए आवेदक विद्यालय स्वयं उत्तरदायी रहेगा।

4.8 आक्षेप पूर्ति के लिये अनलॉक किये गये आवेदन एवं अपलोड किये जाने वाले दस्तावेजों की हॉर्डकॉपी को ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि के बाद की तिथियों के उपरान्त भी स्वीकार किये जाएंगे। एक बार आक्षेप लगने के बाद निर्धारित अवधि में आक्षेप पूर्ति नहीं होने की स्थिति में आवेदन को अपूर्ण मानकर निरस्त कर दिया जाएगा तथा इसकी सूचना संस्था को पोर्टल पर दे दी जाएगी।

4.9 जिन विद्यालयों की मान्यता शुल्क एवं अपलोड किये गए दस्तावेजों की प्रविष्टियों सही पायी जाती हैं, उन विद्यालयों के लिये आवेदन पत्र के साथ संलग्न किये गये दस्तावेजों एवं आवेदन पत्र की अन्य प्रविष्टियों की ऑनलाइन जाँच की जा सकेगी।

4.10 आवेदन पत्र के साथ संलग्न किये गये दस्तावेजों में किसी दस्तावेज के संलग्न नहीं होने या अपूर्ण पाये जाने पर आक्षेप की सूचना विद्यालय को पोर्टल पर विद्यालय लॉगइन में प्रदर्शित होगी। विद्यालय भौतिक निरीक्षण के समय ऑनलाईन आवेदन की हार्ड कॉपी एवं समस्त वाछित दस्तावेजों की 02 प्रतियों में पत्रावली तैयार कर एक पत्रावली निरीक्षण दल को उपलब्ध करवानी होगी तथा एक पत्रावली विद्यालय द्वारा स्वयं के रिकॉर्ड सधारण हेतु सुरक्षित रखी जाएगी, विद्यालय द्वारा निरीक्षण दल को उपलब्ध करवायी जाने वाली पत्रावली को मय निरीक्षण रिपोर्ट (हॉर्डकॉपी) दल प्रभारी द्वारा 02 दिवस की अवधि में सम्बंधित जिशिअ कार्यालय में जमा करवानी होगी।

4.11 गैर सरकारी विद्यालयों के आवेदन प्रक्रिया में सम्पर्ण पारदर्शिता एवं आवेदक विद्यालय को सूचना हेतु निम्नानुसार कार्यवाही की जाएगी : निरीक्षण दल गठन की सूचना आक्षेपित प्रकरणों की सूचना निदेशालय द्वारा मान्यता / क्रमोन्नति हेतु अनुमोदन / निरस्त जारी करना, जिशिअ के द्वारा मान्यता प्रमाण पत्र 07 दिवस में जारी करने की सूचना विद्यालय के लॉगईन में प्रदर्शित होगी तथा मान्यता के लिये अपात्र पायी गयी संस्थाओं को जिशिअ द्वारा 07 दिवस की अवधि के भीतर जरिये रजिस्टर्ड पत्र प्रेषित कर सूचित किया जाएगा।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

आप शिक्षा जगत के तीव्र अपडेट के लिए इस व्हाट्सएप्प चैनल को जरूर Follow कर लेवें।
👇👇👇👇


JOIN WHATSAPP CHAINL

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


5 विद्यालयों के निरीक्षण हेतु दलों का ऑनलाइन गठन :–

5.1 संस्था द्वारा आवेदन पत्र में दी गई समस्त सूचनाओं का भौतिक सत्यापन एक दल द्वारा किया जाएगा जिसका गठन ऑनलाइन तरीके से किया जाएगा, जिसकी सूचना भौतिक सत्यापन से पूर्व विद्यालय के लॉगईन में प्रदर्शित होगी।

5.2. विद्यालय द्वारा ऑनलाईन आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण कर लेने के पश्चात् ई-ग्रास के मार्फत निर्धारित शुल्क जमा करवा देने की स्थिति में स्वतः ही ऑनलाईन प्रक्रिया के माध्यम से भौतिक निरीक्षण हेतु दल गठन का कार्य सम्पन्न हो जाएगा। जिसकी सूचना विद्यालय के लॉगइन में प्रदर्शित होगी। निरीक्षण दल के प्रभारी को एस.एम.एस के द्वारा विद्यालय निरीक्षण की सूचना स्वतः ही उपलब्ध होगी।

5.3 निरीक्षण दल के प्रभारी को शालादर्पण के स्टॉफ लॉगइन में जाकर गठित दल के 02 अन्य सदस्यों से समन्वय स्थापित कर मॉड्यूल में उपलब्ध निरीक्षण प्रतिवेदन की प्रति को डाउनलोड कर विद्यालय में उपस्थित होकर भौतिक सत्यापन करने के उपरान्त निरीक्षण प्रतिवेदन के बिन्दुओं की पूर्ति कर लेने के पश्चात् दल प्रभारी के शाला दर्पण में उपलब्ध स्टॉफ लॉगइन में जाकर निरीक्षण प्रतिवेदन को अनुशंसा सहित अपलोड (07 दिवस) करना है। सम्बंधित विद्यालय से आवेदन प्रपत्र शुल्क की चालान की प्रति एवं समस्त वांछित दस्तावेजों की भौतिक प्रति प्राप्त कर आगामी 02 दिवस में सम्बंधित जिशिअ कार्यालय में जमा करवाया जाना सुनिश्चित करना

5.4 निरीक्षण दल के प्रभारी को उपलब्ध करवाये गये 02 कार्मिकों को उचित कारण (जिशिअ को कारण की प्रति निरीक्षण रिपोर्ट के साथ जमा करवानी है ) होने पर स्वयं प्रभारी द्वारा परिवर्तित करने की सुविधा स्टॉफ लॉगईन में उपलब्ध है। दल प्रभारी / समस्त दल के कार्मिकों को बदलने हेतु जिशिअ के माध्यम से निदेशालय को प्रार्थना पत्र अग्रेषित किया जाना है।

5.5 प्रारम्भिक शिक्षा के विद्यालयों के सत्यापन हेतु गठित दल में कुल दो सदस्य होंगे जिनमें से दल के अध्यक्ष के रूप में / अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्राशि / माशि कार्यालय जिशिअ मुख्यालय / अतिरिक्त ब्लॉक शिक्ष अधिकारी प्रथम / द्वितीय / प्रधानाध्यापक माध्यमिक विद्यालय / व्याख्याता को लगाया जाएगा तथा दल के सदस्य के रूप में प्रधानाध्यापक उच्च प्राथमिक विद्यालय को लगाया जाएगा।

5.6 गैर सरकारी विद्यालयों के सत्यापन हेतु गठित दल में कुल 03 सदस्य होंगे जिनमें से दल के अध्यक्ष के रूप में प्रधानाचार्य उमावि / अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्राशि / माशि कार्यालय जिशिअ मुख्यालय / समकक्ष अधिकारी एवं दल के प्रथम सदस्य के रूप में व्याख्याता / प्रधानाध्यापक मावि / समकक्ष अधिकारी एवं दल के द्वितीय सदस्य के रूप में एक लेखा संबंधित कार्मिक / मंत्रालयिक कर्मचारी लगाया जाएगा।

5.7 एक दल द्वारा अधिकतम दो गैर सरकारी विद्यालयों का सत्यापन किया जाएगा।


JOIN FACEBOOK PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

6.1 सत्यापन दलों को ऑनलाइन निरीक्षण आदेश के 7 दिवस या निरीक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अतिम तिथि, जो भी पहले हो तक अनिवार्य रूप से निरीक्षण करना है। सत्यापन के बाद अगले 102 दिवस में सत्यापन रिपोर्ट संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय कार्यालय में जमा करानी होगी। निर्धारित तिथि तक निरीक्षण प्रपत्र जमा नहीं कराने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

6.2 निरीक्षण दलों को सामान्यतः बदला नहीं जायेगा। केवल निरीक्षण दल के सदस्यों की मृत्यु, स्थानान्तरण, पदोन्नति पर अन्यत्र कार्यग्रहण अथवा गंभीर बीमारी के कारण कार्य करने में असमर्थता की स्थिति में ही निरीक्षण दल बदला जा सकेगा। इसकी सूचना जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा निदेशालय को दी जाएगी तथा निदेशालय द्वारा तथ्यों से संतुष्ट होने की स्थिति में नये निरीक्षण दल का गठन ऑन लाइन तरीके से करना होगा।

6.3 निरीक्षण कर्ताओं द्वारा निर्धारित अवधि में आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण कर निरीक्षण रिपोर्ट संबंधित कार्यालय में जमा करानी होगी।

6.4 विद्यालय द्वारा दी गई समस्त सूचनाओं तथा संलग्न दस्तावेजों के आधार तथ्यों का सत्यापन करना है। सत्यापन दल को सत्यापित तथ्यों एवं निर्धारित मापदण्डों के आधार पर मान्यता के संबंध में स्पष्ट अनिशेषा करनी होगी।

6.5 सत्यापन दलों से प्राप्त रिपोर्ट को निरीक्षण दल प्रभारी द्वारा तत्काल पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा एवं हॉर्डकॉपी मय पत्रावली सम्बंधित जिशिअ कार्यालय में 02 दिवस की अवधि की में जमा करवाना है।

6.6 सत्यापन दल द्वारा सत्यापित / दी गई सूचनाओं के संबंध में कोई विसंगति या भिन्न स्थिति पायी जाती है तो सत्यापन दल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

  1. मान्यता का निदेशालय / राज्य सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना:

7.1 निरीक्षण के उपरान्त प्राप्त प्रतिवेदनों का जिला शिक्षा अधिकारी भली-भांति अध्ययन कर लें। प्रतिवेदन में दिए गए तथ्यों से पूर्ण रूप से सन्तुष्ट होने पर ऑनलाईन प्रविष्टि कर दें तथा अपना अभिमत भी दर्ज कर दें।

7.2. मान्यता के जो आवेदन पत्र अनुमोदन हेतु निदेशालय भिजवाए जाने हैं उन विद्यालयों की सूचना ऑनलाइन दर्ज कर दें तथा पत्रावलियों को तत्काल निदेशालय प्रेषित कर दें।

7.3. निदेशालय द्वारा अनुमोदन हेतु प्राप्त पत्रावलियों की सूचना ऑनलाइन दर्ज की जाएगी तथा जिन पत्रावलियों पर अनुमोदन दिया जाएगा उनकी सूचना भी ऑनलाइन दर्ज की जाएगी।

7.4\ यदि किसी विद्यालय के मान्यता आवेदन में एक से अधिक विकल्पों का चयन किया गया है तो राज्य सरकार से अनुमोदनोपरान्त शेष विकल्पों का अनुमोदन निदेशालय द्वारा किया जाएगा तथा प्रकरण संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को भिजवा दिया जाएगा।

अध्याय 6 ( A ) मान्यता प्रमाण-पत्र / निरस्ति प्रमाण पत्र जारी करना

8.1 जिन प्रतिवेदनों में निरीक्षण दल द्वारा मान्यता दिये जाने हेतु स्पष्ट अभिषेशा की है। तथा उनके तथ्यों से संतुष्ट होने की स्थिति में तथा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भी मान्यता दिये जाने की अभिशषा की गयी है उन संस्थाओं / विद्यालयों को गुणावगुण एंव समीक्षा के पश्चात् निदेशालय द्वारा मान्यता दिए जाने का अनुमोदन अथवा मान्यता हेतु अपात्र किया जायेगा। मान्यता अथवा अपात्र होने की सूचना एनआईसी द्वारा पोर्टल पर एवं मैसेज द्वारा संबंधित संस्था को 4 कार्य दिवस में दिया जाना सुनिश्चित किया जायें।

8.2 ऐसे पात्र विद्यालयों के लिए आरक्षित कोष (फिक्सड डिपोजिट) का दस्तावेज तथा बालिका शिक्षा फाउण्डेशन की देय राशि का ड्राफ्ट मान्यता अनुमोदन के 7 दिवस से पूर्व अथवा मान्यता दिए जाने की अंतिम तिथि जो भी पहले है तक जमा कराने हेतु संबंधित संस्था को पत्र भेजा जाएगा।

8.3 निर्धारित तिथि तक आरक्षित कोष (फिक्सड डिपोजिट) का दस्तावेज तथा बालिका शिक्षा फाउण्डेशन की देय राशि का ड्राफ्ट प्राप्त होने पर इसकी ऑनलाइन प्रविष्टि की जाएगी। जिन संस्थाओं से निर्धारित तिथि तक यह दस्तावेज प्राप्त नहीं होते है वह विद्यालय मान्यता के लिए अपात्र हो जाएंगे। इसकी सूचना एन.आई.सी द्वारा पोर्टल पर एवं मैसेज द्वारा संबंधित संस्था को दिया जाना सुनिश्चित किया जावें।

8:4 उपरोक्त दस्तावेज के विवरण की ऑनलाईन प्रविष्टि के बाद इन विद्यालयों को मान्यता का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र ऑनलाइन प्रिंट होगा तथा जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षरों से जारी किया जाएगा।

8.5 जिन विद्यालयों कि मान्यता के लिए निदेशालय / राज्य सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना है उन विद्यालयों को मान्यता दिए जाने की प्रक्रिया अनुमोदन प्राप्त होने के बाद प्रारम्भ की जाएगी जो उपरोक्तानुसार ही रहेगी। संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय कार्यालय द्वारा भी इनको सूचित किया जाएगा।

8.6 समस्त विद्यालयों की मान्यताऐं निर्धारित तिथि तक तथा संभव एक साथ जारी की जाएंगी। निर्धारित तिथि तक मान्यता का कार्य पूर्ण नहीं होने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

सरकारी नौकरी, परीक्षा परिणाम, भर्ती और प्रतियोगी अपडेट-

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

जिन विद्यालयों के आवेदन को निरीक्षण के दौरान अथवा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अथवा निदेशालय / राज्य सरकार द्वारा मान्यता दिए जाने योग्य नहीं पाया गया है उनकी सूचना पोर्टल पर ऑनलाइन प्रविष्ट की जाए तथा इस सूचना का पत्र ऑनलाइन प्रिंट कर आवेदनकर्ता सोसाइटी को भी प्रेषित किया जाएगा।

  1. सोसायटी के पंजीयन प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रति।
  2. सोसायटी के विधान की सत्यापित प्रति जिसमें सोसायटी के शैक्षिक उद्देश्यों का उल्लेख है।
  3. सोसायटी की नवीनतम रजिस्टर्ड कार्यकारिणी के सदस्यों की प्रमाणित सूची मय विभागीय प्रतिनिधि।
  4. विद्यालय नवीन मान्यता / क्रमोन्नति / नाम स्थान माध्यम परिवर्तन / अतिरिक्त माध्यम, विषय, संकाय इत्यादि के संबंध में कार्यकारिणी द्वारा लिये गये निर्णय की सत्यापित प्रति |
  5. विद्यालय को पूर्व में जारी समस्त प्रकार की मान्यताओं की सत्यापित प्रतियों (नवीन मान्यता के आवेदन में आवश्यक नहीं) ।
  6. विद्यालय भवन व खेल मैदान की भूमि विद्यालय संचालित करने वाली सोसायटी की है तो भूमि के मालिकाना हक के रजिस्टर्ड दस्तावेज की सत्यापित प्रति।
  7. विद्यालय भवन व खेल मैदान की भूमि सोसायटी की नहीं है तो रजिस्टर्ड किरायेनामे की सत्यापित प्रति ( भूमि के मालिकाना हक के दस्तावेजों सहित ) ।
  8. विद्यालय भवन व खेल मैदान की भूमि का सक्षम स्तर से संस्थानिक प्रयोजनार्थ रूपान्तरण के आदेश की सत्यापित प्रति ।
  9. विद्यालय भवन का सक्षम अधिकारी द्वारा जारी सुरक्षा प्रमाण पत्र की प्रति।
  10. विद्यालय भवन व खेल मैदान का सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणित ब्लू प्रिंट नक्शे की प्रति।
  11. विद्यालय की आय-व्यय की सी.ए. द्वारा प्रमाणित गत तीन वर्षों की रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति (नवीन मान्यता के आवेदन हेतु लागू नहीं) ।
  12. विद्यालय के पाँच रंगीन फोटो जो आवेदन के साथ अपलोड किये गये है।
  13. मान्यता शुल्क का ई-ग्रास चालान।

