Establishment and Leave Related format | संस्थापन एवं अवकाश सम्बन्धी प्रपत्र : नमस्कार, कर्मचारी बंधुओं, इस आर्टिकल में हम संस्थापन और अवकाश से संबंधित प्रपत्र आपके लिए लेकर आए हैं, जिसमें उपार्जित अवकाश, नकदीकरण और कार्यालय आदेश, चाइल्ड केयर लीव के साथ साथ कार्यग्रहण काल के बदले उपार्जित अवकाश, रोग और आरोग्य प्रमाण पत्र आदि के प्रपत्र हम यहाँ पर आपके लिए उपलब्ध करवाएं है।
संस्थापन एवं अवकाश सम्बन्धी प्रपत्र शाला सुगम टीम को उम्मीद है कि आपको ये प्रपत्र पीडीएफ़ वर्ड और एक्सेल फॉर्मेट में पसंद आएँगे। और आशा है कि आप इस आर्टिकल के लिंक को अपने मित्रों, सहकर्मियों, मंत्रालयिक कर्मचारी और आहरण वितरण अधिकारियों को साझा करेंगे।
संस्थापन एवं अवकाश सम्बन्धी प्रपत्र
Establishment and Leave Related format | संस्थापन एवं अवकाश सम्बन्धी प्रपत्र
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Incharges in schools and their responsibilities / विद्यालयों में प्रभार व प्रभारी और उनके दायित्व :- श्रीमान निदेशक, माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर के परिपत्र क्रमांक : शिविरा-मा/ माध्य / शाला दर्पण /60304 (2) / 2016-17/198 दिनांक: 22/06/2020 द्वारा “शाला दर्पण पोर्टल” को अपडेट करने से सम्बन्ध में संस्था प्रधान के साथ ही विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों से संबंधित प्रभारियों का भी दायित्व निर्धारण किया गया है उन्हें यह काम उनके प्रभार के अनुसार करना होगा लेकिन प्रश्न यह बनता हैं कि विद्यालय में कौन कौन से प्रभार होते हैं और उनके प्रभारी कौन हो सकते हैं साथ उनके दायित्व क्या रहेंगे|
अब सरकारी स्कूलों में शाला दर्पण पोर्टल का काम केवल शाला दर्पण प्रभारी ही नहीं अपितु विद्यालय के विभिन्न गतिविधियों के प्रभार वाले प्रभारी करेंगे। इस सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने आदेश जारी किए है। गौरतलब है कि शाला दर्पण पोर्टल शिक्षा विभाग का महत्वपूर्ण सूचनाएं अपलोड अथवा अपडेट करने का पोर्टल है। इसका विभिन्न उद्देश्यों को लेकर बड़े स्तर पर उपयोग किया जाता है।
इस पोर्टल के उपयोग के लिए सरकारी स्कूलों में शाला दर्पण पोर्टल से संबंधित सभी काम करने के लिए प्रभारी बनाए गए थे। लेकिन विद्यालयों में कार्य की अधिकता के कारण कई बार सूचनाएं समय पर अपलोड नहीं हो पाने एवं त्रुटि पूर्ण कार्य होने की संभावना को देखते हुए अब विद्यालय के विभिन्न प्रभार वाले सभी प्रभारी अपने अपने प्रभार का शाला दर्पण से संबंधित काम स्वयं करेंगे।
क्या कहते है सीबीईओ-सीबीईओ गोविंद प्रसाद बंसल ने बताया कि पहले विद्यालयों में शाला दर्पण प्रभारी को ही ये सब काम करने होते थे। जिसके कारण काम त्रुटिपूर्ण होने अथवा विलम्ब से होने की संभावना रहती थी। अब सभी अलग अलग प्रभार वाले प्रभारी अपने अपने प्रभार का काम स्वयं करेंगे जिससे त्रुटि की संभावना नही होगी ।
आपके इन्ही प्रश्नों के जबाब देने के लिए और शिक्षको व संस्था प्रधानो की सहायत के लिए हमारे एक्सपर्ट और शाला सुगम की टीम ने आपके लिए सम्पूर्ण आलेख तैयार किया हैं जिसे आप ध्यान पूर्वक अध्ययन करें और अच्छा लगने पर अपने साथियों तक जरूर साझा करें |
Incharges in schools and their responsibilities / विद्यालयों में प्रभार व प्रभारी और उनके दायित्व
खेल कूद, प्रतियोगिता करवाना, प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को लेकर जाना, स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षा, टेबलेट या टिका, वेक्सिनेशन
PTI या खेलकूद में सक्रिय शिक्षक
3
स्थानीय परीक्षा प्रभार
विभिन्न परीक्षाओं के सफल आयोजन करवाना,पेपर तैयार करवाना, उत्तर पुस्तिका जंचवानी, परीक्षा व्यवस्था करना और परिणाम तैयार करवाना, बोर्ड परीक्षा के ऑनलाईन आवेदन पत्र, परीक्षा परिणाम तैयार करना, क्रमोन्नति आदि।
वरिष्ठ व अनुभवी शिक्षक
Incharges in schools and their responsibilities
कक्षा 10 के लिए सामाजिक अध्ययन तीन पार्ट में उपलब्ध शानदार सम्पूर्ण अध्याय के क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
बोर्ड परीक्षा आवेदन, फॉर्म केंद्र पर जमा, अंकतालिका संग्रहण व वितरण, डाटा मिलान, फीस संग्रहण, उपस्थिति व बोर्ड सम्प्रेषण, यथा समय अंकों / सत्रांकों की फीडिंग
वरिष्ठ व अनुभवी शिक्षक
5
शाला दर्पण प्रभार
शाला दर्पण के विभिन्न कार्य अन्य प्रभारियो की सहायता से पूर्ण करवाना, परीक्षा प्रभारी की सहायता से फॉर्म ऑनलाइन करवाना
वरिष्ठ व कम्प्यूटर अनुभवी शिक्षक
6
मध्याह्न भोजन प्रभार
मध्याह्न भोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था करवाना, MDM की सुचना संकलन, अनाज रखरखाव आदि पर ध्यान देना, दूध वितरण MDM रिकोर्ड संधारण
भोजन आदि में जानकार हो तथा विद्यालय में कम कार्यप्रभार हो
PEEO स्कुलो के कार्य की देखरेख करना, सूचना संकलित करना, संबलन में सहयोग करना,
अनुभवी वरिष्ठ शिक्षक
8
संस्थापन प्रभार
संस्थापन कार्य यथा समस्त कार्मिकों के सेवा अभिलेख के अनुसार शाला दर्पण पर पूर्ण शुद्ध विवरण (प्रपत्र- 10) दर्ज करना, कार्यमुक्ति / कार्यग्रहण, इन्फ्रास्ट्रक्चर विवरण, विद्यालय प्रोफाइल कार्मिक उपस्थिति, अवकाश अद्यतन करना आदि।, विद्यालय डाक सूचना, स्कोलर रजिस्टर संधारण, केशबुक संधारण, वेतन भत्ते, पे पोस्टिंग पंजिका, कार्मिक डाटा अपडेशन, TC व नवीन प्रवेश, अध्ययन व चरित्र प्रमाण पत्र, UDISE, शाला सिद्धि, ज्ञान संकल्प पोर्टल
संस्था प्रधान व मंत्रालयिक कार्मिक या लेखा अनुभवी कार्मिक
विभिन्न छात्रवृत्ति के पात्र सभी विद्यार्थियों से संबंधित सम्पूर्ण विवरण संकलन करना और यथासमय शाला दर्पण पोर्टल पर अपलोड करने संबंधी सम्पूर्ण कार्य
अनुभवी वरिष्ठ शिक्षक
11
अकेडमिक कार्य प्रभारी
नौ बेग डे, बालसभा, दैनिक उत्सव आयोजन, विशेष गतिविधियाँ
सम्बंधित अनुभवी
12
हेडटीचर
विद्यालय में RKSMBK, SIQE, भारतीय संस्कृति ज्ञान व अन्य परीक्षाएं, कक्षा 1 से 5 के शिक्षको को संबलन
सर्व प्रथम व्याख्याता या व. अध्यापक या अध्यापक
Incharges in schools and their responsibilities
NOTE : यह आलेख पूर्ण रूप से कोपीराईट एक्ट के तहत लेखक से लिखवाया गया हैं अत: इसे कोपी पेस्ट करने का प्रयास अगर किसी वेबसाईट द्वारा किया जाता हैं तो कानूनी कार्यवाही के लिए उक्त व्यक्ति होगा|
क्र.सं.
प्रभार का नाम
उतरदायित्व
प्रभार किसे दिया जाए
13
सांस्कृतिक प्रभार
विद्यालय में विभिन्न में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, 15 अगस्त, 26 जनवरी व अन्य उत्सव, समय-समय पर आयोजित होने वाले विभिन्न प्रकार के उत्सवों से संबंधित वांछित सूचनाओं की शाला दर्पण पर यथासमय प्रविष्टियां दर्ज करना।
संभवत महिला शिक्षक या अनुभवी शिक्षक
14
सामुदायिक गतिशीलता प्रभार
SMC, SDMC गठन, बैठक, अभिभावक सम्पर्क, PTM आयोजन, एसडीएमसी/एसएमसी से संबंधित वार्षिक /अर्द्धवार्षिक / त्रैमासिक /मासिक प्रविष्टियां, प्रशिक्षण, सदस्यों का विवरण, बैठकों का विवरण, बैंक खातों संबंधी विवरण आदि।
निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकों, वर्क बुक, डेस्क वर्क, अन्य प्रश्न बैंक प्रकाशन, वितरण रखरखाव, व इससे संबंधित सम्पूर्ण विवरण यथा समय शाला दर्पण पर दर्ज करना।
पुस्तकालय अध्यक्ष या अनुभवी शिक्षक
18
कक्षाध्यापक
अपनी कक्षा से संबंधित समस्त छात्रों का प्रवेश / पुनः प्रवेश, नाम पृथकीकरण, प्रपत्र- 7 / 7 – अ (तृतीय भाषा व वैकल्पिक विषय संबंधित) की पूर्ति, प्रपत्र 9 की परिशुद्ध पूर्ति, छात्र उपस्थिति सूचना, कक्षा क्रमोन्नति, साईकिल / ट्रान्सपोर्ट वाउचर हेतु पात्र विद्यार्थियों की सूचना आदि।
समस्त कक्षाओ के कक्षाध्यापक जिनकी शाला दर्पण पर मेपिंग हैं
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क्र.सं.
