उपार्जित अवकाश से संबंधित सेवा नियम एवं इसमे समय समय पर किए गए परिवर्तन तथा उनके प्रभावों की व्याख्या तथा नियमों का मूल आदेश Basic Order of Privilege Leave Service Rules and Interpretation and Rules
Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan : The Government of Rajasthan pays all its officers and employees for the expenditure incurred on the state work. Rajasthan Traveling Allowance Rules have been made by the government to regularize this payment.
In this page, we will take details of Rajasthan Traveling Allowance Rules (Ta Rules), Ta Rates etc.
Rajasthan Travelling Allowance Rules राजस्थान यात्रा भत्ता नियम राजस्थान में टीए नियम राजस्थान सरकार अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को राजकीय कार्यों पर होने वाले व्यय का भुगतान करती है। इस भुगतान को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा राजस्थान यात्रा भत्ता नियम बनाए गए हैं। इस पेज में हम राजस्थान यात्रा भत्ता नियम (टीए नियम), टा रेट आदि का विवरण लेंगे।
Table of Contents
Rajasthan Travelling Allowance Rules में भुगतान की शर्तें :
Rajasthan Travelling Allowance Rules Condition :
T.A. for absence not exceeding 6 hours in NIL
T.A. for exceeding 6 hours but not excedding 12 hours is 70%
TA FOR EXCEDDING 12 HOURS IS 100%
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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम
भारत में सभी राज्यों की राजधानी दिल्ली सहित टेक्सी, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, स्कूटर, बस, रेल, मैट्रो ट्रेन के किराये के लिए वास्तव में संदत्त प्रभार ।
दैनिक यात्रा मुख्यालय से 6 घंटे अनुपस्थिति के लिए शून्य, 6 से 12 घंटे के लिए 50 प्रतिशत तथा 12 घंटे से अधिक के लिए पूर्ण दैनिक भत्ता देय होगा।
किसी रेल में ए.सी. थ्री टायर नहीं होने पर ख श्रेणी के कर्मचारी ए.सी. टू टायर में यात्रा कर सकेंगे।
वायुयान में 95000/- रू. या अधिक प्रतिमाह वेतन प्राप्त करने वाले सरकारी अधिकारी तथा एडवोकेट जनरल अधिकृत हैं। 225000/ रू. या अधिक वेतन प्राप्त करने वाले अधिकारी एक्जीक्यूटिव क्लास में यात्रा हेतु अधिकृत हैं।
भारत में दिल्ली सहित सभी राज्यों की राजधानी (जयपुर को छोड़कर) और वायु सेवा से जुड़े स्थानों में कार्यालय/ निवास स्थान से हवाई अड्डा रेल्वे स्टेशन बस स्टेण्ड्र तक तथा वापस लौटने हेतु संदत्त वास्तविक किराया मील भत्ते के रूप में देय होगा। (प. 6(7) वित्त/नियम/2017 दिनांक 30.10.2017 एवं प. 6 (3) वित्त/नियम/ 2012 पार्ट दिनांक 6.12.2017 )
Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम के महत्वपूर्ण प्रावधान
1. दिन से आशय : कलैन्डर दिन जो आधी रात से शुरू और समाप्त होता है किन्तु मुख्यालय से ऐसी अनुपस्थिति जो 24 घण्टे से अधिक न हो, सभी प्रयोजनों के लिये एक दिन गिनी जायेगी चाहे अनुपस्थिति का प्रारम्भ या अन्त किसी समय हो।
2. परिवार से आशय : सरकारी कर्मचारी की पत्नी / पति जैसी भी स्थिति हो वैध एवं सौतेली संतान, मान्यता प्राप्त दत्तक सन्तान जिसमें विधवा पुत्री भी शामिल है, जो उसके साथ रहते हो और उस पर पूर्णतया आश्रित हो।
स्थानान्तरण यात्रा भत्ते के प्रयोजनार्थ परिवार शब्द में माता पिता, बहिनें व अवयस्क भाई जो उसके साथ रहते हो तथा उस पर पूर्ण आश्रित हो। टिप्पणी: पूर्णतया आश्रित वह है, जिसकी सभी श्रोतों से आय 2000/- प्रतिमाह से अधिक न हो तथा जो सरकारी कर्मचारी के साथ निवास करते हो।
नोट: (1) सरकारी कर्मचारी की रोजगारयुक्त सन्तान, किसी भी उम्र की विवाहित सन्तान आश्रित नहीं माने जायेंगे। (2) 1 जून, 2002 या इसके पश्चात यदि किसी सरकारी कर्मचारी को दो से अधिक सन्तान होती है तो उन्हें केवल दो सन्तान के लिए ही स्थानान्तरण पर यात्रा भत्ता देय होगा।
3. दैनिक भत्ते की अनुज्ञेयता के लिये शर्तें:
(1) ड्यूटी पर मुख्यालय से अनुपस्थिति के दौरान की अवधि के सिवाय दैनिक भत्ता देय नहीं होगा। (2) दैनिक भत्ता मुख्यालय छोड़ने से प्रारम्भ तथा मुख्यालय वापस लौटने से अनुपस्थिति के लिये देय होगा। इसे निम्नानुसार नियमित किया जायेगा :- प्रत्येक कलैन्डर दिन के लिये दैनिक भत्ता मध्य रात्रि को प्रारम्भ और समाप्त होने की मुख्यालय से अनुपस्थिति के लिए स्वीकार किया जायेगा। मुख्यालय से 24 घण्टे से कम अनुपस्थिति के लिए दैनिक भत्ता निम्नांकित दरो के अनुरूप देय होगा :
(i)
6 घंटे अनुपस्थिति होने पर
शून्य
(ii)
6 घंटे से अधिक किन्तु 12 घंटे तक
50%
(iii)
12 घंटे से अधिक होने पर
पूर्ण
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(3) किसी विशिष्ट स्थान पर लगातार विराम के लिये 30 दिन की अवधि तक दैनिक भत्ता अनुज्ञेय होगा। यदि विराम 30 दिन से अधिक परन्तु 60 दिन तक के लिये जारी रहता है तो सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग मंजूरी देने हेतु सक्षम होगा। परन्तु 60 दिन से 180 दिन तक की अवधि के लिए वित्त विभाग की स्वीकृति आवश्यक होगी। 180 दिन से अधिक के लिये विराम भत्ता अनुज्ञेय नहीं होगा।
(4) प्रशिक्षण हेतु प्रतिनियुक्त सरकारी कर्मचारियों को प्रतिकरात्मक भत्ता – जहाँ किसी सरकारी कर्मचारी को प्रशिक्षण के लिए प्रतिनियुक्त किया गया हो और राजस्थान सेवा नियमों के नियम 7(8) (ख)(i) के अधीन उसे कर्त्तव्य पर माना गया हो तो यह प्रशिक्षण की पूरी अवधि के लिए क्षतिपूर्ति भत्ते का निम्नांकित दरों के अनुसार हकदार होगा :
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(5) यदि सरकारी कर्मचारी द्वारा विराम करते समय निःशुल्क भोजन एवं निवास का उपभोग किया जाता है तो दैनिक भत्ते की दर उस स्थान के लिये निश्चित दर की 25% होगी। (6) किसी यात्रा में एक से अधिक स्थानों पर भ्रमण किया जाता है तो दैनिक भत्ते की दर उस स्थान की जहाँ सबसे अधिक हो, लागू मानी जायेगी।
4. दौरे पर यात्रा के लिये Rajasthan Travelling Allowance Rulesयात्रा भत्ता
(1) यह भत्ता तभी देय होगा जबकि गन्तव्य स्थान मुख्यालय की नगरपालिका सीमा से बाहर हो तथा ड्यूटी स्थान से 15 कि.मी. से अधिक दूर हो। (2) प्रत्येक राज्य कर्मचारी जो ड्यूटी पर यात्रा करता है वह वोल्वो/ए.सी बस / डिलक्स/सेमी डिलक्स या अन्य उच्च श्रेणी की बस से यदि यात्रा करता है तो बस का टिकट या उसकी फोटो कापी यात्रा बिल के साथ संलग्न करेगा। रेल से यात्रा करने पर द्वितीय श्रेणी नान ए.सी. को छोड़कर अन्य सभी श्रेणी के टिकट/ जमा की रसीद प्राप्त होने पर मूल या फोटो कापी यात्रा बिल के साथ संलग्न करेगा। (3) यदि यात्रा अपरिहार्य कारणों से या शासकीय कारणों से रद्द करनी पड़ी तो रद्दकरण फीस प्रतिपूरक की जा सकती है। (4) वायुयान से यात्रा के लिये अधिकृत एजेन्सी से भी टिकट प्राप्त किया जा सकता है परन्तु एजेन्सी के द्वारा टैरिफ के अतिरिक्त लिये जाने वाले सुविधा शुल्क / सेवा शुल्क का पुनर्भरण नहीं होगा। (5) राज्य कर्मचारी को डाक देने या पत्राचार के उद्देश्य से दौरे पर नहीं भेजा जाय इस प्रकार के उद्देश्य के लिये यात्रा भत्ता देय नहीं होग। कर्मचारी को दौरे पर भेजे जाने के उद्देश्य यात्रा बिल में अंकित किया जायेगा एवं नियंत्रण अधिकारी इसे प्रमाणित करेगा ।
5. स्वयं के वाहन से यात्रा
(1) रेल या नियमित रूप बस सेवा से जुड़े हुए स्थानों को जो मुख्यालय से 25 कि.मी. से अधिक दूरी पर हो, एक राज्य कर्मचारी अपनी मोटर साईकिल/स्कूटर/मोपेड आदि से यात्रा नहीं करेगा। अपना निजी स्कूटर/मोटर साईकिल/मोपेड आदि से सड़क यात्रा येनकेन एक राज्य कर्मचारी कर सकता है जो मुख्यालय से 50 कि.मी. से अधिक दूर नहीं हो तथा वे स्थान मुख्यालय से रेल या नियमित बस सेवा से जुड़े हुए न हो। (2) यदि राज्य कर्मचारी स्वयं की मोटर कार से राजकीय यात्रा करता है, उसे टोल टैक्स की रसीद प्रस्तुत करने पर टोल टैक्स प्रभार अनुज्ञेय होगा। (3) यदि पति/पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी हैं, दोनों में से किसी को भी स्वयं की मोटर कार हो तो इन नियमों के उद्देश्य से यात्रा स्वयं की कार से मानी जावेगी। (4) स्वयं की मोटर कार से यात्रा करने पर मील भत्ता रेल मील भत्ते की सीमा में ही अनुज्ञेय होगा। (5) नियंत्रण अधिकारी के पूर्व अनुमोदन के पश्चात् ही स्वयं की मोटर कार से यात्रा की जायगी। (6) स्वयं के वाहन से यात्रा करने पर मील भत्ते की विशेष दरें ‘क’ व ‘ख’ श्रेणी के राज्य कर्मचारियों के लिए-
(i) सरकारी कर्मचारी द्वारा स्वयं की कार से यात्रा करने पर
9.00 रु. प्रति किमी.