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

  1. सोसाइटी के पंजीयन प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रति |
  2. सोसाइटी के विधान की सत्यापित प्रति जिसमें सोसाइटी के भौतिक उद्देश्यों का उल्लेख है।
  3. विद्यालय भवन एवं खेल मैदान का सक्षम अधिकारी द्वारा जारी नवीनतम प्रमाणित ब्लू प्रिन्ट एवं नक्शे की प्रति
  4. शपथ पत्र।
  5. विद्यालय के पांच रंगीन फोटो जो आवेदन के साथ अपलोड किये गये हैं।
  6. विद्यालय का नवीनतम मान्यता प्रमाण-पत्र।

(नोट:- प्रारम्भिक एवं माध्यमिक स्तर की समस्त प्रकार की मान्यताओं के लिए)

  1. संस्था भवन में बालक-बालिकाओं के लिए पृथक-2 शौचालय व मूत्रालय एवं शुद्ध पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था है।
  2. संस्था के प्रबन्ध मण्डल / सदस्य साम्प्रदायिक एवं राजनैतिक गतिविधियों में भाग नहीं लेते हैं तथा ना ही भविष्य में भाग लेंगे।
  3. संस्था भवन में अग्नि शमन यंत्र स्थापित कर दिया गया है (रसीद संलग्न है।
  4. संस्था परिसर में किसी प्रकार का मोबाईल टॉवर लगा हुआ नहीं है।
  5. संस्था भवन व परिसर के ऊपर एवं आस-पास से विद्युत की हाई टेन्शन लाईन नहीं गुजर रही है।
  6. संस्था में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था है एवं समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करवाया जाता है।
  7. संस्था द्वारा राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवं राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था (मान्यता सहायता अनुदान और सेवा शर्ते आदि) नियम, 1993 तथा बोर्ड की मान्यता संबंधी सभी भौतिक एवं वित्तीय शर्तों की पालना की जायेगी।
  8. संस्था द्वारा निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 एवं राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 की पालना की जायेगी।
  9. संस्था में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा तथा खेलकूद, मनोरंजन की व्यवस्था की जायेगी।
  10. संस्था द्वारा राज्य सरकार / स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित पाठयक्रम एवं पाठ्य पुस्तको द्वारा ही अध्ययन करवाया जायेगा।
  11. संस्था द्वारा राज्य सरकार / स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित शैक्षणिक कलैन्डर का पालन किया जायेगा।
  12. संस्था द्वारा राजस्थान विद्यालय (फीस का विनिमयन) अधिनियम, 2016 एवं राजस्थान विद्यालय (फीस का विनिमयन) नियम, 2017 की पालना की जायेगी तथा विद्यार्थियों से निर्धारित फीस ही ली जायेगी।
  13. संस्था के विरुद्ध न्यायालय में किसी प्रकार का प्रकरण विचाराधीन नहीं है तथा कोई भी विभागीय जांच लम्बित नहीं है।
  14. संस्था के आस-पास का वातावरण प्रदूषण रहित है।
  15. संस्था में सभी शिक्षक पूर्ण रूप से योग्यताधारी एवं विषयानुसार नियुक्त है।
  16. संस्था द्वारा किसी प्रकार के राज्य / विभाग के आदेशों की पालना नहीं किये जाने पर संस्था की मान्यता निरस्त कर नियमों के अन्तर्गत संस्था के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने का विभाग को पूर्ण अधिकार होगा।
  17. विद्यालय में अध्ययन करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी का प्रतिवर्ष विद्यार्थी दुर्घटना बीमा करवाया जायेगा।
  18. विद्यालय संचालन समिति द्वारा विद्यार्थियों के आवागमन हेतु वाहन सुविधा उपलब्ध करवाने की स्थिति में वाहन का पंजीकरण बाल वाहिनी के रूप में करवाया जायेगा तथा विद्यार्थियों की सुरक्षा संबंधी नियमों का पूर्ण पालन किया जायेगा।
  19. संस्था द्वारा राजस्थान विद्यालय (फीस का विनिमयन) अधिनियम, 2016 एवं राजस्थान विद्यालय (फीस का विनिमयन) नियम 2017 के प्रावधानों के अनुसार विद्यालय की फीस निर्धारित कर प्राईवेट स्कूल पोर्टल पर प्रविष्टि कर दी गई है / नवीन मान्यता की स्थिति में प्रविष्टि कर दी जायेगी।

(नोट:- उपरोक्त की अतिरिक्त माध्यमिक / उच्च माध्यमिक स्तर की समस्त प्रकार की मान्यताओं के लिए)

  1. संस्था में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए सिंगल सीटेड फर्नीचर उपलब्ध है।
  2. संस्था में लिपिक, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं विषयवार प्रयोगशाला सहायकों की नियमानुसार नियुक्ति कर दी गई है।
  3. संस्था में कम्प्यूटर व इंटरनेट (ब्राडबेड) की व्यवस्था कर दी गई है।
  4. संस्था द्वारा बिना विभाग की अनुमति के उच्च कक्षायें संचालित नहीं की जायेगी।
  5. संस्था में नियुक्त अध्यापकों के वेतन से नियमानुसार पी. एफ. की कटौती की जायेगी।

यह है कि शपथ पत्र के बिन्दु संख्या…………… ………… से ………… ……… में वर्णित कथन मेरी जानकारी के अनुसार पूर्ण सत्य है।

सचिव
समिति का नाम……
समिति का रजिस्टेशन नम्बर व वर्ष

Process of Recognition to Private Schools in Rajasthan / गैर सरकारी विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता दिये जाने की प्रक्रिया

🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻

सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) की विस्तृत जानकारी

सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) की विस्तृत जानकारी

LEARNING OUTCOMES / सीखने के प्रतिफल :- विद्यालयों में अध्यनरत छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर कई नए प्रयास किये जाते है । इन सबका उद्देश्य विद्यालयी छात्रों में शैक्षिक गुणवत्ता का विकास और अच्छी उपलब्धि स्तर को हासिल करना  होता है ।   जिससे छात्रों के समग्र मूल्यांकन के माध्यम से विकास की एक निश्चित योजना बनाकर उनका उन्नयन किया जा सके .वास्तव में, सीखना एक सतत व व्यापक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है । अब हम समझने का प्रयास करते हैं कि सीखने के प्रतिफल (LEARNING OUTCOMES) क्या है ?

किसी विद्यार्थी के लिए पाठ्यक्रम में सीखने के जो लक्ष्य या दक्षतायें निर्धारित की जाती हैं तथा जिन्हें ध्यान में रखकर शिक्षक अपने दैनिक कक्षा शिक्षण को संपादित करते हैं और कक्षा के इतर अनेक सह शैक्षिक गतिविधियों को आयोजित करते हैं, उन्हें Learning outcomes कहते हैं।

सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक अभी तक पाठ्यक्रम पूरा कराने और परीक्षा के आयोजन पर ही ध्यान देते थे। पढ़ाई से बच्चे के मानसिक स्तर, सामान्य ज्ञान और शैक्षिक ज्ञान में क्या सुधार हुआ, इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था। सरकार ने इस वर्ष पहल कर लर्निंग आउटकम के मापदंड तैयार किए हैं। किस कक्षा में शिक्षक बच्चे को किस तरह क्या-क्या पढ़ाएंगे और किस कक्षा में बच्चों को कितना ज्ञान होना चाहिए, यह निर्धारित किया गया है।

सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) की विस्तृत जानकारी
सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) की विस्तृत जानकारी

आप शिक्षा जगत के तीव्र अपडेट के लिए इस व्हाट्सएप्प चैनल को जरूर Follow कर लेवें।
👇👇👇👇


JOIN WHATSAPP CHAINL

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


सीखने के प्रतिफल (LEARNING OUTCOMES) क्या है ?

अक्सर शिक्षकों में इस बात की स्‍पष्‍टता नहीं होती कि,

  • किस प्रकार का सीखना आवश्यक है?
  • वे कौन से मापदड हैं  जिनसे इसे मापा जा सकता है?

वे पाठ्यपुस्तक को संपूर्ण पाठ्यक्रम मानकर पाठों के अत में दिए गए प्रश्‍नों के आधार पर मूल्यांकन करते हैं। पाठ्यसामग्री के संदर्भ की भिन्नताओ तथा पढ़ाने के विभिन्न सिद्धांतों को वे ध्यान में नहीं रखते। पठन सामग्री में संदर्भानुसार भिन्‍नताएँ और अपनाई गई शिक्षण तकनीक में विविधता पर सामान्‍यतया ध्‍यान नहीं जाता है, क्‍योंकि इनके आकलन की कोई कसौटी नहीं है।

प्रत्येक कक्षा के सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को केवल शिक्षा के वांछित तरीके अपनाने में ही सहायक नहीं है.  बल्‍कि अन्य साझेदारों, जैसे– संरक्षक, माता-पिता, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, समुदाय तथा राज्य स्तर के शिक्षा अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका के प्रति सर्तक और ज़िम्‍मेदार भी बनाता है। स्पष्ट रूप से परिभाषित सीखने के प्रतिफल विभिन्न साझेदारों की ज़िम्मेदारी तथा उत्तरदायित्वों को सुनिश्चित करते हुए और दिशा-निर्देश दे सकता है ताकि विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र से अपेक्षाओं की पूर्ति हो सके। इसमें शिक्षक की प्राथमिक भूमिका सीखने की प्रक्रिया में सुगमकर्ता के रूप में होती है।

एक शिक्षक की भूमिका –

बच्‍चे विद्यालय में अपने सीखने के अनुभवों  के साथ प्रवेश करते हैं। विद्यालय बच्‍चे के मौजूदा अनूभवों के आधार पर सीखने की आगामी प्रक्रिया के गठन का दायित्‍व उठाता है। इस प्रकार हम किसी भी स्‍तर की शरुआत बच्‍चे की ‘अधिगम शून्यता’ से नहीं करते। एक शिक्षक, जो कि विद्यार्थियाें के सीखने का परामर्शदाता और सगुमकर्ता है, को भिन्‍न शिक्षणशास्‍त्रीय तकनीकों और बच्‍चेकी सीखने में उन्‍नति के प्रति भी जागरूक बनाना आवश्‍यक है।

सीखने के प्रतिफल को बेहतर कैसे बनायें –

सीखने सिखाने की प्रक्रिया के दौरान सतत एवं मूल्यांकन का उपयोग करें।

वर्तमान परिप्रेक्ष्‍य में विद्यार्थी और शिक्षक के अलावा माता-पिता, समुदाय के सदस्‍य और शैक्षिक प्रशासकों को भी विद्यार्थियों के सीखने के बारे में जानने और उसके अनुसार बच्‍चों  की सीखने संबंधी उन्‍नति पर नज़र बनाए रखने की ज़रूरत है।

सीखने की निरन्तरता को ध्‍यान में रखते हुए व्‍यवस्‍था को यह जानकारी देना कि बच्‍चेने सटीक रूप से क्‍या सीखा, एक चनुौती भरा कार्य होता है।

राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनसुंधान और प्रशिक्षण परिषद (ए्नसीईआरटी) के द्वारा विद्यालय से संबंधित सभी हितग्राहियों को शामिल करते हुए सीखने की संप्राप्तियों (Learning outcomes)को निर्धारित किया गया है ये बेंच मार्क के रूप में चिन्हित किये गए है क्योंकि इनकी प्राप्ति के बगैर छात्रों के सर्वागींण विकास की बात उचित नही है.


JOIN FACEBOOK PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


LEARNING OUTCOMES (सीखने के प्रतिफल) क्यों ?

  1. प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी के सीखने के बारे में जानने और उसके अनुसार बच्चों के सीखने सम्बन्धी प्रगति पर नज़र बनाये रखने की जरुरत है । इसके लिए आवश्यकता है की शिक्षको को कुछ मानदंड उपलब्ध करवाए जाये जिनकी सहायता से आपेक्षित सीखने के स्तर का आकलन किया जा सके।
  2. सीखने की निरन्तरता को ध्यान में रखते हुए शिक्षक एवं शिक्षा व्यवस्थासे जुड़े सभी अधिकारियो एवं अभिभावकों यह जानना आवश्यक है कि बच्चे ने सटीक रुप से कक्षा में क्या सीखा? इन्ही मापदंडो को “सीखने का प्रतिफल ” के रुप में परिभाषित किया गया है अर्थात जो कुछ भी बच्चे ने सीखाहै उसको जाचने अथवा उस परिणाम को देखने के मापदंड को अधिगम प्रतिफल के रुप में देखा जा सकता है ।

LEARNING OUTCOMES (सीखने के प्रतिफल) की आवश्यकता –

  1. निः शुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की क्रियान्वित अंतर्गत प्रत्येक विद्यार्थी की गुणवत्तायुक्त शिक्षा को सुनिश्चित करने हेतु ।
  2. आयु अनुररोप अपेक्षित स्तर , कौशल विकास एवं गुणवक्तायुक्त शिक्षा को परिभाषित करने हेतु ।
  3. शैक्षिक उदेश्यो की पूर्ति की सटीक जॉच हेतु ।
  4. राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक आकांक्षाओं की क्रियान्वयन हेतु समन्वित प्रयास अन्तर्गत ।
  5. राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर उच्च पायदान पर अवस्थित करने के प्रयास के क्रम में ।

LEARNING OUTCOMES पर अपनी अधिक समझ बनाने के लिए आप नीचे दिये गए link पर जा सकते हैं-

LEARNING OUTCOMES
कक्षा 1वीं से 8वीं
Open
LEARNING OUTCOMES
सेकेन्डरी स्तर
Open

JOIN TELEGRAM PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


कक्षावारसीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) के स्तर पर अपनी अधिक समझ बनाने के लिए आप नीचे सारणी में दिये गए link पर जा सकते हैं

कक्षावार सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) के स्तर

प्राथमिक स्तरउच्च प्राथमिक स्तर
कक्षा 1कक्षा 6
कक्षा 2कक्षा 7
कक्षा 3कक्षा 8
कक्षा 4
कक्षा 5

प्रारंभिक स्तर पर कक्षावार सीखने के प्रतिफल

आईये हम जानें प्राथमिक स्तर पर कक्षावार 1 से 8 तक लर्निंग आउटकम (LEARNING OUTCOME) पर आधारित माहवार प्रश्न क्या -क्या हो सकते है ? जिससे हम अपने शिक्षण को गुणवत्ता आधारित बना सकें …

प्रारंभिक स्तर पर सीखने के प्रतिफल
अधिगम परिणाम – 1-5 LOs (हिन्दी)
अधिगम परिणाम – 6 -8 LOs (हिन्दी)

सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल

सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल-हिन्दी 
सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल-अंग्रेजी 
सेकेन्डरी स्तर पर सीखने के प्रतिफल

🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻

वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नियमावली

वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नियमावली

वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नियमावली Annual Performance Appraisal Report Rules :- वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) एक महत्त्वपूर्ण राजकीय दस्तावेज है । प्रत्येक सरकारी कार्मिक (लोकसेवक) के प्रदर्शन का मूल्यांकन प्रतिवर्ष APAR के माध्यम से किया जाता है। APAR में कार्मिक के कार्य, आचरण चरित्र और क्षमताओं को दर्ज किया जाता है। प्रत्येक राजकीय कार्मिक के लिए यह आवश्यक है वह अपने पदानुरूप दायित्व का नियमित मूल्यांकन करें।

वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नियमावली Annual Performance Appraisal Report Rules

वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नियमावली Annual Performance Appraisal Report Rules
वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन नियमावली Annual Performance Appraisal Report Rules

वह स्वयं इस तथ्य की समीक्षा करे कि राजकीय कार्मिक के रुप में जो कार्य / लक्ष्य उसे सौंपे गए हैं उनकी प्रगति/प्राप्ति किस स्तर तक हुई है, ताकि वह आगामी समय में सुधार कर अपनी कार्यक्षमताओं में वृद्धि कर सके।

वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) प्रणाली का एक अन्य उद्देश्य कर्मचारियों के गुणों, लक्षणों, शक्तियों और कमजोरियों के बारे में उच्चतर अधिकारियों को जानकारी प्रदान करना है ताकि उन्हें उन दायित्वों को सौंपा जा सके जहाँ उनकी योग्यता का सबसे अधिक उपयोग किया जा सके। APAR प्रणाली कर्मचारियों की योग्यता का आकलन करने के लिए डेटा भी प्रदान करती है जब पुष्टि, पदोन्नति, चयन ग्रेड, दक्षता पार करने और एक निश्चित आयु से परे सेवा में निरंतरता या कुछ वर्ष की सेवा पूरी होने पर उपयोगी होते हैं।

इस प्रकार, APAR विभिन्न प्रयोजनों के लिए बुनियादी और महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं । इसलिए सभी कार्मिकों को जिम्मेदारी के साथ APAR फॉर्म भरने का कार्य करना चाहिए।

व्याख्या- यदि इन निर्देशों के आवेदन व्याख्या और दायरे से संबंधित कोई भी संदेह उत्पन्न होता है, तो कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 05.06.2008 में प्रदत निर्देश और समय-समय पर कार्मिक विभाग द्वारा जारी संशोधन मान्य होगे और तत्संबंधी निर्णय अंतिम होगा।

2024 डीए वृद्धि केलकुलेशन यहाँ से करे

आप शिक्षा जगत के तीव्र अपडेट के लिए इस व्हाट्सएप्प चैनल को जरूर Follow कर लेवें।
👇👇👇👇


JOIN WHATSAPP CHAINL

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन के अतिरिक्त निम्न निर्दिष्ट दस्तावेजों और संचार की प्रतियां वार्षिक कार्य मूल्याकंन प्रतिवेदन डोजियर में रखी जाएंगी-

  1. राष्ट्रपति/ राज्य सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कारों की प्रतियां।
  2. सरकार द्वारा जारी किए गए प्रशंसा- पत्र ।
  3. विशेष निकायों के प्रमुखों द्वारा जारी किए गए प्रशंसा पत्र या आयोग या ऐसे निकायों की रिपोर्ट में शामिल नाम से सराहना के पैराग्राफ।
  4. व्यक्तिगत गैर-अधिकारियों से प्रशंसा के पत्र अगर वे सचिव के पूर्व अनुमोदन से विभाग के प्रमुख / विभाग के अनुमोदन के साथ सामान्य कर्तव्य से परे सेवा की सराहना से संबंधित हैं।
  5. अधीनस्थ/मंत्रालयिक सेवा से संबंधित कर्मचारी संबंध में विभागाध्यक्ष द्वारा जारी किए गए प्रशंसा पत्र।
  6. राजस्थान सिविल सेवा (CC&A) नियमों में निर्दिष्ट किसी भी दंड को लागू करने के आदेश की
  7. नियुक्ति अधिकारी या उच्च अधिकारियों द्वारा लोकसेवक के कार्य व व्यवहार पर नाराजगी या चेतावनी देते हुए जारी किए गए पत्र की प्रतियाँ।
  8. संबंधित लोकसेवक द्वारा किए गए अध्ययन या प्रशिक्षण के अनुमोदित पाठ्यक्रमों के अभिलेख।
  1. प्रत्येक लोकसेवक का वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन का डोजियर निर्धारित चैनल के अनुरूप स्वीकारकर्ता अधिकारी के पास सुरक्षित रखा जाएगा।
  2. APAR की डूप्लीकेट प्रतियों का रखरखाव वांछनीय नहीं है हालांकि, यदि प्रतिवेदन की प्रतियों को बनाए रखना आवश्यक माना जाता है, तो कार्मिक विभाग की विशिष्ट स्वीकृति लेनी होगी।
  3. अपूर्ण प्रतिवेदन प्राप्त होने उसे संबंधित प्रतिवेदक/समीक्षक अधिकारी को वापस कर दिया जाए। अपूर्ण प्रतिवेदन किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाए।
  4. किसी मृत कर्मचारी से संबंधित प्रदर्शन उसकी मृत्यु तारीख से दो वर्ष की अवधि के बाद नष्ट किया जा सकता है और सेवानिवृत्त लोकसेवक की उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख के पांच साल बाद या पेंशन लाभ के निपटाने के बाद, जो भी बाद में हो।
क्र.सं.श्रेणीप्रपत्र
1जिला व मण्डल स्तर के पदों को धारण करने वाले राज्य सेवा के लोकसेवकफॉर्म- I
2जिला व मण्डल स्तर के पदों के अलावा अन्य पदों को धारण करने वाले राज्य सेवा के लोकसेवकफॉर्म- II
3अधीनस्थ और मंत्रालयिक सेवाओं पर कार्यरत लोकसेवकफॉर्म- III

SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति

(1) कार्यालय में कार्यरत समस्त लोकसेवकों के संबंध में वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष के आधार पर तैयार किया जायेगा।

(2) विद्यालय में कार्यरत समस्त लोकसेवकों (मंत्रालयिक कार्मिक वित्तीय वर्ष के आधार पर) के संबंध में APAR 01 जुलाई से 30 जून के आधार पर तैयार किया जायेगा।

(3) यदि किसी लोकसेवक ने संबंधित प्रतिवेदक अधिकारी के अधीन / सुपरविजन में न्यूनतम 03 माह की अवधि में कार्य नहीं किया है तो संबंधित लोकसेवक की APAR तैयार नहीं की जायेगी।

(4) किसी कर्मचारी की एक ही वर्ष की अवधि में (भिन्न-भिन्न नियंत्रण अधिकारी के अधीन 3 या 3 माह से अधिक की सेवा अवधि होने पर) 2 या 2 से अधिक प्रतिवेदन (APAR) भी हो सकते है, लेकिन उनमें से पहला प्रतिवेदन उस नियंत्रण अधिकारी के स्थानान्तरण के तत्काल बाद का होना चाहिए। वर्ष के अंत की प्रतीक्षा नहीं करनी है।


JOIN FACEBOOK PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


यदि वर्ष के मध्य में समीक्षक अधिकारी या स्वीकारकर्ता अधिकारी परिवर्तित हुए हैं लेकिन प्रतिवेदक अधिकारी वहीं रहते हैं तो नए सिरे से प्रतिवेदन लिखने की आवश्यकता नहीं है।

यदि रिपोर्टिंग अवधि में एक से अधिक समीक्षक अधिकारी रहते है तो अंत में आए अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन की समीक्षा की जाएगी लेकिन शर्त यह है कि उस अधिकारी के द्वारा संबंधित कार्मिक के कार्य का कम से कम 3 माह की अवधि का सुपरविजन किया गया हो यदि ऐसा नहीं है तो पूर्व के समीक्षा अधिकारी का प्रतिवेदन मान्य होगा, लेकिन यहां भी शर्त कम से कम 3 माह के सुपरविजन की रहेगी।

(5) जहां एक प्रतिवेदक/ समीक्षक / स्वीकारकर्ता अधिकारी ने किसी भी प्रकार का अवकाश (उपार्जित / अर्धवैतनिक आदि) लिया है या लंबे समय तक प्रशिक्षण पर रहता है (प्रतिवेदन अवधि के दौरान 15 दिन से अधिक) तो APAR लिखने/समीक्षा करने हेतु आवश्यक न्यूनतम 03 महीने की अवधि की गणना के लिए उक्त अवकाश / प्रशिक्षण की अवधि को कुल अवधि से घटाया जाना चाहिए

हालांकि न्यूनतम प्रतिवेदन अवधि का यह सिद्धांत अनाधिकृत अनुपस्थिति मामले में लागू नहीं होगा जहां ऐसी अनुपस्थिति के लिए संबंधित लोकसेवक के APAR में प्रतिकूल प्रविष्टि की जानी है। कम अवधि के अवकाश / प्रशिक्षण को उक्त उद्देश्य के लिए प्रासंगिक नहीं माना जाना चाहिए ।

(6) पर्सनल असिस्टेंट / पर्सनल सेक्रेटरी के वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) की समीक्षा की आवश्यकता नहीं है।

(7) वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) में किसी व्यक्ति के काम और आचरण के बारे में उसकी टिप्पणी लिखने के लिए प्रतिवेदक, समीक्षक और स्वीकारकर्ता अधिकारी के अलावा किसी भी प्राधिकरण के लिए कोई प्रावधान नहीं है। परन्तु जिला स्तर के अधिकारियों के मामले में, संबंधित जिला कलेक्टर तथा संभाग स्तर के अधिकारियों के मामले में संभागीय आयुक्त, प्रतिवेदक अधिकारी से प्राप्त APAR पर निर्धारित स्थान पर अपनी टिप्पणी कर समीक्षक अधिकारियों को प्रेषित करेंगे।

(8) प्रतिवेदन की प्रत्येक अवधि के लिए, किसी भी परिस्थिति में एक से अधिक प्रतिवेदक / समीक्षक अधिकारी नहीं होने चाहिए। हालाँकि, कुछ मामलों में प्राधिकारी के रूप में अपनी टिप्पणी दर्ज करने के लिए एक से अधिक अधिकारी हो सकते हैं।

(1) लोकसेवक को अपने कैडर के लिए निर्धारित APAR फॉर्म का उपयोग करना चाहिए यथा- फॉर्म I II या III आदि।

(2) प्रत्येक लोकसेवक की जिम्मेदारी होगी कि वह तय समय-सारणी के अनुसार भाग-I को पूर्ण करने के बाद अपने प्रतिवेदक अधिकारी को अपने कैडर के अनुरूप APAR फॉर्म प्रस्तुत करे।

(3) वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) की तारीख और अवधि सही हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

(4) APAR के प्रत्येक पृष्ठ पर लोकसेवक अपना नाम पद, विषय (यदि कोई हो) जन्मतिथि, मूल्यांकन वर्ष, एम्प्लॉय आईडी एवं हस्ताक्षर अवश्य अंकित करें।

(5) वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) में रव-मूल्यांकन के संबंध में लोकसेवकों के लिए आवश्यक प्रविष्टियाँ बनाने के लिए पर्याप्त स्थान आवंटित किया गया है और उन्हें आवंटित स्थान पर अपना स्व-मूल्यांकन अंकित करना चाहिए। APAR फॉर्म सबमिट करते समय स्टेटमेंट्स और सर्टिफिकेट्स के साथ-साथ सेल्फ -एप्रिसिएशन का विवरण आदि वांछनीय नहीं है।

जिला व राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता फॉर्म एक्सल प्रोग्राम : उम्मेद तरड

(1) प्रतिवेदक अधिकारी का कर्तव्य होगा कि वह निर्धारित मापदंडों पर ध्यान से विचार करे / या लोकसेवक को सौपे गए कर्तव्यों को अपनी राय दर्ज करने से पहले बताए। जहां कोई मापदंड तय नहीं हैं. वहीं प्रतिवेदक अधिकारी को प्रतिवेदन अवधि की शुरुआत से पहले सम्भव मात्रा लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।

यदि वर्ष की शुरुआत या प्रतिवेदन की अवधि में कोई लक्ष्य नहीं सौंपा गया है, तो वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) बहुत अधिक व्यक्तिपरक होगा, जो परिहार्य है प्रतिवेदक अधिकारी को जल्दबाजी में राय नहीं बनानी चाहिए या अपर्याप्त आंकड़ा/सूचना या अफवाह के आधार पर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए।

(2) वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन के भाग सख्या II के बिंदु संख्या 01 के तहत विभिन्न प्रविष्टियों में प्रतिवेदक अधिकारी सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, प्रत्येक प्रविष्टि के सम्मुख अंकित पांच में से किसी एक बॉक्स में अपने लघु हस्ताक्षर अवश्य अंकित करें, कोई टिप्पणी या सही ()का निशान अंकित नहीं किया जाए।

(3) भाग सख्या II के बिंदु संख्या 02(क) लोकसेवक के सामान्य मूल्यांकन से संबंधित है इसमें प्रतिवेदक अधिकारी को आवश्यक रूप से और बुद्धिमानी से संबंधित व्यक्ति के प्रदर्शन और क्षमताओं का आंकलन करना चाहिए। इसमें उन तरीको पर भी टिप्पणी करनी चाहिए जिनके द्वारा संबंधित लोकसवेक ने इस अवधि के दौरान अपने विभन्न कर्त्तव्यों को पूरा किया है।

रिपोर्ट करने वाले अधिकारी द्वारा मूल्यांकन करते समय संबंधित लोकसेवक के सामान्य महत्त्व के कुछ गुण जैसे कि बुद्धिमता, उत्सुकता, परिश्रम, चातुर्य, वरिष्ठों के प्रति रवैया, अधीनस्थों और आम जनता, साथी-कर्मचारियों के साथ संबंध, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति/समाज के कमजोर वर्ग के लोगों, निःशक्तजन के प्रति संवेदनशीलता आदि पर भी ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके अलावा इसमें लोकसेवक के चरित्र, व्यक्तित्व, आचरण, योग्यताओं, कमियों और क्षमताओं का सामान्य उल्लेख भी होना चाहिए।

(4) प्रतिवेदक अधिकारी को न केवल अपने अधीनस्थ के कार्यों और गुणों का एक वस्तुपरक मूल्यांकन करना चाहिए बल्कि उनके दोषों को ठीक करने के लिए आवश्यक सलाह, मार्गदर्शन और सहायता अपने अधीनस्थों को हर समय देनी चाहिए। इस तरह की सलाह या आलोचना को भाग सख्या II के बिंदु संख्या 2(ख) में दर्ज किया जाना चाहिए।

(5) प्रतिकूल प्रविष्टियाँ, यदि कोई हों, तो APAR फॉर्म के निर्धारित स्थान पर ही दर्ज की जानी चाहिए और कहीं नहीं। यदि किसी लोकसेवक को लगातार सुधार/मार्गदर्शन के बावजूद वह सुधार दिखाने में विफल रहता है तो प्रतिकूल टिप्पणी APAR में दर्ज की जानी चाहिए। किसी भी दोष की प्रविष्टि करते समय प्रतिवेदनक अधिकारी उल्लेख करना चाहिए। किए गए सुधारात्मक प्रयासों और इन प्रयासों के परिणाम का उल्लेख करना चाहिये।

(6) समग्र मूल्यांकन के कॉलम को भरने के दौरान, प्रतिवेदक अधिकारी को लोकसेवक की समग्र ग्रेडिंग / विशिष्ट वर्गीकरण अर्थात् “उत्कृष्ट”, “बहुत अच्छा”, “अच्छा”, “संतोषजनक”, “असंतोषजनक” में संबंधित एक श्रेणी में अपने लघु हस्ताक्षर के रूप में प्रविष्टि अंकित करनी चाहिए। कोई टिप्पणी या सही ()का निशान अंकित नहीं किया जाए। उसे इन श्रेणियों के अतिरिक्त अन्य श्रेणी या दो श्रेणी के मध्य की स्थिति यथा “अच्छे और बहुत अच्छे के बीच” या बहुत संतोषजनक” आदि दर्ज नहीं किया जाना है।

