उपार्जित अवकाश की नियमावली और आदेश फोर्मेट व फॉर्म

उपार्जित अवकाश की नियमावली और आदेश फोर्मेट व फॉर्म

Privilege Leave PL Rules And Forms : नमस्कार कर्मचारी बंधुओ, इस आर्टिकल में हमने आपके लिए प्रिविलिज लीव यानी की उपार्जित अवकाश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी, उपार्जित अवकाश के फोरम, फॉर्मेट एक्सेल, वर्ड और पीडीएफ़ के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण फॉर्मेट प्परत्र और नियमावली का समावेश हमने यहाँ पर किया है। उम्मीद है ये आर्टिकल आपको पसंद आएगा। इस आर्टिकल को लिखने में हमने शत प्रतिशत शुद्धता का ध्यान रखा है फिर भी त्रुटि संभव है |

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उपार्जित अवकाश की नियमावली और आदेश फोर्मेट व फॉर्म Privilege Leave (PL) Rules And Forms
उपार्जित अवकाश की नियमावली और आदेश फोर्मेट व फॉर्म Privilege Leave (PL) Rules And Forms

Privilege Leave PL Rules And Forms

1 क एक स्थाई अथवा अस्थायी सरकारी कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिन का उपार्जित अवकाश दें होता है।
1 ख भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के अतिरिक्त राजस्थान सशस्त्र पुलिस (RAC) के सदस्य, जो भारतीय रिजर्व बटालियन में प्रतिनियुक्त हो या देश की सीमाओं पर तैनात हो, को एक कैलेंडर वर्ष में 42 दिन का उपार्जित अवकाश देय होता है। Privilege Leave PL Rules And Forms
1-ग-1 एक कर्मचारी अपने अवकाश लेखों में अधिकतम 300 दिन का उपार्जित अवकाश अंकित कर सकता है। परंतु

1-ग-2 भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के अतिरिक्त राजस्थान सशस्त्र पुलिस (RAC) के सदस्य, जो भारतीय रिजर्व बटालियन में प्रतिनियुक्त हो, द्वारा आवेदित उपार्जित अवकाश को पूर्णतः या अंशतः लिखित में कारण बताते हुए (जनहित की आवश्यकता के कारण) अस्वीकृत कर दिया जाए तो वे अपने अवकाश लेखे में इन अस्वीकृत अवकाशों को 300 दिन की अधिकतम सीमा के अतिरिक्त अपने अवकाश लेखें में संचित रख सकेंगे। Privilege Leave (PL) Rules And Forms

2- क- 1- प्रत्येक कर्मचारी के उपार्जित अवकाश के लेखो में वर्ष में दो बार (1 जनवरी को 15 तथा 1 जुलाई को 15 दिन) उपार्जित अवकाश अग्रिम जमा किए जाते हैं। राजस्थान सशस्त्र पुलिस बल के सदस्यों की अवकाश लेखों में एक बार में 15 के स्थान पर 21 दिन की PL जमा की जाएगी।

(दिनांक 12.12.2012 को जोड़ा गया) परंतु, यदि किसी कर्मचारी के अवकाश खाते में दिसंबर या जून माह के अंतिम दिन 300 दिवस या कम (लेकिन 285 से अधिक या RAC के सदस्यों के लिए 279 दिन से अधिक) उपार्जित अवकाश हो, तो जनवरी या जुलाई की तारीख को उस के खाते में 15 दिन ( RAC के सदस्यों के लिए 21 दिन) का अवकाश नियम91 (2) (क) (1) के अनुसार अग्रिम जमा किया जाएगा। Privilege Leave (PL) Rules And Forms

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इस अग्रिम जमा अवकाश का लेखा पृथक से रखा जाएगा एवं अगली छमाही में कर्मचारी द्वारा लिए गए उपार्जित अवकाशों को सर्वप्रथम इन्हीं से समायोजित किया जाएगा। समायोजन के उपरांत यह भी कोई अवकाश शेष रहता है तो उसे छमाही की समाप्ति पर अवकाश लेखे में जोड़ दिया जाएगा। परंतु शर्त यह है कि इस प्रकार अग्रिम जमा किए के उपार्जित अवकाश व पूर्व से ही जमा उपार्जित अवकाश का योग 300 दिन की अधिकतम सीमा से ज्यादा नहीं होगा। Privilege Leave (PL) Rules And Forms

2-क-2- राजस्थान सिविल सेवा ( पदभार ग्रहण काल) नियम, 1981 के नियम 54 के अनुसार देय पदभार ग्रहण काल का पूर्ण उपयोग किए बिना ही जब कोई कर्मचारी अपने नवीन पद पर कार्य ग्रहण कर लेता है, तो अनुपयोजित पदभार ग्रहण अवधि (Unveiled Joining Time) के समान संख्या में (अधिकतम 15 दिन तक) उपार्जित अवकाश उसके उपार्जित अवकाश लेखों में जोड़ दिए जाते हैं। परंतु कर्मचारी के उपार्जित अवकाश लेखों में पहले से बकाया अवकाश तथा अनुपयोजित कार्य ग्रहण काल की अवधि के बदले जोड़े गए उपार्जित अवकाश मिलाकर 300 दिवस से अधिक बैलेंस (balance) नहीं होगा।

2-ख- असाधारण अवकाश की अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार के अवकाश के ऊपर कर्मचारी के खाते में डाल दिए गए उपार्जित अवकाश का बैलेंस (balance) कम नहीं किया जायेगा। यदि कोई कर्मचारी किसी कैलेंडर वर्ष की छमाही में असाधारण अवकाश एक्स्ट्राऑर्डिनरी लिव (extra-ordinary leave: Popularity known as Leave without pay) पर रहता है तो उसके उपार्जित अवकाश खातें में से असाधारण अवकाशों की संख्या का दसवां भाग कम कर दिया जाएगा। अर्थात प्रत्येक 10 दिन के असाधारण अवकाश लिए जाने पर एक दिन का उपार्जित अवकाश उसके अवकाश लेखे में से कम किया जाएगा।

राज्य कर्मचारी के अवकाश के लेखों में से 1 जनवरी एवं 1 जुलाई को 15- 15 दिन की उपार्जित अवकाश अग्रिम जमा किए जाते हैं परंतु असाधारण अवकाश पर रहने के दौरान उपार्जित अवकाश अर्जित नहीं होते हैं अतः असाधारण अवकाश पर रहने की स्थिति में उसके अवकाश लेखों में से अनुपातिक रूप से अवकाश कम कर दिए जाते हैं। Privilege Leave (PL) Rules And Forms

कर्मचारी के असाधारण अवकाश के अतिरिक्त अन्य प्रकार के अवकाश जैसे- रुपांतरित अवकाश, प्रसूति अवकाश, पितृत्व अवकाश आदि पर रहने की स्थिति में उस के खाते में से उपार्जित अवकाश कम नहीं किए जाएंगे।

3- किसी सरकारी कर्मचारी को एक बार में अधिकतम 120 दिवस तक का उपार्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। सेनेटोरियम / अस्पताल से टी.बी., कैंसर, कुष्ठ या मानसिक रोगों के इलाज के लिए 300 दिन तक का उपार्जित अवकाश एक बार में स्वीकार किया जा सकता है।

4-क – किसी कैलेंडर वर्ष की एक छमाही के बीच में सेवा में नियुक्त होने वाले कर्मचारी को उसके द्वारा की गई प्रत्येक पूर्ण माह की सेवा के लिए 2.5 दिन की PL जमा की जाएगी। भारतीय रिजर्व बटालियन में प्रतिनियुक्ति पर तैनात RAC के कार्मिक के लिए यह अवधि 3.5 दिन की होगी। Privilege Leave PL Rules And Forms

4-ख- इसी प्रकार किसी कैलेंडर वर्ष की छमाही के बीच में कर्मचारी की मृत्यु सेवानिवर्ति, त्यागपत्र, सेवा से हटाने, बर्खास्तगी आदि के कारण वह सेवा में नहीं रहे तो (1 जनवरी या 1 जुलाई से ऐसी घटना के घटित होने के माह के अंत तक प्रत्येक पूर्ण माह के लिए 2.5 दिन की PL उसके खाते में जमा रखी जाएगी। भारतीय रिजर्व बटालियन में प्रतिनियुक्ति पर तैनात RAC के कार्मिक के लिए यह अवधि 3.5 दिन की होगी। Privilege Leave (PL) Rules And Forms


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  1. किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति पर उस दिन उसके उपार्जित अवकाश के लेखों में बकाया (maximum 300 days) अवकाश के बदले में उनके समान अवकाश वेतन की राशि उसे दी जाएगी। परंतु जिन कर्मचारियों को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के अधीन दंड (Penalty) के रूप में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है उसे यह लाभ दें नहीं होगा।
  2. सेवानिवृत्ति पर अनूपयोजित उपार्जित अवकाशों (Unutilized PL) के अवकाश वेतन का नगद भुगतान एक मुश्त एवं एक ही समय सेवानिवृत्ति पर किया जाएगा। Privilege Leave (PL) Rules And Forms
  3. अनूपयोजित उपार्जित अवकाश के बदले में देय अवकाश वेतन की गणना कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के दिन उसको प्राप्त वेतन की दर तथा उसी दिन लागू महंगाई भत्ते की दर के आधार पर की जाएगी। इसके साथ शहरी क्षतिपूरक भत्ता या मकान किराया भत्ता नहीं दिया जाएगा।
  4. अनुपयोजित उपार्जित अवकाश के बदले में देय अवकाश वेतन की गणना के लिए सेवानिवृत्ति के दिन मासिक वेतन की दर तथा महंगाई भत्ते की प्रभावी दर को 30 से भाग देने पर प्राप्त राशि को कर्मचारी के अवकाश लेखों में बकाया उपार्जित अवकाशों की संख्या से गुणा किया जाता है।
  5. 5. कार्यालय अध्यक्ष सेवानिवृत्ति पर अनूपयोजित उपार्जित अवकाश के बदले नगद भुगतान की स्वीकृति देने तथा 300 दिन की सीमा तक एकमुश्त • भुगतान करने के लिए सक्षम है।
  6. जिन कर्मचारियों को अधिवार्षिकी आयु (सेवा-निवृति आयु) के बाद सेवा वृद्धि स्वीकृत की जाती है उन्हें अनुपयोजित उपार्जित अवकाशों के बदले एकमुश्त नकद भुगतान सेवा वृद्धि की अवधि की समाप्ति पर अंतिम रूप से सेवानिवृत्त होने पर दिया जाएगा।
  7. निलंबन अनुशासनिक या आपराधिक कार्यवाही लंबित रहते हुए अधिवार्षिकी आयु (सेवा-निवृति आयु) प्राप्त कर सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारी के प्रकरण में अवकाश स्वीकृति प्राधिकारी उपार्जित अवकाश के बदले नगद की संपूर्ण या आंशिक राशि को रोक सकेगा यदि उस की राय में कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही समाप्त होने पर उससे कुछ राशि वसुली योग्य निकलने की संभावना हो । कार्यवाही समाप्त होने पर सरकारी देयताओं का समायोजन करने के बाद रोकी गई धनराशि का शेष भाग उस कर्मचारी को दिया जा सकेगा। Privilege Leave PL Rules And Forms

1-सेवा में रहते हुए सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में उसकी मृत्यु की तिथि को उसके उपार्जित अवकाश लेखे में शेष अवकाशों के बदले (maximum 300 days) नियम 97 के अनुसार स्वीकार्य अवकाश वेतन एवं महंगाई भत्ते की राशि के बराबर एक मुश्त राशि का भुगतान मृतक सरकारी कर्मचारी की विधवा या बच्चों को किया जाएगा।
2- मृतक सरकारी कर्मचारी के प्रकरण में परिवार पेंशन स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी ही अवकाश के बदले देय एक मुश्त राशि स्वीकृत कर सकेगा। Privilege Leave (PL) Rules And Forms


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विश्राम कालीन विभागों के अधिकारियों पर लागू विशेष नियम-नियम 91 क

1-1- विश्रामकालिन विभाग में कार्यरत स्थाई या अस्थाई कर्मचारी को किसी कैलेंडर वर्ष, जिसमें व विश्रामकाल का पूर्ण उपभोग कर लेता है, के लिए उपार्जित अवकाश अग्रलिखित उपनियम (ii) के अनुसार दिए जाएंगे। 1-2- विद्यालयों, पॉलिटेक्निक संस्थाओं, महाविद्यालयों में अध्यापन करने वाले स्टाफ को एक कैलेंडर वर्ष में 15 दिन का उपार्जित अवकाश देय होगा। प्रत्येक कलेंडर वर्ष की समाप्ति पर ऐसे कर्मचारी के अवकाश लिखों में से 15 दिन का उपार्जित अवकाश जोड़ा जाएगा।

1-3-1 किसी कैलेंडर वर्ष के बीच में नियुक्त किए गए कर्मचारी को उस कैलेंडर वर्ष की समाप्ति के तुरंत पश्चात उसके द्वारा पूर्ण किए गए सेवा के प्रत्येक माह के लिए 1.25 दिन की दर से उपार्जित अवकाश जोड़ा जाएगा। 1-3-2 किसी कैलेंडर वर्ष के दौरान त्यागपत्र सेवा समाप्ति, मृत्यु या अधिवार्षिकी या अशक्तता के आधार पर सेवा से सेवानिवृत्त होने पर प्रत्येक पूर्ण माह के लिए 1.25 दिन की दर से उपार्जित अवकाश कर्मचारी के अवकाश लेखे में जोड़ा जाएगा। Privilege Leave PL Rules And Forms

2- विश्रामकालिन विभाग का कोई कर्मचारी यदि किसी कैलेंडर वर्ष में विश्रामकालों का उपभोग नहीं कर सके तो उसे अनूपयोजित विश्रामकालों (vacations) के बदले में 15 दिनों के अनुपात में उपार्जित अवकाश दिए जाएंगे। यदि किसी कैलेंडर वर्ष में वह विश्रामकालों का बिल्कुल उपभोग नहीं कर सके तो उसे उस वर्ष में विश्राम काल के बदले 15 दिन का उपार्जित अवकाश देय होगा।
3-1-उपरोक्त प्रावधानों के बावजूद सिविल न्यायालय के एक अधिकारी या कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में 12 दिन की ही उपार्जित अवकाश देय है। उनके उपार्जित अवकाश लेखों में प्रत्येक 1 जनवरी को 6 तथा 1 जुलाई को 6 उपार्जित अवकाश अग्रिम जमा किए जाते हैं।

3-3- जब सिविल न्यायालय का अधिकारी किसी कैलेंडर वर्ष की छमाही में असाधारण अवकाश पर रहता है तो असाधारण अवकाशों की संख्या का 10 वां भाग उसके उपार्जित अवकाश लेखो में से कम किया जाएगा, इसकी अधिकतम सीमा उस छमाही में 6 दिन होगी।
3-4- जिस कैलेंडर वर्ष में सिविल नयायालय का अधिकारी या कर्मचारी विश्राम काल का उपभोग नहीं कर सके उस वर्ष कुल विश्रामकाल की अवधि के बदले 18 दिनों के अनुपात में PL देय होंगे। Privilege Leave PL Rules And Forms

3-5- किसी कैलेंडर वर्ष की एक छमाही के बीच में सेवा से त्यागपत्र, सेवा समाप्ति, सेवा से निष्कासन / बर्खास्तगी, सेवा में रहते मृत्यु या सेवानिवृत्ति आदि के कारण सेवा में नहीं रहे तो कर्मचारी को एक जनवरी या एक जुलाई से उस घटना के घटित होने की तिथि वाले माह के अंत तक पूर्ण होने वाले प्रत्येक माह हेतु एक दिन का उपार्जित अवकाश देय होगा। Privilege Leave PL Rules And Forms

4- विश्राम काल ( vacations) का उपभोग किसी भी प्रकार के अवकाश के साथ एवं उनकी इन निरंतरता में किया जा सकता है। विश्राम काल तथा अवकाशों की अवधि दोनों मिलाकर कर्मचारी को सेवा नियम 91 के अनुसार एक समय में स्वीकृत किए जा सकने वाले उपार्जित अवकाश की संख्या से अधिक नहीं होनी चाहिए।

1- अर्द्ध- वेतन एवं रूपांतरित अवकाश की देयता-

1-1- राज्य कर्मचारी को प्रत्येक पूर्ण वर्ष की सेवा पर 20 दिन का अर्द्ध-वेतन अवकाश प्राप्त होगा।
1-2-कर्मचारी को देय अर्द्ध-वेतन अवकाश चिकित्सा-प्रमाण पत्र या निजी कारणों से स्वीकृत किए जा सकते हैं।

2-एक स्थाई कर्मचारी उसको देय अर्द्ध-वेतन अवकाशों की आधी संख्या तक रुपांतरित (commuted) अवकाश अपनी स्वयं की बीमारी के आधार पर स्वीकृत करा सकता है (अर्द्ध-वेतन अवकाशों का आधी संख्या में पूर्ण वेतन पर रूपान्तरण)। इसके लिए कर्मचारी को एक प्राधिकृत चिकित्सक से रोग प्रमाण-पत्र (sickness certificate) प्राप्त कर प्रस्तुत करना होगा। रुपांतरित अवकाश स्वीकृति की शर्तें-

1- कर्मचारी को रूपांतरित अवकाश स्वीकृत करने पर उसके अवकाश लेखों से दुगुनी संख्या में अर्द्ध- वेतन अवकाश घटा (debit) दिए जाएंगे।

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2-1 अवकाश स्वीकृतिकर्ता अधिकारी को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि अवकाश समाप्ति पर उस कर्मचारी के सेवा पर उन्हें उपस्थित होने की पूर्ण संभावना है।

2-2 देय अर्द्ध-वेतन अवकाशों में से 180 दिन तक के अर्द्ध-वेतन अवकाशों को एक समय में चिकित्सक के प्रमाण पत्र के बिना, सार्वजनिक हित में अनुमोदित पाठ्यक्रम के लिए, रुपांतरित अवकाश के रूप में स्वीकृत किया जा सकता है।

3- किसी स्थाई कर्मचारी को अदेय अवकाश (Leave not due) स्वीकृत किए जाने की शर्तें इस प्रकार है:

13-1- अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी संतुष्ट हो कि वह कर्मचारी अदेय अवकाशों की समाप्ति के बाद सेवा पर पुनः उपस्थित हो जाएगा.