(ii) सरकारी कर्मचारी द्वारा स्वयं के स्कूटर, मोटर साईकिल, मोपेड़ आदि से यात्री करने पर
3.00 प्रति किमी.
(iii) किसी अन्य प्रकार के वाहन जैसे रिक्शा, तांगा, मोटर रिक्शा इत्यादि द्वारा यात्रा
6.00 रु. प्रति किमी.
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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan
Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम
‘ग’, ‘घ’ व ‘ङ’ श्रेणी के राज्य कर्मचारियों के लिये किमी.
(i) सरकारी कर्मचारी द्वारा स्वयं की 3.00 रु. प्रति स्कूटर मोटर साईकिल, मोपेड़ से यात्रा करने पर
3.00 प्रति किमी.
(ii) ई-रिक्शा. ऑटो रिक्शा से यात्रा करने पर
6.00 रु. प्रति किमी.
(iii) साईकिल या पैदल यात्रा करने पर
2.00 रु. प्रति किमी.
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6. राजकीय वाहन से यात्रा यात्रा के लिये राजकीय वाहन का उपयोग करने पर यात्रा मील भत्ता देय नहीं होगा केवल दैनिक भत्ता ही देय होगा। अनुपस्थिति सरकारी मुख्यालय छोड़ने से प्रारम्भ तथा मुख्यालय वापस लौटने पर समाप्त होगी तथा उसी अनुसार दैनिक भत्ते की गणना की जाएगी।
7. मील भत्ते की गणना के सिद्धान्त मील भत्ते की संगणना हेतु स्थानों के बीच की गई उस यात्रा को ही माना जायेगा जो सबसे कम दूरी मार्ग के द्वारा या सबसे सस्ते मार्ग द्वारा की गई हो।
8. स्थानान्तरण पर Rajasthan Travelling Allowance Rules जब स्थानान्तरण स्वयं प्रार्थना पर होकर लोक हित किया गया हो। यदि स्थानान्तरण 30 दिन कम अवधि के लिये किया गया हो कर्मचारी स्थानान्तरण पर यात्रा भत्ता देय होकर दौरे का यात्रा भत्ता देय होगा। स्थानान्तरण आदेश लोक हित अंकित होने पर यात्रा भत्ता व कार्यग्रहण काल देय होगा।
स्थानान्तरण पर सरकारी कर्मचारी को रेल/बस का स्वयं के दो भाड़े तथा उसके साथ यात्रा करने वाले परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए एक तथा प्रत्येक बच्चे के लिये आधा अतिरिक्त भाड़ा जिसके लिये पूर्ण या आधा भाड़ा वास्तव में चुकाया गया है। निजी सामान के परिवहन के लिये निर्धारित लगेज चार्जेज की सीमा तक रेलवे रसीद या सड़क परिवहन कम्पनी के स्वामी द्वारा दी गयी नकद की रसीद पेश करने के अध्यधीन होगी तथा स्थानान्तरण अनुदान निर्धारित दर से एक मुश्त मिलेगा।
परन्तु यदि राज्य कर्मचारी स्थानान्तरण पर हवाई जहाज / राजधानी एक्सप्रेस / शताब्दी एक्सप्रेस से यात्रा करता है तो स्वयं का एक भाड़ा ही देय होगा। यदि कोई सरकारी कर्मचारी मोटर कार, स्कूटर, मोपेड़ या मोटर साईकिल को स्थानान्तरण पर वाहन की ही यंत्र शक्ति से ले जाता है तो मोटर कार के लिए 9.00 रु. प्रति कि.मी. एवं मोटर साईकिल आदि के लिए 3.00 रु. प्रति कि.मी. की दर से दोनों स्थानों के बीच सामान्य मार्ग की दूरी के लिए भत्ता अनुज्ञेय है।
9. पे-मैट्रिक्स का लेवल 19 या इससे अधिक की पे लेवल में वेतन आहरण करने वाले अधिकारी स्वयं अपने यात्रा भत्ते दावे पर प्रतिहस्ताक्षर करने के लिये प्राधिकृत है।यदि प्रशिक्षण के बाद परिवीक्षाधीन कर्मचारी को प्रशिक्षण स्थान के बजाय अन्य स्थान पर नियुक्त किया जाता है तो स्थानान्तरण यात्रा भत्ता देय होगा।
10. किसी निलम्बित सरकारी कर्मचारी को जिसके विरुद्ध जांच में उपस्थित होने की अपेक्षा की जाती है। अपने जांच स्थान तक उस स्थान जहाँ उसको निलम्बन दौरान निवास करने की अनुमति दी गयी है। दोनों जो भी हो, जाँच के स्थान तक दौरे पर यात्रा की भाँति यात्रा भत्ता किया जायेगा।
11. सेवानिवृति पर यात्रा भत्ता -सरकारी कर्मचारी तथा राज्य को आवंटित अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को सेवानिवृत्ति पर अपने कर्त्तव्य स्थल से गृह नगर जाने के यात्रा के लिये रेल /सड़क यात्रा के लिए स्वयं तथा परिवार के सदस्यों का उस श्रेणी का वास्तविक भाड़ा देय होगा, जिसके लिए कर्मचारी हकदार हो, परन्तु कोई भी आनुषांगिक व्यय देय नहीं होंगे। निजी सामान के परिवहन का वास्तविक खर्चा कर्मचारी के स्थानान्तरण अनुज्ञेय मान के अनुसार देय होगा।
12. स्वयं की गाड़ी या प्राइवेट गाड़ी से यात्राओं के लिये वही देंय होगा जो रेल/सड़क की गई यात्राओं के लिये देय होता है।
13. सेवानिवृत्त कर्मचारी को विभागीय जाँच / न्यायिक प्रकरणों में उपस्थित होने पर सेवानिवृत्त समय स्तर के अनुसार यात्रा भत्ता देय होगा। विभागीय जांच प्रकरणों में भत्ता बिल का भुगतान अनुशासनिक अधिकारी के कार्यालय से उपस्थिति प्रमाण-पत्र आधार पर तथा न्यायिक प्रकरणों में सेवानिवृत्त वाले विभाग द्वारा यात्रा भत्ता बिल का भुगतान न्यायालय के उपस्थित प्रमाण-पत्र तथा न्यायालय द्वारा यात्रा भत्ते का भुगतान नहीं दिया है का प्रमाणपत्र (Non Payment of TA) प्रस्तुत करने पर दिया जायेगा।
यदि अ व ब श्रेणी के सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी अपनी स्वयं की कार या टैक्सी से यात्रा करते है तो उन्हें परिशिष्ठ II के नियम 8 (1) में वर्णित विशेष दरों से भुगतान किया जायेगा। सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी को न्यायिक प्रकरणों में उपस्थित होने पर राज्य कर्मचारियों की भांति स्थानीय लघु यात्रा देय होगी। Rajasthan Travelling Allowance Rules
14. खेलकूद गतिविधियों में भाग लेने पर देय किराया एवं विराम भत्ता-
(1) राज्य कर्मचारियों द्वारा खेलकूद गतिविधियों/कोचिंग/पूर्व प्रशिक्षण में भाग लेने पर निम्नानुसार विराम भत्ता देय होगा :(आ.दि. 06.02.2018 )
(i) राजस्थान में
250/-रु. प्रतिदिन
(ii) राजस्थान से बाहर
350/-रु. प्रतिदिन
यात्रा भत्ता नियम (TA Rules)
(2) राज्य कर्मचारी द्वारा खेल गतिविधियों में भाग लेने हेतु रेल से नहीं जुड़े स्थानों पर बस/टेक्सी से यात्रा करने पर राजस्थान रोडवेज की एक्सप्रेस बसों का निर्धारित किराया देय होगा।
15. दौरे पर की गई यात्रा हेतु अग्रिम- स्थाई या अस्थाई राज्य कर्मचारी को यात्रा भत्ता राजस्थान यात्रा भत्ता नियमों के अन्तर्गत अधिकतम 30 दिवस की अवधि के लिये अग्रिम दिया जा सकता है। यात्रा भत्ता व्यय में दोनों तरफ की यात्रा के लिये सड़क मील भत्ता, दैनिक भत्ता, किराया एवं आनुषांगिक व्यय सम्मिलित हैं।
16. स्वीकृति हेतु सक्षम अधिकारी – इन नियमों के तहत कार्यालयाध्यक्ष को पूर्ण शक्ति है। यात्रा के पूर्ण होने के बाद कार्यालय में उपस्थित होने की दिनांक से 15 दिन के भीतर अग्रिम का समायोजन किया जायेगा।
17स्थानान्तरण पर अग्रिम – एक राज्य कर्मचारी के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण होने पर वेतन एवं यात्रा भत्ता अग्रिम रूप से स्वीकृत किये जा सकते हैं। वेतन अग्रिम एक माह के वेतन के बराबर तथा यात्रा भत्ता अग्रिम जैसा कि स्थानान्तरण पर मिलता है, जिसमें स्वयं तथा परिवार के किराये, व्यक्तिगत सामान का भाड़ा आदि देय है। स्थानान्तरण पर अग्रिम की स्वीकृति की शक्ति कार्यालयाध्यक्ष को है। किसी कर्मचारी के पद की निरन्तरता की स्वीकृति या नियुक्ति में वृद्धि की स्वीकृति के अभाव में वेतन नहीं मिल पाने पर भी अग्रिम स्वीकृत किया जा सकता है। स्वयं की प्रार्थना या 120 दिवस की अधिकतम अवधि हेतु अस्थाई स्थानान्तरण होने पर अग्रिम देय नहीं है। परिवार के सदस्यों द्वारा स्थानान्तरण के 6 माह के भीतर यात्रा करने पर यात्रा अग्रिम परिवार हेतु देय नहीं होगा। वेतन अग्रिम की वसूली 3 मासिक किश्तों में होगी तथा यात्रा भत्ता अग्रिम की वसूली स्थानान्तरण यात्रा भत्ता बिल से होगी। निलम्बित कर्मचारी से वेतन के अग्रिम की वसूली ऐसी दर से की जाएगी जो विभागाध्यक्ष निश्चित करना उचित समझें।
