नए सत्र एक जुलाई से लागू होगा नियम, शिक्षा विभाग ने जारी किये आदेश
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के लिए राहत की खबर है। राज्य सरकार की ओर से वर्ष-2020 में की गई घोषणा अब मूर्तरूप लेने जा रही है, जिसके अनुसार नए सत्र यानी एक जुलाई से अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को शनिवार को बस्ता लेकर स्कूल नहीं जाना होगा। इसलिए सभी सरकारी स्कूलों में शनिवार को ‘नो बैग-डे’ मनाया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 फरवरी 2020 को बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से संबंधित घोषणाओं में सप्ताह में एक दिन शनिवार को सरकारी स्कूलों में बैग नहीं ले जाने व उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने संबंधी निर्णय की घोषणा थी। घोषणा के मुताबिक अनुसार सत्र 2022-23 में सप्ताह में प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा।
1. माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा 20 फरवरी, 2020 को राज्य विधानसभा में बजट भाषण के दौरान शिक्षा विभाग से सम्बन्धित घोषणाओं (बिन्दु संख्या 97) के अन्तर्गत समस्त सरकारी विद्यालयों में शनिवार के दिन “No Bag Day” रखे जाने और उस दिन कोई अध्यापन कार्य नहीं किए जाने बाबत निर्णय की घोषणा की गई थी। उक्तानुरूप सत्र 2022-23 में प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा ।
2. “No Bag Day” का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास एवं अन्तर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन अध्यापन के पारम्परिक तरीकों से इतर सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है।
3. इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक शनिवार को विद्यार्थी स्कूल बैग के बिना विद्यालय आएंगे।
4. प्रत्येक शनिवार को कक्षा स्तर के अनुसार थीम आधारित निम्नलिखित गतिविधियां करवाई जाएगी :
NO BAG DAY RAJASTHAN GOVERNMENT SCHOOL NEW PLAN
क. सं०
शनिवार क्रमांक
थीम
1
माह का प्रथम शनिवार
राजस्थान का पहचानों
2
माह का द्वितीय शनिवार
भाषा कौशल विकास
3
माह का तृतीय शनिवार
खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान
4
माह का चतुर्थ शनिवार
मैं वैज्ञानिक बनूंगा
5
माह का पंचम शनिवार
बाल-सभा मेरे अपनों के साथ
5. “No Bag Day” के दिन आनंददायी तरीके से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया कक्षावार न होकर निम्नांकितानुसार कक्षा समूहवार होगी।
NO BAG DAY RAJASTHAN GOVERNMENT SCHOOL NEW PLAN
क.स०
समूह का नाम
कक्षा वर्ग
1
अंकुर
कक्षा 1 से 2
2
प्रवेश
कक्षा 3 से 5
3
दिशा
कक्षा 6 से 8
4
क्षितिज
कक्षा 9 से 10
5
उन्नति
कक्षा 11 से 12
6. 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्टूबर के अतिरिक्त शिविरा पंचांग में दर्शाए गए / मनाए जाने वाले समस्त उत्सव जयन्तियां सम्मिलित है। प्रत्येक शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस के रूप में आयोजन करने हेतु शिविरा पंचांग में सम्मिलित गतिविधियों / कार्यक्रमों / क्रियाकलापों के आयोजन “No Bag Day” हेतु निर्धारित समय सारिणी में से 40 मिनट का समय निकालकर विद्यालय संचालन के अंतिम समय में आयोजित किए जाएंगे।
7. सम्पूर्ण सप्ताह (सोमवार से रविवार) के दौरान पड़ने वाले उत्सवों / जयंतियों का विधिवत आयोजन सप्ताह में “बस्ता मुक्त दिवस’ (शनिवार) को समारोहपूर्वक किया जाए, जिसके लिए रूप रेखा का निर्माण एवं पूर्व तैयारी सम्बन्धित शिक्षकों एवं आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले विद्यार्थियों द्वारा उक्त शनिवार से पूर्व की जाए।
8. बस्ता मुक्त दिवस मनाए जाने के कारण समस्त बाल सभाएं मासिक स्टाफ बैठक, अभिभावक शिक्षक बैठक(PTM). SDMC/SMC की कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक (वर्तमान में प्रतिमाह अमावस्या को आयोज्य). मीना-राजू / गार्गी मंच की बैठक इत्यादि कार्यक्रम भी बस्ता मुक्त दिवस (शनिवार) के अवसर पर आयोजित किए जाएं। माह के अंतिम शनिवार को उत्सव / जयन्ती / बाल सभा आयोजित करने के उपरान्त समस्त राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा 40 मिनट स्वैच्छिक श्रमदान किया जाएगा।
9. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर तथा राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (RSCERT), उदयपुर तथा विभिन्न अभिकरणों एवं विभाग द्वारा समय-समय पर विद्यार्थियों में सृजनात्मक कौशल विकास तथा वैज्ञानिक अभिवृत्ति एवं अभिरूचि विकास के उद्देश्य से आयोजित की जाने वाली समस्त प्रतियोगिताएं विद्यालय स्तर पर शनिवार को ही आयोजित करवाई जाएं।
10. “बस्ता मुक्त दिवस (शनिवार) के अवसर पर आयोजित होने वाले उत्सवों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों यथा- खेलकूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण, निबन्ध लेखन इत्यादि के आयोजन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
11. प्रतिमाह एक बाल सभा में गांधीजी द्वारा प्रतिपादित ‘बुनियादी शिक्षा की अवधारणा का ज्ञान विद्यार्थियों को देते हुए पारम्परिक घरेलू कुटीर उद्योग का व्यावहारिक प्रदर्शन करवाया जाए, जैसे मिट्टी के बर्तन या खिलौने बनाना, तकली कातना, चरखे का उपयोग इत्यादि। इस हेतु विद्यालय के आस-पास से आर्टिजन को विद्यालय में आमंत्रित किया जाकर प्रत्यक्ष प्रदर्शन करवाने का प्रयास किया जाए।
No Bag Day शनिवार की मुख्य बातें
इस दिन बच्चों को बिना बैग के स्कूल जाना है
शनिवार के दिन स्कूल में पढाई नहीं होगी
प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को योगा और जनरल नॉलेज की क्लास लगेगी
इस दिन बच्चों में उत्साह रहेगा
थीम पर गतिविधियां
माह के पहले शनिवार राजस्थान को पहचानो।
दूसरा शनिवार भाषा कौशल विकास।
तीसरा शनिवार खेलेगा राजस्थान-बढ़ेगा राजस्थान।
चौथा शनिवार मैं वैज्ञानिक बनूंगा।
पांचवा शनिवार बालसभा मेरे अपनों के साथ।
बच्चों का होगा शारीरिक-बौद्धिक विकास
मासूम बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम करने व उनके शारीरिक-बौद्धिक विकास
के लिए शनिवार को नो बैग डे मनाने का निर्णय लिया है। राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हापूराम चौधरी के अनुसार इससे विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक विकास होगा साथ ही सह शैक्षणिक गतिविधियों के प्रति विद्यार्थियों की रुचि बढ़ेगी।
अंतरराष्ट्रीय मपदंड तय
अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार बच्चे के स्कूल बैग का बोझ उसके वजन के 10 फीसदी तक होना चाहिए। देश में सभी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय मापदंड लागू हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से स्कूल बैग का बोझ हल्का करने की गाइडलाइन सभी राज्यों को भेजी हुई है। हालांकि, इसके अमल पर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है।
इस प्रकार से होगा आयोजन
शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक कक्षा 1 से 12 तक के सभी बच्चों के पांच गु्रप्स बनाए जाएंगे। कक्षा 1 व 2 का एक समूह , कक्षा 3 4 5 का दूसरा समूह। कक्षा 6 7 8 का तीसरा और चौथा समूह कक्षा 9 और 10 का बनेगा। इसी प्रकार कक्षा 11 और 12 का पांचवां समूह बनाया जाएगा। सभी समूहों में विषय एक जैसे ही होगे। बस अंतर रहेगा उनमें होने वाली गतिविधियों व कार्य का। गतिविधियों को डिजाइन करते समय कक्षास्तर का ध्यान रखा जाएगा। कक्षा के स्तर के अनुसार ही उनमें गतिविधियां करवाई जाएंगी।
जैसे पहले शनिवार को ‘राजस्थान को पहचानो’ के नाम से गतिविधियां कक्षा स्तर के अनुसार तैयार करके करवाईं जाएगी। इसी प्रकार द्वितीय शनिवार का विषय होगा भाषा कौशल विकास हेतु अभिव्यक्ति के अवसर प्रार्थना के तुरंत बाद, तीसरे शनिवार का विषय रखा गया है ‘खेलेगा राजस्थान पढ़ेगा राजस्थान’ चौथे शनिवार को ‘मैं बनूंगा वैज्ञानिक करके दिखाना ‘ प्रमाणित करना। पांचवा शनिवार यदि महीने में आता है तोए ‘बालसभा मेरे अपनों के साथ’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
यह एक्टीविटिज भी करेंगे बच्चे
स्कूल समय में विद्यार्थियों को विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रखा जाएगा, इसका दायित्व शिक्षक का होगा।
पूरे विद्यालय को विभिन्न सदनों में बांटकर सदन वार प्रतियोगिता करवाना। देशभक्ति गीत, संगीत, क्विज, निबन्ध प्रतियोगिता, आशुभाषण आदि प्रतियोगिताओं में लेना होगा भाग।
खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए खोखो, चैस, बैंडमिंडन, वॉलीबाल, बास्केटबॉल, कबड्डी इत्यादि भी प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन
योगाभ्यास भी करना होगा।
श्रमदान की भावना जाग्रत करने के लिए बच्चे श्रमदान भी कर सकेंगे।
बच्चों को स्वंतत्रता सेनानी, सुधारक और महान वैज्ञानिकों की फिल्में दिखाई जाएंगी।
बच्चों के माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण बातें
शनिवार को बच्चों की स्कूल जरूर भेजें पढाई नहीं होगी ये सोचकर उनकी छुट्टी न करवाएं
इस दिन बिना बैग के बच्चों को स्कूल भेजें
बच्चों को योगा जैसी शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें
‘‘नो बैग-डे का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास व उनमें अंतर्निहित क्षमताओं को पहचान कर अध्ययन-अध्यापन के पारंपरिक तरीकों के अलावा सहयोगी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है। -अमृतलाल, जिला शिक्षाधिकारी, मुख्यालय माध्यमिक, जोधपुर।
ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग दिशानिर्देश सत्र 2022 – 23
आज दिनांक 28 जुलाई को विद्यालयों में ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग हेतु निर्देश जारी किये गये हैं जिनमे से कुछ अंश यहाँ प्रकाशित किये जा रहे है | आप से आग्रह हैं आप इस पोस्ट से सम्बंधित सबसे नीचे दर्ज महत्वपूर्ण नोट्स को जरूर पढ़े |
