LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD: नमस्कार, शिक्षक, साथियों और कार्यालय कर्मचारियों व अहरण वितरण अधिकारियों, इस आर्टिकल के अंदर हम LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD लेकर आये है जो हमारे साथी अध्यापक श्री उम्मेद तरड सर के द्वारा निर्मित है। इस एक्सेल शीट प्रोग्राम के सहायता से आप अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के एमएसपी के ऑर्डर (BEST MACP OFFICE ORDER) व एरियर की गणना कर सकेंगे तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रपत्र तैयार कर सकेंगे।
LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD दिनांक 01-04-2023 से देय संशोधित आश्वासित कैरियर प्रगति योजना गणनाकुछ ही आसान पूर्तियां करके तैयार करें –MACP फिटिंग ऑर्डर, एरियर, एप्लीकेशन तथा विकल्प पत्र
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LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD
LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD
ummed tarad
श्री उम्मेद तरड सर
अध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रायमलवाडा तह. बापिनी जिला- जोधपुर
LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD
(Modified Assured Career Progression Scheme)
विषयः-राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 के नियम 14, Modified Assured Career Progression Scheme (एमएसीपी) योजना के संबंध में FAQ
वित्त (नियम) विभाग की समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 06.10.2023 के द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 के नियम 14 में Modified Assured Career Progression Scheme (एमएसीपी) योजना दिनांक 01.04.2023 से लागू की गई है। उक्त योजना के सम्बन्ध में नियमों की व्याख्या के क्रम में FAQ निम्नानुसार हैं:-
प्रश्न 01 – क्या 01.04.2023 से पहले सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों/अधिकारियों पर वित्त विभाग की अधिसूचना दिनांक 06.10.2023 के अनुसार एमएसीपी अनुमत है ?
उत्तर – एमएसीपी के प्रावधान दिनांक 01.04.2023 से प्रभावी किये गये हैं। अतः इससे पूर्व सेवानिवृत्त कार्मिकों को इसका लाभ देय नहीं है।
प्रश्न 02 – क्या दिनांक 01.04.2023 से पहले स्वीकृत एसीपी की तिथि से काल्पनिक रूप से एमएसीपी में वेतन का निर्धारण किया जायेगा एवं दिनांक 01.04.2023 से उसका नकद लाभ देय होगा ?
उत्तर – एमएसीपी योजना दिनांक 01.04.2023 से लागू की गई है। अतः इससे पूर्व की अवधि में काल्पनिक रूप से वेतन का निर्धारण नहीं किया जायेगा। एमएसीपी के तहत दिनांक 01.04.2023 को नियमानुसार देय पे-लेवल में वेतन का पुनर्निर्धारण नियम 14(2) (iii) के प्रावधानों के अनुसार दिनांक 01.04.2023 को किया जायेगा। LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD
प्रश्न 03 – क्या आगामी पदोन्नति अथवा एसीपी तक एसीपी योजना में बने रहने अथवा एमएसीपी योजना का लाभ लेने के लिये विकल्प दिया जाना अनिवार्य है?
उत्तर – अधिसूचना दिनांक 06.10.2023 से 05.01.2024 तक अर्थात तीन माह के अन्दर कार्यालयाध्यक्ष को लिखित रूप में एमएसीपी या एसीपी का विकल्प देना होगा। तीन महीने की निर्धारित अवधि के अन्दर विकल्प प्रस्तुत नहीं करने पर एमएसीपी का विकल्प दिया हुआ माना जायेगा।
प्रश्न 04 – 01.04.2023 को एमएसीपी योजना के तहत एमएसीपी की स्वीकृति देने या पे-लेवल के पुनर्निर्धारण के लिए सक्षम अधिकारी कौन है?
उत्तर – नियम 14(7) के अनुसार नियुक्ति प्राधिकारी सक्षम हैं। नियुक्ति अधिकारी के द्वारा एमएसीपी पे-लेवल की स्वीकृति दिये जाने के पश्चात वेतन निर्धारण सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष द्वारा किया जायेगा।
प्रश्न 05 – दिनांक 01.04.2023 को किन कार्मिकों का एमएसीपी के पे-लेवल में वेतन का पुनः निर्धारण किया जायेगा?
उत्तर – ऐसे कार्मिक जिन्हें नियम 14 के उप-नियम (3) के प्रावधानों के अध्यधीन देय पे-लेवल से नीचे का पे-लेवल स्वीकृत है। उनका एमएसीपी के तहत देय पे-लेवल स्वीकृत किया जायेगा तथा नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार एमएसीपी के दिनांक 01.04.2023 को देय पे-लेवल में समान स्तर पर वेतन निर्धारित किया जायेगा और यदि पे-लेवल में समान स्तर नहीं है तो तत्काल आगामी स्तर पर वेतन निर्धारित किया जायेगा।
प्रश्न 06 – यदि किसी कार्मिक की पदोन्नति एवं आगामी एमएसीपी दोनों 01.04.2023 को देय होती है तो वेतन निर्धारण किस प्रकार किया जायेगा अर्थात पहले पदोन्नति पद के पे-लेवल में वेतन निर्धारण होगा या एमएसीपी के पे-लेवल में वेतन निर्धारण होगा?
उत्तर – यदि किसी कार्मिक की पदोन्नति एवं आगामी एमएसीपी दोनों दिनांक 01.04.2023 को देय होती है तो प्रथमतः कार्मिक का पदोन्नति पद के पे-लेवल में वेतन निर्धारित किया जायेगा तत्पश्चात् आगामी देय एमएसीपी के पे-लेवल में वेतन निर्धारित किया जायेगा। LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD
प्रश्न 07 – Same Service/Cadre से क्या आशय है?
उत्तर – Same Service/Cadre का आशय कार्मिक की जिस सेवा/संवर्ग में नियमित नियुक्ति हुई है। उस सम्बन्धित सेवा के सेवा नियमों में उल्लेखित पदोन्नति के पदों से है। अधीनस्थ सेवा में नियुक्त कर्मचारी की अधीनस्थ सेवा के पदोन्नति पद से है। राज्य सेवा के पद पर नियुक्त कर्मचारी की राज्य सेवा के पदोन्नति पद से है। अधीनस्थ सेवा के पद से राज्य सेवा में पदोन्नति के पद Same Service के नहीं है। उदाहरणार्थ- किसी कार्मिक की नियुक्ति कनिष्ठ लेखाकार के पद पर हुई है यह पद राजस्थान अधीनस्थ लेखा सेवा का पद है इस सेवा के पदोन्नति पद क्रमशः सहायक लेखाधिकारी ग्रेड-।। व सहायक लेखाधिकारी ग्रेड। है। इस सेवा के कार्मिको का आगामी पदोन्नति पद लेखाधिकारी है। लेखाधिकारी का पद राजस्थान लेखा सेवा का पद है। अतः कनिष्ठ लेखाकार, सहायक लेखाधिकारी ग्रेड ।। व सहायक लेखाधिकारी ग्रेड। पद पर कार्यरत कार्मिक को एमएसीपी योजना के तहत वेतन उन्नयन का लाभ स्वीकृत करने हेतु लेखाधिकारी का पद राज्य सेवा का पद होने के कारण Same Service का पद नहीं है।
प्रश्न 08 – एसीपी के स्थान पर एमएसीपी के पे-लेवल में वेतन निर्धारण किस नियम के तहत किया जायेगा?
उत्तर – दिनांक 01.04.2023 को देय एमएसीपी के पे-लेवल में नियम 14(2) (iii) के प्रावधान के अनुसार पे-लेवल के सैल में वेतन निर्धारित किया जायेगा।
प्रश्न 09 – दिनांक 01.01.2013 को कनिष्ठ अभियन्ता के पद पर नियमित रूप से नियुक्त एवं जिसकी कोई पदोन्नति नहीं हुई है और दिनांक 01.01.2022 को 9 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण कर दिनांक 01.04.2023 से पहले प्रथम एसीपी के रूप में पे-लेवल एल-11 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक का दिनांक 01.04.2023 को प्रथम एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?
