Eetimate-Income-tax-2023-24-for-PEEO-All-Office By Heera Lal : श्री हीरा लाल जी द्वारा विकसित लेटेस्ट और अपडेटेड एक्सल प्रोग्राम Estimate Income Tax 2023 24 For PEEO & All Office By Heera Lal यहाँ अपलोड किया गया हैं, जिसे आप DOWNLOAD बटन पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं और डाउनलोड कर सकते हैं | आपसे आग्रह हैं कि आपको इस एक्सल प्रोग्राम में कोई सहायता या कमी नजर आये तो आप यहाँ COMMENT करें 👈🏿
Eetimate-Income-tax-2023-24-for-PEEO-All-Office By Heera Lal 2023-24 वितीय वर्ष का अनुमानित आयकर गणना प्रपत्र तैयार करे
Prepare 01 Employee to 100 Employees Income Tax calculation in one sheet
Very Easy to Use
*Create by Heera lal Jat Excel Guru
Budget Proposal Estimated Year 2023 24 By Heera Lal
श्री हीरा लाल जाट
वरिष्ट अध्यापक : राजकीय महात्मा गाँधी विद्यालय बर (पाली)
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SHIVIRA PANCHANG 2023 PDF DOWNLOAD शिविरा पंचांग 2023-24 PDF : राजस्थान में सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूलों को खोलने को लेकर ताजा जानकारी सामने आई है साथ ही सत्र 2022-23 के लिए शिविरा कैलेंडर जारी कर दिया गया हैं। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सत्र 2022 23 के लिए शिविरा पंचांग जारी कर दी गई है। राजस्थान में स्कूलों और कॉलेजों की संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल में के माध्यम से उपलब्ध करवाने की कोशिश की जा रही है आशा है ये आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी ।
SHIVIRA PANCHANG 2023 PDF DOWNLOAD शिविरा पंचांग 2023-24 PDF
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा सभी सरकारी और निजी विद्यालयों के लिए 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2024 तक के लिए शिविरा पंचांग या संचालन कार्यक्रम जारी किया गया है। पंचांग के अनुरूप क्षेत्राधिकार में विद्यालय संचालन / विभागीय क्रियाकलापों कार्यक्रम एवं गतिविधियों का आयोजन और क्रियान्वयन किया जायेंगा।
SHIVIRA PANCHANG 2023 PDF DOWNLOAD शिविरा पंचांग 2023-24 PDF
शैक्षणिक सत्र 2023-24 मुख्य बिंदु-
1 ( 26 जून 2023 से 30 अप्रैल 2024 तक) 2 प्रथम परख – 23 से 25 अगस्त 2023 3 द्वितीय परख- 19 से 21 अक्टूबर 2023 4 अर्द्ध वार्षिक परीक्षा – 11 से 23 दिसम्बर 2023 5 तृतीय परख – 20 से 22 फरवरी 2023 6 वार्षिक परीक्षा – 08 से 25 अप्रैल 2023 7 वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषणा 30 अप्रैल 2023 8 प्रत्येक शनिवार – NO BAG DAY रहेगा। 9 मध्यावधि अवकाश – 07 से 19 नवम्बर 2023 10 शीतकालीन अवकाश – 25 दिसम्बर 2023 से 5 जनवरी 2024 11 ग्रीष्मावकाश – 17 मई 2024 से 31 मई 2024
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Shivira panchang 2022-23 PDF
आगामी शैक्षणिक सत्र 2022 23 का सत्रारंभ 24 जून 2022 से शिक्षण कार्य और विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति 1 जुलाई 2022 से प्रारंभ की जाएगी। 24 जून से सामान्य प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी साथ ही प्रवेशोत्सव दो चरणों में चलाया जाएगा। प्रवेश की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2022 होगी। व्यवसायिक शिक्षा संचालित विद्यालयों में योजना का प्रचार प्रसार और नवीन विद्यार्थियों हेतु प्रवेश काउंसलिंग 21 से 30 जून 2022 तक किया जाएगा। मध्यावधि अवकाश 19 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक किया जाएगा । विद्यालयों में शीतकालीन अवकाश 25 दिसंबर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक रहेगा इस बार शीतकालीन अवकाश में 5 दिनों की बढ़ोतरी की गई है।
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग जुलाई 2023
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग अगस्त 2023
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग सितम्बर 2023
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग अक्टूबर 2023
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग नवम्बर 2023
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 NOVEMBER
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 DECEMBER
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग दिसम्बर 2023
SHIVIRA PANCHANG DECEMBER 2023 शिविरा पंचांग 2023 JANUARY
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 JANUARY
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 FEBRUARY
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 FEBRUARY
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 MARCH
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 MARCH
SHIVIRA PANCHANG 2023-24 शिविरा पंचांग 2023-24 APRIL
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Guidelines suspension reinstatement of Employees : लोकसेवक बहाली निलंबन को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है – खास सरकार ने अपराध की प्रकृति और अलग-अलग स्थितियों अनुसार लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर पहली बार बहुत विस्तार से दिशानिर्देश जारी किए हैं| Guidelines suspension reinstatement of Employees
कार्मिक विभाग की ओर से जारी इन दिशानिर्देशों के तहत किसी भी लोकसेवक से जुड़े आपराधिक प्रकरण में पुलिस या संबंधित अनुसंधान एजेंसी के 2 साल तक कोर्ट में चालान पेश नहीं करने पर बहाली के लिए समिति के सामने उसके प्रकरण को रखा जा सकता है. इसी तरह अलग-अलग स्थितियों में निलंबन, बहाली या अन्य कार्रवाइयों के लिए व्यापक लाइन ऑफ एक्शन तय किया गया है।
कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार ने विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों/ प्रमुख सचिवों/ सचिवों को परिपत्र जारी करके लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर अलग-अलग स्थितियों अनुसार विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
A. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. किसी लोकसेवक को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया जाता है अथवा भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य मामले में 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो संबंधित लोकसेवक को तत्काल निलम्बित किया जावें।
लोकसेवकों के ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति जारी होने तथा सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु गठित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य प्रकरणों (रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तारी से भिन्न) में, आय से अधिक सम्पत्ति अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रकरणों में यदि संबंधित लोक सेवक को पूर्व में निलम्बित नहीं किया गया है तो प्रकरण में लोकसेवक के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति जारी होने पर प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
B. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध जघन्य (Heinous), गंभीर (Grievous) आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous ) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे । Guidelines suspension reinstatement of Employees
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
C. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुचाने या पदीय दुरूपयोग संबंधी अन्य आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरुपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे।
लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरूपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
D. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न)
पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
ऐसे प्रकरणों में निलम्बित लोकसेवकों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय नियम 13 ( 5 ) के तहत प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार करते हुए निलम्बन से बहाल करने के आदेश जारी किये जा सकते हैं। निलम्बन से बहाली हेतु ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने की आवश्यकता नहीं है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
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सामान्य अनुदेश:-
1. पुनर्विलोकन समिति प्रत्येक प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार कर लोक सेवक के निलम्बन को समाप्त करने अथवा यथावत् रखने बाबत अपनी अभिशंषा करेगी। समिति की अभिशंषा पर निलम्बन से बहाली पश्चात् संबंधित विभाग लोक सेवक का पदस्थापन न्यून जनसंपर्क एवं कम महत्व के पद पर ऐसे अन्यत्र स्थान पर किया जाना सुनिश्चित करेगा जो कि उसके घटना स्थल से भिन्न एवं दूरस्थ स्थान पर हो । Guidelines suspension reinstatement of Employees
2. आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन से संबंधित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने योग्य मामलों में यदि अनुसंधान एजेंसी द्वारा 2 वर्ष की अवधि व्यतीत होने के पश्चात् भी अनुसंधान पूर्ण कर सक्षम न्यायालय में चालान अथवा सक्षम प्राधिकारिता को अभियोजन प्रस्ताव प्रेषित नहीं किया गया है तो ऐसे निलम्बित लोकसेवक के प्रकरण को भी बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखा जावे।।
3. पुनर्विलोकन समिति की बैठक चार माह में एक बार आवश्यक रूप से आयोजित की जावेगी।
4. आपराधिक मामलों में निलम्बित लोकसेवकों द्वारा निलम्बन आदेश के विरूद्ध मा. न्यायालय में याचिका / अपील दायर करने तथा मा. न्यायालय द्वारा सक्षम प्राधिकारी को सेवा नियमों के अनुरूप प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करने के निर्देश दिए जाने पर संबंधित प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण आधारित परीक्षण कर सक्षम प्राधिकारी द्वारा समुचित स्वमुखरित / सकारण आदेश (Speaking order) जारी किए जावे। ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष नहीं रखा जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
5. यदि किसी आपराधिक प्रकरण में विचारण न्यायालय द्वारा किसी लोक सेवक को दोषमुक्त कर दिया गया है तो ऐसे लोकसेवक को सामान्यतः निलम्बन से बहाल कर दिया जाना चाहिए चाहे राज्य सरकार ने ऐसे प्रकरण में मा, न्यायालय के आदेश के विरूद्ध अपील दायर कर दी हो। ऐसे मामलों में पुनर्विलोकन समिति की अभिशंषा की आवश्यकता नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees
6. आपराधिक प्रकरणों में लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम प्राधिकारी द्वारा यदि अभियोजन मनाही का निर्णय लिया गया है तो ऐसे प्रकरणों में निलम्बन समाप्त कर बहाली आदेश जारी किये जायेंगे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
7. लोक सेवक को 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखे जाने पर निलम्बन का आदेश नियम 13(2) के तहत् जारी किया जावे तथा शेष अन्य मामलों में निलम्बन का आदेश नियम 13 (1) के तहत् जारी किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees CLICK HERE
यहाँ हम राजस्थान सरकार के कार्मिको के लिए जारी दिशा निर्देश का एक सार प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं कि –
इन दिशानिर्देशों में यह है खास:-
– अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने जो प्रकरण रखे जाते हैं उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान पेश नहीं किया तो बहाली संभव है.
– इसके लिए चालान पेश नहीं होने पर 2 साल बाद प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जा सकता है.
– समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी.
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी.
– इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
– बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखने.कम महत्व के पद पर ऐसी जगह पोस्टिंग करने के हैं निर्देश जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो.
– रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने वाले प्रकरण.
– रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने व 48 घंटे तक कस्टडी में रहे तो संबंधित लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.
– ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति होने,कोर्ट में चालान पेश हो तो निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
– ऐसे लोकसेवक को पूर्व में निलंबित नहीं किया गया हो तो प्रकरण में लोकसेवक की जब अभियोजन स्वीकृति जारी होगी तब सक्षम अधिकारी परीक्षण करके निलंबन संबंधी लेंगे निर्णय.
