निदेशालय पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण विभाग, राजस्थान, जयपुर पेंशनर्स (नागरिक) अधिकार पत्र
प्रस्तावना
राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जहाँ सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों के निस्तारण के लिये पृथक से पेंशन विभाग की स्थापना की गई है। पहले यह कार्य महालेखाकार, राजस्थान द्वारा किया जाता था, किन्तु सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों को सुविधा देने के पुनीत उद्देश्य से 01.12.1979 को पेंशन निदेशालय की स्थापना की गई। कार्य विस्तार एवं सुविधा की दृष्टि से वर्ष 1993-94 में जोधपुर, उदयपुर, वर्ष 1994- 95 में कोटा, बीकानेर वर्ष 1995-96 में अजमेर तथा वर्ष 2014-15 में भरतपुर में क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया वर्तमान में पेंशन प्रकरणों का निस्तारण क्षेत्रवार हो रहा है विभागाध्यक्षों व अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के पेंशन प्रकरणों का निस्तारण निदेशालय पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण, राजस्थान, जयपुर कार्यालय द्वारा किया जाता है।
पेंशनर के हितार्थ सामान्य निर्देश
पेंशन विभाग द्वारा निष्पादित किये जाने वाले कार्य सभी आम नागरिकों से संबंधित न होकर केवल पेंशनरों से ही संबंधित हैं। अतः पेंशनर्स के हितों को पर्याप्त संरक्षण उपलब्ध हो, इसके लिये निम्नांकित सामान्य दिशा निर्देश प्रसारित किये हुये हैं:
1. पेंशनर को सेवानिवृत्ति के 2 वर्ष पूर्व उसकी सेवानिवृत्ति की सूचना मिल जावे ।
2. सेवानिवृत्ति से 1 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्ति आदेश की प्रति मिल जावे।
3. सेवानिवृत्ति से 6 माह पूर्व पेंशन प्रकरण तैयार होकर पेंशन विभाग को प्रेषित हो जावे।
4. सेवानिवृत्ति से 1 माह पूर्व पेंशन भुगतान आदेश एवं ग्रेच्युटी भुगतान आदेश की अधिकृतियाँ जारी हो जावे।
5. आवेदन बाद समुचित समय में संशोधन अधिकृतियाँ जारी की जावे।
पेंशन विभाग का कार्यक्षेत्र
विभाग द्वारा मुख्यतः निम्नांकित कार्य निष्पादित किये जाते हैं:
1. राज्य के सेवानिवृत्त अधिकारियों / कर्मचारियों की पेंशन /पारिवारिक पेंशन की मूल एवं संशोधित अधिकृतियाँ जारी करना।
2. राज्य केडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के पेंशन प्रकरणों संबंधी अधिकृतियाँ
3. स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन एवं नकद राशि अधिकृत करने संबंधी कार्य ।
4. पुलिस पदक, विशिष्ट और प्रशंसनीय सेवाओं के लिए पेंशन संबंधी कार्य
5. भूतपूर्व रियासतों के शासकों के हाउस होल्डर्स स्टाफ से संबंधित पेंशन के मामले ।
6. भूतपूर्व रियासतों के कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण।
7. भूतपूर्व जागीर कर्मचारियों के पेंशन संबंधी कार्य।
8. राजस्थान लोक सेवा आयोग, निर्वाचन आयोग, राजस्व मंडल, राजस्थान नहर मण्डल, कर बोर्ड आदि के अध्यक्ष एवं सदस्यों के पेंशन संबंधी कार्य।
9. नगरपालिका/परिषदों, नगर निगम, राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, पंचायत समिति एवं जिला परिषद तथा नगर विकास न्यास के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन संबंधी मामले ।
10. मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति उपादान राशि अधिकृत करना।
11. उपादान के कालातीत मामलों के पुनर्वैध करना।
12. पेंशन अंशदान वसूली एवं सत्यापन का कार्य।
13. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना ।
14. जीवनकालीन बकाया/ पेंशन बकाया के भुगतान की स्वीकृति जारी करना।
15. विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर लम्बे समय से लम्बित पेंशन प्रकरणों के निस्तारण के प्रयास करना।
16. सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन भुगतान संबंधी समस्याओं का निस्तारण।
पेंशनर के अधिकार / हित
कार्य/ पेंशन परिलाभ
पेंशन स्वीकृति हेतु जरूरी औपचारिकतायें / प्रपत्र
अभियुक्ति
पेंशन :-
(अ) अधिवार्षिकी पेंशन :-अधिवार्षिकी पेंशन ऐसे सरकारी कर्मचारी को स्वीकृत की जावेगी जो राजस्थान सेवा नियमों के अधीन अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु (वर्तमान में 60 वर्ष) को प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होता है। परन्तु राजस्थान चिकित्सा सेवा (महाविद्यालय शाखा) के ऐसे चिकित्सा अधिकारियों के बारे में, जो एमबीबीएस डिग्री धारक हैं और राजस्थान चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के ऐसे अधिकारियों के बारे में जो एमबीबीएस डिग्री धारक हैं, अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष होगी।
1. मूल सेवा पुस्तिका मय सत्यापन पेंशन कुलक 2. सेवानिवृत्ति आदेश (प्रारूप – 6) । 3. अन्तिम वेतन भुगतान प्रमाण-पत्र । 4. विभागीय अदेयता प्रमाण-पत्र। 5. वाहन अग्रिम/ भवन निर्माण अग्रिम अदेयता प्रमाण-पत्र। 6. वर्णात्मक नामावली मय संयुक्त फोटो। 7. सेवापुस्तिका के अन्त में पेंशन अवधारण हेतु वरिष्ठ लेखा कर्मी के वेतन नियतन के सही होने का प्रमाण-पत्र। 8. सेवानिवृत्ति से ठीक पहले प्राप्त कर रहे विशेष वेतन (यदि कोई हो) का सेवापुस्तिका में इन्द्राज। इस संबंध में सेवानिवृत्ति के ठीक पहले माह की औसत फलावट कर्मचारी को अधिक लाभप्रद हो, तो ऐसे मामले में लाभ जायेगा । वाली राशि को परिलब्धि माना जायेगा। 9. कर्मचारी की जन्म दिनांक प्रमाणित होनी चाहिये। 10. यदि पेंशनर वर्कचार्ज सेवा में रहा हो व सीपीएफ सदस्य रहा हो, तो नियोक्ता के अंशदान की (मय ब्याज) हस्तान्तरण प्रविष्टि बीमा विभाग से प्राप्त कर भिजवानी होगी।
1. कार्यालय अध्यक्ष द्वारा पेंशन प्रकरण सेवानिवृत्ति तिथि से 6 माह पूर्व पेंशन विभाग में भिजवाया जाना चाहिये। 2. (i) यदि सरकारी कर्मचारी कम से कम 28 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने के पश्चात इन नियमों के प्रावधानों के अनुसार सेवानिवृत्त हो रहा है, तो पेंशन राशि की गणना उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पूर्व प्राप्त किये जा रहे वेतन जिसमें विशेष वेतन भी शामिल है, के पचास प्रतिशत तक के अधिकतम के अध्यधीन रहते हुए की जायेगी। (ii) यदि सरकारी कर्मचारी 28 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने से पहले किन्तु 10 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने बाद इन नियमों क प्रावधानानुसार सेवानिवृत्त हो रहा है, तो पेंशन की राशि खण्ड (i) के अधीन स्वीकार्य राशि के अनुपात में होगी, जो किसी भी दशा में 8850/- से कम नहीं होगी। 3. पेंशन के लिये न्यूनतम 10 वर्ष की अर्हकारी सेवा होनी चाहिये। इसके अभाव में केवल सेवा ग्रेच्युटी ही स्वीकार्य है। 4. ऐसे सरकारी कर्मचारी को, जिसने 5 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण कर ली हो तथा जो नियम 54 के अनुसार पेंशन या ग्रेच्युटी के लिये पात्र हो चुका हो, उसे सेवानिवृत्ति होने पर अर्हकारी सेवा की प्रत्येक पूर्ण 6 माह की सेवा के लिये उसकी परिलब्धियों की 1/4 के बराबर (तथा उस दिन देय महंगाई भत्ते सहित) सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी स्वीकार की जायेगी किन्तु यह परिलब्धियों के 16.5 गुना की अधिकतम सीमा के अध्यधीन होगी परन्तु यह राशि रूपये 20.00 लाख से अधिक नहीं होगी। 5. 3 माह के बराबर या अधिक के वर्ष के भिन्नांश को पूर्ण आधे वर्ष के रूप में माना जावेगा। 6. पेंशन के लिये परिलब्धियों से तात्पर्य राजस्थान सेवा नियमों के नियम 7 (24) में यथा परिभाषित वेतन से अभिप्रेत सेवानिवृत्ति/ मृत्यु उपादान के लिये अनुज्ञेय महंगाई भत्ते की रकम को भी परिलब्धि का भाग माना जाता है।
कार्य/ पेंशन परिलाभ
पेंशन स्वीकृति हेतु जरूरी औपचारिकतायें / प्रपत्र
अभियुक्ति
(ब) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति :- कोई भी सरकारी कर्मचारी 15 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने के बाद किसी भी समय नियुक्ति प्राधिकारी को न्यूनतम तीन माह का नोटिस देकर सेवा से निवृत्त हो सकता है ।
उपर्युक्तानुसार
उपर्युक्त के अतिरिक्त
यह कि राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 के नियम 50 (1) के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर अर्हकारी सेवा में 5 वर्ष की वृद्धि की जाती है, किन्तु इससे अर्हकारी सेवावधि 33 वर्ष से ज्यादा नहीं होगी व अधिवार्षिकी आयु तक सेवा में बने रहने पर होने वाली कुल योग्य सेवा से अधिक नहीं होगी । (यह प्रावधान दिनांक 1.7.13 से सेवानिवृत कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा)
(स) असमर्थता पेंशन :-
सरकारी कर्मचारी शारीरिक या मानसिक दुर्बलता के कारण राजकीय सेवा करने के लिये (चिकित्सीय प्रमाण पत्र के आधार पर) अयोग्य होने पर सेवानिवृत्त किया जाने पर उक्त पेंशन स्वीकार्य
उपर्युक्तानुसार
अधिवार्षिकी पेंशन के लिये दर्शित अभ्युक्तियाँ यथावत ।
(द) क्षतिपूर्ति पेंशन :-
सरकारी कर्मचारी को उसके स्थायी पद की समाप्ति पर सेवानिवृत्त किया जाने पर उक्त पेंशन देय होती है ।
उपर्युक्तानुसार
अधिवार्षिकी पेंशन के लिये दर्शित अभ्युक्तियाँ यथावत ।
(य) अनिवार्य सेवानिवृत्ति
किसी सरकारी कर्मचारी को अकर्मण्यता या संदेहास्पद सत्यनिष्ठा या कार्यालयीय कर्तव्यों के निर्वहन में अक्षमता या कार्यालयीय कर्तव्यों के उचित निष्पादन में अकुशलता के कारण 15 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने, जो भी पहले हो, पर अनिवार्य सेवानिवृत किया जाने पर उक्त पेंशन देय है।
उपर्युक्तानुसार
शास्ति रुप में अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर पेंशन या ग्रेच्युटी या दोनों क्षतिपूरक पेंशन के दो तिहाई से कम दर पर नहीं होगी या पूर्ण क्षतिपूरक पेंशन से अधिक नहीं होगी ।
(र) अनुकंपा भत्ता :- सरकारी कर्मचारी जिसे सेवा से बर्खास्त किया गया है, यदि मामला विशेष विचार किये जाने योग्य है, तो अनुकंपा भत्ता जो उस देय पेंशन या ग्रेच्युटी या दोनों के दो तिहाई से अधिक नहीं होगा जो यदि वह क्षतिपूरक पेंशन पर सेवानिवृत्ति होता हो उसे स्वीकार्य होती ।
उपर्युक्तानुसार
अनुकंपा भत्ता 3025/- रुपये प्रतिमाह से कम राशि का नहीं होगा, किन्तु 1.7.13 से न्यूनतम अनुकंपा भत्ता 3450 होगा ।
सेवानिवृत्ति/मृत्यु ग्रेच्युटी
सरकारी कर्मचारी जिसने पांच वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी कर ली है, सेवानिवृति होने पर, अर्हकारी सेवा की प्रत्येक परिलब्धियो की एक चैथाई के बराबर सेवानिवृति ग्रेच्युटी स्वीकार की जावेगी ।
1. सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी के मामले में अधिवार्षिकी पेंशन के सम्मुख दर्शित औपचारिकताओं की पूर्ति
2. मृत्यु ग्रेच्युटी के मामले में आवश्यक उक्त वर्णित दस्तावेजों के साथ प्रपत्र में अपना क्लेम प्रस्तुत करना होगा |
3. मृत्यु के समय यदि कर्मचारी राजकीय आवास सुविधा का आवंटिती था तो कुछ बकाया नही प्रमाण पत्र संलग्न करना होता है पत्र संलग्न करना होता है
4. मृत्यु प्रमाण पत्र
1. सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर निम्नानुसार मृत्यु ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है:-
अर्हकारी सेवावधि ग्रेच्युटी की दर 1 वर्ष से कम परिलब्धियों का 2 गुणा
1 वर्ष से 5 वर्ष के परिलब्धियों का 6 गुणा बीच
5 वर्ष से 20 वर्ष के परिलब्धियों का 12 गुणा
20 वर्ष या अधिक प्रत्येक पूर्ण छः माही लिये मासिक परिलब्धि का आधा अधिक तक मासिक परिलब्धि के 33 गुणा मासिक तक अधिकतम सीमा 10.00 लाख रुपये)
2. कर्मचारी द्वारा आत्म हत्या करने पर भी मृत्यु ग्रच्युटी का अनुज्ञेय है । 3. ऐसे कर्मचारी के मामले में जिसके बारे ऐसे कर्मचारी के मामले में जिसके बारे में कुछ ज्ञात न हो, सेवानिवृति मृत्यु गेच्युटी का भुगतान परिवार को एक वर्ष बाद किये जाने का प्रावधान है|
परिवार पेंशन :- ऐसा सरकारी कर्मचारी जो 1.10.96 को अस्थायी अथवा स्थायी सेवा में हैं तथा सेवा में रहते हुये या सेवानिवृत्ति के बाद मृत्यु हो जाती है, तो परिवार पेंशन अनुज्ञेय होती है । इसकी अनुज्ञेयता के लिये एक वर्ष की निरन्तर सेवा होना आवश्यक है किन्तु, राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से या आयोग अधिकार क्षेत्र के बाहर के पद पर पूर्णरुपेण सेवा नियमों के अनुसार भर्ती किये गये व्यक्तियों के मामले में एक वर्ष का नियम लागू नहीं होगा परिवार पेंशन मूल वेतन के 30 प्रतिशत के बराबर किन्तु, रुपये 3450/- से अन्यून स्वीकार्य होती है जो सरकार में अधिकतम वेतन के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है ।
1. मृत्यु प्रमाण पत्र
2. पुनर्विवाह न करने का प्रमाण पत्र
3. वर्णात्मक नामावली
1. सरकारी कर्मचारी या पेंशनर की मृत्यु के बाद 7 वर्ष तक बढ़ी हुई दर से परिवार पेंशन प्राप्त होती है, जो सामान्य दर से दुगुनी या अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, के बराबर होती है । बढ़ी हुई दर से परिवार पेंशन 7 वर्ष या पेंशनर यदि जीवित रहता तो 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक जो भी पहले हो, तक भुगतान किया जाता है । उसके बाद सामान्य दर से भुगतान किया जाता है । 2. परिवार पेंशन विधवा/विधुर के पुनर्विवाह तक तथा पुत्र की स्थिति में 25 वर्ष की आयु प्राप्ति या विवाह होने या संतान के रु. 6000/- प्रतिमाह कमाना शुरु करने पर, अविवाहित / तलाकशुदा/विधवा पुत्री के विवाह/पुनर्विवाह करने तक या 600/-रु प्रतिमाह की आय होने तक, जो भी पहले हो तक अनुज्ञेय रहती है। 3. यदि पुत्र/पुत्री शारीरिक या मानसिक रुप से अक्षमह तथा आजीविका उपार्जन के अयोग्य है तो ऐसी संतान को आजीवन परिवार पेंशन देय होगी।
अनुग्रह अनुदान :- ऐसे सरकारी कर्मचारी जिसकी ड्यूटी पर रहते हुये1. अपने सामान्य मुख्य कार्यालय के बाहर 2. किसी दुर्घटना में 3. कर्तव्य निष्पादन के दौरान जान बूझकर पहुंचाई गई चोट के कारण 4. अपनी पदीय हैसियत के कारण जान बुझकर पहुंचाई गई चोट के कारण 5. अपनी सेवा से संबंधित कारणों से हिंसा के द्वारा 6. चुनाव ड्युटी व जनगणना ड्युटी के कारण मृत्यु हो जाती है, तो कर्मचारी के परिवार को अनुग्रह अनुदान स्वीकार्य होता है ।
1. अनुग्रह अनुदान विभागाध्क्ष द्वारा स्वीकृत एवं भुगतान किया जाता है।
2. चुनाव ड्युटी में मरने पर संबंधित जिला कलक्टर द्वारा राशि को स्वीकृत एवं भुगतान किया जाता है ।
3. स्वंय सेवी होमगार्डस के लिये महानिदेशक, होम गार्डस् द्वारा राशि को स्वीकृत एवं भुगतान किया जाता है।
प्रोविजनल पेंशन :- यदि सरकारी कर्मचारी के प्रकरण में किन्हीं कागजातों, आदेशों के अभाव, विभागीय जॉच, न्यायिक कार्यवाही लंबित होने या अन्य कारणों से अंतिम पेंशन स्वीकृति में समय लगना संभावी हो तो प्रोविजनल पेंशन एवं प्रोविजनल ग्रेच्युटी स्वीकार की जा सकती है ।
कार्यालय अध्यक्ष (विभागीय जॉच न्यायिक निर्णय
लम्बित रहने पर नियुक्ति प्राधिकारी) द्वारा निदेशक, पेंशन विभाग, राजस्थान को संबोधित कर प्रपत्र 33 में स्वीकार्य जारी की जानी होती है ।
1. स्वीकृति प्राप्त होने पर निदेशक पेंशन विभाग द्वारा अन्यथा कारण न होने पर एक सप्ताह में प्रोविजनल पेंशन एवं प्रोविजनल ग्रेच्युटी आदेश जारी कर दिये जाते हैं । 2. प्रोविजनल पेंशन 100 प्रतिशत व प्रोविजनल ग्रेच्युटी सामान्य रुप में 75 प्रतिशत तथा निर्माण अग्रिम की वसूली के लिये प्रावधान रखने पर 20 प्रतिशत स्वीकार्य होगी । 3. विभागीय या न्यायिक कार्यवाही के लंबित होने की स्थिति में ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाता है।
पहचान के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति :- नियम के रुप में पेंशनर को व्यक्तिशः भुगतान तभी करना चाहिए जब पेंशन भुगतान आदेश में मिलान कर उसकी पहचान कर ली गई हो । किसी प्रकार का कोई पेंशनर जो विनिर्दिष्ट किसी व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है, तो व्यक्तिगत उपस्थिति से मुक्त होगा ।
जीवन प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विनिर्दिष्ट व्यक्ति:-
1. दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मजिस्ट्रेट की शक्तियों का प्रयोग करने वाला व्यक्ति ।
2. भारतीय पंजीयन अधिनियम के तहत नियुक्त किया गया रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार |
3. राजपत्रित अधिकारी ।
4. किसी पुलिसथाने का प्रभारी जो सब इंसपेक्टर की रैंक से निम्न स्तर का अधिकारी न हो ।