प्रभार का नाम
उतरदायित्व
प्रभार किसे दिया जाए
19
शैक्षिक उप समिति
शैक्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट, विद्यालय शैक्षिक उत्थान योजना
संस्था प्रधान और समिति के सदस्य
20
विद्यालय भवन उपसमिति
विद्यालय भौतिक विकास, निर्माण, रिपेयरिंग योजना निर्माण और प्रस्ताव लेना
संस्था प्रधान और समिति के सदस्य
21
बाल संसद प्रभार
सम्बंधित 7 मंत्रालय से जुड़े शिक्षक सम्बंधित प्रभारी के रूप में दिए कार्यो का निष्पादन करेंगें
मंत्रालय अनुसार प्रभारी
22
ICT लैब
ICT लैब, मिशन स्टार्ट, मिशन बुनियाद, आफ्टर स्कुल, व अन्य ऑनलाइन शिक्षण कार्य
ICT लैब के लिए ICT के कम्प्यूटर अनुदेशक और उनकी अनुपस्थिति में विज्ञान या गणित के वरिष्ठ शिक्षक
Incharges in schools and their responsibilities
Incharges in schools and their responsibilities / विद्यालयों में प्रभार व प्रभारी और उनके दायित्व के बारे विशेष –
कृपया ध्यान देवें कि –
उपर्युक्त समस्त प्रभारों के अतिरिक्त विद्यालय के अन्य प्रभारों से संबंधित सूचना का संधारण भी शाला दर्पण पोर्टल पर किया जाना हो, तो संबंधित प्रभारी यथासमय सही सूचना अद्यतन/दर्ज करवाने हेतु उत्तरदायी होगा।
अगर किसी शिक्षक के पास चुनाव से जुड़े कार्य जैसे BLO, सुपरवाईजर का कार्यभार हैं तो उसे ऐसा कार्यभार देवें ताकि चुनाव कार्य प्रभावित न हो |
विभागीय निर्देशानुसार किसी भी पंचायत सहायक या विद्यालय सहायक को पूर्ण चार्ज न देकर केवल सहायक बनाया जाएगा |
विषयों से जुड़े कार्य सम्बंधित विषय के अध्यापको की जिम्मेदारी रहेगी जैसे 1. विज्ञान मेले व ईको क्लब के लिए विज्ञान शिक्षक गणित मेला के लिए गणित के शिक्षक, हिंदी काव्य सम्मेलन आदि के लिए हिंदी के शिक्षक, ICT लैब के लिए ICT के कम्प्यूटर अनुदेशक और उनकी उपस्थिति में विज्ञान या गणित के शिक्षक
सम्बंधित प्रभार का प्रभारी ही उक्त प्रभार की सुचना शाला दर्पण प्रभारी की निगरानी में ऑनलाइन दर्ज करेगा | और सूचनाओं के लिए सम्बंधित प्रभारी जिम्मेदार रहेगा |
विद्यालय दायित्व व प्रभार से जुड़े महत्वपूर्ण आदेश व निर्देश :-
जल्द नवीन निर्देश और आदेश अपडेट हो रहे हैं कृपया WAIT करें
कक्षा 10 के लिए विज्ञान विषय का शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
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New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates : सैलरीड क्लास को बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें इनकम टैक्स को लेकर होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि देश में इनकम टैक्स के स्ट्रक्चर को समझना। देश में अभी आम आदमी के लिए कितने टैक्स स्लैब हैं? ये कैसे काम करते हैं? आइए जानते हैं-
फिलहाल देश में इनकम टैक्स की दो प्रणाली मौजूद हैं। पहली, जिसे ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab Or Regime) के नाम से जाना जाता है। वहीं साल 2020 में सरकार ने नई टैक्स प्रणाली (New Tax Slab) शुरू की। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने में आसानी करने के लिए ये नई व्यवस्था शुरू की गई थी। देश में हालांकि नई टैक्स प्रणाली शुरू करने के साथ ही अभी पुरानी टैक्स प्रणाली को भी बरकरार रखा गया है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
अगर आप सैलरीड प्रोफेशनल हैं तो आपकी कंपनी ने आपको अभी तक इन्वेस्टमेंट डेक्लेरेशन का फॉर्म दे भी दिया होगा. साथ ही आपको अपना इनकम टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प भी दिया जा रहा है. आपको अभी अपने इंप्लॉयर को ये बताना है कि आप किस टैक्स रिजीम में अपना टैक्स रिटर्न फाइल करेंगे. इस बार के बजट में न्यू टैक्स रिजीम में काफी बदलाव हुए हैं, जिसके बाद अब 7 लाख या इससे कुछ ऊपर की आय वाले टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुनना पसंद कर सकते हैं. ऐसे में आपके लिए भी जरूरी है कि टैक्स फाइलिंग के पहले आइए जानते हैं क्या है नई और पुरानी टैक्स प्रणाली-
ओल्ड टैक्स स्लैब (Old Tax Slab)
पुराने टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की इनकम पर किसी तरह का टैक्स देय नहीं होता है। इसके अलावा सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स से छूट मिलती है। इस हिसाब से देखा जाए तो टैक्सपेयर्स को करीब 6.5 लाख तक की सालाना इनकम पर टैक्स से छूट मिल जाती है यानी कि कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है।
ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स का जो रेट लगता है वो खासतौर पर इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है। इसमें उम्र को भी आधार बनाया जाता है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
कक्षा 10 के लिए सामाजिक अध्ययन तीन पार्ट में उपलब्ध शानदार सम्पूर्ण अध्याय के क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
इसके अलावा टैक्स में उम्र के हिसाब से भी कैलकुलेशन होता है। 60 साल से कम की उम्र है तो पुराने टैक्स स्लैब के तहत 2.5 लाख तक की आय पर टैक्स रेट शून्य रहेगा। वहीं 2.5 से 5 लाख तक इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा और इसमें सेक्शन 87A के अंतर्गत रिबेट भी मिलती है।
वहीं 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर ये टैक्स दर 20 फीसदी है। 7.5 से 10 लाख रुपये तक की आय पर ये टैक्स दर बढ़कर 20फीसदी हो जाती है। 10 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। 15 लाख से ज्यादा की इनकम पर 30फीसदी टैक्स लगता है।
इसके अलावा अगर टैक्सपेयर की उम्र 60 साल से 79 साल के बीच है, तो सीनियर सिटीजन कैटेगरी में आने पर उन्हें 3 लाख तक इनकम पर टैक्स से छूट है। अगर इनकम 3 से 5 लाख है तो जो टैक्स 5फीसदी देना होगा, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30फीसदी टैक्स देय है।
इसके अलावा अगर उम्र 80 से अधिक है तो फिर 5 लाख तक की कमाई पर शून्य टैक्स देना होता है।
साल 2020 से शुरू हुए नई टैक्स प्रणाली में टैक्स रेट को कम रखा गया है। नई टैक्स प्रणाली पुरानी से कई मायनों में अलग है। इसमें कम दर के साथ स्लैब ज्यादा हैं। इसके अलावा पुराने टैक्स प्रणाली की तुलना में इसमें कई तरह की छूट और कटौती इसमें नहीं मिलतीं।
न्यू टैक्स रिजीम में इनकम में इजाफा होने के साथ ही, टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है।
New vs Old Tax Regime / Old Vs New Tax Regime / Income Tax Slab Rates
नई टैक्स रिजीम में 87A के तहत दोगुना टैक्स माफ कर रही है सरकार
अगर किसी सैलरीड पर्सन की सालाना आमदनी 7.50 लाख रुपये तक है तो नई टैक्स रिजीम में तो उसे एक रुपये का भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन पुरानी कर व्यवस्था में उसे इनकम टैक्स शून्य करने के लिए 2 लाख रुपये का निवेश दिखाना होगा। आम तौर पर 7.50 लाख रुपये की सालाना सैलरी वाले व्यक्ति के लिए वर्ष में 2 लाख रुपये का निवेश कर पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में 2 लाख रुपये से जितनी कम रकम निवेश करेंगे, उतना ज्यादा टैक्स देना होगा।
लेकिन नई टैक्स रिजीम चुनते हैं तो एक रुपये का निवेश किए बिना 7.50 लाख रुपये की सालाना इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाती है। दरअसल, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 87ए के तहत ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक पर बनने वाला 12,500 हजार रुपये किया जा रहा है। इसी तरह, अब नई टैक्स रिजीम में भी 3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये पर बनने वाला 25 हजार रुपये का टैक्स सरकार माफ कर देगी।
कक्षा 12 के लिए राजीनीति विज्ञान के नोट्स शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
ओल्ड टैक्स प्रणाली में सेक्शन 80 C और 80 D के तहत टैक्सपेयर्स टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन नई व्यवस्था में इस तरह की कई छूटों को खत्म कर दिया गया है। यही वजह है कि इस नई टैक्स प्रणाली को बहुत ही कम लोगों ने अपनाया है।
1. नई टैक्स रिजीम में सालभर में 7.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले टैक्स फ्री हो जाएंगे जबकि पुरानी टैक्स रिजीम में साल में 5.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले ही टैक्स फ्री हो पाएंगे और किसी का वार्षिक वेतन 5.50 लाख से ज्यादा है तो उन्हें बाकी की रकम को टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों में लगाना होगा।
2. पुरानी टैक्स रिजीम में निवेश करने पर टैक्स तो बच जाता है, लेकिन टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर नई टैक्स रिजीम के मुकाबले ज्यादा टैक्स भरना पड़ेगा। यानी, पुरानी टैक्स रिजीम में विभिन्न पेंशन स्कीम, इंश्योरेंस स्कीम, टैक्स सेवर म्यूचुएल फंड्स प्रीमियम, मेडिक्लेम प्रीमियम, बच्चों की स्कूल फी आदि पर टैक्स में कुछ छूट तो मिल जाती है, लेकिन टैक्स की दरें ऊंची होती हैं। वहीं, नई टैक्स रिजीम में टैक्स की दरें कम हैं।
जानकारों की मानें तो सैलरी पाने वाले लोगों को नई टैक्स प्रणाली से कोई फायदा नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसमें उन्हें HRA, LTA , स्टैंडर्ड डिडक्शन, सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत मिलने वाली कर छूट नहीं मिलेगी।
वहीं नॉन-रेजिडेंट के लिए ये नई व्यवस्था फायदेमंद है। क्योंकि वे ज्यादातर छूट का दावा नहीं करते हैं। नई व्यवस्था में कंप्लायंसेज कम हैं और रिटर्न फाइल करना बेहद आसान है।
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कैसे चुनें अपने लिए सही रिजीम
आपको किस रिजीम में कम टैक्स देना पड़ेगा, ये देखने के लिए आप टैक्स कैलकुलेटर की सहायता ले सकते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाने के बाद एक नया टैक्स कैलकुलेटर जारी किया था, ताकि टैक्सपेयर्स ये कैलकुलेट कर सकें कि उनकी आय पर किस रिजीम में कितना टैक्स बन रहा है. ये कैलकुलेटर आपको शाला सुगम वेबसाइट पर मिल जाएगा. यहाँ क्लिक करेंEstimate Income Tax 2023 24 For PEEO & All Office By Heera Lal
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Guidelines suspension reinstatement of Employees : लोकसेवक बहाली निलंबन को लेकर बहुत विस्तार से जारी हुए दिशानिर्देश, जानिए क्या है – खास सरकार ने अपराध की प्रकृति और अलग-अलग स्थितियों अनुसार लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर पहली बार बहुत विस्तार से दिशानिर्देश जारी किए हैं| Guidelines suspension reinstatement of Employees
कार्मिक विभाग की ओर से जारी इन दिशानिर्देशों के तहत किसी भी लोकसेवक से जुड़े आपराधिक प्रकरण में पुलिस या संबंधित अनुसंधान एजेंसी के 2 साल तक कोर्ट में चालान पेश नहीं करने पर बहाली के लिए समिति के सामने उसके प्रकरण को रखा जा सकता है. इसी तरह अलग-अलग स्थितियों में निलंबन, बहाली या अन्य कार्रवाइयों के लिए व्यापक लाइन ऑफ एक्शन तय किया गया है।
कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार ने विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों/ प्रमुख सचिवों/ सचिवों को परिपत्र जारी करके लोकसेवकों के निलंबन और बहाली को लेकर अलग-अलग स्थितियों अनुसार विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
A. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. किसी लोकसेवक को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया जाता है अथवा भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य मामले में 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो संबंधित लोकसेवक को तत्काल निलम्बित किया जावें।
लोकसेवकों के ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति जारी होने तथा सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु गठित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. भ्रष्टाचार से संबंधित अन्य प्रकरणों (रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तारी से भिन्न) में, आय से अधिक सम्पत्ति अथवा धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रकरणों में यदि संबंधित लोक सेवक को पूर्व में निलम्बित नहीं किया गया है तो प्रकरण में लोकसेवक के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति जारी होने पर प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
Guidelines suspension reinstatement of Employees
B. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध जघन्य (Heinous), गंभीर (Grievous) आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous ) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. जघन्य (Heinous) व गंभीर (Grievous) अपराध यथा हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग एवं नैतिक अधमता (Moral turpitude) इत्यादि आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे । Guidelines suspension reinstatement of Employees
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
C. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुचाने या पदीय दुरूपयोग संबंधी अन्य आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली
1. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरुपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे।
लोक सेवकों के ऐसे प्रकरणों में यदि सक्षम न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है, तो उनके प्रकरण निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन सामिति के समक्ष विचारार्थ रखे जाएंगे।
2. गबन, पद का दुरूपयोग कर राजकोष को हानि पहुंचाने या पदीय दुरूपयोग के अन्य आपराधिक प्रकरणों में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे।
यदि प्रकरण में लोकसेवक को निलम्बित किया गया है तो लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में चालान पेश होने की स्थिति में लोकसेवक के प्रकरण को निलम्बन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष विचारार्थ रखा जावे।
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D. पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन एवं निलम्बन से बहाली (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न)
पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार किया जाकर 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो ऐसे लोक सेवक को तत्काल निलम्बित किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
पुलिस द्वारा पंजीबद्ध अन्य आपराधिक प्रकरणों (बिन्दु संख्या B एवं C में अंकित प्रकरणों से भिन्न) में यदि किसी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है या गिरफ्तारी पर पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 48 घण्टे अथवा इससे कम हो तो प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, राज्य सरकार की लोकसेवक के अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर लोकसेवक के निलम्बन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
ऐसे प्रकरणों में निलम्बित लोकसेवकों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय नियम 13 ( 5 ) के तहत प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार करते हुए निलम्बन से बहाल करने के आदेश जारी किये जा सकते हैं। निलम्बन से बहाली हेतु ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने की आवश्यकता नहीं है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
कक्षा 10 के लिए सामाजिक अध्ययन तीन पार्ट में उपलब्ध शानदार सम्पूर्ण अध्याय के क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
1. पुनर्विलोकन समिति प्रत्येक प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण पर विचार कर लोक सेवक के निलम्बन को समाप्त करने अथवा यथावत् रखने बाबत अपनी अभिशंषा करेगी। समिति की अभिशंषा पर निलम्बन से बहाली पश्चात् संबंधित विभाग लोक सेवक का पदस्थापन न्यून जनसंपर्क एवं कम महत्व के पद पर ऐसे अन्यत्र स्थान पर किया जाना सुनिश्चित करेगा जो कि उसके घटना स्थल से भिन्न एवं दूरस्थ स्थान पर हो । Guidelines suspension reinstatement of Employees
2. आपराधिक प्रकरणों में निलम्बन से संबंधित पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखे जाने योग्य मामलों में यदि अनुसंधान एजेंसी द्वारा 2 वर्ष की अवधि व्यतीत होने के पश्चात् भी अनुसंधान पूर्ण कर सक्षम न्यायालय में चालान अथवा सक्षम प्राधिकारिता को अभियोजन प्रस्ताव प्रेषित नहीं किया गया है तो ऐसे निलम्बित लोकसेवक के प्रकरण को भी बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के समक्ष रखा जावे।।
3. पुनर्विलोकन समिति की बैठक चार माह में एक बार आवश्यक रूप से आयोजित की जावेगी।
4. आपराधिक मामलों में निलम्बित लोकसेवकों द्वारा निलम्बन आदेश के विरूद्ध मा. न्यायालय में याचिका / अपील दायर करने तथा मा. न्यायालय द्वारा सक्षम प्राधिकारी को सेवा नियमों के अनुरूप प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करने के निर्देश दिए जाने पर संबंधित प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता, अभियोजन / अनुसंधान एवं साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, प्रकरण की वर्तमान स्थिति इत्यादि के संबंध में गुणावगुण आधारित परीक्षण कर सक्षम प्राधिकारी द्वारा समुचित स्वमुखरित / सकारण आदेश (Speaking order) जारी किए जावे। ऐसे प्रकरणों को पुनर्विलोकन समिति के समक्ष नहीं रखा जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
5. यदि किसी आपराधिक प्रकरण में विचारण न्यायालय द्वारा किसी लोक सेवक को दोषमुक्त कर दिया गया है तो ऐसे लोकसेवक को सामान्यतः निलम्बन से बहाल कर दिया जाना चाहिए चाहे राज्य सरकार ने ऐसे प्रकरण में मा, न्यायालय के आदेश के विरूद्ध अपील दायर कर दी हो। ऐसे मामलों में पुनर्विलोकन समिति की अभिशंषा की आवश्यकता नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees
6. आपराधिक प्रकरणों में लोकसेवक के विरूद्ध सक्षम प्राधिकारी द्वारा यदि अभियोजन मनाही का निर्णय लिया गया है तो ऐसे प्रकरणों में निलम्बन समाप्त कर बहाली आदेश जारी किये जायेंगे। Guidelines suspension reinstatement of Employees
7. लोक सेवक को 48 घण्टों से अधिक समय तक पुलिस / न्यायिक अभिरक्षा में रखे जाने पर निलम्बन का आदेश नियम 13(2) के तहत् जारी किया जावे तथा शेष अन्य मामलों में निलम्बन का आदेश नियम 13 (1) के तहत् जारी किया जावे। Guidelines suspension reinstatement of Employees CLICK HERE
यहाँ हम राजस्थान सरकार के कार्मिको के लिए जारी दिशा निर्देश का एक सार प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं कि –
इन दिशानिर्देशों में यह है खास:-
– अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने जो प्रकरण रखे जाते हैं उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान पेश नहीं किया तो बहाली संभव है.