कोविड-19 की कठिन परिस्थितियों के मध्यनजर विद्यालयों में कक्षा कक्षीय गतिविधियां लम्बे समय तक संचालित नहीं हो सकी, जिससे विद्यार्थियों में अधिगम अन्तराल उत्पन्न हुआ है। कोरोना काल के दौरान शिक्षा में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सत्र 2022-23 में स्कूली विद्यार्थियों के लिए 03 माह की अवधि के लिए ब्रिज कार्यक्रम संचालित किया जाना है।
विद्यार्थियों में सीखने की निरन्तरता बनाये रखने एवं अधिगम अन्तराल को कम के उद्देश्य से कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों हेतु बुनियादी दक्षताओं के आधार पर हिन्दी, अंग्रेजी व गणित विषय की कार्यपुस्तिकाऐं तैयार की गई हैं। कार्यपुस्तिकाओं में सम्मिलित कार्य पत्रकों में गतिविधि आधारित शिक्षण सामग्री का समावेश किया गया है जिस पर शिक्षकों के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों द्वारा अभ्यास कार्य किया जाना है।
ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग दिशानिर्देश सत्र 2022 – 23
उद्देश्य
● विद्यार्थियों को अभ्यास के अधिकतम अवसर उपलब्ध कराना।
● कोविड के कारण उत्पन्न हुए अधिगम अन्तराल को कम करना ।
● अधिगम संकेतकों के अनुसार अवधारणों की समझ हेतु कार्य कराना।
● नियमित अन्तराल पर आकलन करते हुए शैक्षिक प्रगति का आकलन करना ।
कक्षा 1 एवं 2 की कार्यपुस्तिकाऐं कक्षा स्तर के सीखने के प्रतिफल अनुरूप गतिविधियों को सम्मिलित करते हुये तैयार की गई हैं। ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत अधिगम अन्तराल को कम करने हेतु कक्षा 3 से 8 की कार्यपुस्तिकाओं में निम्नानुसार सामग्री समाहित की गई है
1. कार्यपुस्तिका के प्रारम्भ में बेसलाइन से पूर्व अभ्यास हेतु कार्य प्रत्रक दिए गये है।
2. प्रारम्भिक अभ्यास के उपरान्त बेसलाइन हेतु प्रारूप सम्मिलित किया गया है।
3. सम्पूर्ण कार्यपुस्तिका को दो भागों में विभक्त किया गया है
1. ब्रिज कोर्स
2. सत्र पर्यन्त उपचारात्मक शिक्षण
• ब्रिज कोर्स कक्षा 3 से 8 के विद्यार्थियों को कार्यपुस्तिका के प्रथम भाग (ब्रिज कोर्स) के कार्य पत्रको पर अभ्यास कार्य कराया जाना हैं जो 03 माह तक संचालित होगा। कार्यपत्रकों के मध्य नियमित अन्तराल पर गतिविधि एवं आकलन पत्रक भी सम्मिलित किये गये है। आकलन पत्रक के माध्यम से विद्यार्थियों के सीखने का आकलन किया जाना है। ब्रिज कोर्स के प्रारम्भ में प्रत्येक विद्यार्थी का प्रारम्भिक मूल्यांकन (Base Line) किया जायेगा । Base Line हेतु प्रारूप आकलन पत्रक कार्यपुस्तिका के प्रारम्भ में दिया गया है । Base Line के माध्यम से विद्यार्थियों के अधिगम के प्रारम्भिक स्तर का पता चल सकेगा। —
ब्रिज कोर्स के अन्त में मध्यावधि आकलन पत्रक दिए गए हैं मध्यावधि आकलन के परिणामों के आधार पर विद्यार्थियों के सीखने के स्तर की जानकारी हो सकेगी जिसके आधार पर विद्यार्थियों के समूह निर्माण करते हुए सत्र पर्यन्त उपचारात्मक शिक्षण संचालित किया जाना है।
सत्र पर्यन्त उपचारात्मक शिक्षण – मध्यावधि आकलन की उपलब्धि के आधार पर विद्यार्थियों के सीखने के स्तरानुसार समूह बनाकर वर्ष पर्यन्त उपचारात्मक शिक्षण संचालित किया जाना है। सत्र पर्यन्त उपचारात्मक शिक्षण के दौरान कार्यपुस्तिका में दक्षता अनुसार कार्यपत्रक दिये गये है जिन पर सतत् रूप से विद्यार्थियों से कार्य कराया जाना अपेक्षित है। कार्य पत्रकों के मध्य में गतिविधि एवं आकलन पत्रक भी नियत अन्तराल पर सम्मिलित किये गये है जिनका विद्यार्थी के सीखने के आकलन हेतु उपयोग किया जाना है।
ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग दिशानिर्देश सत्र 2022 – 23
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राज्य स्तर से लेकर विद्यालय स्तर तक कार्यपुस्तिकाओं के वितरण की चरणबद्ध योजना तैयार की गई है। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर किये जाने वाले कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है-
कार्यपुस्तिकाओं का वितरण ब्लॉक स्तर तक चरणबद्ध रूप से किया जाना है। ब्लॉक स्तर से पीईईओ एवं शहरी सीआरसी के माध्यम से विद्यालय स्तर तक किया जाना है।
विद्यालय स्तर से कक्षा 1 से 8 में नामांकित प्रत्येक विद्यार्थी को कार्यपुस्तिका उपलब्ध कराई जानी है। संस्कृत शिक्षा के विद्यालय एवं जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित माँ वाड़ी केन्द्रों में नामांकित विद्यार्थियों को भी कार्यपुस्तिकाऐं वितरित की जानी है।
कार्यपुस्तिका वितरण एवं उपयोग हेतु विभिन्न स्तर पर निम्नानुसार दायित्वों का निर्वहन किया जाना अपेक्षित है-
ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग दिशानिर्देश सत्र 2022 – 23
जिला स्तर पर किये जाने वाले कार्य / दायित्व :
● कार्यपुस्तिकाओं के वितरण एवं मॉनिटरिंग हेतु जिला एवं समस्त ब्लॉक कार्यालयों पर प्रभारी की नियुक्ति करना ।
● प्रत्येक विद्यार्थी तक कार्यपुस्तिकाओं की पहुँच एवं उपयोग की सघन मॉनिटरिंग एवं समीक्षा करना ।
● जिला स्तर पर ब्लॉक स्तर से प्राप्त स्टॉक एन्ट्री को समेकित करते हुए सूचना परिषद कार्यालय जयपुर को प्रेषित करना।
● जिला स्तर पर कार्यपुस्तिकाओं के वितरण की मॉनिटरिंग हेतु कन्ट्रोल रूम स्थापित करना ।
● ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों, पीईईओ एवं यूसीईईओ के साथ सतत् संवाद बनाये रखना तथा उनके द्वारा अनुभूत की जाने वाली कठिनाईयों का निराकरण सुझाना।
● कार्यपुस्तिकाओं के वितरण एवं विद्यार्थियों द्वारा उपयोग की अद्यतन प्रगति से राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् जयपुर तथा निदेशालय बीकानेर को अवगत कराना।
ब्लॉक स्तर पर किये जाने वाले कार्य / दायित्व :
● प्रत्येक विद्यार्थी तक कार्यपुस्तिकाओं की पहुँच एवं उपयोग की सघन मॉनिटरिंग एवं समीक्षा करना।
● ब्लॉक स्तर पर कार्यपुस्तिकाओं के लिये प्रभारी नियुक्त करना ।
● राज्य स्तर से प्रेषित कार्यपुस्तिकाओं को ब्लॉक स्तर पर सुरक्षित स्थान पर रखवाया जाना।
● ब्लॉक स्तर पर प्राप्त कार्यपुस्तिकाओं की प्रविष्टि ब्लॉक लॉगइन से शाला दर्पण मॉड्यूल पर करना ।
● ब्लॉक स्तर से स्टॉक की सूचना निर्धारित प्रपत्र में कार्यपुस्तिका प्राप्ति के दिवस ही जिला कार्यालय को प्रेषित करना। (संलग्न परिशिष्ट – 07)
● ब्लॉक कार्यालय से कार्यपुस्तिका पीईईओ / शहरी सीआरसी को 03 दिवस में वितरण कराना।
● ब्लॉक कार्यालय द्वारा पीईईओ / सीआरसी स्तर से कार्यपुस्तिकाओं का अधीनस्थ विद्यालयों में 02 दिवस में वितरण सुनिश्चित किया जाए।
● ब्लॉक स्तर पर कार्यपुस्तिका वितरण का रिकॉर्ड संधारण निर्धारित प्रपत्र में किया जाना है। परिशिष्ट- 01 एवं 02 पर संलग्न है ।
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ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग दिशानिर्देश सत्र 2022 – 23
पीईईओ / सीआरसी स्तर से किये जाने वाले कार्य / दायित्व :
● पीईईओ / सीआरसी शाला दर्पण पर कक्षावार नांमाकन के अनुसार अपने क्षेत्र के समस्त विद्यालयों के लिए कार्यपुस्तिका ब्लॉक कार्यालय से प्राप्त करेंगे।
● शाला दर्पण के नामांकन एवं प्राप्त कार्यपुस्तिकाओं में 1 से 5 प्रतिशत तक अन्तर हो सकता है, ऐसी स्थिति में परिक्षेत्र के विद्यालयों से समन्वयन कर कार्य पुस्तिकाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए
● ब्लॉक से कार्यपुस्तिका लाने का व्यय पीईईओ / सीआरसी स्तर पर ही वहन किया जायेगा।
● कार्यपुस्तिका प्राप्ति के 02 दिवस में अपने परिक्षेत्र के समस्त विद्यालयों में कार्यपुस्तिका का वितरण सुनिश्चित की जाए।
● प्रत्येक विद्यार्थी तक कार्यपुस्तिकाओं की पहुँच एवं उपयोग की सघन मॉनिटरिंग एवं समीक्षा करना ।
● पीईईओ / सीआरसी स्तर पर कार्यपुस्तिका वितरण का अभिलेख संधारण किया जाये। प्रपत्र परिशिष्ट- 03 एवं 04 संलग्न किया जा रहा है।
संस्थाप्रधान के कार्य / दायित्व :
● विद्यालय के संस्थाप्रधान पीईईओ / शहरी सीआरसी से नामांकन के अनुसार कार्यपुस्तिकाएं प्राप्त करेंगे। प्राप्त कार्यपुस्तिकाओं की संख्या में 1 से 5 प्रतिशत तक का अन्तर हो सकता है ऐसी स्थिति में परिक्षेत्र के विद्यालयों से समन्वय कर कार्यपुस्तिकाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
● विद्यार्थियों तक कार्यपुस्तिकाओं के वितरण की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करना।
● विद्यार्थियों को शिक्षकों के माध्यम से कार्यपुस्तिकाओं के उपयोग हेतु प्रेरित करना ।
● कक्षा कक्ष में विद्यार्थियों के साथ कार्यपुस्तिकाओं पर कराये जा रहे अभ्यास कार्य की नियमित मॉनिटरिंग करना एवं आवश्यक फीडबैक प्रदान करना ।
● अभिभावकों के साथ नियमित संवाद स्थापित करते हुए विद्यार्थियों के अभ्यास हेतु प्रेरित करना।
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ब्रिज कार्यक्रम अन्तर्गत कार्यपुस्तिकाओं का वितरण एवं उपयोग दिशानिर्देश सत्र 2022 – 23
शिक्षक के कार्य / दायित्व :
● कक्षावार नामांकित समस्त विद्यार्थियों को 05 दिवस में कार्यपुस्तिकाऐं वितरित कराना।
● कक्षा 1-2 के विद्यार्थियों हेतु कक्षा स्तर के अनुरूप तैयार कार्यपुस्तिकाऐं उपलब्ध कराई जानी है।
● विद्यार्थियों को उनके अधिगम स्तर के आधार पर हिन्दी, अंग्रेजी एवं गणित की कक्षा 01 की प्रथम, कक्षा 02 के लिए पल्लव कक्षा 3 के लिये पहल, कक्षा 4 एवं 5 के लिये प्रयास, कक्षा 6 एवं 7 के लिये प्रवाह तथा कक्षा 8 के लिये प्रखर कार्यपुस्तिका वितरित की जानी है।
● विद्यार्थियों का प्रारम्भिक मूल्यांकन (Base Line) करते हुए समीक्षा की जाए।
● विद्यार्थियों को कार्यपुस्तिकाओं में निरन्तर अभ्यास कार्य हेतु प्रेरित करना ।
● विद्यार्थियों द्वारा महसूस की जाने वाली कठिनाईयों का निराकरण करना ।
● विद्यार्थियों द्वारा किये जा रहे अभ्यास कार्य की आकलन प्रपत्रों के माध्यम से समीक्षा करना ।
● नियमित अन्तराल पर विद्यार्थियों के सीखने का आकलन करना, मध्यावधि एवं सत्र के अन्त में End line Assessment पूर्ण कराना ।
● Base line, Mid line एवं End line के पत्रकों को विद्यार्थीवार पोर्टफोलियों में संधारित करना ।
अभिभावकों से अपेक्षा :
● विद्यार्थियों को कार्य पुस्तिकाओं पर कार्य करने हेतु प्रेरित किया जाये ।
● विद्यालय में शिक्षक / संस्थाप्रधान के साथ निरन्तर समन्वय बनाए रखना ।
कार्यपुस्तिका वितरण का रिकॉर्ड संधारण :
कार्यपुस्तिकाओं के वितरण की प्रविष्टि शाला दर्पण पर की जानी है।