उत्तर – कनिष्ठ अभियन्ता का पद अधीनस्थ सेवा का पद है इस पद से सहायक अभियन्ता के पद पर पदोन्नति होती है जो कि राज्य सेवा का पद है। इसलिये पदोन्नति पद Same Service में नहीं होने के कारण उक्त कनिष्ठ अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को प्रथम एमएसीपी पर पे-लेवल एल-12 (नियम 14 (5) के अनुसार) देय होगा। ऐसे कनिष्ठ अभियन्ता का दिनांक 01.04.2023 को पे-लेवल एल-12 में वेतन निर्धारण नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार होगा।
प्रश्न 10 – कनिष्ठ अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.2004 को नियुक्त हुआ एवं जिसकी कोई पदोन्नति नहीं हुई है और 18 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर द्वितीय एसीपी के रूप में पे-लेवल एल-12 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?
उत्तर – उक्त कनिष्ठ अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी में पे-लेवल एल-14 (नियम 14 (5) के अनुसार) देय होगा। ऐसे कनिष्ठ अभियन्ता का दिनांक 01.04.2023 को पे-लेवल एल-14 में वेतन निर्धारण नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार होगा। LATEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET UMMED TARAD
प्रश्न 11 – कनिष्ठ अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.1995 को नियुक्त हुआ एवं जिसकी कोई पदोन्नति नहीं हुई है और 27 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर तृतीय एसीपी (एक चयनित वेतनमान एवं 2 एसीपी प्राप्त कर) में पे-लेवल ल-15 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?
उत्तर – उक्त कनिष्ठ अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में पे-लेवल एल-15 (नियम 14 (5) के अनुसार) यथावत देय होगा।
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BEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET CP KURMI: नमस्कार, शिक्षक, साथियों और कार्यालय कर्मचारियों व अहरण वितरण अधिकारियों, इस आर्टिकल के अंदर हम BEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET CP KURMI लेकर आये है जो हमारे साथी व्याख्याता, श्री सी पी कुर्मी सर के द्वारा निर्मित है। इस एक्सेल शीट प्रोग्राम के सहायता से आप अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के एमएसपी के ऑर्डर (BEST MACP OFFICE ORDER) व एरियर की गणना कर सकेंगे तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रपत्र तैयार कर सकेंगे।
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BEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET CP KURMI
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MACP आदेश 01/04/2023 से लागू होगा एवम 01/04/23 से पूर्व स्वीकृत ACP का कोई संशोधित नोशनल वेतन निर्धारण नही होगा ।
01/04/2023 से पूर्व स्वीकृत एसीपी का, पात्र MACP लेवल में संशोधित वेतन निर्धारण 01/04/23 से होगा एवम 01/04/2023 से ही एरियर का नगद भुगतान होगा।
पूर्व में स्वीकृत ACP का MACP में संशोधित वेतन का निर्धारण नियम 14(2)(iii) के अनुसार स्वीकृत MACP लेवल में समान स्टेज एवम समान स्टेज नही होने पर आगामी स्टेज में वेतन का निर्धारण होगा।
01/04/2023 के बाद स्वीकृत होने वाली MACP में वेतन का निर्धारण नियम 14(8) के अनुसार वर्तमान पे लेवल में एक इंक्रीमेंट का लाभ देने के बाद स्वीकृत MACP पे लेवल में समान सेल होने पर आगामी सेल पर वेतन का निर्धारण होगा।
पदोन्नति के कारण MACP की कई परिस्थितियां बनती है उस स्थिति में FD के आदेश 06/10/23 के अनुसार MACP स्वीकृत होगी। यहां पर केवल सीधी भर्ती से नियुक्ति पर सिंपल सीढ़ी में मिलने वाली MACP का उल्लेख किया गया है।
BEST MACP OFFICE ORDER ARREAR EXCEL SHEET CP KURMIपोस्ट केवल आपकी सुविधा के लिए बनाई गई है इसमें कोई भी मतांतर होने पर FD की अधिसूचना दिनांक 06/10/23 एवम FD के स्पष्टीकरण FAQ आदेश 05/12/23 के निर्देशानुसार कार्यवाही करावे।
साभार :
1 दिलीप कुमार
2 अनिल कुमार महला
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Latest MACP Office Order and Arrear Sheet : नमस्कार, शिक्षक साथियों। इस आर्टिकल के में हम आपके लिए MACP (एमएसपी) से रिलेटेड महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर ARREAR SHEET ओर MACP (एमएसपी) से संबंधित महत्वपूर्ण आदेश और सर्कुलर (MACP Office Order) लेकर आए हैं। हमें उम्मीद है कि ये आपके लिए फायदेमंद होंगे | आपसे आग्रह है कि आप इस आर्टिकल को अपने शिक्षक साथियों, कार्यालय कर्मचारियों और आहरण वितरण अधिकारियों को शेयर करेंगे ताकि उनको भी Latest MACP Office Order and Arrear Sheet की महत्वपूर्ण जानकारी मिल सके और इस महत्वपूर्ण जानकारी का वो उपयोग कर सकें।
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New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates : सैलरीड क्लास को बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें इनकम टैक्स को लेकर होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि देश में इनकम टैक्स के स्ट्रक्चर को समझना। देश में अभी आम आदमी के लिए कितने टैक्स स्लैब हैं? ये कैसे काम करते हैं? आइए जानते हैं-
फिलहाल देश में इनकम टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं। पहली, जिसे ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab Or Regime) के नाम से जाना जाता है। वहीं साल 2020 में सरकार ने नई टैक्स प्रणाली (New Tax Slab) शुरू की। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने में आसानी करने के लिए ये नई व्यवस्था शुरू की गई थी। देश में हालांकि नई टैक्स प्रणाली शुरू करने के साथ ही अभी पुरानी टैक्स प्रणाली को भी बरकरार रखा गया है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
अगर आप सैलरीड प्रोफेशनल हैं तो आपकी कंपनी ने आपको अभी तक इन्वेस्टमेंट डेक्लेरेशन का फॉर्म दे भी दिया होगा. साथ ही आपको अपना इनकम टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प भी दिया जा रहा है. आपको अभी अपने इंप्लॉयर को ये बताना है कि आप किस टैक्स रिजीम में अपना टैक्स रिटर्न फाइल करेंगे. इस बार के बजट में न्यू टैक्स रिजीम में काफी बदलाव हुए हैं, जिसके बाद अब 7 लाख या इससे कुछ ऊपर की आय वाले टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुनना पसंद कर सकते हैं. ऐसे में आपके लिए भी जरूरी है कि टैक्स फाइलिंग के पहले आइए जानते हैं क्या है नई और पुरानी टैक्स प्रणाली-
ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab)
पुराने टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स देय नहीं होता है। इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स से छूट मिलती है। इस हिसाब से देखा जाए तो टैक्सपेयर्स को करीब 6.5 लाख तक की सालाना इनकम पर टैक्स से छूट मिल जाती है यानी कि कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है।
ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स का जो रेट लगता है वो खासतौर पर इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है। इसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
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इसके अलावा टैक्स में उम्र के हिसाब से भी कैलकुलेशन होता है। 60 साल से कम की उम्र है तो पुराने टैक्स स्लैब के तहत 2.5 लाख तक की आय पर टैक्स रेट शून्य रहेगा। वहीं 2.5 से 5 लाख तक इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा और इसमें सेक्शन 87A के अंतर्गत रिबेट भी मिलती है।
वहीं 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर ये टैक्स दर 20 फीसदी है। 7.5 से 10 लाख रुपये तक की आय पर ये टैक्स दर बढ़कर 20फीसदी हो जाती है। 10 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। 15 लाख से ज्यादा की इनकम पर 30फीसदी टैक्स लगता है।
इसके अलावा अगर टैक्सपेयर की उम्र 60 साल से 79 साल के बीच है, तो सीनियर सिटीजन कैटेगरी में आने पर उन्हें 3 लाख तक इनकम पर टैक्स से छूट है। अगर इनकम 3 से 5 लाख है तो जो टैक्स 5फीसदी देना होगा, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30फीसदी टैक्स देय है।
इसके अलावा अगर उम्र 80 से अधिक है तो फिर 5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स देना होता है।