(7) समग्र मूल्यांकन के आधार पर कॉलम को भरने के दौरान, प्रतिवेदक अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऊपर (बिन्दु सं. 6) में बताए अनुसार दर्ज की गई ग्रेडिंग टिप्पणी के अनुसार हो , जैसा कि भाग- II के बिंदु संख्या 5 के तहत आवश्यक है अर्थात् यदि किसी व्यक्ति को बिंदु संख्या 1 में “असंतोषजनक” श्रेणीबद्ध किया जाता है, तो उसी ग्रेडिंग को बिंदु संख्या 5 में दर्ज किया जाना चाहिए। उद्देश्य यह है कि समग्र मूल्यांकन बिंदु संख्या 1 से बिंदु संख्या 2 में की गई टिप्पणी / प्रविष्टियों के अनुसार होना चाहिए।

Baseline Assessment Model Papers

(1) हालांकि एक उच्च अधिकारी के लिए अपने से दो या दो से अधिक ग्रेड नीचे के वृहद संख्या में कार्यरत लोकसेवकों को जानना कठिन हो सकता है, फिर भी उसका उन लोकसेवकों के चरित्र, प्रदर्शन और क्षमता का समग्र मुल्यांकन किया जाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि सुधारात्मक कार्य किया जा सके। किसी लोकसेवक का अगला उच्चाधिकारी (प्रतिवेदक अधिकारी) अपने निर्णय में हो सकता है कि पूरी तरह निष्पक्ष हो फिर भी कभी-कभी उसका निर्णय अत्यन्त संकीर्ण और व्यक्तिपरक हो सकता है |

इसलिए प्रतिवेदक अधिकारी से उच्चतर अधिकारी यानि समीक्षक अधिकारी को उन लोकसेवकों के कार्य और आचरण के बारे में व्यक्तिगत रूप से पता होना चाहिए और उनको प्रति अपना स्वयं का निर्णय स्थापित करना चाहिए जिनकी APAR भरी जा रही है।

(2) भाग III या भाग IV (जो भी लागू हो) के बिंदु सं. 1 के तहत अपनी टिप्पणी करते समय अधिकारी को तदनुसार प्रतिवेदक अधिकारी की टिप्पणियों पर सकारात्मक और स्वतंत्र निर्णय का प्रयोग करना चाहिए और उन टिप्पणियों के साथ स्पष्ट रूप से अपनी सहमति या असहमति व्यक्त करनी चाहिए। प्रतिकूल टिप्पणी के मामले में यह विशेष रूप से आवश्यक है कि वहां उच्चतर अधिकारी की राय को सही मूल्यांकन के रूप में माना जाएगा।

(3) प्रतिवेदक अधिकारी की टिप्पणी की शुद्धता को सत्यापित करने की जिम्मेदारी समीक्षक अधिकारी की है। यदि समीक्षा करने वाला अधिकारी लोकसेवक के कार्य से पर्याप्त रूप से परिचित नहीं है, जिस पर उसको स्वयं के उचित और स्वतंत्र निर्णय पर पहुंचने में सक्षम होने के रूप में सूचित किया गया है, तो वह इस संबंध में पूछताछ कर सकता है जिससे वह सही निर्णय ले सके।

(4) प्रतिवेदक अधिकारी से समीक्षा हेतु प्राप्त APAR में यदि प्रविष्टियाँ पर्याप्त रूप से सार्थक नहीं है या अस्पष्ट या अप्रतिबद्ध हो तो ऐसे प्रतिवदेन को प्रवर्धन या स्पष्टीकरण के लिए प्रतिवेदक अधिकारी को वापस किया जाना चाहिए।

(5) जहाँ प्रतिवेदक अधिकारी ने प्रतिकूल प्रविष्टियों दर्ज की हैं, समीक्षक अधिकारी प्रतिवेदक अधिकारी के साथ ऐसी प्रतिकूल प्रविष्टियों पर चर्चा कर सकता है, और प्रतिकूल प्रविष्टियों सहित प्रतिवेदन संशोधित यथा निम्नगत/क्रमोन्नत(Down-grade/Up grade) कर सकता है।

(6) समीक्षा अधिकारी को लोकसेवक के समग्र ग्रेडिंग / विशिष्ट वर्गीकरण अर्थात् “उत्कृष्ट”, “बहुत अच्छा”, “अच्छा”, “संतोषजनक”, “असंतोषजनक” भाग III के बिंदु संख्या 2 पर दर्ज करना होगा समीक्षा अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके द्वारा किया गया समग्र मूल्यांकन भाग III या भाग IV में इस प्रयोजन के लिए प्रदान की गई जगह में उसके द्वारा दर्ज की गई वर्णनात्मक टिप्पणियों के अनुरूप हो। समीक्षा करने / स्वीकार करने वाले अधिकारी को अधीनस्थ अधिकारी द्वारा किए गए मूल्यांकन को डाउन-ग्रेड / अपग्रेड करने का अधिकार है|

जहां इसे सार्वजनिक हित में समीचीन माना जाता है। ऐसा करते समय, न केवल अधिकारी कोप्रतिवेदक या समीक्षा करने वाले अधिकारी के मूल्यांकन के साथ अपनी असहमति व्यक्त करनी चाहिए, बल्कि इस तरह के डाउन-ग्रेडेशन / अपग्रेडेशन के विशिष्ट कारणों को भी प्रदान किए गए स्थान पर ही प्रपत्र में दर्ज किया जाना चाहिए।

यह स्वीकार करने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह प्रतिवेदक और समीक्षा करने वाले अधिकारियों द्वारा यहां दिए गए निर्देशों के अनुसार APAR को भरें। जहां प्रविष्टियाँ पर्याप्त रूप से सार्थक नहीं हैं तो ऐसे प्रतिवेदन को प्रतिवेदक/ समीक्षा अधिकारी को प्रवर्धन या स्पष्टीकरण के लिए लौटाया जाना चाहिए।


JOIN TELEGRAM PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


(1) “संदिग्ध चरित्र”, ” अनुचित लाभ प्राप्त करने की शिकायतें” जैसे रिमार्कस स्वीकार्य नहीं हैं। प्रविष्टियाँ स्थापित तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए न कि केवल संदेह पर । जो तथ्य, मूल्यांकन, निष्कर्ष, आदि विरोधाभासी है उन्हे APAR को लिखते / समीक्षा / स्वीकार करते समय टाला जाना चाहिए इसके अलावा, प्रतिवेदन के समय से पहले के तथ्यों, घटनाओं और परिस्थितियों का उल्लेख APAR में नहीं किया जाना चाहिए।

(2) प्रतिवेदन लिखने वाले अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि APAR लिखने के लिए वह सक्षम है। इसे विशेष रूप से प्रतिवेदन अवधि वर्ष की जांच करनी चाहिए और स्वयं को संतुष्ट करना चाहिए कि उसे निश्चित रूप से प्रतिवदेन अवधि के लिए संबंधित लोकसेवक हेतु सक्षम प्रतिवेदक/ समीक्षा / स्वीकार करने का अधिकार था।

(3) APAR लिखने के लिए समय-सारिणी में दिए गए समय का पालन किया जाना चाहिए राज्य सरकार के आदेश क्रमांक 13(48)कार्मिक(क-1) / गोप्र/ 77 दिनांक 16-7-80 एवं एफ13(51)कार्मिक/ए1/एसीआर/08 दिनांक 05.06.2008 में स्पष्ट प्रावधान है कि निर्धारित तिथि तक लोकसेवक द्वारा प्रतिवेदन के भाग-1 की पूर्ति कर समय पर प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो प्रतिवेदक अधिकारी निर्धारित तिथि पश्चात् प्रतीक्षा नहीं करें तथा कार्यालय अभिलेख से भाग- 1 की पूर्ति करें एवं अपनी टिप्पणी अंकित कर सम्बन्धित समीक्षक अधिकारी को भिजवा देवें। यह प्रतिवेदक अधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।

(4) प्रतिवेदक/समीक्षक अधिकारी APAR पर अपनी टिप्पणी अंकित करते समय इस बात की पुष्टि अवश्य करें कि उसने अपने अधीनस्थ सभी लोकसेवकों की APAR पर प्रतिवेदन/समीक्षक टिप्पणी अंकित कर सम्बन्धित अधिकारी को प्रस्तुत कर दिये हैं। APAR उच्च अधिकारी को भेजने से पूर्व संधारण रजिस्टर (संलग्न प्रपत्र-“B” ) में प्रत्येक संवर्ग व पदवार इन्द्राज अवश्य किया जावे।

(5). सेवानिवृत होने वाले प्रतिवेदक/समीक्षक अधिकारी का वैधानिक कर्त्तव्य है कि उनके अधीन कार्यरत लोकसेवक जिसने कम से कम तीन माह से अधिक समय तक कार्य किया हो उनका APAR प्रतिवेदन अवश्य भरें अन्यथा उनको अदेय प्रमाण -पत्र जारी नहीं किया जायेगा ।

(7), तीन वर्षों से पूर्व के प्रतिवेदन राज्य सरकार के आदेश कमांक एफ-14(29)कार्मिक / एसीआर / 73 दिनांक 16-7-85 के अनुसार स्वीकार योग्य नहीं हैं। अतः तीन वर्षो से पूर्व के मूल प्रतिवेदन तैयार नहीं करवाये जायें, इसके स्थान पर तीन वर्ष से पूर्व के प्रतिवेदन प्रतिवेदक अधिकारी स्वयं द्वारा कार्यालय अभिलेख के आधार पर कार्यालय स्तर पर) तैयार कर भिजवाये जाएँ । ध्यान रहे कि ऐसे प्रतिवेदनों में समग्र मूल्यांकन संतोषप्रद से ऊपर की श्रेणी का नहीं भरा जावे।

(8). प्रतिवेदक अधिकारी लोकसेवक के प्रतिवेदन पर टिप्पणी अंकित करने से पूर्व जाँच करे कि लोकसेवक द्वारा अपने विभाग का मूल पद, मूल विषय, कार्य करने की सेवा अवधि, वर्तमान पद का चयन वर्ष, उस वर्ष का बोर्ड परीक्षा परिणाम आदि सही रूप से भरा है अथवा नहीं? लोकसेवक का मूल पद एवं विषय का सही उल्लेख नहीं होने के कारण प्रतिवेदन संधारण में असुविधा एवं अनावश्यक विलम्ब होता है।

(9), प्रतिवेदक अधिकारी, समीक्षक अधिकारी और स्वीकारकर्ता अधिकारी का नाम उनके हस्ताक्षरों के बाद संबंधित पदनामों के साथ स्पष्ट रूप से बड़े अक्षरों में दर्शाया जाना चाहिए। प्रतिवेदक अधिकारी प्रतिवेदन के भाग-1 की प्रविष्टियों को प्रमाणित कर अपने हस्ताक्षर अंकित करें। भाग-II की पूर्ति के पश्चात् अपनी मोहर अवश्य लगायें, जिसमें अपना नाम, पदनाम का स्पष्ट उल्लेख हो। यदि पदस्थापन स्थान परिवर्तित हो गया है तो पूर्व स्थान की मोहर तथा वर्तमान पदस्थापन की मोहर दोनों लगायें । उल्लेखित पदनाम प्रतिवेदन की अवधि से संबंधित होना चाहिए। उपर्युक्त प्रक्रिया समीक्षक अधिकारी द्वारा भाग-।। एवं भाग-111 में भी अपनायी जावे।

समग्र शिक्षा अभियान (योजना संचालन पोर्टल) SNA COMPONENT 2023

(10), जिला स्तरीय अधिकारियों के APAR प्रतिवेदक अधिकारी की टिप्पणी के बाद सम्बन्धित जिला कलेक्टर की टिप्पणी हेतु एवं मंडल स्तरीय अधिकारियों का प्रतिवेदन प्रतिवेदक अधिकारी की टिप्पणी के बाद सम्बन्धित संभागीय आयुक्त को प्रेषित किया जावेगा कलेक्टर/ संभागीय आयुक्त अपनी टिप्पणी के बाद APAR रामीक्षक अधिकारी को प्रेषित करेंगे।(कार्मिक विभाग का आदेश गाक 13/51)/क/-1/गोए/2015 जयपुर दिनाक 29.06.2015)

(11) बोर्ड परीक्षा का परिणाम APAR में अवश्य अंकित करने के साथ-साथ परीक्षा परिणाम की प्रमाणित
प्रति भी साथ में संलग्न करें। न्यून परीक्षा परिणाम की स्थिति में प्रतिवेदक / समीक्षक अधिकारी अपनी टिप्पणी में इसका उल्लेख अवश्य करें। चूंकि शिक्षा विभाग में संस्थाप्रधानों/ व्याख्याता /वरिष्ठ अध्यापक/ अध्यापक का परीक्षा परिणाम मुख्य उपलब्धि की श्रेणी में आता है, अतः जिन कार्मिकों का परीक्षा परिणाम न्यून है. अन्य उपलब्धियां चाहे जितनी भी श्रेष्ठ हो उनका सनग्र मूल्यांकन अच्छा से ऊपर अंकित नहीं किया जावे इसकी पालना कठोरता से की जाये, ताकि प्रतिवेदन संधारण में अनावश्यक पत्र व्यवहार न करना पड़े।

(12) APAR में प्रतिकूल प्रविष्टि का इन्द्राज प्रतिवेदक/समीक्षक अधिकारी उस समय तक नहीं करे जब तक कि प्रतिकूल प्रविष्टि के साक्ष्य में उनके पास पर्याप्त ठोस प्रमाण न हो। प्रतिवेदक अधिकारी द्वारा की गयी प्रतिकूल प्रविष्टि को समीक्षक अधिकारी, प्रतिवेदक अधिकारी से लिखित सलाह मशविरा कर ही निरस्त कर सकता हैं।

(13) प्रतिवेदक यह सुनिश्चित करें कि बिन्दु संख्या 1 से 2 तक में की गई अभियुक्तियों एवं बिन्दु संख्या 5 में किए गए समग्र मूल्यांकन में एकरूपता हो। बिन्दु 1 से 2 तक में कहीं पर भी प्रतिकूल अभियुक्ति नहीं होने पर बिन्दु संख्या 5 में तदनुरूप ही समग्र मूल्यांकन किया जावे। यदि कहीं पर भी कोई प्रतिकूल अभियुक्ति हो तो समग्र मूल्यांकन भी असंतोषप्रद ही किया जावे।

(14) समीक्षक अधिकारी प्रतिवेदक अधिकारी द्वारा किये गये समग्र मूल्यांकन को उस स्थिति में ही परिवर्तित कर सकता है जबकि वह कार्मिक एवं उसके व्यवहार से पूर्णतया परिचित हो तथा प्रतिवेदक द्वारा किये गये मूल्यांकन को परिवर्तित करने के उसके पास ठोस प्रमाण हो। समग्र मूल्यांकन परितवर्तित करते समय वह उन पर्याप्त कारणों/ औचित्य का उल्लेख अपनी समीक्षक टिप्पणी में अवश्य अंकित करें, तत्पश्चात् ही किये गये समग्र मूल्यांकन को परिवर्तित करें।

(15) समीक्षक एवं स्वीकारकर्ता अधिकारी को प्रतिवेदक अधिकारी के अभिमत से सहमति/असहमति दोनों ही स्थितियों के संबंध में स्पष्ट तथ्यों सहित अभिमत अभिलिखित करना चाहिए विशेषतः उच्च अधिकारी के अभिमत को मूल्यांकन की दृष्टि से सर्वोत्तम माना जाता है अतः उच्च अधिकारीगण को प्रतिकूल प्रविष्टियों एवं प्रविष्टियों को निम्नगत/ क्रमोन्नत (Down grade / Up grade) करने की स्थिति में मूल्यांकन के साथ-साथ स्वयं की टिप्पणियों के बारे में सकारण विवरण आवश्यक रूप से अंकित करना चाहिए। (कार्मिक विभाग के आदेश क्रमांक प. 13(51) कार्मिक/एसीआर/2008 जयपुर दिनांक 12.10.2009)

