8th Pay Commission 2026 Rules: 8वाँ वेतन आयोग के लागू होते ही DA और DR हो जाएगा 0? जानिए क्या है नियम
छठे और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग में डीए को बेसिक सैलरी में नहीं मर्ज किया गया. बल्कि नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के समय सैलरी, फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय होती है. ऐसे में इस समय महंगाई भत्ता इसमें शामिल नहीं होता है. यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) उनके मूल वेतन का 50% पार कर गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16 जनवरी, 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी। दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले उठाया गया यह कदम सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की कमाई बढ़ाने का वादा करता है।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कर्मचारियों के लिए सरकार के समर्थन को साझा करते हुए लिखा, “हम सभी सरकारी कर्मचारियों के प्रयासों पर गर्व करते हैं, जो एक विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करते हैं। 8वें वेतन आयोग पर कैबिनेट के फैसले से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और खपत को बढ़ावा मिलेगा।”
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दे दी है. ऐसे में कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं. खासकर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को लेकर. कहा जा रहा 8वां वेतन आयोग लागू होते ही DA और डीआर 0 कर दिया जाएगा. क्योंकि 5वें वेतन आयोग में एक खास प्रवाधान था, जिसके तहत महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) 50% से ज्यादा होने पर ऑटोमेटिक रूप से बेसिक सैलरी या बेसिक पेंशन में शामिल हो जाता था. ये सैलरी स्ट्रक्चर को सरल बनाने के लिए किया गया था, लेकिन 6वें वेतन आयोग और 7वें वेतन आयोग के तहत ऐसा नहीं था.
7वें वेतन आयोग के तहत क्या था प्रावधान
छठे और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग में डीए को बेसिक सैलरी में नहीं मर्ज किया गया. बल्कि नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के समय सैलरी, फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय होती है. ऐसे में इस समय महंगाई भत्ता इसमें शामिल नहीं होता है. महंगाई भत्ता आने वाले समय में या वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर जुड़ता है.
समय के साथ बढ़ती महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार हर छह महीने पर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भता को संशोधित करती है. इसे जनवरी और जुलाई से कर्मचारियों की सैलरी में कैलकुलेट किया जाता है. महंगाई भत्ते में अगली बढ़ोतरी को मार्च 2025 में ऐलान किए जाने की संभावना है.
फिर क्या DA 50% से हो जाएगा ‘0’
ये महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी या पेंशन के आधार पर तय किया जाता है. केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी या वेतन का बड़ा हिस्सा महंगाई भत्ता ही होता है. मौजूदा वेतन आयोग में ऐसी कोई प्रावधान नहीं है कि DA 50% से ज्यादा होने पर ऑटोमेटिक रूप से इसे बेसिक सैलरी में शामिल कर दिया जाए और इसे ‘0’ कर दिया जाएगा. इसी तरह, महंगाई राहत को लेकर भी है.
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बता दें फिटमेंट फैक्टर ऐसी चीज है, जिसके आधार पर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर्स की पेंशन की गणना की जाती है. आयोग की सिफारिश के आधार पर इसे लागू किया जाता है. उदाहरण- अगर किसी की बेसिक सैलरी 20 हजार है और 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.5 की सिफारिश की जाती है तो उसकी बेसिक सैलरी बढ़कर 50 हजार हो जाएगी. इसी तरह पेंशन भी कैलकुलेट होगा.
कब होगा 8वां वेतन आयोग लागू?
केंद्र सरकार कर्मचारियों की सैलरी को रिवाइज्ड करने के लिए नया वेतन आयोग अक्सर 10 वर्ष के अंतराल पर ही लागू करती है. 7th Pay Commission को साल 2016 में लागू किया गया था. वहीं 6वें वेतन आयोग को साल 2006 में लागू किया गया था. इसी तरह, हर 10 साल के अंतर पर 4th और 5th वेतन आयोग को भी 10-10 साल के अंतर पर लागू किया गया था. वहीं 8वें वेतन आयोग को भी सरकार ने 2026 तक अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. ऐसे में उम्मीद है कि इसे भी साल 2026 तक लागू कर दिया जाएगा.
We are all proud of the efforts of all Government employees, who work to build a Viksit Bharat. The Cabinet's decision on the 8th Pay Commission will improve quality of life and give a boost to consumption. https://t.co/4DCa5skxNG
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन करने की मंजूरी दे दी गई है. 8वें वेतन आयोग के गठन से करीब 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा. अभी तक देश में सातवां वेतन आयोग लागू है, जिसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक है.
8वें वेतन आयोग से केंद्रीय कर्मचारियों को क्या उम्मीदें हैं?
वर्तमान में लागू वेतन संरचना 7वें वेतन आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुरूप है, जो 1 जनवरी 2016 को लागू हुआ था। 8वें वेतन आयोग के गठन के साथ, संरचना में संशोधन होना तय है। हालांकि वेतन वृद्धि का सटीक प्रतिशत नहीं बताया गया है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि फिटमेंट फैक्टर – वेतन और पेंशन निर्धारित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्रमुख गुणक – 2.57 से 2.86 तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा होता है, तो सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मूल वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जो 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो सकता है।
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सवाल: 8वें वेतन आयोग के आने से सैलरी पर क्या फर्क पड़ेगा?
जवाब: केंद्र सरकार हर 10 साल में नया वेतन आयोग लाती है। अभी 7वां वेतन आयोग चल रहा है, इसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म होगा। साल 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो जाएगा।
8वें वेतन आयोग का वेतन मैट्रिक्स 1.92 के फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल करके तैयार किया जाएगा। इसे ऐसे समझिए- केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी के 18 लेवल हैं। लेवल-1 कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 1800 रुपए ग्रेड पे के साथ 18,000 रुपए है। इसे 8वें वेतन आयोग के तहत बढ़ाकर 34,560 रुपए किया जा सकता है। इसी तरह केंद्र सरकार में कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारियों को लेवल-18 के तहत अधिकतम 2.5 लाख रुपए की बेसिक सैलरी मिलती है। यह बढ़कर तकरीबन 4.8 लाख रुपए हो सकती है।
सवाल: 8वें वेतन आयोग के तहत सैलरी बढ़ने से पेंशन कितनी बढ़ेगी?
जवाब: अगर जनवरी 2026 में 8वां वेतन आयोग लागू हुआ तो केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 34,560 रुपए होने का अनुमान है। साल 2004 से जोड़ें तो नौकरी में 25 साल पूरे करने वाले कर्मचारियों का पहला बैच 2029 में रिटायर होगा।
अब मान लीजिए 8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद लेवल-1 के एक कर्मचारी की बेसिक सैलरी 34,560 रुपए हो गई है तो इसकी 50% रकम 17,280 रुपए होती है। इस हिसाब से कर्मचारी को 17,280 रुपए+DR की धनराशि पेंशन के तौर पर मिलेगी। हालांकि, यह रेयर केस में ही होगा कि कोई कर्मचारी लेवल-1 पर नौकरी जॉइन करने के बाद रिटायरमेंट तक उसी लेवल पर रहे। प्रमोशन और अन्य नियमानुसार समय-समय पर इस लेवल में बढ़ोतरी होती रहती है। इसलिए कर्मचारी को इससे कहीं ज्यादा धनराशि पेंशन के रूप में मिलेगी। वहीं, लेवल-18 के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 4.80 लाख रुपए होगी। इसका 50% कुल 2.40 लाख रुपए+DR की धनराशि पेंशन के तौर पर मिलेगी।
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माना जा रहा है कि 8वां वेतन आयोग जनवरी 2026 से लागू हो सकता है, क्योंकि जनवरी में ही 7वें वेतन आयोग की समय-सीमा समाप्त हो जाएगी. इससे पहले सभी हितधारकों और सरकारों से सलाह-मशविरा कर लिया जाएगा. गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि सरकार जल्द ही आठवें वेतन आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों के नाम का भी ऐलान भी करने वाली है, ताकि सभी से राय-मशविरा करने के लिए पर्याप्त समय मिले.
क्या है फिटमेंट फैक्टर, जिसके जरिए वेतन आयोग तय करता है कर्मचारियों की सैलरी, समझें पूरा खेल – 8TH PAY COMMISSION
Fitment Factor: 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. इससे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी सात हजार से यह 18 हजार पहुंच गई. केंद्र सरकार की ओर से आठवें वेतन आयोग के घटन को मंजूरी मिल गई है, जिस के बाद सरकारी कर्मचारी जश्न मना रहे हैं.दरअसल, आठवां वेतन लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा होगा. सरकारी कर्मियों की सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, अभी तक इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
हालांकि, कर्मचारियों की सैलरी में कितना इजाफा होगा, यह फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करता है.अगर फिटमेंट कम होगा तो कम सैलरी बढ़ेगी और अगर ज्यादा होगा तो तनख्वाह ज्यादा बढ़ेगी. फिटमेंट फैक्टर तय हो जाने के बाद ही यह पता है चलता कि वेतन में कितनी वृद्धि होने जा रही है?
