MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN : “विजन 2023” के सम्बन्ध में निबन्ध प्रतियोगिता के आयोजन बाबत नवीन दिशा-निर्देश निदेशालय ने जारी किये हैं | जिनका संदर्भ निदेशालय के समसंख्यक पत्र दिनांक 23.08.2023 हैं |
“विजन 2023” विषयान्तर्गत निदेशालय के पूर्व पत्र दिनांक 23.08.2023 द्वारा “मिशन 2030 विकसित राजस्थान” के तहत दिनांक 08.09.2023 को सभी राजकीय व गैर-राजकीय विद्यालयों के कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए प्रातः 9.00 बजे से 10:00 बजे तक निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे। इसी निर्देश पत्र की निरंतरता में यह स्पष्ट किया गया है कि-
MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN कार्यक्रम की जानकारी, उद्देश्य एवं हितधारकों की भूमिका को स्पष्ट करने के लिए एक परिचयात्मक दस्तावेज परिशिष्ट-ए पर संलग्न कर भेजा जा रहा है, जिसे शिक्षक एवं संस्था प्रधान स्वयं अध्ययन करेंगे तथा शनिवार दिनांक 02.09.2023 को ‘नो बैग डे के दिवस को विद्यार्थियों के साथ प्रार्थना सभा में पृथक से 1 घंटे तक विमर्श कर स्पष्ट करेंगे, जिससे विद्यार्थी दिनांक 08.09.2023 को अपने निबंध लेखन में अपेक्षानुरूप अभिव्यक्ति दे सकें।
भागीदार विद्यार्थियों की संख्या अविलम्ब शाला दर्पण व पीएसपी पोर्टल पर आवश्यक रूप से अंकित की जानी है। प्रासंगिक पत्रानुसार भाग लेने वाले संभागियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो विद्यालय स्तर पर तैयार कराया जाना है, जिसका प्रारूप परिशिष्ट-बी पर संलग्न कर प्रेषित है।
इसी कार्यक्रम “MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN” के तहत सर्वेक्षण हेतु राजकीय व गैर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों के कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों से दिनांक 06.09.2023 को सर्वे फॉर्म भरवाया जाना है। सर्वे फॉर्म नीचे लिंक में संलग्न किया गया है। उक्त सर्वे फॉर्म की प्रिंटिंग सम्बन्धित विद्यालय स्तर पर की जानी है। इस हेतु आवश्यक बजट का आंवटन जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) द्वारा पृथक से किया जा रहा है।
उक्त क्रम में पुनः स्पष्ट किया जाता है कि दिनांक 08 सितम्बर 2023 को सरकारी एवं गैर सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालयों में निम्न दो गतिविधियाँ सम्पादित होनी हैं :- I. निबन्ध लेखन । निबंध लेखन के लिए PDF यहाँ से डाउनलोड कीजिए CLICK HERE II. सर्वेक्षण । सर्वे फॉर्म यहाँ से डाउनलोड कीजिए CLICK HERE
निबन्ध लेखन में कक्षा 9-12 के विद्यार्थी जो रुचि रखते है वो भाग लेंगे तथा सर्वेक्षण में कक्षा 9-12 के उस दिवस को विद्यालय में उपस्थित इन कक्षाओं के सभी विद्यार्थियों द्वारा किया जाना है।
संलग्न सर्वे फॉर्म की प्रतियां विद्यालय अपने स्तर पर भाग लेने वाले संभागियों की संख्या अनुरूप करवाएंगे। भरे हुए सर्वे फॉर्म विद्यालय अपने पास सुरक्षित रखेंगे, इसके संबंध में आगामी कार्रवाई हेतु पृथक से निर्देश मिलने पर तदनुसार कार्यवाही करेंगे।
राजस्थान मिशन-2030 (MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN) के लिए आवश्यक सहायक सामग्री सबसे नीचे लिंक में दी गयी हैं |
मिशन 2030 “विकसित राजस्थान” : परिचय और आयोजन MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN
अब हम यह जानने के प्रयास करते हैं कि क्या हैं “विकसित राजस्थान 2030: एक स्वप्निल परिदृश्य“
विकसित राजस्थान 2030: एक स्वप्निल परिदृश्य (MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN)
राजस्थान अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, अदम्य शौर्य परंपरा, रंग-बिरंगी लोक संस्कृति और व्यापारिक संपन्नता के लिए विश्व भर में विख्यात रहा है। स्वातंत्र्योत्तर कालखंड में प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों एवं विस्तृत भू-भाग की चुनौतियों पर लगातर संघर्ष द्वारा सकारात्मक परिवर्तन के प्रयास हुए है। जिसका सुपरिणाम थार के मरूस्थल में लहलहाती फसल को देखकर स्वतः ही हो जाता है। राजस्थान ने आजादी के इन 75 वर्षों में आमजन के हितार्थ सुशासन के प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर राज्य को राष्ट्रीय परिदृश्य में सदैव अग्रणी रखा है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और आधारभूत संरचना जैसे प्रत्येक क्षेत्र में राजस्थान प्रभावी योजनाओं के साथ सतत् संपोषणीय विकास को बढ़ावा दे रहा है। गत दशकों में राज्य में काफी प्रगति हुई है इंदिरा गांधी नहर परियोजना से मरुस्थलीय क्षेत्र तक जल की पहुँच होने से सिंचाई सुविधा सुनिश्चित हो सकी जिससे राज्य के इन क्षेत्रों में कृषि पैदावार में बढ़ोतरी हुई तथा किसानों का जीवन स्तर सुधरा ।
राज्य में खनिजों के व्यापक भंडार हैं जिससे राज्य में खनन एवं प्रक्रिया आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिला है। बाड़मेर में पेट्रोलियम रिफाइनरी का कार्य प्रगति पर है इसमें तेल उत्पादन प्रारंभ होते ही राज्य की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी साथ ही पेट्रोकेमिकल आधारित कई उद्योग स्थापित हो सकेंगे तथा रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। जनकल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति में राजस्थान एक मॉडल राज्य है। इस क्रम में शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचार ‘नो बैग डे’ ‘राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम, निःशुल्क यूनीफार्म, बाल गोपाल दुध योजना, फ्यूचल डायल कार्यक्रम, स्वास्थ्य क्षेत्र में चिरंजीवी योजना, निःशुल्क दवाई एवं जाँच योजना, आदि कार्यक्रम उल्लेखनीय है। MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN
देश में पहली बार स्वास्थ्य का अधिकार (राइट टू हेल्थ), न्यूनतम आमदनी की गारंटी, महँगाई राहत शिविर, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की स्थापना, स्मार्टफोन योजना, गिग वर्कर्स वेलफेयर फंड की स्थापना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन सहित अन्य योजनाओं से आमजन को राहत मिली है।
राजीव गांधी ग्रामीण खेल ओलंपिक एवं शहरी खेल ओलंपिक का सफल आयोजन कर खेल प्रतिभाओं को पहचान कर तराशने के अवसर प्राप्त हुए हैं। युवा महोत्सव के आयोजन के माध्यम से संगीत, नृत्य, वादन, नाटक, लोक कलाएं आदि की प्रतिभाओं को पहचान कर सम्मानित किया गया है ।
राजस्थान मिशन-2030 (MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN) के लिए आवश्यक सहायक सामग्री सबसे नीचे लिंक में दी गयी हैं |
इन सब प्रयासों के बावजूद विस्तृत भू-भाग एवं दुर्गम क्षेत्र, ग्रामीण साक्षरता की आशानुकूल प्रगति न होना, रोजगार की कमी, व्यवसाय के लिए अन्य राज्यों में पलायन आदि वे प्रमुख चुनौतियाँ है जिनकी वजह से राजस्थान विकसित राज्यों की श्रेणी में अब तक सम्मिलित नहीं हो पाया है। सरकार स्तर पर प्रभावी योजना निर्माण क्रियान्विति एवं प्रबंधन के फलस्वरूप हमने उल्लेखनीय उन्नति तो की है लेकिन अभी भी बहुत सारे ऐसे अछूते क्षेत्र हैं जिन पर बहुत कार्य किया जाना शेष है।
राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विकसित राज्यों में अग्रणीय बनाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय की दूरदर्शी सोच के आधार पर MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN लागू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम राज्य के 2030 के परिदृश्य की आशाओं और अपेक्षाओं पर निर्मित किया जा रहा है। हम 2030 तक के बदले हुए राजस्थान में क्या देखते हैं ? क्या देखना चाहते है ? तथा 2030 में हमारे सपनों का राजस्थान कैसा होगा ? यह इस कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त करने का मुख्य लक्ष्य है।
राजस्थान मिशन 2030 के लिए सरकार द्वारा प्रमुख प्रस्तावित गतिविधियाँ निम्नलिखित हैं –
MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN के लिए वेबसाइट तैयार (mission2030.rajasthan.gov.in) कर नागरिको से ऑनलाइन अपेक्षाएँ, विचार, सुझाव प्राप्त किये जा रहे है।
विभिन्न विभागो द्वारा संबंधित हितधारकों के साथ दिनांक 23 अगस्त से 15 सितम्बर तक गहन परामर्श कर सुझाव आमंत्रित किये जा रहे हैं।
दिनांक 1 से 15 सितम्बर तक निम्नलिखित दो माध्यमों से मिशन 2030 फेस टू फेस सर्वे किया जा रहा है।
जनकल्याण ऐप के सर्वे ऑप्शन के माध्यम से ।
फीडबैक का physical format भरवाकर ।
प्रमुख चयनित सार्वजनिक स्थानों पर QR Code भी लगाए जा रहे हैं, जिन्हें स्कैन करके नागरिकों से सुझाव प्राप्त किये जा रहे हैं।
राज्य के समस्त सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों (9th Class and above) एवं कॉलेजों (सभी विश्वविद्यालयों के संघटक कॉलेजों सहित ) में “2030 में कैसा होगा मेरा राजस्थान विषय पर लेख व भाषण प्रतियोगिताएँ आयोजित कर MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN के संबंध में वातावरण निर्माण किया जा रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN के संदर्भ में विभिन्न हितधारकों / प्रभावशाली समूहों के साथ संवाद कर सुझाव, विचार प्राप्त किये जा रहे हैं।
मिशन 2030 हेतु वे ग्रामीण क्षेत्र जिनमें फेस टू फेस सर्वे किया जाना कठिन है के लिए आईवीआर सर्वे के द्वारा सुझाव प्राप्त करने हेतु दिनांक 01.09.2023 से 15.09.2023 तक लगभग 50 लाख कॉल्स किया जाना प्रस्तावित है।
प्रत्येक विभाग द्वारा अपना विभागीय मिशन 2030 तैयार किया जा रहा है।
उपर्युक्त सभी हितधारकों से प्राप्त सुझावों और विचारों के आधार पर CMRETAC विजन-2030 को अन्तिम रूप देगा समीक्षा पश्चात 30 सितम्बर 2023 को विजन 2030 दस्तावेज जारी किया जाना प्रस्तावित है।
राजस्थान सरकार द्वारा राज्य की जनता को उत्कृष्ट जीवन एवं सतत् विकास उपलब्ध करवाने के लक्ष्य को लेकर राजस्थान मिशन-2030 के लिए समावेशी एवं प्रभावी विजन डॉक्यूमेंट का निर्माण किया जा रहा है। इस डॉक्यूमेंट का मूल उद्देश्य प्रदेशवासियों के चहुँमुखी विकास, खुशहाली, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ 2030 तक राज्य को देश का अग्रणी राज्य बनाना है। इस संदर्भ में राज्य के समस्त नागरिकों से यह अपेक्षा है कि उपर वर्णित विकल्पों में से किसी का भी चयन कर अपने सुझाव प्रदान करें कि वर्ष 2030 तक राजस्थान को कैसे नंबर 1 राज्य बनाया जा सकता है।
यह विजन डाक्यूमेंट 2030 तक राजस्थान को सुरक्षित, समृद्ध और विकसित बनाने का स्वर्णिम दस्तावेज होगा। यह डाक्यूमेंट 2030 के राजस्थान के परिदृश्य के संदर्भ में हमे सजीव चिंतन का अवसर प्रदान करने के साथ इसमें निर्धारित प्रतिमानों को प्राप्त करने की समझ विकसित करेगा।
राजस्थान मिशन-2030 (MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN) के लिए आवश्यक सहायक सामग्री सबसे नीचे लिंक में दी गयी हैं |
MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN में हमारे राज्य का परिदृश्य ऐसा होगा
राज्य में शिक्षा रोजगारोन्मुखी एवं गुणवत्तापूर्ण होगी।
राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रसार एवं व्यापक उपयोग राज्य के नागरिकों के द्वारा होता देख सकेंगे।
औद्योगिक विकास हेतु आधारभूत अवसंरचना का निर्माण पूर्ण रूप से हो चुका होगा।
शुद्ध पेयजल एवं बिजली की संपूर्ण राज्य में निश्चित उपलब्धता हो सकेगी।
महिला एवं बालिका सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे व्यापक उपाय का असर राज्य के सामाजिक ढाँचे में देख सकेंगे।
राइट टू हेल्थ (RTH) का प्रभावी क्रियान्वयन राज्य में होता देख सकेंगे राज्य के समस्त जिलों में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज एवं मल्टीस्पेशलिटी सरकारी अस्पताल समस्त आवश्यक संसाधनों से युक्त बन सकेंगे। निशुल्क चिकित्सा राज्य के समस्त नागरिकों को मिलती देख सकेंगे।
राज्य में उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थानो की स्थापना हो सकेगी जिसमें राज्य के युवा विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर अपने कौशल का प्रदर्शन कर राज्य को विकसित श्रेणी में लाने का प्रयास करते हुए दिखाई देंगे।
राज्य में खेलों को प्रोत्साहन दिया जाएगा तथा हर ब्लॉक स्तर पर पर्याप्त खेल मैदान व सुविधा विकसित हो सकेगी परिणामतः विश्व स्तरीय खिलाड़ियों का राज्य में निर्माण हो सकेगा।
विज्ञान एवं तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए उच्च स्तरीय विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान जैसे इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस आदि की स्थापना करते हुए राज्य इन क्षेत्रों में भी अग्रणी होगा।
राज्य के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात के पर्याप्त साधन की उपलब्धता होते देख सकेंगे ।
सभी पंचायत पर कम से कम एक स्कूल मल्टी फैकेल्टी होगा तथा सभी स्कूल पर्याप्त भौतिक तथा मानवीय संसाधनों से युक्त होंगे हो सकेंगे। जिला स्तर पर न्यूनतम एक स्कूल सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित हो सकेगा।
इजरायल की तर्ज पर कृषि क्षेत्र में विकास के लिए राज्य में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र को अधिक लाभदायक बनाने का प्रयास होता देख सकेंगे।
Ease To Business State के रूप में राजस्थान राज्य को विकसित होता देख सकेंगे जिसमें नागरिकों द्वारा व्यापार संचालन एवं प्रारंभ करने की प्रक्रिया सुगमता से हो सके ऐसा वातावरण बन सकेगा।
औद्योगिक विकास के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उद्योगों को बढ़ावा देते हुए देख सकेंगे ।
राज्य की समृद्धि ऐतिहासिक धार्मिक एवं भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा तथा नए पर्यटन सर्किटों का विकास होते देख सकेंगे।
वन क्षेत्र का विकास कर राज्य में पर्यावरण संरक्षण कार्य को गति मिल सकेगी तथा हमारे नागरिक जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर संवेदनशील होंगे और प्रतिबद्ध होंगे।
परिपक्व लोकतंत्र के विकास में राज्य के नागरिक सभ्य एवं संवेदनशील रूप में प्रतिबद्ध होंगे।
यह डाक्यूमेंट मात्र एक डाक्यूमेंट न होकर जनाकांक्षाओं का जीवंत प्रतिबिंब होगा। यह डाक्यूमेंट निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में हमें प्रेरित करने के साथ दिशाबोध भी करेगा । विज़न डाक्यूमेंट 2030 राजस्थान के गौरवशाली अतीत, सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों की सुदृढ़ श्रृंखला एवं भविष्य के तकनीकी रूप से उत्कृष्ट नवाचारी राजस्थान में समन्वय, संतुलन एवं सामंजस्य करने वाला होगा।
हमारी यह परिकल्पना है कि –
” 2030 का हमारा सपना – सुरक्षित, समृद्ध राजस्थान अपना “