– इसके लिए चालान पेश नहीं होने पर 2 साल बाद प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जा सकता है.
– समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी.
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी.
– इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
– बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखने.कम महत्व के पद पर ऐसी जगह पोस्टिंग करने के हैं निर्देश जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो.
– रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने वाले प्रकरण.
– रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने व 48 घंटे तक कस्टडी में रहे तो संबंधित लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.
– ऐसे प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति होने,कोर्ट में चालान पेश हो तो निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
– ऐसे लोकसेवक को पूर्व में निलंबित नहीं किया गया हो तो प्रकरण में लोकसेवक की जब अभियोजन स्वीकृति जारी होगी तब सक्षम अधिकारी परीक्षण करके निलंबन संबंधी लेंगे निर्णय.
– प्रकरण के तथ्यों, आरोपों की प्रवृत्ति, गंभीरता अनुरूप निर्णय के निर्देश.
– साथ ही लोकसेवक अनुरूप आचरण की अपेक्षा, पद की गरिमा और साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना का ध्यान रखकर निर्णय के निर्देश.
– प्रकरण में निलंबित करने पर कोर्ट में चालान पेश होने पर रखा जाएगा प्रकरण
– पुनर्विलोकन समिति के सामने निलंबन से बहाली के लिए रखा जाएगा.
दूसरी स्थिति:-
हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी, भ्रूण हत्या के प्रकरण हों, मादक पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग हो. ऐसे प्रकरणों में लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा में यदि 48 घंटे तक रखा जाए तो ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित करने के निर्देश.
– इन प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश हो तो करेगी समिति विचार.
– तब निलंबन से बहाली हेतु पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण.
– राजकोष को हानि पहुंचाने, पद दुरूपयोग के अन्य प्रकरण, अन्य पुलिस द्वारा रजिस्टर्ड आपराधिक प्रकरण जैसी श्रेणियों अनुसार निर्देश.
तीसरी स्थिति:-
हत्या, बलात्कार, दहेज मृत्यु, मानव तस्करी,भ्रूण हत्या मादक पदार्थों की तस्करी, सार्व.परीक्षा में अनुचित साधन उपयोग हो तो ऐसे आपराधिक प्रकरण में यदि लोकसेवक गिरफ्तार नहीं हुआ हो या गिरफ्तारी पर पुलिस/न्यायिक कस्टडी अवधि 48 घंटे या इससे कम है तो प्रकरण के तथ्यों,आरोप प्रकृति व गंभीरता अनुसार, लोकसेवक के अनुरूप आचरण या साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना के आधार पर होगा निर्णय.
– इन आधारों पर निलंबन को लेकर परीक्षण बाद होगा निर्णय
– निलंबन पर कोर्ट में चालान पेश हुआ तो बहाली के लिए हो सकेगा विचार
– इसके लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे प्रकरण
चौथी स्थिति:-
गबन,पद के दुरूपयोग,राजकोष को हानि पहुंचाने के हों प्रकरण या पदीय दुरूपयोग के हों अन्य आपराधिक प्रकरण और लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों तक रखा कस्टडी में तो ऐसा लोकसेवक होगा तुरंत निलंबित.
– ऐसे प्रकरणों में कोर्ट ने यदि चालान पेश किया तो बहाली पर होगा विचार.
– ऐसे प्रकरण पुनर्विलोकन समिति के सामने रखे जाएंगे बहाली के लिए.
– ऐसे प्रकरणों में गिरफ्तारी नहीं हो या 48 घंटे या उससे कम की हो कस्टडी तो विभिन्न मापदंड ध्यान में रखकर लिया जाएगा निलंबन का निर्णय.
– ऐसे प्रकरण में निलंबन होने पर कोर्ट में चालान पेश हो तो बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति के सामने रखा जाएगा विचार के लिए.
पांचवीं स्थिति:-
जघन्य, गंभीर, गबन आदि के प्रकरणों के अलावा हो आपराधिक प्रकरण तो भी लोकसेवक को गिरफ्तारी के बाद 48 घंटों की कस्टडी में लिया जाए.
– तो भी ऐसे लोकसेवक को तुरंत निलंबित किया जाए.
– यदि गिरफ्तार नहीं किया या कस्टडी 48 घंटे या इससे कम है तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर होगा निलंबन का निर्णय
– बहाली के लिए समिति के सामने नहीं रखे जाएंगे ऐसे प्रकरण और समिति में विचार के बाद हो सकती बहाली.
छठी स्थिति:-
अब बहाली के लिए जो प्रकरण समिति के सामने रखे जानेवाले हैं जो प्रकरण उनमें अनुसंधान एजेंसी ने 2 साल में भी कोर्ट में चालान नहीं किया पेश तो बहाली के लिए प्रकरण रखा जा सकता पुनर्विलोकन समिति के सामने.
– समिति हर प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता के पहलू देखेगी
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना,प्रकरण की मौजूदा स्थिति देखेगी
– इनके बारे में गुणावगुण पर विचार करके करेगी निलंबन समाप्त करने या यथावत रखने संबंधी करेगी सिफारिश.
– बहाली बाद ऐसे जनसेवक को कम जनसंपर्क वाले पदों पर रखा जाएगा.
– कम महत्व के पद पर ऐसी जगह होगी उसकी पोस्टिंग
– जो घटनास्थल से भिन्न और दूरस्थ स्थान पर हो, यह करना होगा सुनिश्चित.
अन्य निर्देश:-
– बहाली के लिए पुनर्विलोकन समिति की बैठक 4 माह में हो 1 बार
– निलंबन आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका/ अपील दायर की हो या कोर्ट अधिकारी को प्रकरण का परीक्षण कर सकारण आदेश जारी करे तो अलग-अलग मापदंडों के आधार पर सक्षम अधिकारी करेगा परीक्षण.
– संबंधित प्रकरणों के तथ्यों, आरोपों की प्रकृति, गंभीरता का रखें ध्यान.
– साक्ष्यों को प्रभावित करने की संभावना, मौजूदा स्थिति पर हो विचार.
– फिर अधिकारी कारण सहित जारी करे स्पीकिंग ऑर्डर.
– ऐसे प्रकरण नहीं रखे जाएं पुनर्विलोकन समिति के सामने आपराधिक प्रकरण में कोर्ट लोकसेवक को दोषमुक्त कर दे तो ऐसे लोकसेवक को निलंबन से किया जाए बहाल
– भले ही कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने की हो अपील तब पुनर्विलोकन समिति की नहीं ली जाए अभिशंसा
– यदि सक्षम अधिकारी अभियोजन के लिए करता है मनाही तो ऐसे प्रकरणों में निलंबन समाप्त कर बहाली की जाए
दरअसल, कई बार अलग-अलग मामलों में विभागों की ओर से लाइन ऑफ एक्शन के लिए राय ली जाती है, इसलिए ये दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
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यहाँ अब हम भारत सरकार के कार्मिक विभाग से जारी निर्देशों का उल्लेख कर रहे हैं जिसके तहत कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने जो निर्देश जारी किये हैं जो कि केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू होते हैं
No.DOPT-1667564457999
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत एवं कार्मिक मंत्रालय पेंशन
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग
(दिनांक 04 नवम्बर, 2022 )
निलंबन
निलंबन से संबंधित प्रावधान कई नियमों में फैले हुए हैं जैसे केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965, मौलिक नियम आदि। इसके अलावा, कई निलंबन के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले संचार के विभिन्न तरीकों जैसे ओएम आदि के रूप में कार्यकारी निर्देश समय-समय पर जारी किए गए हैं। अब, इन प्रावधानों के उचित कार्यान्वयन में मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से, इन प्रावधानों को समेकित करने और आवश्यकता पड़ने पर आसान पहुंच के लिए इन्हें सार्वजनिक डोमेन में रखने की आवश्यकता महसूस की गई है। तदनुसार, उक्त नियम/कार्यकारी निर्देश निम्नानुसार संकलित किए गए हैं: Guidelines suspension reinstatement of Employees
(A) निलंबन–
निलंबन, हालांकि जुर्माना नहीं है, लेकिन इसका सहारा संयमपूर्वक लिया जाना चाहिए। जब भी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित किया जाता है तो सरकार न केवल उसकी सेवाएं खो देती है बल्कि उसे बिना काम करने के लिए भुगतान भी करती है। इसके साथ एक कलंक भी जुड़ा होता है। इसलिए, किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने का निर्णय सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करना होगा। [ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 3]
(B) परिस्थितियाँ जिसके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा जा सकता है
(a) जहां, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार किया जा रहा है या लंबित है; या Guidelines suspension reinstatement of Employees
(b) जहां, सक्षम प्राधिकारी की राय में, उसने खुद को राज्य की सुरक्षा के हित के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल कर लिया है;
या
(c) जहां, किसी आपराधिक अपराध के संबंध में उसके खिलाफ मामला जांच, पूछताछ या परीक्षण के अधीन है। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(C) परिस्थितियाँ जिनके तहत एक सरकारी कर्मचारी को निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा [निलंबन माना जाता है]
(a) यदि सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक की अवधि के लिए हिरासत में रखा जाता है, चाहे वह आपराधिक आरोप पर हो या अन्यथा;
(b) यदि, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने की स्थिति में, सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे से अधिक कारावास की सजा सुनाई जाती है और उसे तुरंत बर्खास्त या हटाया नहीं जाता है या अनिवार्य रूप से नहीं हटाया जाता है ऐसी सजा के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्त हो गए।
स्पष्टीकरण – उपरोक्त खंड (बी) में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि की गणना दोषसिद्धि के बाद कारावास की शुरुआत से की जाएगी और इस प्रयोजन के लिए, कारावास की रुक-रुक कर अवधि, यदि कोई हो, को ध्यान में रखा जाएगा। [सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 का नियम 10(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
किसी भी कारण से गिरफ्तार किए गए सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि वह अपनी गिरफ्तारी के तथ्य और उससे जुड़ी परिस्थितियों की जानकारी तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारी को दे, भले ही बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया हो। संबंधित व्यक्ति या किसी अन्य स्रोत से सूचना प्राप्त होने पर विभागीय अधिकारियों को यह निर्णय लेना चाहिए कि क्या व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार तथ्य और परिस्थितियां उसके निलंबन की मांग करती हैं। किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित करने में विफलता को महत्वपूर्ण जानकारी का दमन माना जाएगा और उसे केवल इस आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, उस कार्रवाई के अलावा जो परिणाम के आधार पर अपेक्षित हो सकती है। उसके खिलाफ पुलिस केस. [ओएम संख्या 39/59/54-स्था.(ए) दिनांक 25.02.1955]
(c) जहां निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना अपील में या समीक्षा पर अलग रखा जाता है और मामले को माफ कर दिया जाता है आगे की जांच या कार्रवाई या किसी अन्य निर्देश के साथ, उनके निलंबन का आदेश बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से लागू माना जाएगा और अगले आदेश तक लागू रहेगा। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(3)]
(d) जहां किसी सरकारी कर्मचारी पर लगाए गए सेवा से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का दंड किसी निर्णय के परिणामस्वरूप रद्द या घोषित या शून्य कर दिया जाता है। कानून की अदालत और अनुशासनात्मक प्राधिकारी, मामले की परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, उन आरोपों पर उसके खिलाफ आगे की जांच करने का निर्णय लेते हैं, जिन पर मूल रूप से बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना लगाया गया था, सरकारी कर्मचारी होगा बर्खास्तगी, निष्कासन या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मूल आदेश की तारीख से नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निलंबन के तहत रखा गया माना जाएगा और अगले आदेश तक निलंबन के तहत रहना जारी रहेगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
बशर्ते कि ऐसी किसी भी आगे की जांच का आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि इसका उद्देश्य ऐसी स्थिति को पूरा करना न हो जहां न्यायालय ने मामले की योग्यता पर विचार किए बिना पूरी तरह से तकनीकी आधार पर आदेश पारित कर दिया हो। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(4)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(e) सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10(4) में विचारित आगे की जांच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए, सिवाय उस मामले के जब बर्खास्तगी, निष्कासन का दंड हो या अनिवार्य सेवानिवृत्ति को तकनीकी आधार पर किसी न्यायालय द्वारा मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना या जब नई सामग्री सामने आई हो जो न्यायालय के समक्ष नहीं थी, रद्द कर दी गई हो। हालाँकि, उन आरोपों की आगे की जाँच, जिनकी जाँच न्यायालय द्वारा नहीं की गई है, नियम 10(4) के तहत विभागीय अधिकारियों द्वारा आदेश दिया जा सकता है ibid निर्भर करता है प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर। [ओएम संख्या 11012/24/77-स्था.(ए) दिनांक 18.03.1978] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(f) एक प्रश्न कि क्या सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 (2) के तहत आने वाले मामले में निलंबन के आदेश की अवधि के लिए सीमित कार्रवाई है हिरासत और इससे परे नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राजीव कुमार (2003 (5) स्केल 297) के मामले में विचार किया था। इस मामले में भारत संघ की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नियम 10 (2) के संदर्भ में आदेश नहीं है। अवधि या प्रभावकारिता का बिंदु केवल हिरासत की वास्तविक अवधि तक। यह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम 5 (ए) में दिए गए उप-नियम 5 (सी) के तहत संशोधित या निरस्त होने तक क्रियाशील रहेगा। [ओएम संख्या 11012/8/2003-स्था.(ए) दिनांक 23.10.2003] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(D) ऐसी परिस्थितियाँ जिनके तहत सक्षम प्राधिकारी किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित [मार्गदर्शन के लिए रखने पर विचार कर सकता है और इसे नहीं लिया जाना चाहिए अनिवार्य].