(16) पातेय वेतन व्यवस्था में कार्यरत लोकसेवक APAR प्रतिवेदन जिस मूल पद से चयनित किये गये हो उसके संधारण अधिकारी द्वारा ही संधारित किये जावेगें।

(17) अन्य विभाग में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले लोकसेवक मूल पद एवं विषय, मूल विभाग का ही अंकित करें। सम्बन्धित प्रतिवेदक अधिकारी भी अपनी प्रतिवेदन टिप्पणी अंकित करने से पूर्व विशेष रूप से इसकी जाँच करें।

(18) कार्मिक विभाग के पत्रांक प. 13(51) / का० /क-1 / गो.प. / 2016 जयपुर दिनांक 17.05.2018 के अनुसार राजपत्रित अधिकारियों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन के साथ संलग्न अचल सम्पति विवरण प्रपत्र को हटा दिया गया है डीपीसी के वक्त संबंधित कार्यालय अपने अधीन कार्यरत राजपत्रित अधिकारी जिसकी डीपीसी प्रस्तावित है का अचल सम्पत्ति विवरण जो कि स्वयं राजपत्रित अधिकारी ने SSO ID द्वारा ऑनलाईन किया है की स्व – प्रमाणित प्रति आवश्यक रूप से प्रेषित करेंगे। (कार्मिक विभाग के आदेश क्रमांक प. 13(51) का. /क-1/गो.प्र./2016 जयपुर दिनांक 17.05.2018)

सरकारी नौकरी, परीक्षा परिणाम, भर्ती और प्रतियोगी अपडेट-

(1) अधिकारी के निलंबन के तहत- यदि प्रतिवेदक/समीक्षक / स्वीकारकर्ता अधिकारी निलंबन के अधीन है, तो उसके ड्यूटी के समय कार्यरत रहे लोकसवको की वह APAR लिखने/समीक्षा करने में सक्षम नहीं होगा।

(2) रिश्तेदार की APAR- अधिकारी अपने करीबी रिश्तेदार की APAR को लिखने या समीक्षा करने के लिए अधिकृत नहीं है।

(3) तीन महीने से कम की अवधि- प्रतिवेदक/ समीक्षक अधिकारी उन लोकसेवकों की APAR को लिखने/समीक्षा के लिए सक्षम नहीं है जिन लोकसेवकों ने उनके सुपरविजन में 03 माह से कम अवधि हेतु काम किया है।

(4) न्यायालय में साक्ष्य – जहां किसी लोकसेवक ने प्रतिवेदक/ समीक्षक अधिकारी के खिलाफ न्यायालय के समक्ष सबूत पेश किए हैं, वहाँ प्रतिवेदक/ समीक्षा करने वाला अधिकारी संबंधित लोकसेवक की APAR लिख नहीं सकते हैं / समीक्षा नहीं कर सकते हैं ।

(5) वे लोकसेवक जिन्हें निलंबन के तहत रखा गया है अथवा पोस्टिंग आदेश की प्रतीक्षा में है अथवा अध्ययन अवकाश पर है उनकी उक्त अवधि की APAR तैयार नहीं की जायेगी।

(6) प्रतिवेदक/ समीक्षक / स्वीकृति अधिकारी की सेवानिवृत्ति- जब प्रतिवेदक/ समीक्षा /स्वीकारकर्ता अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाता है या कार्यालय से किसी कारण से वंचित हो जाता है, तो वह APAR से संबंधित दायित्त्व का निर्वहन नहीं कर सकता और न ही पूर्व में किसी APAR में अपने द्वारा अंकित की गई प्रतिकूल प्रविष्टि के खिलाफ प्रस्तुत अभ्यावेदन पर टिप्पणियां दे सकता है।

(7) पुनर्नियुक्त कर्मचारी- पुनर्नियोजन पर एक सेवानिवृत्त अधिकारी इस पुनर्नियोजन की अवधि के दौरान उसके अधीन काम करने वाले कर्मचारियों/अधिकारियों का APAR लिखने, समीक्षा करने या स्वीकार करने (इनमें से कोई भी मामला हो) के लिए सक्षम होगा हालांकि, ऐसा कोई अधिकारी उस समय के APAR को लिखने / समीक्षा करने / स्वीकार करने में सक्षम नहीं होगा (यदि कोई हो) जो उस प्रासंगिक समय में लिखा/समीक्षा / स्वीकार नहीं किया गया था, जब वह पुनर्नियोजन से पहले सेवा में था। (अर्थात् सेवानिवृत्त नहीं हुआ था तब का कोई बकाया मामला अब वह पूरा करने हेतु अधिकृत नहीं है)

(8) अतिरिक्त प्रभार धारण करने वाला अधिकारी के संबंध में- यदि किसी प्रतिवेदक/समीक्षा करने वाले अधिकारी ने तीन महीने से अधिक समय तक अतिरिक्त प्रभार संभाला है और जिस व्यक्ति को रिपोर्ट किया गया है, उससे वरिष्ठ है, तो वह अतिरिक्त प्रभार की क्षमता में उन लोकसवेकों के APAR लिख सकता है, जिनके कार्य का पर्यवेक्षण किया था ।

(9) जहां प्रतिवेदक अधिकारी किसी विशेष अवधि के लिए कर्मचारी के संबंध में एक प्रतिवेदक अधिकारी के रूप में APAR को लिखने के लिए सक्षम नहीं है, वहां रिपोर्ट(APAR) समीक्षा अधिकारी द्वारा प्रतिवेदक अधिकारी के रूप में लिखी जाएगी और स्वीकारकर्ता अधिकारी द्वारा समीक्षा अधिकारी और स्वीकारकर्ता अधिकारी दोनों के रूप में रिपोर्ट लिखी जाएगी।

यदि कोई अधिकारी किसी विशेष अवधि के लिए किसी कर्मचारी के APAR की समीक्षा करने के लिए सक्षम नहीं है, तो स्वीकारकर्ता अधिकारी APAR को स्वीकार करने के साथ ही समीक्षा भी करेगा।

इसी तरह, किसी भी अधिकारी के किसी प्रतिवेदक अधिकारी के रूप में या किसी समीक्षा अधिकारी के रूप में लिखने के लिए सक्षम नहीं होने की स्थिति में रिपोर्ट (APAR) की शुरुआत, समीक्षा और स्वीकृत्ति ये तीनों कार्य स्वीकारकर्ता अधिकारी द्वारा किए जाएंगे।

जहां कोई भी अधिकारी APAR को लिखने, उसकी समीक्षा करने या उसे स्वीकार करने के लिए सक्षम नहीं है, तो इस आशय की प्रविष्टि APAR में की जाएगी। समीक्षक अधिकारी को प्रतिवेदक अधिकारी के रूप में कार्य करते समय और स्वीकारकर्ता अधिकारी को समीक्षक अधिकारी के रूप में कार्य करते समय विशेष रूप से उन परिस्थितियों के बारे में बताना चाहिए जिनके तहत उन्हें ऐसा करना पड़ा।

(1) विभागाध्यक्ष/कॉडर नियन्त्रण अधिकारी द्वारा संबंधित लोकसेवक की APAR पूर्ण होकर प्राप्त होने पर उस लोकसेवक को सूचित कर अवलोकन हेतु आमंत्रित किया जाएगा एवं लोकसेवक को प्रतिवेदन का अवलोकन कराने के पश्चात अवलोकन करने का उससे प्रमाण पत्र लिया जाएगा।

यदि अवलोकन पश्चात लोकसेवक अपने कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन में अंकित प्रतिवेदक /समीक्षक/स्वीकारकर्ता अधिकारी की ग्रेडिंग/टिप्पणी/मूल्यांकन से सन्तुष्ट नहीं हो तो वह ग्रेडिंग / टिप्पणी/ मूल्यांकन सुधार हेतु 15 दिवस में अपना अभ्यावेदन संबंधित विभागाध्यक्ष/कॉडर नियंत्रण अधिकारी को प्रस्तुत करेगा।* लोकसेवक द्वारा APAR के अवलोकन करने पर यात्रा भता एवं उपस्थिति प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने का प्रावधान है।**

(2) यदि संबंधित लोकसेवक अपने मूल्यांकन के विरूद्ध 15 दिवस में अभ्यावेदन प्रस्तुत नहीं करे तोवार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (Annual Performance Appraisal Report) कार्मिक /संबंधित विभाग को भिजवाया जाए।

(3) यदि लोकसेवक किए गए मूल्यांकन के विरूद्ध ग्रेडिंग / टिप्पणी / मूल्यांकन में सुधार हेतु अभ्यावेदन प्रस्तुत करें तो विभागाध्यक्ष/कॉडर नियंत्रण अधिकारी द्वारा सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त कर एक माह में उस पर निर्णय लिया जायेगा।*

(4) यदि विभागाध्यक्ष/कॉडर नियन्त्रण अधिकारी द्वारा अभ्यावेदन पर लिए गए निर्णय से लोकसेवक सन्तुष्ट नहीं हो तो वह उसके विरूद्ध अपीलीय बोर्ड के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकता है ।

(5) अधीनस्थ और मंत्रालयिक सेवाओं के कर्मचारियों के मामलों में नियुक्ति अधिकारी और राज्य सेवाओं के अधिकारियों के मामले में कार्मिक विभाग तय करेगा कि APAR में कौन सी टिप्पणियां प्रतिकूल प्रविष्टियों का निर्माण करेगी और कौनसी टिप्पणियों के बारे में उस व्यक्ति को (जिसकी APAR है) सूचित किया जाना चाहिए। प्रतिवेदक अधिकारी के मामले में, निर्धारित स्थान (भाग – 1 1) के तहत दर्ज की गई टिप्पणियों को प्रतिकूल माना जाएगा समीक्षक अधिकारी के लिए, किसी प्रविष्टि को तब तक प्रतिकूल नहीं माना जाएगा जब तक कि समग्र मूल्यांकन भी असंतोषजनक न हो।

(6) किसी लोकसेवक की APAR में अंकित सभी प्रतिकूल प्रविष्टियाँ चाहे वे उसके प्रदर्शन से संबंधित हो चाहे उसके मूलभूत गुणों व क्षमताओं से संबंधित हो का निर्देशों में निर्धारित अवधि के भीतर भीतर उस लोकसेवक को सूचित करना चाहिए। एक लोकसेवक को कभी भी अपने उच्चाधिकारियों की राय से अनभिज्ञ नहीं रहना चाहिए। जहाँ उस लोकसेवक की सेवा को संतोषजनक नहीं माना जाता है, तो उससे संबंधित आलोचना को सूचित किया जाना चाहिए।

(*कार्मिक विभाग के आदेश क्रमांक प. 13(51)का/-1/ गो.प्र./2012 जयपुर दिनांक 22.02.2013
**कार्मिक विभाग के आदेश क्रमांक प. 1351)का /क-1/गो.प्र./2013 जयपुर दिनांक 17.9.2013)

(7) लाईलाज प्रकृति के सूचित दोषों को संप्रेषित करते समय एक निश्चित मात्रा में विवेक रखना चाहिए। उदाहरणतः किसी लोकसेवक को प्रतिवर्ष यह बताया जाता है कि उसकी बुद्धिमता औसत से कम है या वह बहुत संवेदनशील है ऐसे प्रकरण में यह लाभदायक की जगह हानिकारक हो सकता है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति के शारीरिक दोषों के बारे में यदि APAR में अंकन है तो इस बारे मे उसको सूचित किया जाना आवश्यक नहीं है।

(8) प्रतिकूल टिप्पणियों को संप्रेषित करते समय, अच्छे बिंदुओं का उल्लेख भी किया जाना चाहिए। इसी तरह, जहां एक रिपोर्ट से पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने दोषों को दूर करने के लिए सफल प्रयास किए हैं, जिन पर उसका ध्यान पहले आकर्षित किया गया था तो उसे उनके बारे में भी सूचित किया जाना चाहिए ताकि उसे मालूम हो सके कि सुधार के उसके प्रयासों को अनदेखा नहीं किया गया है।

(9) केवल ऐसी प्रतिकूल प्रविष्टियों को ही जिन्हें समीक्षा / स्वीकार करने वाले अधिकारी द्वारा स्वीकार किया गया है, को ही संप्रेषित किया जाना चाहिए। इसलिए समीक्षा करने / स्वीकार करने वाले अधिकारी को सामान्य रूप से यह बताना चाहिए कि वह प्रतिवेदक अधिकारी की टिप्पणी से सहमत है अथवा नहीं। यदि प्रतिवेदन बहुत संक्षिप्त, गूढ या अस्पष्ट हो तो आवश्यकता होने पर अतिरिक्त टिप्पणी भी दर्ज करनी चाहिए। जिन मामलों में निर्णय निलंबित किया गया है, उन पर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।

(10) नियमान्तर्गत भरी हुई APAR में दर्ज की गई किसी भी प्रतिकूल प्रविष्टि को उस अधिकारी द्वारा लिखित रूप में संबंधित व्यक्ति को सूचित किया जाएगा, जिसके अधीन रिपोर्ट रखी गई है, निर्धारित समय सीमा में, व्यक्ति को अभ्यावेदन हेतु लिखित सूचना दी जानी चाहिए और उस आशय का अभिलेख संबंधित लोकसेवक के APAR डोजियर में रखा जाना चाहिए।

(11) किसी लोकसेवक के स्वभाव के संबंध में जब कोई सलाह/चेतावनी/प्रतिबन्धों के रूप में मौखिक या लिखित माध्यम से सूचना दी जाए तो अन्यन्त सावधानी रखने की आवश्यकता है। यह सलाह उसके लिए लाभदायक हो और उसमें सुधरात्मक प्रयास लाने वाली होनी चाहिए।

(12) संबंधित लोकसेवक को APAR में दर्ज प्रतिकूल टिप्पणी की सूचना देते समय संबंधित अधिकारी की पहचान का खुलासा करना आवश्यक नहीं है।

(13) प्रतिकूल प्रविष्टियों के खिलाफ प्राप्त अभ्यावेदन को APAR में नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इन्हें लोकसेवक के APAR फाइल के साथ एक अलग फाइल कवर में रखा जा सकता है। प्रतिकूल टिप्पणियों के खिलाफ प्राप्त अभ्यावेदन का निस्तारण कार्मिक विभाग द्वारा समय -समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया जाए।

(1) अन्य विभागों / संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारियों के मामले में जो राज्य द्वारा नियंत्रित होते हैं की APAR संलग्न परिशिष्ट में यथा निर्धारित चैनल के अनुसार लिखा जाएगा तथा नियुक्ति अधिकारी या कार्मिक विभाग को भेजा जा सकता है, जैसा भी मामला हो।

(2) ऐसे मामलों में, जब कोई लोकसेवक जो अपनी मूल सेवा में अपने ग्रहणाधिकार (LIEN) को धारण करते हुए किसी अन्य सेवा में शामिल हो गया था, अपनी मूल सेवा में लौट जाता है. तो निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जा सकती है-

A. यदि अन्य सेवा में कार्यरत अवधि के लिए मूल्यांकन रिपोर्ट (एस) / गोपनीय रिपोर्ट (एस) उपलब्ध हैं, तो उन्हें कर्मचारी के मूल्यांकन डोजियर में रखा जाएगा और पदोन्नति के प्रयोजनों के लिए इसे ध्यान में रखा जाएगा।