कार्यपुस्तिकाओं में विद्यार्थियों द्वारा कार्य पूर्ण किये जाने के उपरान्त कक्षाध्यापक / विषयाध्यापक द्वारा स्तर पर संधारित किया जाना है।
कार्यपुस्तिकाओं को विद्यालय कक्षा 01 से 08 की कार्यपुस्तिकाओं को rajsmsa.nic.in पोर्टल पर भी अपलोड किया गया है विद्यालयों को कार्यपुस्तिका प्राप्त होने तक पोर्टल से भी कार्य पत्रक डाउनलोड कर विद्यार्थियों के अभ्यास हेतु उपयोग किया जाए।
(नोट : सामग्री वितरण के दौरान समस्त कार्यों को करते हुए कोविड़-19 हेतु जारी समस्त दिशा-निर्देशों की पालना अनिवार्यतः की जाए )
नोट्स : यह पोस्ट मात्र एक आलेख है आप से आग्रह हैं कि आप सम्पूर्ण और सम्बंधित जानकारी के लिए विभागीय वेबसाईट का अवलोकन करें| किसी भी त्रुटी के लिए शाला सुगम या लेखनकर्ता जिम्मेदार नही हैं |
विद्यालय में बालिका उत्पीडन एवं बाल यौनाचार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु दिशा-निर्देश
विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बालक / बालिकाओं को बिना किसी भेदभाव के सुरक्षित, संरक्षित एवं सर्वागीण विकासोन्मुख वातावरण में शिक्षा प्राप्त होना उनका अधिकार है परंतु लैंगिक असमानता एवं अवांछित छेड़-छाड़ की घटनाएं इसे चुनौतीपूर्ण रूप से बाधित करती रहती है। अतः इन परिस्थितियों में संस्था प्रधानों, अध्यापकों, विद्यार्थियों, विद्यालय के अन्य कार्मिकों तथा अभिभावकों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता समीचीन है। इस बाबत विद्यालयी पाठ्यक्रम निर्माण एवं शिक्षक प्रशिक्षण विषय वस्तु में लैंगिक संवेदनशीलता को भी प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से पाठ्यक्रम में समावेशित किया गया है। इसी क्रम में आपको पुनः निर्देशित किया जाता है कि आप अपने अधीनस्थ समस्त विद्यालयों में इस प्रकार की घटनाऐं रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर अग्रांकित विवरणानुसार तत्काल कार्यवाही सम्पादित की जानी सुनिश्चित करें:
1. विद्यालय के समस्त कार्यरत कार्मिकों, शिक्षकों SDMC व SMC के सदस्यों को “लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012” की कतिपय धाराओं यथा धारा – 19 (1) एवं 21 में विहित प्रावधान, जो समस्त कार्मिकों को दायित्वबद्ध करते हैं कि बाल / यौन प्रताड़ना से संबंधित घटनाओं पर तत्काल प्रसंज्ञान लिया जाकर नियमानुसार कार्यवाही सम्पादित की जाए की अवगति प्रदान करवाते हुए प्रत्येक स्तर पर इसकी सख्ती से पालना हेतु सम्पादित किया जाए।
2. विद्यालयों में गुड टच वेड टच की जानकारी देने हेतु प्रश्नोत्तरी, कविता, लघु नाटक, पोस्टर व कहानी इत्यादि के माध्यम से क्षेत्रिय शालीन भाषा में कार्यक्रम आयोजित किए जाए साथ ही विद्यालय में होने वाली बाल सभाओं में भी इस विषय पर जानकारी दिया जाना सुनिश्चित करावें प्रत्येक दिन प्रार्थना सभा के दौरान छात्राओं से संवाद किया जाए।
3. विद्यालयों में होने वाली अध्यापक-अभिभावक बैठक में अध्यापकों द्वारा अभिभावकों को बच्चों की सूक्ष्म गतिविधियों एवं उनके मूड पर नजर रखने, पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों से बाल उत्पीडन से सावधान रहने के संबंध में समझाया जावें।
4. विद्यालय में कक्षा-कक्षों में सद्भावनापूर्ण वातावरण बनाने हेतु विशेष प्रयास किए जाएं एवं किशोर बालिकाओं के मध्य स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी जागरूकता उत्पन्न करने एवं उन्हें गुड टच- बेड टच तथा राज्य बाल संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति, पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी दी जावें।
5. प्रत्येक विद्यालय में संस्था प्रधान की अध्यक्षता में यौन उत्पीड़न कमेटी गठित की जाए, जिसमें दो महिला शिक्षिका अनिवार्य रूप से हो ।
6. यथासंभव विद्यालय परिसर में आवश्यकतानुसार चिन्हित स्थानों पर लिखित चेतावनी सहित सीसीटीवी कैमरे एवं एक गरिमा पेटिका भी लगवाई जाए।
7. गरिमा पेटिका के बारे में छात्राओं को पुरी जानकारी दी जाए कि उनकी किसी प्रकार की शिकायत है, तो वे इस पेटिका में शिकायत दर्ज करवाऐं।
8. संस्था प्रधान गरिमा पेटी को प्रत्येक 15 दिन के भीतर खोले एवं उसमें प्राप्त शिकायतों का रजिस्टर संधारित करे। यदि कोई शिकायत पाई जाती है जो कमेटी तत्काल निर्णय करें।
9. विद्यालय के सूचना पट्ट तथा सुदृश्य स्थानो पर Child help line से संबंधित दूरभाषः – 1098 का स्पष्ट अंकन किया जाए तथा इस बारे में समस्त विद्यार्थियों को जानकारी दी जाए।
10. विद्यालय में उतरदायी भूमिका में निबद्ध कार्मिकों द्वारा इस तरह के अपराध में संलिप्तता पाए जान पर संबंधित पक्ष / व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाए। अतः समस्त संस्था प्रधानों, शिक्षकगणों एवं अन्य विद्यालयी स्टाफ से यह अपेक्षा की जाती है कि लैंगिक समानता के लिए संवेदनशीलता से कार्य करें एवं विद्यालयों में पूर्णतः भयमुक्त एवं विभेदमुक्त वातावरण में निर्माण में अपना भरसक योगदान प्रदान करें।
प्रत्येक विद्यालय में गरिमा पेटिका का संधारण करना अनिवार्य होगा |
प्रत्येक 15 दिन बाद इसे खोलना अनिवार्य हैं |
प्राप्त सुझाव और शिकायत या समस्या का पंजिका में इन्द्राज करना हैं |
प्राप्त सुझाव और शिकायत या समस्या का समाधान समिति के द्वारा किया जाना हैं |
प्राप्त सुझाव और शिकायत या समस्या को गुप्त रखते हुए समाधान किया जाना चाहिए और समस्या का समाधान करने के बाद समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाना हैं कि ” इन दिनों में प्राप्त समस्याओं, सुझावों का अवलोकन करके निपटारा कर दिया हैं ” जिससे शिकायत कर्ता को पता लग सकें |
गरिमा पेटिका ऐसे स्थान पर रखी जानी चाहिए जहाँ से वो हर किसी के पहुंच में |
गरिमा पेटिका का महत्व प्रत्येक सोमवार को प्रार्थना सभा में जरूर बताये |
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विद्यालय में संभव होने पर सीसीटीवी कैमेरे लगाने के भी निर्देश हैं। इसके साथ ही चिह्नित स्थानों पर लिखित चेतावनी भी लगानी हैं। जिसका पालन स्कूलों की ओर से किया जाना हैं। इसके अलावा सूचना पट्ट पर चाइल्ड हैल्प लाइन के फोन नम्बर भी लिखे जाने हैं । इसकी जानकारी विद्यार्थियों को भी दी जानी हैं।
गरिमा पेटी और समिति के कार्यों को शाला दर्पण पर अपलोड करने के लिए सभी संस्था प्रधानों को निर्देश दिए गए हैं। इस नवाचार से बालिकाओं को सुरक्षित व संरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार मिल सकेगा।
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100 दिवसीय रीडिंग कैंपेन 2022 के संचालन हेतु गाइडलाइन (100 days Reading Campaign: Guidelines and Activities in hindi)
देश में छात्रों के बीच तर्कशक्ति, कल्पनाशीलता और बेहतर तार्किक विकास के लिए भारत सरकार द्वारा एक विशेष अभियान “पढ़े भारत” शुरू किया गया है। इस 100 दिन के अभियान (100 days reading campaign in hindi) के तहत बच्चों के लिए पढ़ाई को रोचक बनाने पर फोकस किया जा रहा है, ताकि किताबों के प्रति रुचि जीवन भर छात्रों में पैदा की जा सके।
इस अभियान को 100 दिनों तक ( 1 जनवरी 2022 से 10 अप्रैल 2022) तक चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत सिर्फ छात्रों को ही नहीं बल्कि अध्यापकों और अभिभावकों को भी शामिल किया जा रहा है।
इस अभियान के लिए मंत्रालय की ओर से एक साप्ताहिक कैलेंडर भी तैयार किया गया है, जिसमें कार्यक्रम के सभी दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल को मंजूरी दी गई है. छात्र इन गतिविधियों को अपने शिक्षकों, माता-पिता या साथियों के साथ मिलकर कर सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं “पढें भारत” अभियान के तहत 100 दिन की कार्ययोजना का जो खाका पेश किया गया है उसके बारे में इस आर्टिकल से जानते हैं कि इन 100 दिनों में विद्यार्थियों से किस प्रकार की गतिविधियां करवाई जानी हैं।
100 Days Reading Campaign: Guidelines and Activities In Hindi
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 5 जुलाई 2021 ‘निपुण भारत मिशन’ बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया है। मिशन का उद्देश्य 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के विद्यार्थियों की सीखने की जरूरतों को पूरा करना है।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय शोधों द्वारा भी यह सिद्ध हुआ है कि बुनियादी शिक्षा प्रत्येक विद्यार्थी के लिए भविष्य के सीखने का आधार है। समझ के साथ पढ़ने, लिखने और गणित की बुनियादी अवधारणाओं को समझने और सीखने में सक्षम होने के बुनियादी कौशल को प्रात नहीं करने से विद्यार्थी कक्षा 3 से आगे की कक्षाओं के पाठ्यक्रम की जटिलताओं के लिए तैयार नहीं हो पाते हैं।
प्रारंभिक शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस बात पर जोर देती है कि प्राथमिक विद्यालयों में बुनियादी आधारभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान हासिल करना उच्चतम प्राथमिकता होनी चाहिए।
इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि यदि यह सबसे बुनियादी शिक्षा (यानी बुनियादी स्तर पर पढ़ना, लिखना और अंकगणित) पहले हासिल नहीं की जाती है, तो इस नीति का बाकी हिस्सा हमारे विद्यार्थियों के एक बड़े हिस्से के लिए काफी हद तक अप्रासंगिक हो जाएगा।
नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS) सहित भारत में लर्निंग प्रोफाइल के विभिन्न अध्ययनों ने बताया है कि अभी भी कई विद्यार्थी कक्षा स्तर के अनुच्छेद / टेक्स्ट को पढ़ने में सक्षम नहीं है। लेकिन पाठ्यक्रम और संबंधित पाठ्य पुस्तकें इस उम्मीद के साथ तैयार की गई है, कि विद्यार्थियों ने उस कक्षा स्तरीय कौशल हासिल कर लिया है और वे आगे की कक्षा में बढ़ सकते है।
इसी संदर्भ में विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग एक राष्ट्रव्यापी “रीडिंग कैंपेन” पठन अभियान शुरू कर रहा है ताकि प्रत्येक विद्यार्थी पढ़ना सीखे और उसके बाद सीखने के लिए पढ़ सकें।
पढ़ना सीखने का आधार है, जो विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, शब्दावली विकास और मौखिक और लिखित भाषा में व्यक्त करने की क्षमता विकसित करता है।