3-2- अदेय अवकाशों की संख्या उस अनुमानित संख्या तक ही होनी चाहिए

3-2- अदेय अवकाशों की संख्या उस अनुमानित संख्या तक ही होनी चाहिए जो कर्मचारी द्वारा अवकाश से लौटकर अर्द्ध-वेतन अवकाश के रूप में अर्जित की जा सके,

3-3- कर्मचारी के संपूर्ण सेवा काल में अधिकतम 360 दिन का अदेय अवकाश दिया जा सकेगा। एक बार में 90 दिन तक तथा चिकित्सा प्रमाण- पत्र के आधार के अतिरिक्त अन्य आधार पर 180 दिन तक का ही अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।
3-4-अदेय अवकाश करमचारी के अर्द्ध-वेतन अवकाश के खाते में डेबिट किए जाएंग तथा उन्हें कर्मचारी द्वारा भविष्य में अर्जित किए जाने वाले अर्द्ध-वेतन अवकाश से समायोजित किया जाएगा।

4- एक कर्मचारी जिसे संबंधित सेवा नियमों के अंतर्गत अथवा सेवा नियम नहीं होने पर सक्षम राजकीय आदेश के अंतर्गत अस्थाई रूप से नियुक्त किया गया है तथा जो उस पद की शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव की पात्रता पूर्ण करता है, उसे 3 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के पश्चात रुपांतरित अवकाश तथा अदेय अवकाश स्वीकृत किए जा सकेंगे

5-यदि किसी कर्मचारी को रूपांतरित अवकाश अथवा अदेय अवकाश स्वीकृत किया गया हो और उसकी सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाए अथवा उसे राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 35 के अंतर्गत असमर्थता के आधार पर सेवानिवृत कर दिया जाए तो अवकाश वेतन संबंधी कोई वसूली नहीं की जाएगी। अन्य मामलों जैसे त्यागपत्र, स्वैच्छिक सेवानिवृति, सेवा से निष्कासन या बर्खास्तगी आदि में अवकाश वेतन की नियमानुसार वसूली की जाएगी।

  1. एक सरकारी कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिन का उपार्जित अवकाश (Privilege Leave)  देय होता है
  2. एक कर्मचारी अपने अवकाश लेखो में अधिकतम 300 उपार्जित अवकाश अंकित कर सकता है
  3. किसी सरकारी कर्मचारी को एक बार में अधिकतम 120 दिन तक का उपार्जित अवकाश (Privilege Leave) स्वीकृत किया जा सकता है l टी बी, कैंसर, कुष्ठ जैसे रोगों इलाज के लिए 300 दिन तक का उपार्जित अवकाश एक बार में स्वीकृत किया जा सकता है
  4. किसी कैलेंडर वर्ष की एक छह माही के बीच सेवा में नियुक्त होने वाले कर्मचारी को उसके द्वारा की गई प्रत्येक एक माह की पूर्ण सेवा के लिए २.5 दिन का उपार्जित अवकाश जमा किया जाएगा l इसी प्रकार किसी कर्मचारी की किसी कैलेंडर वर्ष की एक छह माही के बीच मृत्यु, पद त्याग, बर्खास्तगी की स्थिति में कर्मचारी को उसके द्वारा की गई प्रत्येक पूर्ण एक माह की  सेवा के लिए २.5 दिन का उपार्जित अवकाश जमा किया जाएगा Privilege Leave (PL) Rules And Forms
  5. राजस्थान सिविल सेवा [पद भार ग्रहण काल] नियम १९८१ के नियम ५४ के अनुसार पद भार ग्रहण कल का पूर्ण उपयोग किये बिना ही जब कोई कर्मचारी अपने नवीन पद पर कार्य ग्रहण कर लेता है तो अनुपियोजित पद भार ग्रहण काल से सामान संख्या में अधिकतम 15 उपार्जित अवकाश उसके लेखो में जोड़ दिए जायेंगे लेकिन ऐसे उपार्जित अवकाश (Privilege Leave) को जोड़ने पर कर्मचारी के अवकाश का अधिकतम बैलेंस 300 से ज्यादा नहीं होगा
  6. एक राज्य कर्मचारी प्रत्येक वर्ष में एक बार अधिकतम 15 दिनों का उपार्जित अवकाश समर्पित कर उनके बदले नकद भुगतान प्राप्त कर सकता है [ नियम 91क ] परन्तु किसी अस्थाई कर्मचारी को एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने से पूर्व उपार्जित अवकाश के नकद भुगतान की स्वीकृति नहीं दी जाएगी Privilege Leave (PL) Rules And Forms
  7. समर्पित उपार्जित अवकाश के नकद भुगतान पर कर्मचारी को उस दर से वेतन तथा भत्ते दिए जायेंगे जो अवकाशों के समर्पण का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की तिथि को प्रभावी थे
  8. अवकाश वेतन तथा भत्तों की गणना के लिए माह का तात्पर्य 30 दिन से है
  9. किसी कर्मचारी की सेवा निवृति पर उस दिन उसके अवकाश लेखों में बकाया अवकाशो के बदले उनके समान अवकाश वेतन की एकमुश्त राशि दी जाएगी लेकिन जिन कर्मचारियों को दंड स्वरुप अनिवार्य सेवा निवृति दी गई है उन्हें यह लाभ देय नहीं है l सेवा निवृति पर उपार्जित अवकाशों के नगद भुगतान पर के माह के 30 दिन मान कर नकद भुगतान की गणना की जाती है
  10. शीतकालीन अवकाश, मध्यावधि अवकाश ग्रीष्मावकाश में कार्य करने एवं प्रशिक्षण में भाग लेने के एवज में प्रति 3 दिन पर एक दिन का उपार्जित अवकाश (Privilege Leave) कर्मचारी के लेखे में जोड़ा जायेगा परन्तु एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिन से अधिक अवकाश कदापि नहीं जोड़े जायेंगे lपरन्तु स्थानान्तरण पर देय योग काल का उपभोग नही करने पर जुड़ने वाले उपार्जित अवकाश अतिरिक्त होंगे । अवकाश का उपभोग करने पर एक दिन में एक उपार्जित अवकाश  कम किया जायेगा ।
  11. विद्यालयों में अध्यापन कराने वाले शिक्षकों को एक कैलेंडर वर्ष में 15 उपार्जित अवकाश (Privilege Leave) देय होगा। किसी कैलेंडर वर्ष की एक छह माही के बीच सेवा में नियुक्त होने वाले शिक्षक को उसके द्वारा की गई प्रत्येक एक माह की पूर्ण सेवा के लिए 1.25  दिन का उपार्जित अवकाश जमा किया जाएगा

सरकार द्वारा स्थानान्तरण किये जाने पर एक हजार कि.मी. तक की दूरी वाले स्थान पर कार्यग्रहण करने हेतु 10 दिनों का योगकाल देय है जिसका उपभोग नहीं करने पर निर्धारित प्रारुप में इसके बदले 10 पी. एल. सेवा पुस्तिका में जुड़ाने हेतु आवेदन करना चाहिये । यह अवकाश आहरण एवं वितरण अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाता है। उपार्जित अवकाश का उपभोग करने के बाद कार्य ग्रहण हेतु प्रार्थना पत्र देना चाहिये । Privilege Leave (PL) Rules And Forms

SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति

सेवानिवृति पर पी. एल. का नकद भुगतान = सेवा निवृत्ति के दिन देय वेतन (मय डीपी व डी. ए. )/30 x उपार्जित अवकाश बकाया दिन

 1-A Government servant may opt for credit of privilege leave into their privilege leave account on the basis of monthly credit as is allowed in the case of Government servants appointed during the calendar year. The rate of credit of privilege leave into privilege leave account on monthly basis is given below: —

Category of Government servantsRate of credit of P.L, per month.
(1)Government servants who are entitled for 30 days privilege leave in a calendar year2.5 days 
(2) R.A.C. personnel3.5 days
(3) Staff of Courts1 day.

2- In case of resignation, termination, discharge, removal or dismissal from service or death while in service or on retirement from service the privilege leave shall be reckoned with effect from 1st January or 1st July as the case may be in the half year of occurrence of the event and credited to his leave account at the rate of 2.5 days or 3.5 days in case of R.A.C.

Rajasthan Office Related Format | कार्यालय उपयोग सम्बन्धी प्रपत्र और फॉर्म

personnel for each completed calendar month up to the end of the month in which he ceases to be in service

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लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है खास

लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है खास

Guidelines suspension reinstatement of Employees : लोकसेवक बहाली निलंबन को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है – खास सरकार ने अपराध की प्रकृति और अलग-अलग स्थितियों अनुसार  लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर पहली बार बहुत विस्तार से दिशानिर्देश जारी किए हैं| Guidelines suspension reinstatement of Employees

कार्मिक विभाग की ओर से जारी इन दिशानिर्देशों के तहत किसी भी लोकसेवक से जुड़े आपराधिक प्रकरण में  पुलिस या संबंधित अनुसंधान एजेंसी के 2 साल तक कोर्ट में चालान पेश नहीं करने पर बहाली के लिए समिति के सामने उसके प्रकरण को रखा जा सकता है. इसी तरह अलग-अलग स्थितियों में निलंबन, बहाली या अन्य कार्रवाइयों के लिए व्यापक लाइन ऑफ एक्शन तय किया गया है।

कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार ने विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों/ प्रमुख सचिवों/ सचिवों को परिपत्र जारी करके लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर अलग-अलग स्थितियों अनुसार विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।

Guidelines suspension reinstatement of Employees

1. किसी लोकसेवक को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया जाता है अथवा भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य मामले में 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो संबंधित लोकसेवक को तत्काल निलम्बित किया जावें।

लोकसेवकों के ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति जारी होने तथा सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु गठित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।

2. भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य प्रकरणों (रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तारी से भिन्न) में, आय से अधिक सम्पत्ति अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रकरणों में यदि संबंधित लोक सेवक को पूर्व में निलम्बित नहीं किया गया है तो प्रकरण में लोकसेवक के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति जारी होने पर प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।

यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।

Guidelines suspension reinstatement of Employees लोकसेवक बहाली निलंबन को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है खास
Guidelines suspension reinstatement of Employees

1. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous ) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees

लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।

2. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे । Guidelines suspension reinstatement of Employees

यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।


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1. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरुपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे।

लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।

2. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरूपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।

यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।

Guidelines suspension reinstatement of Employees

पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees

पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees

ऐसे प्रकरणों में निलम्बित लोकसेवकों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय नियम 13 ( 5 ) के तहत प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार करते हुए निलम्बन से बहाल करने के आदेश जारी किये जा सकते हैं। निलम्बन से बहाली हेतु ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने की आवश्यकता नहीं है। Guidelines suspension reinstatement of Employees

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1. पुनर्विलोकन समिति प्रत्येक प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार कर लोक सेवक के निलम्बन को समाप्त करने अथवा यथावत् रखने बाबत अपनी अभिशंषा करेगी। समिति की अभिशंषा पर निलम्बन से बहाली पश्चात् संबंधित विभाग लोक सेवक का पदस्थापन न्यून जनसंपर्क एवं कम महत्व के पद पर ऐसे अन्यत्र स्थान पर किया जाना सुनिश्चित करेगा जो कि उसके घटना स्थल से भिन्न एवं दूरस्थ स्थान पर हो । Guidelines suspension reinstatement of Employees

2. आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन से संबंधित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने योग्य मामलों में यदि अनुसंधान एजेंसी द्वारा 2 वर्ष की अवधि व्यतीत होने के पश्चात् भी अनुसंधान पूर्ण कर सक्षम न्यायालय में चालान अथवा सक्षम प्राधिकारिता को अभियोजन प्रस्ताव प्रेषित नहीं किया गया है तो ऐसे निलम्बित लोकसेवक के प्रकरण को भी बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखा जावे।।

3. पुनर्विलोकन समिति की बैठक चार माह में एक बार आवश्यक रूप से आयोजित की जावेगी।

4. आपराधिक मामलों में निलम्बित लोकसेवकों द्वारा निलम्बन आदेश के विरूद्ध मा. न्यायालय में याचिका / अपील दायर करने तथा मा. न्यायालय द्वारा सक्षम प्राधिकारी को सेवा नियमों के अनुरूप प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करने के निर्देश दिए जाने पर संबंधित प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण आधारित परीक्षण कर सक्षम प्राधिकारी द्वारा समुचित स्वमुखरित / सकारण आदेश (Speaking order) जारी किए जावे। ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष नहीं रखा जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees

5. यदि किसी आपराधिक प्रकरण में विचारण न्यायालय द्वारा किसी लोक सेवक को दोषमुक्त कर दिया गया है तो ऐसे लोकसेवक को सामान्यतः निलम्बन से बहाल कर दिया जाना चाहिए चाहे राज्य सरकार ने ऐसे प्रकरण में मा, न्यायालय के आदेश के विरूद्ध अपील दायर कर दी हो। ऐसे मामलों में पुनर्विलोकन समिति की अभिशंषा की आवश्यकता नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees

6. आपराधिक प्रकरणों में लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम प्राधिकारी द्वारा यदि अभियोजन मनाही का निर्णय लिया गया है तो ऐसे प्रकरणों में निलम्बन समाप्त कर बहाली आदेश जारी किये जायेंगे। Guidelines suspension reinstatement of Employees

7. लोक सेवक को 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखे जाने पर निलम्बन का आदेश नियम 13(2) के तहत् जारी किया जावे तथा शेष अन्य मामलों में निलम्बन का आदेश नियम 13 (1) के तहत् जारी किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees CLICK HERE

यहाँ हम राजस्थान सरकार के कार्मिको के लिए जारी दिशा निर्देश का एक सार प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं कि –

इन दिशानिर्देशों में यह है खास:- 

  • – अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने जो प्रकरण रखे जाते हैं उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान पेश नहीं किया तो बहाली संभव है.
  • – इसके लिए चालान पेश नहीं होने पर 2 साल बाद प्रकरण  पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जा सकता है. 
  • – समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी. 
  • – साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी. 
  • – इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी  निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश. 
  • – बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखने.कम महत्व के पद पर ऐसी जगह पोस्टिंग करने के हैं निर्देश जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो.
  • – रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने वाले प्रकरण. 
  • – रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने व 48 घंटे तक कस्टडी में रहे तो संबंधित लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश. 
  • – ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति होने,कोर्ट में चालान पेश हो तो निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
  • – ऐसे लोकसेवक को पूर्व में निलंबित नहीं किया गया हो तो प्रकरण में लोकसेवक की जब अभियोजन स्वीकृति जारी होगी तब सक्षम अधिकारी परीक्षण करके निलंबन संबंधी लेंगे निर्णय.
  • – प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रवृत्ति, गंभीरता अनुरूप निर्णय के निर्देश.
  • – साथ ही लोकसेवक अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा और साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना का ध्यान रखकर निर्णय के निर्देश.
  • – प्रकरण में निलंबित करने पर कोर्ट में चालान पेश होने पर रखा जाएगा प्रकरण
  • – पुनर्विलोकन समिति के सामने निलंबन से बहाली के लिए रखा जाएगा.