B. यदि वे उपलब्ध नहीं हैं, तो अप्राप्त रिपोर्ट के मामले में निर्धारित प्रक्रिया लागू होगी। 13. अध्ययन या प्रशिक्षण के अनुमोदित पाठ्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रतिनियुक्त लोकसेवकों के APAR के लेखन की प्रक्रिया जिस अवधि के लिए किसी कर्मचारी ने भारत या विदेश में किसी अनुमोदित संस्थान में कोई प्रशिक्षण लिया है, उसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए –

(1) जब भी कोई अधिकारी अध्ययन या प्रशिक्षण के अनुमोदित पाठ्यक्रम में भाग लेता है तो इसका इन्द्राज इस अवधि की APAR में करना चाहिए।

(2) प्रतिनियुक्त संस्था के प्रमुख से प्राप्त यदि कोई प्रतिवेदन है तो उस लोकसेवक की डोजियर में मूल रूप से रखी जानी चाहिए या उसका कोई सारभूत तथ्य उसमें प्रविष्ट होना चाहिए।

(1) प्रति वर्ष 31 मार्च को प्रशासनिक सचिव द्वारा राज्य सेवा के अधिकारियों की तथा नियुक्ति अधिकारी द्वारा अधीनस्थ और मंत्रालयिक सेवा के उन लोकसेवकों की सूची तैयार की जायगी जो कि निम्न श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं:

A. जिन कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश दिया गया है।
B. जिन कर्मचारियों को निलंबित रखा गया।
C. जिन कर्मचारियों को आदेशों की प्रतीक्षा में रखा गया हैं।
D.उन कर्मचारियों के मामले में, जिनमें से कोई भी प्रतिवेदक अधिकारी, समीक्षा करने वाला अधिकारी और स्वीकार करने वाला अधिकारी APAR लिखने के लिए सक्षम नहीं है।
E. उन कर्मचारियों के मामले में जिनकी अवधि पाँच वर्ष से अधिक पुरानी है, पूरा होने के लिए लंबित है। (कार्मिक विभाग के आदेश क्रमांक ए. 1351)5./3-1/गोप्र./2006 जयपुर दिनांक 30.112012)

(2) उपर्युक्त व्यक्तियों के लिए, यदि अवधि तीन महीने या उससे अधिक है, तो कारणों का उल्लेख करने वाले एक नोट को डोजियर में “नो रिपोर्ट सर्टिफिकेट” के रूप में रखा जाना चाहिए।

वित्त विभाग (नियम अनुभाग) के पत्र क्रमांक प. 14 (B6) वित/नियम /2008 जयपुर दिनांक 04.11.2016 के निर्देश के तहत यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी के वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन गत 07 वर्षों की निरन्तरता में उपलब्ध नहीं है तो एसीपी के प्रकरणें का निर्धारण निम्न आधार पर किया जाए –

A. राज्य सेवा के अधिकारियों के मामले में जितने वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं है उतने वर्षों के अधिकतम गत 03 वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन देखे जा सकतें है।

B. इसी प्रकार राज्य सेवा के अतिरिक्त अन्य अधिकारियों / कर्मचारियों के मामले में जितने वर्षों के कार्यमूल्यांकन प्रतिवदेन उपलब्ध नहीं है उतने वर्षों के अधिकतम गत 02 वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवदेन देखे जा सकेगें।

C. यदि फिर भी 07 वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं होते है तो ऐसे प्रकरणो में जितने वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन कम है उतने आगामी वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन के आधार पर 07 वर्षों के कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन पूर्ण होने पर ही एसीपी स्वीकार की जा सकेगी ।

क्र.सं.प्रतिवेदन प्रस्तुत करना, टिप्पणी अंकित करना व प्रेषित करनाप्रस्तुत/प्रेषित करने की अंतिम तिथि कार्यालय में कार्यरत लोकसेवकों के लिए (शिक्षक संवर्ग सहित)प्रस्तुत/प्रेषित करने की अंतिम तिथि विद्यालयों में कार्यरत लोकसेवकों के लिए (मंत्रालयिक कार्मिकों के अतिरिक्त)
1लोकसेवकों द्वारा APAR प्रस्तुत करना10 अप्रेल
15 अगस्त
2प्रतिवेदक अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन पर टिप्पणी अंकित करना10 मई15 सितम्बर
3प्रतिवेदक अधिकारी द्वारा समीक्षक अधिकारी को प्रेषित करना15 मई20 सितम्बर
4समीक्षक अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन में टिप्पणी अंकित करना एवं संबंधित कार्यालय को संधारण हेतु निजवाना15 जून20 अक्टूबर

क्र.स.पदनाम (लोकसेवक) – Reporteeप्रतिवेदक अधिकारी – Reporting Officerसमीक्षक अधिकारी – Reviewing Officer स्वीकार कर्ता अधिकारी – Accepting Officer
1Govt. Secondary & Senior Secondary School Teacher Grade 3rd L-1 & L-2, PET Grade 3rd, Librarian Grade 3rd, Junior Assistant, Lab Technician Grade 3rdसंस्था प्रधानमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOजिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) माध्यमिक
2Govt. Primary & Upper Primary School Teacher Grade 3rd L-1 & L-2, Prabodhak (ग्रामीण क्षेत्र)PEEO – पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारीमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOजिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) प्रारम्भिक
3Govt. Upper Primary School PET Grade 3rd (ग्रामीण क्षेत्र)PEEO – पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारीमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOजिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) माध्यमिक
4Govt. Primary & Upper Primary School Teacher Grade 3rd L-1 & L-2, Prabodhak (शहरी क्षेत्र)अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रथम- ACBEO – Istमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOजिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) प्रारम्भिक
5Govt. Upper Primary School PET Grade 3rd (शहरी क्षेत्र)अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रथम- ACBEO – Istमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOजिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) माध्यमिक
6Govt. Upper Primary School SENIOR TEACHER – वरिष्ठ अध्यापक (ग्रामीण क्षेत्र)PEEO – पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारीमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOसंयुक्त निदेशक संभाग Joint Director
7Govt. Upper Primary School SENIOR TEACHER – वरिष्ठ अध्यापक (शहरी क्षेत्र)अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रथम- ACBEO – Istमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOसंयुक्त निदेशक संभाग Joint Director
8Govt. Secondary & Senior Secondary School Senior Teacher, PET Grade-2nd, Librarian Grade-2nd, Senior Assistant, Assistant Administrative Officer, Lab Assistant Grade-2ndसंस्था प्रधानमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOसंयुक्त निदेशक संभाग Joint Director
9Govt. Senior Secondary School Lecturer, PET Grade-1st, Librarian Grade-1stसंस्था प्रधानमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा Director
10Govt. Secondary & Senior Secondary School Principal & Headmasterमुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी – CBEOमुख्य जिला शिक्षा अधिकारीनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा Director

नोट- 1. जिन माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक प्रधानाचार्य व व्याख्याता का पद रिक्त है एसे विद्यालयों में रिपोर्टिंग अधिकारी का कार्य उस विद्यालय का आहरण व वितरण अधिकारी करेगा अर्थात जिसके पास 03 पावर हैं।

2. उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद रिक्त है कार्यवाहक के रूप में यदि व्याख्याता , प्रधानाचार्य का निर्वहन कर रहा है तो रिपोर्टिंग अधिकारी संबन्धित सीबीईओ होगा।

3. Do you want choose dir/addirsec as reporting/reviewing officer का चयन फील्ड को नहीं करना है फील्ड इसे by डिफ़ॉल्ट नो (No) ही रखें यह ऑप्शन केवल निदेशालय व आईएएसीई अजमेर, बीकानेर के चुनिंदा पदों के लिए ही है।

क्र. सं. प्रश्न जबाब
1मैं शहरी क्षे़त्र में कार्यरत उप्रा विद्यालय में संस्थाप्रधान हूॅ निर्धारित चैनल के अनुसार मेरा रिर्पोटिग ACBEO प्रथम है वर्तमान में UCEO व्यवस्था प्रारंम्भ की गई मुझे अपना प्रतिवेदन किसे प्रेषित करना है?निर्धारित चैनल के अनुसार ही प्रतिवेदन प्रेषित किया जाना है
2मैं व्याख्याता पद पर कार्यरत हुंॅ मेरे पास स्वयं के विद्यालय(राउमावि) का आहरण वितरण अधिकार( 03 पावर) है। मेरे रिपोर्टिंग अधिकारी कौन होंगे?आप अपना रिपोर्टिंग अधिकारी के रूप में न्यूनतम 03 माह के सपुरविजन में सेवा शर्त की पालना करते हुए मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को उनके अधीन की गई अवधि के अनुसार चयन करें।
3मेरे विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद रिक्त है। प्रधानाचार्य का दायित्व किसी व्याख्याता के पास है लेकिन उनके पास 03 पावर नहीं है। इस परिस्थिति मे मेरे रिपोर्टिग अधिकारी कौन होंगे?विद्यालय के अन्य कार्मिकों के साथ-साथ आपके भी रिपोर्टिग अधिकारी वहीं होंगे जिनके पास आपके विद्यालय का आहरण वितरण अधिकार/03 पॉवर है।
4मैंने दिनांक 01.02.2022 को द्वितीय श्रेणी से पदोन्न्त होकर अन्य स्कूल में व्याख्याता पद पर कार्यग्रहण किया है। मेरे रिपोर्टिग व त्मअपमूपदह अधिकारी अलग-अलग होंगे क्या?दोनों अवधि में रिपोर्टिग अधिकारी संबंधित प्रधानाध्यापक(मावि)/प्रधानाचार्य होगें जिनके अधीन आपने सेवा की है एवं रिवींविगअधिकारी एक ही होंगे जो आपके अंतिम पदस्थापन के अनुसार हांेगे। परिपत्र 23.11.20 के दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए
5रामावि/राउमावि में द्वितीय श्रेणी अध्यापक के पास प्रधानाचार्य का चार्ज हैं। क्या उन्हे रिपोर्टिग अधिकारी के रूप में चयन किया जा सकता है?नहीं
6मैं दिनांक 01.07.2022 से 01.10.2022 तक द्वितीय श्रेणी अध्यापक था मैने विभागीय पदोन्नति उपरांत दिनांक 02.10.2022 को व्याख्याता के रूप मे कार्यग्रहण कर लिया है। मैं एपीएआर भरते समय लोकसेवक के प्रकार के रूप में किस पद का चयन करूंगा?एपीएआर वर्ष के अन्तिम पद का चयन लोक सेवक प्रकार में करना होता है। आपके संबंध में आपको लोक सेवक के प्रकार के रूप में व्याख्याता पद का चयन करना होगा।
7मैं रिपोर्टिग अधिकारी हुॅं मैं अपने शाला दर्पण लॉगिन से लोकसेवक से प्राप्त एपीएआर कैसे फारवर्ड करूॅंगा?आप लोकसेवक से प्राप्त एपीएआर पर अपनी टिप्पणी अंकित करने से पश्चात् सबमिट करें एवं ई-साइन कर उसे समीक्षक अधिकारी को फारवर्ड करें।
8मैंने अपने एपीएआर में रिपोर्टिग/ रिवीविग /अवधि/रिजल्ट/अन्य विवरण गलत भर दिया है अब मैं उसे किस प्रकार डिलीट/रिजेक्ट करवा सकता हूॅं?आप अपना एपीएआर आवेदन यथोचित कारण सहित प्रार्थना पत्र नियंत्रण अधिकारी से अग्रेषित करवाकर सीबीईओ/सीडीईओ कार्यालय लॉगिन से डिलीट करवा सकते है। उक्त कार्य प्रतिवेदक अधिकारी द्वारा समीक्षक अधिकारी को प्रेषित करने से पूर्व होगा।
9मॉड्यूल में प्रविष्टियॉ कौनसे font में की जानी है?English या Mangal (Unicode)
10मैं अपने समीक्षक अधिकारी के रूप सीडीईओ का चयन करना चाहता हूॅ जिनके पास जिशिअ (मुख्यालय)का भी प्रभार है। सीडीईओ के रूप में सर्च करते समय इनका नाम प्रदर्शित नहीं हो रहा है?मूल पदस्थापित पद के अनुसार ही नाम प्रदर्शित होगा। आपको जिशिअ (मुख्यालय) के रूप में सर्च करके चयन करना होगा।
11मेरे समीक्षक अधिकारी पदोन्न्ति उपनिदेशक से संयुक्त निदेशक के पद पर हो गई है क्या मुझे अपना प्रतिवेदन उन्हे भेजना है?जिसके सुपरविजन में न्युनतम 03 माह सेवा की है उसे ही प्रतिवेदन प्रेषित किया जाना है चाहे पदनाम या कार्यालय परिवर्तन हो गया है।
12मैं शिक्षा विभाग का कार्मिक हुॅं एवं वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभाग में कार्यरत हुॅं क्या मुझे अपनी एपीएआर ऑनलाईन भरनी है?नहीं। आप अपनी एपीएआर पूर्व की भांति ऑॅफलाईन ही भेजें।
13मैं अपना एपीएआर स्टेटस कैसे देख सकता हुॅं?आप अपने स्टाफ लागिन में एपीएआर टेब में एपीएआर स्टेटस कॉलम मे जाकर एपीएआर की वर्तमान स्थिति को देख सकते है।
14मैं रिपोर्टिग अधिकारी हुॅं। लोकसेवक द्वारा प्रेषित एपीएआर मैं अपने लॉगिन पर किस टेब मे देख सकता हुॅं?आप अपने स्टाफ लॉगिन मे एपीएआर टेब में Request for Apar assessment मेे जाकर देख सकते है।
15मै संस्था प्रधान के रूप मेे शाला के समग्र रिजल्ट का विवरण कैसे भर सकता हुॅ?आप रिजल्ट वाले कॉलम में कक्षा 5,8,10 का परिणाम ऑल का चयन कर एवं कक्षा 12 का रिजल्ट संबंधित स्ट्रीम का चयन कर भर सकते है।
16मैने प्रथम बार राजकीय सेवा में दिनांक 03.10.2022 को कार्यग्रहण किया है। मैने दिनांक 01.07.2022 से 02.10.2022 तक एपीएआर की प्रविष्टि कॉलम में राजकीय सेवा में नहीं था एवं 03.10.2022 से 30.06.2023 तक एपीएआर की प्रविष्टि की जानी का चयन कर रिपोर्टिग अधिकारी को अग्रेषित कर दिया था।
रिपोर्टिग अधिकारी द्वारा मेरे विवरण का सत्यापन कर दिया गया है उसके उपरांत भी एपीएआर नहीं भरी जा रही है। क्या कारण हो सकता है?
दिनांक 01.07.2022 से 02.10.2022 तक की अवधि का राजकीय सेवा में नहीं होने का सत्यापन सीबीईओ कार्यालय की लॉगिन से होने के उपरांत ही भरा जाएगा।
17मेरे रिपोर्टिंग एवं रिवीविंग अधिकारी सर्च करने पर प्रदर्शित नहीं हो रहे है। क्या कारण हो सकता है?संबंधित अधिकारी का शाला दर्पण स्टॉफ विंडो में रजिस्ट्रेशन एवं शाला दर्पण पोर्टल पर आधार वेरिफिकेशन होना आवश्यक है इसके अभाव में उनका नाम प्रदर्शित नहीं होगा।
18मैंने प्रथम बार राजकीय सेवा में दिनांक 03.09.2022 को शिक्षा विभाग में कार्यग्रहण किया है। मैं एपीएआर प्रपत्र में 1 जुलाई, 2022 से 02.09.2022 तक की अवधि का उल्लेख किस प्रकार से करूगा?आप एपीएआर में 1 जुलाई, 2022 से 02.09.2022 तक की अवधि का उल्लेख उक्त अवधि में ’लोकसेवक राजकीय सेवा में नहीं था’ आप्शन का चयन कर करें। उक्त प्रविष्टि संबंधित सीबीईओं लॉगिन से वेरिफाई भी की जानी है।

🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र / Youth And Eco Club Guideline And Utility Certificate : – समग्र शिक्षा द्वारा सत्र 2023-24 की वार्षिक कार्य योजना एवं बजट के अतंर्गत राज्य के प्राथमिक शालाओं हेतु राशि रू. 5000 व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए 10000 सीनियर सेकेण्डरी शालाओं हेतु राशि रू. 10,000 की राशि जारी कर व्यय के लिये प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान गयी है।

शिक्षा का सर्वोपरि उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास है। समाज में शहरीकरण, तकनीकी प्रगति और जनसंचार माध्यमों के प्रभाव जैसे बदलावों के कारण यह आवश्यकता पैदा हुई है कि स्कूलों को न केवल अपने छात्रों के संज्ञानात्मक विकास का पोषण करना चाहिए, बल्कि उनकी भावात्मक और मनो-मोटर क्षमताओं को भी बढ़ावा देना चाहिए जो उन्हें सक्षम बनाएगा। ज़िंदगी।

समग्र शिक्षा की परिकल्पना है कि स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षार्थी अपनी प्रतिभा को पूरी क्षमता से विकसित कर सकें। शैक्षिक और सह-शैक्षिक दोनों क्षमताओं को समान महत्व देने से, बच्चे और युवा जीवन कौशल हासिल करेंगे जो उन्हें अपने अधिकारों को जानने, अपनी चिंताओं को स्पष्ट करने, आत्मसम्मान का निर्माण करने, आत्मविश्वास और लचीलापन विकसित करने और नकारात्मक भावनाओं का मुकाबला करने में मदद करेगा। तनाव शर्म और डर. इससे उनकी स्वयं की जिम्मेदारी लेने, समाज में दूसरों के साथ संबंध बनाने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की क्षमता भी बढ़ेगी। इन कौशलों को सैद्धांतिक दृष्टिकोण के बजाय अनुभवात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है।

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र / Youth And Eco Club Guideline And Utility Certificate
यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र / Youth And Eco Club Guideline And Utility Certificate

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र Youth And Eco Club Guideline And Utility Certificate

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र / Youth And Eco Club Guideline And Utility Certificate

  1. यूथ क्लब के तहत बच्चों में जीवन जीने का कौशल, आत्मसम्मान एवं आत्मविश्वास विकसित करने तथा तनाव, भय एवं संकोच जैसे मनोविकारों को दूर कर सोच में लचीलापन विकसित करने के उद्देश्य से प्रत्येक राजकीय विद्यालय में यूथ क्लब की स्थापना की गयी है।
  2. ईको क्लब के तहत बच्चों को अपने आस-पास के पर्यावरण, जैव-विविधता, जलवायु, स्थानीय पारिस्थितिकी, पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण गतिविधियों एवं प्रोजेक्ट्स पर कार्य करने के लिए क्षमता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रत्येक राजकीय विद्यालय में ईको क्लब की स्थापना की गयी है। विशेष रूप से विद्यार्थियों में स्वच्छता व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की समझ विकसित की जानी है।
  3. विद्यालयों में पर्यावरण संरक्षण हेतु हरित पाठशाला एवं विद्यालय वाटिका / किचन गार्डन को लागू करने के लिये ईको क्लब पुर्नगठित करना। साथ ही बच्चों में पर्यावरण की समझ, संरक्षण के महत्व, वातावरण को स्वच्छ बनाना, वृक्षारोपण व संरक्षण आदि कार्य को यूथ एवं ईको क्लब अन्तर्गत विद्यार्थियों को भी सहभागी बनाया जाये ।
  4. ईको क्लब के गठन का उद्देश्य विद्यालय स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को कम कर जलवायु के प्रति विद्यार्थियों को संवेदनशील बनाना ।
  5. विश्व पर्यावरण की थीम “ईको सिस्टम रिस्टोरेशन: रीइमेजिन ( फिर से बनाना) एवं पुर्नस्थापना” करने के उद्देश्य की क्रियान्विति हेतु राजस्थान के भौगोलिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुये उष्ण व अर्द्ध शुष्क जलवायु में हरियाली को बनाये रखना, जल संरक्षण एवं वनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना अति आवश्यक है।

2024 डीए वृद्धि केलकुलेशन यहाँ से करे

यूथ एवं ईको क्लब गठन की प्रक्रिया:-

  1. प्रत्येक विद्यालय में यूथ एवं ईको क्लब के तहत प्रारम्भिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8) के विद्यार्थियों के लिये यूथ एवं ईको क्लब के तहत पांच सदन (हाऊस) बनाये जायेंगे इनके नाम पृथ्वी, जल, वायु, आकाश एवं अग्नि होंगे।
  2. माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 9 से 12 ) के लिये यूथ एवं ईको क्लब के तहत पांच सदन (हाऊस) बनाये जायेंगे इनके नाम. पृथ्वी, जल, वायु, आकाश एवं अग्नि होंगे।
  3. विद्यालय संस्था प्रधान यूथ एवं ईको क्लब के प्रभारी अधिकारी होंगे।
  4. संस्था प्रधान (प्रभारी अधिकारी) की भूमिका सहायक मार्गदर्शक एवं कार्यक्रम के लिये सुविधा उपलब्ध कराने की होगी। विद्यालय में हाऊस व्यवस्था के तहत यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियों को संचालित करने की समस्त जिम्मेदारी संस्था प्रधान की होगी ।
  5. संस्था प्रधान द्वारा विद्यालय के प्रत्येक शिक्षक / शिक्षिका को सदन (हाऊस) का प्रभार दिया जायेगा। विद्यालय में शिक्षकों की संख्या सदन (हाऊस) की संख्या से अधिक होने की स्थिति में कुछ सदनों के लिये एक से अधिक प्रभारी शिक्षक / शिक्षिका बनाये जायेंगे। विद्यालय में सदन (हाऊस) से कम शिक्षक उपलब्ध होने की स्थिति में कुछ शिक्षकों को एक से अधिक सदन (हाऊस) का प्रभारी शिक्षक नियुक्त किया जायेगा। वरिष्ठता के आधार पर वरिष्ठ शैक्षिक कार्मिक को अपेक्षाकृत अधिक सदन (हाऊस) का प्रभार दिया जायेगा ।
  6. प्रारम्भिक शिक्षा की प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों को पांच भागों में विभाजित कर प्रत्येक भाग के विद्यार्थी को एक सदन (हाऊस) के नाम से सम्बोधित किया जायेगा। इस प्रकार प्रारम्भिक शिक्षा की कक्षाओं के पांचों सदनों में सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों का समान संख्या में प्रतिनिधित्व हो सकेगा। इसी प्रक्रिया के तहत माध्यमिक शिक्षा की कक्षाओं के लिये पांच सदन बनाये जायेंगे।
  7. इस प्रकार प्रारम्भिक शिक्षा के विद्यालयों में यूथ एवं ईको क्लब के तहत पांच सदन (हाऊस) कार्य करेंगे एवं माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों में यूथ एवं ईको क्लब के तहत उन्हीं नाम से पांच सदन (हाऊस) कार्य करेंगे।
  8. विद्यालय में नव प्रवेशित विद्यार्थी जिस सदन (हाऊस) का सदस्य बनेगा विद्यालय की अन्तिम कक्षा तक उसी सदन (हाऊस) का सदस्य रहेगा।
  9. प्रत्येक सदन (हाऊस) की गतिविधियों को प्रभारी शिक्षक / शिक्षकों द्वारा संचालित करवाया जायेगा। प्रत्येक सदन (हाऊस) में सभी विद्यार्थियों का स्तर समान होगा। विद्यार्थियों में वरिष्ठ एवं कनिष्ठ जैसी व्यवस्था को विकसित नहीं करनी है। सदन (हाऊस) की गतिविधियों को संचालित करने में विद्यार्थियों का सक्रिय सहयोग लिया जायेगा। अच्छा प्रदर्शन करने के लिये बच्चों को प्रोत्साहित किया जायेगा एवं प्रत्येक बच्चे को समान रूप से अवसर प्रदान किया जायेगा।
  10. विद्यालय समय पश्चात रोटेशन के आधार पर एक अध्यापक / शारीरिक शिक्षक प्रभारी के रूप में विद्यालय समय पश्चात बच्चों के साथ खेल मैदान में उपस्थित रहकर विद्यालय के खेल मैदान, खेल संसाधन इत्यादि का उपयोग करेंगे।
  11. पांच मूल तत्व आधारित नामों में से जिस नाम तत्व से सम्बन्धित सदन (हाऊस) में विद्यार्थियों को प्रवेश मिला है, उस सदन (हाऊस) के नाम के अनुरूप विषय पर विद्यार्थियों के लिये भाषण, निबन्ध लेखन, पत्र लेखन, पोस्टर बनवाना, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित करवायी जायें। साथ ही भाषा, सामाजिक विज्ञान के विषय यथा भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान तथा विज्ञान संकाय के विषयों यथा जीव विज्ञान, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, गणित तथा खगोल विज्ञान (एस्ट्रोनोमी) आदि को सदन (हाऊस) के नाम से साथ जोड़ते हुए विषय एवं प्राकृतिक मूल तत्व की महत्वता एवं सम्बद्धता को समझाने का उपक्रम विद्यार्थियों से करवायें।
  12. सदस्य विद्यार्थीगणों को उनके स्वयं के नाम के अर्थ को समझाते हुए उसे अपने सदन (हाऊस) के नाम के परिप्रेक्ष्य में सम्बद्ध करने के प्रयास के लिये प्रेरित किया जायेगा। साथ ही प्रत्येक विद्यार्थी को सदन (हाऊस) के नाम की महत्वता बतलाते हुए इस नाम की अन्य विषयों से सम्बद्धता को इन्टरनेट, पत्र-पत्रिकाओं इत्यादि स्त्रोतों से विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया जायेगा। इससे बच्चों के ज्ञान में वृद्धि होगी तथा वे अपने सदन के नाम को समग्र रूप से समझ सकेंगे एवं अन्य विषयों से सम्बद्ध कर सकेंगे।
  13. प्रत्येक सदन (हाऊस) में यूथ एवं ईको क्लब की समस्त गतिविधियां आयोजित की जायेंगी। ये गतिविधियां प्रभारी शिक्षक / शिक्षकों के निर्देशन में संचालित की जायेंगी।
  14. समस्त विद्यार्थियों को यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा।
  15. समय – समय पर प्रारम्भिक शिक्षा के विद्यार्थियों के पांचों सदन (हाऊस) के मध्य यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियों की प्रतियोगिता आयोजित की जायेंगी एवं विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिये पुरस्कृत किया जायेगा। इसी प्रकार की प्रतियोगिताएं माध्यमिक शिक्षा के विद्यार्थियों के पांचों सदनों के मध्य आयोजित की जायेंगी।
  16. यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियों का आयोजन शिविरा कलैण्डर अनुसार निर्धारित दिवसों एवं विद्यालय समय पश्चात् तथा अवकाशों के दौरान किया जायेगा।
  17. यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों से बाल सभा के दौरान गतिविधि का प्रदर्शन कराया जायेगा।
  18. विद्यार्थी उपस्थिति रजिस्टर में विद्यार्थी के नाम के सम्मुख उसके सदन (हाऊस) का नाम भी अंकित किया जाये ताकि विद्यार्थी को सदन (हाऊस) के नाम से भी पहचाना जाये।
  19. विद्यालय की प्रारम्भिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा के प्रत्येक सदन (हाऊस) का रजिस्टर संधारित किया जायेगा। रजिस्टर के मुख्य पृष्ठ पर यूथ एवं ईको क्लब तथा सदन (हाऊस) का नाम अंकित होगा रजिस्टर में सदन * (हाऊस) के विद्यार्थियों के नाम व कक्षा अंकित होगी। साथ ही प्रत्येक विद्यार्थी की रूचि की गतिविधि अंकित की जायेंगी आयोजित की गई प्रत्येक गतिविधि का संक्षिप्त विवरण एवं दिनांक तथा आयोजन की समयावधि अंकित कर नोडल अधिकारी व संस्था प्रधान द्वारा प्रमाणित किया जायेगा । SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
  20. विद्यालय अवलोकन के समय संस्थाप्रधान द्वारा अवलोकन अधिकारी को “यूथ एवं ईको क्लब रजिस्टर” का अवलोकन करवाया जाकर हस्ताक्षर प्राप्त किये जायेंगे।

आप शिक्षा जगत के तीव्र अपडेट के लिए इस व्हाट्सएप्प चैनल को जरूर Follow कर लेवें।
👇👇👇👇


JOIN WHATSAPP CHAINL

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियाँ:-

यूथ क्लब गतिविधियाँ:-

  • यूथ क्लब गतिविधियों में समस्त खेल व शारीरिक गतिविधियाँ, योग, ड्रामा, वाद-विवाद, संगीत, कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ एवं रीडिंग गतिविधियाँ इत्यादि शामिल हैं।
  • विद्यालयों में अनुपयोगी सामग्रियों को उपयोगी बनाने हेतु विद्यार्थियों के रचनात्मक कार्य कौशल बोद्धिक क्षमताओं का विकास करने के अवसर प्रदान किये जायें। इस हेतु विद्यार्थियों को गतिविधियों के माध्यम से शिक्षकों का मार्गदर्शन / सहयोग लिया जाये।