“सन् 2030 राजस्थान बनेगा सबमें इक्कीस “
“2030 में बढ़ेगा स्वाभिमान- विकसित होगा हमारा राजस्थान”
MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN के लिए आवश्यक सहायक सामग्री
MISSION 2030 DEVELOPED RAJASTHAN SAMPLE BLANK प्रमाण पत्र निम्न लिंक से डाउनलोड कीजिए
NOTE : हमारी टीम ने सुचना केवल समान्य जानकारी के लिए यहाँ शेयर की हैं | हमने इसे तैयार करने में पूर्ण सावधानी रखी हैं, फिर भी त्रुटी रहना संभव हैं अत: किसी भी त्रुटी के लिए SHALA SUGAM जिम्मेदार नही हैं | समस्त उपयोगी जानकारी के लिए विभागीय निर्देशों व वेबसाईट का अवलोकन करें | : धन्यवाद
NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023 : ‘नो बैग डे’ राजस्थान शिक्षा विभाग की अनूठी पहल है जो विद्यार्थियों के चहुँमुखी विकास के लक्ष्य के साथ आनंददायी अधिगम की संभावनाओं को साकार करने के लिए वर्ष 2020 से लागू किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मंशा विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के दबाव परीक्षा के भय आदि से विमुक्त रखते हुए अधिगम की सकारात्मक, आनंददायी परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाकर विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है। इसी परिप्रेक्ष्य में राजस्थान में वर्ष 2020 से ‘नो बैग डे कार्यक्रम लागू किया गया जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय रहा है।
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पूर्व में प्रकाशित ‘NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023 / नो बैग डे निर्देशिका में वर्णित थीम के अतिरिक्त नए विषयों यथा- संविधान की प्रस्तावना एवं उद्देशिका का वाचन स्पर्श की पहचान सड़क सुरक्षा, से ‘नो टू टोबेको, व्यक्तित्व विकास आदि का समावेश कर निर्देशिका को अद्यतन करना प्रासंगिक एवं आवश्यक है। नवीन संदर्शिका में कुछ नई जोड़ी गई थीम आधारित अधिगम विद्यार्थियों को अपने परिवेश के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ विद्यार्थियों में दायित्व बोध बढ़ाने तथा उन्हें सभ्य एवं जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में प्रभावी कदम सिद्ध होगा। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
आनंददायी एवं दबाव मुक्त शिक्षण गतिविधियों के माध्यम से अनौपचारिक परिवेश में सहजता से सीखा हुआ ज्ञान स्थाई एवं सुदृढ़ रहता है। अतः यह कार्यक्रम शिक्षाशास्त्र एवं राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा प्रदान करने वाला होगा।
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इस महनीय कार्यक्रम की सफलता इसकी सुव्यवस्थित क्रियान्विति पर निर्भर रहेगी मुख्य रूप से संस्थाप्रधानों, शिक्षक साथियों एवं विद्यार्थियों की समर्पित निष्ठा पर निर्भर करेगी। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप सभी विभाग की मंशा अनुसार इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय एवं सतत् सहयोग प्रदान कर राजस्थान के शैक्षिक परिदृश्य को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगे ।
द्वितीय शनिवार 09/09/23 NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
भाषा कौशल विकास एवं मूल्यपरक शिक्षा NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
विद्यार्थियों का शब्द कोश विकसित करना।
नए शब्दों की पहचान करना।
लोगों से किसी भी चयनित भाषा में संवाद स्थापित करना।
पठन, लेखन एवं चिंतन के कौशल विकसित करना।
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‘नो बैग डे’ कार्यक्रम
शनिवारीय समय सारणी
क्र. सं.
गतिविधि का नाम
समय
1.
संविधान की उद्देशिका एवं मौलिक कर्तव्यों का पठन (दैनिक गतिविधि)
1/2 घंटा
2.
थीम आधारित गतिविधि – 1
2 घंटे
3.
थीम आधारित गतिविधि – 2
2 घंटे
वर्ग : कक्षा 01 से 05
Be Smart (विद्यालयों में व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)
समूह 1 अंकुर (कक्षा 1-2) एवं समूह – 2 प्रवेश (कक्षा 3-5)
गतिविधि का नाम :- ”वर्ड इन द वॉक्स” समय :– 2 घंटे आवश्यक सामग्री :– पेपर चिट और डिब्बा।
गतिविधि के चरण :- NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
शिक्षक अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के अनुसार पेपर चिट बनाएँ।
हर एक पेपर चिट पर अंग्रेजी का एक शब्द लिखे जैसे:- mango, banana, fan, colour, table, chair, village, tree, etc.
शिक्षक इन सभी चिटों को एक बॉक्स में डाल दे।
उस बॉक्स में से सभी विद्यार्थियों से एक-एक चिट उठाने को कहे।
विद्यार्थियों से उस चिट पर दिये शब्द के बारे में विस्तार से बताने को कहे ।
विद्यार्थी अंग्रेजी या हिंदी जिस भाषा में वो सहज है, उस भाषा में उसे शब्द के बारे में बताने को कहे। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
सीखने के प्रतिफल
विविध उद्देश्यों के लिए अपनी भाषा अथवा / और स्कूल की भाषा का इस्तेमाल करते हुए बातचीत करना सीखेंगे। अपनी बात खुल कर कह सकने, अपने निजी अनुभव साझा करने का कौशल सीख सकेंगे। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
गतिविधि का नाम :- ”कविता के माध्यम से सहानुभूति पूर्ण भावनात्मक विकास” समय :– 2 घंटे
समूह 1 अंकुर (कक्षा 1-2) आवश्यक सामग्री :– कुर्सी मेज, अखवार, कार्टून चरित्र का मुखौटा या फ़ैन्सी ड्रेस (यदि संभव हो )
गतिविधि के चरण :-
शिक्षक हाव-भाव के साथ कविता वाचन करेगा एवं विद्यार्थी उसे दोहराएँगे:
एक दिन देखा बिल्ली मौसी को, भुख-प्यास से व्याकुल किसको खाऊँ किसको खाऊँ? म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ। एक दिन देखा कौवे राज को, भूख-प्यास से व्याकुल क्या खाऊँ, क्या खाऊँ? काँव-काँव-काँव ।
शिक्षक विद्यार्थियों से प्रश्न पूछ कर उनके मनोभाव जान सकेंगे।
बिल्ली को किस-किस ने देखा है? भूखी बिल्ली आपके पास आएगी तो आप क्या करेंगे? और कौन-कौन से जानवर आपने आस-पास देखे हैं?
कौवे को आपने कहाँ-कहाँ देखा है ? आपको कौवे की आवाज कैसे लगती है और क्यों? आपने किन-किन पक्षियों की आवाज सुनी है?
इस बातचीत के दौरान शिक्षक विद्यार्थियों द्वारा बताए जाने वाले जानवरों और पक्षियों के नाम अलग-अलग कॉलम में नोट करते जाएँ तथा इस वर्गीकरण पर बात करते हुए विद्यार्थियों द्वारा बताए गए प्रत्येक नाम का विद्यार्थियों से दोहरान कराएँ। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
सीखने के प्रतिफल
विद्यार्थी अपने आस-पास के पशुओं व पक्षियों से संबंधित शब्दकोश विकसित कर सकेंगे। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
Be Smart (विद्यालयों में व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम)
गतिविधि का नाम :- ‘सुने और अपनी बात कहें’ समय :– 2 घंटे आवश्यक सामग्री :– कागज़ की पर्चियाँ, बाउल, खिलौना माइक, समय-प्रबंधन के लिए घड़ी इत्यादि।
गतिविधि के चरण :-
अभ्यास प्रारंभ करने के लिए एक, दो, तीन, चार कोने बनाएँ।
शिक्षक एक कथन पढ़े और वे चार विकल्प बताएँ जिनका अनुसरण करना है।
प्रत्येक वैकल्पिक उत्तर किसी एक कोने को व्यक्त करता है।
चौथा विकल्प एक खुले कोने के रूप में होगा ।
वे विद्यार्थी जो अन्य विकल्पों से सहमत नहीं होते हैं वे खुले कोने में खड़े हो सकते हैं और अपना स्वयं का उत्तर दे सकते हैं।
प्रत्येक कथन के बाद सहभागियों को कारण पूछे जाएँ कि उन्होंने कोई खास विकल्प क्यों चुना?