Rajasthan Travelling Allowance Rules संबंधित नवीनतम आदेश
Casual Leave & Special Casual Leave Rules आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश नियम के बारे में अनुभवी शिक्षविद्दो द्वारा नियम संकलन : यहाँ हमारे शिक्षको और विभिन्न विभागों में कार्यरत कार्मिको बंधुओ के लिए अवकाश नियम की श्रेणी में आकस्मिक नियम और विशिष्ट आकस्मिक नियम का संग्रह तैयार किया हैं | अगर आपको यह अवकाश नियम संकलन अच्छा लगा हैं तो इसे शेयर इस लिंक माध्यम से शेयर जरूर कीजिए | अगर आपको लगता हैं कि इसमें सुधार संभव हैं तो हमारे टीम के सदस्यों को जरूर लिखें-
Casual Leave & Special Casual Leave
(आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश)
आकस्मिक अवकाश (Casual Leave)
राज्य सरकार Casual Leave & Special Casual Leave Rules आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश नियम को किसी प्रकार की मान्यता प्रदान नहीं करती इसलिये यह मान्यता प्राप्त अवकाश नहीं है। राजस्थान सेवा नियम में आकस्मिक अवकाश को अवकाश की श्रेणी में नहीं माना गया है क्योंकि आकस्मिक अवकाश के दौरान राज्य कर्मचारी “कर्तव्य वेतन” आहरित करता है। यह अवकाश किसी नियम के अधीन नहीं है। इसे प्रशासनिक निर्देश के रूप में स्थान दिया गया हैं। तकनीकी रूप से जब यह अवकाश राज्य कर्मचारी द्वारा लिया जाता है तो वह कार्य से अनुपस्थित नहीं माना जाता। और न ही उसका वेतन रोका जाता है। परन्तु यह अवकाश इस तरह नहीं दिया जाना चाहिये जिसके कारण निम्न नियमों से बचा जा सके-
(क) वेतन एवं भत्ते की संगणना की तारीख
(ख) कार्यालय का पद भार
(ग) अवकाश का प्रारम्भ एवं अन्त
(घ) अवकाश से पुनः कार्य को लौटना
या अवकाश की अवधि इतनी बढा देना कि नियमानुसार उसे स्वीकृत नहीं किया जा सके।
स्थाई कर्मचारी को एक वर्ष में 15 आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) देय है । कर्मचारी एक बार में 10 दिन तक आकस्मिक अवकाश ले सकता है । एक बार में 10 दिन से ज्यादा आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) नहीं स्वीकृत किया जाता । इस अवकाश को किसी अवधि के शिग्र पूर्वगामी या पश्चातगामी या मध्य में रविवार, राजकीय अवकाश या साप्ताहिक अवकाश आवे तो उसे आकस्मिक अवकाश का अंश नहीं माना जाता ।
राज्य कर्मचारियों को आधा दिन का आकस्मिक अवकाश भी देय हैं।
आकस्मिक अवकाश आवेदन में अवकाश के समय में रहने का पता अंकित करना चाहिए, यह नियम राजपत्रित अधिकारी के लिए भी समान ही रहेगा।
बीमारी,अस्पताल और अंतेष्टि जैसे मामलों मे यह अवकाश पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं हैं।
विभागाध्यक्षों को आकस्मिक अवकाश उच्चाधिकारी या संबन्धित प्रशासनिक विभाग स्वीकृति देंगे।
वेकेशन विभाग जैसे राजकीय महाविध्यालय व शिल्प (पोलीटेक्निक) एवं अन्य शिक्षा संस्थाओं के मामले में वर्ष 01 जुलाई से प्रारम्भ व 30 जून को समाप्त माना जाएगा।
शिक्षकों का लिए आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) की गणना 1 जुलाई से 30 जून तक की जाती है और मंत्रालयिक कर्मचारियों का लिए 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक की जाती है l
नव नियुक्त कर्मचारी को कार्य ग्रहण दिनांक से पूर्ण कैलेंडर वर्ष पर १5 आकस्मिक अवकाश देय होंगे l कैलेंडर वर्ष की अपूर्णता की स्थिति में आनुपितक आधार पर उसके द्वारा प्रत्येक पूर्ण माह की सेवा के एवज में 1.25 आकस्मिक अवकाश का लाभ देय होगा अर्थात एक माह की सेवा पूर्ण करने पर 1.25 अवकाश देय होगा l अन्यथा अवैतनिक होगा l
राजस्थान सेवा नियम १९५१ के नियम 122 (ए ) के अनुसार नियम राजकीय सेवा में चल रहे परिवीक्षाधीन कर्मचारी, परिवीक्षाधीन अवधि में अन्य किसी भी प्रकार का अवकाश अर्जित नहीं करेगा l
तीन दिन तक लगातार 10 मिनट लेट आने वाले कर्मचारी का 1 आकस्मिक अवकाश काटा जायेगा l
आकस्मिक अवकाश को मान्यता नहीं दी जाती हैं और किसी नियम के अधीन नहीं हैं, किन्तु आकस्मिक अवकाश इस प्रकार नहीं दिया जाना चाहिए – (i) वेतन एवं भत्ते की तारीख की संगणना (ii) कार्यालय का प्रभार (iii) अवकाश का प्रारम्भ तथा अंत (iv) अवकाश से पुनः कार्य पर लौटना या अवकाश की अवधि इतनी बढा देना की नियमानुसार उसे स्वीकृत नहीं किया जा सकें।
पुलिस के सिपाही , हैड कांस्टेबल , सहायक उप-निरीक्षक तथा उपनिरीक्षकों को वर्ष में 25 दिन का आकस्मिक अवकाश देय होगा। एक बार में अधिकतम 10 दिन का अवकाश ही स्वीकृत किया जा सकेगा।
बिना वेकेशन वाले विभाग से वेकेशन वाले विभाग में स्थानांतरण पर राज्य कर्मचारी को आकस्मिक अवकाश देय होगा- (i) 3 माह या कम की सेवा पर – 3 दिन (ii) 3 माह से अधिक की सेवा अवधि पर – 7 दिन
राज्य सेवा में नए प्रवेश करने वाले कार्मिकों को निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय होगा- (i) 3 माह या 3 माह से कम सेवा अवधि -5 दिन (ii) 3 माह से अधिक परंतु 6 माह से कम सेवा अवधि- 10 दिन (iii) 6 माह से अधिक सेवा- 15
सेवानिवृत होने वाले वर्ष में दिनांक 01.01.2001 के बाद निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय हैं (i) 3 माह या 3 माह से कम सेवा अवधि -5 दिन (ii) 3 माह से अधिक परंतु 6 माह से कम सेवा अवधि – 10 दिन (iii) 6 माह से अधिक सेवा अवधि – 15
वेकेशन के क्रम में आकस्मिक अवकाश स्वीकृत नहीं होगा।
अंशकालीन कर्मचारियों को भी पूर्णकालिक कर्मचारियों की तरह ही आकस्मिक अवकाश देय हैं।
फायर सेवा के अधिकारियों को 25 दिन का आकस्मिक अवकाश देय हैं।
राज्य कर्मचारी बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ सकते हैं।
राज्य सरकार के आदेश क्रमांक प 1 (4) वित्त/ नियम /2008 दिनांक १७ फरवरी २०१२ के अनुसार यदि राज्य कर्मचारी आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) लेकर निजी विदेश यात्रा करना चाहे तो उसे आकस्मिक आवकाश का आवेदन पत्र कम से कम 3 सप्ताह पूर्व सक्षम अधिकारी को देना होगा l
वित्त विभाग के आदेश एफ 1 (8) विवि (नियम)/95 दिनांक 20-2-2002 जो दिनांक 1-1-2002 से प्रभावशील है , के अनुसार सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों को वर्ष में निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय है। (1) तीन माह या कम सेवा – 5 दिन (2) तीन माह से अधिक किन्तु छ: माह तक – 10 दिन (3) छ: माह से अधिक सेवा पर – 15 दिन (स) वेकेशन से नान वेकेशन या विपरित में आने पर उस कर्मचारी का आ. अवकाश जिसका वहाँ उपयोग नहीं किया गया है समाप्त हो जायगा और नये स्थान पर निम्न प्रकार से देय होगा। (1) तीन माह तक की अवधि शेष रहने पर – 3 दिन (2) तीन माह से अधिक अवधि शेष रहने पर -7 दिन आकस्मिक अवकाश के साथ अन्य प्रकार के अवकाश जैसे पी. एल. रुपान्तरित अवकाश इत्यादि नहीं लिया जा सकता है । प्रतिवर्ष प्रत्येक शिक्षक का सी. एल. पोस्टिंग रजिस्टर संधारित किया जाय ।