(i) ऐसे मामले जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से जांच, मुकदमे या किसी पूछताछ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा (उदाहरण के लिए गवाहों या दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका);
(ii) जहां सरकारी कर्मचारी के पद पर बने रहने से उस कार्यालय में अनुशासन गंभीर रूप से नष्ट होने की संभावना है जिसमें लोक सेवक काम कर रहा है;
(iii) जहां सरकारी कर्मचारी का पद पर बने रहना व्यापक सार्वजनिक हित के विरुद्ध होगा [(i) और (ii) द्वारा कवर किए गए लोगों को छोड़कर] जैसे कि वहां सार्वजनिक घोटाला है और ऐसे घोटालों, विशेषकर भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों से सख्ती से निपटने की सरकार की नीति को प्रदर्शित करने के लिए सरकारी कर्मचारी को निलंबित करना आवश्यक है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
(iv) जहां सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं और प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है जो उसके अभियोजन को उचित ठहराएगा या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है विभागीय कार्यवाही, और जहां कार्यवाही उसकी दोषसिद्धि और/या बर्खास्तगी, निष्कासन या सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति में समाप्त होने की संभावना है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
ध्यान दें: पहले तीन परिस्थितियों में अनुशासनात्मक प्राधिकारी अपने विवेक का प्रयोग करके किसी सरकारी कर्मचारी को निलंबित कर सकता है, भले ही मामले की जांच चल रही हो और प्रथम दृष्टया मामला स्थापित होने से पहले भी।
(v) नीचे बताई गई परिस्थितियों में निलंबन वांछनीय हो सकता है:-
a) कोई भी अपराध या आचरण जिसमें नैतिक अधमता शामिल हो;
b) भ्रष्टाचार, सरकारी धन का गबन या दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति का कब्ज़ा, व्यक्तिगत लाभ के लिए आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग;
c) कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही और लापरवाही के परिणामस्वरूप सरकार को काफी नुकसान हुआ;
d) कर्तव्य से विमुख होना;
e) वरिष्ठ अधिकारियों के लिखित आदेशों को पूरा करने से इनकार करना या जानबूझकर विफलता। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(E) दहेज मृत्यु के मामलों में शामिल सरकारी सेवकों का निलंबन.
यदि पुलिस ने किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी [दहेज हत्या] के तहत मामला दर्ज किया है, तो वह सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम (1) के प्रावधानों को लागू करके सक्षम प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में निलंबन के तहत रखा जाएगा-
(i) यदि सरकारी कर्मचारी को पुलिस मामला दर्ज करने के संबंध में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे हिरासत की अवधि की परवाह किए बिना तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(ii) यदि उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो उसे आपराधिक संहिता की धारा 173 की उप-धारा (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा। प्रक्रिया, 1973, मजिस्ट्रेट के पास, यदि रिपोर्ट प्रथम दृष्टया इंगित करती है कि अपराध सरकारी कर्मचारी द्वारा किया गया है। [ओएम संख्या 11012/8/87-स्था.(ए) दिनांक 22.06.1987]
(F) सक्षम प्राधिकारी
Ø निलंबन के तहत सरकारी कर्मचारी को रखने के लिए प्राधिकारी सक्षम
(i) नियुक्ति प्राधिकारी, या
(ii) कोई भी प्राधिकारी जिसके अधीन नियुक्ति प्राधिकारी है, या
(iii) अनुशासनात्मक प्राधिकारी, या
(iv) सामान्य या विशेष आदेश द्वारा राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में सशक्त कोई अन्य प्राधिकारी।
बशर्ते कि, भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा के एक सदस्य के संबंध में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा किए गए निलंबन के आदेश के मामले को छोड़कर और एक सहायक महालेखाकार या समकक्ष (भारतीय के नियमित सदस्य के अलावा) के संबंध में लेखापरीक्षा और लेखा सेवा), जहां निलंबन का आदेश नियुक्ति प्राधिकारी से निचले प्राधिकारी द्वारा किया जाता है, ऐसा प्राधिकारी तुरंत नियुक्ति प्राधिकारी को उन परिस्थितियों की रिपोर्ट करेगा जिनमें आदेश दिया गया था। [CCS (CCA) नियम, 1965 का नियम 10(1)]
Ø मुख्यालय के बाहर स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में पर्यवेक्षी अधिकारियों को, जहां भी आवश्यक हो, विशेष आदेश जारी करके, नीचे उल्लिखित शर्तों के अधीन, अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निलंबित करने का अधिकार दिया जा सकता है। सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 10 के अनुसरण में राष्ट्रपति के नाम पर आदेश: Guidelines suspension reinstatement of Employees
मुख्यालय से दूर स्थित कार्यालयों में केवल पर्यवेक्षी अधिकारियों को कर्तव्यों के घोर लापरवाही के मामले में अधीनस्थ अधिकारी को निलंबित करने के लिए विशेष रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है। इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए निलंबित प्राधिकारी को प्रत्येक मामले के तथ्यों को तुरंत अगले उच्च प्राधिकारी को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होनी चाहिए, और निलंबन के ऐसे सभी आदेश तब तक शून्य हो जाने चाहिए जब तक कि एक अवधि के भीतर समीक्षा प्राधिकारी द्वारा इसकी पुष्टि न कर दी जाए। आदेश की तारीख से महीना. [ओएम संख्या 7/4/74-स्था.(ए) दिनांक 9.08.1974] Guidelines suspension reinstatement of Employees
मानित निलंबन के संबंध में आदेश जारी करने के लिए प्राधिकारी सक्षम-
(i) निलंबन का आदेश किया गया या किया हुआ समझा गया, उस प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय संशोधित या रद्द किया जा सकता है जिसने आदेश दिया या ऐसा माना जाता है कि उसने आदेश दिया है या किसी भी प्राधिकारी द्वारा जिसके वह प्राधिकारी अधीनस्थ है। [CCS(CCA) नियम, 1965 के नियम 10(5) (सी)]
(ii) निलंबन का आदेश किया गया या किया गया माना गया, उसकी प्रभावी तिथि से 90 दिन की समाप्ति से पहले, निलंबन को संशोधित करने या रद्द करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा समीक्षा की जाएगी। निलंबन की तारीख, इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर और निलंबन को बढ़ाने या रद्द करने के आदेश पारित करें। निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी।निलंबन की विस्तारित अवधि की समाप्ति से पहले बाद की समीक्षा की जाएगी। निलंबन का विस्तार एक बार में 180 दिनों से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगा। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(iii) निलंबन का आदेश 90 दिनों की अवधि के बाद वैध नहीं होगा, जब तक कि इसे समीक्षा के बाद आगे की अवधि के लिए नहीं बढ़ाया जाता है। 90 दिनों की समाप्ति. Guidelines suspension reinstatement of Employees
बशर्ते कि निलंबित किए जाने के मामले में निलंबन की ऐसी कोई समीक्षा आवश्यक नहीं होगी, यदि सरकारी सेवक हिरासत में रहता है और ऐसे मामले में नब्बे दिन की अवधि की गणना हिरासत में हिरासत में लिए गए सरकारी सेवक की रिहाई की तारीख से की जाएगी। निरोध या वह तारीख जिस पर निरोध से उसकी रिहाई का तथ्य उसके नियुक्ति प्राधिकारी को सूचित किया जाता है, जो भी बाद में हो:
बशर्ते कि ऐसे मामले में जहां इन नियमों के तहत कोई आरोप पत्र जारी नहीं किया गया है, उप-नियम (6) के संदर्भ में किसी भी विस्तारित अवधि सहित, जैसा भी मामला हो, निलंबन या समझा गया निलंबन के तहत कुल अवधि, – से अधिक नहीं होगी।
निलंबन आदेश की तारीख से दो सौ सत्तर दिन बाद, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-नियम (1) के खंड (ए) के अनुसार निलंबित कर दिया जाता है ); या
निलंबन के आदेश की तारीख से दो वर्ष, यदि सरकारी कर्मचारी को उप-खंड (एए) या खंड (बी) के संदर्भ में निलंबित कर दिया गया है। नियम (1) जैसा भी मामला हो; या
(iv) लंबी निलंबन अवधि के मामलों में, अदालतों ने बताया है कि निलंबन को लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है और डीओपी एंड टी के निर्देशों के बावजूद, अनुशासनात्मक अधिकारी निर्धारित समय के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम रूप नहीं दे रहे हैं। साथ ही, ऐसे मामलों में सरकार अनावश्यक रूप से बिना किसी कार्य के जीवन निर्वाह भत्ता का भुगतान कर रही है |
और यदि अनुशासनात्मक कार्यवाही की समाप्ति पर, आरोपित अधिकारी आरोप से मुक्त हो जाता है, तो सरकार को अनावश्यक रूप से पूरा वेतन देना होगा और अवधि का इलाज करना होगा। ड्यूटी आदि के दौरान निलंबन। इसलिए, यह वांछनीय है कि निलंबन की समय पर समीक्षा उचित और उचित तरीके से की जाए और अनुशासनात्मक कार्यवाही को शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाए। [ओएम संख्या 11012/17/2013-Estt.A-III दिनांक 18.11.2014] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(I) समीक्षा समिति
(i) इस नियम के तहत किए गए या किए गए माने गए निलंबन आदेश की समीक्षा इस उद्देश्य के लिए गठित समीक्षा समिति की सिफारिश पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाएगी।. Guidelines suspension reinstatement of Employees
(ii) समीक्षा समिति की संरचना:
अनुशासनात्मक प्राधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी और उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक/अपीलीय प्राधिकारी के स्तर का एक अन्य अधिकारी (यदि कोई अन्य अधिकारी हो) समान कार्यालय में समान स्तर उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां राष्ट्रपति अनुशासनात्मक प्राधिकारी या अपीलीय प्राधिकारी नहीं है।
अनुशासनात्मक प्राधिकारी और सचिव/अपर स्तर के दो अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी कार्यालय से या किसी अन्य केंद्र सरकार कार्यालय से अनुशासनात्मक प्राधिकारी के समकक्ष या उच्चतर पद पर हैं (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अपीलीय प्राधिकारी है राष्ट्रपति.
सचिव/अपर स्तर के तीन अधिकारी। सचिव/संयुक्त सचिव जो उसी विभाग/कार्यालय या किसी अन्य केंद्र सरकार विभाग/कार्यालय से निलंबित अधिकारी से उच्च पद पर हों (यदि समान स्तर का कोई अन्य अधिकारी उसी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है), ऐसे मामले में जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी राष्ट्रपति है.
संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग/कार्यालय ऊपर बताए अनुसार स्थायी आधार पर या तदर्थ आधार पर समीक्षा समितियों का गठन कर सकता है।
(iii) समीक्षा समिति मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और यह भी ध्यान में रखते हुए निलंबन को रद्द करने/जारी रखने के संबंध में विचार कर सकती है अनुचित रूप से लंबे समय तक निलंबन, संबंधित कर्मचारी को अनुचित कठिनाई में डालते हुए, कर्मचारी को सरकार के लिए कोई उपयोगी सेवा किए बिना निर्वाह भत्ते का भुगतान करना शामिल है।
पूर्वगामी पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि अधिकारी अदालत में कोई आरोप दायर किए बिना एक वर्ष के लिए निलंबित है या विभागीय जांच में कोई चार्ज-मेमो जारी नहीं किया गया है, तो उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के सेवा में बहाल कर दिया जाएगा। उसके खिलाफ मामला। हालाँकि, यदि अधिकारी पुलिस/न्यायिक हिरासत में है या किसी गंभीर अपराध या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले का आरोपी है, तो समीक्षा समिति उसके निलंबन को जारी रखने की सिफारिश कर सकती है। संबंधित अधिकारी. [ओएम संख्या 11012/4/2003-स्था.(ए) दिनांक 07.01.2004] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(J) निलंबन अवधि के दौरान भुगतान और भत्ते
v जीवन निर्वाह भत्ता
निलंबित सरकारी कर्मचारी को कोई वेतन नहीं दिया जाता है, लेकिन उसे छुट्टी वेतन के बराबर राशि का निर्वाह भत्ता दिया जाता है, जिसे सरकारी कर्मचारी तब लेता जब वह आधे औसत वेतन या आधे वेतन पर छुट्टी पर होता और इसके अलावा महंगाई भत्ता भी लेता। यदि ऐसे अवकाश वेतन के आधार पर स्वीकार्य हो।
जहां निलंबन की अवधि 3 महीने से अधिक हो जाती है, वह प्राधिकारी जिसने निलंबन का आदेश दिया है या माना जाता है कि वह पहले तीन महीनों की अवधि के बाद किसी भी अवधि के लिए निर्वाह भत्ते की राशि को निम्नानुसार भिन्न करने में सक्षम होगा:
निर्वाह भत्ते की राशि उपयुक्त राशि से बढ़ाई जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं हो, यदि उक्त प्राधिकारी की राय, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ा दी गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार नहीं है;
निर्वाह भत्ते की राशि, एक उपयुक्त राशि से कम की जा सकती है, जो पहले 3 महीनों की अवधि के दौरान स्वीकार्य निर्वाह भत्ते के 50% से अधिक नहीं होगी, यदि, उक्त प्राधिकारी की राय में, निलंबन की अवधि लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाई गई है, जो सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के लिए जिम्मेदार है; Guidelines suspension reinstatement of Employees
महंगाई भत्ते की दर उप-खंड (i) के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ते की बढ़ी हुई या, जैसा भी मामला हो, घटी हुई राशि पर आधारित होगी। और (ii) ऊपर. [FR 53 (1)(ii)(a)]
कोई अन्य प्रतिपूरक भत्ता
निलंबित सरकारी कर्मचारी भी इसका हकदार है:
समय-समय पर स्वीकार्य कोई भी अन्य प्रतिपूरक भत्ता, उस वेतन के आधार पर, जो सरकारी कर्मचारी निलंबन की तिथि पर प्राप्त कर रहा था, बशर्ते कि ऐसे भत्तों के आहरण के लिए निर्धारित अन्य शर्तें पूरी की जाती हों। [FR 53 (1)(ii)(b)]
कोई भुगतान तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि सरकारी कर्मचारी यह प्रमाण पत्र नहीं दे देता कि वह किसी अन्य रोजगार, व्यवसाय, पेशे या व्यवसाय में संलग्न नहीं है। [एफआर 53(2)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
v निर्वाह भत्ते से वसूली-
अनिवार्य कटौतियाँ लागू की जाएँ
निलंबित अधिकारी की इच्छानुसार कटौतियाँ
कटौती नहीं की जाएगी
(i) आय कर(ii) घर का किराया (लाइसेंस शुल्क) और संबद्ध शुल्क(iii) सरकार से लिए गए ऋणों और अग्रिमों का पुनर्भुगतान – वसूली की दर विभाग प्रमुख द्वारा निर्धारित की जाएगी(iv) सीजीएचएस योगदान(v) CGEGIS सदस्यता
(i) पीएलआई प्रीमियम(ii) सहकारी दुकानों/सोसाइटियों को देय राशि(iii) जीपीएफ अग्रिम का रिफंड
(i) GPF सदस्यता(ii) अदालत की कुर्की के कारण देय राशि(iii) सरकार को हुए नुकसान की वसूली
निलंबित अधिकारी पर अन्य लोगों के साथ डीपीसी द्वारा विचार किया जाएगा। हालांकि, निलंबित अधिकारियों के संबंध में सिफारिशें एक सीलबंद कवर में रखी जाएंगी।< a i=2>अनुशासनात्मक/आपराधिक कार्यवाही के परिणाम के आधार पर सीलबंद लिफाफे को खोला/नहीं खोला जाएगा (अर्थात सीलबंद लिफाफे में निहित अनुशंसा पर कार्रवाई नहीं की जाएगी)।
यदि रिपोर्टिंग/समीक्षा अधिकारी उस समय निलंबित है जब गोपनीय रिपोर्ट लिखी/समीक्षा की जानी है, तो उसे निलंबित किए जाने की तारीख से दो महीने के भीतर या एक महीने के भीतर संबंधित अधिकारी द्वारा इसे लिखा/समीक्षा करवाई जा सकती है। उस तारीख से जिस दिन रिपोर्ट देय थी, जो भी बाद में हो। निलंबित अधिकारी को ऊपर निर्दिष्ट समय सीमा के बाद गोपनीय रिपोर्ट लिखने/समीक्षा करने के लिए नहीं कहा जाएगा। [ओएम संख्या 21011/2/78-स्था.(ए) दिनांक 01.08.1978]
निलंबित किसी भी अधिकारी को अपने अधीनस्थों की एसीआर लिखने/समीक्षा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, यदि लेखन/समीक्षा के प्रमुख भाग के दौरान वह निलंबित है क्योंकि उसके पास अपने अधीनस्थों के काम की निगरानी करने का पूरा अवसर नहीं हो सकता है। [ओएम संख्या 21011/8/2000-स्था.(ए) दिनांक 25.10.2000] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(M) निलंबन के दौरान LTC
निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी एलटीसी का लाभ नहीं उठा सकता क्योंकि उसे निलंबन की अवधि के दौरान आकस्मिक अवकाश सहित कोई छुट्टी नहीं मिल सकती है। चूंकि वह निलंबन की अवधि के दौरान सेवा में बना रहता है , उनके परिवार के सदस्य एलटीसी के हकदार हैं। [ओएम संख्या ओएम संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 12]
(N) निलंबन के दौरान छुट्टी
निलंबित सरकारी कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी जा सकती। [FR-55]
(O) निलंबन के दौरान मुख्यालय
निलंबन के तहत एक अधिकारी को आम तौर पर सरकारी कर्मचारियों पर लागू होने वाली सेवा की सभी अन्य शर्तों के अधीन माना जाता है और वह पूर्व अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ सकता है। इस प्रकार, एक सरकार का मुख्यालय आमतौर पर नौकर को उसकी ड्यूटी का अंतिम स्थान माना जाना चाहिए। किसी अधिकारी को निलंबित करने के आदेश में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए कि उसका मुख्यालय क्या होगा।
हालाँकि, जहां निलंबित व्यक्ति मुख्यालय बदलने का अनुरोध करता है, तो सक्षम प्राधिकारी को मुख्यालय बदलने पर कोई आपत्ति नहीं है यदि वह संतुष्ट है कि इस तरह के पाठ्यक्रम से सरकार को टी.ए. अनुदान जैसा कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। आदि या अन्य जटिलताएँ। [ओएम संख्या कार्यालय ज्ञापन संख्या 11012/17/2013-स्था.(ए) दिनांक 02.01.2014 का पैरा 10] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(i) पैनलमेंट(ii) कोई भी प्रतिनियुक्ति जिसके लिए मंजूरी आवश्यक है(iii) संवेदनशील पोस्ट पर नियुक्ति(iv) प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए असाइनमेंट (अनिवार्य प्रशिक्षण को छोड़कर)
नियुक्ति के लिए किसी सरकारी कर्मचारी के आवेदन पर, चाहे वह सीधी भर्ती से हो, प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण हो या किसी अन्य पद पर स्थानांतरण हो, विचार नहीं किया जाना चाहिए/अग्रेषित नहीं किया जाना चाहिए यदि वह निलंबित है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
जहां एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबित है, अपना इस्तीफा देता है, सक्षम प्राधिकारी को सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक मामले की योग्यता के संदर्भ में जांच करनी चाहिए कि क्या इस्तीफा स्वीकार करना सार्वजनिक हित में होगा। आम तौर पर, चूंकि अधिकारियों को गंभीर अपराध के मामलों में ही निलंबित किया जाता है, इसलिए निलंबित अधिकारी से इस्तीफा स्वीकार करना सही नहीं होगा। इस नियम के अपवाद वे होंगे जहां कथित अपराध में नैतिक अधमता शामिल नहीं है
एक सरकारी कर्मचारी जो निलंबन के दौरान सेवानिवृत्त होता है, वह उस तारीख से ठीक पहले की तारीख तक अर्हक सेवा के आधार पर अधिकतम पेंशन के बराबर अनंतिम पेंशन का हकदार होता है। निलंबित कर दिया गया। [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 8(4)(ए)]
(T) पेंशन के प्रयोजन के लिए अर्हक सेवा के रूप में निलंबन की अवधि की गणना:
“निलंबन की अवधि की गणना-
(1) आचरण की जांच लंबित रहने तक निलंबन के तहत एक सरकारी कर्मचारी द्वारा बिताया गया समय अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा, जहां ऐसी जांच के निष्कर्ष पर, उसे पूरी तरह से दोषमुक्त कर दिया गया है या केवल मामूली जुर्माना लगाया गया है और निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना गया है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(2) उप-नियम (1) के अंतर्गत नहीं आने वाले मामलों में, निलंबन की अवधि की गणना तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि प्राधिकारी ऐसे मामलों को नियंत्रित करने वाले नियम के तहत स्पष्ट रूप से आदेश पारित करने में सक्षम न हो उस समय घोषणा करता है कि यह उस सीमा तक गिना जाएगा जितनी सक्षम प्राधिकारी घोषित कर सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(3) निलंबन के सभी मामलों में, सक्षम प्राधिकारी एक आदेश पारित करेगा जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाएगा कि किस सीमा तक, यदि कोई हो, निलंबन की अवधि को अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा और इस संबंध में सरकारी सेवक की सेवा पुस्तिका में निश्चित प्रविष्टि की जाएगी।” [सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 23] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(U) एक निलंबित अधिकारी का वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) की स्वीकृति।
निलंबित सरकारी कर्मचारी जो एफआर 56(के) या एफआर-56(एम) या सीसीएस (पेंशन) नियम 2021 के नियम 43 (3) के तहत सेवानिवृत्त होना चाहता है, उसकी अनुमति रोकने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी के पास खुला होगा। [FR-56(k) और FR-56(m)][सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 का नियम 43(3)]
(V) निलंबन से निरसन/बहाली के बाद भुगतान और भत्ता
जब एक सरकारी कर्मचारी जिसे निलंबित कर दिया गया है, उसे बहाल कर दिया जाता है या उसे बहाल किया जाना चाहिए था, लेकिन निलंबन के दौरान उसकी सेवानिवृत्ति (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए, बहाली का आदेश देने के लिए सक्षम प्राधिकारी इस पर विचार करेगा और एक विशिष्ट आदेश देगा-
(a) सरकारी कर्मचारी को बहाली के साथ समाप्त होने वाली निलंबन की अवधि या उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख (समय से पहले सेवानिवृत्ति सहित) के लिए भुगतान किए जाने वाले वेतन और भत्ते के संबंध में, जैसा कि मामला हो सकता है; और
(b) चाहेकहाअवधि ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में मानी जाएगी “[FR-54(बी)(1)] Guidelines suspension reinstatement of Employees
(W) कार्यवाही के समापन पर
v यदि दोषमुक्त किया गया है
जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि निलंबन पूरी तरह से अनुचित था, सरकारी कर्मचारी को पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है।
जहां सक्षम प्राधिकारी की राय है कि कार्यवाही में देरी सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारी के कारण हुई है, तो वह सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद – यदि कोई हो, कम राशि का भुगतान करने का आदेश दे सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
निलंबन की अवधि को सभी प्रयोजनों के लिए ड्यूटी पर व्यतीत की गई अवधि के रूप में माना जाएगा। [एफआर 54-बी (3) और amp; (4)]
v मामूली जुर्माना लगाया गया है
जहां कार्यवाही के परिणामस्वरूप केवल मामूली जुर्माना लगाया जाता है, तो निलंबन को पूरी तरह से अनुचित माना जाता है और संबंधित कर्मचारी को एफआर 54-बी के तहत उचित आदेश पारित करके निलंबन की अवधि के लिए पूर्ण वेतन और भत्ते का भुगतान किया जा सकता है। [O.M. क्रमांक 11012/15/85-स्था.(ए) दिनांक. 03.12.1985]
v मुक्ति/मामूली दंड के अलावा
(a) सक्षम प्राधिकारी सरकारी कर्मचारी को नोटिस देने और उसके प्रतिनिधित्व, यदि कोई हो, पर विचार करने के बाद भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण करेगा। [एफआर 54-बी(5)]
(b) निलंबन की अवधि को कर्तव्य के रूप में नहीं माना जाएगा जब तक कि सक्षम प्राधिकारी विशेष रूप से निर्देश न दे कि इसे किसी निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए ऐसा माना जाएगा।
(c) यदि सरकारी कर्मचारी चाहे तो निलंबन की अवधि को देय एवं स्वीकार्य अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है। (नोट: अस्थायी सरकारी सेवकों के मामले में ऐसी छुट्टी 3 महीने से अधिक या स्थायी सरकारी सेवकों के मामले में 5 साल से अधिक हो सकती है) [एफआर 54-बी(7)]
नोट: एफआर 54-बी(9) के अनुसार, जहां भी अनुमत राशि पूर्ण वेतन और भत्तों से कम है, वह पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते से कम नहीं होगी। Guidelines suspension reinstatement of Employees
(X) निलंबन के दौरान मृत्यु
जहां निलंबित सरकारी कर्मचारी की अनुशासनात्मक कार्यवाही या उसके खिलाफ अदालती कार्यवाही समाप्त होने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो निलंबन की तारीख और मृत्यु की तारीख के बीच की अवधि को सभी उद्देश्यों के लिए कर्तव्य के रूप में माना जाएगा और उसके परिवार को पूरा वेतन दिया जाएगा। यदि उसे निलंबित नहीं किया गया होता तो वह जिन भत्ते का हकदार होता, वह उस अवधि के लिए पहले से भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते के समायोजन के अधीन होगा। [FR 54-बी(2)]
(Y) चार्ज शीट इत्यादि की सेवा।
क) निलंबन आदेश में सामान्यतः निलंबन का कारण दर्शाया जाना चाहिए। Guidelines suspension reinstatement of Employees
बी) जहां निलंबन विचाराधीन कार्यवाही के आधार पर है, वहां सरकारी कर्मचारी को 3 महीने के भीतर आरोप पत्र दिया जाना चाहिए
नोट: यदि प्रासंगिक ओएम के किसी संदर्भ की आवश्यकता है, तो इसे हाइपरलिंक पर क्लिक करके या डीओपीटी की वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है। Guidelines suspension reinstatement of Employees
केन्द्रीय कर्मचारियों के विस्तृत दिशा निर्देश यहाँ देखें
कक्षा 10 के लिए विज्ञान विषय का शानदार सम्पूर्ण अध्याय क्लासरूम नोट्स व महत्वपूर्ण प्रश्न, और सारांश सहित रंगीन चित्रांकन सहित
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हितकारी निधि राशि कटौती सम्बन्धी सभी जानकारी | HITKARI NIDHI YOJANA FULL INFORMATION CONTRIBUTION DEDUCTIONS FORMATS : राज्य सरकार के आदेश क्रमांक-प.21(7) शिक्षा-2/हितकारी निधि /2017 दिनांक: 15.06.2018 एवं श्रीमान निदेशक महोदय के द्वारा अनुमोदन उपरान्त हितकारी निधि का वार्षिक अंशदान का शिक्षा विभाग के समस्त राजपत्रित व अराजपत्रित संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन से हर वर्ष माह दिसंबर देय माह जनवरी में निर्धारित दर से कटौती कर भिजवाया जाना हैं।
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Table of Contents
हितकारी निधि की जानकारी प्रश्न उत्तर के माध्यम से-
प्रश्न-1:- दिसम्बर माह में हितकारी निधि राशि वेतन से किस दर से कटौती की जानी है?