5. पोस्ट मास्टर, विभागीय पोस्ट मास्टर या डाक धर का निरीक्षक ।6. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या प्रथम श्रेणी का अधिकारी या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का अधिकारी | 7. विकास अधिकारी या नायब तहसीलदार
8. सांसद या विधायक या ग्राम पंचायत का सरपंच |
पेंशनर, जो भारत में निवासी नहीं हो, जिसके संबंध में उसका प्राधिकृत एजेन्ट किसी मजिस्ट्रेट नोटेरी बैंकर या भारत के किसी राजनयिक प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है, तो व्यक्तिगत उपस्थिति से मुक्त होगा ।
अन्य राज्यों में पेंशन का भुगतान अंतरण निदेशक, पेंशन विभाग, राजस्थान किसी ऐसे पेंशनर से जो राजस्थान में पेंशन आहरित कर रहा है एवं जो उसे अब दूसरे राज्य में प्राप्त करने का इच्छुक है, (संबंधित कोषाधिकारी के माध्यम से) आवेदन प्राप्त करने पर भुगतान का अंतरण दूसरे राज्य में उस कोषागार में करने के लिये अनुमति दे सकेगा ।
1. कोषागार अधिकारी अंतरण के आवेदन को अग्रषित
| करते समय उसके साथ पेंशन भुगतान आदेश के दोनो
अधपन्नों को, उन पर उस दिनांक तक किये गये
अंतिम भुगतानों को दर्ज करते हुये, संलग्न करेगा ।
| 2. निदेशक, पेंशन विभाग तब या तो नये भुगतान
आदेश को नये कोषागार पर भुगतान करने के लिये
| अंतरित करेगा तथा महालेखाकार राजस्थान के मार्फत
| ऐसा करने के लिये संबंधित राज्य के महालेखाकार को
लिखेगा ।
व्यतिकम एवं समपहरण :- यदि भारत में भुगतान योग्य पेंशन का एक वर्ष से अधिक समय तक भुगतान आहरित नहीं किया जाता है, तो पेंशन का भुगतान योग्य होना बंद हो जाता हैं
पेंशनर बाद में उपस्थित होता है, तो वितरण अधिकारी उसके भुगतान का नवीनीकरण करेगा किन्तु, तीन वर्ष से अधिक पुराने मामलों में नवीनीकरण निदेशक, पेंशन द्वारा किया जायेगा ।
कोषाधिकारी, पेंशन की बकाया राशि रु. 50,000/- तक का भुगतान कर सकता है । इसके बाद निदेशक पेंशन विभाग, राजस्थान की पूर्वानुमति से ही किया जावेगा ।
पेंशन रुपान्तरण :- मूल पेंशन राशि के अधिकतम एक तिहाई भाग तक पेंशन राशि का रुपान्तरण कराया जाकर एक मुश्त भुगतान प्राप्त किया जा सकता है ।
1. प्रपत्र 1 में आवेदन करना होता है।
2. सेवानिवृत्ति की दिनांक से एक वर्ष के अंदर निघारित प्रपत्र में आवेदन करने पर चिकित्सा प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी ।
1. सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी जिसके विरुद्ध विभागीय/न्यायिक कार्यवाही लंबित है, को स्वीकृत की गई अस्थाई पेंशन को रुपान्तरित नहीं कराया जा सकेगा । 2. रुपांतरित पेंशन राशि के भुगतान या अधिकृति जारी होने के 3 माह जो भी पहले हो, 14 वर्ष बाद पेंशन राशि पुनः बहाल हो जाती है अर्थात् रुपान्तरति भाग को पुनः स्थापित कर दिया जाता है।
बीकानेर. अब राज्य सेवा में रहते हुए दिवंगत होने वाले राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अध्यापक पदों पर भी नियुक्ति मिल सकेगी। राज्य सरकार ने अनुकम्पा नियुक्ति नियमों में संशोधन कर इसका रास्ता साफ कर दिया है। कार्मिक विभाग के उप शासन सचिव जय सिंह की ओर से जारी आदेशों में अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के नियम 6 के उपनियम 1 में ग्रेड वेतन संख्या 1 से 10 जो ग्रेड पे 1300 से 2800 के स्थान पर पे मैट्रिक्स में लेवल 1 से 9 शामिल किया है।
इसके अलावा ग्रेड वेतन संख्या 11 से 12 जिसमें 3200 से 3600 के स्थान पर पे मैट्रिक्स लेवल 10 से 11 शामिल कर दिया है। इस संशोधन के बाद अगर कोई मृत आश्रित बीएसटीसी या बीएड किए हुए होगा तो उसे अध्यापक पद पर नियुक्त किया जा सकेगा।
एक जनवरी, 2016 से प्रभावी किए नियम यह नियम 1 जनवरी 2016 से प्रभावी किए जाने से 2016 से 2019 तक जिन मृतक आश्रितों को अध्यापक की योग्यता होते हुए भी कनिष्ठ सहायक के पदों पर नियुक्तियां दे दी गई उन्हें अध्यापक पद पर पुनर्नियुक्त करने का निर्णय विभागाध्यक्ष को निर्णय लेना पड़ेगा। इन आदेशों के जारी होने से पूर्व बीएसटीसी व बीएड योग्यता रखते हुए भी मृत आश्रितों को अध्यापक पदों पर नियुक्तियां नहीं दी जा सकती थी। नियमों में संशोधन के बाद अब इसका रास्ता साफ हो गया है।
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री महेंद्र पांडे ने राज्य सरकार का इस ओर ध्यान दिलाते हुए अभी हाल ही में ज्ञापन भेजकर मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णय की पालना में कार्मिक विभाग द्वारा शीघ्र आदेश जारी कराने की मांग की थी।
राजस्थान राज्य में मृत राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति के क्रम में राज्य सरकार के द्वारा जारी समस्त आदेशो एवम अधिसूचना को इस लेख में सलग्न किया गया है। इस सम्बंध में सबसे महत्वपूर्ण बात है कि किसी राज्य कार्मिक की राज्य सेवा के दौरान मृत्यु हो जाने पर सबसे पहले उसकी “मृत्यु का प्रमाण पत्र” सम्बंधित विभाग में आवेदन के साथ प्रस्तुत करके उसकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी करवा लेना चाहिए। मृत्यु होने के पश्चात पारिवारिक स्तर पर सहमति/विचार विमर्श पश्चात योग्य उत्तराधिकारी का आवेदन समयसीमा में विभाग के समक्ष निर्धारित प्रपत्र में निम्नलिखित जांच के बाद प्रस्तुत कर देना चाहिए।
गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में उस प्रावधान को समाप्त करने के निर्देश दिया है, जिसके तहत मृतक के मूल विभाग में पद रिक्त नहीं होने पर आश्रित के आवेदन को दो साल तक के लिए लंबित रखा जाता था
राजस्थान में अब अनुकंपा पर नौकरी (Compassionate Job) पाने वालों को नियुक्ति के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इसके लिए कार्मिक विभाग ने प्रशासनिक विभागों को निर्देश जारी किया है. इसके तहत अब पद रिक्त नहीं होने पर प्रशासनिक विभाग अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पत्र को दो वर्ष तक प्रतीक्षा में नहीं रख सकेंगे. कार्मिक विभाग ने आदेश जारी करते हुए साफ तौर पर विभागों को निर्देश दिया है कि अगर उनके पास पद रिक्त नहीं हो तो अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पत्र कार्मिक विभाग को भेजने की कार्यवाही करें, ताकि अभ्यर्थी को दूसरे विभागों में अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया की जाए. इससे अनुकंपा नियुक्ति में होने वाली गैर जरूरी देरी नहीं होगी और ऐसे प्रकरणों का जल्दी निपटारा होगा.
अनुकंपा नियुक्ति के मामलों में मृत राज्य कर्मचारी के आश्रित को जल्द नियुक्ति देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक संवेदनशील निर्णय किया है. उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति नियमों के उस प्रावधान को समाप्त करने के निर्देश दिया है, जिसके कारण मृत कार्मिक के मूल विभाग में पद रिक्त नहीं होने पर उसके आश्रित के आवेदन को दो साल तक के लिए लंबित रखा जाता था और दो साल बाद भी पद रिक्त नहीं होता था, तो किसी अन्य विभाग में नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की जाती थी. इस नियम के कारण मृत राज्य कर्मचारी के आश्रित को नियुक्ति के लिए इंतजार करना पड़ता था, क्याेंकि जिस कर्मचारी की मृत्यु के कारण वह नियुक्ति चाहता था उसके मूल विभाग में पद रिक्त नहीं होता था.
कार्मिक विभाग देगा नियुक्ति
सीएम गहलोत ने अब इस प्रावधान को समाप्त करने के साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि मृत कर्मी के मूल विभाग में नियुक्ति योग्य पद रिक्त नहीं होने की स्थिति में उसके आश्रित को जल्द नियुक्ति देने के लिए आवेदन पत्र कार्मिक विभाग को अग्रेषित किया जाए. कार्मिक विभाग आवेदक की पात्रता के आधार पर किसी अन्य विभाग में रिक्त पद पर जल्द नियुक्ति देने की कार्यवाही करेगा.
अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 के प्रावधानों से सम्बन्धित सवालों का समाधान
प्रश्न:-(1) अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आश्रित की परिभाषा बतावे जिसके अनुसार नियुक्ति का आवेदन पत्र तैयार किया जा सके ?
उत्तर:- अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 के नियम 2(ग) के अनुसार अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आश्रित में कार्मिक की पत्नी/पति, पुत्र, अविवाहित पुत्री (परित्यक्ता पुत्री को भी अविवाहित की श्रेणी में माना जाता है), विधवा पुत्री एवं मृत कर्मचारी द्वारा अपने जीवनकाल में वैधानिक रूप से ग्रहीत दत्तक पुत्र/पुत्री को आश्रित माना जाता है।
नोट :- राज्य सरकार के निर्णय एवं कार्मिक विभाग के स्पष्टीकरण आदेश दिनांक 31.05.2016 के अनुसार मृतक कार्मिक का ऐसा पुत्र, जिसकी पत्नी/पुत्र/अविवाहित पुत्री पूर्व से ही नियोजित है तो उस पुत्र को मृतक कार्मिक आश्रित श्रेणी में नही माना जाएगा। फलतः ऐसे पुत्र को अनुकम्पा नियुक्ति देय नही होगी।
प्रश्न:-(2) पति एवं पत्नी दोनों राजकीय सेवा में है। जिस मे से पति का देहांत हो चुका है तो क्या उनके दो पुत्रों में से किसी एक को नौकरी मिलेगी ?
उत्तर:- यदि पति-पत्नी दोनों राजकीय सेवा में है तो पति के देहांत उपरान्त किसी भी आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति नही मिलेगी।
प्रश्न:-(3) एक कार्मिक प्रोबेशन काल में अध्यापक के पद पर कार्यरत थे। उनके देहांत के उपरांत आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति देय होगी या नही ?
उत्तर:- कार्मिक विभाग के आदेश दिनांक 26.04.2011 एवं संशोधन आदेश दिनांक 25/04/2012 के अनुसार प्रोबेशन ट्रेनी को परिवीक्षाकाल में मृत्यु होने पर आश्रित को नियमानुसार अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ देय होता है।
प्रश्न:-(4) एक अविवाहित कार्मिक का देहांत हो चुका है तो क्या उसके भाई को अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकती है ? कार्मिक ने अपने भाई को नॉमिनी बनाया हुआ है ?
उत्तर:-अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 में भाई या बहिन को मृतक आश्रित की परिभाषा में सम्मिलित नही किया गया है। अतः ऐसे मामलों में अनुकम्पा नियुक्ति तो देय नही होगी लेकिन नॉमिनेशन के अनुसार अन्य परिलाभों का भुगतान नॉमिनी को किया जाएगा।
प्रश्न:- (5) एक कार्मिक की डेथ हो चुकी है। उनके दो पुत्र है जिसमे से एक पुत्र राजकीय सेवा में लेक्चरर के पद पर कार्यरत है तो क्या दूसरे पुत्र को नौकरी मिल सकती है ?
उत्तर:-अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 के नियम 5 के अनुसार कार्मिक की डेथ होने के बाद उसकी पत्नी या पति, कोई एक पुत्र,अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र या अविवाहित दत्तक पुत्री केंद्र या राज्य सरकार अथवा केंद्र या राज्य सरकार के कानूनी बोर्ड़, संगठन, निगम में पहले से नियोजित है तो किसी आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति देय नही होगी।
परन्तु जहां कार्मिक की विधवा पत्नी स्वयं के लिए अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन करती है तो उसे अनुकम्पा नियुक्ति दी जाएगी। उस पर यह शर्ते लागू नही होगी।
प्रश्न:-(6):-एक कार्मिक की डेथ हो चुकी है। उसके 10 वर्ष का नाबालिग पुत्र है। कार्मिक की पत्नी पुत्र को बालिग होने पर नौकरी लगवाना चाहती है। क्या ऐसा हो सकता है ?
उत्तर:-अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 के नियम 8 के अनुसार –
(1) अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन के पात्र हेतु न्यूनतम 16 वर्ष व अधिकतम 40 वर्ष निर्धारित की गई है। (2) किसी विधवा की नियुक्ति हेतु कोई ऊपरी (अधिकतम) आयु सीमा नही है। (3)अन्य आश्रितों के लिए अधिकतम ऊपरी सीमा में 5 वर्ष शिथिलन देय होता है।
नाबालिग आश्रित के आयु में शिथिलन राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। अतः इस हेतु निर्धारित समय सीमा में सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग द्वारा कार्मिक विभाग को भेजा जाएगा।
प्रश्न:-(7) एक कार्मिक की डेथ हो चुकी है और अभी लॉक डाउन लगा हुआ है तो कब तक अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन भर कर देना होगा ?
उत्तर:- अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन पत्र जमा करवाने के लिए 90 दिन की समय सीमा निर्धारित है। अतः मृतक आश्रित को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना आवेदन पत्र अपने कार्यालयाध्यक्ष के पास अवश्य जमा करवा देना चाहिए और आवेदन की पावती भी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
प्रश्न:-(8) जलदाय विभाग में एक कार्मिक वर्क चार्ज पर कार्यरत थे उनकी डेथ हो चुकी है। क्या उनके किसी आश्रित को नोकरी लग सकती है ?
उत्तर:- वित्त विभाग के आदेश 19/09/2003 के अनुसार वर्क चार्ज कार्मिक की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को भी नियमानुसार अनुकंम्पा नियुक्ति देय होती है।
प्रश्न:-(9) अनुकम्पा नियुक्ति हेतु निर्धारित योग्यता के बारे में बतावे ?
उत्तर:- (1) कनिष्ठ सहायक (LDC) पद (L-5) के लिए – शैक्षणिक योग्यता सीनियर सेकण्डरी उत्तीर्ण एवं कम्प्यूटर कोर्स उत्तीर्ण होना जरूरी है। हालांकि कम्प्यूटर कोर्स बाद में 2 वर्ष के परीविक्षाकाल मे भी उतीर्ण किया जा सकता है। कम्प्यूटर योग्यता निर्धारित अवधि में प्राप्त नही करने पर आदेश दिनांक 02.01.2017 के अनुसार कार्मिक जितनी विलम्ब अवधि से योग्यता अर्जित करेगा उतनी ही अवधि के लिए परिवीक्षाकाल को आगे बढ़ाया जाएगा। निर्धारित समयावधि में टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नही होने तक कोई वेतनवृद्धि नही दी जाएगी।
नोट :- अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त विधवा महिला एवं निःशक्त कार्मिको को टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी गई है।
नोट :- निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर द्वारा दिनांक 19.04.2018 को जारी स्पष्टीकरण के अनुसार – पैरों से विकलांग कार्मिक को टंकण परीक्षा में छूट देय नही है।
(2) विज्ञान या कृषि संकाय से सीनीयर सेकण्डरी पास आश्रित प्रयोगशाला सहायक (L-8) के लिए आवेदन कर सकते है। इसमे पे लेवल 8 के अनुसार वेतन मिलता है।
(3) चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (L-1) के लिए साक्षर होना आवश्यक है।
प्रश्न:-(10) एक कार्मिक की डेथ हो चुकी है। उनका एक पुत्र BEd किया हुआ है। क्या उसे अनुकम्पा नियुक्ति में अध्यापक पद पर अनुकम्पा नियुक्ति मिल सकती है ?
उत्तर:- कार्मिक विभाग की अधिसूचना दिनांक 02.08.2001 एवं 25.04.2012 के अनुसार यदि किसी कार्मिक की अपने पदीय कर्तव्यों के पालन के दौरान निधन हो जाता है तो उसके आश्रित को अर्हक योग्यता होने पर आदेश दिंनाक 03.07.2019 के अनुसार पेमेट्रिक L-10 और L-11 (ग्रेड पे 3600 एवं 4200) में नियुक्ति दी जा सकती है।
सामान्य प्रकरणों में अनुकम्पा नियुक्ति कनिष्ठ सहायक, प्रयोगशाला सहायक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद ही दी जाती है।
प्रश्न:-(11) एक मृत कार्मिक के आश्रित विवाहित पुत्र के दो से अधिक संतान है क्या उनको अनुकम्पा नियुक्ति मिल जाएगी ?
उत्तर:- किसी विवाहित आश्रित के 2 से अधिक संतान होने पर वह अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पात्र नही होगा। आश्रित को इस आशय का शपथ पत्र आवेदन पत्र के साथ देना अनिवार्य है।
वित्त विभाग के आदेश 29/10/2005 के अनुसार 2 अधिक संतान का नियम मृतक की विधवा की नियुक्ति के मामले पर लागू नही होगा।
प्रश्न:-(12) हमारे विद्यालय में कार्यरत पंचायत सहायक की मृत्यु हो गई है तो उसके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति मिलेगी या नही ?
उत्तर:-पंचायत सहायक राज्य सरकार के कार्मिक की श्रेणी में नही आते है। अतः इनके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति देने का कोई प्रावधान नही है।
प्रश्न -13. मेरी नियुक्ति अनुकम्पा के तहत कनिष्ठ सहायक पद पर हुई है जबकि मैं प्रयोगशाला सहायक की अर्हक योग्यता रखता हूँ। क्या अब मुझे प्रयोगशाला सहायक पद पर अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ मिल सकता है ?
उत्तर -अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 के अनुसार किसी पद पर एक बार नियुक्ति स्वीकार कर लेने एवं कार्यग्रहण कर लेने के बाद आश्रित सुविधा का उपभोग मान लिया जाता है । एक बार उक्त सुविधा का लाभ ले लेने के पश्चात किसी भी परिस्थिति में अन्य पद पर नियुक्ति के लिए विचार नही किया जाएगा।
प्रश्न -14. अनुकम्पा आवेदन के साथ किन किन दस्तावेजो को संलग्न करना है ?