दूसरी स्थिति:- 

हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या के प्रकरण हों, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग हो. ऐसे प्रकरणों में लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा में यदि 48 घंटे तक रखा जाए तो ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.

  • – इन प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश हो तो करेगी समिति विचार.
  • – तब निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
  • – राजकोष को हानि पहुंचाने, पद दुरूपयोग के अन्य प्रकरण, अन्य पुलिस द्वारा रजिस्टर्ड आपराधिक प्रकरण जैसी श्रेणियों अनुसार निर्देश.

तीसरी स्थिति:- 

हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी,भ्रूण हत्या मादक पदार्थों की तस्करी, सार्व.परीक्षा में अनुचित साधन उपयोग हो तो ऐसे आपराधिक प्रकरण में यदि लोकसेवक गिरफ्तार नहीं हुआ हो या गिरफ्तारी पर पुलिस/न्यायिक कस्टडी अवधि 48 घंटे या इससे कम है तो प्रकरण के तथ्यों,आरोप प्रकृति व गंभीरता अनुसार, लोकसेवक के अनुरूप आचरण या साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना के आधार पर होगा निर्णय.

  • – इन आधारों पर निलंबन को लेकर परीक्षण बाद होगा निर्णय
  • – निलंबन पर कोर्ट में चालान पेश हुआ तो बहाली के लिए हो सकेगा विचार
  • – इसके लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण

चौथी स्थिति:- 

गबन,पद के दुरूपयोग,राजकोष को हानि पहुंचाने के हों प्रकरण या पदीय दुरूपयोग के हों अन्य आपराधिक प्रकरण और लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों तक रखा कस्टडी में तो ऐसा लोकसेवक होगा तुरंत निलंबित.

  • – ऐसे प्रकरणों में कोर्ट ने यदि चालान पेश किया तो बहाली पर होगा विचार.
  • – ऐसे प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे बहाली के लिए.
  • – ऐसे प्रकरणों में गिरफ्तारी नहीं हो या 48 घंटे या उससे कम की हो कस्टडी तो विभिन्न मापदंड ध्यान में रखकर लिया जाएगा निलंबन का निर्णय.
  • – ऐसे प्रकरण में निलंबन होने पर कोर्ट में चालान पेश हो  तो बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जाएगा विचार के लिए. 

पांचवीं स्थिति:- 

जघन्य, गंभीर, गबन आदि के प्रकरणों के अलावा हो आपराधिक प्रकरण तो भी लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों की कस्टडी में लिया जाए. 

  • – तो भी ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित किया जाए.
  • – यदि गिरफ्तार नहीं किया या कस्टडी 48 घंटे या इससे कम है तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर होगा निलंबन का निर्णय
  • – बहाली के लिए समिति के सामने नहीं रखे जाएंगे ऐसे प्रकरण और समिति में विचार के बाद हो सकती बहाली. 

छठी स्थिति:- 

अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने रखे जानेवाले हैं जो प्रकरण उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान नहीं किया पेश तो बहाली के लिए प्रकरण रखा जा सकता पुनर्विलोकन समिति के सामने.

  • – समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी
  • – साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी
  • – इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
  • – बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखा जाएगा.
  • – कम महत्व के पद पर ऐसी जगह होगी उसकी पोस्टिंग
  • – जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो, यह करना होगा सुनिश्चित.

अन्य निर्देश:- 

  • – बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति की बैठक 4 माह में हो 1 बार
  • – निलंबन आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका/ अपील दायर की हो या कोर्ट अधिकारी को प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करे तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर सक्षम अधिकारी करेगा परीक्षण.
  • – संबंधित प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता का रखें ध्यान.
  • – साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, मौजूदा स्थिति पर हो विचार.
  • – फिर अधिकारी कारण सहित जारी करे स्पीकिंग ऑर्डर.
  • – ऐसे प्रकरण नहीं रखे जाएं पुनर्विलोकन समिति के सामने आपराधिक प्रकरण में कोर्ट लोकसेवक को दोषमुक्त कर दे तो ऐसे लोकसेवक को निलंबन से किया जाए बहाल
  • – भले ही कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने की हो अपील तब पुनर्विलोकन समिति की नहीं ली जाए अभिशंसा
  • – यदि सक्षम अधिकारी अभियोजन के लिए करता है मनाही तो ऐसे प्रकरणों में निलंबन समाप्त कर बहाली की जाए

दरअसल, कई बार अलग-अलग मामलों में विभागों की ओर से लाइन ऑफ एक्शन के लिए राय ली जाती है, इसलिए ये दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.  


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No.DOPT-1667564457999

भारत सरकार

कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग

(दिनांक 04 नवम्बर, 2022 )

निलंबन

निलंबन से संबंधित प्रावधान कई नियमों में फैले हुए हैं जैसे केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965, मौलिक नियम आदि। इसके अलावा, कई निलंबन के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले संचार के विभिन्न तरीकों जैसे ओएम आदि के रूप में कार्यकारी निर्देश समय-समय पर जारी किए गए हैं। अब, इन प्रावधानों के उचित कार्यान्वयन में मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से, इन प्रावधानों को समेकित करने और आवश्यकता पड़ने पर आसान पहुंच के लिए इन्हें सार्वजनिक डोमेन में रखने की आवश्यकता महसूस की गई है। तदनुसार, उक्त नियम/कार्यकारी निर्देश निम्नानुसार संकलित किए गए हैं: Guidelines suspension reinstatement of Employees

निलंबन, हालांकि जुर्माना नहीं है, लेकिन इसका सहारा संयमपूर्वक लिया जाना चाहिए।  जब भी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित किया जाता है तो सरकार न केवल उसकी सेवाएं खो देती है बल्कि उसे बिना काम करने के लिए भुगतान भी करती है।  इसके साथ एक कलंक भी जुड़ा होता है।  इसलिए, किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने का निर्णय सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करना होगा। [ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 3]

(a)  जहां, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार किया जा रहा है या लंबित है; या Guidelines suspension reinstatement of Employees

(b)  जहां, सक्षम प्राधिकारी की राय में, उसने खुद को राज्य की सुरक्षा के हित के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल कर लिया है;

या

(c)   जहां, किसी आपराधिक अपराध के संबंध में उसके खिलाफ मामला जांच, पूछताछ या परीक्षण के अधीन है। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees

(C) परिस्थितियाँ जिनके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा [निलंबन माना जाता है]

  • (a)  यदि सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक की अवधि के लिए हिरासत में रखा जाता है, चाहे वह आपराधिक आरोप पर हो या अन्यथा;
  • (b)  यदि, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने की स्थिति में, सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक कारावास की सजा सुनाई जाती है और उसे तुरंत बर्खास्त या हटाया नहीं जाता है या अनिवार्य रूप से नहीं हटाया जाता है ऐसी सजा के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्त हो गए।
  • स्पष्टीकरण – उपरोक्त खंड (बी) में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि की गणना दोषसिद्धि के बाद कारावास की शुरुआत से की जाएगी और इस प्रयोजन के लिए, कारावास की रुक-रुक कर अवधि, यदि कोई हो, को ध्यान में रखा जाएगा। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • किसी भी कारण से गिरफ्तार किए गए सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि वह अपनी गिरफ्तारी के तथ्य और उससे जुड़ी परिस्थितियों की जानकारी तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारी को दे, भले ही बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया हो। संबंधित व्यक्ति या किसी अन्य स्रोत से सूचना प्राप्त होने पर विभागीय अधिकारियों को यह निर्णय लेना चाहिए कि क्या व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार तथ्य और परिस्थितियां उसके निलंबन की मांग करती हैं। किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित करने में विफलता को महत्वपूर्ण जानकारी का दमन माना जाएगा और उसे केवल इस आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, उस कार्रवाई के अलावा जो परिणाम के आधार पर अपेक्षित हो सकती है। उसके खिलाफ पुलिस केस. [ओएम संख्या 39/59/54-स्था.(ए) दिनांक 25.02.1955]
  • (c)  जहां निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना अपील में या समीक्षा पर अलग रखा जाता है और मामले को माफ कर दिया जाता है आगे की जांच या कार्रवाई या किसी अन्य निर्देश के साथ, उनके निलंबन का आदेश बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से लागू माना जाएगा और अगले आदेश तक लागू रहेगा। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(3)]
  • (d) जहां किसी सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड किसी निर्णय के परिणामस्वरूप रद्द या घोषित या शून्य कर दिया जाता है। कानून की अदालत और अनुशासनात्मक प्राधिकारी, मामले की परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, उन आरोपों पर उसके खिलाफ आगे की जांच करने का निर्णय लेते हैं, जिन पर मूल रूप से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना लगाया गया था, सरकारी कर्मचारी होगा बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा और अगले आदेश तक निलंबन के तहत रहना जारी रहेगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • बशर्ते कि ऐसी किसी भी आगे की जांच का आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि इसका उद्देश्य ऐसी स्थिति को पूरा करना न हो जहां न्यायालय ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना पूरी तरह से तकनीकी आधार पर आदेश पारित कर दिया हो। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(4)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • (e) सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10(4) में विचारित आगे की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए, सिवाय उस मामले के जब बर्खास्तगी, निष्कासन का दंड हो या अनिवार्य सेवानिवृत्ति को तकनीकी आधार पर किसी न्यायालय द्वारा मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना या जब नई सामग्री सामने आई हो जो न्यायालय के समक्ष नहीं थी, रद्द कर दी गई हो। हालाँकि, उन आरोपों की आगे की जाँच, जिनकी जाँच न्यायालय द्वारा नहीं की गई है, नियम 10(4) के तहत विभागीय अधिकारियों द्वारा आदेश दिया जा सकता है ibid निर्भर करता है प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर। [ओएम संख्या 11012/24/77-स्था.(ए) दिनांक 18.03.1978] Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • (f)  एक प्रश्न कि क्या सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 (2) के तहत आने वाले मामले में निलंबन के आदेश की अवधि के लिए सीमित कार्रवाई है हिरासत और इससे परे नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राजीव कुमार (2003 (5) स्केल 297) के मामले में विचार किया था। इस मामले में भारत संघ की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नियम 10 (2) के संदर्भ में आदेश नहीं है। अवधि या प्रभावकारिता का बिंदु केवल हिरासत की वास्तविक अवधि तक। यह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम 5 (ए) में दिए गए उप-नियम 5 (सी) के तहत संशोधित या निरस्त होने तक क्रियाशील रहेगा। [ओएम संख्या 11012/8/2003-स्था.(ए) दिनांक 23.10.2003] Guidelines suspension reinstatement of Employees

(i)          ऐसे मामले जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से जांच, मुकदमे या किसी पूछताछ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा (उदाहरण के लिए गवाहों या दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका);

(ii)         जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से उस कार्यालय में अनुशासन गंभीर रूप से नष्ट होने की संभावना है जिसमें लोक सेवक काम कर रहा है;

(iii)        जहां सरकारी कर्मचारी का पद पर बने रहना व्यापक सार्वजनिक हित के विरुद्ध होगा [(i) और (ii) द्वारा कवर किए गए लोगों को छोड़कर] जैसे कि वहां सार्वजनिक घोटाला है और ऐसे घोटालों, विशेषकर भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों से सख्ती से निपटने की सरकार की नीति को प्रदर्शित करने के लिए सरकारी कर्मचारी को निलंबित करना आवश्यक है; Guidelines suspension reinstatement of Employees

(iv)        जहां सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं और प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है जो उसके अभियोजन को उचित ठहराएगा या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है विभागीय कार्यवाही, और जहां कार्यवाही उसकी दोषसिद्धि और/या बर्खास्तगी, निष्कासन या सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति में समाप्त होने की संभावना है। Guidelines suspension reinstatement of Employees

ध्यान दें: पहले तीन परिस्थितियों में अनुशासनात्मक प्राधिकारी अपने विवेक का प्रयोग करके किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित कर सकता है, भले ही मामले की जांच चल रही हो और प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने से पहले भी।

(v)         नीचे बताई गई परिस्थितियों में निलंबन वांछनीय हो सकता है:-

a)           कोई भी अपराध या आचरण जिसमें नैतिक अधमता शामिल हो;

b)           भ्रष्टाचार, सरकारी धन का गबन या दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति का कब्ज़ा, व्यक्तिगत लाभ के लिए आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग;

c)           कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही और लापरवाही के परिणामस्वरूप सरकार को काफी नुकसान हुआ;

d)           कर्तव्य से विमुख होना;

e)           वरिष्ठ अधिकारियों के लिखित आदेशों को पूरा करने से इनकार करना या जानबूझकर विफलता। Guidelines suspension reinstatement of Employees

नोट: उप खंड (सी) और (ई) में निर्दिष्ट दुष्कर्म के प्रकारों के संबंध में विवेक का प्रयोग सावधानी से किया जाना चाहिए। [ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 4]

यदि पुलिस ने किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी [दहेज हत्या] के तहत मामला दर्ज किया है, तो वह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम (1) के प्रावधानों को लागू करके सक्षम प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में निलंबन के तहत रखा जाएगा-

(i)          यदि सरकारी कर्मचारी को पुलिस मामला दर्ज करने के संबंध में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे हिरासत की अवधि की परवाह किए बिना तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees

(ii)         यदि उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो उसे आपराधिक संहिता की धारा 173 की उप-धारा (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। प्रक्रिया, 1973, मजिस्ट्रेट के पास, यदि रिपोर्ट प्रथम दृष्टया इंगित करती है कि अपराध सरकारी कर्मचारी द्वारा किया गया है। [ओएम संख्या 11012/8/87-स्था.(ए) दिनांक 22.06.1987]

Ø निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी को रखने के लिए प्राधिकारी सक्षम

(i)          नियुक्ति प्राधिकारी, या

(ii)         कोई भी प्राधिकारी जिसके अधीन नियुक्ति प्राधिकारी है, या

(iii)        अनुशासनात्मक प्राधिकारी, या

(iv)        सामान्य या विशेष आदेश द्वारा राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में सशक्त कोई अन्य प्राधिकारी।

बशर्ते कि, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा के एक सदस्य के संबंध में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा किए गए निलंबन के आदेश के मामले को छोड़कर और एक सहायक महालेखाकार या समकक्ष (भारतीय के नियमित सदस्य के अलावा) के संबंध में लेखापरीक्षा और लेखा सेवा), जहां निलंबन का आदेश नियुक्ति प्राधिकारी से निचले प्राधिकारी द्वारा किया जाता है, ऐसा प्राधिकारी तुरंत नियुक्ति प्राधिकारी को उन परिस्थितियों की रिपोर्ट करेगा जिनमें आदेश दिया गया था। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(1)]