यह विद्यार्थियों को उनके परिवेश और वास्तविक जीवन की स्थिति से जोड़ने में मदद करता है। इस प्रकार एक सक्षम वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिसमें विद्यार्थी आनंद के लिए पढ़ें और अपने कौशल को एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित करें जो आनंददायक और स्थाई हो और जो जीवन भर उनके साथ रहे।
विभिन्न शोध अध्ययनों में सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने में पढ़ने के योगदान के महत्व को पुष्ट किया है। यह भाषा और लेखन कौशल पर नियंत्रण विकसित करने की दिशा में एक कदम है। बोलने के विपरीत, पढ़ना एक ऐसा कौशल है जो इंसानों को स्वाभाविक रूप से नहीं आता है और इसे सीखने की आवश्यकता होती है। पठन कौशल; पाठ और पाठक के बीच एक अंत: क्रिया है, जिसमें न केवल शब्दों के अर्थ को समझना शामिल है, बल्कि पाठ के पीछे के बहुस्तरीय अर्थ को समझना भी शामिल है। इसके लिए निरंतर अभ्यास, विकास और शोध की आवश्यकता होती है।
प्रारंभिक चरण में पढ़ने में वर्णमाला ज्ञान, नामों और ध्वनियों की पहचान करना, ध्वनि जागरूकता (जिस में बोली जाने वाली भाषा को पहचानने, समझने या विश्लेषण करने में सक्षम होना) पत्र लिखना, शब्दावली विकास, याद रखने और समझने के लिए बोली जाने वाली भाषा की सामग्री शामिल है।
साथ ही इसमें पठन कौशल अवधारणाएं (उदाहरण के लिए बाएं से दाएं पढ़ना, आगे पीछे पढ़ना), प्रिंट जागरूकता जिसमें देखकर चित्रों / प्रतीकों से मेल या भेद करने की क्षमता शामिल है।
भाषा सीखना- एक रोजमर्रा की प्रक्रिया
विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में भाषा को समझे बिना उससे जुड़ते हैं। वे किसी न किसी रूप में भाषा का उपयोग करते हैं और भाषा के बारे में अपने ज्ञान का भी उपयोग करते हैं।
वे अपने से बड़ों, छोटो और शिक्षक को संबोधित करना जानते हैं। वे किसी की बात को सुन रहे हैं या रेडियो सुन रहे हो या टेलीविजन देख रहे हैं- ये वे स्रोत हैं जिनसे वे अपनी भाषा सीखते हैं और संप्रेषण के लिए इसका उपयोग करते हैं।
विद्यार्थियों में विद्यालय आने से पहले ही पढ़ने-लिखने की समझ विकसित हो जाती है। विद्यार्थियों के इस पूर्व ज्ञान को उनके साक्षरता कौशल के विकास का आधार माना जा सकता है। हमारे घरों, घर की नंबर प्लेट, घर की दीवारों और आंगन पर बने मांडणे, पंचांग /कैलेंडर, गैस चूल्हे पर लिखा कंपनी का नाम, बर्तनों पर खुदा किसी का नाम, बांहों पर गुदा नाम या टैटू, अखबार का पन्ना, खरीदारी की सूची, टूथपेस्ट बॉक्स, कोई पोस्टर, राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि प्रमुख सहित और मुद्रित सामग्री उपलब्ध है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि उचित या मुद्रित सामग्री का उपयोग पढ़ना सीखने सिखाने में उपयोग बहुत मदद कर सकता है, इसके सही और अधिक उपयोग किए जाने चाहिए।
(i)विद्यार्थी अपने चारों ओर लिखित सामग्री पढ़ना शुरू करते हैं, जैसे बिस्कुट और टॉफी के रैपर, सड़क के किनारे लगे पोस्टर / विज्ञापन, दीवार पर लिखे नारे, विज्ञापन, समाचार पत्र, घर और विद्यालय में उपलब्ध कहानी की पुस्तकें, पत्र / पोस्ट कार्ड इत्यादि।
जैसे ही विद्यार्थी कलम, पेंसिल, चाक को पकड़ना शुरू करते हैं, वे लिखना शुरु कर देते हैं और उनमें कुछ अर्थ या संदेश जोड़ने की कोशिश करते हैं – यह भी लेखन की शुरुआत का एक हिस्सा है। वास्तव में पढ़ने और लिखने की अनुभूति भी दिन प्रतिदिन के सार्थक और व्यवहारिक संदर्भ में मौखिक भाषा के विकास की तरह विकसित होती हैं। पढ़ने वाले विद्यार्थी अक्सर बेहतर शिक्षार्थी बन जाते हैं, जिससे विद्यालय और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
(ii)पढ़ने का एकमात्र लक्ष्य ‘समझना’ होना चाहिए। यह जरूरी है कि मुद्रित पाठ में जो संदेश दिया गया है उसे समझा जाए और उसका आनंद लिया जाए।
(iii) पढ़ना विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से पुस्तकें पढ़ने, रचनात्मकता, आलोचनात्मक चिंतन, शब्दावली विकसित करने और मौखिक और लिखित दोनों में व्यक्त करने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
(iv) लेखन भी विचारों को समझने और दूसरों के साथ साझा करने की एक प्रक्रिया है। इसमें ना केवल शब्दों को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया शामिल है, बल्कि यह ज्ञान, सूचना और विचारों को एक सुसंगत तरीके से साझा करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया है। लेखन विद्यार्थियों को अपने विचारों का पता लगाने, आकार देने और स्पष्ट करने और उन्हें दूसरों तक पहुंचाने में सक्षम बनाता है। प्रभावी लेखन रणनीतियों का उपयोग करके, विद्यार्थी विचारों को खोजते और परिष्कृत करते हैं और बढ़ते आत्मविश्वास और कौशल के साथ रचना और संशोधन करते हैं।
(v) विद्यार्थियों की लिखित भाषा की समझ ज्यादातर उनके प्रभावी उपयोग और मौखिक भाषा की समझ पर निर्भर करती है। लेखन के लिए अपना औपचारिक निर्देशात्मक प्रशिक्षण शुरू करने से पहले ही विद्यार्थी अपने आसपास के साक्षरता वातावरण के साथ बातचीत करना शुरू कर देते हैं और प्रतीकों और उनके अर्थों के बीच संबंध बनाना शुरू कर देते हैं।
विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत का विकास कैसे करें?
विभिन्न प्रकार के सरल और रुचिकर कहानी की पुस्तकों, कॉमिक्स और चुटकुलों की पुस्तकों की उपलब्धता और पहुंच बच्चों तक हो, जिन्हें आकर्षक चित्रों और विशेष रूप से बच्चों की कक्षाओं में चित्रित किया गया है।
विद्यार्थियों को नियमित आधार पर निर्धारित समय और कक्षा में पढ़ने के लिए एक अनुकूल माहौल और स्थान प्रदान करने की आवश्यकता है।
विद्यार्थियों के साथ पठन गतिविधियों जैसे मुखर वाचन, साझा पठन, उनके द्वारा पढ़ी गई पुस्तकों पर चर्चा, भूमिका निभाना, शब्द खेल आदि, पुस्तकों के साथ उनकी भागीदारी बढ़ाने और पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए बहुत आवश्यक है।
गतिविधि के माध्यम से पढ़ने को मनोरंजक कैसे बनाया जाए: राजस्थान का एक केस स्टडी
बच्चों में आजीवन पढ़ने की आदत डालने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम पठन को मनोरंजक और रुचिकर बनाएं। इसलिए, गतिविधि आधारित दृष्टिकोण पढ़ने के अनुभव को रोमांचक और आनंददायक बनाने में सबसे प्रभावी है।
इसका एक वास्तविक उदाहरण राजस्थान राज्य में देखने को मिलता है, जहां दौसा जिले के सिकराय प्रखंड स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक (मधु चौहान) पदस्थापित थी। जब वे विद्यालय में पदस्थापित हुई, तो उन्होंने पाया कि विद्यालय में नामांकन 32 छात्रों का था, लेकिन मुश्किल से 7-8 छात्र स्कूल आ रहे थे।
उसने कारणों का पता लगाने की कोशिश की तो पता लगा कि छात्रों के माता-पिता सुबह जल्दी काम पर चले जाते हैं और बच्चे जानवरों को चराने के लिए जाते हैं और पूरे दिन कंचे (स्थानीय भाषा में कांच ) खेलते हैं। वह समझ गई थी कि उसे माता-पिता का ज्यादा सहयोग नहीं मिलेगा, इसलिए उसने खुद पहल करने का फैसला किया। अगले दिन से वह स्कूल के खेल के मैदान में कंचों से खेलने लगी।
चूँकि शिक्षिका कंचे खेलना नहीं जानती थी, उसने विधार्थियो से उसे सिखाने के लिए कहा। यह बात जल्द ही गाँव में फैल गई कि शिक्षिका भी स्कूल में कंचों से खेल रही है, इसलिए जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे, वे भी स्कूल आए और खेल में भाग लिया और शिक्षिका को भी खेल खेलना सिखाया। यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा जब तक कि सभी छात्र स्कूल नहीं आने लगे।
फिर, शिक्षिका ने संख्या अवधारणा परिचय दिया और कंचों पर 0 से 9 संख्याएँ लिखीं और छात्रों को बड़ी संख्या पर हिट करने के लिए कहा और उन्हें खेल के माध्यम से एक अंक वाली संख्या में जोड़ना और घटाना सिखाया। कुछ समय बाद उन्होंने कंचों पर हिन्दी के अक्षर लिखे और विधार्थियो से उन्हें इस तरह से मारने के लिए कहा जिससे शब्द बनते हैं।
इस प्रयास ने न केवल स्कूल में विधार्थियो की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की बल्कि उन्हें भाषा और अंकगणित की अवधारणा से भी आनंदपूर्वक परिचित कराया।
पठन अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समुदाय, शैक्षिक प्रशासको आदि सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी हितधारको सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है।
100 दिनों का अभियान 14 सप्ताह तक जारी रहेगा और प्रति समूह प्रति सप्ताह एक गतिविधि को पढ़ने को मनोरंजक बनाने और पढ़ने की खुशी के साथ आजीवन जुड़ाव बनाने पर ध्यान देने के साथ डिजाइन किया गया है।
इस अभियान द्वारा प्राप्त किए जाने वाले विकासात्मक लक्ष्य/ सीखने के परिणाम भी गतिविधि कैलेंडर में दिए गए हैं। गतिविधियों का साप्ताहिक कैलेंडर कक्षा बार तैयार किया गया है, जिसे बच्चों को शिक्षकों, माता पिता, साथियों, भाई बहनों या परिवार के अन्य सदस्यों की सहायता से करना चाहिए।
अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रति सप्ताह केवल एक गतिविधि होगी ताकि बच्चे दिए गए सप्ताह में गतिविधि को दोहरा सकें और अन्ततः इसे साथियों और भाई बहनों के साथ स्वतंत्र रूप से समझने और संचालित करने में सक्षम हो सकें। डिजाइन की गई गतिविधियों को सरल और मनोरंजक रखा गया है और घर पर उपलब्ध सामग्री/ संसाधनों के साथ आसानी से संचालित किया जा सकता है।
प्रत्येक ब्लॉक/ क्लस्टर /स्कूल स्तर पर निम्नलिखित गतिविधियां प्रस्तावित है।
इस अभियान में भागीदारी बढ़ाने हेतु माता पिता, विद्यार्थियों के लिए गहन जागरूकता अभियान चलाना, समुदाय के सदस्यों और स्थानीय निकायों को सक्रिय होना चाहिए। राज्य / जिला / ब्लाक / क्लस्टर / स्कूल / मोहल्ला स्तर पर कहानी सुनाने के सत्र लोकप्रिय कहानी के द्वारा शुरू किए जाएं।
लोकप्रिय लोग /हस्तियां, सरपंच अधिकारी गण, माता-पिता, दादा-दादी द्वारा कहानी सत्र आयोजित किया जाए।
स्थानीय लोक कथाओं, गीतों, तुकबंदी कविताओं आदि को बढ़ावा और प्रोत्साहन दिया जाए।
स्थानीय कलाकारों को ऐसी गतिविधियों और आयोजनों में शामिल किया जाए।