साल 2020 से शुरू हुए नई टैक्स प्रणाली में टैक्स रेट को कम रखा गया है। नई टैक्स प्रणाली पुरानी से कई मायनों में अलग है। इसमें कम दर के साथ स्लैब ज्यादा हैं। इसके अलावा पुराने टैक्स प्रणाली की तुलना में इसमें कई तरह की छूट और कटौती इसमें नहीं मिलतीं।
न्यू टैक्स रिजीम में इनकम में इजाफा होने के साथ ही, टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है।
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नई टैक्स रिजीम में 87A के तहत दोगुना टैक्स माफ कर रही है सरकार
अगर किसी सैलरीड पर्सन की सालाना आमदनी 7.50 लाख रुपये तक है तो नई टैक्स रिजीम में तो उसे एक रुपये का भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन पुरानी कर व्यवस्था में उसे इनकम टैक्स शून्य करने के लिए 2 लाख रुपये का निवेश दिखाना होगा। आम तौर पर 7.50 लाख रुपये की सालाना सैलरी वाले व्यक्ति के लिए वर्ष में 2 लाख रुपये का निवेश कर पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में 2 लाख रुपये से जितनी कम रकम निवेश करेंगे, उतना ज्यादा टैक्स देना होगा।
लेकिन नई टैक्स रिजीम चुनते हैं तो एक रुपये का निवेश किए बिना 7.50 लाख रुपये की सालाना इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाती है। दरअसल, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 87ए के तहत ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक पर बनने वाला 12,500 हजार रुपये किया जा रहा है। इसी तरह, अब नई टैक्स रिजीम में भी 3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये पर बनने वाला 25 हजार रुपये का टैक्स सरकार माफ कर देगी।
ओल्ड टैक्स प्रणाली में सेक्शन 80 C और 80 D के तहत टैक्सपेयर्स टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन नई व्यवस्था में इस तरह की कई छूटों को खत्म कर दिया गया है। यही वजह है कि इस नई टैक्स प्रणाली को बहुत ही कम लोगों ने अपनाया है।
1. नई टैक्स रिजीम में सालभर में 7.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले टैक्स फ्री हो जाएंगे जबकि पुरानी टैक्स रिजीम में साल में 5.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले ही टैक्स फ्री हो पाएंगे और किसी का वार्षिक वेतन 5.50 लाख से ज्यादा है तो उन्हें बाकी की रकम को टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों में लगाना होगा।
2. पुरानी टैक्स रिजीम में निवेश करने पर टैक्स तो बच जाता है, लेकिन टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर नई टैक्स रिजीम के मुकाबले ज्यादा टैक्स भरना पड़ेगा। यानी, पुरानी टैक्स रिजीम में विभिन्न पेंशन स्कीम, इंश्योरेंस स्कीम, टैक्स सेवर म्यूचुएल फंड्स प्रीमियम, मेडिक्लेम प्रीमियम, बच्चों की स्कूल फी आदि पर टैक्स में कुछ छूट तो मिल जाती है, लेकिन टैक्स की दरें ऊंची होती हैं। वहीं, नई टैक्स रिजीम में टैक्स की दरें कम हैं।
जानकारों की मानें तो सैलरी पाने वाले लोगों को नई टैक्स प्रणाली से कोई फायदा नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसमें उन्हें HRA, LTA , स्टैंडर्ड डिडक्शन, सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली कर छूट नहीं मिलेगी।
वहीं नॉन-रेजिडेंट के लिए ये नई व्यवस्था फायदेमंद है। क्योंकि वे ज्यादातर छूट का दावा नहीं करते हैं। नई व्यवस्था में कंप्लायंसेज कम हैं और रिटर्न फाइल करना बेहद आसान है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
कैसे चुनें अपने लिए सही रिजीम
आपको किस रिजीम में कम टैक्स देना पड़ेगा, ये देखने के लिए आप टैक्स कैलकुलेटर की सहायता ले सकते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाने के बाद एक नया टैक्स कैलकुलेटर जारी किया था, ताकि टैक्सपेयर्स ये कैलकुलेट कर सकें कि उनकी आय पर किस रिजीम में कितना टैक्स बन रहा है. ये कैलकुलेटर आपको शाला सुगम वेबसाइट पर मिल जाएगा. यहाँ क्लिक करेंEstimate Income Tax 2023 24 For PEEO & All Office By Heera Lal
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श्री हीरा लाल जाट
वरिष्ट अध्यापक : राजकीय महात्मा गाँधी विद्यालय बर (पाली)
हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड में की जाने वाली महत्वपूर्ण टिप्पणियां, Comments in CCE Holistic Report Card / Important Notes to be Made in Holistic Report Card
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Guidelines suspension reinstatement of Employees : लोकसेवक बहाली निलंबन को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है – खास सरकार ने अपराध की प्रकृति और अलग-अलग स्थितियों अनुसार लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर पहली बार बहुत विस्तार से दिशानिर्देश जारी किए हैं| Guidelines suspension reinstatement of Employees
कार्मिक विभाग की ओर से जारी इन दिशानिर्देशों के तहत किसी भी लोकसेवक से जुड़े आपराधिक प्रकरण में पुलिस या संबंधित अनुसंधान एजेंसी के 2 साल तक कोर्ट में चालान पेश नहीं करने पर बहाली के लिए समिति के सामने उसके प्रकरण को रखा जा सकता है. इसी तरह अलग-अलग स्थितियों में निलंबन, बहाली या अन्य कार्रवाइयों के लिए व्यापक लाइन ऑफ एक्शन तय किया गया है।
कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार ने विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों/ प्रमुख सचिवों/ सचिवों को परिपत्र जारी करके लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर अलग-अलग स्थितियों अनुसार विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
A. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. किसी लोकसेवक को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया जाता है अथवा भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य मामले में 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो संबंधित लोकसेवक को तत्काल निलम्बित किया जावें।
लोकसेवकों के ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति जारी होने तथा सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु गठित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य प्रकरणों (रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तारी से भिन्न) में, आय से अधिक सम्पत्ति अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रकरणों में यदि संबंधित लोक सेवक को पूर्व में निलम्बित नहीं किया गया है तो प्रकरण में लोकसेवक के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति जारी होने पर प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
B. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध जघन्य (Heinous), गंभीर (Grievous) आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous ) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे । Guidelines suspension reinstatement of Employees
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
C. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुचाने या पदीय दुरूपयोग संबंधी अन्य आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरुपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे।
लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरूपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
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D. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न)
पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
ऐसे प्रकरणों में निलम्बित लोकसेवकों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय नियम 13 ( 5 ) के तहत प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार करते हुए निलम्बन से बहाल करने के आदेश जारी किये जा सकते हैं। निलम्बन से बहाली हेतु ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने की आवश्यकता नहीं है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
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1. पुनर्विलोकन समिति प्रत्येक प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार कर लोक सेवक के निलम्बन को समाप्त करने अथवा यथावत् रखने बाबत अपनी अभिशंषा करेगी। समिति की अभिशंषा पर निलम्बन से बहाली पश्चात् संबंधित विभाग लोक सेवक का पदस्थापन न्यून जनसंपर्क एवं कम महत्व के पद पर ऐसे अन्यत्र स्थान पर किया जाना सुनिश्चित करेगा जो कि उसके घटना स्थल से भिन्न एवं दूरस्थ स्थान पर हो । Guidelines suspension reinstatement of Employees
2. आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन से संबंधित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने योग्य मामलों में यदि अनुसंधान एजेंसी द्वारा 2 वर्ष की अवधि व्यतीत होने के पश्चात् भी अनुसंधान पूर्ण कर सक्षम न्यायालय में चालान अथवा सक्षम प्राधिकारिता को अभियोजन प्रस्ताव प्रेषित नहीं किया गया है तो ऐसे निलम्बित लोकसेवक के प्रकरण को भी बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखा जावे।।
3. पुनर्विलोकन समिति की बैठक चार माह में एक बार आवश्यक रूप से आयोजित की जावेगी।
4. आपराधिक मामलों में निलम्बित लोकसेवकों द्वारा निलम्बन आदेश के विरूद्ध मा. न्यायालय में याचिका / अपील दायर करने तथा मा. न्यायालय द्वारा सक्षम प्राधिकारी को सेवा नियमों के अनुरूप प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करने के निर्देश दिए जाने पर संबंधित प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण आधारित परीक्षण कर सक्षम प्राधिकारी द्वारा समुचित स्वमुखरित / सकारण आदेश (Speaking order) जारी किए जावे। ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष नहीं रखा जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
5. यदि किसी आपराधिक प्रकरण में विचारण न्यायालय द्वारा किसी लोक सेवक को दोषमुक्त कर दिया गया है तो ऐसे लोकसेवक को सामान्यतः निलम्बन से बहाल कर दिया जाना चाहिए चाहे राज्य सरकार ने ऐसे प्रकरण में मा, न्यायालय के आदेश के विरूद्ध अपील दायर कर दी हो। ऐसे मामलों में पुनर्विलोकन समिति की अभिशंषा की आवश्यकता नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees
6. आपराधिक प्रकरणों में लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम प्राधिकारी द्वारा यदि अभियोजन मनाही का निर्णय लिया गया है तो ऐसे प्रकरणों में निलम्बन समाप्त कर बहाली आदेश जारी किये जायेंगे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
7. लोक सेवक को 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखे जाने पर निलम्बन का आदेश नियम 13(2) के तहत् जारी किया जावे तथा शेष अन्य मामलों में निलम्बन का आदेश नियम 13 (1) के तहत् जारी किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees CLICK HERE
यहाँ हम राजस्थान सरकार के कार्मिको के लिए जारी दिशा निर्देश का एक सार प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं कि –
इन दिशानिर्देशों में यह है खास:-
– अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने जो प्रकरण रखे जाते हैं उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान पेश नहीं किया तो बहाली संभव है.
– इसके लिए चालान पेश नहीं होने पर 2 साल बाद प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जा सकता है.
– समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी.
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी.
– इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
– बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखने.कम महत्व के पद पर ऐसी जगह पोस्टिंग करने के हैं निर्देश जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो.
– रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने वाले प्रकरण.
– रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने व 48 घंटे तक कस्टडी में रहे तो संबंधित लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.
– ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति होने,कोर्ट में चालान पेश हो तो निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
– ऐसे लोकसेवक को पूर्व में निलंबित नहीं किया गया हो तो प्रकरण में लोकसेवक की जब अभियोजन स्वीकृति जारी होगी तब सक्षम अधिकारी परीक्षण करके निलंबन संबंधी लेंगे निर्णय.
– प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रवृत्ति, गंभीरता अनुरूप निर्णय के निर्देश.
– साथ ही लोकसेवक अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा और साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना का ध्यान रखकर निर्णय के निर्देश.
– प्रकरण में निलंबित करने पर कोर्ट में चालान पेश होने पर रखा जाएगा प्रकरण
– पुनर्विलोकन समिति के सामने निलंबन से बहाली के लिए रखा जाएगा.
दूसरी स्थिति:-
हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या के प्रकरण हों, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग हो. ऐसे प्रकरणों में लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा में यदि 48 घंटे तक रखा जाए तो ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.
– इन प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश हो तो करेगी समिति विचार.
– तब निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
– राजकोष को हानि पहुंचाने, पद दुरूपयोग के अन्य प्रकरण, अन्य पुलिस द्वारा रजिस्टर्ड आपराधिक प्रकरण जैसी श्रेणियों अनुसार निर्देश.
तीसरी स्थिति:-
हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी,भ्रूण हत्या मादक पदार्थों की तस्करी, सार्व.परीक्षा में अनुचित साधन उपयोग हो तो ऐसे आपराधिक प्रकरण में यदि लोकसेवक गिरफ्तार नहीं हुआ हो या गिरफ्तारी पर पुलिस/न्यायिक कस्टडी अवधि 48 घंटे या इससे कम है तो प्रकरण के तथ्यों,आरोप प्रकृति व गंभीरता अनुसार, लोकसेवक के अनुरूप आचरण या साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना के आधार पर होगा निर्णय.
– इन आधारों पर निलंबन को लेकर परीक्षण बाद होगा निर्णय
– निलंबन पर कोर्ट में चालान पेश हुआ तो बहाली के लिए हो सकेगा विचार
– इसके लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण
चौथी स्थिति:-
गबन,पद के दुरूपयोग,राजकोष को हानि पहुंचाने के हों प्रकरण या पदीय दुरूपयोग के हों अन्य आपराधिक प्रकरण और लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों तक रखा कस्टडी में तो ऐसा लोकसेवक होगा तुरंत निलंबित.
– ऐसे प्रकरणों में कोर्ट ने यदि चालान पेश किया तो बहाली पर होगा विचार.
– ऐसे प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे बहाली के लिए.
– ऐसे प्रकरणों में गिरफ्तारी नहीं हो या 48 घंटे या उससे कम की हो कस्टडी तो विभिन्न मापदंड ध्यान में रखकर लिया जाएगा निलंबन का निर्णय.
– ऐसे प्रकरण में निलंबन होने पर कोर्ट में चालान पेश हो तो बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जाएगा विचार के लिए.
पांचवीं स्थिति:-
जघन्य, गंभीर, गबन आदि के प्रकरणों के अलावा हो आपराधिक प्रकरण तो भी लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों की कस्टडी में लिया जाए.
– तो भी ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित किया जाए.
– यदि गिरफ्तार नहीं किया या कस्टडी 48 घंटे या इससे कम है तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर होगा निलंबन का निर्णय
– बहाली के लिए समिति के सामने नहीं रखे जाएंगे ऐसे प्रकरण और समिति में विचार के बाद हो सकती बहाली.
छठी स्थिति:-
अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने रखे जानेवाले हैं जो प्रकरण उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान नहीं किया पेश तो बहाली के लिए प्रकरण रखा जा सकता पुनर्विलोकन समिति के सामने.
– समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी
– इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
– बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखा जाएगा.
– कम महत्व के पद पर ऐसी जगह होगी उसकी पोस्टिंग
– जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो, यह करना होगा सुनिश्चित.
अन्य निर्देश:-
– बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति की बैठक 4 माह में हो 1 बार
– निलंबन आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका/ अपील दायर की हो या कोर्ट अधिकारी को प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करे तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर सक्षम अधिकारी करेगा परीक्षण.
– संबंधित प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता का रखें ध्यान.
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, मौजूदा स्थिति पर हो विचार.
– फिर अधिकारी कारण सहित जारी करे स्पीकिंग ऑर्डर.