Ø मुख्यालय के बाहर स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में पर्यवेक्षी अधिकारियों को, जहां भी आवश्यक हो, विशेष आदेश जारी करके, नीचे उल्लिखित शर्तों के अधीन, अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निलंबित करने का अधिकार दिया जा सकता है। सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के अनुसरण में राष्ट्रपति के नाम पर आदेश: Guidelines suspension reinstatement of Employees

मुख्यालय से दूर स्थित कार्यालयों में केवल पर्यवेक्षी अधिकारियों को कर्तव्यों के घोर लापरवाही के मामले में अधीनस्थ अधिकारी को निलंबित करने के लिए विशेष रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है। इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए निलंबित प्राधिकारी को प्रत्येक मामले के तथ्यों को तुरंत अगले उच्च प्राधिकारी को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होनी चाहिए, और निलंबन के ऐसे सभी आदेश तब तक शून्य हो जाने चाहिए जब तक कि एक अवधि के भीतर समीक्षा प्राधिकारी द्वारा इसकी पुष्टि न कर दी जाए। आदेश की तारीख से महीना.  [ओएम संख्या 7/4/74-स्था.(ए) दिनांक 9.08.1974] Guidelines suspension reinstatement of Employees

 मानित निलंबन के संबंध में आदेश जारी करने के लिए प्राधिकारी सक्षम-

नियुक्ति प्राधिकारी [CCS (CCA) नियम, 1965 के नियम 10(2)]

यदि निलंबन के कारण निलंबन आदेश में नहीं बताए गए हैं, तो तीन महीने के भीतर सूचित किया जाना चाहिए। [ओएम संख्या 11012/17/2013-Estt.A दिनांक 02.01.2014 का पैरा 5]

(i)       निलंबन का आदेश किया गया या किया हुआ समझा गया, उस प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय संशोधित या रद्द किया जा सकता है जिसने आदेश दिया या ऐसा माना जाता है कि उसने आदेश दिया है या किसी भी प्राधिकारी द्वारा जिसके वह प्राधिकारी अधीनस्थ है। [CCS(CCA) नियम, 1965 के नियम 10(5) (सी)]

(ii)      निलंबन का आदेश किया गया या किया गया माना गया, उसकी प्रभावी तिथि से 90 दिन की समाप्ति से पहले, निलंबन को संशोधित करने या रद्द करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा समीक्षा की जाएगी। निलंबन की तारीख, इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर और निलंबन को बढ़ाने या रद्द करने के आदेश पारित करें।  निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी।निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी।  निलंबन का विस्तार एक बार में 180 दिनों से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees

(iii)     निलंबन का आदेश 90 दिनों की अवधि के बाद वैध नहीं होगा, जब तक कि इसे समीक्षा के बाद आगे की अवधि के लिए नहीं बढ़ाया जाता है। 90 दिनों की समाप्ति. Guidelines suspension reinstatement of Employees

बशर्ते कि निलंबित किए जाने के मामले में निलंबन की ऐसी कोई समीक्षा आवश्यक नहीं होगी, यदि सरकारी सेवक हिरासत में रहता है और ऐसे मामले में नब्बे दिन की अवधि की गणना हिरासत में हिरासत में लिए गए सरकारी सेवक की रिहाई की तारीख से की जाएगी। निरोध या वह तारीख जिस पर निरोध से उसकी रिहाई का तथ्य उसके नियुक्ति प्राधिकारी को सूचित किया जाता है, जो भी बाद में हो:

बशर्ते कि ऐसे मामले में जहां इन नियमों के तहत कोई आरोप पत्र जारी नहीं किया गया है, उप-नियम (6) के संदर्भ में किसी भी विस्तारित अवधि सहित, जैसा भी मामला हो, निलंबन या समझा गया निलंबन के तहत कुल अवधि, – से अधिक नहीं होगी।

  • निलंबन आदेश की तारीख से दो सौ सत्तर दिन बाद, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-नियम (1) के खंड (ए) के अनुसार निलंबित कर दिया जाता है ); या
  • निलंबन के आदेश की तारीख से दो वर्ष, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-खंड (एए) या खंड (बी) के संदर्भ में निलंबित कर दिया गया है। नियम (1) जैसा भी मामला हो; या
  • हिरासत में हिरासत में लिए गए सरकारी कर्मचारी को रिहा करने की तारीख से दो वर्ष या वह तारीख जब हिरासत से उसकी रिहाई के तथ्य की सूचना उसके नियुक्ति प्राधिकारी को दी जाती है, जो भी हो बाद में, उप-नियम (2) के तहत निलंबित माना जाएगा। [नियम 10(6) & (7) सीसीएस(सीसीए) नियम, 1965] [अधिसूचना संख्या जीएसआर 156 दिनांक 19.10.2022]

(iv)        लंबी निलंबन अवधि के मामलों में, अदालतों ने बताया है कि निलंबन को लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है और डीओपी एंड टी के निर्देशों के बावजूद, अनुशासनात्मक अधिकारी निर्धारित समय के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम रूप नहीं दे रहे हैं। साथ ही, ऐसे मामलों में सरकार अनावश्यक रूप से बिना किसी कार्य के जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान कर रही है |

और यदि अनुशासनात्मक कार्यवाही की समाप्ति पर, आरोपित अधिकारी आरोप से मुक्त हो जाता है, तो सरकार को अनावश्यक रूप से पूरा वेतन देना होगा और अवधि का इलाज करना होगा। ड्यूटी आदि के दौरान निलंबन। इसलिए, यह वांछनीय है कि निलंबन की समय पर समीक्षा उचित और उचित तरीके से की जाए और अनुशासनात्मक कार्यवाही को शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाए। [ओएम संख्या 11012/17/2013-Estt.A-III दिनांक 18.11.2014] Guidelines suspension reinstatement of Employees

(i)              इस नियम के तहत किए गए या किए गए माने गए निलंबन आदेश की समीक्षा इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाएगी।. Guidelines suspension reinstatement of Employees

(ii)             समीक्षा समिति की संरचना:

  • अनुशासनात्मक प्राधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी और उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक/अपीलीय प्राधिकारी के स्तर का एक अन्य अधिकारी (यदि कोई अन्य अधिकारी हो) समान कार्यालय में समान स्तर उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां राष्ट्रपति अनुशासनात्मक प्राधिकारी या अपीलीय प्राधिकारी नहीं है।
  • अनुशासनात्मक प्राधिकारी और सचिव/अपर स्तर के दो अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक प्राधिकारी के समकक्ष या उच्चतर पद पर हैं (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अपीलीय प्राधिकारी है राष्ट्रपति.
  • सचिव/अपर स्तर के तीन अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी विभाग/कार्यालय या किसी अन्य केंद्र सरकार विभाग/कार्यालय से निलंबित अधिकारी से उच्च पद पर हों (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी राष्ट्रपति है.

संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग/कार्यालय ऊपर बताए अनुसार स्थायी आधार पर या तदर्थ आधार पर समीक्षा समितियों का गठन कर सकता है।

(iii)            समीक्षा समिति मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह भी ध्यान में रखते हुए निलंबन को रद्द करने/जारी रखने के संबंध में विचार कर सकती है अनुचित रूप से लंबे समय तक निलंबन, संबंधित कर्मचारी को अनुचित कठिनाई में डालते हुए, कर्मचारी को सरकार के लिए कोई उपयोगी सेवा किए बिना निर्वाह भत्ते का भुगतान करना शामिल है।

पूर्वगामी पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि अधिकारी अदालत में कोई आरोप दायर किए बिना एक वर्ष के लिए निलंबित है या विभागीय जांच में कोई चार्ज-मेमो जारी नहीं किया गया है, तो उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के सेवा में बहाल कर दिया जाएगा। उसके खिलाफ मामला।  हालाँकि, यदि अधिकारी पुलिस/न्यायिक हिरासत में है या किसी गंभीर अपराध या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले का आरोपी है, तो समीक्षा समिति उसके निलंबन को जारी रखने की सिफारिश कर सकती है। संबंधित अधिकारी. [ओएम संख्या 11012/4/2003-स्था.(ए) दिनांक 07.01.2004] Guidelines suspension reinstatement of Employees

जीवन निर्वाह भत्ता

निलंबित सरकारी कर्मचारी को कोई वेतन नहीं दिया जाता है, लेकिन उसे छुट्टी वेतन के बराबर राशि का निर्वाह भत्ता दिया जाता है, जिसे सरकारी कर्मचारी तब लेता जब वह आधे औसत वेतन या आधे वेतन पर छुट्टी पर होता और इसके अलावा महंगाई भत्ता भी लेता। यदि ऐसे अवकाश वेतन के आधार पर स्वीकार्य हो। 

जहां निलंबन की अवधि 3 महीने से अधिक हो जाती है, वह प्राधिकारी जिसने निलंबन का आदेश दिया है या माना जाता है कि वह पहले तीन महीनों की अवधि के बाद किसी भी अवधि के लिए निर्वाह भत्ते की राशि को निम्नानुसार भिन्न करने में सक्षम होगा:

  •  निर्वाह भत्ते की राशि उपयुक्त राशि से बढ़ाई जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं हो, यदि उक्त प्राधिकारी की राय, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ा दी गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार नहीं है;
  • निर्वाह भत्ते की राशि, एक उपयुक्त राशि से कम की जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं होगी, यदि, उक्त प्राधिकारी की राय में, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाई गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • महंगाई भत्ते की दर उप-खंड (i) के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ते की बढ़ी हुई या, जैसा भी मामला हो, घटी हुई राशि पर आधारित होगी। और (ii) ऊपर.  [FR 53 (1)(ii)(a)]

 कोई अन्य प्रतिपूरक भत्ता

निलंबित सरकारी कर्मचारी भी इसका हकदार है:

  • समय-समय पर स्वीकार्य कोई भी अन्य प्रतिपूरक भत्ता, उस वेतन के आधार पर, जो सरकारी कर्मचारी निलंबन की तिथि पर प्राप्त कर रहा था, बशर्ते कि ऐसे भत्तों के आहरण के लिए निर्धारित अन्य शर्तें पूरी की जाती हों। [FR 53 (1)(ii)(b)]
  • कोई भुगतान तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि सरकारी कर्मचारी यह प्रमाण पत्र नहीं दे देता कि वह किसी अन्य रोजगार, व्यवसाय, पेशे या व्यवसाय में संलग्न नहीं है। [एफआर 53(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees

निर्वाह भत्ते से वसूली-


अनिवार्य कटौतियाँ लागू की जाएँ
निलंबित अधिकारी की इच्छानुसार कटौतियाँकटौती नहीं की जाएगी 
(i)     आय कर(ii)   घर का किराया (लाइसेंस शुल्क) और संबद्ध शुल्क(iii)  सरकार से लिए गए ऋणों और अग्रिमों का पुनर्भुगतान – वसूली की दर विभाग प्रमुख द्वारा निर्धारित की जाएगी(iv)  सीजीएचएस योगदान(v)   CGEGIS सदस्यता(i)    पीएलआई प्रीमियम(ii)   सहकारी दुकानों/सोसाइटियों को देय राशि(iii) जीपीएफ अग्रिम का रिफंड(i)   GPF सदस्यता(ii) अदालत की कुर्की के कारण देय राशि(iii)      सरकार को हुए नुकसान की वसूली 
Guidelines suspension reinstatement of Employees

[ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 2.01.2014 का पैरा 14]

निलंबित अधिकारी पर अन्य लोगों के साथ डीपीसी द्वारा विचार किया जाएगा।  हालांकि, निलंबित अधिकारियों के संबंध में सिफारिशें एक सीलबंद कवर में रखी जाएंगी।< a i=2>अनुशासनात्मक/आपराधिक कार्यवाही के परिणाम के आधार पर सीलबंद लिफाफे को खोला/नहीं खोला जाएगा (अर्थात सीलबंद लिफाफे में निहित अनुशंसा पर कार्रवाई नहीं की जाएगी)। 

यदि किसी अधिकारी को डीपीसी की बैठक के बाद लेकिन वास्तव में पदोन्नत होने से पहले निलंबित कर दिया जाता है, तो सिफारिशों को सीलबंद लिफाफे में रखा गया माना जाएगा। [ओएम संख्या 22011/4/91-स्था(ए) दिनांक 14.09.1992] & [ओएम संख्या ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 11] Guidelines suspension reinstatement of Employees

यदि रिपोर्टिंग/समीक्षा अधिकारी उस समय निलंबित है जब गोपनीय रिपोर्ट लिखी/समीक्षा की जानी है, तो उसे निलंबित किए जाने की तारीख से दो महीने के भीतर या एक महीने के भीतर संबंधित अधिकारी द्वारा इसे लिखा/समीक्षा करवाई जा सकती है। उस तारीख से जिस दिन रिपोर्ट देय थी, जो भी बाद में हो। निलंबित अधिकारी को ऊपर निर्दिष्ट समय सीमा के बाद गोपनीय रिपोर्ट लिखने/समीक्षा करने के लिए नहीं कहा जाएगा।  [ओएम संख्या 21011/2/78-स्था.(ए) दिनांक 01.08.1978]

निलंबित किसी भी अधिकारी को अपने अधीनस्थों की एसीआर लिखने/समीक्षा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, यदि लेखन/समीक्षा के प्रमुख भाग के दौरान वह निलंबित है क्योंकि उसके पास अपने अधीनस्थों के काम की निगरानी करने का पूरा अवसर नहीं हो सकता है। [ओएम संख्या 21011/8/2000-स्था.(ए) दिनांक 25.10.2000] Guidelines suspension reinstatement of Employees

निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी एलटीसी का लाभ नहीं उठा सकता क्योंकि उसे निलंबन की अवधि के दौरान आकस्मिक अवकाश सहित कोई छुट्टी नहीं मिल सकती है।  चूंकि वह निलंबन की अवधि के दौरान सेवा में बना रहता है , उनके परिवार के सदस्य एलटीसी के हकदार हैं। [ओएम संख्या ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 12]

निलंबित सरकारी कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी जा सकती। [FR-55]

निलंबन के तहत एक अधिकारी को आम तौर पर सरकारी कर्मचारियों पर लागू होने वाली सेवा की सभी अन्य शर्तों के अधीन माना जाता है और वह पूर्व अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ सकता है।  इस प्रकार, एक सरकार का मुख्यालय आमतौर पर नौकर को उसकी ड्यूटी का अंतिम स्थान माना जाना चाहिए।  किसी अधिकारी को निलंबित करने के आदेश में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए कि उसका मुख्यालय क्या होगा।

हालाँकि, जहां निलंबित व्यक्ति मुख्यालय बदलने का अनुरोध करता है, तो सक्षम प्राधिकारी को मुख्यालय बदलने पर कोई आपत्ति नहीं है यदि वह संतुष्ट है कि इस तरह के पाठ्यक्रम से सरकार को टी.ए. अनुदान जैसा कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। आदि या अन्य जटिलताएँ। [ओएम संख्या कार्यालय ज्ञापन संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 10] Guidelines suspension reinstatement of Employees

उद्देश्यअनुदेश/दिशानिर्देश
पदोन्नतिOM नं. 22034/4/2012-स्था(डी) दिनांक 02.11.2012
(i)    पैनलमेंट(ii)   कोई भी प्रतिनियुक्ति जिसके लिए मंजूरी आवश्यक है(iii) संवेदनशील पोस्ट पर नियुक्ति(iv) प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए असाइनमेंट (अनिवार्य प्रशिक्षण को छोड़कर)ओएम संख्या 11012/11/2007-स्था.(ए) दिनांक 14.12.2007, समय-समय पर संशोधित। 
पासपोर्ट प्राप्त करनाकार्यालय ज्ञाप संख्या 11012/7/2017-Estt.A-III दिनांक 18.02.2020
विदेश की निजी यात्राकार्यालय ज्ञाप संख्या 11013/8/2015-Estt.A-III दिनांक 27.07.2015
Guidelines suspension reinstatement of Employees