राजस्थान सेवा नियम (RSR)
(राजस्थान सेवा नियम (RSR) (नियम 87 से 126)
राजस्थान सेवा नियम (RSR) 87:– इस नियम के तहत अवकाश केवल स्थायी कर्मचारियों को ही देय होते है। नोट:-अस्थायी कर्मचारियों को अवकाश सरकार की अधिसूचना के आधार पर दिये जाते है । अस्थायी कर्मचारियों के समस्त अवकाश सरकारी नियमों व मानकों के अनुरूप ही देय होते है ।
नियम 87(अ):- अवकाश लेखा:- राज्य कर्मचारी का अवकाश लेखा परिशिष्ट 2 क में दिये गये प्रपत्र संख्या 1 में संधारित किया जायेगा।
नियम 87(ब):- इस नियम के तहत राजपत्रित अधिकारियों के अवकाश लेखे नियम 160 (2) के तहत आने वाले अधिकारी रखते है। अराजपत्रित अधिकारियों के अवकाश लेखे उस विभाग के कार्यालयाध्यक्ष या विभागाध्यक्ष द्वारा रखे जाते है।
नियम 88:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:-इस नियम के तहत कर्मचारी अपने अवकाशों की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का समायोजन उचित प्रमाण पत्र देकर कर सकता है।
नियम 89:- सेवानिवृति के पश्चात् किसी भी प्रकार के अवकाश देय नहीं होगें।
राजस्थान सेवा नियम (RSR)–नियम 90:- विलोपित
नियम 91:- उपार्जित अवकाश (पी.एल):- (दिनांक 22.02.1983 से)
> >पी.एल. की देयता सदैव कलैण्डर वर्ष में ही होती है।
>> पी.एल. सदैव एक कलैण्डर वर्ष में 02 बार ही दी जाती है । एक जनवरी को 15 व 01 जुलाई को 15 कुल 30 पी.एल देय होती है।
>> दिनांक 01.01.1998 के पश्चात् एक कर्मचारी अपने खाते में अधिकतम 300 पी. एल. जमा रख सकता है।
>> आरएसी बटालियन के कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 42 पी. एल. देय होती है।
>> किसी कर्मचारी की माह के बीच में नियुक्ति होने पर 2½ पी. एल. प्रतिमाह व आर. ए.सी के कर्मचारियों को 32 पी.एल. प्रतिमाह के हिसाब से देय होती है।
>> एक कर्मचारी एक बार में अधिकतम 120 पीएल ले सकते है।
>> विशेष परिस्थितियों (टी.बी., असाध्य रोग) में कर्मचारी अपनी समस्त पी.एल. का उपयोग एक साथ कर सकता है।
नियम 91(अ):- सेवा में रहते हुए पी.एल. के बदले नकद भुगतान (दिनांक 01.01.1983 से) इस नियम के तहत सेवा में रहते हुए कर्मचारी एक वर्ष में अधिकतम 15 पीएल का नकद भुगतान प्राप्त कर सकता है तथा शेष पी.एल. अपने खाते में जोड़ सकता है। दिनांक 18.06.2010 के बाद एक अस्थायी कर्मचारी को अपने विभाग में न्युनतम एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर ही इस नियम का लाभ दिया जावेगा।
नियम 91(ब):- सेवानिवृत होने पर पी. एल. का भुगतान:- इस नियम के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत होने पर उसको अपने अवकाश खाते की समस्त एल. का भुगतान तुरन्त प्रभाव से एक मुश्त कर दिया जाता है। पी.एल. का भुगतान करते समय मकान भत्ते को छोड़कर समस्त प्रकार के भक्ते देय होते है।
नियम 91(स):-कर्मचारी की मृत्यु होने पर पी. एल. का भुगतानः- (दिनांक 01.10.1996) इस नियम के तहत सेवा में रहते हुए यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाये तो उसके खाते में शेष पी.एल. का भुगतान उसके परिवारजनों को कर दिया जाता है। नोट:-दिनांक 20.08.2001 के बाद यदि किसी कर्मचारी पर सीसीए नियम 1958 के तहत कार्यवाही प्रस्तावित है तथा वह कर्मचारी सेवानिवृत हो जाता है तो तुरन्त प्रभाव से भुगतान रोका जायेगा।
नियम 92:- विश्रामकालीन विभागों के लिए पी. एल. की देयताः- ( दिनांक 01.10.1994 से) विश्रामकालीन न्यायिक कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 12 पीएल देय है यदि पी. एल. का उपभोग न करे तो 18 पीएल देय होती है विश्रामकालीन शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को 15 पी.एल. देय है।
नियम 93:- अर्द्धवेतन अवकाश/रूपान्तरित अवकाश की देयता:
1. चिकित्सा कारणों के आधार पर एक वित्तीय वर्ष में किसी कर्मचारी के खाते में 20 HPL देय होती है।
2. कर्मचारी अपनी सुविधा अनुरूप इन HPL को पूर्ण अवकाश में परिवर्तित कर सकता है।
3. एक कर्मचारी अपने सेवाकाल में अधिकतम 480 HPL को रूपान्तरित अवकाश में परिवर्तित कर सकता है।
4. विशेष मामलों में यदि कर्मचारी के खाते में किसी भी प्रकार की HPL बकाया नही है तो कर्मचारी को अदेय अवकाश का लाभ दिया जा सकता है। अदेय अवकाशः- ऐसा अवकाश सक्षम अधिकारी द्वारा तभी स्वीकृत किया जाता है जब कर्मचारी की स्थिति चिकित्सा दृष्टिकोण से सही नही है। अदेय अवकाश अधिकतम 360 एचपीएल तक स्वीकृत होता है ।
नियम 93(ए):- टी.बी. के मामलों में पुलिस सेवा) यदि कर्मचारी के खाते में किसी भी प्रकार का अवकाश शेष नहीं है तो 360 एचपीएल को उसके खाते में अग्रिम रूप से जमा कर दिया जाता है।
नोट:- यदि कर्मचारी कोई सार्वजनिक हित में पाठ्यकम करे तो उसके अवकाश खाते में एचपीएल की बकाया स्थिति को ध्यान में रखते हुए 180 दिन की एचपीएल स्वीकृत होगी ।
नियम 94:- सेवा समाप्ति अवकाश:- ऐसे अवकाश सामान्य तौर पर अस्थाई कर्मचारियों को ही स्वीकृत किये जाते है। सक्षम अधिकारी ऐसे अवकाशों को अपने विवेक के आधार पर स्वीकृत कर सकता है। इस नियम के तहत शिक्षार्थी को यह लाभ देय नही होता है ।
नियम 95:- अवकाश अवधि सेवा व्यवधान नही है:- सामान्य तौर पर यदि कोई अस्थायी कर्मचारी अपने पद के समान संवर्ग में ही स्थायी रूप से नियुक्त है तो उसकी पिछली सेवा अवकाश अवधि के तहत माना जायेगा।
नियम 96:- असाधारण अवकाशः- साधारण तौर पर कर्मचारी असाधारण अवकाश तभी स्वीकृत कराता है, जब उसके अवकाश खाते में किसी भी तरह के अवकाश शेष न हो । दिनांक 26.02.2002 के बाद अस्थायी कर्मचारी को असाधारण अवकाश तभी मिलता है, जब उसने 03 वर्ष की सेवा की है।
अस्थायी कर्मचारियों को अधिकतम 18 माह का असाधारण अवकाश देय है। दिनांक 01.01.2007 के बाद परिवीक्षाधीन अवधि में अधिकतम 03 माह का असाधारण अवकाश देय है।
विपरीत परिस्थितियों में असाधारण अवकाश परिवीक्षाधीन कर्मचारियों को 03 माह से अधिक भी स्वीकृत है। 03 माह से अधिक यदि कोई कर्मचारी असाधारण अवकाश ले तो अधिक ली गई अवधि उसके परिवीक्षाधीन काल को प्रभावित करती है।
नियम 97:- अवकाश वेतन की राशि: – सामान्य तौर पर अवकाश वेतन की राशि अवकाश की प्रवृति के तहत ही निर्धारित होती है।
नियम 98:– विलोपित
नियम 99:- विशेष असमर्थता अवकाशः- (दिनांक 14.12.12 के बाद) घर से कार्यालय व कार्यालय से घर ड्यूटी नही माना गया है।
दिनांक 18.05.2010 के बाद चुनाव में ड्यूटी घर से निकलते ही मानी जाती है। इस नियम के तहत सरकारी कर्मचारी को कार्यस्थल पर यदि कोई क्षति हो जाती है तो क्षति होने के तीन माह तक आवेदन पत्र देकर विशेष असमर्थता अवकाश का लाभ उठा सकता है। सामान्य तौर पर विशेष असमर्थता अवकाश अधिकतम 24 माह तक देय होता है। यदि 24 माह उपरांत भी कर्मचारी की स्थिति में कोई सूधार न हो तो चिकित्सा रिपोर्टो के आधार पर अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है।
विशेष असमर्थता अवकाश के दौरान वेतन:
उच्च सेवा में 120 दिन अवकाश
पूर्ण वेतन
उच्च सेवा में 120 दिन से अधिक अवकाश
अर्द्ध वेतन
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन अवकाश
पूर्ण वेतन
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन से अधिक अवकाश
अर्द्ध वेतन