– ऐसे प्रकरण नहीं रखे जाएं पुनर्विलोकन समिति के सामने आपराधिक प्रकरण में कोर्ट लोकसेवक को दोषमुक्त कर दे तो ऐसे लोकसेवक को निलंबन से किया जाए बहाल
– भले ही कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने की हो अपील तब पुनर्विलोकन समिति की नहीं ली जाए अभिशंसा
– यदि सक्षम अधिकारी अभियोजन के लिए करता है मनाही तो ऐसे प्रकरणों में निलंबन समाप्त कर बहाली की जाए
दरअसल, कई बार अलग-अलग मामलों में विभागों की ओर से लाइन ऑफ एक्शन के लिए राय ली जाती है, इसलिए ये दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
यहाँ अब हम भारत सरकार के कार्मिक विभाग से जारी निर्देशों का उल्लेख कर रहे हैं जिसके तहत कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने जो निर्देश जारी किये हैं जो कि केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू होते हैं
No.DOPT-1667564457999
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग
(दिनांक 04 नवम्बर, 2022 )
निलंबन
निलंबन से संबंधित प्रावधान कई नियमों में फैले हुए हैं जैसे केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965, मौलिक नियम आदि। इसके अलावा, कई निलंबन के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले संचार के विभिन्न तरीकों जैसे ओएम आदि के रूप में कार्यकारी निर्देश समय-समय पर जारी किए गए हैं। अब, इन प्रावधानों के उचित कार्यान्वयन में मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से, इन प्रावधानों को समेकित करने और आवश्यकता पड़ने पर आसान पहुंच के लिए इन्हें सार्वजनिक डोमेन में रखने की आवश्यकता महसूस की गई है। तदनुसार, उक्त नियम/कार्यकारी निर्देश निम्नानुसार संकलित किए गए हैं: Guidelines suspension reinstatement of Employees
(A) निलंबन–
निलंबन, हालांकि जुर्माना नहीं है, लेकिन इसका सहारा संयमपूर्वक लिया जाना चाहिए। जब भी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित किया जाता है तो सरकार न केवल उसकी सेवाएं खो देती है बल्कि उसे बिना काम करने के लिए भुगतान भी करती है। इसके साथ एक कलंक भी जुड़ा होता है। इसलिए, किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने का निर्णय सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करना होगा। [ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 3]
(B) परिस्थितियाँ जिसके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा जा सकता है
(a) जहां, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार किया जा रहा है या लंबित है; या Guidelines suspension reinstatement of Employees
(b) जहां, सक्षम प्राधिकारी की राय में, उसने खुद को राज्य की सुरक्षा के हित के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल कर लिया है;
या
(c) जहां, किसी आपराधिक अपराध के संबंध में उसके खिलाफ मामला जांच, पूछताछ या परीक्षण के अधीन है। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(C) परिस्थितियाँ जिनके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा [निलंबन माना जाता है]
(a) यदि सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक की अवधि के लिए हिरासत में रखा जाता है, चाहे वह आपराधिक आरोप पर हो या अन्यथा;
(b) यदि, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने की स्थिति में, सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक कारावास की सजा सुनाई जाती है और उसे तुरंत बर्खास्त या हटाया नहीं जाता है या अनिवार्य रूप से नहीं हटाया जाता है ऐसी सजा के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्त हो गए।
स्पष्टीकरण – उपरोक्त खंड (बी) में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि की गणना दोषसिद्धि के बाद कारावास की शुरुआत से की जाएगी और इस प्रयोजन के लिए, कारावास की रुक-रुक कर अवधि, यदि कोई हो, को ध्यान में रखा जाएगा। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
किसी भी कारण से गिरफ्तार किए गए सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि वह अपनी गिरफ्तारी के तथ्य और उससे जुड़ी परिस्थितियों की जानकारी तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारी को दे, भले ही बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया हो। संबंधित व्यक्ति या किसी अन्य स्रोत से सूचना प्राप्त होने पर विभागीय अधिकारियों को यह निर्णय लेना चाहिए कि क्या व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार तथ्य और परिस्थितियां उसके निलंबन की मांग करती हैं। किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित करने में विफलता को महत्वपूर्ण जानकारी का दमन माना जाएगा और उसे केवल इस आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, उस कार्रवाई के अलावा जो परिणाम के आधार पर अपेक्षित हो सकती है। उसके खिलाफ पुलिस केस. [ओएम संख्या 39/59/54-स्था.(ए) दिनांक 25.02.1955]
(c) जहां निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना अपील में या समीक्षा पर अलग रखा जाता है और मामले को माफ कर दिया जाता है आगे की जांच या कार्रवाई या किसी अन्य निर्देश के साथ, उनके निलंबन का आदेश बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से लागू माना जाएगा और अगले आदेश तक लागू रहेगा। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(3)]
(d) जहां किसी सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड किसी निर्णय के परिणामस्वरूप रद्द या घोषित या शून्य कर दिया जाता है। कानून की अदालत और अनुशासनात्मक प्राधिकारी, मामले की परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, उन आरोपों पर उसके खिलाफ आगे की जांच करने का निर्णय लेते हैं, जिन पर मूल रूप से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना लगाया गया था, सरकारी कर्मचारी होगा बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा और अगले आदेश तक निलंबन के तहत रहना जारी रहेगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
बशर्ते कि ऐसी किसी भी आगे की जांच का आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि इसका उद्देश्य ऐसी स्थिति को पूरा करना न हो जहां न्यायालय ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना पूरी तरह से तकनीकी आधार पर आदेश पारित कर दिया हो। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(4)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(e) सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10(4) में विचारित आगे की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए, सिवाय उस मामले के जब बर्खास्तगी, निष्कासन का दंड हो या अनिवार्य सेवानिवृत्ति को तकनीकी आधार पर किसी न्यायालय द्वारा मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना या जब नई सामग्री सामने आई हो जो न्यायालय के समक्ष नहीं थी, रद्द कर दी गई हो। हालाँकि, उन आरोपों की आगे की जाँच, जिनकी जाँच न्यायालय द्वारा नहीं की गई है, नियम 10(4) के तहत विभागीय अधिकारियों द्वारा आदेश दिया जा सकता है ibid निर्भर करता है प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर। [ओएम संख्या 11012/24/77-स्था.(ए) दिनांक 18.03.1978] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(f) एक प्रश्न कि क्या सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 (2) के तहत आने वाले मामले में निलंबन के आदेश की अवधि के लिए सीमित कार्रवाई है हिरासत और इससे परे नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राजीव कुमार (2003 (5) स्केल 297) के मामले में विचार किया था। इस मामले में भारत संघ की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नियम 10 (2) के संदर्भ में आदेश नहीं है। अवधि या प्रभावकारिता का बिंदु केवल हिरासत की वास्तविक अवधि तक। यह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम 5 (ए) में दिए गए उप-नियम 5 (सी) के तहत संशोधित या निरस्त होने तक क्रियाशील रहेगा। [ओएम संख्या 11012/8/2003-स्था.(ए) दिनांक 23.10.2003] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(D) ऐसी परिस्थितियाँ जिनके तहत सक्षम प्राधिकारी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित [मार्गदर्शन के लिए रखने पर विचार कर सकता है और इसे नहीं लिया जाना चाहिए अनिवार्य].
(i) ऐसे मामले जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से जांच, मुकदमे या किसी पूछताछ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा (उदाहरण के लिए गवाहों या दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका);
(ii) जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से उस कार्यालय में अनुशासन गंभीर रूप से नष्ट होने की संभावना है जिसमें लोक सेवक काम कर रहा है;
(iii) जहां सरकारी कर्मचारी का पद पर बने रहना व्यापक सार्वजनिक हित के विरुद्ध होगा [(i) और (ii) द्वारा कवर किए गए लोगों को छोड़कर] जैसे कि वहां सार्वजनिक घोटाला है और ऐसे घोटालों, विशेषकर भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों से सख्ती से निपटने की सरकार की नीति को प्रदर्शित करने के लिए सरकारी कर्मचारी को निलंबित करना आवश्यक है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
(iv) जहां सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं और प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है जो उसके अभियोजन को उचित ठहराएगा या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है विभागीय कार्यवाही, और जहां कार्यवाही उसकी दोषसिद्धि और/या बर्खास्तगी, निष्कासन या सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति में समाप्त होने की संभावना है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
ध्यान दें: पहले तीन परिस्थितियों में अनुशासनात्मक प्राधिकारी अपने विवेक का प्रयोग करके किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित कर सकता है, भले ही मामले की जांच चल रही हो और प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने से पहले भी।
(v) नीचे बताई गई परिस्थितियों में निलंबन वांछनीय हो सकता है:-
a) कोई भी अपराध या आचरण जिसमें नैतिक अधमता शामिल हो;
b) भ्रष्टाचार, सरकारी धन का गबन या दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति का कब्ज़ा, व्यक्तिगत लाभ के लिए आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग;
c) कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही और लापरवाही के परिणामस्वरूप सरकार को काफी नुकसान हुआ;
d) कर्तव्य से विमुख होना;
e) वरिष्ठ अधिकारियों के लिखित आदेशों को पूरा करने से इनकार करना या जानबूझकर विफलता। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(E) दहेज मृत्यु के मामलों में शामिल सरकारी सेवकों का निलंबन.