8th Pay Commission 2026 Rules: 8वाँ वेतन आयोग के लागू होते ही DA और DR हो जाएगा 0? जानिए क्या है नियम
इससे पहले मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था, तब केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में जबरदस्त इजाफा हुआ था. उस समय 7 हजार रुपये की न्यूनतम बेसिक बढ़कर 18 हजार रुपये हो गई थी. इसी के हिसाब से कुल वेतन भी बढ़ा था. गौरतलब है कि उस समय भी सैलरी में बढ़ोतरी फिटमेंट के आधार पर ही की गई थी.
7वें आयोग में कितना था फिटमेंट
उस समय फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. इस हिसाब से नए वेतन आयोग के तहत सैलरी 2.57 गुना बढ़ी और सात हजार से यह 18 हजार पहुंच गई. इससे पहले छठे वेतन आयोग के वक्त फिटमेंट फैक्टर 1.86 था. यानी 7वें वेतन आयोग में बेसिक सैलरी को बढ़कर 1.86 गुना (दोगुने से थोड़ा कम) हुई थी. अब बात करते हैं 8वें वेतन आयोग की. पिछली बार फिटमेंट फैक्टर 2.57 था. तो इस बार कम से कम इतना तो रहेगा ही. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 8वें वेतन आयोग के लगने पर यह फिटमेंट फैक्टर बढ़कर 2.86 हो सकता है.
ऐसे में मान लिया जाए कि सरकार इसी फिटमेंट के आधार पर सैलरी में इजाफा करेगी तो सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18 हजार रुपये से बढ़कर 51 हजार रुपये से ज्यादा हो जाएगी. इतना ही नहीं जो लोग पेंशन पा रहे हैं यह नियम उन लोगों पर भी लागू होगा. इसके साथ ही उनकी 9,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन बढ़कर 25 हजार रुपये तक पहुंच जाएगी.
माना जा रहा है कि 8वां पे कमीशन जनवरी 2026 से लागू हो सकता है, क्योंकि इसी दिन 7वें वेतन आयोग की समय-सीमा समाप्त होगी.
क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में सुधार करने के लिए इस्तेमास किया जाने वाला एक फॉर्मूला है. यह कर्मचारी की मूल सैलरी को एक निश्चित मल्टीप्लायर से बढ़ाकर नए वेतनमान में एडजस्ट करता है. इसे हर वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है. साथ ही समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है.फिटमेंट फैक्टर को तय करते समय सरकार की आर्थिक स्थिति, महंगाई दर और कर्मचारियों की जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है. 8th Pay Commission 2026 Rules: 8वाँ वेतन आयोग के लागू होते ही DA और DR हो जाएगा 0? जानिए क्या है नियम
फिटमेंट फैक्टर तय करते समय पे कमीशन सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान और भत्तों की समीक्षा करता है और एक मल्टीप्लायर निर्धारित करता है. उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तय किया था. इसका मतलब है कि कर्मचारी का नया वेतन उसकी मूल सैलरी को 2.57 से गुणा करके तय किया गया. अगर किसी कर्मचारी की मूल सैलरी 15 हजार रुपये है तो 2.57 के फिटमेंट फैक्टर से उसे नया वेतन 38,550 रुपये मिलेगा.गौरतलब है किनया वेतन महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है.
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उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तय किया था. इसका मतलब है कि कर्मचारी का नया वेतन उसकी मूल सैलरी को 2.57 से गुणा करके तय किया गया. यदि किसी कर्मचारी की मूल सैलरी 15,000 रुपये है, तो 2.57 के फिटमेंट फैक्टर से उसे नया वेतन 38,550 रुपये मिलेगा. ध्यान रहे यह वेतन का बेसिक है. यह नया वेतन महंगाई भत्ते (DA) और अन्य भत्तों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. 8th Pay Commission 2026 Rules: 8वाँ वेतन आयोग के लागू होते ही DA और DR हो जाएगा 0? जानिए क्या है नियम
फिटमेंट फैक्टर का सीधा प्रभाव कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी और पेंशन पर पड़ता है. जब फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है, तो न केवल वेतन में वृद्धि होती है, बल्कि पेंशनभोगियों को भी इसका लाभ मिलता है. इसके अलावा, यह महंगाई के बढ़ते स्तर का संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है. यही वजह है कि कर्मचारी संघ (Employee Unions) समय-समय पर फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाने की मांग करते हैं.
7वें वेतन आयोग से कितना अलग है 8वां वेतन आयोग ? जानें – 8TH PAY COMMISSION
8वां वेतन आयोग आधिकारिक रूप से गठित नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि यह सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन की समीक्षा करेगा. भारत सरकार ने 7वें वेतन आयोग की स्थापना केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन करने के लिए की गई थी. यह 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी है. चूंकि 7वें वेतन आयोग ने अपना 10 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, इसलिए 8वें वेतन आयोग के बारे में चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी.
हालांकि, अभी तक आधिकारिक रूप से इसका गठन नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि यह सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन और पेंशन सुधारों की समीक्षा करेगा और उन्हें सुझाएगा. ऐसे में यह सवाल उठता है कि 8वां वेतन आयोग पिछले पे कमीशन से कितना अलग होगा और दोनों में क्या फर्क होगा?
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राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा 10 परीक्षा 2024-25 के लिए नमूना प्रश्न पत्र जारी कर दिए हैं। इसलिए यदि आप आरबीएसई से संबद्ध स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं, तो आपको आगामी राजस्थान बोर्ड 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल होना होगा। इसलिए आपको यहां से विषयवार 10वीं मॉडल पेपर डाउनलोड करना चाहिए और अभ्यास करना चाहिए।
7वें वेतन आयोग की स्थापना 28 फरवरी 2014 को न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में की गई थी. इसका प्राथमिक उद्देश्य अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्र शासित प्रदेशों और रक्षा बलों जैसी विभिन्न सेवाओं में कार्यरत केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करना और उसमें बदलाव की सिफारिश करना था. आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वेतन वर्तमान आर्थिक स्थितियों, मुद्रास्फीति दरों और कॉस्ट ऑफ लिविंग की लागत के अनुरूप हो.
7वें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशें
7वें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशें में न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी सबसे अहम थी. आयोग ने एक्रोयड फॉर्मूले के आधार पर नए कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये निर्धारित किया, जो पिछले आयोग के तहत 7,000 रुपये के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है.
वहीं, अधिकतम पे स्केल के लिए 225,000 रुपये प्रति माह और कैबिनेट सचिव और समान वेतन स्तर पर अन्य के लिए 250,000 रुपये प्रति माह किया. आयोग ने नए रिटायर अधिकारियों के लिए पेंशन में लगभग 23.66 फीसदी की वृद्धि की गई, जिससे सेवानिवृत्त लोगों के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हुई. 7वें वेतन आयोग ने ग्रेच्युटी की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये लाख करने का प्रस्ताव रखा. इसके अतिरिक्त, वे रेकामेंड करते हैं कि जब भी महंगाई भत्ता (डीए) 50 प्रतिशत से अधिक हो, तो इस सीमा में 25प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए.
8th Pay Commission 2026 Rules: 8वाँ वेतन आयोग के लागू होते ही DA और DR हो जाएगा 0? जानिए क्या है नियम
आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन में वृद्धि के साथ तालमेल बिठाने के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में 24 प्रतिशत की वृद्धि करने का सुझाव दिया. इसने 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की वार्षिक वेतन वृद्धि दर को बरकरार रखा गया .
आयोग ने कर्मचारियों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए संशोधित दरों का प्रस्ताव करते हुए, केंद्र सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना को अपडेट करने की सिफारिश की. 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी, 2016 को लागू किया गया था, और तब से इसने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वित्तीय परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है.
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आगामी 8वें वेतन आयोग का उद्देश्य मौजूदा आर्थिक मुद्दों से निपटकर और सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त लोगों दोनों के लिए वित्तीय स्थिरता को मजबूत करके इन प्रगति को बढ़ाना है.8वें वेतन आयोग की स्थापना का निर्णय 16 जनवरी, 2025 को घोषित किया गया था. इसका उद्देश्य बदलती आर्थिक स्थितियों और मुद्रास्फीति के दबावों के मद्देनजर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को संशोधित करना है.
कर्मचारियों के लिए वेतन बढ़ने की उम्मीद
आयोग के 1 जनवरी, 2026 से काम करना शुरू करने की उम्मीद है. हालांकि, यह अभी तक आधिकारिक रूप से गठित नहीं हुआ है. इससे सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन और पेंशन सुधारों की समीक्षा और सिफारिश करने की उम्मीद है.