विद्यार्थी इसका जवाब बोलकर और लिखकर दोनों तरीके से दे सकते हैं। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
सीखने के प्रतिफल
विद्यार्थियों में प्रभावी संवाद कौशल का विकास होगा। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
भाषा कौशल विकास एवं मूल्यपरक शिक्षा
गतिविधि का नाम :- ‘साहसिक घटना पर अंग्रेजी फिल्म” समय :– 2 घंटे आवश्यक सामग्री :– कागज़ की पर्चियाँ, बाउल, खिलौना माइक, समय-प्रबंधन के लिए घड़ी इत्यादि।
गतिविधि के चरण :-
विद्यार्थियों को LED/TV पर वेब सीरीज / डाक्यूमेंट्री आदि दिखाई जाएगी।
फिल्मों में आए कठिन शब्दों के अर्थ एवं उच्चारण को शिक्षक द्वारा बताया जाएगा।
फिल्म के दौरान शिक्षक द्वारा घटनाओं से जुड़े कुछ लघु प्रश्न पूछे जाएँगे ताकि विद्यार्थियों के द्वारा चर्चा में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
इस प्रकार शब्द संग्रह, वाक्य रचना कौशल, उच्चारण कौशल को विकसित किया जा सकता है। NO BAG DAY ACTIVITIES SEPTEMBER 2023
सीखने के प्रतिफल
विद्यार्थियों में सुनने, देखने की क्षमता के साथ-साथ अपनी समझ को संगृहीत करने की क्षमता का विकास होगा।
NO BAG DAY ACTIVITY AUGUST 2023 : No Bag Day Activities In Rajasthan माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा 20 फरवरी, 2020 को राज्य विधानसभा में बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से सम्बन्धित घोषणाओं (बिन्दु संख्या 97) के अन्तर्गत सरकारी विद्यालय में शनिवार के दिन No Bag Day रखे जाने और उस दिन कोई अध्ययन कार्य नहीं किए जाने बाबत निर्णय की घोषणा की गई थी इसी क्रम में इस सत्र : 2023-24 से प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को “बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाना है ।
No Bag Day” का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास एवं अन्तर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन अध्यापन के पारम्परिक तरीकों से इतर सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है | No Bag Day शनिवार को विद्यालय समय मे विद्यार्थियों को विभिन्न सह शैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रख के सर्वागीण विकास करने का दायित्व होगा No Bag Day कौन-कौन सी गतिविधियां आयोजित करवानी है इन सभी के बारे में इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे बस्ता मुक्त दिवस मासिक मेमो
NO BAG DAY ACTIVITY
नो बैग डे का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास अंतर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन अध्यापन के पारंपरिक तरीकों से सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने सिखाने की प्रक्रिया को आनंद दायी बनाना है इसी योजना के अंतर्गत प्रत्येक शनिवार को विद्यार्थी स्कूल बैग के बिना विद्यालय आएंगे नो बैग डे शनिवार के दिन की जाने वाली गतिविधियां निम्नअनुसार हो सकती है पूरे विद्यालय को विभिन्न सदन में बैठकर सदन वार प्रतियोगिता करवाना, देश भक्ति गीत, संगीत प्रतियोगिता निबंध प्रतियोगिता नृत्य गायन इत्यादि कार्य करवाना खेलकूद को बढ़ावा देने हेतु खो खो, बैडमिंटन, बोलीबोल कबड्डी इत्यादि भी प्रतियोगिता करवाई जा सकती है ,राजस्थान को पहचानो गतिविधि,बस्ता मुक्त दिवस, No Bag day guidelines in hindi, बस्ता मुक्त दिवस मासिक मेमो pdf
No Bag day Theme Class Group
नो बैग डे के दिन आनंद दाई तरीके से सीखने सिखाने की प्रक्रिया कक्षवार न हो कर कक्षा समूह वार होगी
क्रम संख्या
समूह का नाम
कक्षा वर्ग
1
अंकुर
कक्षा 1 से 2
2
प्रवेश
कक्षा 3 से 5
3
दिशा
कक्षा 6 से 8
4
क्षितिज
कक्षा 9 से 10
5
उन्नति
कक्षा 11 से 12
हमसे जुड़ने के लिए निम्न सोशल मीडिया प्लेटफोर्म लिंक पर क्लिक करें
राजस्थान को पहचानो माह:- अगस्त 2022 प्रथम शनिवार (06 अगस्त 2022 )
कक्षा समूह
गतिविधि का नाम
उद्धेश्य
क्रियान्वयन विवरण
अंकुर कक्षा 1 से 2
पहचानो कौन?
विभिन्न पशुओं व विद्यार्थियों का
सदनवार समूह बना लें, अब बारी-बारी पक्षियों के बारे में प्रत्येक समूह के विद्यार्थियों से अध्यापकों द्धारा और अलग-अलग पशु पक्षियों की आवाज निकाल कर अथवा अभिनय कर अन्य विद्यार्थियों से पशु पक्षियों के नाम व उन पशुओ व पक्षियों की उपयोगिता, रंग-रूप, आकार, उनके भोजन आदि के बारे मे भी पूछा जायेगा।
प्रवेश कक्षा 3 से 5
मेरा गाँव मेरी नजर से
स्थानीय व्यवसाय व सेवाओं के बारे में जानना।
विद्यार्थियों के सदनवार समूह बना लिये जायेंगे। शिक्षक द्धारा सभी समूह हर विद्यार्थी को एक एक किरदार का अभिनय करने के लिये बुलाया जायेगा । जैसे एक को डॉक्टर, एक को किसान, एक को दूध वाला आदि विविध किरदारों का अभिनय करने को कहा जाएगा। जिस सदन समूह के विद्यार्थियों का अभिनय श्रेष्ठ होगा वह सदन विजेता होगा ।
दिशा कक्षा 6 से 8
बूझो तो जाने
राजस्थान के जिलो की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानना
इस गतिविधि में राजस्थान के मानचित्र व राजस्थान के स्थिति जिलों के नाम की पर्चियां तैयार करनी होंगी। बच्चे गोल घेरे में बैठ जायेंगे पास में राजस्थान का मानचित्र प्रदर्शित होगा। अध्यापक राजस्थान के जिलों के नामो वाली पर्ची बीच में डालेंगे व एक एक बच्चे को एक बारी बारी से एक पर्ची को उठाना होगा तथा पर्ची में लिखे जिले का नाम बोलकर मानचित्र में बताना होगा व बच्चों द्वारा उस जिले के दर्शनी स्थलों व उस जिले के संबन्ध में अन्य जानकारी के बारे बताया जायेगा |
क्षितिज कक्षा 9 से 10
सुनकर गाने, आओ राजस्थान को पहचाने
राजस्थान के लोक गीतों के बारे में तथा उन गीतों के पीछे की कहानियो के बारे में जानना
विद्यार्थियों को उचित बैठक व्यवस्था कर शिक्षक अथवा विद्यार्थी (जिन्होंने पहले से ही लोक गीत की तैयारी कर रखी होगी) लोकगीत गायेंगे सभी छात्र व अध्यापक पीछे दोहराएंगे तथा उन गीतों के पीछे की कहानी पर बात चीत करेंगे। लोक गीत के लिए विद्यालय में समुदाय से भी किसी व्यक्ति को आमंत्रित कर सकते हैं ।
उन्नति कक्षा 11 से 12
मेरे बोल – तुम समझाओ
राजस्थान लोकोक्तियाँ तथा मुहावरों के बारे तथा उनके अर्थ बारे में जानना ।
विद्यर्थियों को सदनवार समूहों में विभाजित कर लेंगे । एक समूह से एक बच्चा लोकोक्ति या मुहावरा बोलेगा व, दूसरे समूह से बच्चे हाथ उठाकर उसका अर्थ बताएँगे व वाक्य में प्रयोग करेंगे, सही बताने पर दूसरे समूह को 1 अंक दिया जायेगा, अगर समूह २ अर्थ नही बता पाता है तो पहले समूह को अर्थ बताने व वाक्य में प्रयोग का मौका दिया जायेगा, लोकोक्ति व मुहावरों के लिए विद्यालय में समुदाय से भी किसी व्यक्ति को आमंत्रित कर सकते हैं।
बस्ता मुक्त दिवस (मासिक मेमो)
भाषा कोशल विकास हिन्दी माह:- अगस्त 2022 द्वितीय शनिवार (13 अगस्त 2022 )
कक्षा समूह
गतिविधि का नाम
उद्देश्य
क्रियान्वयन विवरण
अंकुर कक्षा 1 से 2
मुझे क्या पसंद है! (समय – 90 मि.)