उत्तर- हितकारी निधि कटौती राशि राजपत्रित कार्मिको के लिए 500 रुपये और अराजपत्रित कार्मिको के लिए 250 रुपये वार्षिक निर्धारित है, जो वेतन बिल माह दिसम्बर (देय जनवरी) से करनी अनिवार्य है। यह कटौती प्रोबेशनर कार्मिक के वेतन से भी निर्धारित दरों के अनुसार अनिवार्यतः करनी है।
प्रश्न-2 :- पेमेनेजर/प्रिपेमेनेजर पर हितकारी निधि की कटौती करने की क्या प्रक्रिया है?
उत्तर – (i) इसके लिए सबसे पहले पेमेनेजर/प्रिपेमेनेजर लॉगिन कर MASTER > EMPLOYEE DETAILS > CORP DETAILS पर क्लिक करें। अब PAY NAME में HITKARI NIDHI लिखें एवं Corp A/C Number में 51020721611 लिखें और सबमिट कर दे। इस प्रकार कार्मिक के मास्टर में हितकारी कटौती Add हो जाएगी।
(ii) मास्टर में कार्मिक की हितकारी निधि अपडेट करने के बाद Bill processing > Salary preparation > Add Group Deduction या Employee Pay Detail > Add Deduction > HITKARI NIDHI में जाकर हितकारी निधि निर्धारित दर के अनुसार काटनी है।
HITKARI NIDHI YOJANA FULL INFORMATION
प्रश्न -3 :- हितकारी निधि के शिड्यूल पर डिजिटल साइन नही हो रहें है? अब क्या करें ?
उत्तर – माह दिसम्बर 2022 के वेतन बिल प्रोसेस के बाद reports > Cooperative schedule में जाकर हितकारी निधि शिड्यूल का प्रिंट निकाल कर उसपर मैन्युअली हस्ताक्षर मय मोहर कर इसे other documents में अपलोड करना है।
प्रश्न -4 :- हितकारी निधि के शेड्यूल एवम ECS SLIP किस पते पर और कब भेजने है ?
उत्तर – माह दिसम्बर के वेतन विपत्र पारित होने एवं TV नम्बर जारी होने के पश्चात हितकारी कटौती शिड्यूल एवं ECS कॉपी डीडीओ हस्ताक्षर मय कार्यालय मोहर निम्नलिखित पते पर भेजें –
अध्यक्ष हितकारी निधि, माध्यमिक शिक्षा विभाग राजस्थान, बीकानेर पिन कोड नम्बर – 334001
यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त जानकारी इन नंबरों पर प्राप्त की जा सकती है : 9461244803, 7023634416
HITKARI NIDHI YOJANA FULL INFORMATION वार्षिक अंशदान की दरें :
समस्त राजपत्रित अधिकारी (स्कूल व्याख्याता सहित)
रूपये 500/- प्रतिवर्ष
समस्त अराजपत्रित कार्मिक (अध्यापक एवं सहायक कर्मचारी सहित)
रूपये 250/- प्रतिवर्ष
HITKARI NIDHI YOJANA FULL INFORMATION
हितकारी निधि योजनालाभ
इस कल्याणकारी योजना अंतर्गत 2018-19 से नियमित अंशदाता को ही लाभ प्राप्त हो सकेगा ।
1
सेवा में रहते कार्मिक के निधन पर उसके आश्रितों द्वारा आवेदन करने पर आर्थिक सहायता।
150000/-
2
शिक्षा विभाग के कार्मिकों के 500 बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा में अध्ययनरत होने पर सहायता।
10000/-
3
शिक्षा विभागीय कार्मिक एवं उसके आश्रित के असाध्य रोग से पीडित होने पर अधिकतम सहायता।
20000/-
4
एक मुश्त छात्रवृति योजनागत शिक्षा कर्मियों के पुत्र / पुत्री के राजकीय विद्यालय में अध्ययन करते हुए 70 प्रतिशत् या अधिक अंक प्राप्त करने पर छात्रवृति। (राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर द्वारा आयोजित X के 950 एवं 50 विशिष्ट उपाध्याय, संस्कृत के छात्र/ छात्राओं को )
11000/-
5
बालिका उपहार योजनान्त्तगत (सेवाकाल में एक बार) पुत्री विवाह पर, प्रति वर्ष 1000 प्रकरणों में।
11000/-
6
मंत्रालयिक एवं च0कर्म० को भारत भ्रमण सुविधा के तहत राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने पर अधिकतम सहायता ।
12000/-
7
बालिका शिक्षा हेतु ऋण।
50000/-
नोट :-
हितकारी निधि की कटौती समस्त कार्मिको के 15 तारीख से पूर्व अनिवार्य रूप से ऐड कर देवे क्योकि 16 तारीख से माह दिसम्बर के वेतन बिल ओटो प्रोसेस हो जायेगे।
हितकारी निधि वार्षिक कटौती है। अतः दिसम्बर माह के वेतन बिल पारित होने के पश्चात इसे कार्मिक पे डिटेल्स में से हटा देवें।
NPS – NSDL Account Se Paisa Kaise Nikalen एनपीएस – एनएसडीएल अकाउंट से मेच्योरिटी से पहले 25% पैसा कैसे निकाले
NPS Withdrawal Latest News Update: पेंशन पाने वाले कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने नेशनल पेंशन सिस्टम के सब्सक्राइबर्स को अपना पूरा पैसा निकालने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. PFRDA ने कहा है कि वो सब्सक्राइबर्स जिनका कुल पेंशन कॉर्पस 5 लाख रुपये या इससे कम है, वो बिना एन्युटी खरीदे अपना पूरा पैसा निकाल सकते हैं|
NPS से निकाल सकते हैं पूरा पैसा?
पेंशन रेगुलेटर PFRDA के अनुसार, जिन सब्सक्राइबर के परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट में इकट्ठा पेंशन राशि 5 लाख रुपये या इससे कम है या प्राधिकरण की तय सीमा के मुताबिक है, ऐसे सब्सक्राइबर्स के पास बिना एन्यूटी खरीदे ही पूरी पेंशन रकम निकालने का विकल्प होगा. यहां एन्यूटी खरीदने का मतलब इंश्योरेंस कंपनियों से पेंशन प्लान खरीदने से है|
NPS – NSDL अकाउन्ट से मेच्योरिटी से पहले पैसा निकालने के नियम, कौन सा फार्म भरना होगा आदि सभी जानकारी विस्तृत रूप से नीचे अवश्य देखें NPS – NSDL Account Se Maturity Se Pahle Paisa Kaise Nikalen
NPS Withdrawal Rules In Hindi – National Pension Scheme India – नेशनल पेंशन स्कीम NPS-NSDL से शासकीय कर्मचारी या अंश धारक चाहे तो रिटायरमेंट से पहले कुछ नियम शर्तों के साथ अपना अकाउंट से पैसा निकाल सकता है। पेंशन कोष नियामक पीएफआरडीए PFRDA ने राष्ट्रिय पेंशन प्रणाली (एनपीएस )को आसान बनाने के लिए अंशधारकों आंशिक निकासी Partial Withdrawal की छूट दी है। पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण PFRDA ने परिपत्र जारी कर कहा की जिन NPS अंश धारकों ने 3 वर्ष तक योगदान दिया है, वे कुछ निर्धारित खर्चों के लिए कुल कोष से 25 प्रतिशत तक की राशि निकाल सकते है।
आपको बता दें कि NPS सब्सक्राइबर्स तीन साल बाद ही अपने अकाउंट से पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी कुछ शर्तें तय हैं. मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने पर ये रकम कुल योगदान का 25 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकती है. ये आंशिक निकासी बच्चों की पढ़ाई, बच्चों की शादी, घर खरीदने या किसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए की जा सकती है. NPS सब्सक्राइबर्स पूरी अवधि के दौरान तीन बार ही इस तरह की आंशिक निकासी कर सकते हैं. एक बात ध्यान देने वाली है कि ये सभी निकासियां इनकम टैक्स नियमों के तहत बिल्कुल टैक्स फ्री होती है.
सब्सक्राइबर्स का पेंशन का अधिकार हो जाएगा खत्म
हालांकि PFRDA ने ये बताया है कि इसके बाद NPS के तहत या सरकार या नियोक्ता से किसी भी पेंशन या अन्य राशि प्राप्त करने के लिए ऐसे ग्राहक का अधिकार समाप्त हो जाएगा. इसके अलावा पेंशन रेगुलेटर ने सब्सक्राइबर्स को एक और राहत भी दी है. गैजेट नोटिफिकेशन में PFRDA ने कहा है कि NPS में मैच्योरिटी से पहले एकमुश्त निकासी लिमिट को बढ़ाया गया है, पहले सब्सक्राइबर्स 1 लाख रुपये निकाल सकते थे, अब 2.5 लाख रुपये निकाल सकेंगे|
NPS में एंट्री-एग्जिट की उम्र बढ़ाई
पेंशन रेगुलेटर PFRDA ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में एंट्री के लिए उम्र की सीमा को 65 साल से बढ़ाकर 70 साल कर दिया है, यानी कोई 70 साल का व्यक्ति भी NPS में निवेश की शुरुआत कर सकता है. जबकि एग्जिट लिमिट को PFRDA ने 75 साल कर दिया है. यानी वो अब NPS खाता 75 साल की उम्र तक चालू रख सकते हैं. बाकी सभी दूसरे सब्सक्राइबर्स के लिए मैच्योरिटी की सीमा 70 साल है|
अपने खाते की रिपोर्ट जनरेट करके इसका अवलोकन करें :
सबसे पहले अपने NPS खाते में लॉग इन करें |
इसके लिए दिए गए लॉग इन बटन पर क्लिक करें |
अब नयी विंडो में अपने PRAN नंबर एवं पासवर्ड डालकर एवं कैप्त्चा भरकर लॉग इन करें |
अब Demographic Changes टैब में FATCA Self Declaration पर क्लिक करें| भरा हुआ होने पर FATCA/CRS certification already done लिखा आएगा |
अन्यथा आपको FATCA Self Declaration भरकर ऑनलाइन ही सबमिट करना होगा | बिना FATCA Self Declaration के किसी भी प्रकार की निकासी संभव नहीं होगी|
अब Exit from NPS टैब में Initiate Withdrawal Request पर क्लिक करें|
अब जो स्क्रीन प्रदर्शित होगी उसमें Total Valuation as on Date के सामने आपके अकाउंट में जमा कुल राशि प्रदर्शित होगी| या तो इसका स्क्रीनशॉट ले लें अथवा इस राशि को कागज़ पर लिख लें | NPS से राशि की निकासी कब कर सकते हैं ?