नियम 100: असमर्थता अवकाश के दौरान सरकार द्वारा कोई क्षतिपूर्ति भत्ता स्वीकृत होने पर वेतन में कटौतीः- इस नियम के तहत यदि असमर्थता अवकाश के दौरान क्षतिपूर्ति भत्ता मिले तो भत्ते के बराबर की राशि कर्मचारी के वेतन में से काट ली जाती है। कर्मचारी के व्यक्तिगत बीमा दावों पर इस नियम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
नियम 101:- सैनिक/भूतपूर्व सैनिक कर्मचारियों को विशेष असमर्थता अवकाश का लाभ:
नियम 102: – नियम 101 के अनुसार ही परन्तु दूघर्टना सैन्य सेवा के अतिरिक्त हुई होः
नियम 103:- प्रसुति अवकाशः- (दिनांक 06.12.2004 से प्रभावी) महिला कर्मचारियों को सम्पूर्ण सेवाकाल में 02 बार अधिकतम 180 दिन का प्रसुति अवकाश मिलता है। 02 बार के बाद भी कोई संतान जीवित न हो तो एक बार और मिल सकता है।
> दिनांक 11.10.2008 के बाद प्रसुति अवकाश अवधि 135 दिन से बढ़कर 180 दिन की गई है।
> दिनांक 06.12.2004 के बाद ये अवकाश अस्थायी महिला कर्मचारी को भी देय है। किसी भी कर्मचारी को पूर्ण वेतन व भत्ते देय है।
> सामान्य तौर पर गर्भपात पर यह अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है।
> चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर विपरीत परिस्थितियों में 06 सप्ताह तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। (दिनांक 14.07.2006 के बाद से)
राजस्थान सेवा नियम (RSR)103(अ):- पितृत्व अवकाशः- ( दिनांक 06.12.2004 से) किसी पुरूष के प्रथम दो संतानों पर उसे बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व व 03 माह के भीतर 15 दिन का अवकाश मिलता है।
नियम 103 (ब):- दत्तक अवकाशः- (दिनांक 07.12.2011 से) किसी महिला कर्मचारी को 180 दिन का अवकाश सेवाकाल में दो बार ही। 01 साल से कम आयु के बच्चे को गोद लेने पर मिलता है।
नियम 104:- प्रस्तावित अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:
नियम 105:- पृथक श्रेणी का अवकाश /चिकित्सालय अवकाश की सीमा – सामान्य तौर पर यह अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत होता है, जो राज. सरकार के लिए किसी हानिकारक संयत्रों या हानिकारक प्रयोगशाला में नियुक्त हो। ये अवकाश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही लागु होता है ।
नियम 106:- नियम 105 के अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत होते है जिनका वेतनमान 12000 रू तक देय हो। (दिनांक 01.01.2007 से लागु) दिनांक 12.09.2008 के आधार पर सभी वेतन वृद्धियां मान्य।
राजस्थान सेवा नियम (RSR)–नियम 107:- विलोपित
नियम 108:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:
नियम 109:- अध्ययन अवकाश:- आरएसआर में नियम 109 से 121(ए) तक है।
नियम 110:- अध्ययन अवकाश की देयता:- किसी भी कर्मचारी को अपने सम्पूर्ण सेवा काल में अधिकतम 02 वर्ष का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। एक बार में अधिकतम 12 माह का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
राजस्थान सेवा नियम (RSR)–नियम 111:-विलोपित:
नियम 112:- अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने की शर्ते:
>> अध्ययन अवकाश राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को देय है।
>> अस्थायी कर्मचारी जो विभाग में न्यूनतम 03 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हो तथा ऐसी अस्थायी नियुक्तियां आरपीएससी की अभिशंषा के आधार पर होनी अनिवार्य है ।
» 20 वर्ष से ज्यादा सेवा पूर्ण कर चुके कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश देय नहीं होता है ।
>> अध्ययन अवकाश के दौरान विभाग से अनुपस्थिति:
24 माह + 04 माह (खाते के अवकाश) :28 माह
24 माह + 06 माह (असाधारण अवकाश) 30 माह
अध्ययन अवकाश के दौरान सदैव अर्द्ध वेतन मिलता है।
नियम 113:- अध्ययन अवकाशों की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का समायोजन:
नियम 114:- अध्ययन अवधि के अध्ययन अवकाश से ज्यादा होने पर प्रक्रियाः – कर्मचारी अपने खाते के अवकाश या असाधारण अवकाश ले सकता है।
नियम 115:- अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन पत्र:- अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन पत्र लेखाधिकारियों या सहायक लेखाधिकारियों को दिये जाते है आगे की स्वीकृति के लिए लेखाधिकारी जांच के बाद आवेदन पत्र विभागाध्यक्ष को भेजता है।
नियम 116:- अध्ययन अवकाशों के साथ अन्य अवकाशों का समायोजन:
नियम 117:- अध्ययन भत्ताः- यदि कर्मचारी के द्वारा किया जा रहा अध्ययन सरकारी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो तो सरकार कर्मचारी को अध्ययन अवधि के दौरान अलग से अध्ययन भत्ता स्वीकृत कर सकती है।
नियम 118:- अध्ययन अवकाश के दौरान विश्रामकाल:- इस नियम के तहत कर्मचारी को अध्ययन अवधि के दौरान सरकार द्वारा 14 दिन का विश्रामकाल देय होता है।
नियम 119:- अध्ययन शुल्क:- जिस अध्ययन के लिए कर्मचारी अवकाश पर जाता है, उस अध्ययन की किश्त कर्मचारी द्वारा ही देय होती है। यदि सक्षम अधिकारी अध्ययन की प्रवृति को अपने विभाग के लिए लाभदायक माने तो वह वित्त विभाग की मंजूरी लेकर उसे अध्ययन पाठ्यक्रम की किश्त का भुगतान कर सकता है।
नियम 120:- पाठ्यक्रम पूर्ण होने का प्रमाण पत्र:- कर्मचारी जिस अध्ययन के लिए अवकाश पर है, वह पूर्ण होने पर पाठ्यक्रम पूर्ण होने का प्रमाण पत्र विभाग को जमा कराना नैतिक दायित्व है ।
नियम 121:- अध्ययन अवकाश की गणना पदोन्नति एवं पेंशन योग्य सेवा के तहत की जाती है।
नियम 121(अ):- अवकाश अध्ययन के बदले सेवा का बन्ध पत्र:- इस नियम के तहत परिशिष्ट 18 में एक बन्ध पत्र भरवाया जाता है (दिनांक 31.05.2012 से लागु) परिशिष्ट 18 के तहत शर्त पूरी नहीं होने पर दूगनी राशि- ब्याज सम्बन्धित विभाग को जमा करवाना होता है।
नियम 122:- परिवीक्षाधीन को अवकाशः- वर्तमान में दिनांक 20.01.2006 के बाद ऐसा कोई पद राज्य सरकार में नहीं है।
नियम 123:- शिक्षार्थी को अध्ययन अवकाश:- इस नियम के तहत शिक्षार्थियों को अवकाश उसी अनुरूप देय होते है। जैसे विभाग में अस्थायी कर्मचारियों को देय होते है। नियम 103 की सीरीज के अन्तर्गत आने वाले अवकाश शिक्षार्थियों को देय नहीं होते है।
नियम 124:- अंशकालीन विधि अधिकारियों/ प्राध्यापकों को अवकाशः–
>> सामान्य तौर पर अंशकालीन रूप से नियुक्त प्राध्यापकों व विधि अधिकारियों को 02 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 03 माह का अर्द्ध वेतन अवकाश देय होता है
>> एक साथ 03 माह का अधिकतम अवकाश देय होता है।
>> विपरीत परिस्थितियों में 06 वर्ष की सेवा पूर्ण हो तो 02 माह का अवकाश असाधारण अवकाश के रूप में स्वीकृत होगा
नियम 125:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:
राजस्थान सेवा नियम (RSR)–नियम 126:- दैनिक मानदेय व पारिश्रमिक के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को अवकाश:
सामान्य तौर पर विभाग में 03 माह की सेवा पूर्ण करने पर ।
03 माह पश्चात 01 पूर्ण छुट्टी यह अवकाश तभी स्वीकृत होता है जब श्रमिक अपनी जगह किसी अन्य श्रमिकों को काम के लिए नियुक्त करें।
दो वर्ष के प्रोबेशन काल मे प्रोबेशनर ट्रेनी को कौनसे अवकाश /लाभ/भत्ते देय होते है ?