विभिन्न पशुओं व विद्यार्थियों का
सदनवार समूह बना लें, अब बारी-बारी पक्षियों के बारे में प्रत्येक समूह के विद्यार्थियों से अध्यापकों द्धारा और अलग-अलग पशु पक्षियों की आवाज निकाल कर अथवा अभिनय कर अन्य विद्यार्थियों से पशु पक्षियों के नाम व उन पशुओ व पक्षियों की उपयोगिता, रंग-रूप, आकार, उनके भोजन आदि के बारे मे भी पूछा जायेगा।
प्रवेश कक्षा 3 से 5
मेरा गाँव मेरी नजर से
स्थानीय व्यवसाय व सेवाओं के बारे में जानना।
विद्यार्थियों के सदनवार समूह बना लिये जायेंगे। शिक्षक द्वारा सभी समूह हर विद्यार्थी को एक एक किरदार का अभिनय करने के लिये बुलाया जायेगा । जैसे एक को डॉक्टर, एक को किसान, एक को दूध वाला आदि विविध किरदारों का अभिनय करने को कहा जाएगा। जिस सदन समूह के विद्यार्थियों का अभिनय श्रेष्ठ होगा वह सदन विजेता होगा ।
दिशा कक्षा 6 से 8
बूझो तो जाने
राजस्थान के जिलो की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानना
इस गतिविधि में राजस्थान के मानचित्र व राजस्थान के स्थिति जिलों के नाम की पर्चियां तैयार करनी होंगी। बच्चे गोल घेरे में बैठ जायेंगे पास में राजस्थान का मानचित्र प्रदर्शित होगा। अध्यापक राजस्थान के जिलों के नामो वाली पर्ची बीच में डालेंगे व एक एक बच्चे को एक बारी बारी से एक पर्ची को उठाना होगा तथा पर्ची में लिखे जिले का नाम बोलकर मानचित्र में बताना होगा व बच्चों द्वारा उस जिले के दर्शनी स्थलों व उस जिले के संबन्ध में अन्य जानकारी के बारे बताया जायेगा |
क्षितिज कक्षा 9 से 10
सुनकर गाने, आओ राजस्थान को पहचाने
राजस्थान के लोक गीतों के बारे में तथा उन गीतों के पीछे की कहानियो के बारे में जानना
विद्यार्थियों को उचित बैठक व्यवस्था कर शिक्षक अथवा विद्यार्थी (जिन्होंने पहले से ही लोक गीत की तैयारी कर रखी होगी) लोकगीत गायेंगे सभी छात्र व अध्यापक पीछे दोहराएंगे तथा उन गीतों के पीछे की कहानी पर बात चीत करेंगे। लोक गीत के लिए विद्यालय में समुदाय से भी किसी व्यक्ति को आमंत्रित कर सकते हैं ।
उन्नति कक्षा 11 से 12
मेरे बोल – तुम समझाओ
राजस्थान लोकोक्तियाँ तथा मुहावरों के बारे तथा उनके अर्थ बारे में जानना ।
विद्यर्थियों को सदनवार समूहों में विभाजित कर लेंगे । एक समूह से एक बच्चा लोकोक्ति या मुहावरा बोलेगा व, दूसरे समूह से बच्चे हाथ उठाकर उसका अर्थ बताएँगे व वाक्य में प्रयोग करेंगे, सही बताने पर दूसरे समूह को 1 अंक दिया जायेगा, अगर समूह २ अर्थ नही बता पाता है तो पहले समूह को अर्थ बताने व वाक्य में प्रयोग का मौका दिया जायेगा, लोकोक्ति व मुहावरों के लिए विद्यालय में समुदाय से भी किसी व्यक्ति को आमंत्रित कर सकते हैं।
बैग फ्री सैटरडे कालांश वार नो बैग डे – शिक्षा में नई चेतना की ओर एक कदम
राजस्थान बजट 2020 में शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न जनउपयोगी- शिक्षा उपयोगी घोषणाओं के लिए राजस्थान सरकार का हार्दिक अभिनंदन। विशेष रुप से शनिवार को बस्ते की छुट्टी करने के लिए अर्थात बैग फ्री सैटरडे घोषित करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री महोदय का हृदय की गहराइयों से बहुत-बहुत अभिनंदन साधुवाद। जितने व्यापक स्तर पर इस घोषणा स्वागत हुआ है उससे स्पष्ट है कि यह जन आकांक्षाओं के अनुरूप लिया गया निर्णय हैं और बहुतायत में सभी ने इसकी प्रशंसा की है।
राजस्थान सरकार ने शनिवार को बैग फ्री सैटरडे की घोषणा की है । ठीक प्रकार से क्रियान्वित होने पर यह संकल्पना ,यह योजना शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों और लक्ष्यों के अनुरूप हैं ।स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी तक तमाम विद्वानों ने शिक्षा को व्यक्ति की अंतर्निहित शक्तियों का प्रकटीकरण करने वाला बताया है , मन बुद्धि और आत्मा का विकास करने वाला बताया है। शनिवार के दिन बिना बस्ते के भी बहूत कुछ सीखा जा सकता है और यह होने वाली पढ़ाई एवं गतिविधियां बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने में सहायक सिद्ध होगी। यह योजना भारतीय शिक्षण पद्धति के अनुरूप है।
यह वर्ष पूज्य महात्मा गांधी जी के जन्म का 150 वां वर्ष है और सौभाग्य से यह योजना महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा के सिद्धांतों के अनुरूप हैं । इससे बहुत सारे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ होंगे। शिक्षा में पाठ्य सहगामी क्रियाओं का भी महत्व रेखांकित होगा एवं शिक्षक पर गंभीरता से लेंगे क्योंकि पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं की बालक के व्यक्तित्व के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।
बच्चे भारी भरकम बस्ते के बोझ से मुक्त तनाव रहित होकर शिक्षा को आनंद मय वातावरण में उत्सव के रूप में ग्रहण करें, इस दृष्टि से पिछले 12 वर्षों से बस्ते का बोझ कम करने की दिशा में प्रयत्नशील हूँ। समाधान स्वरूप मासिक पाठ्य पुस्तक एवं शनिवार को बस्ते की छुट्टी की संकल्पना की थी। सौभाग्य से दोनों ही सुझावों को धीरे धीरे मान्यता मिल रही है।
शनिवार के दिन बिना बस्ते के पढ़े जा सकने वाले शिक्षण बिंदुओं को एक आलेख के रुप में लिखा था । जो शिविरा पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ। यदि इस प्रकार से कालांश विभाजन की योजना बन जाएगी तो यह बैग फ्री सैटरडे योजना सरलता से सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो सकेगी।
बस्ता मुक्त शनिवार क्यो-
कंधे पर भारी भरकम बस्ते का बोझ, एक हाथ में पानी की बोतल दूसरे हाथ में लंच बॉक्स के साथ( निजी विद्यालय) लिए धीमी गति से …थके थके से चलते पांव एवं मासूम चेहरों को देखते ही मन में पीड़ा होती हैं ।हम उसे सभ्य ,सुसंस्कृत ,सुयोग्य नागरिक बनने की शिक्षा दे रहे हैं अथवा केवल कुशल भारवाहक बनने का प्रशिक्षण ??