– प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रवृत्ति, गंभीरता अनुरूप निर्णय के निर्देश.
– साथ ही लोकसेवक अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा और साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना का ध्यान रखकर निर्णय के निर्देश.
– प्रकरण में निलंबित करने पर कोर्ट में चालान पेश होने पर रखा जाएगा प्रकरण
– पुनर्विलोकन समिति के सामने निलंबन से बहाली के लिए रखा जाएगा.
दूसरी स्थिति:-
हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या के प्रकरण हों, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग हो. ऐसे प्रकरणों में लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा में यदि 48 घंटे तक रखा जाए तो ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.
– इन प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश हो तो करेगी समिति विचार.
– तब निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
– राजकोष को हानि पहुंचाने, पद दुरूपयोग के अन्य प्रकरण, अन्य पुलिस द्वारा रजिस्टर्ड आपराधिक प्रकरण जैसी श्रेणियों अनुसार निर्देश.
तीसरी स्थिति:-
हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी,भ्रूण हत्या मादक पदार्थों की तस्करी, सार्व.परीक्षा में अनुचित साधन उपयोग हो तो ऐसे आपराधिक प्रकरण में यदि लोकसेवक गिरफ्तार नहीं हुआ हो या गिरफ्तारी पर पुलिस/न्यायिक कस्टडी अवधि 48 घंटे या इससे कम है तो प्रकरण के तथ्यों,आरोप प्रकृति व गंभीरता अनुसार, लोकसेवक के अनुरूप आचरण या साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना के आधार पर होगा निर्णय.
– इन आधारों पर निलंबन को लेकर परीक्षण बाद होगा निर्णय
– निलंबन पर कोर्ट में चालान पेश हुआ तो बहाली के लिए हो सकेगा विचार
– इसके लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण
चौथी स्थिति:-
गबन,पद के दुरूपयोग,राजकोष को हानि पहुंचाने के हों प्रकरण या पदीय दुरूपयोग के हों अन्य आपराधिक प्रकरण और लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों तक रखा कस्टडी में तो ऐसा लोकसेवक होगा तुरंत निलंबित.
– ऐसे प्रकरणों में कोर्ट ने यदि चालान पेश किया तो बहाली पर होगा विचार.
– ऐसे प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे बहाली के लिए.
– ऐसे प्रकरणों में गिरफ्तारी नहीं हो या 48 घंटे या उससे कम की हो कस्टडी तो विभिन्न मापदंड ध्यान में रखकर लिया जाएगा निलंबन का निर्णय.
– ऐसे प्रकरण में निलंबन होने पर कोर्ट में चालान पेश हो तो बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जाएगा विचार के लिए.
पांचवीं स्थिति:-
जघन्य, गंभीर, गबन आदि के प्रकरणों के अलावा हो आपराधिक प्रकरण तो भी लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों की कस्टडी में लिया जाए.
– तो भी ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित किया जाए.
– यदि गिरफ्तार नहीं किया या कस्टडी 48 घंटे या इससे कम है तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर होगा निलंबन का निर्णय
– बहाली के लिए समिति के सामने नहीं रखे जाएंगे ऐसे प्रकरण और समिति में विचार के बाद हो सकती बहाली.
छठी स्थिति:-
अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने रखे जानेवाले हैं जो प्रकरण उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान नहीं किया पेश तो बहाली के लिए प्रकरण रखा जा सकता पुनर्विलोकन समिति के सामने.
– समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी
– इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
– बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखा जाएगा.
– कम महत्व के पद पर ऐसी जगह होगी उसकी पोस्टिंग
– जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो, यह करना होगा सुनिश्चित.
अन्य निर्देश:-
– बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति की बैठक 4 माह में हो 1 बार
– निलंबन आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका/ अपील दायर की हो या कोर्ट अधिकारी को प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करे तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर सक्षम अधिकारी करेगा परीक्षण.
– संबंधित प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता का रखें ध्यान.
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, मौजूदा स्थिति पर हो विचार.
– फिर अधिकारी कारण सहित जारी करे स्पीकिंग ऑर्डर.
– ऐसे प्रकरण नहीं रखे जाएं पुनर्विलोकन समिति के सामने आपराधिक प्रकरण में कोर्ट लोकसेवक को दोषमुक्त कर दे तो ऐसे लोकसेवक को निलंबन से किया जाए बहाल
– भले ही कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने की हो अपील तब पुनर्विलोकन समिति की नहीं ली जाए अभिशंसा
– यदि सक्षम अधिकारी अभियोजन के लिए करता है मनाही तो ऐसे प्रकरणों में निलंबन समाप्त कर बहाली की जाए
दरअसल, कई बार अलग-अलग मामलों में विभागों की ओर से लाइन ऑफ एक्शन के लिए राय ली जाती है, इसलिए ये दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
Guidelines suspension reinstatement of Employees
यहाँ अब हम भारत सरकार के कार्मिक विभाग से जारी निर्देशों का उल्लेख कर रहे हैं जिसके तहत कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने जो निर्देश जारी किये हैं जो कि केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू होते हैं
No.DOPT-1667564457999
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग
(दिनांक 04 नवम्बर, 2022 )
निलंबन
निलंबन से संबंधित प्रावधान कई नियमों में फैले हुए हैं जैसे केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965, मौलिक नियम आदि। इसके अलावा, कई निलंबन के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले संचार के विभिन्न तरीकों जैसे ओएम आदि के रूप में कार्यकारी निर्देश समय-समय पर जारी किए गए हैं। अब, इन प्रावधानों के उचित कार्यान्वयन में मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से, इन प्रावधानों को समेकित करने और आवश्यकता पड़ने पर आसान पहुंच के लिए इन्हें सार्वजनिक डोमेन में रखने की आवश्यकता महसूस की गई है। तदनुसार, उक्त नियम/कार्यकारी निर्देश निम्नानुसार संकलित किए गए हैं: Guidelines suspension reinstatement of Employees
(A) निलंबन–
निलंबन, हालांकि जुर्माना नहीं है, लेकिन इसका सहारा संयमपूर्वक लिया जाना चाहिए। जब भी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित किया जाता है तो सरकार न केवल उसकी सेवाएं खो देती है बल्कि उसे बिना काम करने के लिए भुगतान भी करती है। इसके साथ एक कलंक भी जुड़ा होता है। इसलिए, किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने का निर्णय सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करना होगा। [ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 3]
(B) परिस्थितियाँ जिसके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा जा सकता है
(a) जहां, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार किया जा रहा है या लंबित है; या Guidelines suspension reinstatement of Employees
(b) जहां, सक्षम प्राधिकारी की राय में, उसने खुद को राज्य की सुरक्षा के हित के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल कर लिया है;
या
(c) जहां, किसी आपराधिक अपराध के संबंध में उसके खिलाफ मामला जांच, पूछताछ या परीक्षण के अधीन है। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(C) परिस्थितियाँ जिनके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा [निलंबन माना जाता है]
(a) यदि सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक की अवधि के लिए हिरासत में रखा जाता है, चाहे वह आपराधिक आरोप पर हो या अन्यथा;
(b) यदि, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने की स्थिति में, सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक कारावास की सजा सुनाई जाती है और उसे तुरंत बर्खास्त या हटाया नहीं जाता है या अनिवार्य रूप से नहीं हटाया जाता है ऐसी सजा के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्त हो गए।
स्पष्टीकरण – उपरोक्त खंड (बी) में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि की गणना दोषसिद्धि के बाद कारावास की शुरुआत से की जाएगी और इस प्रयोजन के लिए, कारावास की रुक-रुक कर अवधि, यदि कोई हो, को ध्यान में रखा जाएगा। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
किसी भी कारण से गिरफ्तार किए गए सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि वह अपनी गिरफ्तारी के तथ्य और उससे जुड़ी परिस्थितियों की जानकारी तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारी को दे, भले ही बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया हो। संबंधित व्यक्ति या किसी अन्य स्रोत से सूचना प्राप्त होने पर विभागीय अधिकारियों को यह निर्णय लेना चाहिए कि क्या व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार तथ्य और परिस्थितियां उसके निलंबन की मांग करती हैं। किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित करने में विफलता को महत्वपूर्ण जानकारी का दमन माना जाएगा और उसे केवल इस आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, उस कार्रवाई के अलावा जो परिणाम के आधार पर अपेक्षित हो सकती है। उसके खिलाफ पुलिस केस. [ओएम संख्या 39/59/54-स्था.(ए) दिनांक 25.02.1955]
(c) जहां निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना अपील में या समीक्षा पर अलग रखा जाता है और मामले को माफ कर दिया जाता है आगे की जांच या कार्रवाई या किसी अन्य निर्देश के साथ, उनके निलंबन का आदेश बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से लागू माना जाएगा और अगले आदेश तक लागू रहेगा। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(3)]
(d) जहां किसी सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड किसी निर्णय के परिणामस्वरूप रद्द या घोषित या शून्य कर दिया जाता है। कानून की अदालत और अनुशासनात्मक प्राधिकारी, मामले की परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, उन आरोपों पर उसके खिलाफ आगे की जांच करने का निर्णय लेते हैं, जिन पर मूल रूप से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना लगाया गया था, सरकारी कर्मचारी होगा बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा और अगले आदेश तक निलंबन के तहत रहना जारी रहेगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
बशर्ते कि ऐसी किसी भी आगे की जांच का आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि इसका उद्देश्य ऐसी स्थिति को पूरा करना न हो जहां न्यायालय ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना पूरी तरह से तकनीकी आधार पर आदेश पारित कर दिया हो। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(4)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(e) सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10(4) में विचारित आगे की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए, सिवाय उस मामले के जब बर्खास्तगी, निष्कासन का दंड हो या अनिवार्य सेवानिवृत्ति को तकनीकी आधार पर किसी न्यायालय द्वारा मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना या जब नई सामग्री सामने आई हो जो न्यायालय के समक्ष नहीं थी, रद्द कर दी गई हो। हालाँकि, उन आरोपों की आगे की जाँच, जिनकी जाँच न्यायालय द्वारा नहीं की गई है, नियम 10(4) के तहत विभागीय अधिकारियों द्वारा आदेश दिया जा सकता है ibid निर्भर करता है प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर। [ओएम संख्या 11012/24/77-स्था.(ए) दिनांक 18.03.1978] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(f) एक प्रश्न कि क्या सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 (2) के तहत आने वाले मामले में निलंबन के आदेश की अवधि के लिए सीमित कार्रवाई है हिरासत और इससे परे नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राजीव कुमार (2003 (5) स्केल 297) के मामले में विचार किया था। इस मामले में भारत संघ की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नियम 10 (2) के संदर्भ में आदेश नहीं है। अवधि या प्रभावकारिता का बिंदु केवल हिरासत की वास्तविक अवधि तक। यह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम 5 (ए) में दिए गए उप-नियम 5 (सी) के तहत संशोधित या निरस्त होने तक क्रियाशील रहेगा। [ओएम संख्या 11012/8/2003-स्था.(ए) दिनांक 23.10.2003] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(D) ऐसी परिस्थितियाँ जिनके तहत सक्षम प्राधिकारी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित [मार्गदर्शन के लिए रखने पर विचार कर सकता है और इसे नहीं लिया जाना चाहिए अनिवार्य].