विद्यार्थियों को पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए कक्षा उपयुक्त अतिरिक्त पठन सामग्री, पुस्तकालय पुस्तकें विद्यार्थियों को बिना किसी संकोच के दी जाए।
पंचायत / क्लस्टर / ब्लॉक स्तर पर पठन मेलों का आयोजन करें और इसमें शामिल हो।
स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी), स्वयंसेवकों को पठन गतिविधियों का संचालन करने के लिए प्रोत्साहित करें।
सुनिश्चित करें कि इन 100 दिनों में गतिविधि कैलेंडर का पालन किया जाता है।
अच्छी गुणवत्ता वाले फोटो, वीडियो और प्रशंसा पत्र गूगल ट्रैकर में अपलोड करें।
सीएसओ, एफएम चैनल, स्थानीय रेडियो/ टीवी चैनलों के साथ साझेदारी कर रीडिंग कैंपेन की शुरुआत, गतिविधियों, समुदाय की भागीदारी, विद्यार्थियों के उत्साह आदि का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार करें।
समाचार पत्र ( स्थानीय और क्षेत्रीय) में प्रति सप्ताह खबरें प्रकाशित कराएं, प्रकाशित खबरें ट्रैकर में अपलोड करें।
● राज्य द्वारा विद्यालय स्तर पर उपलब्ध करायी गई पुस्तकालय हेतु पुस्तकें, सहज पुस्तिकाएं, पाठ्य पुस्तकें, प्रिंटरिच सामग्री, स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कहानियों आदि।
● दीक्षा पोर्टल, प्रेरणा पोर्टल व एससीईआरटी के वेबसाइट्स आदि पर उपलब्ध विभिन्न संसाधन
बालवाटिका से आठवी कक्षा तक पढने वाले बच्चों के लिए 100 दिवसीय रीडिंग कैम्पेन
100 दिवसीय रीडिंग कैम्पेन / READING CAMPAIGN 100 DAYS
बालवाटिका से आठवी कक्षा तक पढने वाले बच्चों के लिए 100 दिवसीय रीडिंग कैम्पेन
बालवाटिका से कक्षा 8 तक के स्तर के विद्यार्थियों को पठन गतिविधियों में तन्मयता एवं मनोरंजनात्मक तरीकों से समन्वित करने के उद्देश्य से शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने 100 दिनों की एक कार्य-योजना निर्धारित की है, जिसका क्रियान्वयन प्रत्येक विद्यालय में किया जा रहा है | हमने यहाँ पर निम्नलिखित जानकारी रीडिंग केम्पेन की गाइडलाइन व RTR / APF के एक्सपर्ट के साझा प्रयास से आपके लिए शुरू की हैं |
यहाँ पर हम भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे निपूर्ण भारत के तहत 100 दिवसीय पठन अभियान रीडिंग केम्पेन की दैनिक गतिविधियों के बारे जानने का प्रयास किया जाएगा-
इस गतिविधि के अंतर्गत विद्यार्थियों से रोचक और आकर्षक के साथ कोतुहल पूर्ण रचनाओं का निर्माण करवाया |
यहाँ हमने ऐसे रोचक कार्य करने वाले बालको विशेष जादूगर जैसे पोशाक पहनने का अवसर भी दिया |
इस प्रकार से विद्यार्थियों द्वारा निर्मित इन रचनाओं को लिखने और अन्य विद्यार्थियों को पढने का अवसर दिया गया |
जब सभी विद्यार्थी इन रचनाओं को पढ़ लेते हैं तो उन्हें बारी बारी से पूछा गया कि वो इन रचनाओ का किन अच्छे कार्यो में उपयोग करना चाहेगे और किस प्रकार इनका सदुपयोग होगा |
इस गतिविधि के अंतर्गत विद्यार्थियो को समूह में बांटकर अलग पुस्तके पढने को दी जिनके कवर पहले ढके हुए थे |
अब जब विद्यार्थी अपनी अपनी पुस्तक की कहानी पढ़ चुके होते हैं तब उन्हें निर्देश दिया जाताहैं |
कि आपको अपनी पढ़ी हुई पुस्तक का आवरण कवर पेज तैयार करना हैं इसके लिए उन्हें वांछित सामग्री उपलब्ध करवा दी गयी |
समूह के विद्यार्थियों द्वारा अपनी पढ़ी हुई कहानी पुस्तको के रोचक आवरण तैयार करके सभी के सामने प्रस्तुत किये जाते हैं और उन्हें कक्षा कक्ष में उपयुक्त स्थान पर टेग किया जाता हैं |
आज इस समूह में हमने बिना आग के हम फ्रूट चाट बनायेंगे | इसमें हमने अभिभावकों और अन्य शिक्षको का सहयोग लिया|
फ्रूट चाट की रेसिपी को विद्यार्थियों की सहायता से नोट किया |
इसी प्रकार से विद्यार्थियों को घर पर ऐसी ही कोई बिना आग वाली रेसिपी बनाने की बात कही | और उक्त रेसिपी को नोट करने और सभी विद्यार्थियों द्वारा तैयार नोट की पुस्तक बनाने का कहा|
तो इस प्रकार हमारी आज की गतिविधि फ्रूट चाट बनाने की पूर्ण हुई |
आज इस गतिविधि में हमने विभिन्न प्रकार की स्थानीय वनस्पति या सब्जियों में से 5 स्थानीय वनस्पति और सब्जियां चुनी |
इस प्रकार चुनी हुई वनस्पति और सब्जियां के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने को कहां और उसे अपनी नोटबुक के एक पृष्ट पर लिखने को कहां |
इस प्रकार प्राप्त नोट्स की विद्यार्थियों ने एक कोलाज या पुस्तिका बनाई जिसे विज्ञान के शिक्षक को दिखाया और इस प्रकार बने कोलाज को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा की |
इस प्रकार के कोलाज में संबधित वनस्पति और सब्जियां से जुडी अन्याय जानकारी भी हम जोडकर इसे पूर्ण कर सकते हैं
आज इस समूह में हमने बिना आग के हम बनाना मिल्क शेक बनायेंगे | इसमें हमने अभिभावकों और अन्य शिक्षको का सहयोग लिया|
बनाना मिल्क शेक की रेसिपी को विद्यार्थियों की सहायता से नोट किया |
इसी प्रकार से विद्यार्थियों को घर पर ऐसी ही कोई बिना आग वाली रेसिपी बनाने की बात कही | और उक्त रेसिपी को नोट करने और सभी विद्यार्थियों द्वारा तैयार नोट की पुस्तक बनाने का कहा|
तो इस प्रकार हमारी आज की गतिविधि फ्रूट चाट बनाने की पूर्ण हुई |
रेसिपी :
सामग्री :
2 मध्यम आकार के पके केले
2 गिलास ठंडा दूध
1 चम्मच शक्कर या शहद (वैकल्पिक)
बारीक कटे 4 बादाम
2 बूंद वनीला एक्सट्रेक्ट
बनाने की विधि :
केले को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
मिक्सी के जार में कटे केले, दूध, शक्कर और वनीला एक्सट्रेक्ट डालें।
जब तक सारे टुकड़े दूध में मिक्स न हो जाएं तब तक ग्राइंड करें।
फिर शेक को गिलास में डालें और ऊपर से बारीक कटे बादाम को डालकर सर्व करें।
आज इस गतिविधि में हमने विभिन्न प्रकार की स्थानीय वनस्पति या सब्जियों में से रोहिड़ा का वृक्षको चुनी |
इस प्रकार चुनी हुई वनस्पति और सब्जियां रोहिड़ा का वृक्षके बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने को कहां और उसे अपनी नोटबुक के एक पृष्ट पर लिखने को कहां |
इस प्रकार प्राप्त नोट्स की विद्यार्थियों ने एक कोलाज या पुस्तिका बनाई जिसे विज्ञान के शिक्षक को दिखाया और इस प्रकार बने कोलाज को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा की |
इस प्रकार के कोलाज में संबधित वनस्पति और सब्जियां से जुडी अन्याय जानकारी भी हम जोडकर इसे पूर्ण कर सकते हैं
आज इस समूह में हमने बिना आग के हम मिक्स वेज सलाद बनायेंगे | इसमें हमने अभिभावकों और अन्य शिक्षको का सहयोग लिया|
बनाना मिल्क शेक की रेसिपी को विद्यार्थियों की सहायता से नोट किया |
इसी प्रकार से विद्यार्थियों को घर पर ऐसी ही कोई बिना आग वाली रेसिपी बनाने की बात कही | और उक्त रेसिपी को नोट करने और सभी विद्यार्थियों द्वारा तैयार नोट की पुस्तक बनाने का कहा|
तो इस प्रकार हमारी आज की गतिविधि फ्रूट चाट बनाने की पूर्ण हुई |
रेसिपी :
सामग्री :
2 गाजर बारीक कटी हुईं
1 कटोरी बारीक कटी पत्ता गोभी
1 पतली और लंबाई में कटी शिमला मिर्च
2 टमाटर
1 चम्मच शहद
1 चम्मच सिरका
2 चम्मच दही
¼ चम्मच काली मिर्च पाउडर
नमक स्वादानुसार
बनाने की विधि :
मिक्सी में कटे टमाटर, काली मिर्च, नमक, शहद, दही और सिरका डालकर पीस लें।
इसके बाद गाजर, शिमला मिर्च और पत्तागोभी को एक साथ मिलाकर फ्रिज में ठंडा करें।
जब सब्जी ठंडी हो जाएं, तो उसमें टमाटर का जो पेस्ट बनाया है उसे मिलाएं।
आज इस गतिविधि में हमने विभिन्न प्रकार की स्थानीय वनस्पति या सब्जियों में से कैर सांगरी और कुमटीको चुनी |
इस प्रकार चुनी हुई वनस्पति और सब्जियां कैर सांगरी और कुमटीके बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने को कहां और उसे अपनी नोटबुक के एक पृष्ट पर लिखने को कहां |
इस प्रकार प्राप्त नोट्स की विद्यार्थियों ने एक कोलाज या पुस्तिका बनाई जिसे विज्ञान के शिक्षक को दिखाया और इस प्रकार बने कोलाज को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा की |
इस प्रकार के कोलाज में संबधित वनस्पति और सब्जियां से जुडी अन्याय जानकारी भी हम जोडकर इसे पूर्ण कर सकते हैं
आज इस समूह में हमने बिना आग के हम मुंबईया भेल बनायेंगे | इसमें हमने अभिभावकों और अन्य शिक्षको का सहयोग लिया|
मुंबईया भेल की रेसिपी को विद्यार्थियों की सहायता से नोट किया |
इसी प्रकार से विद्यार्थियों को घर पर ऐसी ही कोई बिना आग वाली रेसिपी बनाने की बात कही | और उक्त रेसिपी को नोट करने और सभी विद्यार्थियों द्वारा तैयार नोट की पुस्तक बनाने का कहा|
तो इस प्रकार हमारी आज की गतिविधि मुंबईया भेल बनाने की पूर्ण हुई |
रेसिपी
सामग्री :
2 कप मुरमुरे
5 पापड़ी
2 बारीक कटी हरी मिर्च
½ कप मूंगफली के दाने
½ कप बारीक वाले बेसन सेव
½ कप बारीक कटा टमाटर
½ कप बारीक कटा प्याज
चाट मसाला (स्वादानुसार)
½ चम्मच हरा धनिया
1 छोटा चम्मच हरी चटनी
1 छोटा चम्मच मीठी चटनी
½ चम्मच नींबू
बनाने की विधि :
एक बड़े कटोरे या भिगोने में सभी सामग्रियों को भिगोने में डालकर मिक्स कर लें।
स्वादिष्ट खट्टी मीठी भेल तैयार है, इसे प्लेट में धनिया पत्ती के साथ सर्व करें।
आज इस गतिविधि में हमने विभिन्न प्रकार की स्थानीय वनस्पति या सब्जियों में से खेजड़ीको चुनी |
इस प्रकार चुनी हुई वनस्पति खेजड़ीके बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने को कहां और उसे अपनी नोटबुक के एक पृष्ट पर लिखने को कहां |
इस प्रकार प्राप्त नोट्स की विद्यार्थियों ने एक कोलाज या पुस्तिका बनाई जिसे विज्ञान के शिक्षक को दिखाया और इस प्रकार बने कोलाज को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा की |
इस प्रकार के कोलाज में संबधित वनस्पति और सब्जियां से जुडी अन्याय जानकारी भी हम जोडकर इसे पूर्ण कर सकते हैं
आज इस समूह में हमने बिना आग के हम तरबूज का जूस बनायेंगे | इसमें हमने अभिभावकों और अन्य शिक्षको का सहयोग लिया|
तरबूज का जूस की रेसिपी को विद्यार्थियों की सहायता से नोट किया |
इसी प्रकार से विद्यार्थियों को घर पर ऐसी ही कोई बिना आग वाली रेसिपी बनाने की बात कही | और उक्त रेसिपी को नोट करने और सभी विद्यार्थियों द्वारा तैयार नोट की पुस्तक बनाने का कहा|
तो इस प्रकार हमारी आज की गतिविधि तरबूज का जूस बनाने की पूर्ण हुई |
रेसिपी
सामग्री :
1 बड़ा कटोरा कटा तरबूज
1 चम्मच नींबू का रस
काला नमक स्वादानुसार
आधा चम्मच भुना और पिसा हुआ जीरा पाउडर