8वें आयोग में यह प्रस्तावित है कि फिटमेंट फैक्टर को 2.28 पर सेट किया जाए, जिससे न्यूनतम वेतन में पर्याप्त वृद्धि होगी.यह 18,000 रुपये से 41,000 रुपये तक पहुंच सकती है, जो लगभग 34.1 फीसदी की संभावित वृद्धि को दर्शाता है.
8वें वेतन आयोग के तह तजनवरी 2026 तक महंगाई भत्ता लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे कर्मचारियों के वेतन में और वृद्धि होगी. इन परिवर्तनों से लगभग 67.85 लाख पेंशनभोगियों और लगभग 48.62 लाख कर्मियों को लाभ हो सकता है.
8वें वेतन आयोग के मुख्य लक्ष्य
आयोग से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मूल वेतन में संशोधन करने की उम्मीद है, जिसमें 20 फीसदी से 35 प्रतिशत तक की अनुमानित वृद्धि होगी. इस एडजस्टमेंट का उद्देश्य वर्तमान आर्थिक स्थितियों और मुद्रास्फीति दरों को प्रतिबिंबित करना है. इसके अलावा 8वें वेतन आयोग के तहत सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है, जिससे रिटायरमेंट में उनकी वित्तीय स्थिरता में सुधार होगा.
8वें वेतन आयोग का उद्देश्य कर्मचारियों के विभिन्न समूहों के बीच वेतन में असमानताओं को समाप्त करना है. इसमें फिटमेंट फैक्टर का स्टैंडर्डाइजेशन शामिल है, जो विभिन्न स्तरों पर वेतन वृद्धि निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है. साथ ही इसमें घर के किराए और यात्रा भत्ते जैसे डीए को वर्तमान कॉस्ट ऑफ लिविंग के साथ संरेखित करने के लिए संशोधित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारी बढ़ते खर्चों के बीच उचित जीवन स्तर बनाए रख सकें.
8वां वेतन आयोग लागू होने के बाद न्यूनतम वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, जो संभावित रूप से 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 41,000 रुपये हो जाएगा, जिससे वेतनमान के निचले सिरे पर कर्मचारियों की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी.
Salary Arrear Difference Excel Program / बकाया वेतन अंतर तालिका एक्सल प्रोग्राम : नमस्कार, साथियों इस आर्टिकल में सैलरी एरियर डिफरेंस एक्सेल प्रोग्राम या बकाया वेतन अंतर तालिका के एक्सेल प्रोग्राम अपलोड किये गये है। ये प्रोग्राम उम्मेद तरड़ के द्वारा विकसित किया गये है। जिसमे आप 48 माह / 65 माह या अन्य माह के बकाया वेतन की अंतरतालिका बना सकते हैं |
यहाँ अपलोड की गयी वेतन अंतर तालिका में स्थाईकरण, पदोन्नति, एसीपी आदि का बकाया (एरियर) एक्सेल प्रोग्राम तथा आवश्यक आदेश प्रपत्र सहित उपलब्ध हैं, हमे उम्मीद हैं कि यह Salary Arrear Difference Excel Program आपकी काफी हेल्प करेंगे और आप के कार्यो को आसान बनायेंगे | आपसे आग्रह हैं कि आप इन प्रोग्राम को अपने मित्रो, कार्यालय कर्मचारियों के साथ लिंक के माध्यम से शेयर करेंगें |
श्री उम्मेद तरड़
अध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रायमलवाडा बापिनी जिला- जोधपुर
आप मित्रो से आग्रह हैं कि हमने बड़ी मेहनत से इस आर्टिकल की 💯% शुद्धता के साथ, सटीक और ऑफिशियल जानकारी आपके लिए एकत्र करके SHARE की हैं | इस कार्य में हमारे मित्रो की टीम ने मिलकर सहयोग किया हैं 🙏🏻 अत: आप इस पोस्ट के लिंक को अपने मित्रो, साथियों और सहकर्मियों तक सोशल मिडिया प्लेटफोर्म पर जरूर शेयर करें और नीचे दिए सोशल मीडिया से जरूर जुड़े|
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Income Tax Information for Salaried Individuals : निर्धारण वर्ष 2024-25 के लिए वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए प्रयोज्य विवरणी और फ़ॉर्म : नमस्कार मित्रों, इस आर्टिकल में हम बात करेंगे वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए आयकर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारीयों के बारे में, जिसमे हम ये जानेगे कि एक वेतनभोगी कर्मचारी इनकम टैक्स की किन धाराओं के तहत और कितने रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकता है और छूट प्राप्त करने के लिए उन्हें कौन कौन से फॉर्म भरने पड़ेंगे अथवा उनकी कौन कौनसी रिसिप्ट या भुगतान विवरण है वो उन्हें सहेजकर रखना पड़ेगा ताकि भविष्य में अगर जरूरत पड़े तो उनका उपयोग किया जा सके।
इस Income Tax Information for Salaried Individuals आर्टिकल को लिखने में हमने अब पूर्ण सावधानी बरती है। विभिन्न शिक्षाविदों और इनकम टैक्स से जुड़े हुए महत्वपूर्ण व्यक्तियों से चर्चा करने के बाद ही समस्त जानकारी आपको तक साझा करने का प्रयास किया है। हमारे साथ इनकम टैक्स से जुड़े सीए, ऑडिट प्रभारी और ऑनलाइन आयकर से जुड़े कार्य करने वाले व्यक्तियों के समूह से चर्चा के बाद ये जानकारी आपसे हम साझा कर रहे हैं।
मित्रों और प्रिय साथियों, अगर आप अपने बीजी शेड्यूल के कारण अपना ITR समय पर नहीं भर पा रहे हैं या अपनी सैलरी से टैक्स कटवाने के लिए टैक्स कैलकुलेशन नहीं करवा पा रहे है तो आप हमारे एक्स्पर्ट टीम की सलाह ले सकते हैं और आप उनसे ये कार्य करवा सकते है। हम इस आर्टिकल के नीचे उनके डिटेल साझा कर रहे हैं जहाँ आप उनसे चर्चा करके अपना इनकम टैक्स कैलकुलेशन करवा सकते हैं, जिसे आप अपने फरवरी और दिसंबर की सैलरी के साथ लगाते हैं। साथ ही जून – जुलाई में अपना ITR फाइल करने के लिये आप ऑनलाइन सेवाएं ले सकते हैं।
1. आई.टी.आर.-1 (सहज) – व्यक्ति के लिए लागू
यह विवरणी एक निवासी (साधारणतया निवासी के अलावा अन्य) के लिए प्रयोज्य है, जिसकी कुल आय निम्नलिखित में से किसी भी स्रोत से ₹ 50 लाख तक है
वेतन/ पेंशन
एक गृह संपत्ति
अन्य स्रोत (ब्याज, परिवार की पेंशन, लाभांश आदि)
₹ 5,000 तक की कृषि-आय
Income Tax Information for Salaried Individuals, वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए आयकर से जुडी महत्वपूर्ण जानकरियां
टिप्पणी: आई.टी.आर.-1 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है जो:
(a) किसी कंपनी में निदेशक है
(b) जिसके पास पूर्व वर्ष के दौरान किसी भी समय किसी भी गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयर रहे हों
(c) जिसके पास भारत से बाहर स्थित कोई भी संपत्ति (किसी भी संस्था में वित्तीय हित सहित) है
(d) जिसके पास भारत से बाहर स्थित किसी भी खाते में हस्ताक्षर करने का प्राधिकार है
(e) जिसके पास भारत से बाहर किसी भी स्रोत से आय है
(f) वह व्यक्ति है जिसके मामले में कर धारा 194N के तहत काटा गया है
( g ) वह व्यक्ति जिसके भुगतान का मामला या कर की कटौती को ESOP पर स्थगित कर दिया गया है।
किसी भी आय के शीर्ष के तहत अग्रानीत हानि या अग्रानीत की जाने वाली हानि है (i) कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक है।