👉(1) प्रोबेशन की अवधि सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिक के लिए 2 वर्ष की होगी। (F.1(2)FD/Rules/2006,dated 13-03-2006)
Note:- राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सा अधिकारियों की परिवीक्षा अवधि 1 वर्ष होगी।(F.1(2)FD/Rules/2006, dated 26-12-2011 & 03-07-2014)
👉(2) राजस्थान सेवा नियम -1951 के नियम 8 के तहत 20-1-2006 या इसके पश्चात राजकीय सेवा में नियुक्त कार्मिक को 2 वर्ष की कालावधि के परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में रखा जाता है तथा इस अवधि में राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर नियत किया गया नियत पारिश्रमिक (fixed remuneration) संदत किया जाता है अन्य कोई भी भत्ते देय नहीं होते है।
👉(3) प्रोबेशन अवधि को वेतन वृद्धि के लिए नहीं गिना जाता है।
👉(4) नियत पारिश्रमिक से राज्य बीमा की कटौती नहीं होती है परंतु नियत पारिश्रमिक से अप्रैल माह में सामूहिक दुर्घटना बीमा की राशि (प.12(6)वित्त/नियम/05 दिनांक 13-03-2006) व प्रत्येक माह एनपीएस के अंशदान (10%) की कटौती होती है। (F.1(4)FD/Rules/2017-I,dated 30-19-2017)
👉(5) प्रोबेशनर ट्रेनी जो पूर्व से ही राजकीय सेवा में है तो उसे प्रोबेशन अवधि में पूर्व पद के वेतन ( विद्यमान वेतनमान) या नियत पारिश्रमिक में से जो लाभकारी है, का विकल्प चुन सकता है।
यदि वह विद्यमान वेतनमान का विकल्प चुनता है तो उसे पूर्व पद के विद्यमान वेतनमान में वार्षिक वेतन वृद्धि देय होगी तथा प्रोबेशन अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर उसका वेतन पूर्व पद और ग्रेड वेतन के प्रति निर्देश से समान स्टेज पर नए पद के चालू वेतन बैंड/लेवल में नियत किया जाएगा।(पुनरीक्षित वेतनमान-2008 के नियम-22 के पैरा-II के अनुसार) (F.12(5)वित्त/नियम/06 दिनांक 31-08-2006 & 28-06-2013)
👉(6) प्रोबेशनर ट्रेनी का वेतन नियतन पे मैट्रिक्स के संबंधित लेवल में वेतन प्रथम सेल में अनुज्ञात किया जाता है। (अनुसूची-V के अनुसार)
👉(7) प्रोबेशन अवधि सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर प्रथम वेतन वृद्धि 1 जुलाई को जो प्रोबेशन पूर्ण करने की तारीख के ठीक बाद में आती है, अनुज्ञात की जाएगी।
👉(8) *प्रोबेशन अवधि में अवकाश:-*
(i) प्रोबेशनर ट्रेनी को एक कैलेंडर वर्ष में 15 आकस्मिक अवकाश देय हैं।
(ii) प्रोबेशन अवधि में प्रोबेशनर ट्रेनी किसी भी प्रकार का अवकाश अर्जित नहीं करेगा।(F.1(2) वित्त/नियम/06 पार्ट-1 दिनांक 22-5-2009)
(iii) नवनियुक्त प्रोबेशनर ट्रेनी जो पूर्व से ही राज्य कर्मचारी होने के कारण उसके अवकाश खाते में पूर्व अर्जित अवकाश बकाया हैं तो उसे पूर्व अर्जित अवकाश के उपभोग की अनुमति नियंत्रण अधिकारी द्वारा प्रदान की जाती है तो उसकी प्रोबेशन अवधि नहीं बढ़ती है।(प.17(2) शिक्षा-2/2008 दिनांक 18-10-2012)
(iv) महिला प्रोबेशनर ट्रेनी को नियम 103 व 104 के तहत 180 दिन का प्रसूति अवकाश देय है।
(v) पुरुष प्रोबेशनर ट्रेनी को नियम 103 ए के तहत 15 दिन का पितृत्व अवकाश देय है।(F.1(6)FD/Rules/2011,dated 15-02-2012)
नोट:- मातृत्व व पितृत्व अवकाश के उपभोग से प्रोबेशन ट्रेनी अवधि में कोई वृद्धि नहीं होती है।
(vi) राजस्थान सेवा नियम-1951 के नियम 96(B) के तहत प्रोबेशन अवधि में 30 दिवस तक का असाधारण अवकाश (अवैतनिक) नियुक्ति अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।
30 दिवस से अधिक अवधि का असाधारण अवकाश प्रशासनिक विभाग के अनुमोदन से नियुक्ति अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाता है।
08-08-2019 या उसके बाद 30 दिवस से अधिक असाधारण अवकाश का उपभोग करने पर प्रोबेशन संपूर्ण अवधि के लिए बढ़ता है। (F.1(2)FD/Rules/2006-I, dated 25-10-2019)
(vii) प्रोबेशन अवधि में विशेष परिस्थितियों में चाइल्ड केयर लीव स्वीकृत किया जा सकता है परंतु सीसीएल अवधि के समान अवधि तक प्रोबेशन काल आगे बढ़ता है।
(viii) प्रोबेशन ट्रेनी को ऐच्छिक अवकाश देय नहीं है।
👉(9) प्रोबेशन अवधि में प्रोबेशनर ट्रेनी को तदर्थ बोनस देय नहीं है।
👉(10) प्रोबेशन अवधि में निलंबित कार्मिक को निर्वाह भत्ता देय है।
👉(11) प्रोबेशन अवधि पदोन्नति व आश्वासित कैरियर प्रगति (एसीपी) के लिए सेवा अवधि की गणना हेतु मान्य होती है।(F.7(2)DOP/A-II/2005 Dated 26-04-2011)
👉(12) प्रोबेशनर ट्रेनी को मेडिक्लेम बीमा कवर देय है। (F.6(6)FD(Rules)/2005 dated 13-03-2006)
Parmanand Meghwal, [08.05.21 23:59] 👉(13) प्रोबेशनर ट्रेनी द्वारा राजकीय कार्य से यात्रा करने पर T.A on tour में बस किराया, विराम भत्ता एवं अनुषांगिक व्यय देय है।(P.4(7)वित्त/नियम/2002 दिनांक 25-11-2016)
👉(14) प्रोबेशन में स्थानांतरण होने पर केवल mileage allowance & incidental on fixed remuneration पर देय है।
👉(15) 01-01-2004 के बाद राज्य कर्मचारी की सेवा में रहते मृत्यु या निशक्तता होने पर न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के तहत अतिरिक्त राहत के रूप में अनंतिम कुटुंब पेंशन (Provisional family pension) एवं ग्रेच्युटी दिए जाने का प्रावधान है। (F.12(8)FD(Rules)/2008 dated 09-05-2013 & 29-05-2015)
नियोक्ता द्वारा जमा अंशदान एवं उस पर अर्जित ब्याज जो मृतक के परिवार को प्राप्त हुआ है वह संपूर्ण राशि 60 दिवस में सरकारी राजस्व (राज्य बीमा व प्राविधिक विभाग) में जमा करवाने पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ देय होगा तथा कार्यालयाध्यक्ष द्वारा पेंशन प्रकरण निदेशक, पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण निदेशालय, जयपुर को भिजवाना होता है।
प्रोबेशन में कार्यरत राजस्थान राज्य सेवा के कार्मिको हेतु आवश्यक आदेश, सर्कुलर और सेवा नियम
प्रोबेशन काल मे कौन कौन से अवकाश देय होते है ? (Probation period Leave Rules in Rajasthan in Hindi)
दो वर्ष के प्रोबेशन काल मे निम्न अवकाश मिलते है जिनकी सामान्य जानकारी बताई जा रही है विस्तृत जानकारी हेतु RSR को देखे।
(1) आकस्मिक अवकाश (CL):- 7 वे वेतनमान की मूल अधिसूचना 30/10/17 के अनुसार एक वर्ष में 15 CL देने का प्रावधान है। अपूर्ण वर्ष अवधि में महीने की 1.25 CLके हिसाब से गणना कर CL अर्जित होगी।
*अवकाशकालीन कार्मिको के CL की गणना एक जुलाई से तीस जून तक की जाती है एवं अन्य कर्मचारियों के CL की गणना केलेंडर वर्ष के अनुसार एक जनवरी से 31 दिसम्बर तक की जाती है।*
(2) प्रसूति अवकाश:-सेवा नियम 103 के अनुसार डॉक्टर के प्रमाण पत्र के आधार पर 180 दिन का प्रसूति अवकाश मिलता है इसमे प्रोबेशन आगे नही बढता है तथा अवकाश पर जाने से पूर्व के आहरित वेतन की दर के(अवकाश वेतन) अनुसार प्रसूति अवकाश की अवधि में नियमित वेतन का भुगतान किया जाता है।
(3) पितृत्व अवकाश:- कर्मचारी की पत्नी के प्रसव होने पर 15 दिन का पितृत्व अवकाश पत्नी की देख भाल हेतु मिलता है जो प्रसव से 15 दिन पूर्व से प्रसव के तीन महीने में लिया जा सकता है।
*प्रोबेशन में मातृत्व अवकाश एवं पितृत्व अवकाश DDO के स्तर पर स्वीकृत किये जाते है। इन अवकाश के स्वीकृत होने पर प्रोबेशन आगे नही बढ़ता है।*
(4) चाइल्ड केयर लीव (CCL):-सामान्य रूप से प्रोबेशन में CCL नही मिलती है, परन्तु विशेष परस्थिति में यह स्वीकृत की जा सकती है एवं स्वीकृत ccl की सम्पूर्ण अवधि तक प्रोबेशन आगे बढ़ जाता है।
(4) कोरन्टीन अवकाश:- प्रोबेशन में कार्मिको के स्वयं कोरोना संक्रमण होने या परिवार के सदस्य के कोरोना संक्रमित होने पर होंम कोरन्टीन किये जाने पर नियमानुसार क्वारंटाइन अवकाश CMHO के प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जाता है।