उत्तर – अनुकम्पा नियुक्ति हेतु निर्धारित आवेदन पत्र पूर्ण भरा हुआ, मृतक आश्रित के परिवार में किसी के भी राज्य/केंद्र/संगठन में सेवारत/नियोजन में नही होने का प्रमाणपत्र, अभ्यर्थी के शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र, आवेदक के जाति/मूल निवासी/विवाह/चरित्र प्रमाणपत्र, आवेदक की जन्मतिथि हेतु आयु प्रमाणपत्र या आयु सम्बन्धी दस्तावेज, विवाह के समय दहेज नही लेने का नोटेराइज्ड शपथपत्र, धूम्रपान एवं गुटखा सेवन नही करने का नोटेराइज्ड शपथपत्र, आवेदक का स्वास्थ्य एवं पुलिस सत्यापन प्रमाणपत्र, मृतक कार्मिक का मृत्यु प्रमाणपत्र एवं सेवा समाप्ति आदेश की प्रतिलिपि, आवेदक की नियुक्ति हेतु आश्रित सदस्यों का नोटरी युक्त सहमति पत्र, आवेदक द्वारा आश्रित सदस्यों के भरण पोषण का नोटेराइज्ड शपथ पत्र, मृत कार्मिक की सेवा नियमित एवं निरन्तरता संबंधित प्रमाणपत्र, कार्यालयाध्यक्ष का अनुशंषा प्रमाणपत्र, आश्रित सदस्यों का आय के संबंध में आय उद्घोषणा पत्र, आवेदक पुत्री होने पर अविवाहित होने का प्रमाणपत्र, आवेदक पति/पत्नी है तो पुनः विवाह नही करने का प्रमाणपत्र आदि।
नोट:- यह पोस्ट सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से बनाई गई है विस्तृत जानकारी के लिए अनुकम्पा नियुक्ति नियम 1996 का अध्ययन कर अपना आवेदन पत्र तैयार करे।
यह पोस्ट पेमेनेजर इन्फो समूह द्वारा तैयार की गयी हैं |
अनुकम्पा मियुक्ति का सम्पूर्ण भरा हुआ आवेदन पत्र यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं CLICK HERE
अनुकंपा नौकरी देने की अधिकतम सीमा व प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए गाइडलाइन बनाए सरकार
जब तक गाइडलाइन नहीं बनाई जाती, केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लागू करें लीगल रिपोर्टर | जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. रविंद्र भट्ट व न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील याचिका को स्वीकार करते हुए एकलपीठ का वो आदेश निरस्त कर दिया, जिसमें अनुकंपा नियुक्ति के तहत नौकरी लगे भाई की मृत्यु होने पर उसकी जगह उसके छोटे भाई या मां को भी अनुकंपा नौकरी देने के आदेश दिए थे। खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि अनुकंपा नौकरी देने की अधिकतम सीमा व प्रक्रिया निर्धारित करने सहित इस संबंध में गाइडलाइन बनाए। जब तक राज्य सरकार यह गाइडलाइन नहीं बनाती, तब तक केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में बनाई गई गाइडलाइन लागू करें तथा सभी विभागों को यह गाइडलाइन परिपत्र के माध्यम से भिजवाए। चिकित्सा विभाग की ओर से एएजी करणसिंह राजपुरोहित ने एक अपील याचिका पेश कर कोर्ट को बताया कि रेस्पोडेंट जमना देवी के पति की सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस पर उसके बड़े बेटे विजय कुमार को अनुकंपा नौकरी दी गई। वार्ड बॉय के पद पर नियुक्त विजय की भी मृत्यु हो गई। इस पर रेस्पोडेंट के दूसरे बेटे दीपक सोलंकी ने अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया। इस आवेदन को सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया, कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए वर्ष 1996 के नियम में मां या भाई को आश्रित नहीं माना गया, इसलिए दीपक को अनुकंपा नौकरी नहीं दी जा सकती। विभाग के इस आदेश को रेस्पोेडेंट ने हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने दो आवेदक यानि मां या भाई में किसी के भी आवेदन को कंसीडर करते हुए नौकरी देने के आदेश दिए। चिकित्सा विभाग ने इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी। खंडपीठ के समक्ष एएजी राजपुरोहित ने बहस करते हुए कहा कि मां या भाई को आश्रित नहीं माना जा सकता। रेस्पोडेंट की ओर से एकलपीठ के आदेश को उचित बताया। दोनों पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। खंडपीठ ने सरकार की अपील याचिका स्वीकार करते हुए एकलपीठ के आदेश को अपास्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस तरह की कोई गाइडलाइन नहीं बनाई गई है, जिसमें मृतक आश्रितों के लिए अनुकंपा नियुक्ति की उच्चतम सीमा या पद कितने होंगे। अनुकंपा के आवेदन रूटीन प्रोसेस में एंटरटेन किए जा रहे हैं, वो भी बिना किसी जांच के कि मृतक आश्रित के परिवार में सार्वजनिक कर्मचारी की क्या स्थिति है। उन्होंने वर्ष 2013 में केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में बनाई गई गाइडलाइन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को वर्ष 1996 के नियम के तहत अनुकंपा नौकरी देने की अधिकतम सीमा व प्रक्रिया निर्धारित करने के संबंध में गाइडलाइन बनाए। जब तक राज्य सरकार यह गाइडलाइन नहीं बनाती, तब तक केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में बनाई गई गाइडलाइन लागू करें तथा सभी विभागों को यह गाइडलाइन परिपत्र के माध्यम से भिजवाए।
1. आवेदन पत्र नियमो में निर्धारित प्रारूप में पूर्ण भरकर भिजवावे। 2. आवेदक को नियुक्ति देने में सहमति का आश्रित परिवार के समस्त व्यस्क सदस्यों का शपथ-पत्र। 3. पेंशन राशि सहित परिवार की कुल आय का अलग अलग मदवार आवेदक का
शपथ-पत्र । 4. नियुक्ति उपरान्त कोई अन्य आश्रित नियुक्ति का हकदार नही होने का आवेदक का शपथ-पत्र। 5. मृतक आश्रित परिवार के समस्त वयस्क सदस्यों के नियम-5 के अनुसार निम्न शपथ-पत्र निर्धारित भाषा में ही देवें:- स्व० श्री………….के आश्रित परिवार का कोई भी सदस्य केन्द्र या राज्य सरकार अथवा केन्द्रीय/ राज्य सरकार के कानूनी बोर्ड, सगठन/निगम जो पूर्णतः या भागतः केन्द्र/राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हो, के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय तथा वर्तमान में भी नियमित आधार पर नियोजित नही है, एवं ना ही पूर्व में किसी आश्रित को नियुक्ति प्रदान की गई है। 6. आक्षेप संख्या-5 में अंकित भाषा में जिला शिक्षा अधिकारी अधिकारी द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र। 7. नियुक्ति उपरान्त आश्रित परिवार के भरण-पोषण करने के संबध में आवेदक का शपथ-पत्र, स्पष्ट अंकित करावें कि भरण-पोषण नही करने की स्थिति में नियुक्ति समाप्त कर दी जावे। 8. आवेदक पुत्री होने पर अविवाहित होने का शपथ-पत्र प्रस्तुत करें। 9. आवेदक यदि पत्नी है तो पुनः विवाह नही करने का का शपथ-पत्र। 10. मृतक कर्मचारी की सेवायें नियमित एवं निन्तर होने का कमांक/दिनांक सहित जि.शि.अ. कर प्रमाण-पत्र। 11. प्रार्थी की जन्मतिथि/शैक्षिक योग्यता के प्रमाण-पत्रों की पठनीय प्रमाणित प्रति। 12. मृत्यु प्रमाण-पत्र की मूल प्रति। 13. शिथिलन की स्थिति में मृतक परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति होने का आवेदक का शपथ पत्र । 14. प्रकरण में शिथिलन की स्थिति में मृतक परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति का जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा संतुष्ट होने की स्थिति में प्रदत्त प्रमाण पत्र। 15. मृतक राज्य कर्मचारी के सेवा समाप्ति आदेश की पठनीय प्रमाणित प्रति। 16. मृतक राज्य कर्मचारी प्रारम्भिक शिक्षा विभाग का होने की स्थिति में जि.शि.अ.स्पष्ट प्रमाण-पत्र देवे-
“यह प्रमाणित किया जाता है कि मृतक कर्मचारी स्व श्री…………राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विधालय……….जिला………….में कार्यरत थे ये प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के कार्मिक होते हुए राज्य कर्मचारी थे। ये पंचायती राज के कर्मचारी नही थे।” 17 आवेदक द्वारा आवेदन विलम्ब से प्रस्तुत करने पर औचित्य सहित शपथ-पत्र। 18. विभाग द्वारा आवेदन पत्र विलम्ब से भिजवाया जा रहा है तो औचित्य सहित कारण स्पष्ट करते हुए दोषी के विरूद्ध कार्यवाही प्रस्तावित करावे। 19. परिशिष्ट-1 पूर्ण भरकर परीक्षण उपरान्त जिशिअ तथा उप निदेशक की स्पष्ट अभिशंषा सहित भेजे। 20. आवेदक के विवाहित होने पर बच्चों का जन्मतिथि सहित विवरण का शपथ-पत्र। 21 मृतक कार्मिक के शिक्षा विभाग में चयनित/नियुक्ति आदेश की प्रमाणित प्रति संलग्न करें।
मृतक कर्मचारी का ऐसा पुत्र, जिसकी पत्नी/पुत्र /अविवाहित पुत्री पूर्व से ही (नियम 5 में यथा परिभाषित) नियोजित है, को मृतक कर्मचारी पर पूर्णतया आश्रित न होने के कारण, नियम-2(ग) के तहत आश्रित की श्रेणी में नहीं माना जायेगा। फलतः ऐसे पुत्र को अनुकम्पात्मक नियुक्ति देय नहीं होगी।
राजस्थान सरकार
कार्मिक (क-2) विभाग
क्रमांक प.5(51)कार्मिक /क-2/88 पार्ट जयपुर, दिनांक 31 MAY 2016
राज्य में वर्तमान में राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 प्रचलित है। इन नियमों के नियम-2(ग) में आश्रित की परिभाषा निम्नानुसार है :
“आश्रित” से पति या पत्नी, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री, मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवन काल के दौरान वैधरूप से ग्रहीत दत्तक पुत्र/ अविवाहित दत्तक पुत्री अभिप्रेत है जो मृत सरकारी कर्मचारी पर, उसकी मृत्यु के समय पूर्णतया आश्रित थे”
इन्हीं नियमों के नियम-5 (यथा संशोधित अधिसूचना दिनांक 08.04.2015) में निम्नानुसार प्रावधान है —
“यदि किसी सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके किसी एक आश्रित की इस शर्त के अध्यधीन सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा कि इन नियमों के अधीन नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगा जहां पति या पत्नी या कोई एक पुत्र अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र / पुत्री केन्द्र या राज्य सरकार के कानूनी बोर्ड, संगठन / निगम जो पूर्णतः या भागत: केन्द्र/राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हों, के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु एवं आश्रित की नियुक्ति के समय नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो, परन्तु यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहां विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त करती है।“
राज्य सरकार के समक्ष ऐसे प्रकरण मार्गदर्शन हेतु प्राप्त हुए हैं, जिसमें मृतक कर्मचारी के ऐसे आश्रित पुत्र द्वारा अनुकम्पात्मक नियुक्ति चाही जा रही है, जिसकी पत्नी पहले से ही नियोजित (नियम-5 में यथा परिभाषित) है ऐसे में यह विचारणीय बिन्दु है कि क्या ऐसे पुत्र को नियम-2(ग) के तहत राज्य कर्मचारी की मृत्यु के समय उस पर पूर्णतः आश्रित माना जावे ?
इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा विचारोपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि मृतक कर्मचारी का ऐसा पुत्र, जिसकी पत्नी/पुत्र /अविवाहित पुत्री पूर्व से ही (नियम 5 में यथा परिभाषित) नियोजित है, को मृतक कर्मचारी पर पूर्णतया आश्रित न होने के कारण, नियम-2(ग) के तहत आश्रित की श्रेणी में नहीं माना जायेगा। फलतः ऐसे पुत्र को अनुकम्पात्मक नियुक्ति देय नहीं होगी।
अतः सभी नियुक्ति प्राधिकारियों से अपेक्षित है कि भविष्य में उक्त निर्देशों की अक्षरशः पालना सुनिश्चित करते हुए ही अनुकम्पात्मक नियुक्ति प्रकरणों का निस्तारण किया जावे ।
शासन सचिव
कार्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर परिपत्र
राजस्थान मृतक राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के तहत अनुकम्पात्मक नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान किया गया है । अनुकम्पात्मक नियुक्ति दिये जाने का उद्देश्य मृतक आश्रित परिवार को तुरन्त राहत पहुंचाना है किन्तु ध्यान में आया है कि अधिनस्थ कार्यालयों द्वारा नियमों की भावना के विपरीत प्रकरणों का निस्तारण समय पर नहीं किया जा रहा है जिसके कारण मृतक आश्रित परिवार को आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अतः मृतक आश्रित प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण हेतु निम्न दिशा निर्देश प्रदान किये जा रहे हैं :
1. कार्मिक की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर संस्था प्रधान कार्मिक परिवार को नियमों में निर्धारित आवेदन पत्र (प्रतिसंलग्न) आश्रित परिवार को भिजवाकर मृत्यु के 90 दिवस के भीतर पात्र आशार्थी का आवेदन करने की राय प्रदान करेगें ।
2. मृतक आश्रित परिवार द्वारा विद्यालय / कार्यालय में आवेदन करने पर निर्धारित विभागीय जांच सूची (प्रतिसंलग्न) के अनुसार प्रकरण का समुचित परिक्षण कर प्रकरण 15दिवस की अवधि में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक को भिजवाया जाना सुनिश्चित करेगें । जिसकी सूचना आवेदक को भी दी जावेगी ।
3. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय प्रकरण का नियमों के परिपेक्ष्य में विभागीय जांच सूची अनुसार अपनी स्पष्ट अभिशंषा परिशिष्ट ‘1’ में कर प्रकरण 15दिवस के अन्दर अपने मण्डल कार्यालय को प्रस्तुत करेगें । प्रायः ध्यान में आया है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अपात्र आवेदकों के आवेदन पत्र स्वीकार कर नियमों के विपरीत आवेदन पत्र को अग्रेषित कर देते हैं जिससे प्रकरण में अनावश्यक विलम्ब होता है अतः जिला शिक्षा अधिकारी का दायित्व होगा किं अपात्र आवेदन का आवेदन पत्र में नियुक्ति की अभिशंषा न की जावे । तथा प्रकरण का अपने स्तर पर निस्तारण करें ।
4. उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा कार्यालय में प्रकरण प्राप्त होने की अवधि से एक सप्ताह के भीतर आवेदन पत्र अपनी स्पष्ट अभिशंषा के साथ निदेशालय को भिजवावें ।
5. निदेशालय द्वारा प्रकरण की जांच में किसी प्रकार की कमी पायी जाती है तो उस कमी की पूर्ति हेतु संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित करने के साथ साथ आवेदक को भी सूचित किया जाता है। तदुपरान्त भी ध्यान में आया है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय आक्षेपों की विधिवत पूर्ति किये बिना प्रकरण निदेशालय को भिजवा देते हैं। जिससे प्रकरण में अनावश्यक विलम्ब होता है ।
6. शिथिलन योग्य प्रकरणों में जिला शिक्षा अधिकारी मृतक आश्रित परिवार की आर्थिक स्थिति का परिक्षण किये बिना तथा प्रकरण के गुणदोष पर विचार किये बिना निदेशालय को प्रकरण भिजवा दिये जाते हैं जो राज्य सरकार स्तर पर आक्षेपित होकर प्राप्त होते हैं । इस संबंध में निर्देशित किया जाता है कि मृतक आश्रित परिवार की आर्थिक स्थिति का परिक्षण कर अपनी स्पष्ट जांच रिपोर्ट तथा अभिशंषा के साथ स्वयं प्रमाण पत्र जारी करें ।
7. प्रायः ध्यान में आरहा है कि अनेक जिला शिक्षा अधिकारी उनके स्तर पर वांछित प्रमाण पत्र स्वयं के हस्ताक्षरों से जारी नहीं कर केवल प्रतिहस्ताक्षर करते हैं जो प्रकरण में अनावश्यक विलम्ब का कारण बनता है । अतः जो प्रमाण पत्र जिला शिक्षा अधिकारी के स्तर से जारी होने है उन्हें वे स्वयं अपने हस्ताक्षर से जारी करें ।
8. निदेशालय द्वारा नियुक्ति अनुमोदन कर दिये जाने के पश्चात् भी नियुक्ति अधिकारी द्वारा पदस्थापन आदेश जारी करने में अनावश्यक विलम्ब कर रहे हैं इस संबंध में निर्देशित किया जाता है कि आवेदक से वांछित दस्तावेज निर्धारित समय सीमा में प्राप्त करें तथा तत्काल नियुक्ति / पदस्थापन आदेश जारी करें ।
9. दिनांक 30.04.2018 तक विभाग में प्राप्त आवेदन पत्र दिनांक 31.05.2016 तक वाहक के साथ निदेशालय को भिजवा देंवे इस संबंध में मंडल अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारियों से प्रमाण पत्र प्राप्त कर भिजवायें कि 30.04.2016 तक प्राप्त समस्त प्रकरण भिजवा दिये गये हैं कोई भी प्रकरण अधिनस्थ कार्यालय में लंबित नहीं है । इसके पश्चात् पूर्व अवधि का प्रकरण प्राप्त होता है तो दोषी अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही की जावेगी ।
समस्त उपनिदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को पाबंद किया जाता है कि उक्त दिशा निर्देशों की पालना अक्षरशः सुनिश्चित करावें ।
अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर ।
क्रमांक: – शिविरा / मा / साप्र / ए-4 / 3901 / मूल / विविध / 2016 दिनांक:- 13.05.2016
कार्यालय निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर परिपत्र
राजस्थान मृत राज्य कर्मचारियो के आश्रितो को अनुकम्पा नियुक्ति नियम- 1996 के अन्र्तगत मृत्त राज्य कर्मचारियों के आश्रितो को अनुकम्पा नियुक्ति प्रकरणों को अधिनस्थ अधिकारियो द्वारा नियमों के परिपेक्ष्य में परीक्षण किये बिना निदेशालय को अग्रेषित कर दिए जाते है तथा निदेशालय द्वारा बार-बार आक्षेपो की पूर्ति हेतु आपको निर्देशित किया जाता रहता है, इस कारण प्रकरण निस्तारण में अनावश्यक विलम्ब होता है।
अनुकम्पा नियुवित्त प्रकरणों के सम्बन्ध में निम्न निर्देशो की पालना हेतु आपको निर्देशित किया जाता है।
कार्मिक की मृत्यु के 90 दिवस में आवेदन करने के लिए मृतक आश्रित परिवार को अवगति प्रदान कर आवेदन करने का निवेदन करे तथा नियमो में निर्धारित आवेदन पत्र की प्रति तथा दिशा निर्देश साथ में संलग्न करे, साथ ही यह अवगत करावे कि 90 दिवस पश्चात प्रस्तुत आवेदन पत्र स्वीकार नही किया जायेगा।
02 आवेदक द्वारा 90 दिवस पश्चात प्रस्तुत आवेदन पत्र स्वीकार नही किये जावे। इस सम्बन्ध में अपने अधिनस्थ संस्था प्रधानों को भी अवगत करावे।
कार्यालयाध्यक्ष का दायित्व होगा कि वह प्रकरण का परीक्षण कर सम्पूर्ण औपचारिकताए पूर्ण करवावे।
ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रकरण प्राप्त होने पर वरिष्ठतम लेखाधिकारी से प्रकरण का परीक्षण उपरान्त अपनी स्पष्ट अभिशंषा सहित 15 दिवस की अवधि में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अग्रेषित करे।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रकरण प्राप्त होने पर वरिष्ठतम लेखाधिकारी से प्रकरण का परीक्षण उपरान्त अपनी स्पष्ट अभिशंषा सहित अधिकतम 30 दिवस की अवधि में उप निदेशक (प्राशि) को अग्रेषित करे।
उप निदेशक कार्यालय में प्रकरण प्राप्त होने पर प्रकरण वरिष्ठतम लेखाधिकारी से परीक्षण उपरान्त अपनी स्पष्ट अभिशंषा सहित अधिकतम 15 दिवस में निदेशालय को अग्रेषित करे।
निदेशालय में आवेदन पत्र भिजवाने से पूर्ण भलीभांति परीक्षण कर लिया जाये कि प्रकरण पूर्ण है इस हेतु निदेशालय द्वारा निर्धारित परीक्षण सूची संलग्न प्रेषित है।
कर्मचारी की मृत्यु पश्चात सेवा समाप्ति आदेश तुरन्त जारी करे तथा उसकी प्रति रजिस्टर्ड डाक से निदेशालय को भिजवाये।
अवयस्क आवेदक का आवेदन पत्र लम्बित रखने का प्रावधान नही है अतः प्रकरण का निस्तारण कर मृतक आश्रित परिवार के दयस्क सदस्य को मृत्यु के 90 दिवस में ही आवेदन करने की राय प्रदान करे।