बर्फ के टुकड़े
बनाने की विधि :
तरबूजे के टुकड़े जूसर में डालकर इनका रस निकाल लें।
इसे गिलास में डाल लें और नींबू का रस, काला नमक व जीरा मिलाएं।
आज इस गतिविधि में हमने विभिन्न प्रकार की स्थानीय वनस्पति या सब्जियों में से खेजड़ीको चुनी |
इस प्रकार चुनी हुई वनस्पति खेजड़ीके बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने को कहां और उसे अपनी नोटबुक के एक पृष्ट पर लिखने को कहां |
इस प्रकार प्राप्त नोट्स की विद्यार्थियों ने एक कोलाज या पुस्तिका बनाई जिसे विज्ञान के शिक्षक को दिखाया और इस प्रकार बने कोलाज को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा की |
इस प्रकार के कोलाज में संबधित वनस्पति और सब्जियां से जुडी अन्याय जानकारी भी हम जोडकर इसे पूर्ण कर सकते हैं
आज इस समूह में हमने बिना आग के हम मेंगो मिल्क जूस बनायेंगे | इसमें हमने अभिभावकों और अन्य शिक्षको का सहयोग लिया|
मेंगो मिल्क जूस की रेसिपी को विद्यार्थियों की सहायता से नोट किया |
इसी प्रकार से विद्यार्थियों को घर पर ऐसी ही कोई बिना आग वाली रेसिपी बनाने की बात कही | और उक्त रेसिपी को नोट करने और सभी विद्यार्थियों द्वारा तैयार नोट की पुस्तक बनाने का कहा|
तो इस प्रकार हमारी आज की गतिविधि मेंगो मिल्क जूस बनाने की पूर्ण हुई |
रेसिपी
सामग्री :
मध्यम आकार का 1 पका आम
2 गिलास ठंडा दूध
स्वादानुसार शक्कर
बर्फ के टुकड़े (वैकल्पिक)
1 चम्मच टूटी फ्रूटी
1 चम्मच मिक्स ड्राई फ्रूट (काजू, बादाम, किशमिश)
बनाने की विधि :
आम को धोकर और छिलका उतारकर टुकड़े कर लें।
फिर मिक्सी जार में पका आम, दूध, बर्फ के टुकड़े और शक्कर डालें।
आम के पूरी तरह दूध में मिक्स होने तक मिक्सी चालू रखें।
अब इस शेक को एक बड़े गिलास में डालें।
ऊपर से टूटी फ्रुटी और ड्राई फ्रुट डालकर सर्व करें।
आज इस गतिविधि में हमने विभिन्न प्रकार की स्थानीय वनस्पति या सब्जियों में से रोहिड़ा का वृक्ष को चुनी |
इस प्रकार चुनी हुई वनस्पति रोहिड़ाके बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने को कहां और उसे अपनी नोटबुक के एक पृष्ट पर लिखने को कहां |
इस प्रकार प्राप्त नोट्स की विद्यार्थियों ने एक कोलाज या पुस्तिका बनाई जिसे विज्ञान के शिक्षक को दिखाया और इस प्रकार बने कोलाज को अन्य विद्यार्थियों के साथ साझा की |
इस प्रकार के कोलाज में संबधित वनस्पति और सब्जियां से जुडी अन्याय जानकारी भी हम जोडकर इसे पूर्ण कर सकते हैं
मासिक थीम के अंतर्गत आज की थीम :- भारतीय संविधान और मौलिक कर्तव्य
आज इस थीम के अंतर्गत हमने भारतीय संविधान और मौलिक कर्तव्य पर बात की | भारतीय संविधान और मौलिक कर्तव्य का महत्व समझा | क्या है भारतीय संविधान और मौलिक कर्तव्य और कब व कैसे हुई इसकी शुरुआत |
हम विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में मौलिक कर्तव्य का कितना महत्वपूर्ण स्थान हैं, इस पर प्रत्येक विद्यार्थी की बात को जानने का अवसर दिया |
किसी भी राष्ट्र के लिए संविधान क्यों आवश्यक हैं, सविधान की मूलभूत अवधारणा क्या हैं, कैसे संविधान बना इन सभी बातो को जाना |
एक व्यक्ति के कौन कौन से मौलिक कर्तव्य हैं, एक विद्यार्थी के कौनसे कर्तव्य हैं इन सभी पहलुओ पर चर्चा की और बच्चो से उनके विचार जाने|
मासिक थीम के अंतर्गत आज की थीम :- भारतीय संविधान और मौलिक कर्तव्य
आज इस थीम के अंतर्गत हमने हमारे भारतीय शहीद विषय पर बात की | हमारे भारतीय शहीद कौन कौन थे इनके बारे में जाना |
हमारे क्रांतिकारी कैसे शहीद हुए और उनके शहीद होने के क्या कारण थे | हमारे देश की आजादी में शहीदों का क्या योगदान रहा हैं ?
विद्यार्थियों को हमारे शहीदों की पुस्तको को पढने का अवसर दिया |
विद्यार्थियों से विभिन्न शहीद हीरो के बारे में जानकारी का कोलाज बनावाया | प्रति विद्यार्थी से जानकारी साझा की |
विद्यार्थियों को अपने घर पर भी विभिन्न शहीद हुए व्यक्तियों के बारे में चर्चा करने को बताया और जो बात आपको अच्छी लगे उसे अगले दिन कक्षा कक्ष में सभी के सामने साझा करने को कहा जा सकता हैं | अमर शहीद भगत सिंह की पुस्तक पढने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए’| Download PDF (4 MB)
मासिक थीम के अंतर्गत आज की थीम :- खेल और दुनियाभर के प्रसिद्ध खिलाड़ी
आज इस थीम के अंतर्गत हमने खेल और दुनियाभर के प्रसिद्ध खिलाड़ी विषय पर बात की |
हमने प्रत्येक खेल से सम्बंधित प्रसिद्ध खिलाड़ी के बारे इंटरनेट और पुस्तकालय से सामग्री एकत्र कर विद्यार्थियों की बांटी |
विद्यार्थियों को 5-5 के समूह में बाटकर एक एक खिलाड़ी की खाश बाते शेयर करने को कहा तब तक अन्य खिलाडियों ने इनकी बातें सुनी|
विद्यार्थियों को हमारे खिलाड़ियों की पुस्तको को पढने का अवसर दिया |
विद्यार्थियों से विभिन्न खिलाड़ियों के बारे में जानकारी का कोलाज बनावाया | प्रति विद्यार्थी से जानकारी साझा की |
विद्यार्थियों को अपने घर पर भी विभिन्न खिलाड़ियों के बारे में चर्चा करने को बताया और जो बात आपको अच्छी लगे उसे अगले दिन कक्षा कक्ष में सभी के सामने साझा करने को कहा जा सकता हैं |
विद्यार्थियों को आज हम इंदिरा गाँधी जीवनीसुनाने व पढने का प्रयास किया गया हैं इंदिरा गाँधी जीवनी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
इंदिरा गाँधी के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
इंदिरा गाँधी के जीवन से हमे क्या प्रेरणा मिलती हैं हम इंदिरा गाँधी जी से क्या सीख सकते हैं, इन बिन्दुओ पर विस्तार से समूह में चर्चा कर सकते हैं |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
इंदिरा गाँधी के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
इंदिरा गाँधी के जीवन से हमे क्या प्रेरणा मिलती हैं हम इंदिरा गाँधी जी क्या सीख सकते हैं, इन बिन्दुओ पर विस्तार से समूह में चर्चा कर सकते हैं |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
शहीद भगत सिंह के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
शहीद भगत सिंह के जीवन से हमे क्या प्रेरणा मिलती हैं हम शहीद भगत सिंह जी क्या सीख सकते हैं, इन बिन्दुओ पर विस्तार से समूह में चर्चा कर सकते हैं |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
शहीद भगत सिंह के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
शहीद भगत सिंह के जीवन से हमे क्या प्रेरणा मिलती हैं हम शहीद भगत सिंह जी क्या सीख सकते हैं, इन बिन्दुओ पर विस्तार से समूह में चर्चा कर सकते हैं |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
विद्यार्थियों को आज हम भक्त श्रवण कहानी सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी के विभिन्न पात्र जैसे भक्त श्रवण कुमार और राजा जनक सहित अन्य पात्रो के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
अंत में इस कहानी का से हमें क्या क्या सीख मिलती हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व हैं क्या हमें भी ऐसे चारित्रिक गुणों को ग्रहण करना चाहिए |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधिऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं |
आज विद्यार्थियों को पढो और साझा करें टोपिक के तहत हमने जोडियो में विद्यार्थियों से गतिविधि करवाई जिसमें एकल पात्र वाली कोई भी कहानी ले सकते हैं | यहाँ आप आर के नारायण व रस्किन बांड की कहानियों को ले सकते हैं | इन लेखको की कहानियाँ यहाँ हैं 1. आर के नारायण 2. रस्किन बांड⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
अब दोनों बालको को में से एक को लेखक और एक को चरित्र बनाया |
और पढ़ी गयी कहानी से एक दुसरे को 5 से 6 प्रश्न पूछने को दिए |
इस प्नकार कहानी के अंश सभी के साथ शेयर किये |
विशेष गतिविधि आज हमने विद्यार्थियों को विभिन्न माध्यम से मनीषा कुलश्रेष्ठ कठपुतलियाँ कहानी पढकर आने को कहेंगे (आप यहाँ से कहानी का लिंक शेयर कर सकते हैं| मनीषा कुलश्रेष्ठ की कठपुतलियाँ कहानी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
आज हमने विद्यार्थियों को पूर्व में पुस्ताकालय का भ्रमण करवाया था उसके आधार पर सभी को अपनी पसंद की कोई एक एक पुस्तक चुनने को कहा गया |
अब विद्यार्थियों ने अपनी पसंद की पुस्त ले ली और उन्हें निर्देश दिया कि पुस्तक में से कोई एक कहानी पढ़े और उसके पात्र को समझे और उनके चरित्र को जाने |
अब विद्यार्थियों को अपनी पढ़ी गयी इस पुस्तक में से किसी विशेष चरित्र का सारांश अपनी नोट बुक में लिखना हैं |
इस प्रकार प्राप्त चरित्र गुणों को सभी विद्यार्थियों के साझा करें और और पुस्तक पढने के लिए सिफरिश करें |
विशेष गतिविधि आज विद्यार्थियों पंचतंत्र की कोई एक कहानी घर से पढकर आने को कहे और अगले दिन उस कहानी के सारांश को विद्यालय में अन्य विद्यार्थियों को साझा करने को कहे फिर जिन विद्यार्थियों को कहानी साझा की उनसे अ;अलग कहानी सुने और जाने कि किस विद्यार्थी कौनसी बात नही कही या नई जोड़ी |
विद्यार्थियों को आज हम पन्नाधाय की कहानी सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी के विभिन्न पात्र जैसे पन्नाधाय और बलवीर, उदय सिंह सहित अन्य पात्रो के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
अंत में इस कहानी का से हमें क्या क्या सीख मिलती हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व हैं क्या हमें भी ऐसे चारित्रिक गुणों को ग्रहण करना चाहिए |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं |
आज विद्यार्थियों को पढो और साझा करें टोपिक के तहत हमने जोडियो में विद्यार्थियों से गतिविधि करवाई जिसमें एकल पात्र वाली डॉक्टर के शब्द कहानी ली हैं | यहाँ आप आर के नारायण व रस्किन बांड की कहानियों को ले सकते हैं | इन लेखको की कहानियाँ यहाँ हैं 1. आर के नारायण 2. रस्किन बांड⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
अब दोनों बालको को में से एक को लेखक और एक को चरित्र बनाया |
और पढ़ी गयी कहानी से एक दुसरे को 5 से 6 प्रश्न पूछने को दिए |
इस प्नकार कहानी के अंश सभी के साथ शेयर किये |