(i) ऐसे मामले जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से जांच, मुकदमे या किसी पूछताछ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा (उदाहरण के लिए गवाहों या दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका);
(ii) जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से उस कार्यालय में अनुशासन गंभीर रूप से नष्ट होने की संभावना है जिसमें लोक सेवक काम कर रहा है;
(iii) जहां सरकारी कर्मचारी का पद पर बने रहना व्यापक सार्वजनिक हित के विरुद्ध होगा [(i) और (ii) द्वारा कवर किए गए लोगों को छोड़कर] जैसे कि वहां सार्वजनिक घोटाला है और ऐसे घोटालों, विशेषकर भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों से सख्ती से निपटने की सरकार की नीति को प्रदर्शित करने के लिए सरकारी कर्मचारी को निलंबित करना आवश्यक है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
(iv) जहां सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं और प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है जो उसके अभियोजन को उचित ठहराएगा या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है विभागीय कार्यवाही, और जहां कार्यवाही उसकी दोषसिद्धि और/या बर्खास्तगी, निष्कासन या सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति में समाप्त होने की संभावना है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
ध्यान दें: पहले तीन परिस्थितियों में अनुशासनात्मक प्राधिकारी अपने विवेक का प्रयोग करके किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित कर सकता है, भले ही मामले की जांच चल रही हो और प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने से पहले भी।
(v) नीचे बताई गई परिस्थितियों में निलंबन वांछनीय हो सकता है:-
a) कोई भी अपराध या आचरण जिसमें नैतिक अधमता शामिल हो;
b) भ्रष्टाचार, सरकारी धन का गबन या दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति का कब्ज़ा, व्यक्तिगत लाभ के लिए आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग;
c) कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही और लापरवाही के परिणामस्वरूप सरकार को काफी नुकसान हुआ;
d) कर्तव्य से विमुख होना;
e) वरिष्ठ अधिकारियों के लिखित आदेशों को पूरा करने से इनकार करना या जानबूझकर विफलता। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(E) दहेज मृत्यु के मामलों में शामिल सरकारी सेवकों का निलंबन.
यदि पुलिस ने किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी [दहेज हत्या] के तहत मामला दर्ज किया है, तो वह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम (1) के प्रावधानों को लागू करके सक्षम प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में निलंबन के तहत रखा जाएगा-
(i) यदि सरकारी कर्मचारी को पुलिस मामला दर्ज करने के संबंध में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे हिरासत की अवधि की परवाह किए बिना तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(ii) यदि उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो उसे आपराधिक संहिता की धारा 173 की उप-धारा (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। प्रक्रिया, 1973, मजिस्ट्रेट के पास, यदि रिपोर्ट प्रथम दृष्टया इंगित करती है कि अपराध सरकारी कर्मचारी द्वारा किया गया है। [ओएम संख्या 11012/8/87-स्था.(ए) दिनांक 22.06.1987]
(F) सक्षम प्राधिकारी
Ø निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी को रखने के लिए प्राधिकारी सक्षम
(i) नियुक्ति प्राधिकारी, या
(ii) कोई भी प्राधिकारी जिसके अधीन नियुक्ति प्राधिकारी है, या
(iii) अनुशासनात्मक प्राधिकारी, या
(iv) सामान्य या विशेष आदेश द्वारा राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में सशक्त कोई अन्य प्राधिकारी।
बशर्ते कि, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा के एक सदस्य के संबंध में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा किए गए निलंबन के आदेश के मामले को छोड़कर और एक सहायक महालेखाकार या समकक्ष (भारतीय के नियमित सदस्य के अलावा) के संबंध में लेखापरीक्षा और लेखा सेवा), जहां निलंबन का आदेश नियुक्ति प्राधिकारी से निचले प्राधिकारी द्वारा किया जाता है, ऐसा प्राधिकारी तुरंत नियुक्ति प्राधिकारी को उन परिस्थितियों की रिपोर्ट करेगा जिनमें आदेश दिया गया था। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(1)]
Ø मुख्यालय के बाहर स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में पर्यवेक्षी अधिकारियों को, जहां भी आवश्यक हो, विशेष आदेश जारी करके, नीचे उल्लिखित शर्तों के अधीन, अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निलंबित करने का अधिकार दिया जा सकता है। सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के अनुसरण में राष्ट्रपति के नाम पर आदेश: Guidelines suspension reinstatement of Employees
मुख्यालय से दूर स्थित कार्यालयों में केवल पर्यवेक्षी अधिकारियों को कर्तव्यों के घोर लापरवाही के मामले में अधीनस्थ अधिकारी को निलंबित करने के लिए विशेष रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है। इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए निलंबित प्राधिकारी को प्रत्येक मामले के तथ्यों को तुरंत अगले उच्च प्राधिकारी को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होनी चाहिए, और निलंबन के ऐसे सभी आदेश तब तक शून्य हो जाने चाहिए जब तक कि एक अवधि के भीतर समीक्षा प्राधिकारी द्वारा इसकी पुष्टि न कर दी जाए। आदेश की तारीख से महीना. [ओएम संख्या 7/4/74-स्था.(ए) दिनांक 9.08.1974] Guidelines suspension reinstatement of Employees
मानित निलंबन के संबंध में आदेश जारी करने के लिए प्राधिकारी सक्षम-
(i) निलंबन का आदेश किया गया या किया हुआ समझा गया, उस प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय संशोधित या रद्द किया जा सकता है जिसने आदेश दिया या ऐसा माना जाता है कि उसने आदेश दिया है या किसी भी प्राधिकारी द्वारा जिसके वह प्राधिकारी अधीनस्थ है। [CCS(CCA) नियम, 1965 के नियम 10(5) (सी)]
(ii) निलंबन का आदेश किया गया या किया गया माना गया, उसकी प्रभावी तिथि से 90 दिन की समाप्ति से पहले, निलंबन को संशोधित करने या रद्द करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा समीक्षा की जाएगी। निलंबन की तारीख, इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर और निलंबन को बढ़ाने या रद्द करने के आदेश पारित करें। निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी।निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी। निलंबन का विस्तार एक बार में 180 दिनों से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(iii) निलंबन का आदेश 90 दिनों की अवधि के बाद वैध नहीं होगा, जब तक कि इसे समीक्षा के बाद आगे की अवधि के लिए नहीं बढ़ाया जाता है। 90 दिनों की समाप्ति. Guidelines suspension reinstatement of Employees
बशर्ते कि निलंबित किए जाने के मामले में निलंबन की ऐसी कोई समीक्षा आवश्यक नहीं होगी, यदि सरकारी सेवक हिरासत में रहता है और ऐसे मामले में नब्बे दिन की अवधि की गणना हिरासत में हिरासत में लिए गए सरकारी सेवक की रिहाई की तारीख से की जाएगी। निरोध या वह तारीख जिस पर निरोध से उसकी रिहाई का तथ्य उसके नियुक्ति प्राधिकारी को सूचित किया जाता है, जो भी बाद में हो:
बशर्ते कि ऐसे मामले में जहां इन नियमों के तहत कोई आरोप पत्र जारी नहीं किया गया है, उप-नियम (6) के संदर्भ में किसी भी विस्तारित अवधि सहित, जैसा भी मामला हो, निलंबन या समझा गया निलंबन के तहत कुल अवधि, – से अधिक नहीं होगी।
निलंबन आदेश की तारीख से दो सौ सत्तर दिन बाद, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-नियम (1) के खंड (ए) के अनुसार निलंबित कर दिया जाता है ); या
निलंबन के आदेश की तारीख से दो वर्ष, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-खंड (एए) या खंड (बी) के संदर्भ में निलंबित कर दिया गया है। नियम (1) जैसा भी मामला हो; या
(iv) लंबी निलंबन अवधि के मामलों में, अदालतों ने बताया है कि निलंबन को लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है और डीओपी एंड टी के निर्देशों के बावजूद, अनुशासनात्मक अधिकारी निर्धारित समय के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम रूप नहीं दे रहे हैं। साथ ही, ऐसे मामलों में सरकार अनावश्यक रूप से बिना किसी कार्य के जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान कर रही है |
और यदि अनुशासनात्मक कार्यवाही की समाप्ति पर, आरोपित अधिकारी आरोप से मुक्त हो जाता है, तो सरकार को अनावश्यक रूप से पूरा वेतन देना होगा और अवधि का इलाज करना होगा। ड्यूटी आदि के दौरान निलंबन। इसलिए, यह वांछनीय है कि निलंबन की समय पर समीक्षा उचित और उचित तरीके से की जाए और अनुशासनात्मक कार्यवाही को शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाए। [ओएम संख्या 11012/17/2013-Estt.A-III दिनांक 18.11.2014] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(I) समीक्षा समिति
(i) इस नियम के तहत किए गए या किए गए माने गए निलंबन आदेश की समीक्षा इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाएगी।. Guidelines suspension reinstatement of Employees
(ii) समीक्षा समिति की संरचना:
अनुशासनात्मक प्राधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी और उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक/अपीलीय प्राधिकारी के स्तर का एक अन्य अधिकारी (यदि कोई अन्य अधिकारी हो) समान कार्यालय में समान स्तर उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां राष्ट्रपति अनुशासनात्मक प्राधिकारी या अपीलीय प्राधिकारी नहीं है।
अनुशासनात्मक प्राधिकारी और सचिव/अपर स्तर के दो अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक प्राधिकारी के समकक्ष या उच्चतर पद पर हैं (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अपीलीय प्राधिकारी है राष्ट्रपति.
सचिव/अपर स्तर के तीन अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी विभाग/कार्यालय या किसी अन्य केंद्र सरकार विभाग/कार्यालय से निलंबित अधिकारी से उच्च पद पर हों (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी राष्ट्रपति है.
संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग/कार्यालय ऊपर बताए अनुसार स्थायी आधार पर या तदर्थ आधार पर समीक्षा समितियों का गठन कर सकता है।
(iii) समीक्षा समिति मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह भी ध्यान में रखते हुए निलंबन को रद्द करने/जारी रखने के संबंध में विचार कर सकती है अनुचित रूप से लंबे समय तक निलंबन, संबंधित कर्मचारी को अनुचित कठिनाई में डालते हुए, कर्मचारी को सरकार के लिए कोई उपयोगी सेवा किए बिना निर्वाह भत्ते का भुगतान करना शामिल है।
पूर्वगामी पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि अधिकारी अदालत में कोई आरोप दायर किए बिना एक वर्ष के लिए निलंबित है या विभागीय जांच में कोई चार्ज-मेमो जारी नहीं किया गया है, तो उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के सेवा में बहाल कर दिया जाएगा। उसके खिलाफ मामला। हालाँकि, यदि अधिकारी पुलिस/न्यायिक हिरासत में है या किसी गंभीर अपराध या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले का आरोपी है, तो समीक्षा समिति उसके निलंबन को जारी रखने की सिफारिश कर सकती है। संबंधित अधिकारी. [ओएम संख्या 11012/4/2003-स्था.(ए) दिनांक 07.01.2004] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(J) निलंबन अवधि के दौरान भुगतान और भत्ते
v जीवन निर्वाह भत्ता
निलंबित सरकारी कर्मचारी को कोई वेतन नहीं दिया जाता है, लेकिन उसे छुट्टी वेतन के बराबर राशि का निर्वाह भत्ता दिया जाता है, जिसे सरकारी कर्मचारी तब लेता जब वह आधे औसत वेतन या आधे वेतन पर छुट्टी पर होता और इसके अलावा महंगाई भत्ता भी लेता। यदि ऐसे अवकाश वेतन के आधार पर स्वीकार्य हो।
जहां निलंबन की अवधि 3 महीने से अधिक हो जाती है, वह प्राधिकारी जिसने निलंबन का आदेश दिया है या माना जाता है कि वह पहले तीन महीनों की अवधि के बाद किसी भी अवधि के लिए निर्वाह भत्ते की राशि को निम्नानुसार भिन्न करने में सक्षम होगा:
निर्वाह भत्ते की राशि उपयुक्त राशि से बढ़ाई जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं हो, यदि उक्त प्राधिकारी की राय, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ा दी गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार नहीं है;
निर्वाह भत्ते की राशि, एक उपयुक्त राशि से कम की जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं होगी, यदि, उक्त प्राधिकारी की राय में, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाई गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
महंगाई भत्ते की दर उप-खंड (i) के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ते की बढ़ी हुई या, जैसा भी मामला हो, घटी हुई राशि पर आधारित होगी। और (ii) ऊपर. [FR 53 (1)(ii)(a)]
कोई अन्य प्रतिपूरक भत्ता
निलंबित सरकारी कर्मचारी भी इसका हकदार है:
समय-समय पर स्वीकार्य कोई भी अन्य प्रतिपूरक भत्ता, उस वेतन के आधार पर, जो सरकारी कर्मचारी निलंबन की तिथि पर प्राप्त कर रहा था, बशर्ते कि ऐसे भत्तों के आहरण के लिए निर्धारित अन्य शर्तें पूरी की जाती हों। [FR 53 (1)(ii)(b)]
कोई भुगतान तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि सरकारी कर्मचारी यह प्रमाण पत्र नहीं दे देता कि वह किसी अन्य रोजगार, व्यवसाय, पेशे या व्यवसाय में संलग्न नहीं है। [एफआर 53(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
v निर्वाह भत्ते से वसूली-
अनिवार्य कटौतियाँ लागू की जाएँ
निलंबित अधिकारी की इच्छानुसार कटौतियाँ
कटौती नहीं की जाएगी
(i) आय कर(ii) घर का किराया (लाइसेंस शुल्क) और संबद्ध शुल्क(iii) सरकार से लिए गए ऋणों और अग्रिमों का पुनर्भुगतान – वसूली की दर विभाग प्रमुख द्वारा निर्धारित की जाएगी(iv) सीजीएचएस योगदान(v) CGEGIS सदस्यता
(i) पीएलआई प्रीमियम(ii) सहकारी दुकानों/सोसाइटियों को देय राशि(iii) जीपीएफ अग्रिम का रिफंड
(i) GPF सदस्यता(ii) अदालत की कुर्की के कारण देय राशि(iii) सरकार को हुए नुकसान की वसूली
निलंबित अधिकारी पर अन्य लोगों के साथ डीपीसी द्वारा विचार किया जाएगा। हालांकि, निलंबित अधिकारियों के संबंध में सिफारिशें एक सीलबंद कवर में रखी जाएंगी।< a i=2>अनुशासनात्मक/आपराधिक कार्यवाही के परिणाम के आधार पर सीलबंद लिफाफे को खोला/नहीं खोला जाएगा (अर्थात सीलबंद लिफाफे में निहित अनुशंसा पर कार्रवाई नहीं की जाएगी)।
यदि रिपोर्टिंग/समीक्षा अधिकारी उस समय निलंबित है जब गोपनीय रिपोर्ट लिखी/समीक्षा की जानी है, तो उसे निलंबित किए जाने की तारीख से दो महीने के भीतर या एक महीने के भीतर संबंधित अधिकारी द्वारा इसे लिखा/समीक्षा करवाई जा सकती है। उस तारीख से जिस दिन रिपोर्ट देय थी, जो भी बाद में हो। निलंबित अधिकारी को ऊपर निर्दिष्ट समय सीमा के बाद गोपनीय रिपोर्ट लिखने/समीक्षा करने के लिए नहीं कहा जाएगा। [ओएम संख्या 21011/2/78-स्था.(ए) दिनांक 01.08.1978]
निलंबित किसी भी अधिकारी को अपने अधीनस्थों की एसीआर लिखने/समीक्षा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, यदि लेखन/समीक्षा के प्रमुख भाग के दौरान वह निलंबित है क्योंकि उसके पास अपने अधीनस्थों के काम की निगरानी करने का पूरा अवसर नहीं हो सकता है। [ओएम संख्या 21011/8/2000-स्था.(ए) दिनांक 25.10.2000] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(M) निलंबन के दौरान LTC
निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी एलटीसी का लाभ नहीं उठा सकता क्योंकि उसे निलंबन की अवधि के दौरान आकस्मिक अवकाश सहित कोई छुट्टी नहीं मिल सकती है। चूंकि वह निलंबन की अवधि के दौरान सेवा में बना रहता है , उनके परिवार के सदस्य एलटीसी के हकदार हैं। [ओएम संख्या ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 12]
(N) निलंबन के दौरान छुट्टी
निलंबित सरकारी कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी जा सकती। [FR-55]
(O) निलंबन के दौरान मुख्यालय
निलंबन के तहत एक अधिकारी को आम तौर पर सरकारी कर्मचारियों पर लागू होने वाली सेवा की सभी अन्य शर्तों के अधीन माना जाता है और वह पूर्व अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ सकता है। इस प्रकार, एक सरकार का मुख्यालय आमतौर पर नौकर को उसकी ड्यूटी का अंतिम स्थान माना जाना चाहिए। किसी अधिकारी को निलंबित करने के आदेश में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए कि उसका मुख्यालय क्या होगा।
हालाँकि, जहां निलंबित व्यक्ति मुख्यालय बदलने का अनुरोध करता है, तो सक्षम प्राधिकारी को मुख्यालय बदलने पर कोई आपत्ति नहीं है यदि वह संतुष्ट है कि इस तरह के पाठ्यक्रम से सरकार को टी.ए. अनुदान जैसा कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। आदि या अन्य जटिलताएँ। [ओएम संख्या कार्यालय ज्ञापन संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 10] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(i) पैनलमेंट(ii) कोई भी प्रतिनियुक्ति जिसके लिए मंजूरी आवश्यक है(iii) संवेदनशील पोस्ट पर नियुक्ति(iv) प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए असाइनमेंट (अनिवार्य प्रशिक्षण को छोड़कर)
नियुक्ति के लिए किसी सरकारी कर्मचारी के आवेदन पर, चाहे वह सीधी भर्ती से हो, प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण हो या किसी अन्य पद पर स्थानांतरण हो, विचार नहीं किया जाना चाहिए/अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए यदि वह निलंबित है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
जहां एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबित है, अपना इस्तीफा देता है, सक्षम प्राधिकारी को सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक मामले की योग्यता के संदर्भ में जांच करनी चाहिए कि क्या इस्तीफा स्वीकार करना सार्वजनिक हित में होगा। आम तौर पर, चूंकि अधिकारियों को गंभीर अपराध के मामलों में ही निलंबित किया जाता है, इसलिए निलंबित अधिकारी से इस्तीफा स्वीकार करना सही नहीं होगा। इस नियम के अपवाद वे होंगे जहां कथित अपराध में नैतिक अधमता शामिल नहीं है
एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबन के दौरान सेवानिवृत्त होता है, वह उस तारीख से ठीक पहले की तारीख तक अर्हक सेवा के आधार पर अधिकतम पेंशन के बराबर अनंतिम पेंशन का हकदार होता है। निलंबित कर दिया गया। [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 8(4)(ए)]
(T) पेंशन के प्रयोजन के लिए अर्हक सेवा के रूप में निलंबन की अवधि की गणना:
“निलंबन की अवधि की गणना-
(1) आचरण की जांच लंबित रहने तक निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी द्वारा बिताया गया समय अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा, जहां ऐसी जांच के निष्कर्ष पर, उसे पूरी तरह से दोषमुक्त कर दिया गया है या केवल मामूली जुर्माना लगाया गया है और निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना गया है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(2) उप-नियम (1) के अंतर्गत नहीं आने वाले मामलों में, निलंबन की अवधि की गणना तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि प्राधिकारी ऐसे मामलों को नियंत्रित करने वाले नियम के तहत स्पष्ट रूप से आदेश पारित करने में सक्षम न हो उस समय घोषणा करता है कि यह उस सीमा तक गिना जाएगा जितनी सक्षम प्राधिकारी घोषित कर सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(3) निलंबन के सभी मामलों में, सक्षम प्राधिकारी एक आदेश पारित करेगा जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाएगा कि किस सीमा तक, यदि कोई हो, निलंबन की अवधि को अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा और इस संबंध में सरकारी सेवक की सेवा पुस्तिका में निश्चित प्रविष्टि की जाएगी।” [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 23] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(U) एक निलंबित अधिकारी का वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) की स्वीकृति।
निलंबित सरकारी कर्मचारी जो एफआर 56(के) या एफआर-56(एम) या सीसीएस (पेंशन) नियम 2021 के नियम 43 (3) के तहत सेवानिवृत्त होना चाहता है, उसकी अनुमति रोकने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी के पास खुला होगा। [FR-56(k) और FR-56(m)][सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 43(3)]
(V) निलंबन से निरसन/बहाली के बाद भुगतान और भत्ता