निर्धारित आयु सीमा से अधिक आयु के प्रकरणों में नियुक्ति देय नही है। अतः इस प्रकार के प्रकरण निदेशालय को नही भिजवाये जावे।
कार्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर कार्यालय आदेश
राजस्थान सरकार के मृत राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालयों के माध्यम से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण करने के उपरान्त राज्य सरकार के पत्रांक:-प.12(1) शिक्षा-2/अनु नियु प्रयो.सहा./ 2016 दिनांक 27.03.2017 एवं 03.10.2017 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मृतक आश्रितों की संलग्न सूची के अनुसार प्रयोगशाला सहायक ग्रेड-III के कुल 14 अभ्यर्थियों की अनुकम्पात्मक नियमों के तहत नियुक्ति का अनुमोदन किया जाकर उनके नाम के संमुख अंकित जिले में पदस्थापन हेतु आवंटित किया जाता है। नियुक्ति अधिकारी नियक्ति आदेश जारी करने से पूर्व निम्नांकित शर्तों की पालना सुनिश्चित करेंगे:
राज्य सरकार के मृतक आश्रितों में से प्रयोगशाला सहायक ग्रेड-III के पद पर नियुक्ति /पदस्थापन आदेश जारी करने से पूर्व आवेदकों की जन्मतिथि, शैक्षिक / प्रशैक्षिक योग्यता संबंधी मूल प्रमाण पत्र प्राप्त कर उनकी वैधता एवं मान्यता आदि की पूर्ण जांच करें एवं योग्यता के बारे में पात्रता रखने पर ही नियुक्ति आदेश जारी करें। राज्य से बाहर की डिग्रियों / प्रमाण पत्र के सत्यापन/वैधता एवं मान्यता के संबंध में सावधानी पूर्वक प्रत्येक प्रकरण की जाँच करेंगे।
प्रयोगशाला सहायक ग्रेड-III के पद पर पदस्थापन उच्च माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 11व 12 के नामांकन के घटते हुए (क्रम में) में किए जावे।
मृत राज्य कर्मचारियों के परिवार का कोई भी सदस्य केन्द्र/राज्य सरकार या कानूनी बोर्ड, संगठन / निगम जो कि पूर्णतः या भागतः कैन्द्र/ किसी राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हो, के अधीन (सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय या आश्रित के नियुक्ति के समय पर) नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित नहीं हो एवं न ही पूर्व में किसी आश्रित को नियुक्ति प्रदान की गई है। इस हेतु अनुकम्पात्मक नियमों के नियम 5 के अनुसार शपथ पत्र आश्रित से प्राप्त करें (मृतक की विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त करने पर यह नियम लागू नहीं होगा।)
मृतक की पुत्री की नियुक्ति हेतु अनुमोदन किया गया हो तो उसके पदस्थापन के समय तक वह अविवाहित है, इस आशय का शपथ पत्र प्राप्त करें।
आवेदक पति/पत्नी होने पर कार्यग्रहण तिथि तक पुनः विवाह नहीं किया है, का शपथ पत्र प्रारूप संलग्न)।
आवेदनकर्ता यदि विवाहित है तो आवेदक एवं पति / पत्नी ( दोनों से ) से बिन्दू संख्या- 3 के अनुसार नियोजित नहीं होने का शपथ पत्र।
कार्मिक विभाग के परिपत्र आदेश दिनांक 27.02.2001 द्वारा जारी निर्देशों की पालना में मृतक के आश्रितों के पालन पोषण/भरण पोषण करने संबंधी शपथ पत्र प्राप्त करेंगे। कार्मिक विभाग के आदेश दिनांक 27.02.2001 की पालना नहीं करने की स्थिति में नियुक्ति समाप्त की जा सकती है ।
दत्तक पुत्र-पुत्रियों के संबंध में वैधता की जांच हिन्दू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 के प्रावधानानुसार करेंगे।
राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ- 7(1 ) कार्मिक (क-2) ( 95 ) दिनांक 08.04.2003 के अनुसार दिनांक 01.06.2002 को या उसके पश्चात् दो से अधिक संतान होने की स्थिति में नियुक्ति के पात्र नहीं माने जावेंगे, किन्तु राज्य सरकार (डीओपी) के आदेश दिनांक 29.10.2005 के अनुसार विधवा की नियुक्ति में यह प्रावधान लागू नहीं होंगे (प्रारूप संलग्न)।
संलग्न सूचियों में अंकित अभ्यर्थियों को राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित बेतनभान) नियम-2017 के अनुसार वेतन लेवल 08 में प्रोबेशनर देगी(परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी) के रूप में दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियमानुसार देय नियत मानदेय रूपये 18500/- प्रतिमाह पर नियुक्ति प्रदान की जावेगी।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण (प्रोबेशन ट्रेनिज) की अवधि में फिक्स रेमुनरेशन के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के भत्ते यथा महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, शहरी क्षतिपूर्ति भर्ता, महंगाई वेतन(डीपी) विशेष वेतन, बोनस आदि देय नहीं होगा।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण (प्रोबेशन ट्रेनिज) की अवधि में राज्य बीमा सामान्य प्रावधायी निधि आदि की कटौती नहीं होगी।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण की अवधि को वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए गणना योग्य नहीं माना जावेगा।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण अवधि में इन्हें कलेण्डर वर्ष में केवल 12 दिन का ही आकस्मिक अयकाश देय होगा।
प्रोबेशन ट्रेनी के फिक्स रेमुनरेशन से पेंशन अंशदान की कटौती नहीं होगी।
प्रयोगशाला सहायक ग्रेड-III के पद पर नियुक्ति हेतु अभ्यर्थी राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम- 1971 अनुसार शैक्षणिक योग्यता प्राप्त होना चाहिए।
राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अन्य निर्देशों की पालना भी सुनिश्चित करेंगे तथा नियुक्ति अधिकारी मृतक आश्रित के चरित्र सत्यापन संबंधित पुलिस अधीक्षक से करवाने के पश्चात् ही आदेश जारी करेंगे।
आवेदक द्वारा दहेज न लिए जाने का स्व-घोषणा पत्र(प्रारूप संलग्न)
आवेदक द्वारा धुम्रपान / मद्यपान नहीं करने एवं गुटखा नहीं खाने का स्व घोषणा पत्र अन्य घोषणाओं के साथ(प्रारूप संलग्न)।
आवेदक द्वारा सक्षम अधिकारी द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र।
राज्य सरकार की अधिसूचना एफ-5(51)डीओपी/ ए-T/ 88 पीटी जयपुर दिनांक 08.04.2015 के अनुसार नियम-5 में हुए संशोधन की पालना सुनिश्चित करें।
कार्मिक (क-2) विभाग की अधिसूचना दिनांक प.5(51) कार्मिक / क-2/88 पार्ट जयपुर दिनांक 31.05.2016 के अनुसार आवेदक विवाहित है तो उसकी पत्नी / पुत्र / अविवाहित पुत्री यदि पूर्व से ही (नियम-5 में यथा परिभाषित) नियोजित है, को मृतक कर्मचारी पर पूर्णतया आश्रित न होने के कारण, नियम-2(ग) के तहत आश्रित की श्रेणी में नहीं माना जायेगा। फलतः ऐसे पुत्र को अनुकम्पात्मक नियुक्ति देय नहीं होगी।
आवेदक की सेवा-पुस्तिका में लाल स्याही से यह अंकित किया जावे कि श्री/सुश्री/श्रीमती- को इनके माता/पिता/पति की मृत्यु पर मृत राज्य कर्भचारी के आश्रितों के भर्ती नियम-1996 के अनुसार नियुक्ति प्रदान की गई है।
चूंकि राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम 1971 के अनुसार प्रयोगशाला सहायक ग्रेड- m के पद पर सक्षम नियुक्ति अधिकारी संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) माध्यमिक शिक्षा है, अतः संलग्न सूची के अनुसार पदस्थापन 15 दिवस के भीतर जारी कर प्रति निदेशालय को एवं संबंधित अभ्यर्थी को रजिस्टर्ड डाक द्वारा भिजवाया जाना सुनिश्चित करावें। संलग्नः-मूल आवेदन पत्र मय सूची
निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान बीकानेर
क्रमांकः-शिविरा-मा/संस्था/ एफ-1/12247/अनु नियु/प्र.शा स/ग्रेड-III / 2017 दिनांक- 07-01-2019 प्रतिलिपि निम्नांकित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-
शासन उप सचिव शिक्षा (ग्रुप-2)विभाग, शासन सचिवालय, राजस्थान-जयपुर
संबंधित उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा …………….
संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) माध्यमिक शिक्षा …………………………. को संलग्न सूची में उल्लेखित अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र मूल ही संलग्न कर निर्देशित किया जाता है कि रिक्त पदों (प्रयोगशाला सहायक ग्रेड- के पद पर सीधी भर्ती हेतु प्रेषित अर्थना में जिलेवार विज्ञापित पदों को ध्यान में रखते हुए) के अनुसार नियुक्ति आदेश जारी करवाकर पालना सुनिश्चित करावें।
श्री-…………………………….. -को देकर निर्देशित किया जाता है कि प्रकरण जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा कार्यालय में देकर पावती लेकर आवे।
रक्षित पत्रावली
संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर
कार्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर -: कार्यालय आदेश :-
राजस्थान सरकार के मृत राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के अन्तर्गत कार्मिक विभाग / राज्य सरकार, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर एवं मण्डल कार्यालयों के माध्यम से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण करने के उपरान्त राज्य सरकार के आदेश कमांक ए-5(51) कार्मिक/ क-2 /88- दिनांक 29-4 99 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मृतक आश्रितों की संलग्न सूची के अनुसार कनिष्ठ सहायक 50 एवं 17 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कुल 67, अभ्यार्थियों की अनुकम्पात्मक नियमों के तहत नियुक्ति का अनुमोदन किया जाकर उनके नाम के आगे अंकित जिलों में पदस्थापन हेतु जिला आयंटित किया जाता है । नियुक्ति अधिकारी नियुक्ति आदेश जारी करने से पूर्व निम्न शर्तों की पालना सुनिश्चित करेगें :
1. राज्य सरकार के मृतक आश्रितों में से लिपिक ग्रेड II के पद पर नियुक्ति / पदस्थापन आदेश जारी करने से पूर्व आवेदकों की शैक्षिक / प्रशैक्षिक संबंधी योग्यता के मूल प्रमाण-पत्र प्राप्त कर उनकी वैधता एवं मान्यता आदि की पूर्ण जाँच करें एवं योग्यता के बारे में पात्रता रखने पर ही नियुक्ति आदेश जारी करे। राज्य से बाहर की डिग्रियों/प्रमाण पत्र के सत्यापन / वैधता एवं मान्यता के संबंध में सावधानी पूर्वक प्रत्येक प्रकरण की जाँच करेगें।
2. मृत राज्य कर्मचारियों के परिवार का कोई भी सदस्य किसी सरकारी /केन्द्र/निगम बार्ड या उपक्रम में कार्य ग्रहण तिथि तक नियोजित नहीं है इस हेतु अनुकम्पात्मक नियमों के नियम 5 के अनुसार शपथ पत्र आश्रित से प्राप्त करें । (मृतक की पत्नी पर यह नियम लागू नहीं होगा ।
3. मृतक की पुत्री की नियुक्ति हेतु अनुमोदन किया गया हो तो उसके पदस्थापन के समय तक वह अविवाहित है इस आशय का शपथ पत्र प्राप्त करें।
4. कार्मिक विभाग के परिपत्र आदेश दिनांक 27.02.01 द्वारा जारी निर्देशों की पालना में मृतक के आश्रितों के पालन पोषण/भरण पोषण करने संबंधी शपथ पत्र प्राप्त करेंगे । कार्मिक विभाग के आदेश दिनांक 27.02.01 की पालना नहीं करने की स्थिति में नियुक्ति समाप्त की जा सकती हैं ।
5. दत्तक पुत्र पुत्रियों के संबंध में वैधता की जांच हिन्दु दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 के प्रावधानुसार करेंगे ।
6. राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ-7(1 ) कार्मिक (क- 2) ( 95) दिनांक 08.04.03 के अनुसार दिनांक 01.06.02 को या उसके पश्चात दो से अधिक संतान होने की स्थिति में नियुक्ति के पात्र नहीं माने -जावेंगे, किन्तु राज्य सरकार (डीओपी) के आदेश दिनांक 29.10.05 के अनुसार विधवा की नियुक्ति में यह प्रावधान लागू नहीं होंगे।
7. संलग्न सूचियों में अंकित अभ्यर्थियो के नियुक्ति आदेश राज्य सरकार के नोटिफिकेशन
क्रमांक 7 (2)डीओपी/ए-11/06 दिनांक 20.01.06 एवं वित (नियम डीविजन) विभाग के नोटिफिकेशन क्रमांक एफ 12 (6) एफ डी /रूल्स /06 दिनांक 13.03.06 के अनुसार प्रोबेशन ट्रेनिज के रूप में किया जा कर फिक्स रेमुनरेशन पर नियुक्ति अनुमोदन की जाती हैं ।
8. परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण (प्रोबेशन ट्रेनिज) की अवधि में फिक्स रेमुनरेशन के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के भत्ते यथा मंहगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता, मंहगाई वेतन (डीपी ) विशेष वेतन, बोनस आदि देय नहीं होगा ।
9. परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण (प्रोबेशन ट्रेनिज) की अवधि में राज्य बीमा सामान्य प्रावधायी निधि आदि की कटौती नहीं होगी ।
10. परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण की अवधि को वार्षिक वेतन वृद्धि के लिये गणना योग्य नहीं माना जावेगा । 11. परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण अवधि में इन्हें कलेण्डर वर्ष में केवल 15 दिन का ही आकस्मिक अवकाश देय होगा । पूर्ण कलेण्डर वर्ष से कम अवधि होने पर पूर्ण माह के आधार पर आकस्मिक अवकाश अनुज्ञात किया जावेगा ।
12. प्रोबेशन ट्रेनी के फिक्स रेमुनरेशन से पेंशन अंशदान की कटौती होगी ।
13. कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त अभ्यर्थी राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ 7(2 ) कार्मिक / ए- II/ 2006 दिनांक 05.07.10 एवं कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 21.09.10 के अनुसार शैक्षणिक योग्यता प्राप्त होना चाहिये तथा उक्त नियमों के अन्तर्गत कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 02.01.2017 व 04.052017 के अनुसार मृतक आश्रित को कम्प्यूटर कोर्स उत्तीर्ण करने की अर्हता नियुक्ति के पश्चात् दो वर्ष की अवधि में अर्जित करनी होगी। यदि उक्त अवधि में कम्प्यूटर योग्यता अर्जित नहीं करता है तो जितनी विलम्ब अवधि से वह कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करेगा उसका परिवीक्षाकाल उतनी ही अवधि का आगे बढ़ जायेगा जिन प्रकरणों में शिथिलन प्राप्त है तथा जो प्रकरण कार्मिक विभाग से जरिए आदेश इस विभाग को स्थानातरित है, उनसे संबंधित आदेशों में दी गई शर्तों की पूर्ण अनुपालना नियुक्ति अधिकारी अपने स्तर पर सुनिश्चित करें।
14. कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त अभ्यर्थी को टंकण परीक्षा अब कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 05.07.10 एवं 02.01.2017 के अनुसार कम्प्युटर से ली जावेगी जिसे आश्रित को नियुक्ति के तीन वर्ष की अवधि में उर्तीण करनी अनिवार्य होगी अन्यथा नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिये जावेगे इन्हे आगामी वेतन वृद्धि टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् ही देय होगी कार्मिक (क-2) विभाग राजस्थान, जयपुर की अधिसूचना दिनांक 07.09.09 के अनुसार मृत राज्य कर्मचारी की विधवा को टंकण परीक्षा करने से छूट दी -जायेगी।
15. राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अन्य निर्देशों की पालना भी सुनिश्चित करेंगे तथा नियुक्ति अधिकारी मृतक आश्रित के अच्छे आचरण का सत्यापन सम्बन्धित पुलिस अधीक्षक से करवाने के पश्चात ही आदेश जारी करेगे ।
16. राज्य सरकार की अधिसूचना एफ-5(51)डीओपी/ ए-II/88 पीटी जयपुर दिनांक 08.04.15 के अनुसार नियम-5 में हुए सशोधन की पालना सुनिश्चित करें।
17. यदि मृतक आश्रित प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित है तो प्रथम प्राथमिकता प्रारंभिक शिक्षा के रिक्त पद पर दी जायेगी । रिक्त पद होने पर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा से अनापति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पश्चात् ही माध्यमिक शिक्षा में नियुक्ति आदेश जारी किये जा सकेगें।
18. माध्यमिक शिक्षा सेटअप में स्वीकृत स्टाफिंग पेटर्न के अनुसार ही पदस्थापन किया जाये।
19. कार्मिक(क-2) विभाग की अधिसूचना दिनांक 4.5(51) कार्मिक / क-2/88 पार्ट जयपुर दिनांक 31.05.2016 के अनुसार आवेदक विवाहित है तो उसकी पत्नी पुत्र/ अविवाहित पुत्री यदि पूर्व से ही (नियम-5 में यथा परिभाषित) नियोजित है, को मृतक कर्मचारी पर पूर्णतया आश्रित न होने के कारण, नियम-2(ग) के तहत आश्रित की श्रेणी में नहीं माना जायेगा। फलतः ऐसे पुत्र को अनुकम्पात्मक नियुक्ति देय नहीं होगी।
20. जिन अभ्यर्थियों की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष पूर्ण नहीं है उन्हें ऐसे पद पर नियुक्ति प्रदान की जावे जिसपर प्रतिभूति की आवश्यकता नहीं हो । 21. राज्य सरकार के आदेशानुसार धुम्रपान नहीं करने तथा दहेज नहीं लेने के सम्बन्ध में आवेदक से नियमानुसार शपथ-पत्र प्राप्त करें। जिन अभ्यर्थियों के प्रकरण में मृतक/आवेदक के नाम/उपनाम में विसंगति होने पर नियमानुसार यथेष्ट भाषा में शपथ पत्र लेये।
चूंकि विभाग में कनिष्ठ सहायक/चश्रेक के लिए जिला शिक्षा अधिकारी नियुक्ति अधिकारी हैं अतः उक्त निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुये संलग्न सूची के अनुसार पदस्थापन आदेश 15 दिवस के भीतर जारी कर पदस्थापन आदेश 02 प्रतियों में इस कार्यालय को आवश्यक रूप से भिजवादें एवं आदेश की प्रति नोटिस बोर्ड पर चस्पा करेंगे ।
उक्त आदेश जारी कर दो प्रतियाँ उप शासन सचिव शिक्षा (ग्रुप-2) विभाग, राज० जयपुर, एक प्रति उप शासन सचिव कार्मिक (क-2) विभाग, शासन सचिवालय,राज0 जयपुर को एवं इस कार्यालय को भी भिजवाना सुनिश्चित करे ।
संलग्न : उपरोक्तानुसार (सूची)
निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर
क्रमांक : शिविरा/माध्य /साप्र/ए-4/ 3901 /नियुक्ति मूल / 2020 दिनांक : 06.05.2020 प्रतिलिपि निम्नांकित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित हैं :-
उप सचिव (एम) मुख्य मंत्री सचिवालय,राज0जयपुर ।
संयुक्त शासन सचिव-प्रथम, शिक्षा(ग्रुप-2)विभाग, राज0 जयपुर
संयुक्त शासन सचिव, कार्मिक (क-2) विभाग, राज0 जयपुर ।
निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा, राज बीकानेर ।
संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा,………………… संभाग को सूचनार्थ।
जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय (माध्यमिक)………………………… को संलग्न सूची ( कनिष्ठ सहायक…….. तथा सहायक कर्मचारी….. के कुल……… ) में उल्लेखित अभ्यार्थियों के आवेदन पत्र मूल में ही संलग्न कर निर्देशित किया जाता है कि आदेश में वर्णित समस्त निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करते हुवे रिक्त पदो के अनुसार नियुक्ति आदेश जारी करवाकर पालना सुनिश्चित करायें ।
श्री…………… को देकर निर्देशित किया जाता है कि प्रकरण जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय (माध्यमिक)………………….. कार्यालय में देकर पावती लेकर आवे।
स्टाफ आफिसर, निजी अनुभाग ।
अनुभाग अधिकारी, कम्प्यूटर अनुभाग।
रक्षित पत्रावली ।
उप निदेशक(प्रशासन) माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर
कार्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर कार्यालय आदेश
राजस्थान सरकार के मृत राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के अन्तर्गत कार्मिक विभाग / राज्य सरकार निर्देशक प्रारंभिक शिक्षा, राजस्थान बीकानेर एवं मण्डल कार्यालयों के माध्यम से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण करने के उपरान्त राज्य सरकार के आदेश कमांक ए-5(51) कार्मिक / क-2 / 85-1 दिनांक 29-499 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मृतक आश्रितों की संलग्न सूची के अनुसार लिपिक ग्रेड II 72 एवं 29 सहायक कर्मचारी कुल 101 अम्बर्षीयों की अनुकम्पालाक नियमों के तहत नियुक्ति का अनुमोदन किया जाकर उनके नाम के आगे अंकित मण्डल में पदस्थापन हेतु आवंटित किया जाता है ।
नियुक्ति अधिकारी नियुक्ति आदेश जारी करने से पूर्व निम्न शर्तों की पालना सुनिश्चित करेगें :
राज्य सरकार के मृतक आश्रितों में से लिपिक ग्रेड के पद पर नियुक्ति / पदस्थापन आदेश जारी करने से पूर्व आवेदकों की शैक्षिक / प्रशैक्षिक संबंधी योग्यता के मूल प्रमाण पत्र प्राप्त कर उनकी वैधता एवं मान्यता आदि की पूर्ण जाँच करें एवं योग्यता के बारे में पात्रता रखने पर ही नियुक्ति आदेश जारी करे। राज्य से बाहर की डिग्रियों/ प्रमाण पत्र के सत्यापन / वैधता एवं मान्यता के संबंध में सावधानी पूर्वक प्रत्येक प्रकरण की जाँच करेंगें।
मृत राज्य कर्मचारियों के परिवार का कोई भी सदस्य किसी सरकारी / केन्द्र / निगम बार्ड या उपक्रम में कार्य ग्रहण तिथि तक नियोजित नहीं है इस हेतु अनुकम्पात्मक नियमों के नियम 5 के अनुसार शपथ पत्र आश्रित से प्राप्त करें (मृतक की पत्नी पर यह नियम लागू नहीं होगा ।)
मृतक की पुत्री की नियुक्ति हेतु अनुमोदन किया गया हो तो उसके पदस्थापन के समय तक वह अविवाहित है इस आशय का शपथ पत्र प्राप्त करें।
कार्मिक विभाग के परिपत्र आदेश दिनांक 27.02.01 द्वारा जारी निर्देशों की पालना में मृतक के आश्रितों के पालन पोषण भरण पोषण करने संबंधी शपथ पत्र प्राप्त करेंगे । कार्मिक विभाग के आदेश दिनांक 27.02.01 की पालना नहीं करने की स्थिति में नियुक्ति समाप्त की जा सकती हैं।
दत्तक पुत्र पुत्रियों के संबंध में वैधता की जांच हिन्दु दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 के प्रावधानुसार करेंगे ।
राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ-7 (1) कार्मिक (क-2) (95) दिनांक 08.04.03 के अनुसार दिनांक 01.06.02 को या उसके पश्चात दो से अधिक संतान होने की स्थिति में नियुक्ति के पात्र नहीं माने जायेंगे, किन्तु राज्य सरकार (डीओपी) के आदेश दिनांक 29.10.05 के अनुसार विधवा की नियुक्ति में यह प्रावधान लागू नहीं होंगे ।
संलग्न सूचियों में अंकित अभ्यर्थियों के नियुक्ति आदेश राज्य सरकार के नोटिफिकेशन क्रमांक 7 (2) डीओपी / ए-11/06 दिनांक 20.01.06 एवं वित्त (नियम डीविजन) विभाग के नोटिफिकेशन क्रमांक एफ (6) एफ डी / रुल्स / 06 दिनांक 13.03.08 के अनुसार) ट्रेनिज के रूप में किया जा कर फिक्स रेनुनरेशन पर नियुक्ति अनुमोदन की जाती हैं ।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण (प्रोबेशन ट्रेनिज) की अवधि में फिक्स रेमनरेशन के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के भरते यथा मंहगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता, मंहगाई वेतन (डीपी) विशेष वेतन, बोनस आदि देव नहीं होगा |
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण (प्रोबेशन ट्रेनिज) की अवधि में राज्य बीमा सामान्य प्रावधायी निधि आदि की कटौती नहीं होगी ।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण की अवधि को वार्षिक वेतन वृद्धि के लिये गणना योग्य नहीं माना जायेगा ।
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण अवधि में इन्हें कलेण्डर वर्ष में केवल 12 दिन का ही आकस्मिक अवकाश देय होगा। पूर्ण कलेण्डर वर्ष से कम अवधि होने पर पूर्ण माह के आधार पर आकस्मिक अवकाश अनुज्ञात किया जायेगा |
प्रोबेशन ट्रेनी के फिक्स रेगुनरेशन से पेंशन अंशदान की कटौती नहीं होगी ।
लिपिक ग्रेड के पद पर नियुक्ति अभ्यर्थी राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ 7 (2) कार्मिक / एन / 2006 दिनांक 05.07.10 के अनुसार शैक्षणिक योग्यता प्राप्त होना चाहिये तथा उक्त नियमों के अन्तर्गत कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 21.09.10 के अनुसार मृतक आश्रित को कम्प्यूटर कोर्स उत्तीर्ण करने की अहर्ता नियुक्ति के पश्चात् एक वर्ष की अवधि में अर्जित करनी होगी।
लिपिक बैंड के पद पर नियुक्ति अभ्यर्थी की टंकण परीक्षा अब अधिसूचना दिनांक 05.07.10 के अनुसार कम्प्यूटर से ली जायेगी जिसे आश्रित को नियुक्ति के तीन वर्ष की अवधि में उत्तीर्ण करनी अनिवार्य होगी, अन्यथा नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिये जायेंगें। इन्हें आगामी वेतन वृद्धि टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात ही देय होगी। कार्मिक (क-2) विभाग राजस्थान, जयपुर की अधिसूचना दिनांक 07.09.09 के अनुसार मृत राज्य कर्मचारी की विधवा को टंकण परीक्षा करने से छूट दी जायेगी।
राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अन्य निर्देशों की पालना भी सुनिश्चित करेंगे तथा नियुक्ति अधिकारी मृतक आश्रित के अच्छे आचरण का सत्यापन सम्बन्धित पुलिस अधीक्षक से करवाने के पश्चात ही आदेश जारी करेंगे ।
राज्य सरकार की अधिसूचना एफ 5 ( 51 ) डीओपी / ए- 11 / 88 पीटी जयपुर दिनांक 08.04.15 के अनुसार नियम 5 में हुए संशोधन की पालना सुनिश्चित करें।
यदि मृतक आश्रित प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित है तो प्रथम प्राथमिकता प्रारंभिक शिक्षा के रिक्त पद पर दी जायेगी। रिक्त पद न होने पर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा से अनापति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पश्चात् ही माध्यमिक शिक्षा में नियुक्ति आदेश जारी किये जा सकेगें।
माध्यमिक शिक्षा सेटअप में स्वीकृत स्टाफिंग पैटर्न के अनुसार ही पदस्थापन किया जाये।
चूकि विभाग में लिपिक ग्रेड / सहायक कर्मचारी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी नियुक्ति अधिकारी हैं अतः संलग्न सूची के अनुसार पदस्थापन आदेश 15 दिवस के भीतर जारी कर पदस्थापन आदेश 02 प्रतियों में इस कार्यालय को आवश्यक रूप से भिजवायें एवं आदेश की प्रति नोटिस बोर्ड पर चस्पा करेंगे ।
उक्त आदेश जारी कर दो प्रतियाँ उम्र शासन सचिव शिक्षा (ग्रुप-2) विभाग, राज जयपुर, एक प्रति उप शासन सचिव कार्मिक (क-2) विभाग, शासन सचिवालय, राज जयपुर को एवं इस कार्यालय को भी भिजवाना सुनिश्चित करें । संलग्न उपरोक्तानुसार (सूची)
निदेशक माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर
क्रमांक : शिविरा / माध्य / साप्र / ए-4 /3901 / नियुक्ति मूल / 2016/ दिनांक 13.05.2016
सं. एफ. 5 (51) डीओपी/ए-II/88 पार्ट जयपुर, दिनांक: 25.04.2012
अधिसूचना
भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजस्थान के राज्यपाल, राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 को और संशोधित करने के लिए, इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात् :-
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – (1) इन नियमों का नाम राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति ( द्वितीय संशोधन) नियम 2012 है।
(2) इन संशोधन नियमों का नियम 2 तुरन्त प्रभाव से प्रवृत्त होगा और इन संशोधन नियमों का नियम 6 दिनांक 01.09.2006 से प्रवृत्त हुआ समझा जायेगा।
2. नियम 2 का संशोधन – राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996, जिन्हें इसमें इसके पश्चात् उक्त नियमों के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, के नियम 2 के खंड (ख) में विद्यमान उप- खंड (ii) के स्थान पर तुरंत प्रभाव से निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा , अर्थात् :-
“(ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् अस्थायी रूप से, जिसमें परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षणार्थी के रूप में परिवीक्षा की कालावधि सम्मिलित है, कोई पद धारित कर रहा था।“
3. नियम 6 का संशोधन – उक्त नियमों के नियम 6 के उप-नियम (1 ) में, 01-09-2006 से,-
(i) विद्यमान अभिव्यक्ति ” वेतनमान सं. 1 से 9क” के स्थान पर अभिव्यक्ति ग्रेड वेतन सं. 1 से 10 (रू. 1300 से 2800/- ) ” प्रतिस्थापित की जायेगी।
(ii) परन्तुक में, विद्यमान अभिव्यक्ति ” वेतनमान सं. 10 से 11″ के स्थान पर अभिव्यक्ति ग्रेड वेतन सं. 11 से 12 (रू. 3200 से 3600/-)” प्रतिस्थापित की जायेगी।
1-परिभाषाएं : जब तक सन्दर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हो इन नियमों में –(क) ‘नियुक्ति प्राधिकारी’ से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है तथा इसमें अन्य कोई ऐसा अधिकारी सम्मिलित है, जिसे सरकार द्वारा सुसंगत सेवा नियमों, यदि कोई हो के अधीन नियुक्ति प्राधिकारी की शक्तियों का प्रयोग एवं कृत्यों का पालन करने के लिए किसी भी विशेष या सामान्य आदेश द्वारा शक्तियाँ प्रत्योजित की गयी हो।( ख ) ‘मृत सरकारी कर्मचारी’ ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो राज्य के कार्यकलाप के सम्बन्ध में नियोजित किया गया था और इसमें राजस्थान राज्य के संवर्ग का अखिल भारतीय सेवाओं का वह सदस्य भी सम्मिलित है जिसका वेतन राज्य की समेकित निधि के प्रति विकलनीय था और जिसकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गयी थी और जो- (i) स्थायी था या (ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात अस्थायी रूप से कोई पद धारण कर रहा था या (iii) अजेंन्ट/अस्थायी नियुक्ति पर नियमित रिक्ति के प्रति नियुक्त किया गया था और जिसने इस रूप में एक वर्ष की निरन्तर सेवा कर ली थी।(ग) ‘आश्रित’ से पति या पत्नी पुत्र अविवाहित या विधवा पुत्री, मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवन काल के दौरान वैध रूप से ग्रहीत दतक पुत्र/पुत्री अभिप्रोत है जो मृत सरकारी पुत्री को भी सम्मिलित किया है। (अ प 8 (क)(या) (113) सी. एस. बी. /01/-1581 दिनांक 16.02.05)2-विस्तार :- ये नियम अनुकंपात्मक आधार पर, मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित की नियुक्ति को शासित करेंगे और ये किसी पद विशेष के लिए कोई भी अधिकार प्रदान नहीं करेंगे।3-कतिपय शर्तों के अध्यधीन नियुक्ति :- जब किसी सरकारी कर्मचारी के सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके किसी एक आश्रित की इस शर्त के अध्यधीन सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा । कि इन नियमों के अधीन नियोजन के लिए विचार किया जा सके कि इन नियमों के अधीन नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगा जहाँ पति या पत्नी का कोई एक पुत्र अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र पुत्री केन्द्र या राज्य सरकार अथवा केन्द्र या राज्य सरकार के कानूनी बोर्ड संगठन निगम में हो के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय नियमित आधार से पहले से ही नियोजित हो । परन्तु यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहां विधवा स्वयं के लिये नियोजन प्राप्त करती हो।4 पदों का चयन :-(1) आश्रित की, उसकी शैक्षिक अर्हताओं के अनुसार और सेवा की अन्य शर्तों की पुर्ति करने पर अधीनस्थ सेवाओं/मंत्रालायिक सेवाओं/चतुर्थ श्रेणी सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले केवल वेतनमान संख्या 1 से 9 (क) तक के पदों पर मृत कर्मचारी कि रेंक और प्रस्थिति को विचार में लाये बिना, नियुक्ति के लिए विचार किया जावेगा । (आदेश क्रमांक : एफ 5(51) कार्मिक/क-2/88 (6/2000) दिनांक 20.01.2000 द्वारा वेतन श्रृंखला 9 से 9 (क) प्रतिस्थापित की है।)(2) ऐसे सरकारी कर्मचारी की दशा में जिसका अपने पदीय कर्तव्यों के पालन के दौरान वध हो जाता है उसके आश्रित को वेतनमान से 10 एवं 11 में आने वाले और सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने वाले पदों पर नियुक्ति हेतु विचार किया जा सकेगा। (क्र.एफ.5(51) कार्मिक (क -2 ) 88 दिनांक 2.8.2001 तुरन्त प्रभावी ।)(3) इन नियमों के अधीन किसी पद पर एक बार नियुक्त कर दिये जाने पर, इन नियमों के अधीन आश्रित प्रसुविधा उपभोग की गयी मान ली जावेगी और मामले पर किन्हीं भी परिस्थितियों में किसी अन्य पद के लिए पुनः विचार नहीं किया जायेगा।5-अर्हताएं :- (1) आश्रित के पास नियुक्ति के लिए विचार करते समय पद के लिए शैक्षिक अर्हताओं की अपेक्षा से अभिमुक्ति दी जायेगी।6-आयु:- आश्रित को नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए। राजस्थान सेवा नियमों के नियम 8 के अनुसार राजकीय सेवा में प्रवेश की न्यूनतम आयु 16 वर्ष व अधिकतम 35 वर्ष है।परन्तु :>>किसी विधवा के लिए कोई उपरी (अधिकतम सीमा नहीं होगी) >>अन्य के लिए उपरी (अधिकतम) आयु सीमा उस कालावधि में पांच वर्ष तक शिथिलनीय रहेगी या 40 वर्ष की आयु तक की जो भी कम हो, होगी । >>आयु की संगणना करने के लिए निर्णायक तारीख नियुक्ति के लिए आवेदन प्राप्त करने की तारीख होगी। एक उपयुक्त पद की व्यवस्था करने में बीता समय आश्रित को निरहित नहीं करेगा यदि वह उस कालावधि के दौरान अधिकायु हो जाता है।7-प्रक्रियात्याक अपेक्षाएं आदि :- प्रारम्भिक नियुक्ति के समय चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षाएं जैसे प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी तथापि परीक्षा आश्रित से 3वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी है। हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेंगी और ऐसा न होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हता अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक वेतन वृद्धि अनुज्ञेय नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हता अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से काल्पनिक रूप से वेतन वृद्धि अनुज्ञात की जावेगी। 3 वर्ष की अवधि में प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी। मृतक कर्मचारी के आश्रित के में नियुक्त विधवा टंकण परीक्षा से मुक्त पं. 5(51) कार्मिक / क-2/88/ पार्ट ( 16/011) दिनांक 13.5.11
अन्य निर्देश-
अनुकम्पात्मक नियुक्ति में कनिष्ठ लिपिक द्वारा 3 वर्ष में टंकण परीक्षा पास न करने पर सेवा समाप्त होगी। प5 (51) कार्मिक/क-2/88 (7/03) दिनांक 28.3.03
मृतक कर्मचारी के आश्रित द्वारा 90 दिवस पश्चात आवेदन करने पर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा शिथिलन किये जाने की तिथि से 3 माह मे नियुक्ति दी जावे। पं. 12 ( 5 ) का. / क 2 /002 (18 / 02 ) दिनांक 8.4.02
मृतको के आश्रितों की नियुक्ति हेतु कार्मिक विभाग शिथिलता देगा | एफ 5(51) का/क. – 2/83 (25/02) दिनांक 11.5.02
मृतकों के आश्रित द्वारा परिवार का भरण पोषण न करने पर नौकरी से हटाया जा सकेगा | (एफड(5) डी. ओ.पी ए 11/88 (11/2000) दिनांक 27.2.11)
विभाग में पद रिक्त न होने पर ही मृतकों के आश्रितों के नियुक्ति प्रकरण कार्मिक विभाग को भेजें । (क्र.5(51) कार्मिक/क-8/88/17/2001 दिनांक 20.4.01)
मृतक कर्मचारी के आश्रितों की नियुक्ति नियम अन्तर्गत केवल विधवा अध्यापक को प्रशिक्षण से छूट । (प 8(30) प्रा.वि/ 2001 दिनांक 17.8.02)
मृतक कर्मचारी के आश्रितों की नियुक्ति नियम वर्कचार्ज पर भी लागू नहीं होंगे। प.5 ( 5 ) /क-2/88 (25/3) दिनांक 19.9.03
अधिकांश कार्मिक की कार्यग्रहण से पूर्व मृत्यु पर विभाग ही आश्रित को नियुक्ति देगा । प 1(14) सा प्र. (3/78 दिनांक 21.9.05
2 से अधिक सन्तानों का नियम मृतक विधवा की नियुक्ति में लागू नहीं होंगे। एफ7(1) डीओपी/ए-/95 दिनांक 29.10.95
मृतक कर्मचारी आश्रित कोटे में नियुक्ति विधवा को टंकण परीक्षा छूट। पं. 5(51) डी.ओ.पी./ए-2/88 पार्ट (21/9) दिनांक 7.9.09
पंचायती राज के मृतक अध्यापकों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति दिए जाने के निर्देश एफ 28 (1) परावि/प्रशा-2/मृ.आ.नियुक्ति/09 दिनांक 21.10.2009
मृतक कर्मचारी के आश्रित को कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति हेतु शैक्षिक योग्यता सीनियर सैकण्डरी तथा कम्प्यूटर कोर्स आवश्यक होगा। प. 5(51) कार्मिक/क / 88 पार्ट ( 36/10) दिन 19.8.10
मृतक कर्मचारी के आश्रित को पारिवारिक पेंशन पर प्रोबेशन ट्रेनी अवधि में फिक्स मानदेय के साथ मंहगाई राहत के समान अनुग्रह भत्ता देय होगा। एफ 12(4 ) एफडी/रूल्स/2008 (आरएसआर-2 /11) दिनांक 4.3-11
1 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले राजस्थान राज्य संवर्ग के अखिल भारतीय के अधिकारी की मृत्यु होने पर आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति मिलेगी। एफ 7(2) डीओपी/ए. 11/2005 दिनांक 26.4.11
मृतक कर्मचारी के आश्रित को 90 दिवस में नियुक्ति दी जावे । प. 5(51) कार्मिक/क-2/88 पार्ट 20/2010 दिनांक 13.4.12 (लेखाविज्ञ माह मई 2012 पृष्ठ 2)
मृत सरकारी कर्मचारी के पात्र आश्रित द्वारा नियुक्ति पर कार्यग्रहण नहीं करने पर नियुक्ति आदेश के 90 दिवस में दूसरे पात्र आश्रित को नियुक्ति दी जावे । आ.दि. कार्मिक क- ।। (21/2012) दिनांक 25.5 12 (लेखाविज्ञ माह मई, 2012 पृष्ठ 17)
प्रोबेशनर ट्रेनी अवधि में कार्मिक की मृत्यु होने पर आश्रित को नियुक्ति मिलेगी। सामान्यता 1 से 10 ग्रेड पे (1300-2800) में नियुक्ति मिलेगी। आ.दि. कार्मिक क । (22/2012) दिनांक 25.5.12 (लेखाविज्ञ मई, 2012 पृष्ठ 17)
5 जुलाई 2010 के पश्चात् टंकण परीक्षा कम्प्यूटर होगी। आ दि. 21.9.12 ( लेखाविज्ञ नवम्बर, 12 पृष्ठ 24)
शहीद आश्रितों की विधवाओं को लि क.लि. के पद पर नियुक्ति होने पर टंकण परीक्षा से छूट आ.दि. 6.12. 12 (लेखाविज्ञ फरवरी, 13 पृष्ठ 12)
मृतक कर्मचारी को 3 वर्ष से टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने के निर्देश विधवाओं को छूट आ.दि. 14.6.13 (लेखाविज्ञ जुलाई, 13 पृष्ठ 26)
पंचायती राज प्रा. शिक्षा में लगे मृतक कर्मचारियों के रूप में नियुक्ति कनिष्ठ लिपिकों को एक वर्ग कम्प्यूटर कोर्स करना होगा। आ.दि. 22.5.14 (लेखाविज्ञ 7/14 पृष्ठ 21)
राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के अन्तर्गत नियुक्त कर्मचारी के स्थाईकरण, परिवीक्षाकाल, वरिष्ठता एवं पदोन्नति के संबंध राजस्थान सरकार कार्मिक (क-2) विभाग के परिपत्र कमांक.प. 3(1)कार्मिक/क-2/2013, दिनांक 2.6.2020 में स्पष्टीकरण एवं नियम निवर्चना निम्नानुसार की गयी है-