बचपन की मस्तियां ,शैतानियां, नादानियां ,किलकारियां, निश्छल हँसी ,उन्मुक्तता , जिज्ञासा आदि अनेक बालसुलभ क्रियाओं को बस्ते के बोझ ने अपने वजन तले दबा दिया है । बचपन का सावन, , कागज की कश्ती और बारिश के पानी के बालक केवल बातें ही सुनता है । स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का लगातार बढ़ता हुआ बोझ एक समस्या के रूप में समाज के सामने है । आजादी के बाद से ही इस पर लगातार चिंतन मनन होता रहा है और लगभग सभी शिक्षा आयोगों ,समितियों ने इसकी चर्चा की है, इस बोझ को कम करने की सिफारिश भी की है।बैग फ्री सैटरडे कालांश वार नो बैग डे – शिक्षा में नई चेतना की ओर एक कदम
शिक्षा क्या है-
शिक्षा बालक के सर्वांगीण विकास का आधार है । सा विद्या या विमुक्तये हो या विद्या ददाति विनयम ….मन बुद्धि और आत्मा के विकास की बात हो अथवा बालक की अंतर्निहित शक्तियों के प्रकटीकरण की बात ….शिक्षा मूल रूप से जीवन का आधार है, शिक्षा के बारे में मूल भारतीय चिंतन यही है । विभिन्न विद्वानों और विचारकों ने शिक्षा की परिभाषा में अलग-अलग शब्दों में इन्हीं भावों और उद्देश्यों को रेखांकित किया है। किंतु वर्तमान शिक्षा प्रणाली और परीक्षा प्रणाली बालक को केवल रटना सीखा रही हैं। उसे अधिकाधिक अंकों की दौड़ में प्रतिस्पर्धी मात्र बना रही है । ऐसे में सर्वांगीण विकास की बात अधूरी रह जाती हैं । बालकों की जन्मजात प्रतिभाएं, रुचियाँ एवं नैसर्गिक बचपन इस होड़ाहोडी में उलझ कर रह गये है । भारी भरकम बस्ते के बोझ तले पीसता बचपन अभिभावकों एवं स्कूल की ऊँची अपेक्षाओं की बलि चढ़ रहा है । बाल सुलभ जीवन चर्या के विपरीत उसका जीवन तनावपूर्ण हो रहा है । यह समस्या मनोवैज्ञानिकों ,समाजशास्त्रियों, शिक्षाविदों एवं अभिभावकों के लिए भी चिंता का कारण बनी है।
बस्ता शिक्षा का आधार नहीं है, न ज्ञानार्जन की प्रक्रिया भारी भरकम बस्ते पर अवलम्बित है। अक्सर विद्यालय से छुट्टी के बाद बालक घर जाकर जिस तरह से बस्ते को रखता हैं, पटकता है उससे उसके बालमन पर बस्ते और स्कूल के तनाव को सहजता से समझा जा सकता है।
एक शिक्षक के रूप में मैंने इस समस्या को निकट से अनुभव किया हैं । मैं पिछले 12 वर्षों से बस्ते के बोझ की समस्या को हल करने के लिए प्रयासरत हूं और इस अवधि में समाधान के रूप में दो विकल्प देश भर के शिक्षा प्रेमियों शिक्षाविदों , शिक्षकों और अभिभावकों के सामने रखे हैं। इन प्रयासों को एक बड़ा मुकाम मिला जब कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं NCERT के तत्वावधान में बस्ते की बोझ की समस्या के समाधान के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ ।मैं भी इस कार्यशाला में आमंत्रित था। इस कार्यशाला में मुझे देश के विभिन्न राज्यों से आए शिक्षाविदों और अधिकारियों के सामने अपने सुझाव रखने का अवसर मिला।समस्या ही नहीं समाधान की भी चर्चा होनी चाहिए, इस बात का अनुसरण करते हुए मैंने अपने दो सुझाव प्रस्तुत किये ।ये सुझाव देश भर में चर्चा का विषय बने। एक सुझाव को देश के विभिन्न राज्यो द्वारा लागू किया है । साथ ही केंद्रीय विद्यालय संगठन ने देश भर में प्राथमिक कक्षाओं के लिए भी इस सुझाव को लागू किया है।
मेरा सुझाव था कि सप्ताह में एक दिन बस्ते की छुट्टी कर दी जाए। देश के विभिन्न भागों में कर्मचारियों के लिए “फाइव डे वीक” की योजना चलती है जिसमें सरकारी कार्यालय सप्ताह में 5 दिन ही खुलते हैं ।
शनिवार को विद्यालयों की छुट्टी भले न करें पर शनिवार को बस्ते की छुट्टी अवश्य कर देनी चाहिए अर्थात बच्चे एवं स्टाफ विद्यालय तो आएँ किंतु बस्ते के बोझ से मुक्त होकर व होमवर्क के दबाव के बिना। यहां सहज कुछ प्रश्न खड़े होते है। पहला तो यह कि यदि बच्चे बस्ता नहीं लाएँगे तो विद्यालय में करेंगे क्या ?
समाधान है सप्ताह में एक दिन बच्चे शरीर, मन, आत्मा का विकास करने वाली शिक्षा ग्रहण करेंगे। अपनी प्रतिभा का विकास करेंगे। शिक्षा शब्द को सार्थकता देंगे। और इस शनिवार को नाम दिया “आनंदवार ” अर्थात शनिवार की शिक्षा बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ आनंद उल्लास और उमंग देने वाली भी हो।
यह एक प्रयास हैं बालक को तनाव मुक्त, आनंददायी, सृजनात्मक/प्रयोगात्मक शिक्षा देने का । वर्तमान में चल रही शिक्षा प्रणाली में बिना ज्यादा बदलाव किए, वर्तमान दायरे में रह कर भी शिक्षा को सहज, बोधगम्य, तनाव रहित, व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का विकास करने वाला बनाया जा सकता है। ऐसी अनेक बातें है,विभिन्न प्रकार के विषय है जो क्रिया आधारित है। जिनके लिए किताब या बस्ता ज़रूरी नहीं है। आनंदवार अर्थात शनिवार को भी नियमानुसार कालांश तो लगे पर उनका प्रकार कुछ बदला सा हो। “सादर विचारार्थ” सुझाव स्वरूप यह कालांश योजना प्रस्तुत है जिनके आधार पर दिनभर की गतिविधिया सम्पन्न हो सकती है।बैग फ्री सैटरडे कालांश वार नो बैग डे – शिक्षा में नई चेतना की ओर एक कदम
प्रथम कालांश – “योग, आसन, प्राणायाम व्यायाम”
प्रार्थना सत्र के पश्चात पहला कालांश योग-आसन, प्राणायाम, व्यायाम का रहे। बालक का शरीर स्वस्थ रहेगा, मज़बूत बनेगा तो निश्चित रूप से अधिगम भी प्रभावी होगा। कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है । प्राणायाम-व्यायाम के संस्कार विद्यार्थी के लिए जीवन पर्यंत काम आएँगे। इस कालांश में कौन से योग व्यायाम करवाना इसके लिए हमारे विभाग मे बहुत से एक्सपर्ट शारीरिक शिक्षक उपलब्ध है उनसे सलाह करके एक कॉमन योग कार्यक्रम तय किया जा सकता है । इसका एक सरल तरीका और है । विश्व योग दिवस का जो प्रोटोकॉल है, वह भी लगभग 40 मिनिट का है, उसका अभ्यास हो सकता है। उसमें सब प्रकार के योग व्यायाम एवं प्राणायाम सम्मिलित हैं । उसे हुबहू भी अपना सकते हैं अथवा कुछ संशोधन करके भी अपना सकते हैं । इस पहले कालांश को शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए काम में लिया जाना चाहिए
दूसरा कालांश – श्रमदान / स्वच्छता / पर्यावरण संरक्षण
इस कालांश में विद्यालय परिसर की स्वच्छता का कार्य, श्रमदान एवं पर्यावरण संबंधित कार्यों का निष्पादन होगा। विद्यालय में वृक्षारोपण, उनकी सार संभाल, सुरक्षा, पानी पिलाना, आवश्यकता होने पर कटाई-छंटाई, कचरा निष्पादन आदि कार्य।
तीसरा कालांश – संगीत अभ्यास
इस कालांश में गीत अभ्यास, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, प्रतिज्ञा, प्रार्थना का अभ्यास हो। कई बार यह देखा जाता है कि वर्षों तक विद्यालय में पढ़ने के बावजूद कुछ छात्रों को प्रार्थना और प्रतिज्ञा भी याद नहीं हो पाते हैं ,यह कालांश उनके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा ।उपलब्ध हो तो वाद्ययंत्र का अभ्यास और कभी-कभी डांस क्लास (नृत्य अभ्यास) भी इस कालांश में करवाया जा सकता है।
चतुर्थ कालांश – खेलकूद
कुछ खेल इनडोर हो सकते है कुछ आउटडोर हो सकते है। अत्यधिक धूप की स्थिति में कक्षा कक्ष में ही दिमागी खेल, छोटे समूह के खेल इत्यादि हो सकते है। कुल मिलाकर इस खेल कालांश के लिए दो प्रकार की योजनाएं की जानी चाहिए – इंडोर गेम्स और आउटडोर गेम। शारीरिक शिक्षकों की सलाह लेकर ऐसे अलग-अलग खेलों की विस्तृत सूची बनाकर सभी विद्यालयों को देनी चाहिए। बहुत सारे खेल ऐसे होते हैं जिन्हें बिना किसी साधन के भी अथवा न्यूनतम खर्च के संसाधनों के द्वारा खेला जा सकता है जैसे कबड्डी, विभिन्न प्रकार के दौड़े ,रुमाल झपट्टा ,ऊंची कूद लंबी कूद इत्यादि