कक्षा 10 के लिए सामाजिक अध्ययन तीन पार्ट में उपलब्ध शानदार सम्पूर्ण अध्याय के क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
यह विवरणी व्यक्ति और हिन्दु अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.) के लिए लागू है।
कारोबार या व्यवसाय के लाभ और अभिलाभ शीर्ष के अंतर्गत आय न होना
आई.टी.आर.-1 दाखिल करने के लिए कौन पात्र नहीं है
3 आई.टी.आर..-3 – व्यक्ति और एच.यू.एफ. के लिए लागू
यह विवरणी व्यक्ति और हिन्दु अविभाजित परिवार (एच.यू.एफ.) के लिए लागू है।
शीर्ष कारोबार या व्यवसाय का लाभ और अभिलाभ के तहत आय है
ITR-1, ITR-2 या ITR-4 फ़ाइल करने का पात्र कौन नहीं है
Income Tax Information for Salaried Individuals, वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए आयकर से जुडी महत्वपूर्ण जानकरियां
4. आई.टी.आर.-4 (सुगम) – व्यक्ति, एच.यू.एफ. एवं फर्म (एल.एल.पी. के अलावा) के लिए लागू
यह विवरणी एक ऐसे व्यक्ति या हिन्दु अविभक्त कुटुम्ब (एच.यू.एफ.) के लिए प्रयोज्य है, जो साधारणतया निवासी नहीं या एक फर्म (एल.एल.पी. के अलावा) के अलावा निवासी है जो एक ऐसा निवासी है जिसकी कुल आय ₹ 50 लाख तक है और कारोबार या व्यवसाय से आय है जिसकी संगणना प्रकल्पित (धारा 44AD / 44ADA / 44AE के तहत) आधार पर की जाती है और निम्नलिखित में से किसी भी स्रोत से आय है:
वेतन/ पेंशन
एक गृह संपत्ति
अन्य स्रोत (ब्याज, परिवार की पेंशन, लाभांश आदि)
₹ 5,000 तक की कृषि-आय
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ध्यान दें आई.टी.आर.-4 का उपयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता है जो:
(a) किसी कंपनी में निदेशक है
(b) जिसके पास पूर्व वर्ष के दौरान किसी भी समय किसी भी गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयर रहे हों
(c) जिसके पास भारत से बाहर स्थित कोई भी संपत्ति (किसी भी संस्था में वित्तीय हित सहित) है
(d) जिसके पास भारत से बाहर स्थित किसी भी खाते में हस्ताक्षर करने का प्राधिकार है
(e) जिसके पास भारत से बाहर किसी भी स्रोत से आय है
(f) वह व्यक्ति है जिसके मामले में ESOP पर कर भुगतान की राशि या कर कटौती को आस्थगित कर दिया गया है
(g) जिसके पास आय के किसी भी शीर्ष के तहत अग्रानीत कोई हानि या अग्रानीत की जाने वाली हानि है |
(h) जिसकी कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक है।
कृपया ध्यान दें कि आई.टी.आर.-4 (सुगम) अनिवार्य नहीं है। यह एक सरलीकृत विवरणी फ़ॉर्म है, जिसका उपयोग एक निर्धारिती द्वारा उसके विकल्प पर किया जा सकता है, यदि वह कारोबार या व्यवसाय से लाभ और अभिलाभ की घोषणा करने के लिए धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अनुमानित आधार पर योग्य है।
1. फॉर्म 12BB – कर की कटौती के लिए कर्मचारी द्वारा किए गये दावों की विशिष्टियां (धारा 192 के तहत)
द्वारा उपलब्ध करवाई गई
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
अपने नियोक्ता(ओं) के लिए कर्मचारी
एच.आर.ए., एल.टी.सी., गृह ऋण पर ब्याज की कटौती, पात्र भुगतानों पर कर बचत के दावे/कटौतियां या स्रोत पर कर कटौती (टी.डी.एस.) के प्रयोजन के उद्देश्य के लिए निवेश के साक्ष्य या ब्यौरा
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2. फ़ॉर्म 16 – वेतन के स्रोत पर कर कटौती का प्रमाण पत्र (आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 203 के तहत)
द्वारा उपलब्ध करवाई गई
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
वित्तीय वर्ष के अंत में नियोक्ता अपने कर्मचारी को
देय/प्रतिदाय योग्य कर की संगणना के प्रयोजन से कर्मचारी की आय, कटौती/छूट और स्रोत पर कर कटौती
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3. फॉर्म 16A – वेतन के अलावा अन्य आय पर टी.डी.एस. के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 203 के तहत प्रमाणपत्र
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द्वारा उपलब्ध करवाई गई
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
कटौतीकर्ता से डिडक्टर
फ़ॉर्म 16A एक स्रोत पर कर कटौती (टी.डी.एस.) का प्रमाण-पत्र है जो त्रैमासिक जारी किया जाता है जो टी.डी.एस. की राशि, भुगतान की प्रकृति और आयकर विभाग के पास जमा किया गया टी.डी.एस. भुगतान को दर्शाता है
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4. फॉर्म 67 – विदेश से या भारत से बाहर निर्दिष्ट किसी क्षेत्र से आय का विवरण-पत्र और विदेशी कर क्रेडिट
के द्वारा प्रस्तुत
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
धारा 139(1) के तहत आई.टी.आर. प्रस्तुत करने के लिए निर्दिष्ट नियत तिथि पर या उससे पहले करदाता
भारत से बाहर किसी देश या निर्दिष्ट राज्य क्षेत्र से आय और दावा किए गए विदेशी कर क्रेडिट
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5. फ़ॉर्म 26AS
द्वारा उपलब्ध करवाई गई
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
आयकर विभाग (यह ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध है:लॉगइन > ई-फ़ाइल > आयकर विवरणी > फ़ॉर्म 26AS देखें)
स्रोत पर काटा गया /एकत्रित कर।
टिप्पणी: (अग्रिम कर/एस.ए.टी., प्रतिदाय का ब्यौरा, एस.एफ.टी. लेन-देन, धारा 194 IA,194 IB,194M, टी.डी.एस. डिफॉल्ट के तहत टी.डी.एस.) के संबंध में जानकारी जो 26AS में उपलब्ध थी, अब नीचे उल्लिखित ए.आई.एस. में उपलब्ध होगी।
6. ए.आई.एस.- वार्षिक जानकारी विवरण
द्वारा उपलब्ध करवाई गई
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
आयकर विभाग (आयकर ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर लॉगइन करने के बाद इसे एक्सेस किया जा सकता है)ए.आई.एस. को एक्सेस करने का पाथ : ई-फ़ाइलिंग पोर्टल पर जाएँ > लॉगइन > ए.आई.एस.
स्रोत पर कर कटौती/ एकत्र किया गयाएस.एफ.टी. सूचनाकरों का भुगतानमाँग/ प्रतिदायअन्य जानकारी (जैसे लंबित/पूरी कार्यवाही, जी.एस.टी. सूचना, विदेशी सरकार से प्राप्त जानकारी आदि)
7. फ़ॉर्म 15G – कर कटौती के बिना कुछ प्राप्तियों का दावा करते हुए, निवासी करदाता द्वारा घोषणा (कंपनी या फ़र्म नहीं होने के नाते)
के द्वारा प्रस्तुत
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
60 वर्ष से कम का निवासी व्यक्ति या एच.यू.एफ. या कोई अन्य व्यक्ति (कम्पनी/फर्म के अलावा) बैंक को ब्याज आय पर टी.डी.एस. की कटौती न करने के लिए, यदि आय मूल-भूत छूट सीमा से कम है
वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय
8. फ़ॉर्म 15H – कर की कटौती के बिना कुछ प्राप्तियों का दावा करने की घोषणा एक निवासी व्यक्ति (जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है) द्वारा की जाएगी
के द्वारा प्रस्तुत
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