(5) असाधारण अवकाश (Wpl)
1- 30 दिन तक wpl चिकित्सा एवं अन्य निजी कारणों से लिया जा सकता है, जिसमे 30 दिन तक प्रोबेशन आगे नही बढ़ेगा।
2:- 30 दिन से अधिक wpl के लिए कार्मिक के खुद का या उस पर आश्रित परिवार के किसी सदस्य के चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर लिया जा सकता है उस स्थिति में सम्पूर्ण अवधि तक प्रोबेशन आगे बढ़ जाता है।
3;- सेवा में लगने से पहले का कोई कोर्स पूर्ण करने के लिए सक्षम अधिकारी(नियुक्ती अधिकारी) से अनुमति ले कर कोर्स पूरा किया जा सकता है उस अवधि के लिए प्रोबेशनकाल में Wpl सेक्शन की जाएगी, इस प्रकार का अवकाश लेने पर प्रोबेशन भी सम्पूर्ण अवकाश अवधि तक आगे बढ़ जाता है।
*प्रोबेशन में 30 दिन तक का असाधरण अवकाश (wpl) नियुक्ति अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाता है उससे अधिक अवधि का wpl राज्य सरकार के प्रशासनिक विभाग द्वारा स्वीकृत किया जाता है।*
(6) PL एवं Hpl:- प्रोबेशन काल में रा. से. नियम 1951 के भाग -1 के नियम 122ए के तहत किसी भी प्रकार से PL या Hpl अर्जित नही होती है।
यदि कोई कार्मिक प्रोबेशनकाल में पूर्व पद का वेतन आहरित कर रहा है तो वह पूर्व पद की जमा PL या Hpl का उपयोग कार्यालय अध्यक्ष की अनुमति से नये प्रोबेशनकाल में कर सकता है। इससे प्रोबेशन आगे नहीं बढ़ेगा।
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1-6-2002 को या इसके बाद तीसरी संतान होने के बाद स्वीकृत होने वाला एक एसीपी 3 वर्ष बाद मिलेगा
अब तीसरी संतान की स्थिति में केवल एक एसीपी ही प्रभावित होगा। पहले सभी एसीपी आगे सरकते थे। पहला 9+3=12 वर्ष दूसरा 18+3=21 और तीसरा 27+3=30 वर्ष में मिलता था। इस नोटिफिकेशन के बाद तीसरी संतान होने पर पहला एसीपी मिलना है तो वो 9+3=12 वर्ष पर मिलेगा। दूसरा 18 और तीसरा 27 वर्ष पर ही मिलेगा। 9 वर्षीय पहला एसीपी मिला हुआ है और फिर तीसरी संतान की स्थिति बनती है तो दूसरा एसीपी 18+3=21 वर्ष पर मिलेगा और तीसरा एसीपी 27 वर्ष पर ही मिलेगा।
GOVERNMENT OF RAJASTHAN FINANCE DEPARTMENT (RULES DIVISION)
No. F. 14(88)FD/Rules/2008 Pt. Jaipur, dated: 18 DEC 2020
Notification
In exercise of the powers conferred by the proviso to Article 309 of the Constitution of India, the Governor of Rajasthan is pleased to make the following rules further to amend the Rajasthan Civil Services (Revised Pay) Rules, 2017, namely:
Short title and commencement. – (1) These rules may be called the Rajasthan Civil Services (Revised Pay) (Fifth Amendment) Rules, 2020.
(2) They shall come into force with immediate effect.
Amendment of Schedule-VI.- Existing clause at S.No.6(iii) excluding provisos thereunder of Schedule-VI appended to the Rajasthan Civil Services (Revised Pay) Rules, 2017 shall be substituted, by the following, namely,..
“The appointing authority shall also obtain an affidavit from the employee with reference to having only two children on or after 01.06.2002 prior to granting ACP. An employee who has more than two children on or after 01.06.2002 shall not be granted ACP/next ACP for three years from the date on which his/her ACP becomes due and it would have no consequential effect on the next/subsequent grant of ACP. The employee having more than two children shall not be deemed to have been disqualified, so long as the number of children he/she has on 01.06.2002 does not increase.”
By order and in the name of the Governor,
Joint Secretary to the Government
हिंदी अनुवाद :
भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राजस्थान के राज्यपाल राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 में और संशोधन करने के लिए निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्:
संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
(1) इन नियमों को राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) (पांचवां संशोधन) नियम, 2020 कहा जा सकता है।
(2) वे तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
अनुसूची-VI का संशोधन – राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 से संलग्न अनुसूची-VI के प्रावधानों को छोड़कर क्रमांक 6(iii) पर मौजूदा खंड को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात
“नियुक्ति प्राधिकारी को एसीपी देने से पहले 01.06.2002 को या उसके बाद केवल दो बच्चे होने के संदर्भ में कर्मचारी से एक हलफनामा प्राप्त करना होगा। एक कर्मचारी, जिसके 01.06.2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हैं, को एसीपी/अगला एसीपी उस तारीख से तीन साल तक नहीं दिया जाएगा, जिस दिन उसका एसीपी देय हो जाता है और इसका अगले / बाद के अनुदान पर कोई परिणामी प्रभाव नहीं होगा। दो से अधिक बच्चों वाले कर्मचारी को एसीपी अयोग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि 01.06.2002 को उसके बच्चों की संख्या में वृद्धि नहीं होती है।
तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP
संतान होने पर पदोन्नति PROMOTION पर पड़ने वाले प्रभाव
राज्यकर्मचारियों को अब दो संतान से अधिक होने पर पदोन्नति आदि कोई रुकावट नहीं होगी। इससे कर्मचारियों को नौकरी में राहत मिलेगी। यह नियम हटने के बाद कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी दिखाई दे रही है।
राज्य सरकार ने दो संतान से अधिक पर पदोन्नति रोकने तथा अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के राजस्थान सिविल सेवा नियम 1971 में इस बाबत किए गए प्रावधान को वापिस ले लिया है। राज्य सरकार ने राजस्थान से स्वीकृति मिलने के बाद इस नियम को हटाया है।
राज्य सरकार के कार्मिक- ए-3 ने आदेश जारी किया गया। जारी आदेशों में इस संबंध में राजस्थान सिविल सेवा नियम 1971 में 1 जून 2002 के बाद अधिक संतान होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई पदोन्नति रोकने का प्रावधान किया गया था। उसके बाद सरकार ने इस नियम 25 सी को हटा दिया है। इस नियम के तहत कर्मचारियों की पदोन्नति सहित अन्य लाभ मिलने में अड़चन रही थी।
तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP
सरकारी कर्मियों की तीसरी संतान दिव्यांग निःशक्त हो तो गणना में नहीं होगी शामिल, इसके चलते वे नहीं हो सकेंगे दंडित, वरना तीसरी संतान होने पर रुकता है प्रमोशन, अभी कुछ सेवाओं में था यह लागू, अब 105 अन्य सेवा नियम में किया संशोधन
सरकारी कर्मियों की तीसरी संतान दिव्यांग निःशक्त हो,
तो गणना में नहीं होगी शामिल, इसके चलते वे नहीं हो सकेंगे दंडित, वरना तीसरी संतान होने पर रुकता है प्रमोशन, अभी कुछ सेवाओं में था यह लागू, अब 105 अन्य सेवा नियम में किया संशोधन pic.twitter.com/RjhFjfPum0
राज्य की कर्मचारियों को तीसरी संतान होने का शपथ पत्र प्रस्तुत करना होता है जो कि ये सभी सरकारी कर्मचारियों की जॉइनिंग भर्ती के समय शपथ पत्र देना होता है जिसमें तीसरी संतान ना होने की शपथ ली जाती हैं
तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP
मैं …………………………………………………………………….. पुत्र/पत्नी/पुत्री श्री ……………………………………………………..