पंचम कालांश -अभिव्यक्ति कालांश
मध्यावकाश बाद के इस कालांश में कविता,नाटक, वाद-विवाद समूह चर्चा (ग्रुप डिस्कशन) अंत्याक्षरी (हिन्दी- अग्रेंजी) चित्रकला इत्यादि। बस्ता नहीं लाना है तो चित्रकला की कॉपी भी नहीं लानी है।अतः श्यामपट्ट पर, कक्षा कक्ष अथवा बरामदे में फर्श पर चॉक से, मैदान में पेड़ों की छांव तले मिट्टी पर पानी छिड़क कर छोटी लकड़ी से भी चित्र बनाए जा सकते है। मैदान के कंकरों की सहायता से रंगोली भी बनायी जा सकती है।यह प्रयोग हमने किया हुआ है। कंकर को रंग करने के बाद उनसे विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां और रंगोलियां बनाई जा सकती है। इसमें लाभ यह है कि एक बार काम में लेने के बाद इन्हें पुनः काम में लिया जा सकता है जबकि सामान्य रंगोली के कलर दोबारा काम नहीं आ सकते । साथ ही बड़ी कक्षाओं में समूह चर्चा के लिए बहुत सारे विषय छाँट कर उनकी एक विस्तृत सूची बनाकर समस्त विद्यालयों को उपलब्ध करवाई जा सकती है । वर्ष भर में लगभग 40 शनिवार कार्य दिवस के रूप में आएंगे । ऐसे में लगभग 80 विषयों की सूची बनाकर विद्यालय को देनी चाहिए जिनमें से शिक्षक अपनी सुविधानुसार कक्षाओं में समूह चर्चा ले सकें जैसे पर्यावरण संरक्षण, साक्षरता में हमारी भूमिका, सड़क सुरक्षा, हमारे महापुरुष ,आदर्श विद्यार्थी के गुण, मेरा गांव मेरा गौरव, स्वास्थ्य के आधार बिंदु ,भोजन क्या करें कैसे करें …इत्यादि बहुत सारे विषय हो सकतेहैं
षष्ठम कालांश – पुस्तकालय एवं वाचनालय
इस कालांश में सभी कक्षाओं में छात्र संख्या के अनुरूप पुस्तकें वितरित की जाएं। पुस्तकालय प्रभारी संबंधित कक्षाओं के शिक्षकों को पुस्तकें देंगे। इस कालांश में पढ़कर पुनः शिक्षक के माध्यम से पुस्तकालय प्रभारी को जमा करना है। लगभग सभी विद्यालयों में जितने विद्यार्थी हैं इतनी पुस्तकें तो उपलब्ध है ही। उससे ज्यादा भी हो सकती हैअपवाद स्वरूप यदि किन्हीं विद्यालयों में पुस्तकालय में पुस्तक नहीं है तो बैग फ्री सैटरडे के बहाने वहां भी पुस्तकालय विकसित हो जाएगा।किसी न किसी योजना से सभी विद्यालयों में पुस्तकालय तो होना ही चाहिए
सप्तम कालांश -मौखिक गणित एवं भूगोल
यह भी अनेक बार का अनुभूत प्रयोग हैं ,कई बार करवाया है और बच्चों को इसमें बड़ा आनंद आता है । पहाड़ा अभ्यास, हाथ की अंगुलियों पर -टिप्स पर सामान्य गणितीय क्रियाओं का मौखिक अभ्यास, जोड बाकी गुणा भाग, प्रतिशत बट्टा आदि। साथ ही इस कालांश में सामान्य ज्ञान एवं भूगोल को भी पढ़ाया जा सकता है। मानचित्र परिचय, विश्व, भारत, राजस्थान के राजनैतिक, प्राकृतिक मानचित्र का अवलोकन, उसमें अलग अलग स्थानों को , नदी, पर्वत खोजना इत्यादि। (उपलब्ध हो तो इस कालांश में कम्प्यूटर शिक्षण भी हो सकता है।)
अष्टम कालांश – अभिप्रेरणा
बालसभा, बोधकक्षा, नैतिक शिक्षा, कैरीयर गाईडेंस इत्यादि। सप्ताह भर में आने वाले सभी उत्सव एवं महापुरुषों की जयंतियों का आयोजन भी इस कालांश में हो सकता है।
पहला एवं अन्तिम कालांश सामूहिक भी रह सकता है और सुविधानुसार कक्षानुसार भी हो सकता है।
कालांशो के विषय सुझाव स्वरूप उल्लेखित किए है। विभागीय आदेश ही मान्य होंगे। इनका क्रम विद्यालय स्तर पर सुविधानुसार निर्धारित किया जा सकता है, कक्षानुसार बदला जा सकता है।
बैग फ्री सैटरडे का अर्थ यह कतई नहीं है की अध्ययन अध्यापन में कोई कंजूसी हो । पांच दिन जमकर पढाई और छठे दिन शनिवार को व्यक्तित्व विकास, सजृनात्मकता अभिव्यक्ति। बैग फ्री सैटरडे की आर्थात आनंदवार की योजना से हमारी कालांश व्यवस्था में भी बहुत विशेष फर्क नहीं पड़ेगा कारण की सभी कक्षाओं में प्रतिदिन एक न एक पीरियड कला शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा या समाजोपयोगी कार्य के के नाम पर होता है । सप्ताह भर के उन सारे कलांशो को मिलाकर शनिवार के 1 दिन में मर्ज करना, इतनी सी बात है ।विभिन्न विषयों को मिलने वाले अध्ययन अध्यापन के कालांश उतने ही रहेंगे । जितने भी सह शैक्षणिक आयोजन करने हैं रैली इत्यादि निकालनी है वह सभी आयोजन इस बैग फ्री सैटरडे को हो सकते हैं शेष 5 दिन केवल शुद्ध रूप से अध्यापन अध्ययन कार्य ही चले ।
इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा बेग फ्री सेटरडे की घोषणा मौजूदा शिक्षा प्रणाली में बिना बदलाव के, बिना किसी वित्तीय भार के इस उपाय से शिक्षा को आनंददायी और विद्यालय परिसर को जीवन निर्माण केन्द्र बना सकने में सक्षम होगी। विद्यार्थियों के सामने भविष्य में आने वाली सामाजिक, स्वास्थ्य एवं नैतिक मूल्यों से जुडी चुनौतियों का सामना करने वाली पीढ़ी के निर्माण में इस विचार की क्रियान्विति महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकती है।
पुनः एक बार शनिवार को बस्ते की छुट्टी करने के लिए अर्थात बैग फ्री सैटरडे लिए राज्य सरकार का , शिक्षा मंत्री जी का बहुत-बहुत आभार, धन्यवाद, अभिनंदन – संदीप जोशी, जालोर
नए सत्र एक जुलाई से लागू होगा नियम, शिक्षा विभाग ने जारी किये आदेश
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के लिए राहत की खबर है। राज्य सरकार की ओर से वर्ष-2020 में की गई घोषणा अब मूर्तरूप लेने जा रही है, जिसके अनुसार नए सत्र यानी एक जुलाई से अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को शनिवार को बस्ता लेकर स्कूल नहीं जाना होगा। इसलिए सभी सरकारी स्कूलों में शनिवार को ‘नो बैग-डे’ मनाया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 फरवरी 2020 को बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से संबंधित घोषणाओं में सप्ताह में एक दिन शनिवार को सरकारी स्कूलों में बैग नहीं ले जाने व उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने संबंधी निर्णय की घोषणा थी। घोषणा के मुताबिक अनुसार सत्र 2022-23 में सप्ताह में प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा।
1. माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा 20 फरवरी, 2020 को राज्य विधानसभा में बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से सम्बन्धित घोषणाओं (बिन्दु संख्या 97) के अन्तर्गत समस्त सरकारी विद्यालयों में शनिवार के दिन “No Bag Day” रखे जाने और उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने बाबत निर्णय की घोषणा की गई थी। उक्तानुरूप सत्र 2022-23 में प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा ।
2. “No Bag Day” का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास एवं अन्तर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन अध्यापन के पारम्परिक तरीकों से इतर सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है।
3. इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक शनिवार को विद्यार्थी स्कूल बैग के बिना विद्यालय आएंगे।
4. प्रत्येक शनिवार को कक्षा स्तर के अनुसार थीम आधारित निम्नलिखित गतिविधियां करवाई जाएगी :
NO BAG DAY RAJASTHAN GOVERNMENT SCHOOL NEW PLAN
क. सं०
शनिवार क्रमांक
थीम
1
माह का प्रथम शनिवार
राजस्थान का पहचानों
2
माह का द्वितीय शनिवार
भाषा कौशल विकास
3