एक निवासी व्यक्ति, जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक है, के द्वारा ब्याज आय पर टी. डी. एस. कटौती न करने के लिए बैंक को प्रस्तुत
वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय
9. फ़ॉर्म 10E – वेतन का भुगतान बकाया या अग्रिम के रूप में किया जाने पर, धारा 89(1) के तहत राहत का दावा करने के लिए आय का ब्यौरा प्रस्तुत करने हेतु फ़ॉर्म
द्वारा उपलब्ध करवाई गई
फॉर्म में प्रदान किया गया ब्यौरा
आयकर विभाग का एक कर्मचारी
बकाया / अग्रिम वेतनउपदानसमापन पर क्षतिपूर्तिपेंशन का कॅम्युटेशन
कक्षा 12 के लिए राजीनीति विज्ञान के नोट्स शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
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निर्धारण वर्ष 2024-25 के लिए कर स्लैब
वित्त अधिनियम 2023 ने निर्धारण वर्ष 2024-25 से धारा 115BAC के प्रावधानों में निर्धारिती के लिए जो कि एक व्यक्ति, एच.यू.एफ़., ए.ओ.पी. (सहकारी समितियां नहीं), बी.ओ.आई. या कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति है, नई कर व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट कर व्यवस्था बनाने के लिए संशोधन किया है। हालाँकि, पात्र करदाताओं के पास नई कर व्यवस्था से बाहर निकलने और पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर लगाए जाने का विकल्प चुनने का विकल्प है। पुरानी कर व्यवस्था आयकर गणना और स्लैब की उस प्रणाली को संदर्भित करती है, जो नई कर व्यवस्था की शुरुआत से पहले मौजूद थी। पुरानी कर व्यवस्था में, करदाताओं के पास विभिन्न कर कटौती और छूट का दावा करने का विकल्प होता है।
“गैर-व्यावसायिक मामलों” के मामले में, व्यवस्था चुनने का विकल्प हर साल सीधे आई.टी.आर. में धारा 139(1) के तहत निर्दिष्ट नियत तिथि को या उससे पहले इस्तेमाल किया जा सकता है।
यदि पात्र करदाता जिनकी कारोबार या व्यवसाय से आय है और वे नई कर व्यवस्था से बाहर निकलना चाहते हैं, तो निर्धारिती को आयकर विवरणी फ़ाइल करने के लिए धारा 139(1) के तहत नियत तिथि को या उससे पहले फ़ॉर्म 10-IEA भरना होगा।
साथ ही, ऐसे विकल्प को वापस लेने के उद्देश्य से यानी पुरानी कर व्यवस्था से बाहर निकलने का विकल्प भी फ़ॉर्म संख्या 10-IEA प्रस्तुत करके किया जाएगा।
हालाँकि, कारोबार या व्यवसाय से आय वाले पात्र करदाताओं के मामले में पुरानी कर व्यवस्था पर स्विच करने और किसी भी बाद के निर्धारण वर्ष में वापस लेने का विकल्प जीवनकाल में केवल एक बार उपलब्ध है।
पूर्व वर्ष के दौरान किसी भी समय 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति (निवासी या अनिवासी) के लिए कर दरें निम्नानुसार हैं:
पुरानी कर व्यवस्था
धारा 115BAC के तहत नई कर व्यवस्था
आयकर स्लैब
आयकर दर
आयकर स्लैब
आयकर दर
₹ 2,50,000 तक
शून्य
₹ 3,00,000 तक
शून्य
₹ 2,50,001 – ₹ 5,00,000
₹2,50,000 से अधिक 5%
₹ 3,00,001 – ₹ 6,00,000
₹3,00,000 से अधिक 5%
₹ 5,00,001 – ₹ 10,00,000
₹12,500 + ₹5,00,000 से अधिक पर 20%
₹ 6,00,001 – ₹ 9,00,000
₹15,000 + ₹6,00,000 से अधिक पर 10%
₹ 10,00,000 से अधिक
₹1,12,500 + ₹10,00,000 से अधिक पर 30%
₹ 9,00,001 – ₹ 12,00,000
₹45,000 + ₹9,00,000 से अधिक पर 15%
₹ 12,00,001 – ₹ 15,00,000
₹90,000 + ₹12,00,000 से अधिक पर 20%
₹15,00,000 से अधिक
₹1,50,000 + ₹15,00,000 से अधिक पर 30%
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1. कर व्यवस्थाओं के तहत अधिभार की दरें निम्नानुसार हैं:
कुल आय
पुरानी कर व्यवस्था
नई कर व्यवस्था
लागू अधिभार दर
50 लाख रुपये तक
शून्य
शून्य
50 लाख रुपये से अधिक और 1 करोड़ रुपये तक
10%
10%
1 करोड़ रुपए से अधिक और 2 करोड़ रुपए तक
15%
15%
2 करोड़ रुपए से अधिक और 5 करोड़ रुपए तक
25%
25%
5 करोड़ रुपये से अधिक
37%
25%
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टिप्पणी: 25% और 37% का बढ़ा हुआ अधिभार, जैसा भी मामला हो, धारा 111A, 112, 112A और लाभांश आय के तहत कर प्रभार्य आय से नहीं लगाया जाता है। इसलिए, ऐसी आय पर देय कर पर अधिभार की अधिकतम दर 15% होगी, सिवाय इसके कि जब आय धारा 115A, 115AB, 115AC, 115ACA और 115E के तहत कराधेय हो।
2. धारा 87A के तहत छूट: निवासी व्यक्ति निम्नानुसार कर व्यवस्था के आधार पर अधिकतम सीमा के अधीन आयकर में 100% तक की छूट के लिए भी पात्र हैं:
कुल आय
पुरानी कर व्यवस्था
नई कर व्यवस्था
धारा 87A के तहत छूट लागू
5 लाख रुपये तक
निवासी व्यक्तियों के लिए .12,500 रुपये तक की कर छूट लागू होती है यदि कुल आय 5,00,000 रुपये से अधिक नहीं है (एन.आर.आई. के लिए लागू नहीं है
निवासी व्यक्तियों के लिए .25,000 रुपये तक की कर छूट लागू होती है यदि कुल आय 7,00,000 रुपये से अधिक नहीं है (एन.आर.आई. के लिए लागू नहीं है
5 लाख से 7 लाख तक
शून्य
3. दोनों ही व्यवस्थाओं में स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर की दर समान रहती है।
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अधिभार, सीमांत राहत और स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर
अधिभार क्या है?
अधिभार निर्दिष्ट सीमा से अधिक आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों के लिए लगाया जाने वाला एक अतिरिक्त प्रभार है, यह लागू दरों के अनुसार संगणित आयकर की राशि पर लगाया जाता है।अधिभार की दरों के लिए, ऊपर दी गई तालिका देखें।
सीमांत राहत क्या है?
सीमांत राहत अधिभार से राहत है, जो उन मामलों में प्रदान की जाती है जहां देय अधिभार अतिरिक्त आय से अधिक हो जो व्यक्ति को अधिभार के लिए उत्तरदायी बनाता है। अधिभार के रूप में देय राशि अर्जित आय की राशि से क्रमशः ₹ 50 लाख, ₹ 1 करोड़, ₹ 2 करोड़ या ₹ 5 करोड़ से अधिक नहीं होगी:
शुद्ध आय रेंज
सीमांत राहत
(रुपये) से अधिक
(रुपये) से अधिक नहीं है
50 लाख
1 करोड़
आयकर और अधिभार के रूप में देय राशि 50 लाख रुपये की कुल आय पर आयकर के रूप में देय कुल राशि से अधिक नहीं होगी जो 50 लाख रुपये से अधिक है
1 करोड़
2 करोड़
आयकर और अधिभार के रूप में देय राशि 1 करोड़ रुपये की कुल आय पर आयकर के रूप में देय कुल राशि से अधिक नहीं होगी जो आय की राशि 1 करोड़ रुपये से अधिक है
2 करोड़
5 करोड़
आयकर और अधिभार के रूप में देय राशि 2 करोड़ रुपये की कुल आय पर आयकर के रूप में देय कुल राशि से अधिक नहीं होगी जो आय की राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक है
5 करोड़
आयकर और अधिभार के रूप में देय राशि 5 करोड़ रुपये की कुल आय पर आयकर के रूप में देय कुल राशि से अधिक नहीं होगी जो आय की राशि 5 करोड़ रुपये से अधिक है।
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स्वास्थ्य व शिक्षा उपकर क्या है?