ईको क्लब गतिविधियाँ:-

  • ईको क्लब गतिविधियों में पर्यावरण, जैवविविधता, जलवायु स्थानीय पारिस्थितिकी, पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति बच्चों में जागरूकता लाने वाले कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
  • प्रदर्शनी, पेंटिंग, लेखन, वृक्षारोपण, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर आधारित चलचित्रों का प्रदर्शन, अभिभावकों व सेवानिवृत्त एवं सेवारत राजकीय अधिकारी, शिक्षक, डॉक्टर, कोच, पर्यावरण के लिए कार्य करने वाले व्यक्तियों की वार्ता का आयोजन किया जायेगा।
  • सभी बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच में सहयोग प्रदान किया जायेगा। इसके अन्तर्गत सभी बच्चों की लम्बाई, वजन एवं शारीरिक बीमारी का रिकॉर्ड विद्यार्थी उपस्थिति रजिस्टर में संधारित किया जायेगा। विद्यालय में आयोजित सभी प्रकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सहयोग प्रदान किया जायेगा ।
  • प्रत्येक माह के अंतिम दिवस को विद्यालय में “स्वच्छता कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। जिसमें विद्यालय परिसर एवं कक्षा कक्षों की साफ-सफाई, ठोस कचरा निस्तारण, जल निकास एवं पानी की टंकियों की साफ-सफाई, सामूहिक रूप से शिक्षकों के निर्देशन में की जायेगी।
  • सप्ताह में एक बार प्रार्थना स्थल पर सभी बच्चों की शारीरिक स्वच्छता जैसे कि नाखून, स्नान, सिर के बालों, दाँतों, यूनिफॉर्म, जूते-मोजों इत्यादि की साफ-सफाई की जाँच की जायेगी एवं बच्चों को शारीरिक स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जायेगा।
  • जल संरक्षण से संबंधित गतिविधियों आयोजित की जाकर अपने आस-पास के लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जायेगा जल संरक्षण के प्रति आयोजित होने वाले “जल शक्ति अभियान अन्तर्गत सभी विद्यालयों के ईको क्लब द्वारा जल संरक्षण के प्रचार-प्रसार के आयोजन किये जायेंगे।
  • विद्यार्थियों में सृजनात्मक क्षमताओं को पहचानने एवं उन्हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विद्यालय के अनुपयोगी, निष्क्रिय व अन्य संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग किया जाकर उनकी सृजनात्मक क्षमताओं को विकसित किया जाये।
  • विद्यार्थियों में सहशैक्षिक व मनोरंजक गतिविधियों का बढ़ावा देने के लिये विद्यालय के अनुपयोगी, निष्क्रिय सामानों का विद्यालय समय पश्चात व अवकाश दिवसों में भी विद्यालय के खेल मैदान, खेल उपकरण व अन्य गतिविधियों में उपयोग में लिया जा सकता है, जिससे बच्चों में सृजनात्मक एवं संज्ञानात्मक समझ का विकास हो सके।जिला व राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता फॉर्म एक्सल प्रोग्राम : उम्मेद तरड
  • विद्यालयों में पर्यावरण को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न गतिविधियां, पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी वार्तायें, निबन्ध प्रतियोगिता, रैली इत्यादि का आयोजन किया जाये।
  • विद्यालय में चारदीवारी, पर्याप्त भूमि एवं जलस्त्रोत उपलब्ध होने की स्थिति में पोषण वाटिका एवं फलदार पौधों एवं किचन गार्डन को लगाया जाये।
  • विद्यालय परिसर में 200 पौधे लगाये जाने की स्थिति में सम्बन्धित सीआरसी / संस्था प्रधान द्वारा सम्बन्धित ग्राम पंचायत सरपंच एवं ग्राम विकास अधिकारी से अग्रिम सम्पर्क समन्वय स्थापित कर विद्यालय में लगाये जाने वाले पोषण वाटिका / नर्सरी की समुचित सुरक्षा हेतु राज्य सरकार के आदेश क्रमांक PS/PSSE / 2021 जयपुर दिनांक 23.06.2021 के अनुसार महात्मा गांधी मनरेगा योजना से एक श्रमिक की सेवायें प्राप्त करने के सम्बन्ध में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज द्वारा सहमति प्रदान की गयी है। समस्त सीआरसी/ संस्था प्रधान संलग्न आदेशानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें।
  • पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना हमारा कर्त्तव्य है। पर्यावरण संतुलन बनाने व विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों में पर्यावरण की समझ विकसित करने के लिये निदेशालय माध्यमिक शिक्षा राज, बीकानेर के आदेश क्रमांक शिविरा-माध्य / मा-स / पर्यावरण / 2017 / 136 दिनांक 11 जून, 2021 द्वारा लागू “विद्यालय वाटिका”, “हरित विद्यालय योजना” की कार्ययोजना बनाकर ईको क्लब में बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित की जाये।
  • विद्यार्थियों को सड़क पर पैदल चलने एवं वाहन चलाने के नियमों की जानकारी दी जायेगी।

JOIN FACEBOOK PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


यूथ एवं ईको क्लब अन्तर्गत हरित विद्यालय हेतु मानक –

भौतिक सुविधाओं में

  • विद्यालय की समस्त भौतिक सुविधाऐं यथा बालक बालिकाओं हेतु पृथक-पृथक सुविधाओं युक्त शौचालय-मूत्रालय, पेयजल एवं हाथ धुलाई व्यवस्थायें क्रियाशील होनी चाहिये।
  • विद्यालय के प्रवेश द्वार के समीप यूथ एवं ईको क्लब युक्त संलग्न प्रारूप के अनुसार बोर्ड बना हुआ हो ।
  • विद्यालय में पेड़ पौधों की सुरक्षा एवं सुरक्षित वृक्षारोपण हेतु पूर्ण एवं सुरक्षित चार दीवारी।
  • विद्यालय में हरित जलवायु क्षेत्र / ग्रीन कॉर्नर स्थापित किया हुआ हो जहाँ बच्चों द्वारा पाँचों हाउस अर्थात पंच तत्वों पर नवाचार किया गया हो।
  • विद्यालय में सुचारू एवं पर्याप्त विधुत सुविधा की उपलब्धता हो।
  • विद्यालय में नवाचार हेतु आवश्यक उपकरणों की किट अर्थात बागवानी किट, कबाड़ से जुगाड़ द्वारा उपयोगी सामग्री निर्माण हेतु उपकरण एवं सामग्री की उपलब्धता।
  • सुचारू एवं पर्याप्त जल युक्त जल स्त्रोत एवं जल भंडारण व्यवस्था । Baseline Assessment Model Papers
  • विद्यालय प्रबन्धन समिति का यूथ एवं ईको क्लब की गतिविधियों में सहयोग एवं सहभागिता ।

जिलेवार भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य –

  • डाइस 2021-22 में प्रविष्ट राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा के 53005 एवं माध्यमिक शिक्षा मद के 15360 विद्यालयों के लिये बजट का प्रावधान स्वीकृत है (शून्य नामांकन वाले विद्यालयों को छोड़ते हुये ) ।
  • प्रति विद्यालय वित्तीय प्रावधान (राशि रूपये) :-
    • प्राथमिक विद्यालय 5000/-₹
    • उच्च प्राथमिक विद्यालय 10000/-₹
    • माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय 15000/-₹

समग्र शिक्षा अभियान (योजना संचालन पोर्टल) SNA COMPONENT 2023 संचालन पोर्टल) SNA COMPONENT 2023

यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र  Youth And Eco Club Guideline And Utility certificate
यूथ एवं ईको क्लब : समग्र दिशा निर्देश एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र Youth And Eco Club Guideline And Utility certificate

सरकारी नौकरी, परीक्षा परिणाम, भर्ती और प्रतियोगी अपडेट-

लेखा सम्बन्धी बिन्दु

  • इस मद में निर्धारित बजट सीमा से अधिक व्यय नहीं किया जाये। निर्धारित सीमा से अधिक व्यय किये जाने पर
    संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाकर वसूली की जाएगी। क्रय हेतु वित्तीय नियमों का ध्यान रखा जाये ।
  • किये गये व्यय का निर्धारित समयावधि में उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया जाये ।
  • राशि का उपयोग गतिविधि व शिक्षा मंत्रालय के दिशा निर्देशानुसार एवं वित्तीय नियमों की पूर्ण पालना करते हुये विहित प्रक्रियानुसार किया जाना सुनिश्चित करें।
  • क्रय की जाने वाली सामग्री में “राजस्थान लोक उपापन में पादरर्शिता अधिनियम 2012 एवं नियम 2013” की अक्षरशः पालना सुनिश्चित की जाये ।
  • प्रत्येक प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रवेश द्वार के पास 4ft x 2.5ft का स्थायी बोर्ड लगवा कर हरे रंग की पूर्ण पृष्ठभूमि में पीले रंग से *यूथ एवं ईको क्लब, समग्र शिक्षा राजस्थान* अंकित करवाना है|

अन्य निर्देश

  • संलग्न परिशिष्टानुसार विद्यालय / ब्लॉक से उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकल रूप से जिला उपयोगिता प्रमाण पत्र कर परिषद का प्रेषित करें।
क्र सं.विवरण डाउनलोड लिंक
1.विद्यालयी स्तरीय उपयोगिता प्रमाण पत्र यहाँ क्लिक करें
2.ब्लॉक स्तरीय उपयोगिता प्रमाण पत्र यहाँ क्लिक करें
3.यूथ एवं ईको क्लब बोर्ड सेम्पलयहाँ क्लिक करें
4.यूथ एवं ईको क्लब विभागीय ऑफिशियल दिशा निर्देशयहाँ क्लिक करें

🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻

सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि : List of articles being commonly used in the Departments giving the minimum period of their serviceability- (सरकारी कार्यालयों में सामान्यतया उपयोग की जाने वाली भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि)

नमस्कार, शिक्षक बंधुओं। इस आर्टिकल में हम अपने विद्यालय या अपने कार्यालय में काम में आने वाली सरकारी भंडार सामग्री का उपयोग अवधि के बारे में जानेंगे। हमने यह जानकारी सरकारी आदेशों और सर्कुलरों के माध्यम से तथा विद्वज्जनों के माध्यम से एकत्र की है और आपको बताने का प्रयास किया है कि सरकारी कार्यालयों या विद्यालयों के अंदर पड़ी भौतिक सामग्री की जीवन अवधि कितनी होती है? (Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि) उन्हें कितने समय के बाद नकारा घोषित किया जा सकता है, इसके बारे में पूरा आर्टिकल है। कृपया इस आर्टिकल को अपने मित्रों और दोस्तों के साथ तथा कर्मचारियों को जरूर शेयर करे।

नकारा सामग्री के निस्तारण की प्रक्रिया यहाँ से जाने

Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि
Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि
S. No.Name of articleMinimum period of serviceabilityS. No.Name of articleMinimum period of serviceability
1पलङ्ग लोहे के15 वर्ष26बरसाती5 वर्ष
2टी ट्रे आयरन8 वर्ष27फ्लीट पम्प2 वर्ष
3एश ट्रे टिन5 वर्ष28मुढ्ढा1 वर्ष
4घाट स्टेण्ड लोहे का5 वर्ष29लेदर बेग3 वर्ष
5साइन बोर्ड10 वर्ष30चिकें5 वर्ष
6नोटिस बोर्ड10 वर्ष31प्लास्टिक बाल्टी4 वर्ष
7डोरमेन्ट लोहे की10 वर्ष32प्लास्टिक मग2 वर्ष
8अंगीठी5 वर्ष33थर्मस फ्लास्क5 वर्ष
9तसला लोहे का10 वर्ष34टी सेट2 वर्ष
10घडा लोहे का15 वर्ष35गिलास शीशे का5 माह
11खुरपा, फावडा, कुल्हाडी आदि5 वर्ष36जंग शीशे के1 वर्ष
12सुराही स्टेण्ड लोहे का5 वर्ष37फोटोग्राफ10 वर्ष
13ताले बडे10 वर्ष38तस्वीरें10 वर्ष
14ताले छोटे3 वर्ष39टेबल ग्लास5 वर्ष
15लालटेन5 वर्ष40पीतल ताम्बे का कप15 वर्ष
16वाटर कुलर/एयर कुलर10 वर्ष41स्टेनलेस स्टील के गिलास10 वर्ष
17साइकिल5 वर्ष42स्टेनलेस स्टील के जग10 वर्ष
18दीवार घडी20 वर्ष43पीतल तांबे के रामसागर10 वर्ष
19टेबल घडी (टाइम पीस)10 वर्ष44पीतल तांबे का लोटा10 वर्ष
20पेट्रोमेक्स10 वर्ष45पीतल तांबे का घडा10 वर्ष
21टाॅर्च5 वर्ष46पीतल तांबे का भगोना10 वर्ष
22इमरजेन्सी ओटोमेटिक लाइट5 वर्ष47पीतल तांबे का गिलास, थाली, चम्मच, कटोरी आदि10 वर्ष
23एम्प्लीफायर, ग्रामोफोन, लाउडस्पीकर15 वर्ष48पीतल ताम्बे की बाल्टी10 वर्ष
24रेडियो, ट्रांजिस्टर10 वर्ष49पीतल ताम्बे का स्टोव15 वर्ष
25छाता5 वर्ष50पीतल ताम्बे का तराजू15 वर्ष
Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

आप शिक्षा जगत के तीव्र अपडेट के लिए इस व्हाट्सएप्प चैनल को जरूर Follow कर लेवें।
👇👇👇👇


JOIN WHATSAPP CHAINL

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

S.No.Name of articleMinimum period of serviceabilityS.No.Name of articleMinimum period of serviceability
51पीतल ताम्बे के चरास15 वर्ष74मेट्रेसेज फोम15 वर्ष
52एल्यूमीनियम मग6 वर्ष75जाजम10 वर्ष
53सनमाइका ट्रे5 वर्ष76मेजपोश, गरम ब्लेजर8 वर्ष
54बिजली के हीटर5 वर्ष77मेज, रेक अलमारी आदि लकडी की15 वर्ष
55बिजली के स्टेबलाइजर10 वर्ष78कुर्सी, स्टूल बैन्च आदि15 वर्ष
56बिजली की घंटी2 वर्ष79पेपर रैक/बुक रैक आदि15 वर्ष
57बिजली की ट्यूबलाइट3 वर्ष80पलंग लकडी का15 वर्ष
58दरी15 वर्ष81सोफा सेट20 वर्ष
59जूट कारपेट5 वर्ष82लकडी की सन्दूक10 वर्ष
60निवार8 वर्ष83लकडी के पार्टिशन15 वर्ष
61तकिये5 वर्ष84पेपर टी ट्रे लकडी की8 वर्ष
625 वर्ष85टेलीफोन केरियर बाॅक्स10 वर्ष
63कुर्सी/मुढढे की गद्दीयां5 वर्ष86लेटर बाॅक्स10 वर्ष
64पर्दे5 वर्ष87पायदान लकडी का5 वर्ष
65मेजपोश सूती3 वर्ष88सुराही स्टेण्ड लकडी का2 वर्ष
66कम्बल10 वर्ष89नेम प्लेट5 वर्ष
67बैडशीट2 वर्ष90वुडन बाथ बोर्ड4 वर्ष
68डोरमेट जूट2 वर्ष91वेस्ट पेपर बास्केट लकडी की10 वर्ष
69तोलिये6 Months92डेस्क10 वर्ष
70राष्ट्रीय ध्वज5 वर्ष93इजी चेयर्स लकडी की10 वर्ष
71गलीचा15 वर्ष94भगोना एल्यूमीनियम6 वर्ष
72तकिये के कवर्स1 वर्ष95प्लेट एल्यूमीनियम6 वर्ष
73मेट्रेसेज (साधारण)10 वर्ष96लोटा6 वर्ष
97ब्रीफकेस6 वर्ष
Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

JOIN FACEBOOK PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के उपयोग हेतु निम्न भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि निम्नानुसार होगी-(परिपत्र संख्या 14/99, दिनांक 11.05.1999)

Note- (a) Articles to be destroyed without the permission of any committee :

“Any article used in Treatment/Management of AIDS patient is to be destroyed immediately as soon as the patent leaves the Hospital.”

(b) Articles to be destroyed with the permission of the committee at local level :

“Articles like linen, Mattresses, Bed-sheets, Towels, pillow and pillow covers having permanent stains of blood and pus and can not be removed on repeated washing or get torn. could be condemned, if the committee thinks that the articles can spread infection to other patients (cross infection) in the Hospitals.” (परिपत्र संख्या 14/99, दिनांक 11.05.1999 द्वारा जोडा गया।) Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

Name of articleMinimum period of serviceabilityName of articleMinimum period of serviceability
Name of articleMinimum period of serviceabilityName of articleMinimum period of serviceability
तकिये2तोलिये3 Months
गद्दे3तकिये के कवर्स6 Months
कम्बल6मेट्रेसेज (साधारण)5
बैडशीट6 Monthsमेट्रेसेज फोम7
Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि


JOIN TELEGRAM PAGE

FOLLOW 👈 यहाँ क्लिक करें


मोटर वाहन की न्यूनतम उपयोग अवधि

Order Dated: 20-07-1995 and 11-05-1999 Minimum period of serviceability of Store Items

S.No.वाहन की किस्मन्यूनतम किलोमीटरन्यूनतम वर्ष
1मोटरसाइकिल व थ्री व्हीलर1.20 लाख7
2हल्के मोटर वाहन2.00 लाख8
3मध्यम मोटर वाहन3.00 लाख10
4भारी मोटर वाहन4.00 लाख10
5ट्रेक्टर व बुलडोजर20000 घंटे10
Minimum period of serviceability of Store Items / सरकारी भण्डार सामग्री की उपयोग अवधि

निर्धारित अवधि व निर्धारित किलोमीटर दोनों का पूर्ण होना आवश्यक है।

🥰🥰👇👇🙏🏻🙏🏻

Pin It on Pinterest

Shares
Share This

Share This

Share this post with your friends!