यदि पुलिस ने किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी [दहेज हत्या] के तहत मामला दर्ज किया है, तो वह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम (1) के प्रावधानों को लागू करके सक्षम प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में निलंबन के तहत रखा जाएगा-
(i) यदि सरकारी कर्मचारी को पुलिस मामला दर्ज करने के संबंध में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे हिरासत की अवधि की परवाह किए बिना तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(ii) यदि उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो उसे आपराधिक संहिता की धारा 173 की उप-धारा (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। प्रक्रिया, 1973, मजिस्ट्रेट के पास, यदि रिपोर्ट प्रथम दृष्टया इंगित करती है कि अपराध सरकारी कर्मचारी द्वारा किया गया है। [ओएम संख्या 11012/8/87-स्था.(ए) दिनांक 22.06.1987]
(F) सक्षम प्राधिकारी
Ø निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी को रखने के लिए प्राधिकारी सक्षम
(i) नियुक्ति प्राधिकारी, या
(ii) कोई भी प्राधिकारी जिसके अधीन नियुक्ति प्राधिकारी है, या
(iii) अनुशासनात्मक प्राधिकारी, या
(iv) सामान्य या विशेष आदेश द्वारा राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में सशक्त कोई अन्य प्राधिकारी।
बशर्ते कि, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा के एक सदस्य के संबंध में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा किए गए निलंबन के आदेश के मामले को छोड़कर और एक सहायक महालेखाकार या समकक्ष (भारतीय के नियमित सदस्य के अलावा) के संबंध में लेखापरीक्षा और लेखा सेवा), जहां निलंबन का आदेश नियुक्ति प्राधिकारी से निचले प्राधिकारी द्वारा किया जाता है, ऐसा प्राधिकारी तुरंत नियुक्ति प्राधिकारी को उन परिस्थितियों की रिपोर्ट करेगा जिनमें आदेश दिया गया था। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(1)]
Ø मुख्यालय के बाहर स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में पर्यवेक्षी अधिकारियों को, जहां भी आवश्यक हो, विशेष आदेश जारी करके, नीचे उल्लिखित शर्तों के अधीन, अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निलंबित करने का अधिकार दिया जा सकता है। सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के अनुसरण में राष्ट्रपति के नाम पर आदेश: Guidelines suspension reinstatement of Employees
मुख्यालय से दूर स्थित कार्यालयों में केवल पर्यवेक्षी अधिकारियों को कर्तव्यों के घोर लापरवाही के मामले में अधीनस्थ अधिकारी को निलंबित करने के लिए विशेष रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है। इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए निलंबित प्राधिकारी को प्रत्येक मामले के तथ्यों को तुरंत अगले उच्च प्राधिकारी को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होनी चाहिए, और निलंबन के ऐसे सभी आदेश तब तक शून्य हो जाने चाहिए जब तक कि एक अवधि के भीतर समीक्षा प्राधिकारी द्वारा इसकी पुष्टि न कर दी जाए। आदेश की तारीख से महीना. [ओएम संख्या 7/4/74-स्था.(ए) दिनांक 9.08.1974] Guidelines suspension reinstatement of Employees
मानित निलंबन के संबंध में आदेश जारी करने के लिए प्राधिकारी सक्षम-
(i) निलंबन का आदेश किया गया या किया हुआ समझा गया, उस प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय संशोधित या रद्द किया जा सकता है जिसने आदेश दिया या ऐसा माना जाता है कि उसने आदेश दिया है या किसी भी प्राधिकारी द्वारा जिसके वह प्राधिकारी अधीनस्थ है। [CCS(CCA) नियम, 1965 के नियम 10(5) (सी)]
(ii) निलंबन का आदेश किया गया या किया गया माना गया, उसकी प्रभावी तिथि से 90 दिन की समाप्ति से पहले, निलंबन को संशोधित करने या रद्द करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा समीक्षा की जाएगी। निलंबन की तारीख, इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर और निलंबन को बढ़ाने या रद्द करने के आदेश पारित करें। निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी।निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी। निलंबन का विस्तार एक बार में 180 दिनों से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(iii) निलंबन का आदेश 90 दिनों की अवधि के बाद वैध नहीं होगा, जब तक कि इसे समीक्षा के बाद आगे की अवधि के लिए नहीं बढ़ाया जाता है। 90 दिनों की समाप्ति. Guidelines suspension reinstatement of Employees
बशर्ते कि निलंबित किए जाने के मामले में निलंबन की ऐसी कोई समीक्षा आवश्यक नहीं होगी, यदि सरकारी सेवक हिरासत में रहता है और ऐसे मामले में नब्बे दिन की अवधि की गणना हिरासत में हिरासत में लिए गए सरकारी सेवक की रिहाई की तारीख से की जाएगी। निरोध या वह तारीख जिस पर निरोध से उसकी रिहाई का तथ्य उसके नियुक्ति प्राधिकारी को सूचित किया जाता है, जो भी बाद में हो:
बशर्ते कि ऐसे मामले में जहां इन नियमों के तहत कोई आरोप पत्र जारी नहीं किया गया है, उप-नियम (6) के संदर्भ में किसी भी विस्तारित अवधि सहित, जैसा भी मामला हो, निलंबन या समझा गया निलंबन के तहत कुल अवधि, – से अधिक नहीं होगी।
निलंबन आदेश की तारीख से दो सौ सत्तर दिन बाद, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-नियम (1) के खंड (ए) के अनुसार निलंबित कर दिया जाता है ); या
निलंबन के आदेश की तारीख से दो वर्ष, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-खंड (एए) या खंड (बी) के संदर्भ में निलंबित कर दिया गया है। नियम (1) जैसा भी मामला हो; या
(iv) लंबी निलंबन अवधि के मामलों में, अदालतों ने बताया है कि निलंबन को लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है और डीओपी एंड टी के निर्देशों के बावजूद, अनुशासनात्मक अधिकारी निर्धारित समय के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम रूप नहीं दे रहे हैं। साथ ही, ऐसे मामलों में सरकार अनावश्यक रूप से बिना किसी कार्य के जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान कर रही है |
और यदि अनुशासनात्मक कार्यवाही की समाप्ति पर, आरोपित अधिकारी आरोप से मुक्त हो जाता है, तो सरकार को अनावश्यक रूप से पूरा वेतन देना होगा और अवधि का इलाज करना होगा। ड्यूटी आदि के दौरान निलंबन। इसलिए, यह वांछनीय है कि निलंबन की समय पर समीक्षा उचित और उचित तरीके से की जाए और अनुशासनात्मक कार्यवाही को शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाए। [ओएम संख्या 11012/17/2013-Estt.A-III दिनांक 18.11.2014] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(I) समीक्षा समिति
(i) इस नियम के तहत किए गए या किए गए माने गए निलंबन आदेश की समीक्षा इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाएगी।. Guidelines suspension reinstatement of Employees
(ii) समीक्षा समिति की संरचना:
अनुशासनात्मक प्राधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी और उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक/अपीलीय प्राधिकारी के स्तर का एक अन्य अधिकारी (यदि कोई अन्य अधिकारी हो) समान कार्यालय में समान स्तर उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां राष्ट्रपति अनुशासनात्मक प्राधिकारी या अपीलीय प्राधिकारी नहीं है।
अनुशासनात्मक प्राधिकारी और सचिव/अपर स्तर के दो अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक प्राधिकारी के समकक्ष या उच्चतर पद पर हैं (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अपीलीय प्राधिकारी है राष्ट्रपति.