आयकर और अधिभार (यदि कोई हो) की राशि पर 4% की दर से स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर का भी भुगतान किया जाएगा।
निवेश / भुगतान / आय जिस पर मुझे कर लाभ मिल सकता है
धारा 24(b) – आवास ऋण और आवास सुधार ऋण पर भुगतान किए गए ब्याज पर गृह सम्पत्ति से आय में से कटौती। स्व – अधिकृत सम्पत्ति के मामले में, आवास ऋण पर भुगतान की गई ब्याज की कटौती की ऊपरी सीमा ₹ 2 लाख है। हालांकि, यह कटौती नई कर व्यवस्था को चुनने वाले व्यक्ति के लिए उपलब्ध नहीं है।
अनुमत धारा 24(b) के तहत अनुज्ञेय ऋण पर ब्याज नीचे सारणीबद्ध है:
सम्पत्ति की प्रकृति
जब ऋण लिया गया
ऋण लेने का प्रयोजन
स्वीकार्य (अधिकतम सीमा)
स्व-अध्यासित
1/04/1999 को या उसके बाद
गृह संपत्ति का निर्माण या खरीद
₹ 2,00,000
1/04/1999 को या उसके बाद
गृह संपत्ति की मरम्मत के लिए
₹ 30,000
1/04/1999 से पहले
गृह संपत्ति का निर्माण या खरीद
₹ 30,000
1/04/1999 से पहले
गृह संपत्ति की मरम्मत के लिए
₹ 30,000
किराए पर दिया
किसी भी समय
गृह संपत्ति का निर्माण या खरीद
बिना किसी सीमा के वास्तविक मूल्य
आयकर अधिनियम के अध्याय VIA के अंतर्गत निर्दिष्ट कर कटौती
धारा 80CCD(2), 80CCH के तहत कटौती को छोड़कर धारा 115BAC के तहत नई कर व्यवस्था का चयन करने वाले करदाता के लिए ये कटौती उपलब्ध नहीं होगी, जो नई कर व्यवस्था के लिए भी प्रयोज्य होगी।
धारा 80C, 80CCC, 80CCD (1)
धारा 80C, 80CCC, 80CCD (1)
किए गए भुगतान के लिए कटौती 80C : जीवन बीमा प्रीमियमभविष्य निधिकुछ इक्विटी शेयरों के लिए अभिदानट्यूशन फीसराष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रआवास ऋण मूलअन्य विभिन्न मद 80CCC : पेंशन योजना के लिए एल.आई.सी. या अन्य बीमाकर्ता की वार्षिकी योजना 80CCD (1) : केंद्र सरकार की पेंशन योजना
₹ 1,50,000 की संयुक्त कटौती सीमा
धारा 80CCD(1B)
केंद्र सरकार की पेंशन योजना में किए गए भुगतान के लिए कटौती, धारा 80CCD (1) के तहत दावा की गई कटौती के अलावा
₹ 50,000 की कटौती सीमा
धारा 80CCD(2)
केंद्रीय सरकार की पेंशन योजना में नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान की कटौती
यदि नियोक्ता पी.एस.यू. या अन्य है
वेतन की 10% की कटौती सीमा
यदि नियोक्ता केंद्र या राज्य सरकार है
वेतन के 14%की कटौती सीमा
धारा 80CCH
कक्षा 10 के लिए शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
अपना आयकर गणना प्रपत्र बनवाना चाहते है तो यहाँ पर क्लिक करे
अग्निपथ योजना में योगदान के संबंध में कटौती
जहां एक निर्धारिती, एक व्यक्ति होने के नाते अग्निपथ योजना में नामांकित है और 1 नवंबर, 2022 को या उसके बाद अग्निवीर कॉर्पस फ़ंड की सदस्यता लेता है, ने पूर्व वर्ष में उक्त निधि में अपने खाते में किसी भी राशि का भुगतान या जमा किया है
भुगतान या जमा की गई पूर्ण राशि की कुल आय की संगणना में कटौती की अनुमति दी गई है
जहां केंद्रीय सरकार अग्निवीर कॉर्पस फ़ंड में एक निर्धारिती के खाते में कोई योगदान करती है
योगदान की गई पूर्ण राशि की कुल आय की संगणना में कटौती की अनुमति दी
धारा 80D
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और निवारक स्वास्थ्य की जांच-पड़ताल करने के लिए किए गए भुगतान के लिए कटौती
स्वयं / पति या पत्नी या आश्रित बच्चों के लिए
₹25,000 ( ₹ 50,000 यदि कोई व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक है)निवारक स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करने के लिए ₹5,000 , उपरोक्त सीमा में शामिल है
माता-पिता के लिए
₹25,000 ( ₹50,000 यदि कोई व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक है)निवारक स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करने के लिए ₹5,000 , उपरोक्त सीमा में शामिल है
वरिष्ठ नागरिक पर उपगत चिकित्सा सम्बन्धी व्यय के लिए कटौती, यदि स्वास्थ्य बीमा कवरेज पर किसी प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया है
स्वयं / पति या पत्नी या आश्रित बच्चों के लिए
₹ 50,000 की कटौती सीमा
माता-पिता के लिए
₹ 50,000 की कटौती सीमा
धारा 80DD
आश्रित विकलांग के रखरखाव या चिकित्सा उपचार के लिए किए गए भुगतान या संबंधित अनुमोदित योजना के तहत किए गए किसी भी राशि के भुगतान/डिपॉज़िट में कटौती
स्थिर कटौती ₹ 75,000 दिव्यांग व्यक्ति के लिए उपलब्ध, चाहे खर्च किया या नहींकटौती ₹ 1,25,000 अगर व्यक्ति को गंभीर दिव्यांगता है ( 80 % या उससे अधिक ).=
कृपया ध्यान दें:यदि करदाता धारा 80DD के तहत कटौती का दावा कर रहा है तो विवरणी फ़ाइल करने से पहले फ़ॉर्म 10-IA भी फ़ाइल करने की सिफारिश की जाती है। फ़ॉर्म 10IA बाद में भी फ़ाइल किया जा सकता है, हालाँकि बाद में किसी भी असुविधा से बचने के लिए आयकर विवरणी के साथ फ़ॉर्म 10-IA फ़ाइल करने की सिफारिश की जाती है।
धारा 80DDB
निर्दिष्ट बीमारियों के लिए स्वयं या आश्रित के चिकित्सा उपचार के लिए किए गए भुगतान हेतु कटौती
कटौती सीमा ₹ 40,000 ( ₹ 1,00,000 यदि वरिष्ठ नागरिक है )
धारा 80E
स्वयं या रिश्तेदार की उच्च शिक्षा के लिए ऋण पर किए गए ब्याज भुगतान के लिए कटौती
लिए गए ऋण पर ब्याज के लिए भुगतान की गई कुल राशि
धारा 80EE
आवासीय गृह संपत्ति के अधिग्रहण के लिए, लिए गए ऋण पर किए गए ब्याज भुगतान के लिए कटौती जहाँ ऋण 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच स्वीकृत किया गया है
कटौती सीमा ₹ 50,000 लिए गए ऋण पर भुगतान की जाने वाले ब्याज पर
धारा 80EEA
पहली बार आवासीय गृह संपत्ति के अधिग्रहण हेतु लिए गए ऋण पर किए गए ब्याज भुगतान हेतु केवल व्यक्तियों के लिए उपलब्ध कटौती, जहां ऋण 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2022 के बीच स्वीकृत किया गया है और कटौती का दावा धारा 80EE के तहत नहीं किया जाना चाहिए था
कटौती सीमा ₹ 1,50,000 लिए गए ऋण पर भुगतान की जाने वाले ब्याज पर
धारा 80EEB
जहां 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच ऋण स्वीकृत किया गया है, वहां इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद के लिए ऋण पर किए गए ब्याज भुगतान हेतु कटौती
कटौती सीमा ₹ 1,50,000 लिए गए ऋण पर भुगतान की जाने वाले ब्याज पर
धारा 80G
निर्धारित निधियों, धर्मार्थ संस्थाओं आदि को दिए गए दान के लिए कटौती। दान नीचे दी गई श्रेणियों के अंतर्गत कटौती के पात्र है
बिना किसी सीमा के
100% कटौती50% कटौती
योग्यता सीमा के अधीन रहते हुए
100% कटौती50% कटौती
धारा 80GG
घर के लिए भुगतान किए गए किराए की कटौती और केवल उन लोगों के लिए लागू जो स्व-नियोजित हैं या जिनके लिए एच.आर.ए. वेतन का हिस्सा नहीं है
निम्नलिखित में से सबसे कम को कटौती के रूप में अनुमति
इस कटौती से पूर्व भुगतान किया गया किराया कुल आय के 10% तक कम हो गया
₹ 5,000 प्रति माह
कुल आय का 25% (धारा 111A के तहत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ, अल्पकालिक पूंजीगत लाभ या धारा 115A या 115D के तहत आय को छोड़कर)
ध्यान दें: इस कटौती का दावा करने के लिए फ़ॉर्म 10BA भरा जाना है।
धारा 80GGA
वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए किए गए दान के लिए कटौती
दान निम्न श्रेणियों के अंतर्गत कटौती के लिए पात्र हैं:
अनुसंधान संबंध या विश्वविद्यालय, महाविद्यालय या अन्य संस्था के लिए
वैज्ञानिक अनुसंधान
सामाजिक विज्ञान या सांख्यिकीय अनुसंधान
संबंध या संस्था के लिए
ग्रामीण विकास
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण अथवा वनरोपण
किसी पात्र परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए राष्ट्रीय समिति द्वारा अनुमोदित पी.एस.यू. या स्थानीय प्राधिकरण या संस्था को भुगतान की जाने वाली राशि
केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित निधि
वन – रोपण
ग्रामीण विकास
केंद्रीय सरकार द्वारा स्थापित और अधिसूचित की गई राष्ट्रीय शहरी गरीबी उन्मूलन निधि
ध्यान दें: इस अनुभाग के अंतर्गत ₹ 2000 /- से अधिक नकद में दान के संबंध में कोई कटौती नहीं की जाएगी या यदि सकल कुल आय में कारोबार/ व्यवसाय से लाभ/अभिलाभ से आय शामिल है
धारा 80GGC
राजनीतिक दल या चुनावी ट्रस्ट को किए गए दान के लिए कटौती
राजनीतिक दल या चुनावी ट्रस्ट को किए गए दान के लिए कटौती
धारा 80TTA
गैर-वरिष्ठ नागरिकों द्वारा बचत बैंक खातों पर प्राप्त ब्याज पर कटौती
कटौती सीमा ₹ 10,000/-
धारा 80TTB
निवासी वरिष्ठ नागरिकों द्वारा जमा पर प्राप्त ब्याज पर कटौती
कटौती सीमा ₹ 50,000/-
धारा 80U
दिव्यांगता वाले निवासी व्यक्तिगत करदाता के लिए कटौतियां