पीएफआरडीए (एनपीएस के अंतर्गत निकास और आहरण) विनियम, 2015 के अनुसार अभिदाता निम्नलिखित परिस्थितियों में एनपीएस से निकास कर सकता हैः
सूपरैन्यूएशन पर : जब अभिदाता सूपरैन्यूएशन / 60 वर्षकी आयु प्राप्तकर लेता है तो उसे संचित पेंशन राशिमें से कम से कम 40% भाग का उपयोग वार्षिकीकी खरीदके लिए करना होगा जो उसे एक नियमित मासिक पेंशन प्रदान करेगी। बाकि शेषनिधियोंका आरहरण एक मुश्तरूप में किया जा सकता है। यदि कुल संचित पेंशन राशि 5 लाख रूपएया उससे कम है तो अभिदाता 100% राशिके एक मुश्त आहरणके विकल्प का चयन कर सकता है। समय पूर्व निकास:एनपीएस से समय पूर्व निकास (सूपरैन्यूएशन/60 वर्षकी आयु प्राप्त करने से पूर्व निकास) के मामलेमें अभिदाताको संचित पेंशन निधिके कम से कम 80 भाग का उपयोग वार्षिकीकी खरीदके लिए करना पड़ेगा जो उसे नियमित मासिक पेंशन प्रदान करेगा। शेष राशिका आहरण एक मुश्त रूपमें किया जा सकता है। हालांकि, आप केवल 5 वर्ष पूरे करने पर भी एनपीएससे निकास कर सकते है। यदि कुल राशि 2.5 लाख रूपए या उससे कम है तो अभिदाता 100% राशिके एक मुश्त आहरणके विकल्प का चयन कर सकता है। अभिदाताकी मृत्यु होने पर – समग्र संचित पेंशन निधि (100%) का भुगतान अभिदाताके नामिति/कानूनी हकदार को कर दिया जाएगा।
NPS अंशधारक अपने सेवा काल में कितने बार राशि आहरण कर सकता है उसकी जानकारी हेतु इसे देखें-
Purpose of withdrawal निम्न कारणों से आप NPS Account से राशि निकाल सकते है – NPS-NSDL अंश धारक नीचे दिए कारणों के वजह से ही राशि निकाली जा सकती है –
NPS नेशनल पेंशन स्कीम के तहत अंशधारक कम से कम 3 वर्ष तक अंशदान जमा कर चूका हो।
बच्चों की उच्च शिक्षा एवं शादी हेतु।
दुघटना/गंभीर एक्सीडेंट होने पर
कैंसर होने पर
गुर्दा ख़राब होने पर
लकवा होने पर
ह्रदय सम्बन्धी सर्जरी,रोग के लिए
कोमा
अंधत्व/अँधा होने पर
स्ट्रोक एवं अन्य गंभीर बीमारी होने पर
Portial Withdrawal Process Pension System एनपीएस खाता से राशि निकालने की प्रक्रिया – NPS-NSDL अकाउंट से राशि निकालने के लिए नीचे दिए फार्म को भरना होगा और निम्न दस्तावेज दस्तावेज की आवश्यकता होगी सम्पूर्ण जानकारी नीचे देखें-
निम्न फार्म भरना होगा-
NPS खाता से राशि,जमा अंशदान निकालने के लिए FORM -302 भरना होगा। इस फार्म को 60 वर्ष से कम आयु वाले अंशधारक/कर्मचारी भर सकते है। इस फॉर्म में निजी जानकारी ,एनपीएस खाते की संख्या,निकासी का ब्यौरा,एन्युटी का विकल्प और बैंक विवरण भरना होगा। अंशदाता के मृत्यु के मामले में नॉमिनेशन के लिए फार्म में एनेक्शचर जुड़ा होता है।
निम्न दस्तावेज की होगी आवश्यकता-
NPS से राशि निकालने के फॉर्म के साथ निम्न दस्तावेज को संलग्न करना होगा –
पैन कार्ड की प्रति
कैंसल्ड चेक
NPS से मिली रकम की प्राप्ति को स्वीकार करने वाली रसीद।
पहचान एवं पते का सबूत।
NPS Portial Withdrawal Online Process ऑनलाइन राशि आहरण की सुविधा-
ऑनलाइन आहरण हेतु निकासी के लिए सब्सक्राइबर अनुरोध कर सकते है। इस अनुरोध को पीओपी सेवा प्रदाता सत्यापित करते है। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में अपने आवेदन की प्रोसेस भी चेक कर सकते है। प्रोसेस पूरा होने पर अंशदाता के खाते में एकमुश्त रकम डाल दी जाती है।
कितनी राशि आहरण / Withdrawal कर सकते है –
सब्सक्राइबर अपने जमा अंशदान का 25 प्रतिशत तक राशि निकाल सकते है। उक्त राशि की निकासी हेतु NPS-NSDL अकाउंट की अवधि कम से कम 3 वर्ष से अधिक होना चाहिए। NPS खाता धारक सम्पूर्ण सेवा काल में तीन बार तक आंशिक राशि आहरण कर सकता है।
NPS फंड से निकासी की शर्तें
सब्सक्राइबर को NPS कम से कम 3 साल के लिए होना चाहिए। निकासी राशि सब्सक्राइबर द्वारा किए गए योगदान के 25% से अधिक नहीं होगी।सदस्यता के पूरे कार्यकाल के दौरान निकासी अधिकतम 3 बार हो सकती है। किसी खास वजहों से निकासी की अनुमति दी जाती है, उदाहरण के लिए बच्चों की उच्च शिक्षा, बच्चों की शादी, क्रिटिकल बीमारियों के इलाज के लिए (निर्दिष्ट शर्तों में) , घर की खरीद या निर्माण के लिए।
NPS से आंशिक राशि की निकासी का धन प्राप्त करें :
25% की राशि की निकासी के लिए Transact Online टैब में Withdrawal मेन्यु में Partial Withdrawal from Tier 1 पर क्लिक करें |
यहाँ पर आपका PRAN नंबर लिखा आएगा| अब SUBMIT पर क्लिक करें |
अब प्रतिशत में 25%चुनें |
Reason में निकासी का कारण चुनें और सबमिट करें | (कारण ऊपर दर्शाए हुए हैं उनमे से कोई एक कारण पूछा जाएगा|)
अब समस्त डिटेल्स देखें और Confirm बटन पर क्लिक करें|
अब घोषणापत्र को टिक्क लगाकर स्वीकार करें और Online Bank Account Verification पर क्लिक करें |
Success का मेसेज दिखने पर OKपर क्लिक करें |
अब Confirm पर क्लिक करें |
अब आधार आधारित OTP से वेरीफाई करें और फाइनल सबमिट करें |
आपको SMS और इमेल पर अलग-अलग OTP मिलेंगे दोनों को वेरीफाई करना आवश्यक है |
अब FINAL SUBMIT कर दें|
आपकी रिक्वेस्ट सफलता पूर्वक सबमिट हो गयी है | अगले 5 कार्यदिवसों में यह राशि आपके बैंक खाते में पहुँच जायेगी |
नोट- PFRDA पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा NPS खाता धारकों के लिए आंशिक राशि निकालने के सम्बन्ध में जारी सर्कुलर को नीचे दिए लिंक से सीधे डाउनलोड कर अध्ययन कर सकते है –
Exit from NPS टैब में Initiate Withdrawal Request पर क्लिक करें| [अब जो स्क्रीन प्रदर्शित होगी उसमें Total Valuation as on Date के सामने आपके अकाउंट में जमा कुल राशि प्रदर्शित होगी| यदि यह राशि 2,50,000 से कम है तो आप 100% राशि प्राप्त कर पायेंगे | (नोट: जब तक राजस्थान सरकार द्वारा ऑफिसियल नॉटीफिकेशन प्राप्त नहीं होता तब तक कृपया यह प्रयास नहीं करें | इसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे)]
अब आप Withdrawal due to* में Pre Mature Exit Select करें तथा OK पर क्लिक करें|
अब Lump-Sum and ASP Withdrawal को सेलेक्ट करें |
Date of Resignation/Exit: * में 31/03/2022 भरें |
Towards Withdrawal (in %) * में 100 लिखें |
अब SUBMIT पर क्लिक करें |
अब समस्त डिटेल्स देखें और Confirm बटन पर क्लिक करें|
अब घोषणापत्र को टिक्क लगाकर स्वीकार करें और Online Bank Account Verificationपर क्लिक करें |
Success का मेसेज दिखने पर OK पर क्लिक करें |
अब Confirm पर क्लिक करें |
अब आधार आधारित OTP से वेरीफाई करें और फाइनल सबमिट करें|
आपको SMS और इमेल पर अलग-अलग OTP मिलेंगे दोनों को वेरीफाई करना आवश्यक है |
अब Final सबमिट कर दें, आपकी रिक्वेस्ट सफलता पूर्वक सबमिट हो गयी है | अगले 5 कार्यदिवसों में यह राशि आपके बैंक खाते में पहुँच जायेगी|
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत किसी अभिदाता के व्यक्तिगत पेंशन खाते के बंद होने की प्रक्रिया को निकास कहा जाता है।
2. अभिदाता एनपीएस के कब निकास प्राप्त कर सकता है?
पीएफआरडीए (एनपीएस के अंतर्गत निकास और आहरण) विनियम, 2015 के अनुसार अभिदाता निम्नलिखित परिस्थितियों में एनपीएस से निकास कर सकता हैः
सूपरैन्यूएशन पर : जब अभिदाता सूपरैन्यूएशन / 60 वर्षकी आयु प्राप्तकर लेता है तो उसे संचित पेंशन राशिमें से कम से कम 40% भाग का उपयोग वार्षिकीकी खरीदके लिए करना होगा जो उसे एक नियमित मासिक पेंशन प्रदान करेगी। बाकि शेषनिधियोंका आरहरण एक मुश्तरूप में किया जा सकता है। यदि कुल संचित पेंशन राशि 5 लाख रूपएया उससे कम है तो अभिदाता 100% राशिके एक मुश्त आहरणके विकल्प का चयन कर सकता है।
समय पूर्व निकास: एनपीएस से समय पूर्व निकास (सूपरैन्यूएशन/60 वर्षकी आयु प्राप्त करने से पूर्व निकास) के मामलेमें अभिदाताको संचित पेंशन निधिके कम से कम 80 भाग का उपयोग वार्षिकीकी खरीदके लिए करना पड़ेगा जो उसे नियमित मासिक पेंशन प्रदान करेगा। शेष राशिका आहरण एक मुश्त रूपमें किया जा सकता है। हालांकि, आप केवल 5 वर्ष पूरे करने पर भी एनपीएससे निकास कर सकते है। यदि कुल राशि 2.5 लाख रूपए या उससे कम है तो अभिदाता 100% राशिके एक मुश्त आहरणके विकल्प का चयन कर सकता है।
अभिदाताकी मृत्यु होने पर – समग्र संचित पेंशन निधि (100%) का भुगतान अभिदाताके नामिति/कानूनी हकदार को कर दिया जाएगा।
3. सूपरैन्यूएशनके समय /60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अभिदाता के पास एनपीएस के निकास से संबंधित कौन.कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
अभिदाता एनपीएस में निवेश जारी रखने (75 वर्ष तक) अथवा एनपीएस से निकास के संबंध में निणर्य कर सकता है। एनपीएस अभिदाताओं के लिए निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं:
एनपीएस खातेको जारी रखना : अभिदाता 60 वर्ष/ सूपरैन्यूएशन की आयुके बाद भी (75 वर्ष तक) एनपीएस खातेमें अंशदान करना जारी रख सकते हैं। 60 वर्षकी आयुके बाद अंशदान करने पर अभिदाता एनपीएसके अंतर्गत विशेष करलाभ प्राप्त करने के लिए पात्रभी बन जाते हैं।
आस्थगन (वार्षिकी साथही साथ एक मुश्त राशिका): अभिदाता अपने आहरणका अस्थगित कर सकता है और 75 वर्षकी आयु तक एनपीएसमें निवेश करना जारी रख सकता है। अभिदाता यदि चाहेतो केवल एक मुश्त आहरण एकेवल वार्षिकीको या वार्षिकीके साथ-साथ एक मुश्त आहरण दोनोंका अस्थगित कर सकता है।
अपनी पेंशन प्रारंभ करना: यदि अभिदाता अपने एनपीएस खाते को जारी नहीं रखना चाहता अथवा अस्थगित नहीं करना चाहता तो वह एनपीएससे निकास कर सकताहै। वह निकास अनुरोध ऑनलाइन भेज सकता है और एनपीएसके निकास संबंधी दिशा निर्देशोंके अनुसार पेशन प्राप्त करना आंरभ कर सकता है।
4. मैं आहरण फॉर्म कहां से प्राप्त कर सकता हूं? आहरण फॉर्म कितने प्रकार के होते हैं?
आप इस वेबसाइट पर उपलब्ध संबंधित सेक्टर के ‘फॉर्म’ अनुभाग से आहरण फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार के आहरण अनुरोध के आधार पर निम्नलिखित फॉर्म उपलब्ध हैं
सूपरैन्यूएशन
समय पूर्व निकास
मृत्यु
5. एक्जिट क्लेम आईडी क्या है और इसके उपयोगिता क्या है?
सीआरए द्वारा सूपरैन्यूएशनकी आयु/60 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले अभिदाता के लिए सूपरैन्यूएशन/60 वर्ष की आयु की तिथि से 6 महीने पूर्व एक क्लेम आईडी तैयार की जाती है। सीआरए द्वारा क्लेम आईडी तैयार किए जाने की सूचना अभिदाता को ई-मेल, पत्र, एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाता है।
सूपरैन्यूएशनके मामले में,सीआरए सूपरैन्यूएशन या 60 वर्ष की आयु की तिथि से छः महीने पहले एक क्लेम आईडी का निर्माण करता है। क्लेम आईडी के बारे में अभिदाता को ई-मेल, पत्र, एमएमएस के माध्यम से अभिदाता को सूचित किया जाता है। क्लेम आईडी की सूचना प्राप्त होने से अभिदाता आहरण अनुरोध प्रारंभ करने से पूर्व अपने एनपीएस खाते में यदि कोई परिवर्तन (जैसे जन्म-तिथि, पता इत्यादि) करना चाहते हैं तो छः महीने पहले कर सकते हैं। क्लेम आईडी निर्माण किए बिना आहरण अनुरोध दर्ज नहीं कराया जा सकता।
समय पूर्व निकास के मामले में,पेंशन फंड से आहरण हेतु अभिदाता को क्लेम आईडी तैयार करने के लिए पीओपी से सम्पर्क करने की आवश्यकता होती है। यदि पीओपी द्वारा आहरण अनुरोध दर्ज किया जाता है तो क्लेम आईडी सृजित करने की आवश्यकता नहीं होती।
मृत्यु होने पर ऑन लाइन आहरण अनुरोध की प्रक्रिया में क्लेम आईडी सृजित करने की आवश्यकता नहीं होती। मृत्यु के मामले मेंपीओपी द्वारा सीधे आहरण अनुरोध दर्ज कराया जा सकता है।
6. मैं सीआरए सिस्टम में किस प्रकार आहरण अनुरोध दर्ज कर सकता हूं?