समस्त अति मुख्य सचिव / प्रमुख शासन सचिव / शासन सचिव
समस्त विभागाध्यक्ष, सम्भागीय आयुक्त एवं जिला कलेक्टर्स सहित ।
परिपत्र
विषयः-राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के अन्तर्गत नियुक्त कर्मचारी के स्थाईकरण, परिवीक्षाकाल, वरिष्ठता एवं पदोन्नति के संबंध में ।
किसी राजकीय कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर उसके आश्रित को राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के अन्तर्गत उसकी योग्यता एवं पात्रता के अनुसार किसी पद पर संबंधित सेवा नियमों में विहित प्रावधानानुसार नियुक्ति प्रदान करने का प्रावधान है।
उक्त नियम. 1996 के अन्तर्गत नियुक्त कर्मचारी के स्थाईकरण, परिवीक्षाकाल एवं वार्षिक वेतन वृद्धि के संबंध में स्पष्ट प्रावधान है किन्तु इनकी नियमित नियुक्ति कब से मानी जावे इसका प्रावधान न तो उक्त नियम में है और न ही संबंधित सेवा नियमो में है, जिनके अन्तर्गत इनकी नियुक्ति की जाती है। इसी प्रकार वरिष्ठता एवं पदोन्नति के संबंध में भी इन नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। अतः कतिपय विभागाध्यक्ष एवं नियुक्ति प्राधिकारियों द्वारा मृतक आश्रित कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति स्थाईकरण, वरिष्ठता एवं पदोन्नति के संबंध में अलग अलग मापदण्ड निर्धारित किये जा रहे है जिससे ऐसे प्रकरणो में विसंगतिया उत्पन्न होने के कारण न्यायिक विवाद की संभावना बनी रहती है। उपर्युक्त विषय में विभिन्न विभागों द्वारा प्रकरण कार्मिक विभाग में राय /मार्गदर्शन हेतु भी प्रेषित किये जा रहे है।
अतः कार्मिक विभाग द्वारा ऐसे प्रकरणो का नियमों के अन्तर्गत परीक्षण कर मृतक आश्रित कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति, स्थाईकरण, वरिष्ठता एवं पदोन्नति के संबंध में स्पष्टीकरण एवं नियम निवर्चना निम्नानुसार की जाती है-
क्रमांक
बिन्दु
स्पष्टीकरण
1
मृतक आश्रित कर्मचारी की नियुक्ति नियमित कब से होगी
अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के तहत नियुक्त कर्मचारी की नियमित नियुक्ति कार्यग्रहण दिनांक से ही मानी जावेंगी।
2
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा कम्प्यूटर नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हता पर योग्यता अर्जित करने के संबंध में ।
नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हता पर जोर नहीं दिया जायेगा। मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कम्प्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होगी ।
3
मृतक आश्रित कर्मचारी की वरिष्ठता के वरिष्ठता संबंध में ।
मृतक आश्रित कर्मचारी की वरिष्ठता कार्यग्रहण दिनांक से ही मानी जावेंगी।
4
मृतक आश्रित कर्मचारी के परिवीक्षाकाल के संबंध में ।
मृतक आश्रित कर्मचारी का परिवीक्षाकाल भी सीधी भर्ती में नियुक्त कर्मचारी की भांति दो वर्ष का होगा किन्तु यदि वह दो वर्ष में कम्प्यूटर योग्यता अर्जित नहीं करता है, तो उराका परिवीक्षाकाल अधिसूचना दिनांक 02.01.2017 के प्रावधानानुसार उतनी ही अवधि का बढाया हुआ समझा जावेगा जितनी अवधि में वह कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करता है।
5
मृतक आश्रित कर्मचारी के स्थायीकरण के संबंध में
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करने के पश्चात् परिवीक्षाकाल संतोषजनक होने पर उसका स्थायीकरण किया जावेगा।
6
आश्रित कर्मचारी प्रशिक्षण /विभागीय परीक्षा /टंकण उत्तीर्ण किये जाने के संबंध में ।
जब तक वह ऐसी अर्हताएं अर्जित परीक्षा नही कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक वेतनवृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियमानुसार काल्पनिक रूप से वेतन वृद्धि देय होगी तथा कोई नकद संदाय नहीं किया जायेगा।
7
मृतक आश्रित कर्मचारी की पदोन्नति के संबंध में।
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा यदि नियमानुसार कम्यूटर योग्यता / टंकण परीक्षा उत्तीर्ण कर ली गई है, तो उसकी पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर नियमानुसार देय है। किन्तु यदि उसने नियमों में विहित कम्प्यूटर योग्यता/टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, तो इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि जब तक मृतक आश्रित | कर्मचारी के द्वारा कम्प्यूटर योग्यता व टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नही कर ली जाती है, तब तक उसे पदोन्नति देय नहीं होगी और जैसे ही वह कम्प्यूटर योग्यता/टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करेगा, उसके बाद आने वाली अप्रैल के प्रथम दिन की स्थिति में उसे नियमानुसार पदोन्नति देय होगी। उदाहरणार्थ- किसी कर्मचारी की नियुक्ति तिथि 5.8.2010 है और उसके द्वारा अनुकम्पा नियम 1996 के नियम 9 के अनुसार कम्प्यूटर योग्यता / प्रशिक्षण /विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा दिनांक 5.8.14 को अर्जित की गई है तो उसे पदोन्नति 5.8.2014 के पश्चात आने वाली अप्रैल की स्थिति में देय होगी।
8
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा निर्धारित योग्यता अर्जित नहीं करने की स्थिति में पद सुरक्षित रखे जाने के संबंध में ।
गृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा निर्धारित योग्यता अर्जित नहीं करने और उससे कनिष्ठ के पदोन्नत होने की स्थिति में ऐसे कर्मचारियों के लिए पद सुरक्षित नहीं रखा जायेगा एवं बिन्दु संख्या 07 के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जावेगी ।
अतः समस्त विभागाध्यक्षों/नियुक्ति प्राधिकारियों को निर्दिष्ट किया जाता है कि मृतक आश्रित कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित प्रकरणों में उक्त नियमों एवं दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें ।
सरकारी कार्मिकों को मृत्यु उपरांत मिलने वाले क्लेम एवं सुविधाओं की जानकारी
सरकारी कार्मिकों को मृत्यु उपरांत मिलने वाले क्लेम एवं सुविधाओं की जानकारी
(1) राज्य बीमा / जीपीएफ/Nps क्लेम।
(2) मृत्यु दुर्घटना में हुई है तो Group Insurance (GIS) का क्लेम कार्मिक द्वारा दिए गए GPA के प्रस्ताव के अनुसार- 3 लाख/10 लाख/ 20 लाख /30 लाख रु का क्लेम।
(3) शिक्षा विभाग के कार्मिक है तो हितकारी निधि से 1.50 लाख एवं शिक्षक कल्याण से सहायता 5000 रु राशि का क्लेम ।
(4) कोविड 19 की ड्यूटी में संक्रमण से कार्मिक की मृत्यु होने पर 50 लाख की अलग से अनुग्रह राशि का क्लेम।
इस योजना में राज्य सरकार के समस्त अधिकारी, कर्मचारी, संविदा कर्मचारी एवं मानदेय पर कार्यरत कर्मचारियों को भी कवर किया गया है।
(5) कार्मिक की मृत्यु के बाद नियमानुसार पारिवारिक पेंशन एवं ग्रेच्युटी के भुगतान हेतु पेंशन कुलक तैयार कर पेंशन विभाग (सम्बंधित क्षेत्रीय कार्यालय) को भेजना।
शेष उपार्जित अवकाशों के नकद भुगतान के लिए बजट आवंटन हेतु परिवार पेंशन कुलक के साथ निर्धारित प्रपत्र में मांग पत्र भेजना
(6) पात्रता होने पर आश्रित को अनुकंम्पा नियुक्ति।
अनुकंम्पा नियुक्ति हेतु आश्रित की परिभाषा में कार्मिक के ( पति या पत्नी) ,पुत्र,अविवाहित पुत्री या विधवा पुत्री,कार्मिक द्वारा वैध रूप से ग्रहीत दत्तक पुत्र या अविवाहित पुत्री नौकरी के लिए पात्र हो सकते हैं।
उक्त आश्रित में से यदि कोई केंद्रीय या राजकीय सेवा में या किसी निगम, बोर्ड या संगठन में पहले से कोई नियुक्त है तो अनुकंम्पा नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होंगे लेकिन विधवा स्वयं नौकरी लेना चाहें तो अनुकंम्पा नियुक्ति मिल सकती है।
यदि आश्रित नाबालिग है तो आयु में शिथिलन के लिए आवेदन निर्धारित समय सीमा में उचित माध्यम से राज्य सरकार को भेजना पड़ता है। आयु में शिथिलन राज सरकार द्वारा ही दिया जाता है।
(7) सेलरी बैंक A/C पर यदि कोई बीमा पॉलिसी ली हुई है तो उसका क्लेम।
(8) वेतन से या निजी कोई बीमा पॉलिसी ली हुई है तो उसका क्लेम।
” सरकारी कार्मिकों को मृत्यु उपरांत मिलने वाले क्लेम एवं सुविधाओं की जानकारी “
क्लेम के साथ संलग्न किए जाने वाले आवश्यक अभिलेख
(1) हर क्लेम का निर्धारित दावा प्रपत्र। (2) कार्मिक का मूल मृत्यु प्रमाण पत्र।
(3) कार्मिक का सेवा समाप्ति आदेश।
(4) नॉमिनी के बैंक A/C की छाया प्रति।
(5) हर दावे के लिए अन्य आवश्यक दस्तावेज एवं शपथ पत्र जो दावा प्रपत्र में अंकित हो।
क्लेम प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
(1) DDO के माध्यम से बीमा विभाग को जैसे SI, GPF, NPS आदि के क्लेम ऑन लाइन सब्मिट करना।
(2) DDO के माध्यम से हितकारी निधि से सम्बन्धित शिक्षक कल्याण कोष के प्रकरण माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर को भेजना।
(3) DDO के माध्यम से ही अनुकंम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन पत्र 90 दिन में तैयार कर भेजना अनिवार्य है।
(4) कोरोना ड्यूटी में संक्रमण से मृत्यु होने पर दावा प्रकरण DDO द्वारा जिला कलेक्टर के माध्यम से HOD को भेजना।
(5) बैंक या LIC के क्लेम बाबत सम्बन्धित ब्रांच से क्लेम फॉर्म प्राप्त पर उसकी पूर्ति कर भिजवाना।
नॉट:- (1) प्रोबेशन में कार्मिक की मृत्यु होने पर भी पात्र आश्रित को अनुकंम्पा नियुक्ति मिलती है।
(2) NPS कार्मिक की डेथ होने पर NPS की राशि समर्पित करने पर ही पारिवारिक पेंशन मिलती है।
(3) NPS कार्मिकों को नियमानुसार ग्रेच्युटी का भुगतान भी किया जाता है।
(4) कार्मिक की मृत्यु होने के बाद बकाया कोई भी भुगतान एवं दावों की राशि का भुगतान नॉमिनी को किया जाता है अतः pay manager पर पहले नॉमिनी ऐड करे एवं सब ट्रेजरी या ट्रेजरी से नॉमिनी की बैंक डिटेल्स को पहले pay manager पर अपडेट करावें।
(5) SI/GPF/NPS/GIS आदि के क्लेम के लिए DDO लॉगिन से पहले SIPF पोर्टल पर नॉमिनी की बैंक Details यथा A/C नम्बर, IFS Code एवं नॉमिनी का शेयर पहले अपडेट करावें उसके बाद ही ऑन लाइन क्लेम सब्मिट करें।
राजस्थान सरकार ने कैशलेस स्वास्थ्य लाभ योजना शुरू की है, जिसे बाद में राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) के रूप में संदर्भित किया गया है, जो कि इनडोर चिकित्सा उपचार खर्च, निर्दिष्ट डे-केयर प्रक्रिया, आउटडोर उपचार, जांच और चिकित्सा उपस्थिति और आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकत्स के तहत उपचार को कवर करती है। पद्धति और अन्य उपचार जैसा कि राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट या निर्दिष्ट किया जाना है। यह योजना अनिवार्य रूप से मंत्रियों, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों, एमएलएएस और पूर्व-विधायकों, सरकारी कर्मचारियों की सेवा करने वाले और सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों, (चाहे पुरानी या नई पेंशन योजना के तहत) और पेंशनरों / परिवार पेंशनरों को कवर करेगी। साथ ही, यह योजना स्वायत्त निकायों, बोर्डों, निगमों आदि के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए लागू होगी।
RAJASTHAN GOVERNMENT HEALTH CASHLESS HEALTH SCHEME
2. आरजीएचएस विभिन्न श्रेणियों के संबंधित नियमों / योजनाओं के तहत निर्धारित शर्तों और प्रक्रियाओं के अनुसार सभी चिकित्सा सुविधाओं को कवर करेगा। (i) राजस्थान मंत्री (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1961 (ii) राजस्थान न्यायिक अधिकारी (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 2008 (ii) अखिल भारतीय सेवा (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1954 (iv) राजस्थान विधान सभा सदस्य (चिकित्सा सुविधाएं) ) नियम, 1964 (v) राजस्थान विधानसभा पूर्व सदस्य और परिवार। पेंशनर्स (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 2010 (vi) राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 2013 (vii) राजस्थान राज्य पेंशनर्स चिकित्सा रियायत योजना, 2014 और (viii) राज मेडिक्लेम पॉलिसी।
3. नए लाभार्थियों को 5 लख रुपये प्रति वर्ष परिवार फ्लोटर आधार तक के उपचार की अनुमति होगी। योजना रुपये से ऊपर के लाभार्थी सदस्य के अस्पताल में भर्ती से संबंधित अतिरिक्त खर्चों को कवर करेगी। सरकारी / निजी किसी भी अस्पताल में प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख, विशेष रूप से भयावह बीमारी के लिए।
4. उपचार किसी भी हेल्थ केयर नेटवर्क प्रदाता (HCNP) अर्थात सरकारी अस्पतालों, अनुमोदित अस्पतालों, PPP अस्पतालों, रेफरल अस्पतालों (सक्षम प्राधिकारी से उचित संदर्भ के बाद) में लिया जा सकता है। टीपीए की प्रतिपूर्ति आरजीएचएस दरों के अनुसार दी जाएगी। आरजीएचएस कार्ड धारक को कोई प्रतिपूर्ति नहीं दी जाएगी, जहां कैशलेस उपचार उपलब्ध है। हालांकि, आरजीएचएस कार्ड होल्डर द्वारा प्रतिपूर्ति को गैर-अनुमोदित अस्पताल और अन्य असाधारण परिस्थितियों में गंभीर आपातकाल में लिए गए चिकित्सा उपचार के लिए लिया जा सकता है। ऐसी परिस्थितियों में, दावा आरजीएचएस पोर्टल पर बिल जमा करने के बाद ही किया जाएगा। इस संबंध में अधिक जानकारी आरजीएचएस वेबसाइट यानी rghs.gov.in पर देखी जा सकती है |
5. कुछ उपचार हैं जो आरजीएचएस के अंतर्गत नहीं आते हैं। ऐसे exclusions का विवरण आरजीएचएस की वेबसाइट पर अपलोड की गई योजना में उपलब्ध होगा। ऐसे exclusionsकी प्रतिपूर्ति थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (TPA) के माध्यम से नहीं की जाएगी।
6. राज्य सरकार आरटीपीपी अधिनियम और नियमों के माध्यम से टीपीए का चयन करेगी।
7. इस योजना के तहत लाभार्थियों का नामांकन 10-4-2021 से शुरू होगा और 30-04-2021 तक पूरा होगा। उपर्युक्त श्रेणी का प्रत्येक व्यक्ति 30-05-2021 से पहले आश्रितों के साथ-साथ राज्य बीमा और भविष्य निधि विभाग को 31-05-2021 तक आरजीएचएस कार्ड वितरित करने में सक्षम बनाने के लिए उसका नामांकन सुनिश्चित करेगा। नामांकन की अवधि केवल वैध कारणों पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा विस्तारित की जा सकती है। नई भर्तियों के लिए नामांकन की अवधि सेवा में शामिल होने की तारीख से 3 महीने होगी।
8. सभी श्रेणियों के नामांकन फॉर्म आरजीएचएस की वेबसाइट www.rghs.gov.in पर उपलब्ध होंगे, साथ ही ऐसे फॉर्म भरने की प्रक्रिया भी होगी। फॉर्म केवल ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। उपर्युक्त श्रेणी के प्रत्येक व्यक्ति को विशिष्ट आरजीएचएस कार्ड नंबरों के साथ नामांकन के बारे में सूचित किया जाएगा। कार्ड के गलत स्थान / कार्ड की अनुपलब्धता के मामले में, इस विशिष्ट RGHS कार्ड नंबर का उपयोग HCNP में उपचार के लिए किया जा सकता है।
9. निजी अस्पतालों, नैदानिक प्रयोगशालाओं, इमेजिंग केंद्रों और ई-फार्मा स्टोर्स का परित्याग: वे अस्पताल / डायग्नोस्टिक केंद्र, इमेजिंग केंद्र जिनके पास NABH / NABL मान्यता है और जिन अस्पतालों में CGHS के तहत सामंजस्य है वे RGHS वेबसाइट पर सीधे RGHS पर लागू होंगे। अस्पतालों और नैदानिक प्रयोगशालाओं / इमेजिंग केन्द्रों जो नभ / एनएबीएल मान्यता के पास नहीं है और यह भी अस्पतालों जो सीजीएचएस के तहत पैनल में नहीं कर रहे हैं RGHS वेबसाइट यानी पर आवेदन कर सकते हैं RGHS Application (rajasthan.gov.in) मानदंडों और मापदंड RGHS द्वारा तय अनुसार। अस्पताल / लैब जो पहले से ही एचबीईसी द्वारा सहानुभूति रखते हैं, उन्हें आरजीएचएस वेबसाइट पर फिर से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ई-फार्मा स्टोर्स के लिए प्रक्रिया और नियम और शर्तें तय समय में तय की जाएंगी।
10. राज्य बीमा और भविष्य निधि विभाग (SIPF) नोडल विभाग होगा और वित्त (बीमा) विभाग राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना के लिए प्रशासनिक विभाग होगा।
11. पैरा 2 में सूचीबद्ध संबंधित नियमों / योजनाओं में आवश्यक संशोधन उचित समय में जारी किए जाएंगे।
12. वित्त (बीमा) विभाग, RGHS के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न अनुलग्नक, परिपत्र, स्पष्टीकरण आदि के साथ विस्तृत परिचालन दिशानिर्देश जारी करेगा। 13. यदि इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान कोई कठिनाई आती है,
संबंधित अस्पताल / हितधारक इस मामले को निदेशक, राज्य बीमा और भविष्य निधि विभाग को संदर्भित करेगा और यदि निदेशक, एसआईपीएफ के स्तर पर मामला हल नहीं होता है, तो वित्त (बीमा) विभाग का निर्णय अंतिम होगा। अपीलीय प्राधिकारी एसीएस / प्रधान सचिव, वित्त होंगे।
वित्तीय वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा संख्या 244 में माननीय मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा सीजीएचएस की भांति आरजीएचएस लागू किये जाने की घोषणा की गई है। उक्त घोषणा की अनुपालना में समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 09.04.2021 (प्रति संलग्न) के द्वारा आरजीएचएस पोर्टल (www.rghs.rajasthan.gov.in) पर दिनांक 10.04.2021 से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है। आरजीएचएस की सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए आरजीएचएस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया जाना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया दिनांक 30.04.2021 तक पूर्ण की जानी है।
अतः यह आवश्यक है कि सभी विभागों/जिलों में एक विशेष अभियान संचालित कर जिला एवम् ब्लॉक स्तर पर शिविर आयोजित करते हुए सेवारत कार्मिकों के आरजीएचएस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही निर्धारित समयावधि में पूर्ण करायी जावे। सुलभ संदर्भ हेतु रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का फ्लो चार्ट एवम् गाईडलाईन्स् की प्रति संलग्न है। यह अपेक्षा है कि सभी विभागीय वेबसाईट्स पर उक्त फ्लो चार्ट एवम् गाईडलाईन्स् दर्शायी जाये ताकि सभी कार्मिकों को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जानकारी हो सके।
रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया में किसी प्रकार की कठिनाई होने पर एसआईपीएफ के जिला कार्यालय अथवा निम्न हैल्पलाईन/हैल्पडेस्क से सम्पर्क किया जा सकता है:-
Step 1: Log-in through SSO ID: Employee will log in through from his/her government SSO Id (sso.rajasthan.gov.in)
Step 2: Link for RGHS (Icon): RGHS icon will be displayed on SSO website which redirects user to RGHS portal for further registration.