स्थिर ₹ 75,000 की कटौती दिव्यांग व्यक्ति के लिए चाहे खर्चे हुए हो या नहींस्थिर ₹ 1,25,000 की कटौती गंभीर दिव्यांगता ( 80 % या उससे अधिक ), वाले व्यक्ति के लिए चाहे खर्चे हुए हो या नहीं
कृपया ध्यान दें: यदि करदाता कटौती 80U का दावा कर रहा है तो विवरणी फ़ाइल करने से पहले फ़ॉर्म 10-IA भी फ़ाइल करने की सिफारिश की जाती है। फ़ॉर्म 10IA बाद में भी फ़ाइल किया जा सकता है, हालाँकि बाद में किसी भी असुविधा से बचने के लिए आयकर विवरणी के साथ फ़ॉर्म 10-IA फ़ाइल करने की सिफारिश की जाती है।
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DA ARREAR DIFFERENCE EXCEL SHEET PROGRAM | महगांई भत्ता (डी.ए.) की दर को संशोधित कर 50% से बढाकर 53% प्रतिशत की अंतरतालिका व ऑफिस ऑर्डर
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DA ARREAR DIFFERENCE EXCEL SHEET PROGRAM 50 से 53 अंतरतालिका एक्सल शीट : राजस्थान सरकार वित्त विभाग के आदेश क्रमांक – No. F. 6(3) FD (Rules)/2017 जयपुर दिनांक 14 मार्च 2024 के अनुसार महगांई भत्ता (डी.ए.) की दर को संशोधित कर 46 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया है । इस कारण राजस्थान सरकार के कर्मचारियों की महगांई भत्ता दर को पुनः निर्धारित कर अंतर माह जनवरी 24 से फरवरी 24 तक की राशि का वेतन भुगतान करने की गणना का एक सेल प्रोग्राम यहाँ पर साझा किया गया है।
राज्य सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया✍️👇🏼
राज्यपाल महोदय यह आदेश देते हैं कि वित्त विभाग के समसंख्यक आदेश दिनांक 14-03-2024 के अन्तर्गत राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 के अन्तर्गत वेतन प्राप्त करने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ते की वर्तमान दर को दिनांक 01-07-2024 से 50% से संशोधित कर 53% किया जाएगा।
महंगाई भत्ते की गणना के लिए ‘वेतन’ शब्द मूल वेतन होगा,अर्थात निर्धारित स्तरों के वेतन मैट्रिक्स में आहरित वेतन तथा इसमें विशेष वेतन या वैयक्तिक वेतन आदि जैसे किसी अन्य प्रकार के वेतन को शामिल नहीं किया जाएगा।
महंगाई भत्ते के कारण 50 पैसे या उससे अधिक के अंश को अगले उच्चतर रुपए में पूर्णांकित किया जा सकता है तथा 50 पैसे से कम के अंश को अनदेखा किया जा सकता है।
01-07-2024 से 31-10-2024 तक की अवधि के लिए महंगाई भत्ते में वृद्धि की राशि राजस्थान सरकारी कर्मचारी सामान्य भविष्य निधि नियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार जीपीएफ खाते में निम्नानुसार जमा की जाएगी:
(i)1-1-2004 से पहले भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए-जीपीएफ खाता।
(ii)1-1-2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए-जीपीएफ-2004।
(iii)स्वायत्त निकायों/पीएसयू/बोर्ड/निगमों आदि के कर्मचारियों के लिए जीपीएफ-एसएबी।
01-11-2024 से नकद भुगतान स्वीकार्य होगा अर्थात 01-12-2024 को देय नवंबर, 2024 के महीने का वेतन।
आपके लिए वर्तमान वितीय वर्ष 2024-25 के DA वृद्धि के तहत राजस्थान सरकार वित्त विभाग के आदेश कर्मांक — NO.F.6 ( 3 ) FD (Rules)/2017 जयपुर 24.10.2024 के अनुसार महगांईभत्ता (डी.ए.) की दर को संशोधित कर 50% से बढाकर 53% प्रतिशत किया गया है। इस हेतु कर्मचारियों की महगांई भत्ता दर को पुन: निर्धारित कर अंतर माह जुलाई 24 से अक्टुम्बर 24 तक की राशि का वेतन भुगतान स्वीकृति प्रदान के लिए DA ARREAR DIFFERENCE EXCEL SHEET PROGRAM नीचे डाउनलोड बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं |
श्री भागीरथ मॉल कलवानियाँ द्वारा निर्मित 50% से 53% DA ARREAR DIFFERENCE EXCEL SHEET PROGRAM
न्यू अपडेट प्रोग्राम DA ARREAR एक साथ 4 कार्मिकों सरेंडर ARREAR 15 कार्मिकों का एक साथ एवं DA और SURRENDER की EDITABLE इसके माध्यम से अपनी आवश्यकता नुसार पूर्व एवं आगामी भी ARREAR आप EDITABLE SHEETS से बना सकते है|
श्री उम्मेद तरड द्वारा निर्मित 50% से 53% DA ARREAR DIFFERENCE EXCEL SHEET PROGRAM
🫴🏻संशोधित महंगाई भत्ते (50% से 53%) की दर के अंतर की गणना Excel Program
🌱बेहद आसान और यूजर फ्रेंडली एक्सेल प्रोग्राम
🌱कुछ ही पूर्तियां कर तैयार करें एक साथ 50 कार्मिकों की DA अंतर तालिका
🌱तैयार करें प्रभावित अवधि में उठाए गए उपार्जित अवकाश भुगतान के DA का अंतर पृथक तथा DA अंतर के साथ दोनों फॉर्मेट 🌱 साथ ही तैयार करें सेवानिवृत्त कार्मिक के खाते में शेष PL भुगतान का DA अंतर
दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए डी.ए. एरियर 46 से 50 परसेंट की गणना के लिए विभिन्न एक्स्पर्ट के द्वारा बनाई गई एक्सेल शीट प्रोग्राम लेकर आए हैं जिसमे आप डीए एरियर का गणना, ऑर्डर भी बना सकते हैं| इस आर्टिकल में आप के लिए उम्मेंद तरड, हीरालाल जाट व अश्विनी कुमार और भागीरथ मल कलवानिया व अन्य साथियों के द्वारा बनाई गई एक्सेल शीट प्रोग्राम नीचे उपलब्ध करवाई गई जिन्हें आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं|
DA ARREAR DIFFERENCE EXCEL SHEET PROGRAM and Office Order
DA ARREAR 46 TO 50 DIFFERENCE EXCEL SHEET / DA एरियर 46 से 50 अंतरतालिका एक्सल शीट
विषय: राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता अनुदान।
सरकार को यह आदेश देते हुए प्रसन्नता हो रही है कि वित्त विभाग के दिनांक 31-10-2023 के समसंख्यक आदेश के तहत राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 के तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ते की मौजूदा दर 01-07-2023 से 46 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जाएगी।
महंगाई भत्ते की गणना के उद्देश्य के लिए ‘पे’ शब्द, निर्धारित स्तरों के पे मैट्रिक्स में बेसिक पे यानी पे ड्रा होगा और इसमें वेतन जैसे विशेष भुगतान या व्यक्तिगत भुगतान आदि के किसी अन्य प्रकार को शामिल नहीं किया जाएगा।
मंहगाई भत्ते के खाते में 50 पैसे और उससे अधिक के अंश का भुगतान अगले उच्च रुपये में किया जा सकता है और 50 पैसे से कम के अंश को अनदेखा किया जा सकता है।
01-01-2024 से 29-02-2024 तक की अवधि के लिए महंगाई भत्ते में वृद्धि की राशि राजस्थान सरकार के कर्मचारी सामान्य भविष्य निधि नियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार जीपीएफ खाते में जमा की जाएगी:-
(i) 1-1-2004-जीपीएफ खाते से पहले भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए।
(ii) उन कर्मचारियों के लिए जिन्हें 1-1-2004-जीपीएफ2004 के बाद या बाद में भर्ती किया गया था।
(iii) स्वायत्त निकायों/पीएसयू/बोर्डों/निगमों आदि के कर्मचारियों के लिए-जीपीएफ-एसएबी।
नकद भुगतान 01-03-2024 से स्वीकार्य होगा। इसकी गणना आप DA ARREAR 46 TO 50 DIFFERENCE EXCEL SHEET से कर सकते हैं |
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New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates : सैलरीड क्लास को बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें इनकम टैक्स को लेकर होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि देश में इनकम टैक्स के स्ट्रक्चर को समझना। देश में अभी आम आदमी के लिए कितने टैक्स स्लैब हैं? ये कैसे काम करते हैं? आइए जानते हैं-
फिलहाल देश में इनकम टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं। पहली, जिसे ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab Or Regime) के नाम से जाना जाता है। वहीं साल 2020 में सरकार ने नई टैक्स प्रणाली (New Tax Slab) शुरू की। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने में आसानी करने के लिए ये नई व्यवस्था शुरू की गई थी। देश में हालांकि नई टैक्स प्रणाली शुरू करने के साथ ही अभी पुरानी टैक्स प्रणाली को भी बरकरार रखा गया है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
अगर आप सैलरीड प्रोफेशनल हैं तो आपकी कंपनी ने आपको अभी तक इन्वेस्टमेंट डेक्लेरेशन का फॉर्म दे भी दिया होगा. साथ ही आपको अपना इनकम टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प भी दिया जा रहा है. आपको अभी अपने इंप्लॉयर को ये बताना है कि आप किस टैक्स रिजीम में अपना टैक्स रिटर्न फाइल करेंगे. इस बार के बजट में न्यू टैक्स रिजीम में काफी बदलाव हुए हैं, जिसके बाद अब 7 लाख या इससे कुछ ऊपर की आय वाले टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुनना पसंद कर सकते हैं. ऐसे में आपके लिए भी जरूरी है कि टैक्स फाइलिंग के पहले आइए जानते हैं क्या है नई और पुरानी टैक्स प्रणाली-
ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab)