विशेष गतिविधि आज हमने विद्यार्थियों को विभिन्न माध्यम से मनीषा कुलश्रेष्ठ कठपुतलियाँ कहानी पढकर आये बच्चो को काहानी के पात्र, कहानी गुण, कहानी के मूल बिंदु आदि को श्याम पट्ट पर लिखने को कहेंगे और उन पर चर्चा करेंगे (आप यहाँ से कहानी का लिंक शेयर कर सकते हैं| मनीषा कुलश्रेष्ठ की कठपुतलियाँ कहानी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए)
पूर्व में पुस्ताकालय का भ्रमण बालको को अपनी पसंद की कोई एक एक पुस्तक चुनने को कहा गया |
अब विद्यार्थियों ने अपनी पसंद की पुस्तक ले ली और उन्हें निर्देश दिया कि पुस्तक में से कोई एक कहानी पढ़े और उसके पात्र को समझे और उनके चरित्र को जाने |
अब विद्यार्थियों को अपनी पढ़ी गयी इस पुस्तक में से किसी विशेष चरित्र का सारांश अपनी नोट बुक में लिखना हैं |
इस प्रकार प्राप्त चरित्र गुणों को सभी विद्यार्थियों के साझा करें और और पुस्तक पढने के लिए सिफरिश करें |
विशेष गतिविधि आज विद्यार्थियों पंचतंत्र की कोई एक कहानीघर से पढकर आने को कहे और अगले दिन उस कहानी के सारांश को विद्यालय में अन्य विद्यार्थियों को साझा करने को कहे फिर जिन विद्यार्थियों को कहानी साझा की उनसे अलग कहानी सुने और जाने कि किस विद्यार्थी कौनसी बात नही कही या नई जोड़ी |
पंचतंत्र की कोई एक कहानी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए (यहाँ से लिंक कोपी करके विद्यार्थियों के SMILE ग्रुप में शेयर कर सकते हैं | )
विद्यार्थियों को आज हम सुभाष चंद्र बोस कहानियां सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी के विभिन्न पात्र जैसे सुभाष चंद्र बोस सहित अन्य पात्रो के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
अंत में इस कहानी का से हमें क्या क्या सीख मिलती हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व हैं क्या हमें भी ऐसे चारित्रिक गुणों को ग्रहण करना चाहिए |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक प्रेरक प्रसंग⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
आज विद्यार्थियों को पढो और साझा करें टोपिक के तहत हमने जोडियो में विद्यार्थियों से गतिविधि करवाई जिसमें एकल पात्र वाली डॉक्टर के शब्द कहानी ली हैं | यहाँ आप आर के नारायण व रस्किन बांड की कहानियों को ले सकते हैं | इन लेखको की कहानियाँ यहाँ हैं 1. आर के नारायण 2. रस्किन बांड⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
अब दोनों बालको को में से एक को लेखक और एक को चरित्र बनाया |
और पढ़ी गयी कहानी से एक दुसरे को 5 से 6 प्रश्न पूछने को दिए |
इस प्नकार कहानी के अंश सभी के साथ शेयर किये |
विशेष गतिविधि आज हमने विद्यार्थियों को विभिन्न माध्यम से रस्किन बांड की एक नन्हा दोस्त पढकर आये बच्चो को काहानी के पात्र, कहानी गुण, कहानी के मूल बिंदु आदि को श्याम पट्ट पर लिखने को कहेंगे और उन पर चर्चा करेंगे (आप यहाँ से कहानी का लिंक शेयर कर सकते हैं|रस्किन बांड कीएक नन्हा दोस्त⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
पूर्व में पुस्ताकालय का भ्रमण बालको को अपनी पसंद की कोई एक एक पुस्तक चुनने को कहा गया |
अब विद्यार्थियों ने अपनी पसंद की पुस्तक ले ली और उन्हें निर्देश दिया कि पुस्तक में से कोई एक कहानी पढ़े और उसके पात्र को समझे और उनके चरित्र को जाने |
अब विद्यार्थियों को अपनी पढ़ी गयी इस पुस्तक में से किसी विशेष चरित्र का सारांश अपनी नोट बुक में लिखना हैं |
इस प्रकार प्राप्त चरित्र गुणों को सभी विद्यार्थियों के साझा करें और और पुस्तक पढने के लिए सिफरिश करें |
विशेष गतिविधि आज विद्यार्थियों पंचतंत्र की कोई एक कहानीघर से पढकर आने को कहे और अगले दिन उस कहानी के सारांश को विद्यालय में अन्य विद्यार्थियों को साझा करने को कहे फिर जिन विद्यार्थियों को कहानी साझा की उनसे अलग कहानी सुने और जाने कि किस विद्यार्थी कौनसी बात नही कही या नई जोड़ी |
पंचतंत्र की कोई एक कहानी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए (यहाँ से लिंक कोपी करके विद्यार्थियों के SMILE ग्रुप में शेयर कर सकते हैं | )
विद्यार्थियों को आज हम अब्दुल कलाम जी की प्रेरणादायक कहानीसुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी के विभिन्न पात्र जैसे अब्दुल कलाम जी सहित अन्य पात्रो के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
अंत में इस कहानी का से हमें क्या क्या सीख मिलती हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व हैं क्या हमें भी ऐसे चारित्रिक गुणों को ग्रहण करना चाहिए |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
अब दोनों बालको को में से एक को लेखक और एक को चरित्र बनाया |
और पढ़ी गयी कहानी से एक दुसरे को 5 से 6 प्रश्न पूछने को दिए |
इस प्नकार कहानी के अंश सभी के साथ शेयर किये |
विशेष गतिविधि आज हमने विद्यार्थियों को विभिन्न माध्यम से रस्किन बांड की केन काका की नौकरी पढकर आये बच्चो को काहानी के पात्र, कहानी गुण, कहानी के मूल बिंदु आदि को श्याम पट्ट पर लिखने को कहेंगे और उन पर चर्चा करेंगे (आप यहाँ से कहानी का लिंक शेयर कर सकते हैं| रस्किन बांड की केन काका की नौकरी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
पूर्व में पुस्ताकालय का भ्रमण बालको को अपनी पसंद की कोई एक एक पुस्तक चुनने को कहा गया |
अब विद्यार्थियों ने अपनी पसंद की पुस्तक ले ली और उन्हें निर्देश दिया कि पुस्तक में से कोई एक कहानी पढ़े और उसके पात्र को समझे और उनके चरित्र को जाने |
अब विद्यार्थियों को अपनी पढ़ी गयी इस पुस्तक में से किसी विशेष चरित्र का सारांश अपनी नोट बुक में लिखना हैं |
इस प्रकार प्राप्त चरित्र गुणों को सभी विद्यार्थियों के साझा करें और और पुस्तक पढने के लिए सिफरिश करें |
विशेष गतिविधि आज विद्यार्थियों पंचतंत्र की कोई एक कहानीजैसे पंचतंत्र के प्रथम तन्त्र की कथा : मित्र भेदघर से पढकर आने को कहे और अगले दिन उस कहानी के सारांश को विद्यालय में अन्य विद्यार्थियों को साझा करने को कहे फिर जिन विद्यार्थियों को कहानी साझा की उनसे अलग कहानी सुने और जाने कि किस विद्यार्थी कौनसी बात नही कही या नई जोड़ी |
पंचतंत्र की कोई एक कहानी⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए (यहाँ से लिंक कोपी करके विद्यार्थियों के SMILE ग्रुप में शेयर कर सकते हैं | )
विद्यार्थियों को आज हम महात्मा गांधी जी की प्रेरणादायक कहानीसुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी के विभिन्न पात्र जैसे महात्मा गांधी जी के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
अंत में इस कहानी से हमें क्या क्या सीख मिलती हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व हैं क्या हमें भी ऐसे चारित्रिक गुणों को ग्रहण करना चाहिए |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी के विभिन्न पात्र जैसे देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के चरित्र गुणों के बारे में चर्चा करते हैं और प्राप्त जानकारी जानकारी संकलित करते हैं |
अंत में इस कहानी से हमें क्या क्या सीख मिलती हैं और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व हैं क्या हमें भी ऐसे चारित्रिक गुणों को ग्रहण करना चाहिए |
इस प्रकार चारित्रिक गुणों से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं |
विशेष गतिविधि ऐसी ही चारित्रिक गुणों वाली कहानी विद्यार्थियों को सुझा सकते हैं और घर पर परिवार जनों को सुनाने को कहा जा सकता हैं और इसका उपयुक्त वीडियो या ऑडियो शेयर किया जा सकता हैं | रोचक व्यक्तित्व ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
अब दोनों बालको को में से एक को लेखक और एक को चरित्र बनाया |
और पढ़ी गयी कहानी से एक दुसरे को 5 से 6 प्रश्न पूछने को दिए |
इस प्नकार कहानी के अंश सभी के साथ शेयर किये |
विशेष गतिविधि आज हमने विद्यार्थियों को विभिन्न माध्यम से आर के नारायण की कितनी पूर्णता : आर. के. नारायण Kitni Poornata : R. K. Narayanपढकर आये बच्चो को काहानी के पात्र, कहानी गुण, कहानी के मूल बिंदु आदि को श्याम पट्ट पर लिखने को कहेंगे और उन पर चर्चा करेंगे (आप यहाँ से कहानी का लिंक शेयर कर सकते हैं|
आज हमने विद्यार्थियों को पुस्तक स्टोक रजिस्टर में से पुस्तको की सूचि निकाली और इस समूह के सदस्यों को शेयर की |
अब अब प्रत्येक विद्यार्थी को बताया गया कि आप अपनी पसंद की पुस्तक छांटो और अपने मित्र को पढने के लिए कहो और विद्यार्थियों ने ऐसा ही किया |
विद्यार्थियों ने अपनी पसंद की पुस्तक ले ली और उन्हें निर्देश दिया कि पुस्तक में से कोई एक कहानी पढ़े और उसके पात्र को समझे और उनके चरित्र को जाने |
अब विद्यार्थियों को अपनी पढ़ी गयी इस पुस्तक में से किसी विशेष चरित्र का सारांश अपनी नोट बुक में लिखना हैं |
इस प्रकार प्राप्त चरित्र गुणों को सभी विद्यार्थियों के साझा करें और और पुस्तक को अन्य विद्यार्थियों को पढने के लिए सिफरिश करें |
विशेष गतिविधि आज विद्यार्थियों को कोई एक यात्रा वृत्तांत पढ़ने को कहे यहाँ हमने गुरुद्वारा नानकमता उतराखंड का यात्रा वृत्तान्त पढने को दे सकते हैं जिसका लिंक आगे दिया जा रहा हैं | घर से पढकर आने को कहे और अगले दिन उस यात्रा वृत्तान्त को विद्यालय में अन्य विद्यार्थियों को साझा करने को कहे |
विद्यार्थियों को शेर और चूहा की कहानी सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी को 5 पक्तियों में सारांशित करवाई गयी, इस प्रकार विद्यार्थियों को कहानी को शुरू से अंत तक समझने का मौका मिला| और अंत में इस कहानी का अलग विद्यार्थियों ने शीर्षक दिया हमने विद्यार्थियों द्वारा बताये गये शीर्षको ग्रीन बोर्ड पर एक वृक्ष के रूप में फ्लो चार्ट बनाते गए गये और बन गया एक शीर्षक वृक्ष | इस प्रकार प्राप्त शीर्षकों में एक उपयुक्त और सर्वश्रेष्ट शीर्षक प्राप्त हुआ शेर और चूहा | आज हमने विधार्थियों को पिछले दश दिनों में खाए गये विशेष पकवानों की लिस्ट बनाकर लाने को कहा | जिसे अगले दिन में हम कक्षा में एक्टिविटी करवायेंगे |