जाति …………………………….. निवासी ……………………………………….. तह…………………………………………………..
जिला ………………..शपथ पूर्वक करता/करती हॅू कि :-
(क) यह है कि दिनांक 27.04.1994 तक मेरे बच्चों की संख्या …………….. थी जिसका ब्यौरा निम्न अनुसार है।
क.स. नम पुत्र/पुत्री जन्मतिथि पुत्र/पुत्री
क्रं सं
पुत्र / पुत्री नाम
जन्मतिथि
पुत्र / पुत्री
(ख) 27.04.1994 से 27.11.2995 की अवधि में जन्में बच्चों की कुल संख्या ……………. है और उनका ब्यौरा निम्न अनुसार है।
क्रं सं
पुत्र / पुत्री नाम
जन्मतिथि
पुत्र / पुत्री
(ग) 28.11.1995 को और उनके पष्चात जन्में बच्चों की कुल संख्या …………… है और उनका ब्यौरा निम्न अनुसार है।
क्रं सं
पुत्र / पुत्री नाम
जन्मतिथि
पुत्र / पुत्री
शपथकर्ता
तस्दीक :- मैं उपरोक्त शपथकर्ता शपथपूर्वक तस्दीक करता हॅू कि इस शपथ पत्र के तमाम वाक्यात मेरे निजी ज्ञान से सही व सत्य है। ईष्वर मुझे सत्य बोलने में मेरी मदद करें। इसका कोई भी भाग असत्य नही है।
संतान संबंधी शपथ पत्र पीडीएफ
शपथ पत्र संतान संबंधी डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर पीडीएफ फाइल व वर्ल्ड फाइल दोनों हैं
तीसरी संतान होने पर नियुक्ति परमोशन और ACP पर पड़ने वाले प्रभाव | Effect of third child on appointment promotion and ACP
प्रश्न:- किसी कार्मिक के 01/06/2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर एसीपी एवम पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:- यदि किसी कार्मिक के 01/06/2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर वित्त विभाग के आदेश- F14(88) FD Rules/2008pt jaipur Date 18/12/2020 के अनुसार उस कार्मिक को तीसरी संतान पैदा होने की तिथि के बाद स्वीकृत होने वाली एसीपी देय तिथि से 3 वर्ष बाद स्वीकृत होगी लेकिन उसके बाद भविष्य में देय एसीपी पर आगामी प्रभाव को समाप्त कर दिया है अर्थात वह देय एसीपी निर्धारित दिन से ही स्वीकृत होगी।
(2) किसी कार्मिक के 1/06/2002 के बाद दो से अधिक संतान होने पर नियमानुसार पदोन्नति होने पर उसे कार्यमुक्त नही किया जाता है एवं दो डीपीसी के बाद उसका पुनः नाम पदोन्नति की पात्रता सूची में आता है एवम उसकी पदोन्नति होती है उस समय उसे पदोन्नति पर कार्यमुक्त किया जा सकेगा।
(3) इसलिए ही एसीपी एवम पदोन्नति से पूर्व सभी कर्मचारियों से संतान सम्बन्धित घोषणा पत्र का शपथ पत्र मांगा जाता है।गलत शपथ पत्र दे कर नियम विरुद्ध एसीपी /पदोन्नति प्राप्त करना एक दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है ।
प्रश्न. मैं इस समय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार में कार्यरत हूँ। मैं ने प्रोबेशन काल जुलाई 2014 में पूरा कर लिया। मेरी नियुक्ति के समय मात्र दो पुत्रियाँ थीं बाद में अगस्त 2013 में एक छोटी पुत्री का गोदनामा पंजीकरण करवा लिया एवं भारतीय राज पत्र में प्रकाशन के लिये आवेदन किया हुआ है। मुझे बताए कि तीसरी सन्तान होने पर भविष्य में दो ही सन्तान दर्शानी होगी या तीन। भविष्य में राजस्थान सरकार की नौकरी में प्रमोशन आदि किसी लाभ से वंचित तो नहीं होना पड़ेगा?
प्रश्न. मै राजस्थान पुलिस से कानिस्टेबल के पद पर हूँ, मेरे दो संतान जन्म लेने के बाद एक संतान गोद चली गई थी उसके बाद एक संतान ने और जन्म लिया है अब मेरे पास दो संतान है लेकिन मेरे विभाग ने मेरी एक संतान गोद जाने के बावजूद भी तीनो संताने मेरी मान कर मेरा प्रमोशन रोक रहे है। मेरा गोदनामा रजिस्ट्रार से से रजिस्टर्ड है। क्या राजस्थान सरकार की नौकरी में दो से अधिक संतान सम्बधी नियम में गोदनामा प्रभावित नहीं है? यदि इस सम्बंध में माननीय न्यायालय का निर्णय आया होतो देने की कृपा करे। क्या मुझे न्यायालय की शरण लेनी चाहिए?
समाधान-
राजस्थान सरकार का सरकारी सेवा में दो से अधिक संन्तानें होने सम्बन्धी नियम निम्न प्रकार है-
“No candidate shall be eligible for appointment to the service who has more than two children on or before1-6-2002.
("कोई भी उम्मीदवार सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा, जिसके दो से अधिक बच्चे 1-6-2002 को या उससे पहले हैं।)
Provided that where a candidate has only one child from earlier delivery but more than one child are born out of a single subsequent deliver, the children so born shall be deemed to be one entity while counting the total number of children.”
( बशर्ते कि जहां एक उम्मीदवार के पहले प्रसव से केवल एक बच्चा है, लेकिन एक से अधिक बच्चे एक बाद के प्रसव से पैदा हुए हैं, इस तरह पैदा हुए बच्चों को बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय एक इकाई माना जाएगा। )
“(1) No person shall be considered for promotion for 5 recruitment years from the date on which his promotion becomes due, if he/she has more than two children on or after 1st June, 2002.
(“(1) किसी भी व्यक्ति को उसकी पदोन्नति देय होने की तारीख से 5 भर्ती वर्षों के लिए पदोन्नति के लिए नहीं माना जाएगा, यदि उसके 1 जून, 2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हैं। )
Provided that the person having more than two children shall not be deemed to be disqualified for promotion so long as the number of children he/she has on 1st June, 2002, does not increase.
( बशर्ते कि दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को पदोन्नति के लिए अयोग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि 1 जून, 2002 को उसके बच्चों की संख्या में वृद्धि नहीं होती है।)
Provided further that where a Government Servant has only one child from the earlier delivery but more than one child are born out of a single subsequent deliver, the children so born shall be deemed to be one entity while counting the total number of children.”
(परंतु यह और कि जहां किसी सरकारी कर्मचारी के पहले के प्रसव से केवल एक बच्चा है, लेकिन जब अगली डिलीवरी में एक से अधिक बच्चे अर्थात जुड़वाँ बच्चे पैदा होते हैं तो बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय इस तरह पैदा हुए बच्चों को एक इकाई माना जाएगा।)
इस नियम में यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जिस के 1 जून 2002 या उस के बाद दो से अधिक संन्तानें हुईं तो वह पाँच रिक्रूटमेंट वर्षों के लिए पदोन्नति के लिए अयोग्य माना जाएगा। यदि किसी व्यक्ति के 1 जून 2002 के पहले हो चुकी सन्तानों की संख्या के आधार पर किसी को अयोग्य नहीं माना जाएगा।