सचिव/अपर स्तर के तीन अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी विभाग/कार्यालय या किसी अन्य केंद्र सरकार विभाग/कार्यालय से निलंबित अधिकारी से उच्च पद पर हों (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी राष्ट्रपति है.
संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग/कार्यालय ऊपर बताए अनुसार स्थायी आधार पर या तदर्थ आधार पर समीक्षा समितियों का गठन कर सकता है।
(iii) समीक्षा समिति मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह भी ध्यान में रखते हुए निलंबन को रद्द करने/जारी रखने के संबंध में विचार कर सकती है अनुचित रूप से लंबे समय तक निलंबन, संबंधित कर्मचारी को अनुचित कठिनाई में डालते हुए, कर्मचारी को सरकार के लिए कोई उपयोगी सेवा किए बिना निर्वाह भत्ते का भुगतान करना शामिल है।
पूर्वगामी पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि अधिकारी अदालत में कोई आरोप दायर किए बिना एक वर्ष के लिए निलंबित है या विभागीय जांच में कोई चार्ज-मेमो जारी नहीं किया गया है, तो उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के सेवा में बहाल कर दिया जाएगा। उसके खिलाफ मामला। हालाँकि, यदि अधिकारी पुलिस/न्यायिक हिरासत में है या किसी गंभीर अपराध या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले का आरोपी है, तो समीक्षा समिति उसके निलंबन को जारी रखने की सिफारिश कर सकती है। संबंधित अधिकारी. [ओएम संख्या 11012/4/2003-स्था.(ए) दिनांक 07.01.2004] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(J) निलंबन अवधि के दौरान भुगतान और भत्ते
v जीवन निर्वाह भत्ता
निलंबित सरकारी कर्मचारी को कोई वेतन नहीं दिया जाता है, लेकिन उसे छुट्टी वेतन के बराबर राशि का निर्वाह भत्ता दिया जाता है, जिसे सरकारी कर्मचारी तब लेता जब वह आधे औसत वेतन या आधे वेतन पर छुट्टी पर होता और इसके अलावा महंगाई भत्ता भी लेता। यदि ऐसे अवकाश वेतन के आधार पर स्वीकार्य हो।
जहां निलंबन की अवधि 3 महीने से अधिक हो जाती है, वह प्राधिकारी जिसने निलंबन का आदेश दिया है या माना जाता है कि वह पहले तीन महीनों की अवधि के बाद किसी भी अवधि के लिए निर्वाह भत्ते की राशि को निम्नानुसार भिन्न करने में सक्षम होगा:
निर्वाह भत्ते की राशि उपयुक्त राशि से बढ़ाई जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं हो, यदि उक्त प्राधिकारी की राय, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ा दी गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार नहीं है;
निर्वाह भत्ते की राशि, एक उपयुक्त राशि से कम की जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं होगी, यदि, उक्त प्राधिकारी की राय में, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाई गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
महंगाई भत्ते की दर उप-खंड (i) के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ते की बढ़ी हुई या, जैसा भी मामला हो, घटी हुई राशि पर आधारित होगी। और (ii) ऊपर. [FR 53 (1)(ii)(a)]
कोई अन्य प्रतिपूरक भत्ता
निलंबित सरकारी कर्मचारी भी इसका हकदार है:
समय-समय पर स्वीकार्य कोई भी अन्य प्रतिपूरक भत्ता, उस वेतन के आधार पर, जो सरकारी कर्मचारी निलंबन की तिथि पर प्राप्त कर रहा था, बशर्ते कि ऐसे भत्तों के आहरण के लिए निर्धारित अन्य शर्तें पूरी की जाती हों। [FR 53 (1)(ii)(b)]
कोई भुगतान तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि सरकारी कर्मचारी यह प्रमाण पत्र नहीं दे देता कि वह किसी अन्य रोजगार, व्यवसाय, पेशे या व्यवसाय में संलग्न नहीं है। [एफआर 53(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
v निर्वाह भत्ते से वसूली-
अनिवार्य कटौतियाँ लागू की जाएँ
निलंबित अधिकारी की इच्छानुसार कटौतियाँ
कटौती नहीं की जाएगी
(i) आय कर(ii) घर का किराया (लाइसेंस शुल्क) और संबद्ध शुल्क(iii) सरकार से लिए गए ऋणों और अग्रिमों का पुनर्भुगतान – वसूली की दर विभाग प्रमुख द्वारा निर्धारित की जाएगी(iv) सीजीएचएस योगदान(v) CGEGIS सदस्यता
(i) पीएलआई प्रीमियम(ii) सहकारी दुकानों/सोसाइटियों को देय राशि(iii) जीपीएफ अग्रिम का रिफंड
(i) GPF सदस्यता(ii) अदालत की कुर्की के कारण देय राशि(iii) सरकार को हुए नुकसान की वसूली
निलंबित अधिकारी पर अन्य लोगों के साथ डीपीसी द्वारा विचार किया जाएगा। हालांकि, निलंबित अधिकारियों के संबंध में सिफारिशें एक सीलबंद कवर में रखी जाएंगी।< a i=2>अनुशासनात्मक/आपराधिक कार्यवाही के परिणाम के आधार पर सीलबंद लिफाफे को खोला/नहीं खोला जाएगा (अर्थात सीलबंद लिफाफे में निहित अनुशंसा पर कार्रवाई नहीं की जाएगी)।
यदि रिपोर्टिंग/समीक्षा अधिकारी उस समय निलंबित है जब गोपनीय रिपोर्ट लिखी/समीक्षा की जानी है, तो उसे निलंबित किए जाने की तारीख से दो महीने के भीतर या एक महीने के भीतर संबंधित अधिकारी द्वारा इसे लिखा/समीक्षा करवाई जा सकती है। उस तारीख से जिस दिन रिपोर्ट देय थी, जो भी बाद में हो। निलंबित अधिकारी को ऊपर निर्दिष्ट समय सीमा के बाद गोपनीय रिपोर्ट लिखने/समीक्षा करने के लिए नहीं कहा जाएगा। [ओएम संख्या 21011/2/78-स्था.(ए) दिनांक 01.08.1978]
निलंबित किसी भी अधिकारी को अपने अधीनस्थों की एसीआर लिखने/समीक्षा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, यदि लेखन/समीक्षा के प्रमुख भाग के दौरान वह निलंबित है क्योंकि उसके पास अपने अधीनस्थों के काम की निगरानी करने का पूरा अवसर नहीं हो सकता है। [ओएम संख्या 21011/8/2000-स्था.(ए) दिनांक 25.10.2000] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(M) निलंबन के दौरान LTC
निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी एलटीसी का लाभ नहीं उठा सकता क्योंकि उसे निलंबन की अवधि के दौरान आकस्मिक अवकाश सहित कोई छुट्टी नहीं मिल सकती है। चूंकि वह निलंबन की अवधि के दौरान सेवा में बना रहता है , उनके परिवार के सदस्य एलटीसी के हकदार हैं। [ओएम संख्या ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 12]
(N) निलंबन के दौरान छुट्टी
निलंबित सरकारी कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी जा सकती। [FR-55]
(O) निलंबन के दौरान मुख्यालय
निलंबन के तहत एक अधिकारी को आम तौर पर सरकारी कर्मचारियों पर लागू होने वाली सेवा की सभी अन्य शर्तों के अधीन माना जाता है और वह पूर्व अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ सकता है। इस प्रकार, एक सरकार का मुख्यालय आमतौर पर नौकर को उसकी ड्यूटी का अंतिम स्थान माना जाना चाहिए। किसी अधिकारी को निलंबित करने के आदेश में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए कि उसका मुख्यालय क्या होगा।
हालाँकि, जहां निलंबित व्यक्ति मुख्यालय बदलने का अनुरोध करता है, तो सक्षम प्राधिकारी को मुख्यालय बदलने पर कोई आपत्ति नहीं है यदि वह संतुष्ट है कि इस तरह के पाठ्यक्रम से सरकार को टी.ए. अनुदान जैसा कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। आदि या अन्य जटिलताएँ। [ओएम संख्या कार्यालय ज्ञापन संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 10] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(i) पैनलमेंट(ii) कोई भी प्रतिनियुक्ति जिसके लिए मंजूरी आवश्यक है(iii) संवेदनशील पोस्ट पर नियुक्ति(iv) प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए असाइनमेंट (अनिवार्य प्रशिक्षण को छोड़कर)