जब एक सरकारी कर्मचारी जिसे निलंबित कर दिया गया है, उसे बहाल कर दिया जाता है या उसे बहाल किया जाना चाहिए था, लेकिन निलंबन के दौरान उसकी सेवानिवृत्ति (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए, बहाली का आदेश देने के लिए सक्षम प्राधिकारी इस पर विचार करेगा और एक विशिष्ट आदेश देगा-
(a) सरकारी कर्मचारी को बहाली के साथ समाप्त होने वाली निलंबन की अवधि या उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए भुगतान किए जाने वाले वेतन और भत्ते के संबंध में, जैसा कि मामला हो सकता है; और
(b) चाहेकहाअवधि ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में मानी जाएगी “[FR-54(बी)(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(W) कार्यवाही के समापन पर
v यदि दोषमुक्त किया गया है
जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि निलंबन पूरी तरह से अनुचित था, सरकारी कर्मचारी को पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है।
जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि कार्यवाही में देरी सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के कारण हुई है, तो वह सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद – यदि कोई हो, कम राशि का भुगतान करने का आदेश दे सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
निलंबन की अवधि को सभी प्रयोजनों के लिए ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में माना जाएगा। [एफआर 54-बी (3) और amp; (4)]
v मामूली जुर्माना लगाया गया है
जहां कार्यवाही के परिणामस्वरूप केवल मामूली जुर्माना लगाया जाता है, तो निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना जाता है और संबंधित कर्मचारी को एफआर 54-बी के तहत उचित आदेश पारित करके निलंबन की अवधि के लिए पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है। [O.M. क्रमांक 11012/15/85-स्था.(ए) दिनांक. 03.12.1985]
v मुक्ति/मामूली दंड के अलावा
(a) सक्षम प्राधिकारी सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और उसके प्रतिनिधित्व, यदि कोई हो, पर विचार करने के बाद भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण करेगा। [एफआर 54-बी(5)]
(b) निलंबन की अवधि को कर्तव्य के रूप में नहीं माना जाएगा जब तक कि सक्षम प्राधिकारी विशेष रूप से निर्देश न दे कि इसे किसी निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए ऐसा माना जाएगा।
(c) यदि सरकारी कर्मचारी चाहे तो निलंबन की अवधि को देय एवं स्वीकार्य अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है। (नोट: अस्थायी सरकारी सेवकों के मामले में ऐसी छुट्टी 3 महीने से अधिक या स्थायी सरकारी सेवकों के मामले में 5 साल से अधिक हो सकती है) [एफआर 54-बी(7)]
नोट: एफआर 54-बी(9) के अनुसार, जहां भी अनुमत राशि पूर्ण वेतन और भत्तों से कम है, वह पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते से कम नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(X) निलंबन के दौरान मृत्यु
जहां निलंबित सरकारी कर्मचारी की अनुशासनात्मक कार्यवाही या उसके खिलाफ अदालती कार्यवाही समाप्त होने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो निलंबन की तारीख और मृत्यु की तारीख के बीच की अवधि को सभी उद्देश्यों के लिए कर्तव्य के रूप में माना जाएगा और उसके परिवार को पूरा वेतन दिया जाएगा। यदि उसे निलंबित नहीं किया गया होता तो वह जिन भत्ते का हकदार होता, वह उस अवधि के लिए पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते के समायोजन के अधीन होगा। [FR 54-बी(2)]
(Y) चार्ज शीट इत्यादि की सेवा।
क) निलंबन आदेश में सामान्यतः निलंबन का कारण दर्शाया जाना चाहिए। Guidelines suspension reinstatement of Employees
बी) जहां निलंबन विचाराधीन कार्यवाही के आधार पर है, वहां सरकारी कर्मचारी को 3 महीने के भीतर आरोप पत्र दिया जाना चाहिए
नोट: यदि प्रासंगिक ओएम के किसी संदर्भ की आवश्यकता है, तो इसे हाइपरलिंक पर क्लिक करके या डीओपीटी की वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
केन्द्रीय कर्मचारियों के विस्तृत दिशा निर्देश यहाँ देखें
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SDMC Work Duty Organisation: विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति गठन की सम्पूर्ण रुपरेखा नियमावली और प्रस्ताव लेखन कार्यवाही, अपने विद्यालय में त्रुटी रहित और प्रभावी SDMC का गठन करने की सम्पूर्ण जानकारी इस आलेख में हमारे एक्सपर्ट ने आपको उपलब्ध करवाया हैं |
कार्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर के आदेश दिनांक: 21.01.15 के द्वारा समस्त राजकीय माध्यमिक / उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 तक के लिए विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (SDMC) तथा कक्षा 1-8 तक के लिये विद्यालय प्रबन्धन समिति (SMC) के गठन के आदेश जारी किये गये हैं। इन आदेशों के अनुसार विद्यालय प्रबन्धन समिति द्वारा कक्षा 1-8 तक की कक्षाओं में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ सर्व शिक्षा अभियान तथा मिड-डे-मील की राशि की प्राप्ति व व्यय का लेखा जोखा पृथक से संधारित किया जायेगा। विद्यालय प्रबन्धन समिति का गठन पूर्व प्रदत्त आदेशों के अनुसार ही होगा।
विद्यालय की विद्यालय विकास योजना प्रतिवर्ष 31 जुलाई से पूर्व तैयार करना।
2- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्ययोजना बनाकर लक्ष्य प्राप्त करना-
विद्यालय की नामांकन दर आदर्श नामांकन संख्या तक लाना।माध्यमिक स्तर की ड्राप आउट दर 25 प्रतिशत से नीचे लाना।विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिये भौतिक, मानवीय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संसाधन उपलब्ध कराना जिससे कि विद्यार्थी एवं विद्यालय के शैक्षिक एवं सहशैक्षिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके तथा विद्यालय का समाज के साथ सह संबंध स्थापित हो सके ।
3- अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में तैयार की गई विद्यालय की योजना को शाला दर्पण में आवश्यक रूप से अपलोड करवाया जाकर उसकी एक प्रति विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।
4- प्रत्येक 3 माह में विद्यालय योजना की प्रगति शाला दर्पण पर अपलोड करवाकर विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।
माध्यमिक / उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9-12 के विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार एवं विद्यालय भवन के विकास सम्बन्धी कार्य विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (SDMC) द्वारा किये जायेंगे। इसके साथ ही RMSA से प्राप्त अनुदान विकास शुल्क एवं अन्य प्राप्त होने वाली राशियों का लेनदेन / लेखा-जोखा इस समिति द्वारा संधारित किया जायेगा। विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (SDMC) तथा अन्य उप समितियों के गठन हेतु संरचना एवं इनके दायित्व शासन की स्वीकृति क्रमांक प.17 (22) शिक्षा 1 / 2016 जयपुर दिनांक 01.07.2016 के क्रम में आंशिक संशोधनोपरान्त एतद् द्वारा निर्धारित किए जाते हैं |
SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
1. School Development and Management Committee (SDMC) की कार्यकारिणी समिति की सरंचना (RMSA गाइडलाइन के अनुसार) –
विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (School Development and Management Committee) की कार्यकारिणी समिति की संरचना RMSA गाइडलाइन के अनुसार
क्र सं
सदस्य विवरण
पद व संख्या
1
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक
अध्यक्ष
2
अभिभावकों में से एससी/एसटी समुदाय के प्रतिनिधि
2 सदस्य
3
अभिभावकों में से महिला प्रतिनिधि
2 सदस्य
4
अभिभावकों में से अन्य प्रतिनिधि
2 सदस्य
5
सामाजिक विज्ञान का अध्यापक प्रतिनिधि
1 सदस्य
6
विज्ञान का अध्यापक प्रतिनिधि
1 सदस्य
7
गणित का अध्यापक प्रतिनिधि
1 सदस्य
8
पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि
2 सदस्य
9
आॅडिट व वित्त विभाग का एक व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक)
1 सदस्य
10
शैक्षिक रूप से पिछड़ेे अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधि
1 सदस्य
11
महिला समूहों में से प्रतिनिधि सदस्य
1 सदस्य
12
ग्राम शिक्षा विकास समिति का सदस्य/शिक्षाविद्
1 सदस्य
13
विज्ञान, मानविकी एवं कला/संस्कृति/क्राफ्ट की पृष्ठभूमि वाले (जिला परियोजना समन्वयक द्वारा मनोनीत) प्रतिनिधि
1 सदस्य
14
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मनोनीत अधिकारी
1 सदस्य
15
विद्यार्थी प्रतिनिधि
2 सदस्य
16
विधायक प्रतिनिधि
2 सदस्य
17
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड सदस्य सचिव टीचर) वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि में/व0अ0-मावि में
सदस्य सचिव
कुल सदस्य
23
कुल सदस्य = 23 सदस्य
(I) विद्यालय द्वारा नॉन रेकरिंग मद में खरीद करने पर बीईईओ / डीपीसी कार्यालय लेखाकार / कनिष्ठ लेखाकार को सदस्य रूप में मनोनीत किया जाये।
(II) विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति के निर्धारित सदस्यों में से कम से कम एक सदस्य ऐसा हो, जो एसएमसी में भी संदस्य हो एवं कुल SDMC सदस्यों में से कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्य हों |
(III) SDMC की कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल दो शैक्षिक सत्र हेतु होगा। तत्पश्चात् नवीन चयन होगा।
(IV) सत्रारम्भ में SDMC के गठन के लिये साधारण सभा की बैठक जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित की जाये। उक्त बैठक में साधारणतया सर्वसम्मति से सदस्यों का मनोनयन किया जाये। जहां सर्वसम्मति न हो पाये, वहां उपस्थित सदस्यों में से बहुमत की राय को प्राथमिकता दी जावे।
(V) प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता के लिये सभाध्यक्ष प्रस्तावित किया जाये जो कि स्थानीय समुदाय से होना चाहिए।
(VI) SDMC गठन के उपरान्त एक बोर्ड तैयार कर सभी कार्यकारिणी सदस्यों के नाम, पता एवं दूरभाष / मोबाईल नम्बर सर्व साधारण हेतु उपलब्ध कराए जाएं।
महत्वपूर्ण सामग्री आदेश सर्कुलर और अन्य आवश्यक दस्तावेज :-
SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
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शाला विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) के गठन, कार्य दायित्व, कोरम पूर्ति, प्रस्ताव, कार्य अनुमोदन आदि के संबंध में जानकारी दीजिये?