नियुक्ति के लिए किसी सरकारी कर्मचारी के आवेदन पर, चाहे वह सीधी भर्ती से हो, प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण हो या किसी अन्य पद पर स्थानांतरण हो, विचार नहीं किया जाना चाहिए/अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए यदि वह निलंबित है। Guidelines suspension reinstatement of Employees

[ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 15]

जहां एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबित है, अपना इस्तीफा देता है, सक्षम प्राधिकारी को सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक मामले की योग्यता के संदर्भ में जांच करनी चाहिए कि क्या इस्तीफा स्वीकार करना सार्वजनिक हित में होगा। आम तौर पर, चूंकि अधिकारियों को गंभीर अपराध के मामलों में ही निलंबित किया जाता है, इसलिए निलंबित अधिकारी से इस्तीफा स्वीकार करना सही नहीं होगा। इस नियम के अपवाद वे होंगे जहां कथित अपराध में नैतिक अधमता शामिल नहीं है

या जहां अधिकारी के खिलाफ सबूत इस धारणा को सही ठहराने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं कि विभागीय कार्यवाही जारी रहने पर सेवा से बर्खास्तगी/बर्खास्तगी हो सकती है, या जहां विभागीय कार्यवाही जारी रहेगी इतने लंबे खिंचने की संभावना है कि सरकारी खजाने के लिए इस्तीफा स्वीकार करना सस्ता होगा। [ओएम नंबर 28034/4/94-स्था.(ए) दिनांक 31.05.1994या [ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01 का पैरा संख्या 16(सी)। 2014] Guidelines suspension reinstatement of Employees

 एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबन के दौरान सेवानिवृत्त होता है, वह उस तारीख से ठीक पहले की तारीख तक अर्हक सेवा के आधार पर अधिकतम पेंशन के बराबर अनंतिम पेंशन का हकदार होता है। निलंबित कर दिया गया। [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 8(4)(ए)]

निलंबन की अवधि की गणना-

  • (1) आचरण की जांच लंबित रहने तक निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी द्वारा बिताया गया समय अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा, जहां ऐसी जांच के निष्कर्ष पर, उसे पूरी तरह से दोषमुक्त कर दिया गया है या केवल मामूली जुर्माना लगाया गया है और निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना गया है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • (2) उप-नियम (1) के अंतर्गत नहीं आने वाले मामलों में, निलंबन की अवधि की गणना तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि प्राधिकारी ऐसे मामलों को नियंत्रित करने वाले नियम के तहत स्पष्ट रूप से आदेश पारित करने में सक्षम न हो उस समय घोषणा करता है कि यह उस सीमा तक गिना जाएगा जितनी सक्षम प्राधिकारी घोषित कर सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • (3) निलंबन के सभी मामलों में, सक्षम प्राधिकारी एक आदेश पारित करेगा जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाएगा कि किस सीमा तक, यदि कोई हो, निलंबन की अवधि को अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा और इस संबंध में सरकारी सेवक की सेवा पुस्तिका में निश्चित प्रविष्टि की जाएगी।” [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 23] Guidelines suspension reinstatement of Employees

निलंबित सरकारी कर्मचारी जो एफआर 56(के) या एफआर-56(एम) या सीसीएस (पेंशन) नियम 2021 के नियम 43 (3) के तहत सेवानिवृत्त होना चाहता है, उसकी अनुमति रोकने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी के पास खुला होगा। [FR-56(k) और FR-56(m)] [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 43(3)]

जब एक सरकारी कर्मचारी जिसे निलंबित कर दिया गया है, उसे बहाल कर दिया जाता है या उसे बहाल किया जाना चाहिए था, लेकिन निलंबन के दौरान उसकी सेवानिवृत्ति (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए, बहाली का आदेश देने के लिए सक्षम प्राधिकारी इस पर विचार करेगा और एक विशिष्ट आदेश देगा-

  • (a) सरकारी कर्मचारी को बहाली के साथ समाप्त होने वाली निलंबन की अवधि या उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए भुगतान किए जाने वाले वेतन और भत्ते के संबंध में, जैसा कि मामला हो सकता है; और
  • (b) चाहेकहाअवधि ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में मानी जाएगी “ [FR-54(बी)(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees

यदि दोषमुक्त किया गया है

  • जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि निलंबन पूरी तरह से अनुचित था, सरकारी कर्मचारी को पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है।
  • जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि कार्यवाही में देरी सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के कारण हुई है, तो वह सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद – यदि कोई हो, कम राशि का भुगतान करने का आदेश दे सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • निलंबन की अवधि को सभी प्रयोजनों के लिए ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में माना जाएगा। [एफआर 54-बी (3) और amp; (4)]

मामूली जुर्माना लगाया गया है

जहां कार्यवाही के परिणामस्वरूप केवल मामूली जुर्माना लगाया जाता है, तो निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना जाता है और संबंधित कर्मचारी को एफआर 54-बी के तहत उचित आदेश पारित करके निलंबन की अवधि के लिए पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है। [O.M. क्रमांक 11012/15/85-स्था.(ए) दिनांक. 03.12.1985]

मुक्ति/मामूली दंड के अलावा

  • (a) सक्षम प्राधिकारी सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और उसके प्रतिनिधित्व, यदि कोई हो, पर विचार करने के बाद भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण करेगा। [एफआर 54-बी(5)]
  • (b) निलंबन की अवधि को कर्तव्य के रूप में नहीं माना जाएगा जब तक कि सक्षम प्राधिकारी विशेष रूप से निर्देश न दे कि इसे किसी निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए ऐसा माना जाएगा।
  • (c)  यदि सरकारी कर्मचारी चाहे तो निलंबन की अवधि को देय एवं स्वीकार्य अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है। (नोट: अस्थायी सरकारी सेवकों के मामले में ऐसी छुट्टी 3 महीने से अधिक या स्थायी सरकारी सेवकों के मामले में 5 साल से अधिक हो सकती है) [एफआर 54-बी(7)]

नोट: एफआर 54-बी(9) के अनुसार, जहां भी अनुमत राशि पूर्ण वेतन और भत्तों से कम है, वह पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते से कम नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees

  • जहां निलंबित सरकारी कर्मचारी की अनुशासनात्मक कार्यवाही या उसके खिलाफ अदालती कार्यवाही समाप्त होने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो निलंबन की तारीख और मृत्यु की तारीख के बीच की अवधि को सभी उद्देश्यों के लिए कर्तव्य के रूप में माना जाएगा और उसके परिवार को पूरा वेतन दिया जाएगा। यदि उसे निलंबित नहीं किया गया होता तो वह जिन भत्ते का हकदार होता, वह उस अवधि के लिए पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते के समायोजन के अधीन होगा। [FR 54-बी(2)]

(Y)  चार्ज शीट इत्यादि की सेवा।

  • क) निलंबन आदेश में सामान्यतः निलंबन का कारण दर्शाया जाना चाहिए। Guidelines suspension reinstatement of Employees
  • बी) जहां निलंबन विचाराधीन कार्यवाही के आधार पर है, वहां सरकारी कर्मचारी को 3 महीने के भीतर आरोप पत्र दिया जाना चाहिए
  • ग) जहां 3 महीने के भीतर आरोप पत्र नहीं दिया जाता है, तो निलंबन की तारीख से 3 महीने की समाप्ति पर निलंबन का कारण सरकारी कर्मचारी को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए। [DoPT O.M. क्रमांक 35014/1/81-स्था.(ए) दिनांक 9वें नवंबर, 1982]

(Z) अपील

निलंबन का आदेश CCS (CCA) नियम, 1965 के नियम 23 (i) के तहत अपील योग्य है।

नोट: यदि प्रासंगिक ओएम के किसी संदर्भ की आवश्यकता है, तो इसे हाइपरलिंक पर क्लिक करके या डीओपीटी की वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees

केन्द्रीय कर्मचारियों के विस्तृत दिशा निर्देश यहाँ देखें

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Disease Fitness Certificate of State Employees

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Disease Fitness Certificate of State Employees / राज्य कर्मचारियों के रोग आरोग्य प्रमाण पत्र मान्यता : राज्य कर्मचारियों के उपचार हेतु अनुमोदित निजी चिकित्सालयों द्वारा प्रदत रोग / आरोग्य प्रमाण पत्र जारी करने के सम्बन्ध में।

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विषय : राज्य कर्मचारियों के उपचार हेतु अनुमोदित निजी चिकित्सालयों द्वारा प्रदत रोग / आरोग्य प्रमाण पत्र जारी करने के सम्बन्ध में।
प्रसंग : राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के पत्र दिनांक 06.12.2022
उपरोक्त विषयान्तर्गत प्रासंगिक पत्र के क्रम में निवेदन है कि राज्य कर्मचारियों उपचार हेतु अनुमोदित निजी चिकित्सालयों द्वारा प्रदत रोग / आरोग्य प्रमाण-पत्र जारी करने के सम्बन्ध में राजस्थान चिकित्सा परिचर्या नियम 2013 के नियम 03 के अनुसार अनुमोदित चिकित्सालय के चिकित्सक प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक में सम्मिलित हैं। JOIN FACEBOOK

Disease Fitness Certificate of State Employees / राज्य कर्मचारियों के रोग आरोग्य प्रमाण पत्र
Disease Fitness Certificate of State Employees / राज्य कर्मचारियों के रोग आरोग्य प्रमाण पत्र

वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों के लिए आरजीएचएस लागू हैं। अतः आरजीएचएस योजना के अन्तर्गत अनुमोदित चिकित्सालय के चिकित्सक, चिकित्सा विभाग द्वारा चिकित्सा प्रमाण-पत्र / Disease Fitness Certificate of State Employees जारी करने हेतु आदेश क्रमांक प.16 (25) एम.ई./ ग्रुप-1 / 1994 दिनांक 18.05.2012 के अनुसार जारी चिकित्सा प्रमाण -पत्र अवकाश स्वीकृति हेतु मान्य है।

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अन्य एक्सल एक्सपर्ट के एक्सल प्रोग्राम यहाँ उपलब्ध हैं-

👉 श्री हीरा लाल जाट के एक्सल प्रोग्राम CLICK HERE

👉 श्री हंस राज जोशी के एक्सल प्रोग्राम CLICK HERE

👉 श्री चन्द्र प्रकाश कुर्मी के एक्सल प्रोग्राम CLICK HERE

👉 श्री उम्मेद तरड के एक्सल प्रोग्राम CLICK HERE

👉 श्री विजय प्रजापत के एक्सल प्रोग्राम CLICK HERE

कित्सा प्रमाण पत्र जारी हेतु सक्षम अधिकारी :-

चिकित्सा विभाग के आदेश क्रमांक-.प.1625/एम ग्रुप 1/94, दिनांक-08.01.98 द्वारा विभिन्न अवधि के लिये चिकित्सा अवकाश हेतु चिकित्सा अधिकारी निम्न प्रकार प्राधिकृत किये गये हैं- Disease Fitness Certificate of State Employees

  • किसी बहिरंग रोगी (आउट डोर पेशेंट) को अधिकतम 15 दिन की अवधि हेतु चिकित्सा प्रमाण पत्र किसी भी चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी किया जा सकेगा.
  • 30 दिवस तक का चिकित्सा प्रमाण-पत्र वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी/कनिष्ठ विशेषज्ञ/सहायक आचार्य अथवा इसके ऊपर के अधिकारी देने के लिये सक्षम होंगे
  • 45 दिवस तक वरिष्ठ विशेषज्ञ पी.एम.ओ./एसोसिएट प्रोफेसर/प्रोफेसर एवं क्रम सं. 2 में वर्णित अधिकारी यदि प्रमाण पत्र सम्बन्धित मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी एवं अधीक्षक द्वारा प्रमाणित किया हुआ हो
  • 45 दिवस से अधिक अवधि हेतु चिकित्सा प्रमाण-पत्र केवल मेडिकल बोर्ड देगा

अनुमोदित निजी चिकित्सालय के चिकित्सक चिकित्सा प्रमाण पत्र / Disease Fitness Certificate of State Employees जारी करने हेतु निम्नानुसार अधिकृत है (आदेश क्रमांक प 16(25) एम ई/1-1/1994 दिनांक 18.5.2012)-

  • 15 दिवस के लिये – चिकित्सा परामर्शदाता
  • 30 दिवस तक – वरिष्ठ चिकित्सा परामर्शदाता
  • 45 दिवस तक – वरिष्ठ विषय विशेषज्ञ
  • 45 दिवस से अधिक- मेडिकल बोर्ड
  • होम्योपैथिक चिकित्सक 15 दिवस के लिए चिकित्सा प्रमाण-पत्र दे सकते हैं

चिकित्सा प्रमाण हेतु सक्षम आयुर्वेद अधिकारी

  • किसी बहिरंग रोगी को चिकित्सक 15 दिन की अवधि के लिए
  • 15 दिवस के पश्चात् पुनः 7-दिन की अवधि के लिये विभागीय चिकित्सक सक्षम होगा
  • 29 दिवस से 45 दिन की अवधि के लिए रोग प्रमाण-पत्र “अ” श्रेणी चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक/जिला आयुर्वेद अधिकारी/सहायक निदेशक/समकक्ष अधिकारी अथवा अन्य उच्च अधिकारी द्वारा जारी किया जायेगा, जिसमें मूल अवधि भी सामिल होगी
  • 45 दिवस से अधिक अवधि के लिये चिकित्सा प्रमाण-पत्र / Disease Fitness Certificate of State Employees स्वास्थ्य परीक्षण समिति (मेडिकल बोर्ड आयुर्वेद) द्वारा दिया जा सकेगा। स्वास्थ्य परीक्षण समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे –
    1. जिला आयुर्वेद अधिकारी/सहायक निदेशक/प्रभारी रसायन शालाएँ अथवा समकक्ष अधिकारी एवं अन्य उच्च अधिकारी (आयुर्वेद)संबंधित जिले स्थित “अ” श्रेणी चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक संयोजकदो चिकित्सक (अध्यक्ष की सहमति से) आवश्यकता होने पर महिला चिकित्सक सदस्य
    • अन्तरंग रोगी के सम्बन्ध में 30 दिन से अधिक के चिकित्सा प्रमाण पत्र हेतु आयुर्वेद ‘अ’ श्रेणी चिकित्सालय के प्रभारी के प्रति हस्ताक्षर आवश्यक होंगे
उपार्जित अवकाश सेवा नियम एवं व्याख्या व नियमों का मूल आदेश

उपार्जित अवकाश सेवा नियम एवं व्याख्या व नियमों का मूल आदेश

उपार्जित अवकाश से संबंधित सेवा नियम एवं इसमे समय समय पर किए गए परिवर्तन तथा उनके प्रभावों की व्याख्या तथा नियमों का मूल आदेश Basic Order of Privilege Leave Service Rules and Interpretation and Rules

PRAVESH KUMAR SHARMA EXCEL PROGRAM EXPERT
MR. PRAVESH KUMAR SHARMA

Pravesh Kumar SharmaAAO-I
आयुक्त उपनिवेशन विभाग, बीकानेर
[email protected]

उपार्जित अवकाश सेवा नियम एवं व्याख्या व नियमों का मूल आदेश

Basic Order of Privilege Leave Service Rules and Interpretation and Rules

Basic Order of Privilege Leave Service Rules and Interpretation and Rules

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उपार्जित अवकाश से संबंधित सेवा नियम एवं इसमे समय समय पर किए गए परिवर्तन तथा उनके प्रभावों की व्याख्या तथा नियमों का मूल आदेश

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उपार्जित अवकाश से संबंधित सेवा नियम एवं इसमे समय समय पर किए गए परिवर्तन तथा उनके प्रभावों की व्याख्या तथा नियमों का मूल आदेश AMAZING RESULTS SHEET PROGRAM UMMED TARAD 2023

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उपार्जित अवकाश से संबंधित सेवा नियम एवं इसमे समय समय पर किए गए परिवर्तन तथा उनके प्रभावों की व्याख्या तथा नियमों का मूल आदेश

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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan

Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan

Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan : The Government of Rajasthan pays all its officers and employees for the expenditure incurred on the state work. Rajasthan Traveling Allowance Rules have been made by the government to regularize this payment.