नियुक्ति के लिए किसी सरकारी कर्मचारी के आवेदन पर, चाहे वह सीधी भर्ती से हो, प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण हो या किसी अन्य पद पर स्थानांतरण हो, विचार नहीं किया जाना चाहिए/अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए यदि वह निलंबित है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
जहां एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबित है, अपना इस्तीफा देता है, सक्षम प्राधिकारी को सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक मामले की योग्यता के संदर्भ में जांच करनी चाहिए कि क्या इस्तीफा स्वीकार करना सार्वजनिक हित में होगा। आम तौर पर, चूंकि अधिकारियों को गंभीर अपराध के मामलों में ही निलंबित किया जाता है, इसलिए निलंबित अधिकारी से इस्तीफा स्वीकार करना सही नहीं होगा। इस नियम के अपवाद वे होंगे जहां कथित अपराध में नैतिक अधमता शामिल नहीं है
एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबन के दौरान सेवानिवृत्त होता है, वह उस तारीख से ठीक पहले की तारीख तक अर्हक सेवा के आधार पर अधिकतम पेंशन के बराबर अनंतिम पेंशन का हकदार होता है। निलंबित कर दिया गया। [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 8(4)(ए)]
(T) पेंशन के प्रयोजन के लिए अर्हक सेवा के रूप में निलंबन की अवधि की गणना:
“निलंबन की अवधि की गणना-
(1) आचरण की जांच लंबित रहने तक निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी द्वारा बिताया गया समय अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा, जहां ऐसी जांच के निष्कर्ष पर, उसे पूरी तरह से दोषमुक्त कर दिया गया है या केवल मामूली जुर्माना लगाया गया है और निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना गया है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(2) उप-नियम (1) के अंतर्गत नहीं आने वाले मामलों में, निलंबन की अवधि की गणना तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि प्राधिकारी ऐसे मामलों को नियंत्रित करने वाले नियम के तहत स्पष्ट रूप से आदेश पारित करने में सक्षम न हो उस समय घोषणा करता है कि यह उस सीमा तक गिना जाएगा जितनी सक्षम प्राधिकारी घोषित कर सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(3) निलंबन के सभी मामलों में, सक्षम प्राधिकारी एक आदेश पारित करेगा जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाएगा कि किस सीमा तक, यदि कोई हो, निलंबन की अवधि को अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा और इस संबंध में सरकारी सेवक की सेवा पुस्तिका में निश्चित प्रविष्टि की जाएगी।” [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 23] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(U) एक निलंबित अधिकारी का वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) की स्वीकृति।
निलंबित सरकारी कर्मचारी जो एफआर 56(के) या एफआर-56(एम) या सीसीएस (पेंशन) नियम 2021 के नियम 43 (3) के तहत सेवानिवृत्त होना चाहता है, उसकी अनुमति रोकने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी के पास खुला होगा। [FR-56(k) और FR-56(m)][सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 43(3)]
(V) निलंबन से निरसन/बहाली के बाद भुगतान और भत्ता
जब एक सरकारी कर्मचारी जिसे निलंबित कर दिया गया है, उसे बहाल कर दिया जाता है या उसे बहाल किया जाना चाहिए था, लेकिन निलंबन के दौरान उसकी सेवानिवृत्ति (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए, बहाली का आदेश देने के लिए सक्षम प्राधिकारी इस पर विचार करेगा और एक विशिष्ट आदेश देगा-
(a) सरकारी कर्मचारी को बहाली के साथ समाप्त होने वाली निलंबन की अवधि या उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए भुगतान किए जाने वाले वेतन और भत्ते के संबंध में, जैसा कि मामला हो सकता है; और
(b) चाहेकहाअवधि ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में मानी जाएगी “[FR-54(बी)(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(W) कार्यवाही के समापन पर
v यदि दोषमुक्त किया गया है
जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि निलंबन पूरी तरह से अनुचित था, सरकारी कर्मचारी को पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है।
जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि कार्यवाही में देरी सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के कारण हुई है, तो वह सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद – यदि कोई हो, कम राशि का भुगतान करने का आदेश दे सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
निलंबन की अवधि को सभी प्रयोजनों के लिए ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में माना जाएगा। [एफआर 54-बी (3) और amp; (4)]
v मामूली जुर्माना लगाया गया है
जहां कार्यवाही के परिणामस्वरूप केवल मामूली जुर्माना लगाया जाता है, तो निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना जाता है और संबंधित कर्मचारी को एफआर 54-बी के तहत उचित आदेश पारित करके निलंबन की अवधि के लिए पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है। [O.M. क्रमांक 11012/15/85-स्था.(ए) दिनांक. 03.12.1985]
v मुक्ति/मामूली दंड के अलावा
(a) सक्षम प्राधिकारी सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और उसके प्रतिनिधित्व, यदि कोई हो, पर विचार करने के बाद भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण करेगा। [एफआर 54-बी(5)]
(b) निलंबन की अवधि को कर्तव्य के रूप में नहीं माना जाएगा जब तक कि सक्षम प्राधिकारी विशेष रूप से निर्देश न दे कि इसे किसी निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए ऐसा माना जाएगा।
(c) यदि सरकारी कर्मचारी चाहे तो निलंबन की अवधि को देय एवं स्वीकार्य अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है। (नोट: अस्थायी सरकारी सेवकों के मामले में ऐसी छुट्टी 3 महीने से अधिक या स्थायी सरकारी सेवकों के मामले में 5 साल से अधिक हो सकती है) [एफआर 54-बी(7)]
नोट: एफआर 54-बी(9) के अनुसार, जहां भी अनुमत राशि पूर्ण वेतन और भत्तों से कम है, वह पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते से कम नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(X) निलंबन के दौरान मृत्यु
जहां निलंबित सरकारी कर्मचारी की अनुशासनात्मक कार्यवाही या उसके खिलाफ अदालती कार्यवाही समाप्त होने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो निलंबन की तारीख और मृत्यु की तारीख के बीच की अवधि को सभी उद्देश्यों के लिए कर्तव्य के रूप में माना जाएगा और उसके परिवार को पूरा वेतन दिया जाएगा। यदि उसे निलंबित नहीं किया गया होता तो वह जिन भत्ते का हकदार होता, वह उस अवधि के लिए पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते के समायोजन के अधीन होगा। [FR 54-बी(2)]
(Y) चार्ज शीट इत्यादि की सेवा।
क) निलंबन आदेश में सामान्यतः निलंबन का कारण दर्शाया जाना चाहिए। Guidelines suspension reinstatement of Employees
बी) जहां निलंबन विचाराधीन कार्यवाही के आधार पर है, वहां सरकारी कर्मचारी को 3 महीने के भीतर आरोप पत्र दिया जाना चाहिए
नोट: यदि प्रासंगिक ओएम के किसी संदर्भ की आवश्यकता है, तो इसे हाइपरलिंक पर क्लिक करके या डीओपीटी की वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
केन्द्रीय कर्मचारियों के विस्तृत दिशा निर्देश यहाँ देखें
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