शाला विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) के गठन, कार्य दायित्व, कोरम पूर्ति, प्रस्ताव, कार्य अनुमोदन आदि के संबंध में (श्रीमान निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान ,बीकानेर के परिपत्र दिनांक 6 जुलाई 2016 के संदर्भ में)
माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार एवं विद्यालय भवन के विकास संबंधी कार्य एसडीएमसी के द्वारा किए जाएंगे। इसके साथ ही समग्र शिक्षा अभियान से प्राप्त अनुदान, विकास शुल्क एवं अन्य प्राप्त होने वाली राशियों का लेनदेन अथवा लेखा-जोखा इस समिति द्वारा संधारित किया जाएगा।
विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति तथा अन्य उप समितियों के गठन हेतु संरचना एवं इनके दायित्व शासन की स्वीकृति क्रमांक प.17 (22) शिक्षा_ 1/ 2016, जयपुर दिनांक 1. 7.2016 के क्रम में आंशिक संशोधन उपरांत एतद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
एसडीएमसी गठन हेतु सामान्य निर्देश
वर्तमान गाइड लाइन के अनुसार एसडीएमसी में कार्य कारिणी समिति में कुल 23 सदस्य शामिल होंगे जिसमें प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक समिति का अध्यक्ष होगा तथा प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर)/ वरिष्ठतम व्याख्याता उच्च माध्यमिक विद्यालय में ) वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक माध्यमिक विद्यालय में सदस्य सचिव के रूप में काम करेंगे।
1.विद्यालय द्वारा अनावर्ती मद (non-recurring )में खरीद करने पर सी बी ई ई ओ /SMSA कार्यालय के लेखाकार /कनिष्ठ लेखाकार को सदस्य के रूप में मनोनीत किया जाए।
2. एसडीएमसी के निर्धारित सदस्यों में कम से कम 1 सदस्य ऐसा हो जो एसएमसी में भी सदस्य हो एवं कुल एसडीएमसी सदस्यों में से कम से कम 50% महिला सदस्य हो।
3.एसडीएमसी की कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल दो शैक्षिक सत्र हेतु होगा तत्पश्चात नवीन कार्यकारिणी हेतु निर्वाचन होगा।
4.सत्रारंभ में एसडीएमसी के गठन के लिए साधारण सभा की बैठक जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित की जानी चाहिए उक्त बैठक में साधारणतया सर्वसम्मति से सदस्यों का मनोनयन किया जाए जहां सर्वसम्मति न हो वहां उपस्थित सदस्यों में से बहुमत की राय को प्राथमिकता दी जाए। SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
5 .प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता के लिए सभा अध्यक्ष प्रस्तावित किया जावे जो कि स्थानीय समुदाय से होना चाहिए।
6.एसडीएमसी गठन के बाद एक बोर्ड तैयार कर सभी कार्यकारिणी सदस्यों के नाम ,पता ,दूरभाष अथवा मोबाइल नंबर सर्वसाधारण हेतु उपलब्ध कराए जाएं।
*️⃣एसडीएमसी के कार्य एवं दायित्व👇
SDMC के कार्य एवं दायित्व निम्न अनुसार होंगे-
विद्यालय की विद्यालय सुधार योजना तैयार करना l
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के निम्न उदेश्यों की प्राप्ति हेतु कार्य योजना बनाकर लक्ष्य प्राप्त करना –
कक्षा नौ व दस का सकल नामांकन दर बढ़ाना l
माध्यमिक स्तर की ड्राप आउट दर 25 प्रतिशत से निचे लाना l
विद्यार्थियों में जीवन कौशल का विकास करना l
वियालय में आई सी टी का उपयोग सुनिश्चित करना l
समुदाय की सह-भागिता सुनिश्चित करना l
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से प्राप्त राशि का रिकॉर्ड संधारण करना l
समिति अपने कोष का उपयोग Recurring and Non-Recurring मद में कर सकेगी l
समिति भारत सरकार के वित्तीय मैनुअल के अनुसार व्यय कर सकेगी l
समिति द्वारा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के लिए सभी गतिविधियों की योजना बनाना, यू डाइस का डाटा एकत्रित करना, योजना की क्रियान्विति एवं मॉनिटरिंग आदि का कार्य करेगी l
विद्यालय स्तर पर निर्माण संबंधी कार्य तथा शैक्षणिक गुणवत्ता वृद्धि हेतु संबंधित सभी कार्य करेगी l
समिति की प्रत्येक मीटिंग में नियमित रूप से वित्तीय लेखों का अनुमोदन कराया जाएगा l
समिति सभी गतिविधियों की प्रगति की सूचना नियमित रूप से ब्लॉक में जिले के अधिकारियों को प्रेषित करेगी l
समिति की पाक्षिक बैठक रखी जाएगी l
समिति की मीटिंग हेतु प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा सभी सदस्यों को लिखित में सूचित किया जाएगा l
बैंक खाते से लेनदेन समिति के अध्यक्ष व सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाएंगे l किसी भी स्थिति में एकल हस्ताक्षर से बैंक से लेन देन नहीं किया जाएगा l SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
यह भी देखें :विद्यालय प्रबन्धन समिति SMC के गठन, संविधान और अध्यक्ष बदलने सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ क्लिक करें
विद्यालय विकास
विद्यालय की विकास योजना प्रतिवर्ष 31 जुलाई से पूर्व तैयार करना।
समग्र शिक्षा अभियान के निम्नांकित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्य योजना बनाकर लक्ष्य प्राप्त करना।
विद्यालय की नामांकन दर आदर्श नामांकन संख्या प्राप्त करना।
माध्यमिक स्तर की ड्रॉपआउट दर 2.5% से नीचे लाना।
विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक, मानवीय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संसाधन उपलब्ध कराना जिससे कि विद्यार्थियों में विद्यालय के शैक्षिक एवं सह शैक्षिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके तथा विद्यालय का समाज के साथ संबंध स्थापित हो सके।
प्रत्येक तीन माह में विद्यालय विकास की या विद्यालय योजना की प्रगति शाला दर्पण पर अपलोड करवा कर विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।
वित्तीय प्रबंधन
एसडीएमसी के खाते में प्राप्त राशि का रिकॉर्ड संधारण किया जाना।
समिति अपने कोष का उपयोग आवृत्ति (recurring )/अनावर्ती (non recurring) मद में कर सकेगी।
समिति केंद्र अथवा राज्य सरकार के वित्तीय मैनुअल के अनुसार व्यय कर सकेगी।
बैंक खाते से लेन-देन समिति के अध्यक्ष व सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाएंगे समिति की प्रत्येक बैठक में नियमित रूप से वित्तीय लेखों का अनुमोदन कराया जाएगा।
एसडीएमसी की सलाह से ही विद्यालय की वार्षिक सहायता, भामाशाह/जनसहयोग राशि , विद्यार्थी कोष तथा विकास शुल्क का उपयोग किया जाएगा। SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
बैठकों का आयोजन 👇
कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक विभाग के निर्देशानुसार प्रत्येक अमावस्या को रखी जाएगी जिसका कोरम न्यूनतम 50 % कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति से ही पूर्ण होगा।
अति आवश्यक होने पर विद्यालय हित में कभी भी एसडीएमसी बैठक का आयोजन किया जा सकेगा।
समिति की कार्यकारिणी की बैठक हेतु प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक द्वारा सभी सदस्यों को 2 सप्ताह पूर्व लिखित में अथवा एस एम एस द्वारा सूचित किया जाएगा।
समिति की सभी गतिविधियों की प्रगति की सूचना प्रत्येक तीन माह में शाला दर्पण पर अपडेट की जाएगी।
एसडीएमसी की प्रत्येक बैठक के कार्यवाही विवरण का संधारण निर्धारित प्रारूप में नियमित रूप से एक रजिस्टर में संधारित किया जाएगा जैसे बैठक आयोजन की दिनांक ,सभा अध्यक्ष का नाम ,बैठक में उपस्थित सदस्यों की संख्या ,बैठक में लिए गए प्रस्ताव विवरण या प्रस्तुतीकरण ,प्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों की संख्या , प्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों में महिलाओं की संख्या … (निर्धारित प्रपत्र)
एस. डी. एम. सी. की प्रत्येक बैठक के कार्यवाही विवरण का संधारण निम्नलिखित प्रारूप में नियमित रूप से एक रजिस्टर में किया जाएगा-
बैठक की दिनांक
सभाध्यक्ष का नाम
बैठक में उपस्थित सदस्यों की संख्या
बैठक में लिये गये प्रस्ताव
प्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों की संख्या
प्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों में महिलाओं की संख्या
3. उप समितियों का गठन एवं दायित्व :
(अ) विद्यालय भवन उप समिति (School Building Committee) की संरचना :
प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक = अध्यक्ष
पंचायत या स्थानीय शहरी निकाय का प्रतिनिधि = 1 सदस्य
अभिभावक प्रतिनिधि = 1 सदस्य
निर्माण कार्य से जुड़े अनुभवी / तकनीकी व्यक्ति (JEN, RMSA/SSA) = 1 सदस्य
लेखा / ऑडिट शाखा का प्रतिनिधि व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक) = 1 सदस्य
प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर) (वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि में / वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक-मावि में) = 1 सदस्य सचिव
(अ) विद्यालय भवन उपसमिति School Building Committee की संरचनाः
1
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक
अध्यक्ष
2
पंचायत या स्थानीय शहरी निकाय का प्रतिनिधि
1 सदस्य
3
अभिभावक प्रतिनिधि
1 सदस्य
4
निर्माण कार्य से जुडे अनुभवी/तकनीकी व्यक्ति JEN RMSA/SSA।
1 सदस्य
5
लेखा/Audit शाखा का प्रतिनिधि व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक)
1 सदस्य
6
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर)
सदस्य सचिव
इस प्रकार 6 सदस्यों की यह विद्यालय भवन उप समिति होगी। SDMC Work Duty Organisation विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति
भवन उप समिति के कार्य :-
भवन निर्माण एवं मेजर रिपेयर हेतु योजना बनाना विद्यालय भवन का प्रबन्धन एवं संचालन, मॉनिटरिंग, पर्यवेक्षण रिपोर्टिंग, लेखों का संधारण, लेखों की मासिक रिपोर्ट बनाना आदि कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होगी, जिसकी रिपोर्ट SDMC को नियमित रूप से की जायेगी।
वह समिति निर्माण कार्यों को वित्तीय नियमानुसार अनुबंध पर करवा सकेगी अथवा स्वयं भी कर सकेगी।