Step 3: Registration on RGHS through Jan Aadhar: User will provide Jan Aadhar ID or enrollment ID to initiate the registration of his family members in scheme. This registration is divided into further six steps:
Display of Jan Aadhar Family a) User provides Jan Aadhar or enrollment number to display Jan Aadhar family associated to Jan Aadhar number If Jan Aadhar number is “Not Available” RGHS portal redirects user to Jan Aadhar portal for creation of Jan Aadhar ID. – If Jan Aadhar number is “Available” – RGHS portal displays the Jan Aadhar Family along with the column for selection of government employee.
Identification/Selection of Government employee: a) Limited to select only one government employee which will be having the right to define relationship.
Verification from log in SSO IDI Employee ID. a) After identification, RGHS beneficiary will select the category. b) Self identification by employee ID verification. c) If verified “Yes” then it will lead to next of step of registration. a) If verified “No” then a message will appear to log in from employee’s SSO Id for registering under RGHS.
Defining Relationship with respect to Government Employee a) User will define his own family relationships to be covered under RGHS and can select the category.
Validations of relationships. a) Basis on the information provided by user, system will be able to identify dependents under family as per the following guidelines. Family definition is Annexed below
Declaration/Acceptance/Disclaimer: a) By registering, system will allow the member to register validate. b) Without continuing the acceptance, system will not allow the member to register/validate.
Step 4: “Successfully Registered” : Registration process will be completed by clicking on submit button”.
Family means children were adopted by government employees partner, completely dependent children, legal (legally divorced / widowed daughter ‘s leaving) and parents (where they are not).
If the total annual income from all sources to the parents does not exceed 6000 / – per month , then the parents will be considered fully dependent . However, income from Contributory Provident Fund, Gratuity, Government of India Award Bonds, Insurance Benefit etc. will not be treated as income.
Dependent children shall mean and include:
Until the son marries or starts earning an income of more than 6000 / – per month or attains the age of 25, whichever is earlier.
The daughter gets married or starts earning more than 6000 / – per month, whichever is earlier.
A son / daughter suffering from any permanent disability of any kind (physical or mental) will be considered dependent irrespective of his age or marriage status .
Legally adopted parents, who are dependent on the Government servant, wherever they reside , shall be members of the family as ‘parents’ , provided that in any circumstances the de facto parents shall, under the above rules There will not be family members . It has also been clarified that if the adoptive parents are legally more wives than one, so only the senior adoptive parents will be and others who “step mother”, the definition of family under this plan ‘parents’ Will not be included in the form.”
चरण 1: SSO आईडी के माध्यम से लॉग-इन करें: कर्मचारी अपनी सरकार SSO आईडी (sso.rajasthan.gov.in) के माध्यम से लॉग इन करेगा।
चरण 2: RGHS (आइकन) के लिए लिंक:RGHS आइकन एसएसओ वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा जो उपयोगकर्ता को आगे पंजीकरण के लिए RGHS पोर्टल पर पुनर्निर्देशित करता है।
चरण 3 : जन आधार के माध्यम से आरजीएचएस पर पंजीकरण: उपयोगकर्ता योजना मेंअपने परिवार के सदस्यों का पंजीकरण शुरू करने के लिए जन आधार आईडी या नामांकन आईडी प्रदान करेगा। यह पंजीकरण आगे छह चरणों में विभाजित है:
जन आधार परिवार का प्रदर्शन a) उपयोगकर्ता जन आधार नंबर से संबंधित जन आधार परिवार को प्रदर्शित करने के लिए अपना जन आधार या नामांकन संख्या दर्ज करेगा | यदि उपयोगकर्ता के पास जनाधार ID नही है RGHS पोर्टल उपयोगकर्ता को जन आधार पोर्संटल पर REDIRECT करेगा – यदि जन आधार नंबर “उपलब्ध” है – आरजीएचएस पोर्टल सरकारी कर्मचारी के चयन के लिए कॉलम के साथ जन आधार परिवार को प्रदर्शित करता है।
सरकारी कर्मचारी की पहचान / चयन: a) केवल एक सरकारी कर्मचारी का चयन करने के लिए सीमित है जिसे संबंध परिभाषित करने का अधिकार होगा।
एसएसओ आईडीआई कर्मचारी आईडी में लॉग इन से सत्यापन। a) पहचान के बाद, RGHS लाभार्थी श्रेणी CATEGARY का चयन करेगा। b) कर्मचारी आईडी दर्ज करके इसका सत्यापन / VERIFY कार्मिक द्वारा किया जाएगा | c) इसके बाद यदि आप YES / “हां” सत्यापित है, तो पोर्टल आपको पंजीकरण के अगले चरण की ओर ले जाएगा। d) यदि “नहीं” सत्यापित है, तो RGHS के तहत पंजीकरण के लिए कर्मचारी के SSO आईडी से लॉग इन करने के लिए एक संदेश दिखाई देगा।
सरकार कर्मचारी के संबंध में परिभाषित करना क) उपयोगकर्ता अपने स्वयं के पारिवारिक संबंधों को RGHS के तहत कवर करने के लिए परिभाषित करेगा और श्रेणी का चयन कर सकता है।
रिश्तों की मान्यता। क) उपयोगकर्ता द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर, SYSTEM निम्नलिखित दिशानिर्देशों के अनुसार परिवार के तहत आश्रितों की पहचान करने में सक्षम होगी। परिवार की परिभाषा नीचे दी गई है
घोषणा / स्वीकृति / अस्वीकरण: क) पंजीकरण करके, सिस्टम सदस्य को मान्य पंजीकरण करने की अनुमति देगा। ख) स्वीकृति जारी रखने के बिना, सिस्टम सदस्य को पंजीकरण / सत्यापन करने की अनुमति नहीं देगा।
चरण 4 : “सफलतापूर्वक पंजीकृत”: पंजीकरण प्रक्रिया सबमिट बटन पर क्लिक करके पूरी हो जाएगी “।
पारिवारिक परिभाषा
परिवार का अर्थ है सरकारी कर्मचारियों का जीवनसाथी, पूर्ण रूप से आश्रित बच्चे, कानूनी रूप से गोद लिए गए बच्चे (कानूनी रूप से तलाकशुदा / विधवा बेटी सहित ) और माता-पिता (जहां वे नहीं रहते हैं) को छोड़कर।
यदि माता-पिता की सभी स्रोतों से कुल वार्षिक आय 6000 / – प्रति माह से अधिक नहीं है, तो माता-पिता को पूरी तरह से निर्भर / आश्रितमाना जाएगा । हालांकि, अंशदायी भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, भारत सरकार के पुरस्कार बांड, बीमा लाभ आदि से आय को आय नहीं माना जाएगा।
आश्रित बच्चों का मतलब और शामिल होगा:
बेटा जब तक शादी नहीं करता है या प्रति माह 6000 / – से अधिक की आय अर्जित करना शुरू नहीं करता है या 25 वर्ष की आयु प्राप्त नही करता है, जो भी पहले होतब तक वो आश्रित माना जाएगा।
बेटी की शादी हो जाती है या 6000 / – प्रति माह से अधिक आय अर्जित करना शुरू कर देती है जो भी पहले हो। तब बेटी आश्रित नही मानी जायेगी
किसी भी प्रकार (शारीरिक या मानसिक) के किसी भी स्थायी विकलांगता से पीड़ित बेटे / बेटी को उसकी उम्र या विवाह की स्थिति के बावजूद निर्भर / आश्रित माना जाएगा ।
कानूनी रूप से दत्तक माता-पिता, जो सरकारी सेवक पर निर्भर हैं, चाहे वे जहां भी रहते हों, वे ‘माता-पिता’ के रूप में परिवार के सदस्य होंगे, बशर्ते कि किसी भी परिस्थिति में वास्तविक माता-पिता उपरोक्त नियमों के तहत परिवार के सदस्य नहीं होंगे । यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि दत्तक पिता की कानूनी रूप से एक से अधिक पत्नियां हैं, तो केवल वरिष्ठतम दत्तक माता ही होगी और अन्य जो ‘सौतेली माता’ हैं, इस योजना के तहत परिवार की परिभाषा में ‘माता-पिता’ के रूप में शामिल नहीं होंगे। “
इस योजना अपना पंजीकरण कैसे करवाए कि प्रक्रिया जानने के लिए निम्न वीडियो देखे
1. The Governor is pleased to introduce a Cashless Health Benefit Scheme hereinafter referred as Rajasthan Government Health Scheme (RGHS) to cover indoor medical treatment expenses, specified day-care procedures, outdoor treatment, investigations and medical attendance and treatment under Ayurveda, Homeopathy, Unani Chikitsa Paddhati and other treatment as specified or to be specified by State Government. The scheme will cover compulsorily the Ministers, All India Service Officers, MLAS & Ex-MLAs, Serving & Retired Judicial officers, Serving Government employees (whether covered under old or new pension scheme) and pensioners / family pensioners. Also, this scheme will be applicable for the employees and pensioners of Autonomous Bodies, Boards, Corporations etc. The contribution to the Scheme will be decided by the State Government in due course.
2. The RGHS will cover all the medical facilities as per conditions and procedures laid down under the respective rules / schemes of different categories viz. (i) The Rajasthan Ministers (Medical Attendance) Rules, 1961 (ii) Rajasthan Judicial Officers (Medical Facilities) Rules, 2008 (ii) All India Services (Medical Attendance) Rules, 1954 (iv) The Rajasthan Legislative Assembly Members (Medical Facilities) Rules, 1964 (v) Rajasthan Legislative Assembly Ex Members and Family. Pensioners (Medical Facilities) Rules, 2010 (vi) Rajasthan Civil Services (Medical Attendance) Rules, 2013 (vii) Rajasthan State Pensioners’ Medical Concession Scheme, 2014 and (viii) Raj Mediclaim Policy.
3. New beneficiaries will be allowed for treatment up to Rs. 5.00 Lacs per year on family floater basis. The scheme shall cover additional expenses relating to hospitalization of beneficiary member above Rs. 5.00 Lacs per family per year in any of the Government/Private empanelled hospital, specifically for catastrophic illness.
4. The treatment can be taken in any Health Care Network Provider (HCNP) i.e. Government hospitals, approved hospitals, PPP hospitals, Referral hospitals (after due reference from competent authority). The reimbursement to TPA will be allowed as per RGHS rates. No reimbursement will be allowed to RGHS Card holder, where cashless treatment is available. However, reimbursement can be taken by the RGHS Card Holder for medical treatment taken in grave emergency in un-approved hospital and in other exceptional circumstances. In such circumstances, the claim will be reimbursed only after submitting the bills on RGHS Portal. Further details in this regard can be seen on RGHS website i.e. rghs.gov.in
5. There are certain treatments which are not covered under RGHS. Details of such exclusions will be available in the scheme uploaded on the website of RGHS. The reimbursement of such exclusions will not be made through Third Party Administrator (TPA).
6. The State Government will select TPA through RTPP Act and Rules.
7. Enrollment of beneficiaries under this scheme will start from 10-4-2021 and will be completed by 30-04-2021. Every person of above mentioned category will ensure his/her enrollment along with dependents before 30-04-2021 enabling State Insurance and Provident Fund Department to deliver RGHS Card upto 31-05-2021. The period for enrollment can only be extended by competent authority on valid reasons. For new recruits the period of enrollment will be 3 months from the date of joining in service.
8. The enrollment forms for the all the categories will be available on RGHS website www.rghs.gov.in along with the procedure to fill such forms. The forms can be filled online only. Every persons of above mentioned category will be notified regarding enrollment with Unique RGHS Card Numbers. In case of misplacement of the card/ non availability of the card, this Unique RGHS Card Number can be used for taking treatment in the HCNP.
9. Empanelment of Private Hospitals, Diagnostic Laboratories, Imaging Centres and E-pharma Stores : The hospitals / diagnostic centres, imaging centres who have NABH / NABL accreditation and hospitals who have empanelment under CGHS will apply directly under RGHS on RGHS website. The hospitals and the diagnostic laboratories / imaging centres who do not possess NABH / NABL accreditation and also hospitals who are not empanelled under CGHS may apply on RGHS website i.e. www.rghs.gov.in as per the norms and criteria fixed by RGHS. The hospital/labs who have already empanelled by HBEC have to apply again online on RGHS website. The procedure and terms and conditions for e-pharma stores will be decided in due course.
10. State Insurance and Provident Fund Department (SIPF) will be nodal department and Finance (Insurance) Department will be Administrative Department for the Rajasthan Government Health Scheme.
11. The necessary amendments in concerned rules / schemes enlisted in para 2 will be issued in due course.
12. The Finance (Insurance) Department, shall issue detailed operational guidelines alongwith various annexures, circulars, clarifications, etc. for implementation of the RGHS. 13. If any difficulty arises in the course of implementation of this Scheme,
the concerned hospital / stake holder shall refer the matter to Director, State Insurance and Provident Fund Department and if the matter is not resolved at the level of Director, SIPF, then the decision of Finance (Insurance) Department shall be final. Appellate Authority shall be ACS / Principal Secretary, Finance.
By order of the Governor, Principal Secretary, Finance
उत्तर :आरजीएचएस राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 बजट घोषणा के बिन्दु संख्या-244 के तहत सी.जी.एच.एस की तर्ज पर कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु प्रदेश में लागू की गई है|
2) आरजीएचएस का लाभार्थी कौन बन सकता है ?
उत्तर : राज्य सरकार के माननीय मंत्री, विधायकगण/पूर्व विधायकगण, न्यायिक सेवा के सेवारत और सेवानिवृत न्यायाधीश, अखिल भारतीय सेवा के सेवारत् अधिकारी व पेंशनर्स एवं राज्य के सरकारी, अर्द्ध सरकारी निकाय, बोर्ड, निगम आदि के अधिकारी, कर्मचारी तथा पेंशनर एवं उनके आश्रित परिजन योजना का लाभार्थी बन सकते है।
3) मैं आरजीएचएस का लाभार्थी कैसे बन सकता/सकती हूं ?