अभिदाता अपने एनपीएस खाते में लॉग-इन करने के माध्यम से ऑनलाइन आहरण अनुरोध दर्ज कर सकते हैं। ऐसे अनुरोध को संबंधित पीओपी द्वारा सत्यापित और प्रमाणित किए जाने की आवश्यकता होती है। यदि अभिदाता ऑनलाइन आहरण अनुरोध दर्ज करने में समर्थ नहीं है तो उसे अपेक्षित दस्तावेजों के साथ वास्तविक आहरण फॉर्म पीओपी के पास जमा कराना पड़ता है। अभिदाता के अनुरोध के आधार पर, पीओपी अभिदाता की ओर से ऑनलाइन आहरण अनुरोध दर्ज करेगा।
इस संदर्भ में अपनाये जाने वाले चरणों की विस्तृत जानकारी के लिए आप इसे वेबसाइट पर दिए गए ‘सब्सक्राइबर कॉर्नर‘ के अंतर्गत ‘नॉलिज सेंटर’ भाग में उपलब्ध ‘विड्रावल प्रोसेस फॉर नॉन गवर्मेंट सब्सक्राइबर‘ के ‘सेल्फ रनिंग डेमो‘ को देख सकते हैं।
7. सूपरैन्यूएशनएवं समय-पूर्व निकास के मामले में कौन-कौन से दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
सूपरैन्यूएशन एवं समय-पूर्व निकास के मामले में ठीक प्रकार से भरे गए आहरण फॉर्म के साथ निम्नलिखित दस्तावेज जमा कराने अपेक्षित हैं:
मूल (ओरिजनल) प्रान कार्ड
पूरी तरह भरी गई एडवांस स्टैम्पड रिसीप्त और अभिदाता द्वारा क्रॉस हस्ताक्षरित रेवन्यू स्टैम्प
केवाईसी दस्तावेज (पता और फोटो आईडी साक्ष्य )
बैंक साक्ष्य के रूप में कैंसल चेक,अभिदाता का नाम, बैंक खाता संख्या और आईएफएस कोड सहितद्ध अथवा अभिदाता के नाम बैंक खाता संख्या और आईएफएस कोड वाले बैंक के लेटर हैड पर बैंक सर्टिफिकेट को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। बैंक पासबुक की एक प्रतिलिपि को स्वीकार किया जा सकता है हांलाकि उस पर अभिदाता का फोटोग्राफए नाम और आईएफएस कोड होना चाहिए और अभिदाता द्वारा स्वयं सत्यापित होनी चाहिए।
यदि सम्पूर्ण आहरण के लिए पात्र हैं तो रिक्वेस्ट कम अंडरटेकिंग फॉर्म
अपेक्षित दस्तावेज प्रस्तुत करने के बादपीओपी द्वारा आहरण अनुरोध को प्रमाणित किया जाएगा।
8. क्या मैं सूपरैन्यूएशन और समय-पूर्व निकास के मामले में 100% आहरण का दावा कर सकता हूं?
हां अभिदाता निम्नलिखित मामलों में आहरण का दावा कर सकता है :
सूपरैन्यूएशन के मामले में यदि सूपरैन्यूएशन60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अभिदाता की कुल संचित निधि रू 5 लाख से कम है तो अभिदाता 100% आहरण का दावा कर सकता है।
समय पूर्व निकास के मामले में यदि अभिदाता की कुल संचित निधि 2.5 लाख रूपए से कम है तो अभिदाता सम्पूर्ण आहरण के विकल्प का उपयोग कर सकता है। हालांकिएनपीएस में केवल 5 वर्ष पूरेहोने के बाद ही आप निकास कर सकते हैं।
9. क्या मैं एनपीएस मे अपनी अवधि के दौरान कुछ राशि का आहरण कर सकता हूं और अपने एनपीएस खाते को जारी रख सकता हूं?
हां, एनपीएस अभिदाता अपने किए गए अंशदान की कुछ राशि का आहरण कर सकते हैं। इसे एनपीएस के अंतर्गत आंशिक आहरण कहा जाता है, कृपया आंशिक आहरण की शर्तों के बारे में जानने के लिए प्रश्न संख्या 10 का संदर्भ लें।
10. आंशिक आहरण के लिए क्या – क्या शर्ते हैं ?
11. आंशिक आहरण किस प्रकार किया जा सकता है?
12. अभिदाता की मृत्यु होन पर आहरण अनुरोध के मामले में नामितिकर्ता/दावाकर्ता को कौन-कौन से दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए?
पूरी तरह भरे गए आहरण फॉर्म के साथ निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए:
मूल (ओरिजनल) प्रान कार्ड
एडवांस्ड स्टैम्पड रिसीप्त को पूरी तरह भरी होनी चाहिए और अभिदाता द्वारा राजस्व टिकट पर क्रास हस्ताक्षर किए होने चाहिए।
केवाईसी दस्तावेज (पता और फोटो आईडी साक्ष्य)
बैक साक्ष्य के रूप में कैंसल चेक (दावाकर्ता का नामएवं बैंक खाता संख्या आईएफएस कोड सहित) अथवा दावाकर्ता के नाम बैंक खाता संख्या और आईएफएस कोड वाले बैंक के लेटर हैड पर बैंक सर्टिफिकेटको प्रस्तुत किया जाना चाहिए। बैंकपासबुक की एक प्रतिलिपि को स्वीकार किया जा सकता है| हांलाकि उस पर दावाकर्ता का फोटोग्राफ नाम और आईएफएस कोड होना चाहिए और दावाकर्ता द्वारा स्वयं सत्यापित होनी चाहिए।
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र की मूल प्रति
अपेक्षित दस्तावेज प्राप्त करने के पश्चात, पीओपी को ऑनलाइन आहरण अनुराध को कैप्चर करने की आवश्यकता होती है। चेकर आईडी द्वारा ऑथराइज करने पर पीओपी कवरिंग लेटर के साथ आहरण फॉर्म और समर्थित दस्तावेज को स्टोरेज के प्रयोजनार्थ सीआरए को भेजेगा।
13. एनपीएस में एक से अधिक नामिति पंजीकृत होने पर मृत्यु संबंधी मामलों का निपटान कैसे किया जाता है?
ऐसे आहरण दावों का निपटान नीचे उल्लिखित परिदृश्य में किया जाता है :
आहरण अनुरोध सीआरए में पंजीकृत सभी नामितियों द्वारा किया जाना चाहिए।
यदि कोई नामिति एनपीएस निधि हेतु दावा नहीं करना चाहता तो
ऐसे नामिति/नामितियों जो एनपीएस लाभ हेतु दावा नहीं करना चाहते उन्हें अभित्याग विलेख (रीलिंक्यूशमेंट डीड) प्रस्तुत करनी चाहिए।
एनपीएस लाभों के लिए दावा करने वाले नामिति द्वारा एक क्षतिपूर्ति बांड (इंडेमनिटी बांड)प्रस्तुत करना चाहिए।
ऐसे मामले में जहां एक नामिति वयस्क तथा अन्य नामिति नाबालिक होने पर
वयस्क नामिति अपना आहरण फॉर्म जमा कराएगा।
अभिभावक (अव्यस्क की ओर से) नाबालिक के जन्म तिथि के प्रमाण के साथ आहरण फॉर्म जमा कराएगा।
14. अभिदाता/दावाकर्ता को आहरण राशि किस प्रकार प्राप्त होती है?
आहरण राशि केवल इलैक्ट्रोनिक पद्धति के माध्यम से अभिदाता/दावाकर्ता के बैंक खाते (ऑनलाइन आहरण अनुरोध जमा कराते समय उपलब्ध कराए गए बैंक विवरण के अनुसार) में जमा की जाती है।
15. अभिदाता किस प्रकार आहरण अनुरोध की स्थिति की जांच कर सकता है?
अभिदाता नीचे उल्लिखित विकल्पों के अनुसार आहरण अनुरोधकी स्थिति की जांच कर सकते हैं :
अभिदाता सीआरए वेबसाइट (www.cra-nsdl.com) के होम पेज पर उपलब्ध ‘लिमिटेड एक्सेस व्यू‘ कार्यपद्धति(लॉगइन से पहले) के माध्यमसे जांच कर सकता है।
अभिदाता एनपीएस खातेमें लॉगइन करके ‘एक्जिट विड्रावल रिक्वेस्ट‘ मेन्यूके अंतर्गत ‘विड्रावल रिक्वेस्ट स्टेटस व्यू‘ में जाकर स्थितिकी जांच कर सकते हैं।
16.वार्षिकी (annuity) क्या है?
एनपीएस के संदर्भ में, वार्षिकी से तात्पर्य उस मासिक राशि से है जिसे अभिदाता वार्षिकी सेवा प्रदाता (एएसपी) से प्राप्त करता है। अभिदाता द्वारा निर्धारित पेंशन राशि के एक प्रतिशत भाग (न्यूनतम 40%,सूपरैन्यूएशनएवं 80 %समय पूर्व निकास और मृत्यु होने के कारण आहरण की स्थिति में) का उपयोग पैनलबद्ध वार्षिकी सेवा प्रदाता से वार्षिकी की खरीद के लिए किया जाता है।
17. वार्षिकी सेवा प्रदाता कौन है?
एनपीएस से निकास के बाद अभिदाताओं को एक नियमित मासिक पेंशन प्रदान करने की जिम्मेदारी वार्षिकी सेवा प्रदाता (एएसपी) की होती है। ये एएसपी मूलतः बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा विनियमित वे बीमा कंपनियां है जिन्हें पीएफआरडीए द्वारा एनपीएस अभिदाताओं को वार्षिकी सेवाएं प्रदान करने के लिए पैनलबद्ध किया गया है। एएसपी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप कृपया इस बेवसाइट पर दिए गए ‘एन्यूटी सर्विस प्रोवाइडर‘ सेक्शन (होमपेज पर ‘Important Links ‘ के अंतर्गत दिया गया है) को देखें।
18. समय पूर्व निकास के मामले में, अभिदाता की वार्षिकी (पेंशन) कब से शुरू होगी?
पूर्व निकास के मामले में, समय यदि अभिदाता आयु और वार्षिकी की खरीद (एएसपी के चयन और संबंधित वार्षिकी सेवा प्रदाता की वार्षिकी योजना के आधार पर) के लिए कार्पस के मानदंडों को पूरा करता है तो वार्षिकी (पेंशन) तुरंत शुरू हो जाएगी।
19. कौन-कौन सी वार्षिकी योजनाएं उपलब्ध हैं?
एनपीएस के अंतर्गतएएसपी के पास निम्नलिखित योजनाएं उपलब्ध हैं :
आजीवन वार्षिकी– वार्षिकीकर्ताकी मृत्यु पर, वार्षिकीका भुगतान बंद कर दिया जाता है।
आजीवन वार्षिकीके साथ मृत्यु होने पर खरीद मूल्यकी वापसी– वार्षिकीकर्ताकी मृत्युहोने पर वार्षिकीका भुगतान बंद कर दिया जाता है और खरीद मूल्यको नामितिको वापस लौटा दिया जाता है।
आजीवन वार्षिकीके साथ वार्षिकी कर्ताकी मृत्यु होने पर पति/पत्नीको 100% वार्षिकी का भुगतान– वार्षिकीकर्ताकी मृत्यु होने पर, नामितिको आजीवन वार्षिकीका भुगतान किया जाता है। यदि पति/पत्नीकी मृत्यु वार्षिकीकर्तासे पहले हो जाती है तो वार्षिकीकर्ताकी मृत्युके बाद वार्षिकी बंद कर दी जाएगी।
आजीवन वार्षिकीके साथ वार्षिकीकर्ताकी मृत्यु होने पर पति/पत्नीको आजीवन 100% वार्षिकीका भुगतान और खरीद मूल्यकी वापसी- वार्षिकीकर्ताकी मृत्यु होने पर, पति/पत्नीको उसके जीवन कालके दौरान वार्षिकीका भुगतान किया जाता है और पति/पत्नीकी मृत्यु होने पर नामितिको खरीद मूल्य वापस लौटा दिया जाता है।
20. मुझे वार्षिकी सेवा प्रदाताओं (एएसपी) द्वारा प्रदान की जाने वाली संभावित पेंशन राशि के बारे में जानकारी कहां से प्राप्त होगी?
पेंशन राशि की गणना वार्षिकी सेवा प्रदाताओं द्वारा दी जाने वाले संभावित वार्षिकी दरों (समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों के अध्यधीन) के आधार पर की जा सकती है। हालांकि, वास्तवित वार्षिकी राशि वार्षिकी की खरीद के समय प्रचालित दरों पर निर्भर करेगी। संभावित पेंशन राशि के बारे में जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट के पेज पर ‘एन्यूटी सर्विस प्रोवाइडर (एएसपी)‘ देख सकते हैं। इसके अलावा, संभावित पेंशन राशि के लिए आप संबंधित एएसपी की वेबसाइट भी देख सकते हैं।
21. क्या अभिदाता वार्षिकी की खरीद के बाद वार्षिकी सेवा प्रदाता या वार्षिकी के प्रकार को परिवर्तित कर सकता है?
एक बार वार्षिकी खरीद लेने पर,वार्षिकी रद्द करने या अन्य वार्षिकी सेवा प्रदाता या किसी अन्य योजना में पुन: निवेश करने की अनुमति नहीं होगी जब तक कि वार्षिकी सेवा प्रदाता द्वारा निर्दिष्ट समय सीमा (आईआरडीए द्वारा विशेष रूप से दी गई अथवा वार्षिकी अनुबंध के संबंध में दी गई फ्री लुक अवधि) के भीतर ऐसा न किया जाए।
22. क्या अभिदाता चरणबद्ध तरीके से आहरण कर सकता है?
एनपीएस अभिदाताओं के लिए चरणबद्ध आहरण की सुविधा उपलब्ध है। अभिदाता 60 वर्ष (अथवा नियोक्ता द्वारा निर्धारित सेवानिवृत्ति की कोई अन्य आयु) से 75 वर्ष की अवधि के दौरान एक चरणबद्ध तरीके (10 किश्त तक ) में एकमुश्त राशि के आहरण के विकल्प का चुनाव कर सकता है। हालांकि, अभिदाता को चरणबद्ध आहरण से पूर्व वार्षिकी को खरीदना पड़ता है।
23. क्या अभिदाता एनपीएस में बने रहने के विकल्प को चुनने के बाद आस्थगन विकल्प का चयन कर सकता है?
नहीं, अभिदाता जारी रखने के विकल्प का चयन करने के बाद आस्थगन (एकमुश्त और वार्षिकी) के विकल्प का चुनाव नहीं कर सकता।
24. क्या अभिदाता टीयर । खाते को जारी रखने के साथ-साथ टीयर ।। खाते को भी जारी रख सकता है?
हां, टीयर । खाता सक्रिय रहने तक अभिदाता अपने टीयर ।। खाते को जारी रख सकता है।
25. टीयर। खाता बंद करने पर, मेरे टीयर ।। खाते का क्या होगा?
यदि आप टीयर । खाता बंद करने का अनुरोध करते हैं तो आपका टीयर ।। खाता भी बंद हो जाएगा। टीयर ।। खाते की यूनट्सि का मोचन (रीडिम्ड) कर दिया जाएगा और राशि को आपके द्वारा दिए गए बैंक खाते में अंतरित कर दिया जाएगा।