In this page, we will take details of Rajasthan Traveling Allowance Rules (Ta Rules), Ta Rates etc.

Rajasthan Travelling Allowance Rules राजस्थान यात्रा भत्ता नियम राजस्थान में टीए नियम राजस्थान सरकार अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को राजकीय कार्यों पर होने वाले व्यय का भुगतान करती है। इस भुगतान को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा राजस्थान यात्रा भत्ता नियम बनाए गए हैं। इस पेज में हम राजस्थान यात्रा भत्ता नियम (टीए नियम), टा रेट आदि का विवरण लेंगे।



Rajasthan Travelling Allowance Rules में भुगतान की शर्तें :

Rajasthan Travelling Allowance Rules Condition :

  • T.A. for absence not exceeding 6 hours in NIL
  • T.A. for exceeding 6 hours but not excedding 12 hours is 70%
  • TA FOR EXCEDDING 12 HOURS IS 100%

Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु  यात्रा भत्ता नियम
Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम

  1. भारत में सभी राज्यों की राजधानी दिल्ली सहित टेक्सी, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, स्कूटर, बस, रेल, मैट्रो ट्रेन के किराये के लिए वास्तव में संदत्त प्रभार ।
  2. दैनिक यात्रा मुख्यालय से 6 घंटे अनुपस्थिति के लिए शून्य, 6 से 12 घंटे के लिए 50 प्रतिशत तथा 12 घंटे से अधिक के लिए पूर्ण दैनिक भत्ता देय होगा।
  3. किसी रेल में ए.सी. थ्री टायर नहीं होने पर ख श्रेणी के कर्मचारी ए.सी. टू टायर में यात्रा कर सकेंगे।
  4. वायुयान में 95000/- रू. या अधिक प्रतिमाह वेतन प्राप्त करने वाले सरकारी अधिकारी तथा एडवोकेट जनरल अधिकृत हैं। 225000/ रू. या अधिक वेतन प्राप्त करने वाले अधिकारी एक्जीक्यूटिव क्लास में यात्रा हेतु अधिकृत हैं।
  5. भारत में दिल्ली सहित सभी राज्यों की राजधानी (जयपुर को छोड़कर) और वायु सेवा से जुड़े स्थानों में कार्यालय/ निवास स्थान से हवाई अड्डा रेल्वे स्टेशन बस स्टेण्ड्र तक तथा वापस लौटने हेतु संदत्त वास्तविक किराया मील भत्ते के रूप में देय होगा। (प. 6(7) वित्त/नियम/2017 दिनांक 30.10.2017 एवं प. 6 (3) वित्त/नियम/ 2012 पार्ट दिनांक 6.12.2017 )

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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम के महत्वपूर्ण प्रावधान

1. दिन से आशय : कलैन्डर दिन जो आधी रात से शुरू और समाप्त होता है किन्तु मुख्यालय से ऐसी अनुपस्थिति जो 24 घण्टे से अधिक न हो, सभी प्रयोजनों के लिये एक दिन गिनी जायेगी चाहे अनुपस्थिति का प्रारम्भ या अन्त किसी समय हो।

2. परिवार से आशय : सरकारी कर्मचारी की पत्नी / पति जैसी भी स्थिति हो वैध एवं सौतेली संतान, मान्यता प्राप्त दत्तक सन्तान जिसमें विधवा पुत्री भी शामिल है, जो उसके साथ रहते हो और उस पर पूर्णतया आश्रित हो।

स्थानान्तरण यात्रा भत्ते के प्रयोजनार्थ परिवार शब्द में माता पिता, बहिनें व अवयस्क भाई जो उसके साथ रहते हो तथा उस पर पूर्ण आश्रित हो।
टिप्पणी: पूर्णतया आश्रित वह है, जिसकी सभी श्रोतों से आय 2000/- प्रतिमाह से अधिक न हो तथा जो सरकारी कर्मचारी के साथ निवास करते हो।

नोट: (1) सरकारी कर्मचारी की रोजगारयुक्त सन्तान, किसी भी उम्र की विवाहित सन्तान आश्रित नहीं माने जायेंगे।
(2) 1 जून, 2002 या इसके पश्चात यदि किसी सरकारी कर्मचारी को दो से अधिक सन्तान होती है तो उन्हें केवल दो सन्तान के लिए ही स्थानान्तरण पर यात्रा भत्ता देय होगा।

3. दैनिक भत्ते की अनुज्ञेयता के लिये शर्तें:

(1) ड्यूटी पर मुख्यालय से अनुपस्थिति के दौरान की अवधि के सिवाय दैनिक भत्ता देय नहीं होगा।
(2) दैनिक भत्ता मुख्यालय छोड़ने से प्रारम्भ तथा मुख्यालय वापस लौटने से अनुपस्थिति के लिये देय होगा। इसे निम्नानुसार नियमित किया जायेगा :- प्रत्येक कलैन्डर दिन के लिये दैनिक भत्ता मध्य रात्रि को प्रारम्भ और समाप्त होने की मुख्यालय से अनुपस्थिति के लिए स्वीकार किया जायेगा। मुख्यालय से 24 घण्टे से कम अनुपस्थिति के लिए दैनिक भत्ता निम्नांकित दरो के अनुरूप देय होगा :

(i)6 घंटे अनुपस्थिति होने परशून्य
(ii)6 घंटे से अधिक किन्तु 12 घंटे तक50%
(iii)12 घंटे से अधिक होने परपूर्ण
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(3) किसी विशिष्ट स्थान पर लगातार विराम के लिये 30 दिन की अवधि तक दैनिक भत्ता अनुज्ञेय होगा। यदि विराम 30 दिन से अधिक परन्तु 60 दिन तक के लिये जारी रहता है तो सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग मंजूरी देने हेतु सक्षम होगा। परन्तु 60 दिन से 180 दिन तक की अवधि के लिए वित्त विभाग की स्वीकृति आवश्यक होगी। 180 दिन से अधिक के लिये विराम भत्ता अनुज्ञेय नहीं होगा।

(4) प्रशिक्षण हेतु प्रतिनियुक्त सरकारी कर्मचारियों को प्रतिकरात्मक भत्ता – जहाँ किसी सरकारी कर्मचारी को प्रशिक्षण के लिए प्रतिनियुक्त किया गया हो और राजस्थान सेवा नियमों के नियम 7(8) (ख)(i) के अधीन उसे कर्त्तव्य पर माना गया हो तो यह प्रशिक्षण की पूरी अवधि के लिए क्षतिपूर्ति भत्ते का निम्नांकित दरों के अनुसार हकदार होगा :

(i) प्रथम 15 दिवस के लियेप्रशिक्षण स्थान पर स्वीकृत दर
(ii) 15 दिवस से अधिक होने परप्रशिक्षण स्थान पर स्वीकृत दैनिक भत्ते का 3/4
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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम

(5) यदि सरकारी कर्मचारी द्वारा विराम करते समय निःशुल्क भोजन एवं निवास का उपभोग किया जाता है तो दैनिक भत्ते की दर उस स्थान के लिये निश्चित दर की 25% होगी।
(6) किसी यात्रा में एक से अधिक स्थानों पर भ्रमण किया जाता है तो दैनिक भत्ते की दर उस स्थान की जहाँ सबसे अधिक हो, लागू मानी जायेगी।

4. दौरे पर यात्रा के लिये Rajasthan Travelling Allowance Rules यात्रा भत्ता

(1) यह भत्ता तभी देय होगा जबकि गन्तव्य स्थान मुख्यालय की नगरपालिका सीमा से बाहर हो तथा ड्यूटी स्थान से 15 कि.मी. से अधिक दूर हो।
(2) प्रत्येक राज्य कर्मचारी जो ड्यूटी पर यात्रा करता है वह वोल्वो/ए.सी बस / डिलक्स/सेमी डिलक्स या अन्य उच्च श्रेणी की बस से यदि यात्रा करता है तो बस का टिकट या उसकी फोटो कापी यात्रा बिल के साथ संलग्न करेगा। रेल से यात्रा करने पर द्वितीय श्रेणी नान ए.सी. को छोड़कर अन्य सभी श्रेणी के टिकट/ जमा की रसीद प्राप्त होने पर मूल या फोटो कापी यात्रा बिल के साथ संलग्न करेगा।
(3) यदि यात्रा अपरिहार्य कारणों से या शासकीय कारणों से रद्द करनी पड़ी तो रद्दकरण फीस प्रतिपूरक की जा सकती है।
(4) वायुयान से यात्रा के लिये अधिकृत एजेन्सी से भी टिकट प्राप्त किया जा सकता है परन्तु एजेन्सी के द्वारा टैरिफ के अतिरिक्त लिये जाने वाले सुविधा शुल्क / सेवा शुल्क का पुनर्भरण नहीं होगा।
(5) राज्य कर्मचारी को डाक देने या पत्राचार के उद्देश्य से दौरे पर नहीं भेजा जाय इस प्रकार के उद्देश्य के लिये यात्रा भत्ता देय नहीं होग। कर्मचारी को दौरे पर भेजे जाने के उद्देश्य यात्रा बिल में अंकित किया जायेगा एवं नियंत्रण अधिकारी इसे प्रमाणित करेगा ।

5. स्वयं के वाहन से यात्रा

(1) रेल या नियमित रूप बस सेवा से जुड़े हुए स्थानों को जो मुख्यालय से 25 कि.मी. से अधिक दूरी पर हो, एक राज्य कर्मचारी अपनी मोटर साईकिल/स्कूटर/मोपेड आदि से यात्रा नहीं करेगा।
अपना निजी स्कूटर/मोटर साईकिल/मोपेड आदि से सड़क यात्रा येनकेन एक राज्य कर्मचारी कर सकता है जो मुख्यालय से 50 कि.मी. से अधिक दूर नहीं हो तथा वे स्थान मुख्यालय से रेल या नियमित बस सेवा से जुड़े हुए न हो।
(2) यदि राज्य कर्मचारी स्वयं की मोटर कार से राजकीय यात्रा करता है, उसे टोल टैक्स की रसीद प्रस्तुत करने पर टोल टैक्स प्रभार अनुज्ञेय होगा।
(3) यदि पति/पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी हैं, दोनों में से किसी को भी स्वयं की मोटर कार हो तो इन नियमों के उद्देश्य से यात्रा स्वयं की कार से मानी जावेगी।
(4) स्वयं की मोटर कार से यात्रा करने पर मील भत्ता रेल मील भत्ते की सीमा में ही अनुज्ञेय होगा।
(5) नियंत्रण अधिकारी के पूर्व अनुमोदन के पश्चात् ही स्वयं की मोटर कार से यात्रा की जायगी।
(6) स्वयं के वाहन से यात्रा करने पर मील भत्ते की विशेष दरें ‘क’ व ‘ख’ श्रेणी के राज्य कर्मचारियों के लिए-

(i) सरकारी कर्मचारी द्वारा स्वयं की कार से यात्रा करने पर9.00 रु. प्रति किमी.
(ii) सरकारी कर्मचारी द्वारा स्वयं के स्कूटर, मोटर साईकिल, मोपेड़ आदि से यात्री करने पर3.00 प्रति किमी.
(iii) किसी अन्य प्रकार के वाहन जैसे रिक्शा, तांगा, मोटर रिक्शा इत्यादि द्वारा यात्रा6.00 रु. प्रति किमी.
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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan
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Rajasthan Travelling Allowance Rules TA Rules in Rajasthan, राजस्थान सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु यात्रा भत्ता नियम

‘ग’, ‘घ’ व ‘ङ’ श्रेणी के राज्य कर्मचारियों के लिये किमी.

(i) सरकारी कर्मचारी द्वारा स्वयं की 3.00 रु. प्रति स्कूटर मोटर साईकिल, मोपेड़ से यात्रा करने पर3.00 प्रति किमी.
(ii) ई-रिक्शा. ऑटो रिक्शा से यात्रा करने पर6.00 रु. प्रति किमी.
(iii) साईकिल या पैदल यात्रा करने पर2.00 रु. प्रति किमी.
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6. राजकीय वाहन से यात्रा यात्रा के लिये राजकीय वाहन का उपयोग करने पर यात्रा मील भत्ता देय नहीं होगा केवल दैनिक भत्ता ही देय होगा। अनुपस्थिति सरकारी मुख्यालय छोड़ने से प्रारम्भ तथा मुख्यालय वापस लौटने पर समाप्त होगी तथा उसी अनुसार दैनिक भत्ते की गणना की जाएगी।

7. मील भत्ते की गणना के सिद्धान्त मील भत्ते की संगणना हेतु स्थानों के बीच की गई उस यात्रा को ही माना जायेगा जो सबसे कम दूरी मार्ग के द्वारा या सबसे सस्ते मार्ग द्वारा की गई हो।

8. स्थानान्तरण पर Rajasthan Travelling Allowance Rules जब स्थानान्तरण स्वयं प्रार्थना पर होकर लोक हित किया गया हो। यदि स्थानान्तरण 30 दिन कम अवधि के लिये किया गया हो कर्मचारी स्थानान्तरण पर यात्रा भत्ता देय होकर दौरे का यात्रा भत्ता देय होगा।
स्थानान्तरण आदेश लोक हित अंकित होने पर यात्रा भत्ता व कार्यग्रहण काल देय होगा।

स्थानान्तरण पर सरकारी कर्मचारी को रेल/बस का स्वयं के दो भाड़े तथा उसके साथ यात्रा करने वाले परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए एक तथा प्रत्येक बच्चे के लिये आधा अतिरिक्त भाड़ा जिसके लिये पूर्ण या आधा भाड़ा वास्तव में चुकाया गया है। निजी सामान के परिवहन के लिये निर्धारित लगेज चार्जेज की सीमा तक रेलवे रसीद या सड़क परिवहन कम्पनी के स्वामी द्वारा दी गयी नकद की रसीद पेश करने के अध्यधीन होगी तथा स्थानान्तरण अनुदान निर्धारित दर से एक मुश्त मिलेगा।

परन्तु यदि राज्य कर्मचारी स्थानान्तरण पर हवाई जहाज / राजधानी एक्सप्रेस / शताब्दी एक्सप्रेस से यात्रा करता है तो स्वयं का एक भाड़ा ही देय होगा। यदि कोई सरकारी कर्मचारी मोटर कार, स्कूटर, मोपेड़ या मोटर साईकिल को स्थानान्तरण पर वाहन की ही यंत्र शक्ति से ले जाता है तो मोटर कार के लिए 9.00 रु. प्रति कि.मी. एवं मोटर साईकिल आदि के लिए 3.00 रु. प्रति कि.मी. की दर से दोनों स्थानों के बीच सामान्य मार्ग की दूरी के लिए भत्ता अनुज्ञेय है।

9. पे-मैट्रिक्स का लेवल 19 या इससे अधिक की पे लेवल में वेतन आहरण करने वाले अधिकारी स्वयं अपने यात्रा भत्ते दावे पर प्रतिहस्ताक्षर करने के लिये प्राधिकृत है।यदि प्रशिक्षण के बाद परिवीक्षाधीन कर्मचारी को प्रशिक्षण स्थान के बजाय अन्य स्थान पर नियुक्त किया जाता है तो स्थानान्तरण यात्रा भत्ता देय होगा।

10. किसी निलम्बित सरकारी कर्मचारी को जिसके विरुद्ध जांच में उपस्थित होने की अपेक्षा की जाती है। अपने जांच स्थान तक उस स्थान जहाँ उसको निलम्बन दौरान निवास करने की अनुमति दी गयी है। दोनों जो भी हो, जाँच के स्थान तक दौरे पर यात्रा की भाँति यात्रा भत्ता किया जायेगा।

11. सेवानिवृति पर यात्रा भत्ता -सरकारी कर्मचारी तथा राज्य को आवंटित अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को सेवानिवृत्ति पर अपने कर्त्तव्य स्थल से गृह नगर जाने के यात्रा के लिये रेल /सड़क यात्रा के लिए स्वयं तथा परिवार के सदस्यों का उस श्रेणी का वास्तविक भाड़ा देय होगा, जिसके लिए कर्मचारी हकदार हो, परन्तु कोई भी आनुषांगिक व्यय देय नहीं होंगे। निजी सामान के परिवहन का वास्तविक खर्चा कर्मचारी के स्थानान्तरण अनुज्ञेय मान के अनुसार देय होगा।