विद्यालय भवन उप समिति जो कि भवन निर्माण एवं मेजर रिपेयर हेतु योजना बनाने का, विद्यालय भवन का प्रबंधन एवं संचालन , मॉनिटरिंग पर्यवेक्षण, रिपोर्टस लेखों का संधारण ,लेखों की मासिक रिपोर्ट बनाना आदि के लिए जिम्मेदार होगी जिसकी रिपोर्ट एसडीएमसी को नियमित रूप से की जाएगी। यह समिति निर्माण कार्यों को वित्तीय नियम अनुसार अनुबंध पर करवा सकेगी अथवा स्वयं भी कर सकेगी
प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक अध्यक्ष तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वरिष्ठ व्याख्याता वह माध्यमिक विद्यालयों में वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।
साथ ही पंचायत या स्थानीय शहरी निकाय का एक प्रतिनिधि व एक अभिभावक प्रतिनिधि , निर्माण कार्य से जुड़े अनुभवी अथवा तकनीकी व्यक्ति (JEN SMSA ) यह भी सदस्य होंगे, इसके अलावा लेखा, ऑडिट शाखा का प्रतिनिधि ( संस्था का लेखा कार्मिक ) होगा।
(ब) शैक्षिक उप समिति (School Academic Committee) की संरचना :
प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक = अध्यक्ष
अभिभावक प्रतिनिधि = 1 सदस्य
निम्न में से प्रत्येक क्षेत्र का एक विशेषज्ञ : i) विज्ञान या गणित ii.) मानविकी iii.) कला / संस्कृति / क्रांपट / खेलकूद iv) भाषा विशेषज्ञ = 4 सदस्य
प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक द्वारा मनोनीत विद्यार्थी = 1 सदस्य
प्रधानाचार्य / प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर) (वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि में / वरिष्ठतम वरिष्ठ अध्यापक मावि में) =1 सदस्य सचिव
1
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक
अध्यक्ष
2
अभिभावक प्रतिनिधि
1 सदस्य
3
निम्न में से प्रत्येक क्षेत्र का एक सदस्य (विज्ञान या गणित/मानविकी/कला/संस्कृति/क्राफ्ट/खेलकूद/भाषा विशेषज्ञ)
4 सदस्य
4
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा मनोनीत विद्यार्थी
1 सदस्य
5
प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर)
सदस्य सचिव
शैक्षिक उप समिति के कार्य :
शैक्षिक गतिविधियों की कार्य योजना निर्माण तथा इसके प्रभावी क्रियान्वयन , मूल्यांकन , रिपोर्टस की समीक्षा, सुझावों का परीक्षण का कार्य करेगी तथा आगामी कार्य योजना में शैक्षिक मुद्दों से संबंधित विचारों को शामिल करने हेतु अनुशंसा करेगी।
शैक्षिक गुणवत्ता सुधार हेतु समय बद्ध कार्य योजना निर्माण और क्रियान्वयन, शैक्षिक समंको का विश्लेषण एवं निम्न उपलब्धि के क्षेत्रों में सम्बलन हेतु कार्य योजना प्रस्तुत करने का कार्य इस शैक्षिक उप समिति के कार्य होगें।
शैक्षिक उप समिति में कुल 8 सदस्य होंगे जिसमें प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक इस समिति का अध्यक्ष होगा तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय में वरिष्ठतम व्याख्याता व माध्यमिक विद्यालय में वरिष्ठतम अध्यापक इस समिति के सदस्य सचिव होंगे इसके अलावा अभिभावक प्रतिनिधि तथा विज्ञान, गणित मानविकी ,कला ,संस्कृति, क्राफ्ट खेलकूद ,भाषा विशेषज्ञ व प्रधानाचार्य अथवा प्रधानाध्यापक द्वारा मनोनीत विद्यार्थी इसके सदस्य होंगे।
आपसे सहयोग की अपील
आप मित्रो से आग्रह हैं कि हमने बड़ी मेहनत से इस आर्टिकल की 💯% शुद्धता के साथ, सटीक और ऑफिशियल जानकारी आपके लिए एकत्र करके SHARE की हैं | इस कार्य में हमारे7️⃣मित्रो की टीम ने मिलकर किया हैं 🙏🏻 अत: आप इस पोस्ट के लिंक को अपने मित्रो, साथियों और सहकर्मियों तक सोशल मिडिया प्लेटफोर्म पर जरूर शेयर करें |
School Management Committee Work Duty Organisation : विद्यालय प्रबंधन समिति गठन की सम्पूर्ण रुपरेखा नियमावली और प्रस्ताव लेखन कार्यवाही, अपने विद्यालय में त्रुटी रहित और प्रभावी SMC का गठन करने की सम्पूर्ण जानकारी इस आलेख में हमारे एक्सपर्ट ने आपको उपलब्ध करवाया हैं | निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा-21 एवं राज्य नियम, 2011 के नियम 3 एवं 4 के अनुसार विद्यालय में समुदाय की सहभागिता व स्वामित्व बढ़ाने के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति (एस.एम.सी.) का गठन किया गया है । School Management Committee Work Duty Organisation विद्यालय प्रबंधन समिति के दो भाग होते हैं, साधारण सभा और कार्यकारिणी समिति।
साधारण सभा में विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थी के माता-पिता /संरक्षक, समस्त अध्यापक, सम्बन्धित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले सभी जनप्रतिनिधि एवं समिति की कार्यकारिणी समिति में निर्वाचित/ मनोनीत शेष सदस्य होते हैं। साधारण सभा के सभी सदस्य अर्थात प्रत्येक बालक के माता-पिता एवं उस परिक्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधि एसएमसी के सदस्य हैं। उन्हें एसएमसी के समस्त दायित्व एवं अधिकार प्राप्त है। School Management Committee Work Duty Organisation
School Management Committee Work Duty Organisation
इस समिति का विस्तारित ब्योरा इस प्रकार हैः स्कूल प्रबंधन समिति के दो अंग होते हैंः
स्कूल प्रबंधन समिति की आम सभा (नागरिक सभा)
स्कूल प्रबंधन समिति की कार्यकारिणी
स्कूल प्रबंधन समिति की आम सभा (नागरिक सभा) सदस्यः-
इस समिति के सदस्य स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों के माता-पिता व अभिभावक तथा ग्राम-पंचायत के सभी निर्वाचित प्रतिनिधि School Management Committee Work Duty Organisation
सचिवः स्कूल के मुख्य अध्यापक
अध्यक्षः स्कूल प्रबंधन समिति की कार्यकारिणी का अध्यक्ष ही आम सभा का अध्यक्ष होता है
सम्बन्धित विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थी / बालक के माता-पिता या संरक्षक (माता एवं पिता दोनों के जीवित न होने की स्थिति में संरक्षक)
सम्बन्धित विद्यालय का प्रत्येक अध्यापक / प्रबोधक।
सम्बन्धित कार्य क्षेत्र में निवास करने वाले जिला प्रमुख / प्रधान / सरपंच /नगर पालिका अध्यक्ष ।
सम्बन्धित कार्य क्षेत्र में निवास करने वाले समस्त जिला परिषद सदस्य, नगर पालिका पार्षद / पंचायत समिति सदस्य/वार्ड पंच।
समिति की कार्यकारिणी समिति में निर्वाचित/ मनोनीत शेष सदस्य जो उपरोक्त में शामिल नहीं हो।
उपरोक्त वर्णित समस्त प्रकार के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे। समिति की कार्यकारिणी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव साधारण सभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव होंगे। School Management Committee Work Duty Organisation
सदस्यता की समाप्ति :-
साधारण सभा के सदस्यों की सदस्यता निम्न स्थितियों में स्वतः समाप्त हो जायेगी।
मृत्यु होने पर।
त्याग पत्र देने पर।
निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचित नहीं रहने पर ।
विद्यार्थी के विद्यालय छोड़ देने पर उसके माता-पिता या संरक्षक की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जायेगी।
पदेन सदस्य के पद पर नहीं रहने पर।
साधारण सभा की बैठकें :-
साधारण सभा की वर्ष में प्रत्येक वर्ष जुलाई से मार्च तक तीन बैठकें अर्थात तीन माह में एक बैठक अनिवार्य होगी, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर बैठक अध्यक्ष / सदस्य सचिव द्वारा कभी भी बुलाई जा सकती है।
साधारण सभा की बैठक का कोरम कम से कम साधारण सभा के सदस्यों की कुल संख्या का 25 प्रतिशत होगा।
बैठक की सूचना 4 दिन पूर्व व अत्यावश्यक बैठक की सूचना 2 दिवस पूर्व दिया जाना आवश्यक है ।
कोरम के अभाव में स्थगित बैठक पुनः 7 दिन पश्चात उसी निर्धारित स्थान व समय पर आयोजित की जायेगी।
स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन विचारणीय विषय वहीं होंगे, जो पूर्व एजेण्डा में थे। School Management Committee Work Duty Organisation
विद्यालय प्रबंधन समिति की कार्यकारिणी समिति :-
समिति के कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी सगिति होगी। इसमें से न्यूनतम तीन चौथाई सदस्य माता-पिता या संरक्षकों में से होंगे तथा अधिकतम 5 सदस्य पदेन / मनोनीत अन्य व्यक्ति होंगे। कार्यकारिणी के सदस्यों में 50 प्रतिशत महिलाएं अर्थात कम से कम 8 महिलाएं आवश्यक रूप से होंगी जिसके पदाधिकारी एवं सदस्यों का निर्वाचन /मनोनयन नियम 12 के अनुसार किया जायेगा। School Management Committee Work Duty Organisation
कार्यकारिणी की समिति में माता-पिता या संरक्षक सदस्यों का निर्वाचन प्रत्येक वर्ष के प्रारम्भ में नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर 14 अगस्त से पूर्व साधारण सभा द्वारा किया जायेगा। School Management Committee Work Duty Organisation
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विद्यालय प्रबंधन समिति के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति होती है। जिसके निम्न पदाधिकारी होते हैं-
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विद्यालय प्रबंध समिति सदस्यों का विवरण
विद्यालय प्रबंध समिति के चयनित अभिभावक संरक्षक सदस्य
Sr. No.
Name of Member
Fathers Name
Sex
Category
Post in SMC
Address
Mobile No.
1
Gayatri Devi
Sanjay Prasad
Female
SC
Head
Merta
2
Ravishekhar Rai
Ramjit Rai
Male
OBC
Deputy Head
Merta
3
Champa Devi
Doodhnath
Female
OBC
Member
Merta
4
Rekha Devi
Shankar
Female
OBC
Member
Merta
5
Chanda Devi
Shiv Prasad
Female
SC
Member
Merta
6
Paramsheela Devi
Tuntun Rai
Female
OBC
Member
Merta
7
Shamshir
Lt. Md. Gazi
Male
OBC
Member
Merta
8
Badri
Lt. Paravan
Male
SC
Member
Merta
9
Meeta Paswan
Shiv Paswan
Male
SC
Member
Merta
10
Mamata Rai
Santosh
Female
OBC
Member
Merta
11
Alok Jaiswal
Pramod Jaiswal
Male
OBC
Member
Merta
12
Jatin Inaniyan
Arvind Inaniyan
Male
OBC
Teacher Member
Merta
9929xxxxxx
School Management Committee Work Duty Organisation
विद्यालय प्रबंध समिति के पदेन/नामित सदस्य
Sr. No.