आज विद्यार्थियों को हमने स्वच्छता का पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया | हमने पुस्तकालय में पड़ी स्वच्छता और सुरक्षा सम्बंधित पुस्तके पढने को दी | विधार्थियों को पढ़ी हुई पुस्तको में से स्वच्छता की जो बात सबसे अच्छी लगी उसे शेयर करने को कहा गया और हमे यह बात क्यों अच्छी लगी उसका पक्ष भी जाना | प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा अच्छी लगी बात को नोट बुक के एक पेज पर रंगीन कलम से लिखने को कही | इस प्रकार हमारे पास अच्छी बातो के कई पृष्ट एकत्र हुई जिन्हें समेकित करके एक दीवार कलेंडर बनाया गया | जो अन्य विद्यार्थियों के लिए कोतुहल का विषय बन गया |
आज हमने विद्यार्थियों में राष्ट्र भक्ति की भावना विकसित करने के उद्देश्य को भी साथ लेते हुए हमारा राष्ट्र गीत वन्दे मातरम चुना | बारी से बारी हमने कई विद्यार्थियों को यह गीत गवाया | फिर इस गीत के बोल लिखने को कहा गया | सभी बच्चो ने 2 से 3 अन्तरो तक के बोल लिख पाए | फिर हमारे विद्यालय के वरिष्ट शिक्षक श्री …. ने यह गीत पूरा गाया | जब बच्चे पुरे गीत को सूना तो बड़े भाव विभोर हुए और भारत माता के जयकारे तक लगाने लगे |फिर हमने इस गीत के वास्तविक अर्थ समझाने और इसका विश्लेषण करने को कहा साथ ही विद्यार्थियों ने इस गीत की भावनाएं और और इनके महत्व व सारांश को सभी के सामने प्रस्तुत किया हैं | इस गतिविधि में सभी विधार्थी सहज दिखे |
पाक-विधि (Recipe) परीक्षण
आज की गतिविधि के द्वितीय पक्ष में हमने विद्यार्थियों को चाय कैसे बनाई जाए इस पर चर्चा की |चाय की पाक विधा लगभग हर एक बालिका को पहले से आ रही थी लेकिन कुछ लड़के इससे अनभिज्ञ थे | तो हमने विद्यार्थियों को समक्ष ही चाय बनाने का निश्चय किया और विद्यार्थियों को बताया कि कितने कप चाय में कितना पानी, कितना दूध और कितनी चाय के साथ शक्कर मिलाई जाती हैं | कुछ बच्चो ने चाय मशाला आदि डालने की बात भी सुझाई | और विद्यार्थियों को सलाह दी कि आप भी घर पर जब चाय बने तो उसकी पूरी प्रक्रिया को समझे और जाने |
केवल शिक्षक और शिक्षा से जुड़े लोग ही संभाग वार ग्रुप ज्वाइन करें
विद्यार्थियों को आज हम भूतियाँ कुआंकहानी सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक ⬅️👈🏿 यहाँ क्लिक कीजिए
जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी को 5 पक्तियों में सारांशित करवाई गयी, इस प्रकार विद्यार्थियों को कहानी को शुरू से अंत तक समझने का मौका मिला|
अंत में इस कहानी का अलग विद्यार्थियों ने शीर्षक दिया हमने विद्यार्थियों द्वारा बताये गये शीर्षको ग्रीन बोर्ड पर एक वृक्ष के रूप में फ्लो चार्ट बनाते गए गये और बन गया एक शीर्षक वृक्ष |
इस प्रकार प्राप्त शीर्षकों में एक उपयुक्त और सर्वश्रेष्ट शीर्षक प्राप्त हुआ भूतियाँ कुआं|
विशेष गतिविधिआज विधार्थियों द्वारा पिछले दस दिनों में खाए गये विशेष पकवानों की लिस्ट बनाकर लाये और प्राप्त पकवानों के नाम श्याम पट्ट पर लिखकर बच्चो से वाचन करवाया जिससे वो सभी शब्द परिचित शब्द बन गये |
आज विद्यार्थियों को हमारे वैज्ञानिको की जन्म वर्ष का कलेंडर बनाने का निर्णय लिया गया |
इस प्रकार विद्यार्थियों के सामने कई वैज्ञानिकों के नाम और उनके जन्म वर्ष एकत्र हो गये |
इस प्रकार प्राप्त वैज्ञानिको के नाम के बाद हमने विद्यार्थियों अपने पुस्तकालय से विभिन्न वैज्ञानिकों की पुस्तके पढने को दी और उनसे जानकारी प्राप्त करने को कहा |
इस प्रकार प्राप्त जानकारी को अलग पृष्ट पर अलग अलग वैज्ञानिक का नाम और उनके द्वारा किये गये आविष्कार लिखवाकर एक साहित्यिक कैलेंडर बनवाया | जो विद्यार्थियों के लिए कोतुहल का विषय बन गया |
आज हमने विद्यार्थियों में राष्ट्र भक्ति की भावना विकसित करने के उद्देश्य को भी साथ लेते हुए हमारा राष्ट्र गान जन गन मन को चुना | बारी से बारी हमने कई विद्यार्थियों को राष्ट्र गान गवाया | फिर इस राष्ट्र गान के बोल लिखने को कहा गया | सभी बच्चो ने राष्ट्र गान के पुरे बोल लिखे |फिर हमने इस राष्ट्र गान के वास्तविक अर्थ समझाने और इसका विश्लेषण करने को कहा साथ ही विद्यार्थियों ने इस राष्ट्र गान की भावनाएं और और इनके महत्व व सारांश को सभी के सामने प्रस्तुत किया हैं | इस गतिविधि में सभी विधार्थी सहज दिखे |
पाक-विधि (Recipe) परीक्षण
आज की गतिविधि के द्वितीय पक्ष में हमने विद्यार्थियों को मैगी कैसे बनाई जाए इस पर चर्चा की | मैगी बच्चो का फेवरेट खाना बन गया हैं | इसलिए हमने मैगी कैसे बनाये इस टोपिक को चुना |
विद्यार्थियों को बताया कि मैगी बनाने के लिए कौन कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती हैं| और कौन कौन से स्टेप हमे फोलो करने चाहिए |
हम ले गये बच्चो को विद्यालय के किचन में और स्टेप वार बनाई मैगी और सभी ने इसका टेस्ट लिया|
विद्यार्थियों को सलाह दी कि आप भी घर पर जब चाय बने तो उसकी पूरी प्रक्रिया को समझे और जाने|
रीडिंग केम्पेन : षष्टम सप्ताह की गतिविधियाँ
दिनांक
समूह
गतिविधि
10 फरवरी
I
शीर्षक वृक्ष :
विद्यार्थियों को बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी को 5 पक्तियों में सारांशित करवाई गयी, इस प्रकार विद्यार्थियों को कहानी को शुरू से अंत तक समझने का मौका मिला| और अंत में इस कहानी का अलग विद्यार्थियों ने शीर्षक दिया जिसमें कई विद्यार्थियों ने कहानी का शीर्षक बंदर और मगरमच्छ दिया | इसी प्रकार समय उपलब्ध होने पर हमने जादुई बैग कहानी विद्यार्थियों को सुनाई और इसका सारांश व शीर्षक घर से खोजकर लाने को कहा साथ ही कहानी घर पर भी परिबार वालो को सुनाने की जिम्मेदारी दी |
II
साहित्यिक कैलेंडर :
विद्यार्थियों को हमने उनकी इच्छा से अपनी पाठ्य पुस्तको और पढ़ी गयी विभिन्न किताबो से कवियों और लेखको के नाम पूछे और उनके जन्म वर्ष के अनुसार एक केलेंडर बनाने का प्रयास किया | फिर बच्चो को उनके जन्म दिनांक को ढूढने और उनके द्वारा किये गये कार्यो के बारे जानने का प्रयास किया | अब उनके द्वारा बनाई गयी कवियों और लेखको की विभिन्न कृतियों को सुनाने को बारी बारी से अलग अलग बच्चो को कहा | बच्चो ने बड़े चाव से अपनी कहानियाँ और कविताओं का वाचन किया | कुछ बच्चों ने बुढिया की रोटी कहानी व गीत का कमाल लोक गीत सुनाया
III
गीत के बोल (Lyrics) परीक्षण :
हमने विद्यार्थियों को गतिविधि शुरू करने से पहले अपनी पसंद का एक उपयुक्त गीत चुनने को कहा फिर हमने उन्हें इन गीतों के 5 – 5 बोल लिखने को कहा और उनके वास्तविक अर्थ समझाने और इसका विश्लेषण करने को कहा साथ ही विद्यार्थियों ने इन गीतों की भावनाएं और और इनके महत्व व सारांश को सभी के सामने प्रस्तुत किया हैं | इस गतिविधि में सभी विधार्थी सहज दिखे |
पाक-विधि (Recipe) परीक्षण :
आज की गतिविधि के द्वितीय पक्ष में हमने विद्यार्थियों राजस्थान महत्वपूर्ण पकवान लापसी की पाक विधा के बारे में जानने का प्रयास किया | हमारे विद्यालय में MDM बंद होने के बावजूद हमने लापसी को कैसे तैयार किया हैं और कौन कौन से पदार्थ कितनी मात्रा में डाले जाते हैं यह बच्चो से पूछते हुए लापसी बनाई जिसमें कुछेक बच्चो के जबाब बड़े लाजबाब थे | लेकिन कक्षा 7 व 8 की बालिकाओ ने बड़े आत्मविश्वास के साथ सही सी जानकारी दी और बने हुए पकवान लापसी की थोड़ी थोड़ी मात्रा में स्वाद लिया और बच्चो को जानकारी दी कि जब भी घर में बने तो उसका ध्यान पूर्वक अवलोकन करें और सीखें |
दिनांक
समूह
गतिविधि
11 फरवरी
I
शीर्षक वृक्ष :
विद्यार्थियों को शेर और चूहा की कहानी सुनाने का प्रयास किया गया हैं | कहानी का लिंक जब बच्चे कहानी सुन लें और समझ लें तो इसके बाद कहानी को 5 पक्तियों में सारांशित करवाई गयी, इस प्रकार विद्यार्थियों को कहानी को शुरू से अंत तक समझने का मौका मिला| और अंत में इस कहानी का अलग विद्यार्थियों ने शीर्षक दिया हमने विद्यार्थियों द्वारा बताये गये शीर्षको ग्रीन बोर्ड पर एक वृक्ष के रूप में फ्लो चार्ट बनाते गए गये और बन गया एक शीर्षक वृक्ष | इस प्रकार प्राप्त शीर्षकों में एक उपयुक्त और सर्वश्रेष्ट शीर्षक प्राप्त हुआ शेर और चूहा | आज हमने विधार्थियों को पिछले दश दिनों में खाए गये विशेष पकवानों की लिस्ट बनाकर लाने को कहा | जिसे अगले दिन में हम कक्षा में एक्टिविटी करवायेंगे |
II
साहित्यिक कैलेंडर :
आज विद्यार्थियों को हमने स्वच्छता का पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया | हमने पुस्तकालय में पड़ी स्वच्छता और सुरक्षा सम्बंधित पुस्तके पढने को दी | विधार्थियों को पढ़ी हुई पुस्तको में से स्वच्छता की जो बात सबसे अच्छी लगी उसे शेयर करने को कहा गया और हमे यह बात क्यों अच्छी लगी उसका पक्ष भी जाना | प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा अच्छी लगी बात को नोट बुक के एक पेज पर रंगीन कलम से लिखने को कही | इस प्रकार हमारे पास अच्छी बातो के कई पृष्ट एकत्र हुई जिन्हें समेकित करके एक दीवार कलेंडर बनाया गया | जो अन्य विद्यार्थियों के लिए कोतुहल का विषय बन गया |
III
गीत के बोल (Lyrics) परीक्षण :
आज हमने विद्यार्थियों में राष्ट्र भक्ति की भावना विकसित करने के उद्देश्य को भी साथ लेते हुए हमारा राष्ट्र गीत वन्दे मातरम चुना | बारी से बारी हमने कई विद्यार्थियों को यह गीत गवाया | फिर इस गीत के बोल लिखने को कहा गया | सभी बच्चो ने 2 से 3 अन्तरो तक के बोल लिख पाए | फिर हमारे विद्यालय के वरिष्ट शिक्षक श्री …. ने यह गीत पूरा गाया | जब बच्चे पुरे गीत को सूना तो बड़े भाव विभोर हुए और भारत माता के जयकारे तक लगाने लगे |फिर हमने इस गीत के वास्तविक अर्थ समझाने और इसका विश्लेषण करने को कहा साथ ही विद्यार्थियों ने इस गीत की भावनाएं और और इनके महत्व व सारांश को सभी के सामने प्रस्तुत किया हैं | इस गतिविधि में सभी विधार्थी सहज दिखे |
पाक-विधि (Recipe) परीक्षण :
आज की गतिविधि के द्वितीय पक्ष में हमने विद्यार्थियों को चाय कैसे बनाई जाए इस पर चर्चा की |चाय की पाक विधा लगभग हर एक बालिका को पहले से आ रही थी लेकिन कुछ लड़के इससे अनभिज्ञ थे | तो हमने विद्यार्थियों को समक्ष ही चाय बनाने का निश्चय किया और विद्यार्थियों को बताया कि कितने कप चाय में कितना पानी, कितना दूध और कितनी चाय के साथ शक्कर मिलाई जाती हैं | कुछ बच्चो ने चाय मशाला आदि डालने की बात भी सुझाई | और विद्यार्थियों को सलाह दी कि आप भी घर पर जब चाय बने तो उसकी पूरी प्रक्रिया को समझे और जाने |
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