12. स्वयं की गाड़ी या प्राइवेट गाड़ी से यात्राओं के लिये वही देंय होगा जो रेल/सड़क की गई यात्राओं के लिये देय होता है।

13. सेवानिवृत्त कर्मचारी को विभागीय जाँच / न्यायिक प्रकरणों में उपस्थित होने पर सेवानिवृत्त समय स्तर के अनुसार यात्रा भत्ता देय होगा। विभागीय जांच प्रकरणों में भत्ता बिल का भुगतान अनुशासनिक अधिकारी के कार्यालय से उपस्थिति प्रमाण-पत्र आधार पर तथा न्यायिक प्रकरणों में सेवानिवृत्त वाले विभाग द्वारा यात्रा भत्ता बिल का भुगतान न्यायालय के उपस्थित प्रमाण-पत्र तथा न्यायालय द्वारा यात्रा भत्ते का भुगतान नहीं दिया है का प्रमाणपत्र (Non Payment of TA) प्रस्तुत करने पर दिया जायेगा।

यदि अ व ब श्रेणी के सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी अपनी स्वयं की कार या टैक्सी से यात्रा करते है तो उन्हें परिशिष्ठ II के नियम 8 (1) में वर्णित विशेष दरों से भुगतान किया जायेगा। सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी को न्यायिक प्रकरणों में उपस्थित होने पर राज्य कर्मचारियों की भांति स्थानीय लघु यात्रा देय होगी। Rajasthan Travelling Allowance Rules

14. खेलकूद गतिविधियों में भाग लेने पर देय किराया एवं विराम भत्ता-

(1) राज्य कर्मचारियों द्वारा खेलकूद गतिविधियों/कोचिंग/पूर्व प्रशिक्षण में भाग लेने पर निम्नानुसार विराम भत्ता देय होगा :(आ.दि. 06.02.2018 )

(i) राजस्थान में250/-रु. प्रतिदिन
(ii) राजस्थान से बाहर350/-रु. प्रतिदिन

यात्रा भत्ता नियम (TA Rules)

 (2) राज्य कर्मचारी द्वारा खेल गतिविधियों में भाग लेने हेतु रेल से नहीं जुड़े स्थानों पर बस/टेक्सी से यात्रा करने पर राजस्थान रोडवेज की एक्सप्रेस बसों का निर्धारित किराया देय होगा।

15. दौरे पर की गई यात्रा हेतु अग्रिम- स्थाई या अस्थाई राज्य कर्मचारी को यात्रा भत्ता राजस्थान यात्रा भत्ता नियमों के अन्तर्गत अधिकतम 30 दिवस की अवधि के लिये अग्रिम दिया जा सकता है। यात्रा भत्ता व्यय में दोनों तरफ की यात्रा के लिये सड़क मील भत्ता, दैनिक भत्ता, किराया एवं आनुषांगिक व्यय सम्मिलित हैं।

16. स्वीकृति हेतु सक्षम अधिकारी – इन नियमों के तहत  कार्यालयाध्यक्ष को पूर्ण शक्ति है। यात्रा के पूर्ण होने के बाद कार्यालय में उपस्थित होने की दिनांक से 15 दिन के भीतर अग्रिम का समायोजन किया जायेगा।

17 स्थानान्तरण पर अग्रिम – एक राज्य कर्मचारी के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण होने पर वेतन एवं यात्रा भत्ता अग्रिम रूप से स्वीकृत किये जा सकते हैं। वेतन अग्रिम एक माह के वेतन के बराबर तथा यात्रा भत्ता अग्रिम जैसा कि स्थानान्तरण पर मिलता है, जिसमें स्वयं तथा परिवार के किराये, व्यक्तिगत सामान का भाड़ा आदि देय है।
स्थानान्तरण पर अग्रिम की स्वीकृति की शक्ति कार्यालयाध्यक्ष को है।
किसी कर्मचारी के पद की निरन्तरता की स्वीकृति या नियुक्ति में वृद्धि की स्वीकृति के अभाव में वेतन नहीं मिल पाने पर भी अग्रिम स्वीकृत किया जा सकता है।
स्वयं की प्रार्थना या 120 दिवस की अधिकतम अवधि हेतु अस्थाई स्थानान्तरण होने पर अग्रिम देय नहीं है। परिवार के सदस्यों द्वारा स्थानान्तरण के 6 माह के भीतर यात्रा करने पर यात्रा अग्रिम परिवार हेतु देय नहीं होगा।
वेतन अग्रिम की वसूली 3 मासिक किश्तों में होगी तथा यात्रा भत्ता अग्रिम की वसूली स्थानान्तरण यात्रा भत्ता बिल से होगी। निलम्बित कर्मचारी से वेतन के अग्रिम की वसूली ऐसी दर से की जाएगी जो विभागाध्यक्ष निश्चित करना उचित समझें।


Rajasthan Travelling Allowance Rules संबंधित नवीनतम आदेश

  1. दैनिक भत्तों की दरों में बढ़ोतरी आ.दि.  08-09-2017
  2. पे मैट्रिक्स के अनुसार कैटेगरी निर्धारण आ.दि. 30-10-2017
  3. स्थानांतरण पर देय यात्रा भत्ता दरों मे परिवर्तन आ.दि. 06-12-2017
  4. दैनिक भत्ता देय के संबंध में आदेश आ.दि.  19-01-2018

Rajasthan Travelling Allowance Rules अन्य सामग्री

  1. TA Rules Full DETAILS 3 Page PDF
  2. कालातीत बिलों के लिए क्षतिपूर्ति बन्धपत्र

यह भी जरूर देखें >>

Casual Leave & Special Casual Leave Rules आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश नियम

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Casual Leave & Special Casual Leave Rules आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश नियम के बारे में अनुभवी शिक्षविद्दो द्वारा नियम संकलन : यहाँ हमारे शिक्षको और विभिन्न विभागों में कार्यरत कार्मिको बंधुओ के लिए अवकाश नियम की श्रेणी में आकस्मिक नियम और विशिष्ट आकस्मिक नियम का संग्रह तैयार किया हैं | अगर आपको यह अवकाश नियम संकलन अच्छा लगा हैं तो इसे शेयर इस लिंक माध्यम से शेयर जरूर कीजिए | अगर आपको लगता हैं कि इसमें सुधार संभव हैं तो हमारे टीम के सदस्यों को जरूर लिखें-

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Casual Leave & Special Casual Leave

(आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश)

आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) RULES GIF

राज्य सरकार Casual Leave & Special Casual Leave Rules आकस्मिक अवकाश एवं विशिष्ट आकस्मिक अवकाश नियम को किसी प्रकार की मान्यता प्रदान नहीं करती इसलिये यह मान्यता प्राप्त अवकाश नहीं है। राजस्थान सेवा नियम में आकस्मिक अवकाश को अवकाश की श्रेणी में नहीं माना गया है क्योंकि आकस्मिक अवकाश के दौरान राज्य कर्मचारी “कर्तव्य वेतन” आहरित करता है। यह अवकाश किसी नियम के  अधीन नहीं है। इसे प्रशासनिक निर्देश के रूप में स्थान दिया गया हैं। तकनीकी रूप से जब यह अवकाश राज्य कर्मचारी द्वारा लिया जाता है तो वह कार्य से अनुपस्थित नहीं माना जाता। और न ही उसका वेतन रोका जाता है। परन्तु यह अवकाश इस तरह नहीं दिया जाना चाहिये जिसके कारण निम्न नियमों से बचा जा सके-

(क) वेतन एवं भत्ते की संगणना की तारीख

(ख) कार्यालय का पद भार

(ग) अवकाश का प्रारम्भ एवं अन्त

(घ) अवकाश से पुनः कार्य को लौटना

या अवकाश की अवधि इतनी बढा देना कि नियमानुसार उसे स्वीकृत नहीं किया जा सके।

  1. RULES GIF स्थाई  कर्मचारी को एक वर्ष में 15 आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) देय है । कर्मचारी   एक बार में 10 दिन तक आकस्मिक अवकाश ले सकता है । एक बार  में 10 दिन से ज्यादा आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) नहीं स्वीकृत किया जाता । इस अवकाश को किसी अवधि के शिग्र पूर्वगामी या पश्चातगामी या मध्य में रविवार, राजकीय अवकाश या साप्ताहिक अवकाश आवे तो उसे आकस्मिक अवकाश का अंश नहीं माना जाता ।
  2. RULES GIF राज्य कर्मचारियों को आधा दिन का आकस्मिक अवकाश भी देय हैं।
  3. RULES GIF आकस्मिक अवकाश आवेदन में अवकाश के समय में रहने का पता अंकित करना चाहिए, यह नियम राजपत्रित अधिकारी के लिए भी समान ही रहेगा।
  4. RULES GIF बीमारी,अस्पताल और अंतेष्टि जैसे मामलों मे यह अवकाश पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं हैं।
  5. RULES GIF विभागाध्यक्षों को आकस्मिक अवकाश उच्चाधिकारी या संबन्धित प्रशासनिक विभाग स्वीकृति देंगे।
  6. RULES GIF वेकेशन विभाग जैसे राजकीय महाविध्यालय व शिल्प (पोलीटेक्निक) एवं अन्य शिक्षा संस्थाओं के मामले में वर्ष 01 जुलाई से प्रारम्भ व 30 जून को समाप्त माना जाएगा।
  7. RULES GIF शिक्षकों का लिए आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) की गणना 1 जुलाई से 30 जून तक की जाती है और मंत्रालयिक कर्मचारियों का लिए 1 जनवरी से 31  दिसम्बर  तक की जाती है l
  8. RULES GIF नव नियुक्त कर्मचारी को कार्य ग्रहण दिनांक से पूर्ण   कैलेंडर वर्ष पर १5 आकस्मिक अवकाश  देय होंगे l  कैलेंडर वर्ष की अपूर्णता की स्थिति में आनुपितक आधार पर उसके द्वारा प्रत्येक पूर्ण माह की सेवा के एवज में 1.25 आकस्मिक अवकाश का लाभ देय होगा अर्थात एक माह की सेवा पूर्ण करने पर 1.25 अवकाश देय  होगा l अन्यथा अवैतनिक होगा l
  9. RULES GIF राजस्थान सेवा नियम १९५१ के नियम  122  (ए ) के अनुसार नियम राजकीय सेवा में चल रहे परिवीक्षाधीन कर्मचारी, परिवीक्षाधीन अवधि में अन्य किसी भी प्रकार का अवकाश अर्जित नहीं करेगा l
  10. RULES GIF तीन दिन तक लगातार 10 मिनट लेट आने वाले कर्मचारी का 1 आकस्मिक अवकाश काटा जायेगा l
  11. RULES GIF आकस्मिक अवकाश को मान्यता नहीं दी जाती हैं और किसी नियम के अधीन नहीं हैं, किन्तु आकस्मिक अवकाश इस प्रकार नहीं दिया जाना चाहिए – (i) वेतन एवं भत्ते की तारीख की संगणना (ii) कार्यालय का प्रभार (iii) अवकाश का प्रारम्भ तथा अंत (iv) अवकाश से पुनः कार्य पर लौटना या अवकाश की अवधि इतनी बढा देना की नियमानुसार उसे स्वीकृत नहीं किया जा सकें।
  12. RULES GIF पुलिस के सिपाही , हैड कांस्टेबल , सहायक उप-निरीक्षक तथा उपनिरीक्षकों को वर्ष में 25 दिन का आकस्मिक अवकाश देय होगा। एक बार में अधिकतम 10 दिन का अवकाश ही स्वीकृत किया जा सकेगा।
  13. RULES GIF बिना वेकेशन वाले विभाग से वेकेशन वाले विभाग में स्थानांतरण पर राज्य कर्मचारी को आकस्मिक अवकाश देय होगा- (i) 3 माह या कम की सेवा पर – 3 दिन (ii) 3 माह से अधिक की सेवा अवधि पर – 7 दिन
  14. RULES GIF राज्य सेवा में नए प्रवेश करने वाले कार्मिकों को निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय होगा- (i) 3 माह या 3 माह से कम सेवा अवधि -5 दिन (ii) 3 माह से अधिक परंतु 6 माह से कम सेवा अवधि- 10 दिन (iii) 6 माह से अधिक सेवा- 15
  15. RULES GIFसेवानिवृत होने वाले वर्ष में दिनांक 01.01.2001 के बाद निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय हैं (i) 3 माह या 3 माह से कम सेवा अवधि -5 दिन (ii) 3 माह से अधिक परंतु 6 माह से कम सेवा अवधि – 10 दिन (iii) 6 माह से अधिक सेवा अवधि – 15
  16. RULES GIF वेकेशन के क्रम में आकस्मिक अवकाश स्वीकृत नहीं होगा।
  17. RULES GIF अंशकालीन कर्मचारियों को भी पूर्णकालिक कर्मचारियों की तरह ही आकस्मिक अवकाश देय हैं।
  18. RULES GIF फायर सेवा के अधिकारियों को 25 दिन का आकस्मिक अवकाश देय हैं।
  19. RULES GIF राज्य कर्मचारी बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ सकते हैं।
  20. RULES GIF राज्य सरकार के आदेश क्रमांक  प 1 (4) वित्त/ नियम /2008  दिनांक १७ फरवरी २०१२ के अनुसार यदि राज्य कर्मचारी आकस्मिक अवकाश (Casual Leave ) लेकर निजी विदेश यात्रा करना चाहे तो उसे आकस्मिक आवकाश का आवेदन पत्र कम से कम 3 सप्ताह पूर्व सक्षम अधिकारी को देना होगा l
  21. RULES GIF वित्त विभाग के आदेश एफ 1 (8) विवि (नियम)/95 दिनांक 20-2-2002 जो दिनांक 1-1-2002 से प्रभावशील है , के अनुसार सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों को वर्ष में निम्नानुसार आकस्मिक अवकाश देय है।
    (1) तीन माह या कम सेवा – 5 दिन
    (2) तीन माह से अधिक किन्तु छ: माह तक – 10 दिन
    (3) छ: माह से अधिक सेवा पर – 15 दिन
    (स) वेकेशन से नान वेकेशन या विपरित में आने पर उस कर्मचारी का आ. अवकाश जिसका वहाँ उपयोग नहीं किया गया है समाप्त हो जायगा और नये स्थान पर निम्न प्रकार से देय होगा।
    (1) तीन माह तक की अवधि शेष रहने पर – 3 दिन
    (2) तीन माह से अधिक अवधि शेष रहने पर -7 दिन
    आकस्मिक अवकाश के साथ अन्य प्रकार के अवकाश जैसे पी. एल. रुपान्तरित अवकाश इत्यादि नहीं लिया जा सकता है । प्रतिवर्ष प्रत्येक शिक्षक का सी. एल. पोस्टिंग रजिस्टर संधारित किया जाय ।

राजस्थान सेवा नियम (RSR) RULES GIF

(राजस्थान सेवा नियम (RSR) (नियम 87 से 126)

राजस्थान सेवा नियम (RSR) 87:– इस नियम के तहत अवकाश केवल स्थायी कर्मचारियों को ही देय होते है। नोट:-अस्थायी कर्मचारियों को अवकाश सरकार की अधिसूचना के आधार पर दिये जाते है । अस्थायी कर्मचारियों के समस्त अवकाश सरकारी नियमों व मानकों के अनुरूप ही देय होते है ।

नियम 87(अ):- अवकाश लेखा:- राज्य कर्मचारी का अवकाश लेखा परिशिष्ट 2 क में दिये गये प्रपत्र संख्या 1 में संधारित किया जायेगा।

नियम 87(ब):- इस नियम के तहत राजपत्रित अधिकारियों के अवकाश लेखे नियम 160 (2) के तहत आने वाले अधिकारी रखते है। अराजपत्रित अधिकारियों के अवकाश लेखे उस विभाग के कार्यालयाध्यक्ष या विभागाध्यक्ष द्वारा रखे जाते है।