उत्तर : आरजीएचएस का लाभार्थी बनने के लिए सर्वप्रथम पंजीयन कराना आवश्यक है। इसके लिए आरजीएचएस के वेब पॉर्टल पर स्वयं के एस.एस.ओ. आई-डी लॉग-ईन कर निम्न प्रक्रिया के आधार पर लाभार्थी बन सकते है:-
स्थिति -1 (जब जन-आधार संख्या/जन-आधार पंजीयन संख्या उपलब्ध है)
एस.एस.ओ. पर लॉग-इन करें।
आरजीएचएस एप्लीकेशन पर क्लिक करें।
जन-आधार कार्ड संख्या/जन-आधार पंजीयन संख्या दर्ज करें।
एम्पलॉय आई.डी. दर्ज करें।
परिवार के सदस्यों की पुष्टि करें।
स्व घोषणा प्रस्तुत कर सबमिट करें।
स्थिति – 2(जब जन-आधार संख्या/जन-आधार पंजीयन संख्या उपलब्ध नहीं है)
एस.एस.ओ. पर लॉग-इन करें।
आरजीएचएस एप्लीकेशन पर क्लिक करें।
पंजीयन नहीं होने पर जन-आधार के पेज लिंक पर क्लिक करें।
जन-आधार का फॉर्म भरकर सबमिट कर जन-आधार पंजीयन संख्या प्राप्त करें
जन-आधार पंजीयन के बाद आरजीएचएस में पंजीयन की प्रक्रिया हेतु स्थिति -1 में वर्णित प्रक्रिया को अपनायें।
4) क्या आरजीएचएस का लाभार्थी बनने के लिए मैं पंजीयन स्मार्ट (एंड्राइड) फोन से भी कर सकता/सकती?
उत्तर : जी हां, आरजीएचएस पर पंजीयन स्मार्ट (एंड्राइड) फोन से सरलता पूर्वक किया जा सकता है।
5) आरजीएचएस लाभार्थी बनने के लिए आवश्यक दस्तावेज कौनसे है ?
उत्तर : जनाधार, एम्पलॉई आई-डी/पी.पी.ओ. संख्या
6) आरजीएचएस फैमिली का अर्थ क्या है?
उत्तर :आरजीएचएस “फैमिली” का अर्थ है लाभार्थी के पति/पत्नी तथा कर्मचारी पर आश्रित 25 वर्ष तक की दो संतान व माता, पिता जो सामान्यतः कर्मचारी के पदस्थापन के स्थान पर रहते हों जिनकी मासिक आय 6 हजार से कम हो।
7) आरजीएचएस कार्ड में नाम, जन्म दिनांक एवं कर्मचारी से संबंध आदि से संबंधित सूचना गलत होने पर किस प्रकार सही किया जावें।?
उत्तर : आरजीएचएस कार्ड में नाम, जन्म दिनांक एवं कर्मचारी से संबंध आदि से संबंधित सूचना गलत होने पर जनाधार कार्ड में शुद्धिकरण करवा कर सही करवाया जा सकता है।
8) क्या यह योजना परिवीक्षाधीन अधिकारियों/कर्मचारियों पर भी लागू है ?
उत्तर : जी हां, यह योजना परिवीक्षाधीन अधिकारियों/ कर्मचारियों पर अनिवार्य रूप से लागू
9) यदि पति-पत्नी दोनों की नियुक्ति 01.01.2004 के बाद होने पर क्या आरजीएचएस में लाम दोनों को मिलेगा?
उत्तर : जी हां, 01.01.2004 ओर उसके पश्चात् नियुक्त पति-पत्नी को एक ही आरजीएचएस कार्ड पर दोनों को पृथक-पृथक प्राप्त होने वाले लाभ के बराबर परिलाभ प्राप्त होगें।
10) क्या जुडवा बच्चों के होने की स्थिति में 2 से अधिक संतानों पर आरजीएचएस योजना का लाम देय है ?
उत्तर : प्रथम प्रसव से यदि एक से अधिक जीवित संतानें है तो उनको पृथक इकाई माना जावेगा। प्रथम प्रसव से यदि एक जीवित संतान है एवं द्वितीय प्रसव से जुडवा बच्चों के होने की स्थिति में दोनों को एक ही इकाई माना जायेगा।
11) आरजीएचएस योजना किस चिकित्सा सुविधा के लिए कैशलेस है ?
उत्तर : आरजीएचएस योजना अन्तः रोगी चिकित्सा (IPD), डे-केयर, मातृत्व-चिकित्सा आदि सुविधा के लिए कैशलेस है।
12) लाभार्थी किन अस्पतालों में इलाज करवा सकता है?
उत्तर : कर्मचारी एवं उसके आश्रित परिवारजन राजकीय अस्पतालों/राज्य सरकार एवं विभाग द्वारा सूचीबद्ध (empanelled) निजी अस्पतालों में ईलाज करवा सकता है।
13) क्या गैर अनुमोदित चिकित्सालयों में ईलाज खर्च के दावे का पुरमरण देय है
उत्तर : गैर अनुमोदित चिकित्सालय में आपातकालीन परिस्थितियों में कुछ बीमारियों के लिए सी.जी.एच.एस. पैकेज दरों पर दावों का पुनर्भरण देय है। जिसमें निम्न बीमारियों को सम्मिलित किया गया है।
Coronary Artery Surgery, Vascular Surgery, Hodgkin’s Disease, Acute Retention of urine more than 24 hrs., Acute Myocardial infarction, Acute Pneumonitis, Acute Respiratory Distress, Cancer, renal failure i.e. failure of both the kidney, Stroke,, Multiple Sclerosis, Meningitis, Major organ Transplants like Kidney,Lungs, Pancreas, Heart, Liver or Bone Marrow, Accidents, Delivery, Tubal Pregnancy and related complication, swine flu, dengue fever, burst Appendicitis, Pancreatitis etc. can be covered under as cases of grave emergency.
14) क्या कोविड -19 के उपचार को योजना के इमरजेंसी क्लॉज में शामिल किया गया है?
उत्तर : हां, योजना के अन्तर्गत कोविड 19 के उपचार को शामिल किया गया है। गैर अनुमोदित अस्पताल में भी कोविड 19 का उपचार कराने पर पुनर्भरण देय है।
15) अस्पताल में भर्ती होने के उपरान्त किस आधार बोर्डिंग/अस्पताल वास की सुविधा किस प्रकार है ?
उत्तर :
श्रेणी
वेतन श्रृंखला
राजकीय अस्पतालों में पात्रता
अधिकृत निजी अस्पतालों में पात्रता
1
36,000/- रु तक
सामान्य वार्ड
जनरल वार्ड
2
36,001 रु से 63,000 /- रु तक
कॉटेज
अर्ध निजी वार्ड
3
63,001/-रु और उससे अधिक
डीलक्स
निजी वार्ड
16) मेरे पास जनाधार कार्ड उपलब्ध नहीं है परन्तु आधार कार्ड बना हुआ है क्या मुझे योजना का लाम मिल सकता है?
उत्तर : जिस लाभार्थी का जन-आधार कार्ड बना हुआ नहीं है, उन्हें जन-आधार कार्ड बनवाया जाकर ही योजना का लाभ ले सकता है। उक्त जन-आधार संख्या/जन-आधार पंजीयन संख्या के आधार पर आरजीएचएस लाभार्थी बन सकते है।
17) क्या जिनके पास भामाशाह कार्ड है उन्हें भी जन-आधार कार्ड बनवाना होगा?
उत्तर : नहीं। पूर्व में जारी भामाशाह कार्ड के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क जन आधार कार्ड वितरित किये गये है। जो लाभार्थी नवीन कार्ड के लिए आवेदन करते है, उन्हें जन-आधार कार्ड जारी किया जाता है।
18) ई-वॉलेट से प्रति वर्ष कितने रूपये तक का आहरण किया जा सकता है?
उत्तर : 01.01.2004 के बाद के कर्मचारियों के ई-वॉलेट में राशि प्रति परिवार रू 5 लाख रखी गयी है एवं गंभीर बीमारियों के लिए अतिरिक्त 5 लाख प्रति परिवार की सुविधा रखी गयी है।
19) यदि ईलाज के उपरान्त ई-वॉलेट में राशि शेष बच जाती है, तो क्या अगले वर्ष उपयोग में ली जा सकती है?
उत्तर : नहीं, यह राशि एक वर्ष के लिए ही है। यदि राशि शेष रह जाती है तो वह योजना प्रारम्भ होने से एक वर्ष की समाप्ति पर स्वतः ही कालातीत हो जाती है। अगले वर्ष नये सिरे से स्वास्थ्य परिलाभ होगा।
20) लाभार्थी कितनी बार इस योजना के अन्तर्गत इलाज करा सकता है ?
उत्तर : परिवार के वॉलेट में उपलब्ध राशि के शेष रहने तक लाभार्थी परिवार द्वारा इस योजना में आवश्यकता अनुसार कितनी भी बार इलाज करवा जा सकता है।
21) क्या इस योजना के अन्तर्गत योजना के प्रारम्भ होने के बाद की बीमारियां ही शामिल है?
उत्तर : नहीं, इस योजना के अन्तर्गत योजना चालू होने से पूर्व की बीमारियों हेतु भी चिकित्सा कवर समिलित है।
22) मेरा बच्चा 06 माह आयु का है और उसका जन-आधार कार्ड में नहीं है क्या उसे योजना का लाभ मिलेगा?
उत्तर : हां, योजना के अन्तर्गत पात्र परिवार के जनआधार कार्ड के विवरण में नाम सम्मलित नहीं होते हुए भी उस परिवार के एक वर्ष तक की आयु के बच्चे को योजना के अन्तर्गत इलाज देने का प्रावधान रखा गया है।
23) क्या उक्त लाभार्थी परिवार में शामिल नवविवाहिता को भी इस योजना का लाभ मिलेगा?
उत्तर : हां, परन्तु इसके लिये नवीन वधु का नाम परिवार के जन-आधार कार्ड में तत्काल जुडवाया जाये। इसके लिए वो अपने नजदीकी ई-मित्र केन्द्र अथवा राजीव गांधी सेवा केन्द्र पर जाकर अपना नाम जुडवा सकते हैं। जन-आधार कार्ड में नाम होने पर ही योजना का लाभ प्राप्त हो सकेगा अन्यथा लाभ नही मिलेगा।
24) मेरे परिवार का जन-आधार कार्ड बना हुआ है पर किसी सदस्य का नाम नहीं जुड़े होने पर उसे लाम मिल पायेगा?
उत्तर : नहीं, जन-आधार कार्ड में नाम होने पर ही योजना का लाभ प्राप्त हो सकेगा। यदि परिवार के किसी भी सदस्य का नाम जन-आधार कार्ड में से रह गया है तो उसका नाम तत्काल जुडवाया जाये।
25) आरजीएचएस लाभार्थियों की श्रेणी क्या-क्या है?
उत्तर : आरजीएचएस लाभार्थियों का श्रेणीवार विवरण वेबसाइट www.rghs.rajasthan.gov.in पर उपलब्ध है।
26) आरजीएचएस से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कहा सम्पर्क किया जाये ?
उत्तर : आरजीएचएस से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी Toll free Number 1800 180 6268 से प्राप्त कर सकते है।
Residents may get their Jan Aadhaar Number, using SMS functionality also. Jan Aadhaar Number can be accessed by using ‘Jan-Aadhaar enrolment ID’ or ‘Aadhaar number’ or ‘Mobile number’ already registered into the family profile.
Residents have to send an SMS on mobile number: 7065051222 in any of the formats mentioned below –
• JAN<space>JID<space><15 Character Jan Aadhaar enrolment id>
• JAN<space>JID<space><12 digit UID Number>
• JAN<space>JID<space><10 digit Mobile Number>
Getting Jan-Aadhaar Number by Using Mobile Application-
Residents may get their family Jan-Aadhaar Number and e-Card through Mobile Application available on Play store by name “Jan Aadhaar”.
Link – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.risl.janaadhaarapp
Getting Jan-Aadhar Number by Using SSO-
Residents can also get Jan Aadhaar Number using SSO Login in Profile section. If Jan Aadhaar number is not available in SSO Profile then residents may get it by updating existing Enrolment ID in their SSO Profile.
राजस्थान मंत्री (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1961 के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -2
राजस्थान विधानसभा के सदस्य
राजस्थान विधान सभा सदस्यों (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 1964 के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -3
राजस्थान विधानसभा के पूर्व सदस्य
राजस्थान विधान सभा पूर्व सदस्यों और परिवार पेंशनरों (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 2010 के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -4
सेवा और सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी
राजस्थान न्यायिक अधिकारी (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 2008 के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -5
एआईएस अधिकारियों की सेवा करना
अखिल भारतीय सेवाओं (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1954 के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं और इस संबंध में डीओपी द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेश।
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -6
सेवानिवृत्त ए.आई.एस.
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -7
01-01-2004 से पहले नियुक्त राज्य सरकार के कर्मचारी
आरसीएस (एमए) नियम, 2013 के अनुसार चिकित्सा सुविधाएं
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -8
आरसीएस (पेंशन) नियम, 1996 के तहत पेंशनभोगी और पारिवारिक पेंशनर
राजस्थान राज्य पेंशनर्स चिकित्सा रियायत योजना, 2014 के अनुसार चिकित्सा सुविधा
लागू नियमों के अनुसार कवरेज
आरजीएचएस -9
01-01-2004 को या उसके बाद नियुक्त राज्य सरकार के कर्मचारियों की सेवा
राज मेडिक्लेम पॉलिसी की सीमा तक चिकित्सा सुविधाएं (यानी केवल इनडोर रोगियों के लिए 3.00 लाख रुपये की सीमा तक।)
कैशलेस IPD / DAY केयर, OPD (Rs.20,000 तक), सीजीएचएस दरों या सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय की गई दरों के अनुसार चिकित्सा देखभाल सुविधाएं।
फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख तक का उपचार।
प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की विपत्तिपूर्ण बीमारी से संबंधित अतिरिक्त व्यय।
लागू टीए नियमों के रूप में चिकित्सा उपचार के लिए शुरू की गई यात्रा के लिए यात्रा भत्ता।
एम्बुलेंस शुल्क।
आरजीएचएस -10
राज्य सरकार के पेंशनर्स एनपीएस के तहत आते हैं
वर्तमान में कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है
कैशलेस IPD / DAY केयर, OPD (Rs.20,000 तक), सीजीएचएस दरों या सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय की गई दरों के अनुसार चिकित्सा देखभाल सुविधाएं।
फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख तक का उपचार।
प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की विपत्तिपूर्ण बीमारी से संबंधित अतिरिक्त व्यय।
लागू टीए नियमों के रूप में चिकित्सा उपचार के लिए शुरू की गई यात्रा के लिए यात्रा भत्ता
एम्बुलेंस शुल्क
आरजीएचएस -11
बोर्ड, निगम आदि सहित राज्य स्वायत्त निकायों (SAB) के कर्मचारियों की सेवा, जिन्हें 01.01.2004 से पहले नियुक्त किया गया था
संबंधित बोर्ड / निगम आदि की लागू योजना के अनुसार।
कैशलेस IPD / DAY केयर, OPD (Rs.20,000 तक), सीजीएचएस दरों या सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय की गई दरों के अनुसार चिकित्सा देखभाल सुविधाएं।
फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख तक का उपचार।
प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की विपत्तिपूर्ण बीमारी से संबंधित अतिरिक्त व्यय।
लागू टीए नियमों के रूप में चिकित्सा उपचार के लिए शुरू की गई यात्रा के लिए यात्रा भत्ता।
एम्बुलेंस शुल्क।
आरजीएचएस -12
बोर्ड, निगम आदि सहित राज्य स्वायत्त निकायों (SAB) के कर्मचारियों की सेवा, जिनकी नियुक्ति 01.01.2004 को या उसके बाद की गई थी
वर्तमान में राज मेडिक्लेम योजना के तहत।
कैशलेस IPD / DAY केयर, OPD (Rs.20,000 तक), सीजीएचएस दरों या सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय की गई दरों के अनुसार चिकित्सा देखभाल सुविधाएं।
फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख तक का उपचार।
प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की विपत्तिपूर्ण बीमारी से संबंधित अतिरिक्त व्यय।
लागू टीए नियमों के रूप में चिकित्सा उपचार के लिए शुरू की गई यात्रा के लिए यात्रा भत्ता।
एम्बुलेंस शुल्क।
आरजीएचएस -13
बोर्ड, निगम आदि सहित राज्य स्वायत्त निकायों (SAB) के पेंशनर्स जिन्हें 01.01.2004 से पहले नियुक्त किया गया था
संबंधित बोर्ड / निगम आदि की लागू योजना के अनुसार।
कैशलेस IPD / DAY केयर, OPD (Rs.20,000 तक), सीजीएचएस दरों या सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय की गई दरों के अनुसार चिकित्सा देखभाल सुविधाएं।
फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख तक का उपचार।
प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की विपत्तिपूर्ण बीमारी से संबंधित अतिरिक्त व्यय।
लागू टीए नियमों के रूप में चिकित्सा उपचार के लिए शुरू की गई यात्रा के लिए यात्रा भत्ता।
एम्बुलेंस शुल्क।
आरजीएचएस -14
बोर्ड, निगम आदि सहित राज्य स्वायत्त निकायों (SAB) के पेंशनर्स जिनकी नियुक्ति 01.01.2004 को या उसके बाद की गई थी
कोई चिकित्सा सुविधा नहीं।
कैशलेस IPD / DAY केयर, OPD (Rs.20,000 तक), सीजीएचएस दरों या सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय की गई दरों के अनुसार चिकित्सा देखभाल सुविधाएं।
फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख तक का उपचार।
प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की विपत्तिपूर्ण बीमारी से संबंधित अतिरिक्त व्यय।
लागू टीए नियमों के रूप में चिकित्सा उपचार के लिए शुरू की गई यात्रा के लिए यात्रा भत्ता।
एम्बुलेंस शुल्क।
ग्रेव इलनेस के मामले में आरजीएचएस कवरेज
कोरोनरी धमनी सर्जरी के मामले, संवहनी सर्जरी, हॉजकिन डिजीज, 24 घंटे से अधिक पेशाब का तीव्र प्रतिधारण।, एक्यूट मायोकार्डियल रोधगलन, एक्यूट न्यूमोनिटिस, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस, कैंसर, गुर्दे की विफलता यानी दोनों किडनी, स्ट्रोक की विफलता, स्ट्रोक, मल्टीपल स्केलेरोसिस। मेनिनजाइटिस, प्रमुख अंग प्रत्यारोपण जैसे किडनी, फेफड़े, अग्न्याशय, हृदय, जिगर या अस्थि मज्जा, दुर्घटनाएं, प्रसव, ट्यूबल गर्भावस्था और संबंधित जटिलता, स्वाइन फ्लू, डेंगू बुखार, फट एपेंडिसाइटिस, अग्नाशयशोथ आदि को गंभीर आपातकालीन मामलों के तहत कवर किया जा सकता है। ।
RGHS: पूरी तरह से ऑनलाइन और स्वचालित प्रणाली
आरजीएचएस के तहत दावा निपटान
परिवार की लाभार्थी स्थिति के लिए डेटाबेस की पहचान (जन आधार)
आरजीएचएस वेब-पोर्टल पर एचबीईसी (लागू करें और प्रणाली को स्वीकार करें) द्वारा अस्पताल का अनुकरण: ऑनलाइन और पारदर्शी प्रक्रिया
केवल अस्पताल स्तर पर पूर्व प्राधिकरण
अस्पतालों को ऑनलाइन भुगतान प्रणाली
दावा निपटान प्रक्रिया आरजीएचएस पोर्टल के माध्यम से आरजीएचएस के आईटी प्लेटफॉर्म पर होगी और प्रत्येक लाभार्थी के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (ईएमआर) को आरजीएचएस कार्ड धारक के ई-वॉलेट में रखा जाएगा ।
यहाँ RAJASTHAN GOVERNMENT HEALTH SCHEME से सम्बंधित समस्त आदेश आप देख सकते हैं