पुराने टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स देय नहीं होता है। इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स से छूट मिलती है। इस हिसाब से देखा जाए तो टैक्सपेयर्स को करीब 6.5 लाख तक की सालाना इनकम पर टैक्स से छूट मिल जाती है यानी कि कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है।
ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स का जो रेट लगता है वो खासतौर पर इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है। इसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है।
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इसके अलावा टैक्स में उम्र के हिसाब से भी कैलकुलेशन होता है। 60 साल से कम की उम्र है तो पुराने टैक्स स्लैब के तहत 2.5 लाख तक की आय पर टैक्स रेट शून्य रहेगा। वहीं 2.5 से 5 लाख तक इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा और इसमें सेक्शन 87A के अंतर्गत रिबेट भी मिलती है।
वहीं 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर ये टैक्स दर 20 फीसदी है। 7.5 से 10 लाख रुपये तक की आय पर ये टैक्स दर बढ़कर 20फीसदी हो जाती है। 10 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। 15 लाख से ज्यादा की इनकम पर 30फीसदी टैक्स लगता है।
इसके अलावा अगर टैक्सपेयर की उम्र 60 साल से 79 साल के बीच है, तो सीनियर सिटीजन कैटेगरी में आने पर उन्हें 3 लाख तक इनकम पर टैक्स से छूट है। अगर इनकम 3 से 5 लाख है तो जो टैक्स 5फीसदी देना होगा, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30फीसदी टैक्स देय है।
इसके अलावा अगर उम्र 80 से अधिक है तो फिर 5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स देना होता है।
साल 2020 से शुरू हुए नई टैक्स प्रणाली में टैक्स रेट को कम रखा गया है। नई टैक्स प्रणाली पुरानी से कई मायनों में अलग है। इसमें कम दर के साथ स्लैब ज्यादा हैं। इसके अलावा पुराने टैक्स प्रणाली की तुलना में इसमें कई तरह की छूट और कटौती इसमें नहीं मिलतीं।
न्यू टैक्स रिजीम में इनकम में इजाफा होने के साथ ही, टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
नई टैक्स रिजीम में 87A के तहत दोगुना टैक्स माफ कर रही है सरकार
अगर किसी सैलरीड पर्सन की सालाना आमदनी 7.50 लाख रुपये तक है तो नई टैक्स रिजीम में तो उसे एक रुपये का भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन पुरानी कर व्यवस्था में उसे इनकम टैक्स शून्य करने के लिए 2 लाख रुपये का निवेश दिखाना होगा। आम तौर पर 7.50 लाख रुपये की सालाना सैलरी वाले व्यक्ति के लिए वर्ष में 2 लाख रुपये का निवेश कर पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में 2 लाख रुपये से जितनी कम रकम निवेश करेंगे, उतना ज्यादा टैक्स देना होगा।
लेकिन नई टैक्स रिजीम चुनते हैं तो एक रुपये का निवेश किए बिना 7.50 लाख रुपये की सालाना इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाती है। दरअसल, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 87ए के तहत ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक पर बनने वाला 12,500 हजार रुपये किया जा रहा है। इसी तरह, अब नई टैक्स रिजीम में भी 3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये पर बनने वाला 25 हजार रुपये का टैक्स सरकार माफ कर देगी।
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ओल्ड टैक्स प्रणाली में सेक्शन 80 C और 80 D के तहत टैक्सपेयर्स टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन नई व्यवस्था में इस तरह की कई छूटों को खत्म कर दिया गया है। यही वजह है कि इस नई टैक्स प्रणाली को बहुत ही कम लोगों ने अपनाया है।
1. नई टैक्स रिजीम में सालभर में 7.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले टैक्स फ्री हो जाएंगे जबकि पुरानी टैक्स रिजीम में साल में 5.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले ही टैक्स फ्री हो पाएंगे और किसी का वार्षिक वेतन 5.50 लाख से ज्यादा है तो उन्हें बाकी की रकम को टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों में लगाना होगा।
2. पुरानी टैक्स रिजीम में निवेश करने पर टैक्स तो बच जाता है, लेकिन टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर नई टैक्स रिजीम के मुकाबले ज्यादा टैक्स भरना पड़ेगा। यानी, पुरानी टैक्स रिजीम में विभिन्न पेंशन स्कीम, इंश्योरेंस स्कीम, टैक्स सेवर म्यूचुएल फंड्स प्रीमियम, मेडिक्लेम प्रीमियम, बच्चों की स्कूल फी आदि पर टैक्स में कुछ छूट तो मिल जाती है, लेकिन टैक्स की दरें ऊंची होती हैं। वहीं, नई टैक्स रिजीम में टैक्स की दरें कम हैं।
जानकारों की मानें तो सैलरी पाने वाले लोगों को नई टैक्स प्रणाली से कोई फायदा नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसमें उन्हें HRA, LTA , स्टैंडर्ड डिडक्शन, सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली कर छूट नहीं मिलेगी।
वहीं नॉन-रेजिडेंट के लिए ये नई व्यवस्था फायदेमंद है। क्योंकि वे ज्यादातर छूट का दावा नहीं करते हैं। नई व्यवस्था में कंप्लायंसेज कम हैं और रिटर्न फाइल करना बेहद आसान है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
कैसे चुनें अपने लिए सही रिजीम
आपको किस रिजीम में कम टैक्स देना पड़ेगा, ये देखने के लिए आप टैक्स कैलकुलेटर की सहायता ले सकते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाने के बाद एक नया टैक्स कैलकुलेटर जारी किया था, ताकि टैक्सपेयर्स ये कैलकुलेट कर सकें कि उनकी आय पर किस रिजीम में कितना टैक्स बन रहा है. ये कैलकुलेटर आपको शाला सुगम वेबसाइट पर मिल जाएगा. यहाँ क्लिक करेंEstimate Income Tax 2023 24 For PEEO & All Office By Heera Lal
कक्षा 10 के लिए विज्ञान विषय का शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
आप मित्रो से आग्रह हैं कि हमने बड़ी मेहनत से इस आर्टिकल की 💯% शुद्धता के साथ, सटीक और ऑफिशियल जानकारी आपके लिए एकत्र करके SHARE की हैं | इस कार्य में हमारे मित्रो की टीम ने मिलकर सहयोग किया हैं 🙏🏻 अत: आप इस पोस्ट के लिंक को अपने मित्रो, साथियों और सहकर्मियों तक सोशल मिडिया प्लेटफोर्म पर जरूर शेयर करें और नीचे दिए सोशल मीडिया से जरूर जुड़े|
आपके लिए महत्वपूर्ण उपयोगी नवीन जानकारी जरूर देखें
“Level” in the SEVENTH 7TH PAY METRIXshall mean the Level corresponding to the existing Pay Band and Grade Pay or scale specified in Part A of the Schedule as per Gazette Notification on 25th July 7th CPC – Revised Pay Rules, 2016; Normally as we all know in column 12 indicates pay level 11 in the recommended pay matrix
2 : What is the basic salary?
“basic pay” in the revised pay structure means the pay drawn in the prescribed Level in the Pay Matrix;
3 : What is SEVENTH 7TH PAY METRIX Level?
SEVENTH 7TH PAY METRIX Level of posts.– The Level of posts shall be determined in accordance with the various Levels as assigned to the corresponding existing Pay Band and Grade Pay or scale as specified in the Pay Matrix. There are 18 levels in pay matrix.The horizontal range corresponds to ‘functional role in the hierarchy’ and vertical level denotes ‘pay progression’.
4 : What is the salary of grade pay is 6000?
The grade pay system is only for 6th CPC. it has been changed in 7th CPC as pay levels. The top two rows in the recommended pay matrix denotes 6th Pay commission. In the pay matrix, 6000 grade in 6th CPC has now changed pay level 11 in 7th CPC. Salary depends upon the position of an employee in the hierarchy of an organisation.
In case an employee appointed in direct requirement under pay level 11, He/She will be fixed with the basic salary of Rs.67700 (not a cross salary)
5 : How is basic salary set?
Basic salary fixed based Level of posts shall be determined in accordance with the various Levels as assigned to the corresponding existing Pay Band and Grade Pay or scale as specified in the Pay Matrix. There are 18 levels in pay matrix.The horizontal range corresponds to ‘functional role in the hierarchy’ and vertical level denotes ‘pay progression’. Which cell as per your eligibility based that cell set is your basic