Name of Member
Original Post
Sex
Category
Post in SMC
Address
Mobile No.
1
Reena Devi
वार्ड पंच / पार्षद
Female
OBC
Member
Merta
2
Abha Chaudhari
MLA मनोनीत सदस्य
Female
SC
Member
Merta
3
Sanjay Maurya
MLA मनोनीत सदस्य
Male
OBC
Member
Merta
4
Himanshu Kumar Pandey
संस्था प्रधान
Male
General
Member Secretary
Merta
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विद्यालय प्रबंधनसमिति कीकार्यकारिणी समिति की बैठकें :-
कार्यकारिणी समिति की बैठक प्रत्येक माह अमावस्था के दिन आयोजित की जावेगी और अमावस्या के दिन अवकाश होने पर बैठक अगले कार्य दिवस को की जायेगी। यह बैठक विद्यालय परिसर, चौपाल अथवा किसी सुविधाजनक स्थान पर बुलाई जावें।
सदस्य सचिव अध्यक्ष से विचार विमर्श कर समिति बैठक का समय व स्थान निर्धारित करेगा ।
सदस्य सचिव कम से कम 4 दिन पूर्व बैठक की लिखित सूचना मय बैठक में विचारार्थ रखे जाने वाले बिन्दुओं की सूची के साथ सभी सदस्यों को भेजेगा। अत्यावश्यक बैठक कम से कम दो दिन की सूचना पर भी बुलाई जा सकती है।
विद्यालय प्रबंधन समिति के गठन/संचालन सम्बन्धी विवादों को निपटाने के लिए ब्लाक शिक्षा अधिकारी द्वारा रैफर किये जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी का निर्णय अन्तिम होगा। School Management Committee Work Duty Organisation
1. विद्यालय के क्रियाकलापों कार्यकरण को मॉनीटर करना –
विद्यालय के आस-पड़ोस में रहने वाली आबादी/जनता की बाल अधिकारों की सामान्य एवं रचनात्मक तरीकों से जानकारी देना तथा साथ ही राज्य सरकार स्थानीय प्राधिकारी, विद्यालय, माता-पिता, अभिभावक एवं संरक्षक के कर्तव्यों की जानकारी देना।
समिति विद्यालय में नियुक्त अध्यापकों के विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता एवं समय पालन, माता-पिता और संरक्षको के साथ नियमित बैठकें करना और बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता, शिक्षा ग्रहण करने का साम्य, शिक्षण में की गई प्रगति और किसी अन्य सुसंगत जानकारी .” के बारे में अवगत कराना तथा शिक्षक/शिक्षिकाओं द्वारा प्राइवेट ट्यूशन या प्राइवेट क्रिया कलाप नहीं करना, सुनिश्चित करेगी। School Management Committee Work Duty Organisation
दस वर्षीय जनसंख्या जनगणना, आपदा (विभीषिका) राहत कर्तव्यों या यथा स्थिति, स्थानीय संस्थाओं/निकायों या राज्य विधान मण्डलों या संसद के निर्वाचनों से सम्बन्धित कर्तव्यों से भिन्न किसी गैर शैक्षणिक प्रयोजनों के लिये शिक्षिको को अभिनियोजित नहीं किये जाने को सुनिश्चित करेगी/मॉनीटरिंग करेंगी।
विद्यालय के आस पडौस के 6-14 आयु वर्ग के सभी बालको के विद्यालय में नामांकन तथा उनकी सतत उपस्थिति को सुनिश्चित करेगी।
विद्यालय के लिये राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एव मानको की पालना पर निगरानी रखेगी।
बाल अधिकारों के हनन विशेषकर बालको को भौतिक एवं मानसिक प्रताडना सम्बन्धी प्रकरणों, प्रवेश नहीं दिये जाने, निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने सम्बन्धी प्रावधानों के उल्लंघन सम्बन्धी प्रकरणों को स्थानीय प्राधिकारी के ध्यान में लायेगी।
आवश्यकताओं का चिन्हीकरण करते हुए योजना का निर्माण करेगी तथा 6-14 आयु वर्ग के विद्यालय में कभी भी प्रवेश न लेने वाले (नेवर एनरोल्ड) तथा ड्रॉप आउट बालकों के लिए किये गये शिक्षा व्यवस्था संबंधी प्रावधानों की क्रियान्विति पर निगरानी रखेगी।
विशेष आवश्यकता वाले एवं अधिगम अक्षम बालको के चिन्हीकरण, उसके विद्यालय में नामांकन, सीखने हेतु सुविधाये उपलब्ध कराने पर निगरानी रखेगी तथा गतिविधियों में उनकी भागीदारी तया प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करना सुनिश्चित करेगी।
विद्यालय में मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी।
विद्यालय की आय एवं व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करेगी। School Management Committee Work Duty Organisation
विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों की नियमित समीक्षा कर शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना।
राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान अथवा अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए विद्यालय में भौतिक व्यवस्थायें जैसे – खेल मैदान, बाउण्डरी वॉल, कक्षा क्ष, सुविधायें, फर्नीचर एवं पीने के पानी आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करना। School Management Committee Work Duty Organisation
समय-समय पर विद्यालय के बालकों के स्वास्थ्य की जांच करवाना तथा बच्चो के लिए नियमित स्वास्थ्य कैम्पों का आयोजन करवाना।
समय-समय पर ड्रॉप आउट दर पर नजर रखना तथा सभी बालको का विदयालय में नामांकन एवं ठहराव सुनिश्चित करना, इसके लिए निःशुल्क पाठ्य पुस्तको के वितरण, शिक्षण सामग्री, शालागणवेशं आदि समय पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।
अभिभावकों एवं अध्यापको की समय-समय पर संयुक्त बैठक आयोजित करना एवं उन बैठकों में रिपोर्ट काई उपलब्धि स्तर, कक्षा कार्य एवं गृहकार्य आदि के सम्बन्ध में विचार विमर्श करते हुए सुधार हेतु आवश्यक कार्यवाही करना। School Management Committee Work Duty Organisation
विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न राष्ट्रीय, क्षेत्रीय पर्वो, नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण, छात्रवृत्ति वितरण, विद्यालय का सत्र प्रारंभ होने, दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश के प्रारंभ एवं पश्चात विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेना एवं समाज के सभी वर्गो को इन कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करना ।
2. विद्यालय के विकास हेतु विकास योजना तैयार करना और उसकी सिफारिश करना –
विद्यालय प्रबन्धन समिति, उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से तीन माह पूर्व जिसमें उसका प्रथम बार गठन हुआ है एक विद्यालय विकास योजना का निर्माण करेगी।
उपरोक्त विद्यालय विकास योजना एक तीन वर्षीय योजना होगी, जो अगले तीन वर्ष की तीन वार्षिक योजनाओं को मिलाकर बनायी जायेगी। School Management Committee Work Duty Organisation
विद्यालय विकास योजना में निम्नानुसार विस्तृत जानकारियां शामिल की आयेगी-
(अ) प्रत्येक वर्ष का कक्षावार अनुमानित नामांकन ।
(ब) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानको के आधार पर तीन वर्ष की अवधि के लिये कक्षा 1 से 5 एवं कक्षा 6 से 8 के लिए पृथक-पृथक अतिरिक्त अध्यापकों, विषय अध्यापकों एवं अंशकालीन अध्यापकों की आवश्यकता।
(स) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानकों के अनुसार तीन वर्ष की अवधि के लिए अतिरिक्त भौतिक संसाधनों एवं उपकरणों की आवश्यकता।
(द) उपरोक्त बिन्दु (ब) व (स) की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु तीन वर्ष की अवधि में वर्षवार अतिरिक्त वितीय आवश्यकताये। इन आवश्यकताओं के अन्तर्गत विधेयक की धारा के अन्तर्गत ऐसे बालको, जिन्हें 6 वर्ष से अधिक की आयु होने पर भी विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया गया हो अथवा यदि प्रवेश दिया गया हो तो उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं की हो तो उसको उसकी आयु के अनुसार कक्षा में प्रवेश देने पर अन्य बालको के समकक्ष रहने के लिए आवश्यक विशेष प्रशिक्षण सम्बन्धी व्यय, बालको बो निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें, गणवेश उपलब्ध कराने पर होने वाला व्यय तथा विधैयक के प्रावधानों के अन्तर्गत विद्यालय की जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु आवश्यक हो। School Management Committee Work Duty Organisation
उपरोक्त आधारों पर तैयार की गई विद्यालय विकास योजना पर विद्यालय प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा इसे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व स्थानीय प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। School Management Committee Work Duty Organisation
3. समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी संस्था निकाय अथवा किसी अन्य स्त्रोत से प्राप्त अनुदानों सहायता राशियों के उपयोग को मॉनिटर करना –
परिचालन मद में आय व व्यय का जायजा लेना। किसी विशेष मद में आय वांछनीय व्यय से कम होने पर माता-पिता या संरक्षकों से वित्तीय सहयोग लेने पर विचार कर वित्तीय सहयोग की राशि के प्रस्ताव साधारण सभा को अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करना ।
विद्यालय एवं विद्यालय प्रबन्धन समिति के समस्त कोषों एवं सम्पतियाँ का परिवौक्षण करना।
विद्यालय एवं समिति के वार्षिक आय व्यय का लेखा जोखा रखना। School Management Committee Work Duty Organisation
प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विभिन्न बाहमय सहायता प्राप्त परियोजनाओं, केन्द्र प्रवर्तित कार्यक्रमों एवं केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों यथा सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत विद्यालयों के विकास, भवन निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम उपकरण विद्यालय फैसिलिटी ग्राण्ट, टीएलएम ग्राण्ट एवं अन्य ग्राण्टस आदि अन्य मदों के अन्तर्गत उपलब्ध कराई गई राशियोंप्रावधानों से निर्माण/विकास कार्य करवाना एवं ग्राण्टस का राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान, अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करना।
4. ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना जो विहित किये जाये –
विद्यालय प्रबन्धन समिति ऐसे अन्य कार्या/कृत्यों की पालना करेगी जो सक्षम सरकार द्वारा विहित किये जाये।
विद्यालय प्रबन्धन समिति स्वयं के आर्थिक स्रोत से अपने स्तर पर आवश्यकतानुसार स्थानीय व्यक्तियों। अध्यापकों/सहायकों की सेवाओं हेतु पूर्णतया अस्थायी व्यवस्था कर सकती है लेकिन इसका भार किसी भी स्थिति में राज्य सरकार पर नहीं पड़ना चाहिए। School Management Committee Work Duty Organisation
आपसे सहयोग की अपील
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