नियम 88:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:-इस नियम के तहत कर्मचारी अपने अवकाशों की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का समायोजन उचित प्रमाण पत्र देकर कर सकता है।

नियम 89:- सेवानिवृति के पश्चात् किसी भी प्रकार के अवकाश देय नहीं होगें।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 90:- विलोपित

नियम 91:- उपार्जित अवकाश (पी.एल):- (दिनांक 22.02.1983 से)

> >पी.एल. की देयता सदैव कलैण्डर वर्ष में ही होती है।

>> पी.एल. सदैव एक कलैण्डर वर्ष में 02 बार ही दी जाती है । एक जनवरी को 15 व 01 जुलाई को 15 कुल 30 पी.एल देय होती है।

>> दिनांक 01.01.1998 के पश्चात् एक कर्मचारी अपने खाते में अधिकतम 300 पी. एल. जमा रख सकता है।

>> आरएसी बटालियन के कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 42 पी. एल. देय होती है।

>> किसी कर्मचारी की माह के बीच में नियुक्ति होने पर 2½ पी. एल. प्रतिमाह व आर. ए.सी के कर्मचारियों को 32 पी.एल. प्रतिमाह के हिसाब से देय होती है।

>> एक कर्मचारी एक बार में अधिकतम 120 पीएल ले सकते है।

>> विशेष परिस्थितियों (टी.बी., असाध्य रोग) में कर्मचारी अपनी समस्त पी.एल. का उपयोग एक साथ कर सकता है।

नियम 91(अ):- सेवा में रहते हुए पी.एल. के बदले नकद भुगतान (दिनांक 01.01.1983 से) इस नियम के तहत सेवा में रहते हुए कर्मचारी एक वर्ष में अधिकतम 15 पीएल का नकद भुगतान प्राप्त कर सकता है तथा शेष पी.एल. अपने खाते में जोड़ सकता है। दिनांक 18.06.2010 के बाद एक अस्थायी कर्मचारी को अपने विभाग में न्युनतम एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर ही इस नियम का लाभ दिया जावेगा।

नियम 91(ब):- सेवानिवृत होने पर पी. एल. का भुगतान:- इस नियम के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत होने पर उसको अपने अवकाश खाते की समस्त एल. का भुगतान तुरन्त प्रभाव से एक मुश्त कर दिया जाता है। पी.एल. का भुगतान करते समय मकान भत्ते को छोड़कर समस्त प्रकार के भक्ते देय होते है।

नियम 91(स):- कर्मचारी की मृत्यु होने पर पी. एल. का भुगतानः- (दिनांक 01.10.1996) इस नियम के तहत सेवा में रहते हुए यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाये तो उसके खाते में शेष पी.एल. का भुगतान उसके परिवारजनों को कर दिया जाता है। नोट:-दिनांक 20.08.2001 के बाद यदि किसी कर्मचारी पर सीसीए नियम 1958 के तहत कार्यवाही प्रस्तावित है तथा वह कर्मचारी सेवानिवृत हो जाता है तो तुरन्त प्रभाव से भुगतान रोका जायेगा।

नियम 92:- विश्रामकालीन विभागों के लिए पी. एल. की देयताः- ( दिनांक 01.10.1994 से) विश्रामकालीन न्यायिक कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 12 पीएल देय है यदि पी. एल. का उपभोग न करे तो 18 पीएल देय होती है विश्रामकालीन शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को 15 पी.एल. देय है।

नियम 93:- अर्द्धवेतन अवकाश/रूपान्तरित अवकाश की देयता:

1. चिकित्सा कारणों के आधार पर एक वित्तीय वर्ष में किसी कर्मचारी के खाते में 20 HPL देय होती है।

2. कर्मचारी अपनी सुविधा अनुरूप इन HPL को पूर्ण अवकाश में परिवर्तित कर सकता है।

3. एक कर्मचारी अपने सेवाकाल में अधिकतम 480 HPL को रूपान्तरित अवकाश में परिवर्तित कर सकता है।

4. विशेष मामलों में यदि कर्मचारी के खाते में किसी भी प्रकार की HPL बकाया नही है तो कर्मचारी को अदेय अवकाश का लाभ दिया जा सकता है। अदेय अवकाशः- ऐसा अवकाश सक्षम अधिकारी द्वारा तभी स्वीकृत किया जाता है जब कर्मचारी की स्थिति चिकित्सा दृष्टिकोण से सही नही है। अदेय अवकाश अधिकतम 360 एचपीएल तक स्वीकृत होता है ।

नियम 93(ए):- टी.बी. के मामलों में पुलिस सेवा) यदि कर्मचारी के खाते में किसी भी प्रकार का अवकाश शेष नहीं है तो 360 एचपीएल को उसके खाते में अग्रिम रूप से जमा कर दिया जाता है।

नोट:- यदि कर्मचारी कोई सार्वजनिक हित में पाठ्यकम करे तो उसके अवकाश खाते में एचपीएल की बकाया स्थिति को ध्यान में रखते हुए 180 दिन की एचपीएल स्वीकृत होगी ।

नियम 94:- सेवा समाप्ति अवकाश:- ऐसे अवकाश सामान्य तौर पर अस्थाई कर्मचारियों को ही स्वीकृत किये जाते है। सक्षम अधिकारी ऐसे अवकाशों को अपने विवेक के आधार पर स्वीकृत कर सकता है। इस नियम के तहत शिक्षार्थी को यह लाभ देय नही होता है ।

नियम 95:- अवकाश अवधि सेवा व्यवधान नही है:- सामान्य तौर पर यदि कोई अस्थायी कर्मचारी अपने पद के समान संवर्ग में ही स्थायी रूप से नियुक्त है तो उसकी पिछली सेवा अवकाश अवधि के तहत माना जायेगा।

नियम 96:- असाधारण अवकाशः- साधारण तौर पर कर्मचारी असाधारण अवकाश तभी स्वीकृत कराता है, जब उसके अवकाश खाते में किसी भी तरह के अवकाश शेष न हो । दिनांक 26.02.2002 के बाद अस्थायी कर्मचारी को असाधारण अवकाश तभी मिलता है, जब उसने 03 वर्ष की सेवा की है।

अस्थायी कर्मचारियों को अधिकतम 18 माह का असाधारण अवकाश देय है। दिनांक 01.01.2007 के बाद परिवीक्षाधीन अवधि में अधिकतम 03 माह का असाधारण अवकाश देय है।

विपरीत परिस्थितियों में असाधारण अवकाश परिवीक्षाधीन कर्मचारियों को 03 माह से अधिक भी स्वीकृत है। 03 माह से अधिक यदि कोई कर्मचारी असाधारण अवकाश ले तो अधिक ली गई अवधि उसके परिवीक्षाधीन काल को प्रभावित करती है।

नियम 97:- अवकाश वेतन की राशि: – सामान्य तौर पर अवकाश वेतन की राशि अवकाश की प्रवृति के तहत ही निर्धारित होती है।

नियम 98:– विलोपित

नियम 99:- विशेष असमर्थता अवकाशः- (दिनांक 14.12.12 के बाद) घर से कार्यालय व कार्यालय से घर ड्यूटी नही माना गया है।

दिनांक 18.05.2010 के बाद चुनाव में ड्यूटी घर से निकलते ही मानी जाती है। इस नियम के तहत सरकारी कर्मचारी को कार्यस्थल पर यदि कोई क्षति हो जाती है तो क्षति होने के तीन माह तक आवेदन पत्र देकर विशेष असमर्थता अवकाश का लाभ उठा सकता है। सामान्य तौर पर विशेष असमर्थता अवकाश अधिकतम 24 माह तक देय होता है। यदि 24 माह उपरांत भी कर्मचारी की स्थिति में कोई सूधार न हो तो चिकित्सा रिपोर्टो के आधार पर अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है।

विशेष असमर्थता अवकाश के दौरान वेतन:

उच्च सेवा में 120 दिन अवकाशपूर्ण वेतन
उच्च सेवा में 120 दिन से अधिक अवकाशअर्द्ध वेतन
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन अवकाशपूर्ण वेतन
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन से अधिक अवकाशअर्द्ध वेतन

नियम 100: असमर्थता अवकाश के दौरान सरकार द्वारा कोई क्षतिपूर्ति भत्ता स्वीकृत होने पर वेतन में कटौतीः- इस नियम के तहत यदि असमर्थता अवकाश के दौरान क्षतिपूर्ति भत्ता मिले तो भत्ते के बराबर की राशि कर्मचारी के वेतन में से काट ली जाती है। कर्मचारी के व्यक्तिगत बीमा दावों पर इस नियम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

नियम 101:- सैनिक/भूतपूर्व सैनिक कर्मचारियों को विशेष असमर्थता अवकाश का लाभ:

नियम 102: – नियम 101 के अनुसार ही परन्तु दूघर्टना सैन्य सेवा के अतिरिक्त हुई होः

नियम 103:- प्रसुति अवकाशः- (दिनांक 06.12.2004 से प्रभावी) महिला कर्मचारियों को सम्पूर्ण सेवाकाल में 02 बार अधिकतम 180 दिन का प्रसुति अवकाश मिलता है। 02 बार के बाद भी कोई संतान जीवित न हो तो एक बार और मिल सकता है।

> दिनांक 11.10.2008 के बाद प्रसुति अवकाश अवधि 135 दिन से बढ़कर 180 दिन की गई है।

> दिनांक 06.12.2004 के बाद ये अवकाश अस्थायी महिला कर्मचारी को भी देय है। किसी भी कर्मचारी को पूर्ण वेतन व भत्ते देय है।

> सामान्य तौर पर गर्भपात पर यह अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है।

> चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर विपरीत परिस्थितियों में 06 सप्ताह तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। (दिनांक 14.07.2006 के बाद से)

राजस्थान सेवा नियम (RSR) 103(अ):- पितृत्व अवकाशः- ( दिनांक 06.12.2004 से) किसी पुरूष के प्रथम दो संतानों पर उसे बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व व 03 माह के भीतर 15 दिन का अवकाश मिलता है।

नियम 103 (ब):- दत्तक अवकाशः- (दिनांक 07.12.2011 से) किसी महिला कर्मचारी को 180 दिन का अवकाश सेवाकाल में दो बार ही। 01 साल से कम आयु के बच्चे को गोद लेने पर मिलता है।

नियम 104:- प्रस्तावित अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:

नियम 105:- पृथक श्रेणी का अवकाश /चिकित्सालय अवकाश की सीमा – सामान्य तौर पर यह अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत होता है, जो राज. सरकार के लिए किसी हानिकारक संयत्रों या हानिकारक प्रयोगशाला में नियुक्त हो। ये अवकाश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही लागु होता है ।

नियम 106:- नियम 105 के अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत होते है जिनका वेतनमान 12000 रू तक देय हो। (दिनांक 01.01.2007 से लागु) दिनांक 12.09.2008 के आधार पर सभी वेतन वृद्धियां मान्य।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 107:- विलोपित

नियम 108:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:

नियम 109:- अध्ययन अवकाश:- आरएसआर में नियम 109 से 121(ए) तक है।

नियम 110:- अध्ययन अवकाश की देयता:- किसी भी कर्मचारी को अपने सम्पूर्ण सेवा काल में अधिकतम 02 वर्ष का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। एक बार में अधिकतम 12 माह का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 111:-विलोपित:

नियम 112:- अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने की शर्ते:

>> अध्ययन अवकाश राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को देय है।

>> अस्थायी कर्मचारी जो विभाग में न्यूनतम 03 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हो तथा ऐसी अस्थायी नियुक्तियां आरपीएससी की अभिशंषा के आधार पर होनी अनिवार्य है ।

» 20 वर्ष से ज्यादा सेवा पूर्ण कर चुके कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश देय नहीं होता है ।

>> अध्ययन अवकाश के दौरान विभाग से अनुपस्थिति:

24 माह + 04 माह (खाते के अवकाश) :28 माह

24 माह + 06 माह (असाधारण अवकाश) 30 माह

अध्ययन अवकाश के दौरान सदैव अर्द्ध वेतन मिलता है।

नियम 113:- अध्ययन अवकाशों की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का समायोजन:

नियम 114:- अध्ययन अवधि के अध्ययन अवकाश से ज्यादा होने पर प्रक्रियाः – कर्मचारी अपने खाते के अवकाश या असाधारण अवकाश ले सकता है।

नियम 115:- अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन पत्र:- अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन पत्र लेखाधिकारियों या सहायक लेखाधिकारियों को दिये जाते है आगे की स्वीकृति के लिए लेखाधिकारी जांच के बाद आवेदन पत्र विभागाध्यक्ष को भेजता है।

नियम 116:- अध्ययन अवकाशों के साथ अन्य अवकाशों का समायोजन:

नियम 117:- अध्ययन भत्ताः- यदि कर्मचारी के द्वारा किया जा रहा अध्ययन सरकारी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो तो सरकार कर्मचारी को अध्ययन अवधि के दौरान अलग से अध्ययन भत्ता स्वीकृत कर सकती है।

नियम 118:- अध्ययन अवकाश के दौरान विश्रामकाल:- इस नियम के तहत कर्मचारी को अध्ययन अवधि के दौरान सरकार द्वारा 14 दिन का विश्रामकाल देय होता है।

नियम 119:- अध्ययन शुल्क:- जिस अध्ययन के लिए कर्मचारी अवकाश पर जाता है, उस अध्ययन की किश्त कर्मचारी द्वारा ही देय होती है। यदि सक्षम अधिकारी अध्ययन की प्रवृति को अपने विभाग के लिए लाभदायक माने तो वह वित्त विभाग की मंजूरी लेकर उसे अध्ययन पाठ्यक्रम की किश्त का भुगतान कर सकता है।

नियम 120:- पाठ्यक्रम पूर्ण होने का प्रमाण पत्र:- कर्मचारी जिस अध्ययन के लिए अवकाश पर है, वह पूर्ण होने पर पाठ्यक्रम पूर्ण होने का प्रमाण पत्र विभाग को जमा कराना नैतिक दायित्व है ।

नियम 121:- अध्ययन अवकाश की गणना पदोन्नति एवं पेंशन योग्य सेवा के तहत की जाती है।

नियम 121(अ):- अवकाश अध्ययन के बदले सेवा का बन्ध पत्र:- इस नियम के तहत परिशिष्ट 18 में एक बन्ध पत्र भरवाया जाता है (दिनांक 31.05.2012 से लागु) परिशिष्ट 18 के तहत शर्त पूरी नहीं होने पर दूगनी राशि- ब्याज सम्बन्धित विभाग को जमा करवाना होता है।

नियम 122:- परिवीक्षाधीन को अवकाशः- वर्तमान में दिनांक 20.01.2006 के बाद ऐसा कोई पद राज्य सरकार में नहीं है।

नियम 123:- शिक्षार्थी को अध्ययन अवकाश:- इस नियम के तहत शिक्षार्थियों को अवकाश उसी अनुरूप देय होते है। जैसे विभाग में अस्थायी कर्मचारियों को देय होते है। नियम 103 की सीरीज के अन्तर्गत आने वाले अवकाश शिक्षार्थियों को देय नहीं होते है।

नियम 124:- अंशकालीन विधि अधिकारियों/ प्राध्यापकों को अवकाशः

>> सामान्य तौर पर अंशकालीन रूप से नियुक्त प्राध्यापकों व विधि अधिकारियों को 02 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 03 माह का अर्द्ध वेतन अवकाश देय होता है

>> एक साथ 03 माह का अधिकतम अवकाश देय होता है।

>> विपरीत परिस्थितियों में 06 वर्ष की सेवा पूर्ण हो तो 02 माह का अवकाश असाधारण अवकाश के रूप में स्वीकृत होगा

नियम 125:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 126:- दैनिक मानदेय व पारिश्रमिक के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को अवकाश:

सामान्य तौर पर विभाग में 03 माह की सेवा पूर्ण करने पर ।

03 माह पश्चात 01 पूर्ण छुट्टी यह अवकाश तभी स्वीकृत होता है जब श्रमिक अपनी जगह किसी अन्य श्रमिकों को काम के लिए नियुक्त करें।

CL RULE IN PROBATION PERIOD

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