माह का तृतीय शनिवार
खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान
4
माह का चतुर्थ शनिवार
मैं वैज्ञानिक बनूंगा
5
माह का पंचम शनिवार
बाल-सभा मेरे अपनों के साथ
5. “No Bag Day” के दिन आनंददायी तरीके से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया कक्षावार न होकर निम्नांकितानुसार कक्षा समूहवार होगी।
NO BAG DAY RAJASTHAN GOVERNMENT SCHOOL NEW PLAN
क.स०
समूह का नाम
कक्षा वर्ग
1
अंकुर
कक्षा 1 से 2
2
प्रवेश
कक्षा 3 से 5
3
दिशा
कक्षा 6 से 8
4
क्षितिज
कक्षा 9 से 10
5
उन्नति
कक्षा 11 से 12
6. 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्टूबर के अतिरिक्त शिविरा पंचांग में दर्शाए गए / मनाए जाने वाले समस्त उत्सव जयन्तियां सम्मिलित है। प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस के रूप में आयोजन करने हेतु शिविरा पंचांग में सम्मिलित गतिविधियों / कार्यक्रमों / क्रियाकलापों के आयोजन “No Bag Day” हेतु निर्धारित समय सारिणी में से 40 मिनट का समय निकालकर विद्यालय संचालन के अंतिम समय में आयोजित किए जाएंगे।
7. सम्पूर्ण सप्ताह (सोमवार से रविवार) के दौरान पड़ने वाले उत्सवों / जयंतियों का विधिवत आयोजन सप्ताह में “बस्ता मुक्त दिवस’ (शनिवार) को समारोहपूर्वक किया जाए, जिसके लिए रूप रेखा का निर्माण एवं पूर्व तैयारी सम्बन्धित शिक्षकों एवं आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले विद्यार्थियों द्वारा उक्त शनिवार से पूर्व की जाए।
8. बस्ता मुक्त दिवस मनाए जाने के कारण समस्त बाल सभाएं मासिक स्टाफ बैठक, अभिभावक शिक्षक बैठक(PTM). SDMC/SMC की कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक (वर्तमान में प्रतिमाह अमावस्या को आयोज्य). मीना-राजू / गार्गी मंच की बैठक इत्यादि कार्यक्रम भी बस्ता मुक्त दिवस (शनिवार) के अवसर पर आयोजित किए जाएं। माह के अंतिम शनिवार को उत्सव / जयन्ती / बाल सभा आयोजित करने के उपरान्त समस्त राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा 40 मिनट स्वैच्छिक श्रमदान किया जाएगा।
9. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर तथा राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (RSCERT), उदयपुर तथा विभिन्न अभिकरणों एवं विभाग द्वारा समय-समय पर विद्यार्थियों में सृजनात्मक कौशल विकास तथा वैज्ञानिक अभिवृत्ति एवं अभिरूचि विकास के उद्देश्य से आयोजित की जाने वाली समस्त प्रतियोगिताएं विद्यालय स्तर पर शनिवार को ही आयोजित करवाई जाएं।
10. “बस्ता मुक्त दिवस (शनिवार) के अवसर पर आयोजित होने वाले उत्सवों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों यथा- खेलकूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण, निबन्ध लेखन इत्यादि के आयोजन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
11. प्रतिमाह एक बाल सभा में गांधीजी द्वारा प्रतिपादित ‘बुनियादी शिक्षा की अवधारणा का ज्ञान विद्यार्थियों को देते हुए पारम्परिक घरेलू कुटीर उद्योग का व्यावहारिक प्रदर्शन करवाया जाए, जैसे मिट्टी के बर्तन या खिलौने बनाना, तकली कातना, चरखे का उपयोग इत्यादि। इस हेतु विद्यालय के आस-पास से आर्टिजन को विद्यालय में आमंत्रित किया जाकर प्रत्यक्ष प्रदर्शन करवाने का प्रयास किया जाए।
No Bag Day शनिवार की मुख्य बातें
इस दिन बच्चों को बिना बैग के स्कूल जाना है
शनिवार के दिन स्कूल में पढाई नहीं होगी
प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को योगा और जनरल नॉलेज की क्लास लगेगी
इस दिन बच्चों में उत्साह रहेगा
थीम पर गतिविधियां
माह के पहले शनिवार राजस्थान को पहचानो।
दूसरा शनिवार भाषा कौशल विकास।
तीसरा शनिवार खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान।
चौथा शनिवार मैं वैज्ञानिक बनूंगा।
पांचवा शनिवार बालसभा मेरे अपनों के साथ।
बच्चों का होगा शारीरिक-बौद्धिक विकास
मासूम बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम करने व उनके शारीरिक-बौद्धिक विकास
के लिए शनिवार को नो बैग डे मनाने का निर्णय लिया है। राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हापूराम चौधरी के अनुसार इससे विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक विकास होगा साथ ही सह शैक्षणिक गतिविधियों के प्रति विद्यार्थियों की रुचि बढ़ेगी।
अंतरराष्ट्रीय मपदंड तय
अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार बच्चे के स्कूल बैग का बोझ उसके वजन के 10 फीसदी तक होना चाहिए। देश में सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी हुई है। हालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है।
इस प्रकार से होगा आयोजन
शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक कक्षा 1 से 12 तक के सभी बच्चों के पांच गु्रप्स बनाए जाएंगे। कक्षा 1 व 2 का एक समूह , कक्षा 3 4 5 का दूसरा समूह। कक्षा 6 7 8 का तीसरा और चौथा समूह कक्षा 9 और 10 का बनेगा। इसी प्रकार कक्षा 11 और 12 का पांचवां समूह बनाया जाएगा। सभी समूहों में विषय एक जैसे ही होगे। बस अंतर रहेगा उनमें होने वाली गतिविधियों व कार्य का। गतिविधियों को डिजाइन करते समय कक्षास्तर का ध्यान रखा जाएगा। कक्षा के स्तर के अनुसार ही उनमें गतिविधियां करवाई जाएंगी।
जैसे पहले शनिवार को ‘राजस्थान को पहचानो’ के नाम से गतिविधियां कक्षा स्तर के अनुसार तैयार करके करवाईं जाएगी। इसी प्रकार द्वितीय शनिवार का विषय होगा भाषा कौशल विकास हेतु अभिव्यक्ति के अवसर प्रार्थना के तुरंत बाद, तीसरे शनिवार का विषय रखा गया है ‘खेलेगा राजस्थान पढ़ेगा राजस्थान’ चौथे शनिवार को ‘मैं बनूंगा वैज्ञानिक करके दिखाना ‘ प्रमाणित करना। पांचवा शनिवार यदि महीने में आता है तोए ‘बालसभा मेरे अपनों के साथ’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
यह एक्टीविटिज भी करेंगे बच्चे
स्कूल समय में विद्यार्थियों को विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रखा जाएगा, इसका दायित्व शिक्षक का होगा।
पूरे विद्यालय को विभिन्न सदनों में बांटकर सदन वार प्रतियोगिता करवाना। देशभक्ति गीत, संगीत, क्विज, निबन्ध प्रतियोगिता, आशुभाषण आदि प्रतियोगिताओं में लेना होगा भाग।
खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए खोखो, चैस, बैंडमिंडन, वॉलीबाल, बास्केटबॉल, कबड्डी इत्यादि भी प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन
योगाभ्यास भी करना होगा।
श्रमदान की भावना जाग्रत करने के लिए बच्चे श्रमदान भी कर सकेंगे।
बच्चों को स्वंतत्रता सेनानी, सुधारक और महान वैज्ञानिकों की फिल्में दिखाई जाएंगी।
बच्चों के माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण बातें
शनिवार को बच्चों की स्कूल जरूर भेजें पढाई नहीं होगी ये सोचकर उनकी छुट्टी न करवाएं
इस दिन बिना बैग के बच्चों को स्कूल भेजें
बच्चों को योगा जैसी शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें
‘‘नो बैग-डे का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास व उनमें अंतर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन-अध्यापन के पारंपरिक तरीकों के अलावा सहयोगी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है। -अमृतलाल, जिला शिक्षाधिकारी, मुख्यालय माध्यमिक, जोधपुर।